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अलवर के मेवात ग्रामीण इलाकों में महिलाओं में बढ़ती एनीमिया की समस्या - एक अवलोकन |
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The problem of increasing anemia among women in Mewat rural areas of Alwar - an overview | |||||||
Paper Id :
19548 Submission Date :
2024-12-07 Acceptance Date :
2024-12-22 Publication Date :
2024-12-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.14632424 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/anthology.php#8
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सारांश |
मूलत: मेवात क्षेत्र राजस्थान और हरियाणा में फैला
हुआ एक ऐतिहासिक क्षेत्र है। यह क्षेत्र अपनी समृद्ध संस्कृति, सामाजिक
सरचंना और इतिहास के बारे में जाना जाता है। मेवात क्षेत्र में मेव जाति का
बाहूल्य है। मेवात देश का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां ग्रामीण महिलाओं में स्वास्थ्य में गिरावट रहती
है और खासकर महिलाओं में एनीमिया एक गंभीर
स्वास्थ्य समस्या है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के स्वास्थ्य के पहलुओं पर चर्चा
करना आवश्यक है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Basically, Mewat region is a historical region spread across Rajasthan and Haryana. This region is known for its rich culture, social structure and history. Meo caste is predominant in Mewat region. Mewat is one such region of the country where rural women have poor health and especially anemia is a serious health problem among women. It is necessary to discuss the health aspects of women in rural areas. | ||||||
मुख्य शब्द | मेवात, एनीमिया, ऐतिहासिक, सामाजिक संरचना, महिला स्वास्थ्य, भारतीय समाज, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवायें। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Mewat, Anemia, Historical, Social Structure, Women's Health, Indian Society, Poverty, Maternal Health, Health Services | ||||||
प्रस्तावना | महिलायें समाज में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और समाज के प्रत्येक क्षेत्र में इनका बराबर का योगदान है, जिसके कारण इनके स्वास्थ्य के प्रति समाज को जागरूक होना जरूरी है और इनके स्वास्थ्य के प्रति समाज की एक जिम्मेदारी बनती है। इस कारण महिला के स्वास्थ्य में एनीमिया की समस्या के प्रति लोगों की जागरूकता एवं निदान इस शोध पत्र में अध्ययन करने का प्रयास किया जा रहा है। यह शोध पत्र मेवात के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं में एनीमिया के प्रसार, कारणों और इसके प्रभावों सहित राज्य सरकार द्वारा इसे रोकने एवं इसके प्रति जागरूक करने का एक विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है। साथ ही, इस समस्या के समाधान के लिए संभावित उपायों पर भी चर्चा इस शोध पत्र में की गई है। ग्रामीण महिलाओं में एनीमिया विषय सम्बन्धी शोध करने के मुख्य महत्वों को निम्र प्रकार बिन्दुओं में रखा जा सकता है। 1 ग्रामीण महिलाओं के खान-पान का अध्ययन करना। 2 ग्रामीण महिलाओं के पोषण में किस तरह बदलाव किया जाये। 3 महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति शिक्षा के माध्यम से कैसे सजग किया जाये।
4 महिलाओं में एनीमिया के बचाव के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रयासो सहित उसकी भूमिका का अध्ययन। 5 महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करना आदि। |
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अध्ययन का उद्देश्य | प्रस्तुत
