P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- XII , ISSUE- VIII April  - 2025
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika

यामिनी राय - चित्रकला की अनूठी शैली के जनक या एक स्थिर, उदासीन और प्रतिलिपि चित्रकार? एक आलोचनात्मक अध्ययन

Jamini Roy – Father of Unique Style of Painting or a Static, Frigid and Copy Artist? “A Critical Study”
Paper Id :  19943   Submission Date :  2025-04-11   Acceptance Date :  2025-04-21   Publication Date :  2025-04-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.
DOI:10.5281/zenodo.15388082
For verification of this paper, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/shinkhlala.php#8
सुनीता यादव
एसोसिएट प्रोफेसर
चित्रकला विभाग
आगरा कालेज, आगरा
सम्बद्ध-डॉ0 भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय,आगरा (उ0प्र0) भारत
सारांश

भारत के सबसे प्रिय कलाकारों में से एक, यामिनी राय को पारंपरिक बंगाली लोक कला और कालीघाट पटचित्रों के तत्वों को साफ रेखाओं और मिट्टी के रंगों में प्रस्तुत करके आधुनिक कला के लिए एक अद्वितीय भारतीय सौंदर्यशास्त्र को गढ़ने के लिए याद किया जाता है।“[1] भारतीय चित्रकला को एक नए मुकाम पर ले जाने वाले इस भारतीय कलाकार के साथ विवादों का भी नाता रहा है। आलोचकों के अनुसार उनके प्रतीकों में मौलिकता नहीं है। साथ ही उन्होने स्वयं को निरंतर दोहराया है। जबकि ऐसा नहीं था। वास्तव में यामिनी राय ने कुछ मूल तत्वों को सरलीकृत कर लिया था और उन्हीं को वे सदैव प्रयुक्त करते रहे हैं। इसी कारण देखने वालों को उनमें एकरसता अथवा पुनरावृति सी प्रतीत होती है।“[2] ये मानना पड़ेगा कि लोक जीवन में व्याप्त उनके प्रतीक चिर नूतन हैं। उन्होने उन्हें नई व्यवस्था और नव जीवन दिया है।“[3]

सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद “One of India's most beloved artists, Jamini Roy is remembered for creating a unique Indian aesthetic for modern art by presenting elements of traditional Bengali folk art and Kalighat paintings in clean lines and earthy colors.”[1] This Indian artist who took Indian painting to a new level has also been associated with controversies. “According to critics, there is no originality in his symbols. Also, he has repeated himself continuously. Whereas this was not so. In fact, Jamini Roy had simplified some basic elements and he has always used the same. This is why the viewer sees a kind of monotony or repetition in them.”[2] “It has to be accepted that his symbols prevalent in folk life are completely new. He has given them a new order and new life.”[3]
मुख्य शब्द यामिनी राय, लोक कला, आधुनिक कला, पटुआ चित्र, बंगाल शैली।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Yamini Rai, Folk Art, Modern Art, Patua Painting, Bengal Style.
प्रस्तावना

यामिनी राय (1887-1972) 20वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली भारतीय कलाकारों में से एक हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में बहुत सम्मान और प्रसिद्धि पाई। उनके काम को आज भी भारत में बहुत सम्मान दिया जाता है और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रहा है। राय ने कलकत्ता कॉलेज ऑफ़ आर्ट (जिसे गवर्नमेंट स्कूल ऑफ़ आर्ट के नाम से भी जाना जाता है) में औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया जहाँ उन्होंने पश्चिम में प्रचलित अकादमिक पद्धतियाँ सीखीं और यूरोपीय परंपरा में एक चित्रकार के रूप में अपनी शुरुआती प्रसिद्धि प्राप्त की। हालाँकि अंततः कलाकार ने इन परंपराओं को अस्वीकार कर दिया और एक व्यक्तिगत चित्रकला शैली विकसित की जो मुख्य रूप से पारंपरिक भारतीय लोक और ग्रामीण कलाओं विशेष रूप से उनके मूल बंगाल की कलाओं से प्रेरित थी।"[4] यामिनी राय ने जहां अभूतपूर्व प्रसिद्धि और पहचान हासिल की वहीं उनकी कला के बारे में आलोचनात्मक आवाज़ें भी उठीं। कई कलाकारों और इतिहासकारों ने उनकी पेंटिंग्स को स्थिर, उदासीन, मौलिकता से रहित और समकालीन जीवन और वास्तविकता से अलग पाया है। उनकी आलोचना उनके काम में बेजान दोहराव और यांत्रिक शिल्प कौशल में लिप्त होने के लिए भी की जाती है। इस प्रकार यामिनी राय की विरासत दो ध्रुवीकृत समूहों के बीच खड़ी है - एक भक्तों का और दूसरा विरोधियों का।"[5]

