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इन्दौर शहर के बालक एवं बालिकाओं के निम्न, मध्यम एवं उच्च आयवर्गीय अभिभावकों द्वारा शिशु के परिधान चयन की प्रक्रिया का तुलनात्मक अध्ययन |
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Comparative Study Of The Process Of Selection Of Childrens Clothing By Low, Middle And High Income Parents Of Boys And Girls Of Indore City | |||||||
Paper Id :
19562 Submission Date :
2024-12-01 Acceptance Date :
2024-12-21 Publication Date :
2024-12-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.14671503 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/shinkhlala.php#8
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सारांश |
प्रस्तुत शोध का उद्देश्य इन्दौर शहर के निम्न, मध्यम एवं उच्च आयवर्गीय बालक एवं बालिकाओं के अभिभावकों द्वारा शिशु के परिधान चयन की प्रक्रिया का तुलनात्मक अध्ययन करना है। प्रस्तुत शोध कार्य हेतु साक्षात्कार विधि का प्रयोग किया गया है एवं शून्य परिकल्पना का निर्माण किया गया है। स्वतंत्र चर के अनुसूची रूप में अभिभावकों की आय, शिक्षा का स्तर एवं आश्रित चर के रूप में परिधान बनाने वाली कंपनी का ब्रांड, डिजाइन, पैटर्न, रंग को लिया गया। प्रस्तुत शोध के लिए 300 अभिभावकों में से 150 बालक के अभिभावक एवं 150 बालिका के अभिभावक का उद्देश्य पूर्ण निदर्शन विधि द्वारा चयन किया गया। आँकडों के विश्लेषण हेतु टी-टेस्ट परीक्षण द्वारा गणना की गई है तथा इससे प्राप्त निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि इन्दौर शहर के निम्न, मध्यम एवं उच्च आयवर्गीय बालक एवं बालिकाओं के अभिभावकों द्वारा शिशु के परिधान चयन प्रक्रिया के अंकों के माध्यों में सार्थक रूप से कोई अंतर नहीं पाया गया। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The objective of the present research is to do a comparative study of the process of selecting children's clothes by the parents of boys and girls of low, middle and high income groups of Indore city. Interview method has been used for the present research work and null hypothesis has been formulated. Income of parents, level of education were taken as schedule of independent variables and brand, design, pattern, colour of the company making clothes were taken as dependent variables. For the present research, out of 300 parents, 150 parents of boys and 150 parents of girls were selected by objective sampling method. For the analysis of the data, calculation has been done by T-test and as a conclusion obtained from this, it can be said that no significant difference was found in the means of the scores of the process of selecting children's clothes by the parents of boys and girls of low, middle and high income groups of Indore city. | ||||||
मुख्य शब्द | इन्दौर, बालक, बालिकाओं, निम्न, मध्यम, उच्च, आय वर्गीय, शिशु, परिधान, अध्ययन। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Indore, Boys, Girls, Low, Middle, High, Income Group, Babies, Clothing, Study | ||||||
प्रस्तावना | मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है वस्त्र मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, प्राचीन समय से आधुनिक समय तक व्यक्ति वस्त्रों को किसी न किसी रूप में धारण करता है। प्राचीन समय में पेड-पौधो के पत्तों से बने वस्त्रों से अपने शरीर को ढँकता था परन्तु वर्तमान समय में धागों से बने कपडे का उपयोग करता है। |
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अध्ययन का उद्देश्य |
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साहित्यावलोकन | Newzeland Official
Statical Agency (2001) ने महाविद्यालयों के छात्र एवं
छात्राओं के द्वारा किये गए सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि छात्र एवं छात्राओं की
शिक्षा एवं परिधान पर किये जाने वाले व्यय पर अभिभावकों की शिक्षा का प्रत्यक्ष
प्रभाव पड़ता है। Allyn Laura beth
(2007) ने उच्चतर माध्यमिक स्कूल जाने वाली किशोरियों की आयु व
आत्म अवधारणा का परिधान चयन पर पडने वाले प्रभाव का अध्ययन किया