शोधपत्र का उद्देश्य अलवर के मेवात ग्रामीण इलाकों में महिलाओं में बढती एनीमिया
की समस्याओं का अवलोकन करना है |
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साहित्यावलोकन | गोपाल
दास (2014) ने "नौकरी करने वाली युवतियों
में आयरन की कमी से एनीमिया" पर एक अध्ययन किया। जिसमें अनाजो पर आधारित
खमीरीकृत भोज्य पदार्थों के उपभोग द्वारा आयरन की कमी से एनीमिया में कमी लाना था।
युवतियों द्वारा अपने कार्यस्थल पर खमीरीकृत भोज्य पदार्थ इडली का उपभोग अधिकतम
किया जा रहा था। इसके लिए छोटी कम्पनियों में कार्य करने वाली 302 युवतियो का चुनाव किया। 180 दिन तक कार्यशाला में
निरीक्षण में रखा गया और पाया कि इस प्रकार के भोज्य पदार्थों के सेवन से
हीमोग्लोबिन आवश्यकता अधिक होती है। हालाँकि वे अधिक मात्रा में ग्रहण नहीं कर रही
थी। वे कुछ भोज्य पदार्थों के सेवन को टाल रही थी क्योंकि उनका मानना था कि वे
भोज्य पदार्थ बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं। पाठक व अन्य (2014) ने ग्रामीण
किशोरियों के बीच आयरन का प्रसार, विटामिन ए और आयोडीन की
कमी की" जॉच की। किशोर गर्भवती माताओं में हीमोग्लोबिन की जॉच होमेक्यू मापक
द्वारा की और विटामिन ए कमी का पता रंतौधी की उपस्थिति द्वारा लगाया। 24 घण्टे आहार स्मरण विधि द्वारा पोषक तत्वों के ग्रहण का पता लगाया । 46
प्रतिशत किशोर गर्भवती माताएँ एनीमिया से ग्रसित थी। 16 प्रतिशत किशोरियों में रंतौधी था। 15 प्रतिशत में
गौयटर था। 24 घण्टे आहार स्मरण विधि द्वारा पता चला कि
अनुमानित आहारीय की तुलना में 13 प्रतिशत किशोरियॉ ही आयरन
की सही मात्रा का उपयोग कर रही थी। भारद्वाज ए.व अन्य (2013) ने
किशोरो में आयरन की कमी सें एनीमिया के साथ विटामिन बी 12 और
फोलिक एसिड की कमी का निरीक्षण किया। आयु समूह 11-19 साल के
किशोर और किशोरियो मे एनीमिया की व्यापकता 68.9 प्रतिशत थी
जिसमें से किशोरो में 87.2 प्रतिशत और किशोरियो में 76.7
प्रतिशत थी। किशोर किशोरियो मे 53.9 प्रतिशत
मृदु एनीमिया और 29.7 प्रतिशत मध्यम एनीमिया था। मीनल विनय कुलकर्णी व अन्य (2012) ने
शहरी कच्ची बस्तियों की किशोरियों में एनीमिया की व्यापकता पर अध्ययन किया। समुदाय
पर आधारित अनुभागीय अध्ययन के लिए शहरी कच्ची बस्तियों की 272 किशोरियों को चुना। परिणामों से पता चला किशोरियों में 90.1 प्रतिशत एनीमिया की व्यापकता थी जो बहुत अधिक थी। अधिकतम किशोरियों (88.64
प्रतिशत) मृदु व मध्यम एनीमिया का शिकार थी। किशोरियों की शिक्षा
माता का व्यवसाय और एनीमिया के बीच सार्थक सम्बंध था। महावारी सम्बंधी कारकों और
एनीमिया के बीच सम्बंध नहीं था। अध्ययन से निष्कर्ष निकाला कि किशोरियों को पोषण
सम्बंधी शिक्षा के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार व आयरन फोलिक एसिड की गोलियां उपलब्ध
करवानी चाहिये। प्रेमलथा व अन्य (2012) ने
"चेन्नई में आयु समह 13-17 साल की स्कूल जाने वाली
किशोर लड़कियों के बीच आयरन की कमी में एनीमिया का अनुमान लगाना और सम्बन्धित
कारकों का अध्ययन" करना था। स्कूल के 400 विधार्थियों
में क्रॉस सेक्सन सर्वे किया। स्कूल लड़कियों के बीच एनीमिया की व्यापकता 78.75
प्रतिशत थी। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि कुछ कारक जैसे कि आयु,
माता का साक्षरता का स्तर, परिवार का प्रकार,
समुदाय, आहार, हरी
पत्तेदार सब्जियों के ग्रहण करने की तीव्रता, मासिके चक्र,
