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भारत में जनजाति समाज के क्षेत्र एवं जनजातीय संस्कृति का अध्ययन | ||||||||||||||||||||||
Field of Tribal Society in India and Study of Tribal Culture | ||||||||||||||||||||||
Paper Id :
16017 Submission Date :
2022-04-12 Acceptance Date :
2022-04-19 Publication Date :
2022-04-25
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सारांश |
भारत में जनजाति क्षेत्र के अध्ययन विभिन्न प्रकार की जनजाति एवं जनजाति समूह में विभिन्न प्रकार की संस्कृति का एक अध्ययन किया गया है जिसमें अध्ययन में मूल रूप से बस्तर अंचल छत्तीसगढ़ राज्य के जनजाति संस्कृति को शामिल किया गया है एवं भारत के विभिन्न राज्यों में निवास कर रहे जनजाति क्षेत्रों का अध्ययन किया गया है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Study of tribal area in India, a study of different types of culture has been done in different types of tribes and tribal groups, in which the study has basically included the tribal culture of Bastar region, Chhattisgarh state and living in different states of India have been studied. | |||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | जनजाति, उपजाति, परस्परिक विनिमय। | |||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Tribe, Sub-caste, Interchange. | |||||||||||||||||||||
प्रस्तावना |
भारत में जनजाति समाज का अध्ययन करते है तो इसका सम्बन्ध ग्रामीण समुदाय से जोड़ा जाता है। जानजातिय एक समाज है जिसका मानवशास्त्रीय साहित्य में ट्राइब षब्द के समानार्थी कई नामों का प्रयोग किया गया है। जिसमें- (प्रिमिटिव) आदिम, देशज। (नैव) जंगली। (ओरिजिनल सेटलर्स) आदिवासी, असभ्य, बर्बर, वन्य-जाति, वनजाति, दलित वर्ग आदि का प्रयोग किया जाता है। जिससे स्पष्ट है कि जाजातिय समाज को कई नामों से पुकारा जाता है।
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. भारत में निवासरत जनजाति समाज की उपजाति एवं उनकी संस्कृति का अध्ययन।
2. जनजाति समाज में बस्तर एवं मध्य प्रदेश के ग्राम पंचायत मडवा में निवासरत जनजाति का संस्कृति का अध्ययन। |
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साहित्यावलोकन |
‘‘इंपेरियम गजेटियर्स आफ इंड़िया के अनुसार- जनजाति परिवारों का एक समूह होता है जिसका एक आम नाम होता है, जिसके सदस्य सामान्य भाषा का प्रयोग करते है, एक आम प्रदेश में निवास करते है तथा आपस में विवाह सम्बन्ध स्थापित नहीं करते है, हालांकि आरम्भ में उनके आपस में विवाह सम्बन्ध हुआ करते थे।’’ डी.एन. मजूमदार के अनुसार-‘‘जनजातीय परिवार का एक समूह होता है जिसके सदस्य एक ही भाषा का प्रयोग करते है, एक ही क्षेत्र में निवास करते है, विवाह तथा पेशों से सम्बन्धित समान निषेधों का पालन करते है तथा उनके बीच सुविकासित परस्परिक विनिमय तथा आपसी लेन-देन की व्यवस्था पाई जाती है।’’ |
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मुख्य पाठ |
भारत में ग्रामीण समुदाय की अवधारण कृषि एवं जनजाति समाज से ही लगाई जाती है तो निश्चित रुप से ग्रामीण समुदाय को समझने में आसानी होती है। |
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विश्लेषण |
अध्ययन क्षेत्र का परिचय