उन्होंने पाया कि किशोरियों फैशन व स्टाइल के आधार पर परिधानों की खरीददारी करती
है ताकि उनमें आत्मसंतुष्टि बने रहे व व्यक्तित्व विकास भी होता रहे वे अधिकांशतः
लेटेस्ट फैशनेबल परिधानों का चुनाव करती है। Cheal Karen (2000) ने टोक्यों में 300 परिवार के किशोरियों
की विभिन्न आवश्यकताओं पर किये जाने वाले व्यय के प्रतिशत का अध्ययन किया जिसमें
यह पाया गया कि किशोरियों का परिधान चयन में परिवार की आय का प्रत्यक्ष प्रभाव
पडता है। ए०पी०
तिवारी एवं वर्मा ने (2011) में जालंधर शहर के भारतीय बाजारों में ब्रांडेड परिधानों की सफलता पर एक
अध्ययन किया। इस शोध कार्य में उच्चवर्गीय उपभोक्ता पर अध्ययन किया और यह परिणाम
प्राप्त किये गये कि उच्चवर्गीय उपभोक्ता में आय का स्तर अधिक होने के कारण वह ब्रांडेड
वस्त्रों के प्रति अधिक जागरूक होते हैं। डॉ०
मेहल पांड्या (2016) "बच्चों के परिधान चयन प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों पर अध्ययन
किया जिसमें बच्चों के परिधान चयन प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों पर किये
गये 29 शोध पत्रों का पुनरावलोकन किया और यह
निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि बच्चों के परिधान चयन करने में माता-पिता के साथ बच्चों
की भी प्रमुख भूमिका होती है। खत्री
संजय डॉ.,जोशी
रुचिका (2020)-ने नैनीताल शहर में रहने वाले उपभोक्ताओं की अंतरराष्ट्रीय ब्रांडेड
परिधान एवं नान ब्रांडेड परिधान संबंधी जागरूकता का तुलनात्मक अध्ययन किया
निर्देशन के रूप में 60 उत्तरदाताओं का चयन किया तथा निष्कर्ष के रूप में पाया गया
कि उपभोक्ता अंतरराष्ट्रीय ब्रांडेड परिधान की तुलना में नान ब्रांडेड परिधान की
खरीदी करते हैं क्योंकि उपभोक्ता को कम मूल्य में अच्छी किस्म के परिधान उपलब्ध हो
जाते हैं। |
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सामग्री और क्रियाविधि | अ- शोधकर्ता द्वारा अपने शोध कार्य के लिए साक्षात्कार विधि का चयन किया गया। ब- चर प्रस्तुत शोध अध्ययन में प्रयुक्त चर अग्रलिखित है - स्वतन्त्र चर आय का स्तर, शिक्षा का स्तर । आश्रित्र चर ब्रांड, डिजाइन, पैटर्न, रंग। स-न्यादर्श-1- प्रस्तुत शोध में शोधकर्ता द्वारा न्यादर्श के रूप में इन्दौर शहर के 300 अभिभावकों का चयन किया गया इनमें से 150 बालक के अभिभावक एवं 150 बालिका के अभिभावक है। |
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न्यादर्ष |
प्रस्तुत अध्ययन में उद्देश्य पूर्ण निदर्शन पद्धति का चयन किया गया है। द. प्रयुक्त उपकरण अध्ययन में प्रयुक्त उपकरण निम्न है - 1. स्वयं द्वारा निर्मित साक्षात्कार अनुसूची ब्रांड, रंग, डिजाइन, पैटर्न (पाँच बिन्दु मापनी स्केल)। |
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विश्लेषण |
प्राप्त प्रदत्तों के मध्यमान एवं प्रमाणिक विचलन ज्ञात किये गये जिनको तालिका क्रमांक 1 में प्रदर्शित किया गया है। निम्न आयवर्गीय परिवार के अभिभावकों द्वारा शिशु परिधान पर वार्षिक व्यय का रेखा चित्र उपर्युक्त तालिका क्रमांक-1 में इन्दौर शहर के बालक एवं बालिकाओं के अभिभावकों द्वारा शिशु परिधान पर किये गये वार्षिक व्यय के प्रतिशत को प्रदर्शित करती है कि निम्न आयवर्गीय प्रथम श्रेणी के 8 प्रतिशत बालक एवं 24 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 500 रू. वार्षिक व्यय करते है। द्वितीय श्रेणी में 16 प्रतिशत बालक एवं 26 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 500-1000 रू. वार्षिक व्यय करते है तथा तृतीय श्रेणी में 36 प्रतिशत बालक एवं 20 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 100-1500 रू. वार्षिक व्यय करते है तथा चतुर्थ श्रेणी में 20 प्रतिशत बालक एवं 30 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 1500-2000 रू. वार्षिक व्यय करते है। इससे यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि प्रथम एवं चतुर्थ श्रेणी के बालिकाओं के अभिभावक अधिक एवं तृतीय श्रेणी के बालिकाओं के अभिभावक शिशुओं की परिधान पर वार्षिक व्यय कम करते हैं तथा तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के बालकों के अभिभावक अधिक एवं प्रथम श्रेणी के बालक के अभिभावक कम वार्षिक व्यय कम करते हैं इसके अतिरिक्त द्वितीय श्रेणी में बालक एवं बालिका दोनो के अभिभावक अपने शिशुओं के परिधान पर वार्षिक व्यय