कीड़ो का संक्रमण आदि कारक एनीमिया की व्यापकता को बढ़ाते हैं। जैन एन. व अन्य (2012) ने ऋषिकेश उतराखण्ड (भारत) के सरकारी स्कूल के 5-16 साल की आयु के बच्चों में एनीमिया के प्रसार का आंकलन करने के लिए एक अनुसंधान का आयोजन किया। 200 स्कूल बच्चों में प्रासंगिक इतिहास, शारीरिक परीक्षा, हीमोग्लोबिन आंकलन आदि को देखा। परिणामों से पता चला कि 56.3 प्रतिशत बच्चों में एनीमिया था। जिनमें से लड़कियों में एनीमिया (66.6 प्रतिशत) अधिक था। खून की कमी वाले लगभग सभी बच्चे शाकाहारी थे। बच्चों की सामाजिक आर्थिक स्थिति के साथ साथ हीमोग्लोबिन का स्तर भी बढ I रहा था। निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले लगभग सभी बच्चे (90.90 प्रतिशत) एनीमिया से ग्रसित थे। कुपोषित बच्चों में एनीमिया उच्च (66.89 प्रतिशत) था और 29.9 प्रतिशत बच्चे सुपोषित होते हुये भी एनीमिया के शिकार थे। बच्चों में एनीमिया होने के मुख्य कारण पोषण की कमी और कीडों का संक्रमण होना था। गुप्ता वी.के. व अन्य (2011) ने अपने अध्ययन में पाया कि पंजाब की ग्रामीण आबादी में पुरूष व महिलाएं दोनों में एनीमिया की व्यापकता थी। 92.5 प्रतिषत युवा महिलाएं जिनकी आयु 5-9 साल (संख्या 807) और 87 प्रतिशत जिनकी आयु 10-19 वर्ष थी में एनीमिया की व्यापाकता थी। युवा पुरुषों जिनकी आयु 5-9 वर्ष (संख्या 821) और 10-20 वर्ष (संख्या 399) में एनीमिया की व्यापकता 90.5 प्रतिशत और 88.7 प्रतिशत थी जो लगभग समान थी। |
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मुख्य पाठ |
एनीमिया क्या है? एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन की संख्या सामान्य से कम हो जाती है। हीमोग्लोबिन शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। एनीमिया के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे थकान, कमजोरी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। बात एनीमिया बीमारी की करें, तो आयुर्विज्ञान की भाषा में खून की कमी इसका सीधा अर्थ है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है, जिसके कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। एनीमिया कई प्रकार की होती है, लेकिन सबसे आम तरीका जो होता है,वह होता है विटामिन बी 12, फोलिक एसिड और आयरन की कमी के कारण एनीमिया होना। महिलाओं में एनीमिया एनीमिया गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करने वाले सबसे आम पोषण संबंधी विकारों में से एक है, विकसित देशों में प्रसार 14 प्रतिशत है, विकासशील देशों में 51 प्रतिशत है और भारत में यह 65 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक भिन्न है। एनीमिया भारत में मातृ मृत्यु का दूसरा सबसे आम कारण है और दक्षिण पूर्व एशिया में एनीमिया के कारण लगभग 80 प्रतिशत मातृ मृत्यु में योगदान देता है। एनीमिया में महिलाओं के रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन की संख्या सामान्य से कम हो जाती है, जिसकी कई वजह हो सकती है, जैसे पोषक तत्वों की कमीं, जीवन शैली और खुराक से जुडी समस्या । महिलाओं में अण्डकोषों में होने वाली आवृत्ति के कारण एनीमिया की समस्या आमतौर पर पुरुषों की तुलना में अधिक आती है। यह स्त्रीधन्य आयोडीन की कमी, ताजगी की कमी या पोषण की कमी से हो सकता है। महिलाओं में एनीमिया काफी सामान्य है और इसके कई कारण हो सकते हैं। पहले तो महिलाओं को अपने शरीर में उत्पन्न होने वाले गर्भाशय के कारण इंटेन्स ब्लड लॉस का सामना करना पड़ता है। मासिक धर्म के समय, महिलाओं का शरीर खून की अधिक मात्रा को गणना करने के लिए आवश्यक इरोन को खो देता है। इसके परिणामस्वरूप, बहुत सारी महिलाएं आयरन की संसाधनों का अभाव, जागरूकता की कमी या फिर अशिक्षा कारण चाहे कोई भी हो। मेवात में एनीमिया से जूझती महिलायें मेवात के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं में एनीमिया का प्रसार काफी अधिक है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि यहां की अधिकांश महिलाएं एनीमिया से पीडि़त हैं। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे कि