अध्ययन का उद्देश्य

भारत के कला नवरत्नों में से एक यामिनी राय को देश का एक महत्वपूर्ण कलाकार माना गया है वहीं कुछ आलोचकों का तर्क है कि राय द्वारा लोक रूपांकनों का विनियोजन उनके काम की विशिष्टता और मूलता पर सवाल उठाता है, जबकि अन्य आरोप लगाते हैं कि उनके काम का सरलीकृत संरचनात्मक पैटर्न काफी हद तक बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की उनकी इच्छा से प्रेरित था।"[6]

हमारी शोध का उद्देश्य इसी तथ्य की पुष्टि करना है कि यामिनी राय, चित्रकला की अनूठी शैली के जनक हैं या एक स्थिर, उदासीन और प्रतिलिपि चित्रकार?

साहित्यावलोकन

विभिन्न कला समीक्षों, अध्यापकों, कलाकारों, शोधार्थियों द्वारा यामिनी राय पर  लिखे गए साहित्य की एक बड़ी लंबी सूची है और यदि यामिनी राय के कला जीवन का अध्ययन करना शुरू किया जाये तो पूर्ण अध्ययन शायद संभव नहीं। अतः हमने यामिनी राय पर आधारित विभिन्न प्रामाणिक लेखों, पुस्तकों, ग्रन्थों जिसमें खासकर नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, बंगाल आर्ट स्कूल आदि द्वारा प्रतिपादित साहित्य एवं पूर्व में हुए विभिन्न शोध ग्रन्थों व पत्रों का विस्तृत अध्ययन करने के साथ ही विभिन्न इंटरनेट वेबसाइट व यामिनी राय के व्यावहारिक एवं सजीव उदाहरणों पर प्रकाश डाला है। समीक्षा का परिणाम सकारात्मक तथा यामिनी राय के पक्ष में ही रहा है। अध्ययन की दृष्टि से हमने मुख्य रूप से निम्न शोध साहित्यों की समीक्षा की है-