समान रूप से करते हैं। मध्यम आयवर्गीय परिवार के अभिभावकों द्वारा शिशु परिधान पर वार्षिक व्यय का रेखाचित्र उपर्युक्त तालिका क्रमांक 1.2 में बालक एवं बालिकाओं के अभिभावकों द्वारा शिशु परिधान पर किये गये वार्षिक व्यय के प्रतिशत को प्रदर्शित करती है कि मध्यम आयवर्गीय प्रथम श्रेणी के 20 प्रतिशत बालक एवं 4 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 500 रू. वार्षिक आय व्यय करते है. द्वितीय श्रेणी में 18 प्रतिशत बालक एवं 22 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 500-1000 रू. वार्षिक व्यय करते है. तृतीय श्रेणी में 30 प्रतिशत बालक एवं 38 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 1000-1500 रू. वार्षिक व्यय करते है तथा चतुर्थ श्रेणी में 32 प्रतिशत बालक एवं 36 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 1500-2000 रू. वार्षिक व्यय करते है। इससे यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के बालिकाओं के अभिभावक अपने शिशुओं के परिधान पर वार्षिक व्यय अधिक कर रहे है परन्तु प्रथम श्रेणी के बालकों के अभिभावकों की तुलना में बालिकाओं के अभिभावक शिशुओं के परिधान पर वार्षिक व्यय कम कर रहे हैं।
उच्च आयवर्गीय परिवार के अभिभावकों द्वारा शिशु परिधान पर वार्षिक व्यय का रेखाचित्र उपर्युक्त तालिका क्रमांक 1.3 में बालक एवं बालिकाओं के अभिभावकों द्वारा शिशु परिधान पर किये गये वार्षिक व्यय के प्रतिशत को प्रदर्शित करती है कि उच्च वर्गीय प्रथम श्रेणी के 6 प्रतिशत बालक एवं 14 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 500 रू. वार्षिक आय व्यय करते है, द्वितीय श्रेणी में 26 प्रतिशत बालक एवं 24 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 500-1000 रू. वार्षिक व्यय करते है, तृतीय श्रेणी में 30 प्रतिशत बालक एवं 28 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 1000-1500 रू. वार्षिक व्यय करते है तथा चतुर्थ श्रेणी में 30 प्रतिशत बालक एवं 34 प्रतिशत बालिकाओं के अभिभावक 1500-2000 रू. वार्षिक व्यय करते है। इससे यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि प्रथम, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के बालिकाओं के अभिभावकों अपने शिशुओं के परिधान पर वार्षिक व्यय अधिक कर रहे है परन्तु द्वितीय श्रेणी के बालिकाओं के अभिभावक की तुलना में बालकों के अभिभावक शिशुओं के परिधान पर वार्षिक व्यय अधिक कर रहे है। |
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जाँच - परिणाम |
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निष्कर्ष |
प्रस्तुत अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि इन्दौर शहर के बालक एवं बालिकाओं के अभिभावकों द्वारा अपनाई जाने वाली शिशु परिधान चयन प्रक्रिया में आय के प्रभाव में अन्तर पाया गया। निम्न आय वर्ग के बालक एवं बालिकाओं के अभिभावकों द्वारा शिशुओं के परिधान चयन में प्रथम एवं चतुर्थ श्रेणी के बालिकाओं के अभिभावक अधिक एवं तृतीय श्रेणी के बालिकाओं के अभिभावक शिशुओं की परिधान पर वार्षिक व्यय कम करते हैं तथा तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के बालकों के अभिभावक अधिक एवं प्रथम श्रेणी के बालक के अभिभावक कम वार्षिक व्यय कम करते हैं इसके अतिरिक्त द्वितीय श्रेणी में बालक एवं बालिका दोनो के अभिभावक अपने शिशुओं के परिधान पर वार्षिक व्यय सगान रूप से करते हैं। मध्यम वर्ग के बालक एवं बालिकाओं के अभिभावकों द्वारा शिषु परिधान चयन प्रक्रिया में द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के बालिकाओं के अभिभावक अपने शिशुओं के परिधान पर वार्षिक व्यय अधिक कर रहे है परन्तु प्रथम श्रेणी के बालकों के अभिभावकों की तुलना में बालिकाओं के अभिभावक शिशुओं के परिधान पर वार्षिक व्यय कम कर रहे हैं। उच्च आय वर्ग के बालक एवं बालिकाओं के अभिभावकों द्वारा शिषु परिधान चयन प्रक्रिया में प्रथम, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के बालिकाओं के अभिभावकों अपने शिशुओं के परिधान पर वार्षिक व्यय अधिक कर रहे है परन्तु द्वितीय श्रेणी के बालिकाओं के अभिभावक की तुलना में बालकों के अभिभावक शिशुओं के परिधान पर वार्षिक व्यय अधिक कर रहे है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची |
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