ये समस्याएं अलवर जिले में और खासकर जिलें के मेवात क्षेत्र की महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ रही हैं। इससे जिले में हजारों महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त होती जा रही हैं। खून की कमी के कारण प्रतिवर्ष सौ से अधिक महिलाएं दम तोड़ देती हैं। इनमें गर्भवती महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है। यह समस्या महिलाओं के विकास में बाधक बनी हुई है। हालांकि इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर गांवों में जाकर लोगों को खानपान, टीकाकरण सहित कई प्रकार के सुझाव दिए जा रहे हैं, लेकिन इसका कोई खास असर जिले में नहीं दिखाई दे रहा है। महिलाओं में आयरन की कमी का यह आंकड़ा जिले की मेवात क्षेत्र में ज्यादा खऱाब है। इससे महिलाएं लंबे समय से जिदगी मौत से लड़ रही है। इस बाबत कई बार विभाग की टीम गांवों में जाकर लोगों को जागरूक करती है, लेकिन जो परिणाम आना चाहिए था वह अभी नहीं आ रहा रहा है। इससे जिले में महिलाओं का स्वास्थ्य लगातार प्रभावित हो रहा है। खानपान व कम उम्र में शादी होना भी एक कारण स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों ने माना कि जिले की एक बहुत बड़ी आबादी आज भी अभावों में जी रही है। यहां लोगों का मुख्य पेशा ड्राइवरी और खेती बाडी का है, जिससे वह अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रहे हैं। गरीबी व अनपढ़ता के कारण वह अपने साथ महिलाओं के खानपान पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। दूसरी ओर अभी भी कम उम्र में लड़कियों को शादी के बंधन बांध दिया जाता है। इससे वह कम उम्र में मां बन जाती है। ऐसी स्थिति में यह समस्या सामने आ रही है। महिलाओं के स्वास्थ्य के नजरिए से यह एक गंभीर विषय है जिस पर हम सभी को विचार करने की जरूरत है। वर्तमान में क्षेत्र के साथ जिले में महिलाएं में एनीमिया की शिकार हैं। इससे निपटने के लिए महिलाओं के खानपान पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। तभी जाकर इस समस्या से निपटा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग बीते वर्षों से इस समस्या पर काबू पाने का पूरा प्रयास कर रहा है। चिकित्सकों का मानना है कि एनीमिया को मामूली समझने की भूल कदापि ना की जाए क्योंकि यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। पता चला है कि मेवात में रहने वाली अधिकांश किशोरियां और महिलाएं इस बीमारी से इस वजह से ग्रस्त हैं, क्योंकि वे समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच नहीं करा रही। ऐसी सूरत में मर्ज लगातार बढ़ रहा है। कहने को तो जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा बढ़ा है मगर महिलाओं के कल्याण और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम आज भी नाकाफी हैं और असलियत बहुत कड़वी है। सवाल यह है कि देहात में रहने वाली महिलाओं को एनीमिया से छुटकारा कब मिलेगा? कब इस मामले पर स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग जरूरी कदम उठाएंगे और सरकारी तंत्र जागरुकता मुहिम छेड़ेगा। आखिर कब तक प्रशासन अपनी ओर से सरकार को इस बीमारी से प्रभावित किशोरियों और महिलाओं को लेकर विस्तृत रिपोर्ट बनाकर भेजेगा। सवाल कई हैं मगर जवाब अभी गायब हैं। महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा की ओर समुचित ध्यान नहीं दिया जा रहा। स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण, आंगनवाड़ी केन्द्रों में गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच जैसे कार्यक्रम चला रहा है मगर इनके समुचित लाभ को परखने के लिए कोई पैमाना निर्धारित नहीं है। चिकित्सकों के मुताबिक स्वस्थ पुरुष में 14 से 16 ग्राम जबकि महिला के मामले में यह मात्र 12 से 16 ग्राम होनी चाहिए। मगर जिलें के मेवात क्षेत्र में ऐसा नहीं है। यहां यह आंकड़ा 7 से 8 ग्राम तक निकलकर आ रहा