अध्ययन क्षेत्र में बस्तर के धरमाउर एवं सिवनी में मड़वा पंचायत में अध्ययन में पाया गया कि, 2. शिक्षा का दोनों स्थानों में शिक्षा स्तर कम है। 3. विभिन्न उत्सव में शराब का सेवन परम्परा है। 4. संस्कृतिक कार्यक्रम एवं नृत्य की परम्परा। 5. पहनावा एवं खानपान में बहुत जादा अंतर नहीं है। 6. गोदना प्रथा समान है परन्तु बस्तर क्षेत्र में ज्यादा है। 7. बस्तर में विभिन्न कार्यों में महिलाओं की प्रधानता देखी गई है। 8. मडवा पंचायत में पुरुष प्रधानता है। 9. जनजातीय पंचायतें समान है। दोनों अध्ययन क्षेत्र में। 10. प्रकति पूजा एवं परम्परागत देवों की पूजा पर विश्वास करते है। 11. झाड़फूक पर विश्वास एवं पशुबली प्रथा प्रचलित है। 12. अधिकांश मासाहारी होते है। जनजातीय समाज सम्पूर्ण भारत में निवास करता है और कुछ राज्य ऐसे भी है जो जनजातीय राज्य के रुप मे देखे जाते है। इनकी अपनी अलग संस्कुति एवं सामाजिक रीति-रिवाज है इसकी कुछ समस्याएं भी है सामाजिक विकास की गति सामान्य से कम है। जनजातीय समाज के सर्वांगीण विकास हेतु संविधान में भी कुछ प्रावधान कियें गए है। शासन द्वारा जनजातीय विकास हेतु लगातार प्रयास भी किये जा रहें है। भारत के साथ-साथ जनजातीय समाज विश्व के अन्य देशो में भी निवास करते है। सन 1991 की जनगणना के अनुसार भारत में जनजातियों की जनसंया 6.758 करोड़ थी यह इंग्लैड़ की आबादी के लगभग बराबर थी। (Manpower profile,India,1998:34) जनजाति की कुल जनसंख्या देश की आबादी की 8.08 प्रतिशत है भारत में जनजातियों की संख्या अफ्रीका के बाद विश्व में दूसरा स्थान है। 1991 की जनगणना के अनुसार |
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निष्कर्ष |
1. भारत में जनजातीय समाज के प्रमुख क्षेत्रों की जानकारी एवं संस्कृति परम्परा को देखा गया तो अध्ययन क्षेत्र में बहुत सी समानता देखने को मिली।
2. सामाजिक कार्यक्रमों में भी पूजा पंद्वति आदि में बहुत सी समानता है।
3. खान-पान रहन सहन में बहुत सी समानता है।
4. साधारण जीवन एवं कार्यशेली में समानताएँ है।
5. प्रकृति पूजा एवं सांस्कृतिक कट्टरता देखने को मिलती है।
6. आधुनिक युग में संस्कृतीकरण की ओर अग्रसर। |
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भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव | 1. जनजातीय विकास के लिए जनजातीय क्षेत्रों में कई योजनायें है परन्तु धरातल पर इनकी हकीकत कुछ खास नहीं है। 2. जनजातीय विकास ग्रामीण समुदायिक विकास के साथ ही सांस्कृतिक एवं परम्पराओं के साथ विकास का सुलभ अवसर जनजातीय समाज को मिलें। जनजातीय विकासखण्डों में स्थानीय लोंगों को शासकीय सेवा व रोजगार के लिए उचित अवसर के लिए तैयार किया जाएँ। 3. जनजातीय क्षेत्रों में राज्यपाल जी एवं राष्ट्रपति जी को अपने अधिकारों का प्रयोग कर जनजातीय क्षेत्रों के विकास में बढ़ावा दिए एवं विकास के नाम पर शोषण करने वाले बिचोलियों से बचाया जाना चाहिएँ। 7. जनजातीय पंचायतों एवं संस्कृति को संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। 8. जनजातीय के संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण एवं अधिकारों में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. उपाध्याय प्रो.विजयशंकर/ पाण्डेय डॉ.गया, जनजातिय विकास, म.प्र. हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल, 2002 पृ.क्र.1-2।
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