है। एनीमिया के प्रभाव एनीमिया का महिलाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं, शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, एनीमिया से महिलाओं में कार्य क्षमता कम हो जाती है और वे विभिन्न रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। एनीमिया के मुख्य लक्षणों में थकान, कमजोरी, श्वसन की समस्या, चक्कर आना, निंद्रा और चिड़चिड़ापन शामिल हो सकते हैं। शरीर में सूजन, चेहरे पर पीलापन, हर वक्त थकान महसूस होना। इस बीमारी से हर व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। लगातार सिर दर्द आना भी एनीमिया का संकेत हो सकता है। ग्रामीण इलाकों में अधिक मरीज पाए जाते हैं। साफ-सफाई नहीं होने से लोगों के इससे प्रभावित होने की उम्मीद अधिक होती है। संतुलित भोजन नहीं लिए जाने से किशोरियों में भी यह बीमारी पाई जाती है। गर्भ धारण करने योगय विवाहित व अविवाहित युवतियों एवं महिलाओं में भी कई बार इसके लक्षण दिखाई दे जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान अगर कोई महिला इस बीमारी से ग्रस्त हो जाती है तो उस महिला के अलावा उसके गर्भस्थ शिशु के विकास और स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ता है। चिकित्सक बताते हैं कि 80 फीसदी मामलों में समय से पूर्व डिलीवरी होने का मूल कारण एनीमिया ही होता है। इसकी वजह से गर्भावस्था के दौरान प्रसूति के वक्त अथवा बाद में भी अधिक रक्त स्राव की घटनाएं भी प्रकाश में आई हैं। प्री टाइम डिलीवरी में एनीमिया से प्रभावित महिला के शिशु की मौत भी हो जाती है। प्रसूति के दौरान मां और बच्चे दोनों की मौत भी हो सकती है। एनीमिया बीमारी से सर्वाधिक खतरा हादसे में घायल हुए लोगों, किशोरियों, महिलाओं और कम उम्र के शिशुओं को होता है। ये हाई रिस्क श्रेणी में आते हैं। एनीमिया के लिए किये जा रहे सरकार के प्रयास स्वास्थ्य विभाग की ओर से एएनसी यानी एंटी नेटल केयर नाम का एक प्रोग्राम भी चलाया जाता है, जिसमें प्रसूति के दौरान गर्भावस्था से पूर्व महिला के शारीरिक जांच होती है। आंगनवाड़ी केन्द्रों में महिला विकास विभाग और गर्भवती महिलाओं, दूध पिलाने वाली माताओं और किशोरियों के स्वास्थ्य की नियमित जांच के कार्यक्रम चलाता है मगर मेवात में इन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के बावजूद भी स्थिति काफी सोचनीय है। एनीमिया विकासशील देशों में गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करने वाले सबसे आम पोषण सम्बन्धी विकारों में से एक है। गर्भावस्था के दौरान एनीमिया आमतौर पर खराब गर्भावस्था के परिणाम से जुड़ा होता है और इसके परिणामस्वरूप जटिलताएं हो सकती हैं जो मां और भ्रूण दोनों के जीवन को खतरे में डालती हैं। मेवात क्षेत्र में महिलाओं में एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र, राज्य और स्वास्थ्य विभाग कई प्रयास कर रहे हैं। प्रमुख प्रयास
सरकारी योजनाएं
चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
समाधान मेवात में महिलाओं में एनीमिया की समस्या का समाधान करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं
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निष्कर्ष |
मेवात में महिलाओं में एनीमिया से निपटने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियाँ बाकी हैं। सभी हितधारकों को मिलकर काम करके इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा। इस समस्या का समाधान करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। सरकार, गैर सरकारी संगठन और स्थानीय समुदाय को मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए काम करना होगा। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची |
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