Articles/Books

  1. Google doodle honours Jamini Roy: Here is everything you need to know about the painter
  2. Jamini Roy: A versatile experimental artist
  3. The Story of Indian Art #2: Jamini Roy
  4. कला और कलम, डॉ गिर्राज किशोर अग्रवाल
  5. Jamini Roy: Bengali Artist of Modern India, Samuel P. Harn Museum of Art, Florida, 1997
  6. Portfolio - Jamini Roy, National Gallery of Modern Art, 2001
  7. DECCAN HERALD | THE LEGACY OF A POLARIZING ICON: Jamini Roy, January 23, 2022 By Giridhar Khasnis
  8. MAP Academy: Article on Jamini Roy
  9. Jamini Roy’s Art: Modernity, Politics and Reception: Debmalya Das, Visva-Bharati, Santiniketan, India, The Chitrolekha Journal on Art and Design
  10. Grosvenor Gallery: Article on Jamini Roy
  11. Prinseps: JAMINI ROY (1887 -1972): Overview
  12. आधुनिक चित्रकला का इतिहास: डॉ गिरराज किशोर अग्रवाल
  13. A journey to the roots of Jamini Roy’s art, SAMRAT CHAKRABARTI, Published - June 09, 2015 12:27 am IST - MUMBAI
  14. Debunking Myths About Jamini Roy’s Studio and Art: Prinseps
  15. ब्रशस्ट्रोक ऑफ़ ब्रिलिएंस: यामिनी राय की कलात्मक विरासत की खोज
  16. ओवी (ऑब्जर्वर वॉयस) डिजिटल डेस्क 10 अप्रैल 2025 अंतिम अपडेट: 10 अप्रैल 2025
परिकल्पना “यामिनी राय की कला को भारतीय लोक परंपराओं और आधुनिक संवेदनाओं के मिश्रण के लिए सराहा जाता है, लेकिन इसकी सूत्रबद्ध प्रकृति और लोक रूपांकनों के संभावित विनियोग के लिए आलोचना भी झेलनी पड़ती है । कुछ लोगों का तर्क है कि उनकी सरलीकृत शैली और पुनरावृत्ति पर जोर व्यावसायिक लक्ष्यों से प्रेरित था, जबकि अन्य का कहना है कि उनके काम में सच्ची लोक कला की प्रामाणिकता और गहराई का अभाव था।“ [7]   हमने अपने शोध में इसी अवधारणा को अध्यन के लिए स्वीकार किया है कि राय अपनी विशिष्ट और मौलिक शैली के कलाकार थे। अपनी इसी परिकल्पना को हम अपने शोध में सिद्ध करने का प्रयास करेंगे।
सामग्री और क्रियाविधि

अनुसंधान अभिकल्प व अध्ययन सीमा

प्रस्तुत शोध पत्र का विषय विस्तृत तथा आजादी के पूर्व से शुरू हुई चित्रकला अर्थात काफी पहले के वर्षों की घटना से पूर्णतया संबन्धित है। अतः संसाधनों की सीमितता के कारण प्राथमिक साधनो का प्रयोग इस शोध पत्र में नहीं किया है। अध्ययन पूर्णतया द्वितीक स्त्रोत साहित्य, शोध ग्रंथ एवं पत्र, विभिन्न लेख व संबन्धित वेबसाइट्स हैं। अध्ययन में इस तथ्य की प्रामाणिकता को जाँचने का ठोस प्रयास किया गया है कि यामिनी राय, चित्रकला की अनूठी शैली के जनक हैं या एक स्थिर, उदासीन और प्रतिलिपि चित्रकार?

अध्ययन का प्रकार:

समकक्ष शोध-पत्रों/जनरल की समीक्षा

विश्लेषण

यामिनी राय का संक्षिप्त जीवन परिचय तथा यामिनी राय की कला

यामिनी राय जिनका जन्म 11 अप्रैल 1887 को भारत के बंगाल के एक छोटे से गाँव बेलियाटोर में हुआ था। 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली और प्रसिद्ध भारतीय कलाकारों में से एक के रूप में उभरे। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में यामिनी राय ने कला में गहरी रुचि दिखाई और 1903 में कोलकाता के सरकारी कला विद्यालय में दाखिला लिया। वहाँ उन्होंने ब्रिटिश प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में अकादमिक कला में औपचारिक प्रशिक्षण लिया और यूरोपीय तकनीकों और शैलियों को आत्मसात किया। हालाँकि यह उनके प्रारंभिक वर्षों के दौरान था कि उन्हें एक महत्वपूर्ण मोड़ का सामना करना पड़ा जिसने उनकी कलात्मक पहचान को आकार दिया।“[8]

1920 के दशक की शुरुआत में यामिनी राय ने अकादमिक कला की सीमाओं से अलग होकर बंगाल की लोक और ग्रामीण कला परंपराओं, विशेष रूप से कालीघाट पेंटिंग्स पर अपना ध्यान केंद्रित किया। यह उनके करियर में एक महत्वपूर्ण क्षण था क्योंकि उन्होंने जीवंत और अभिव्यंजक लोक-कला रूपों से प्रेरणा ली जो उनके मूल बंगाल के सांस्कृतिक लोकाचार के साथ प्रतिध्वनित हुए। उन्होंने अकादमिक कला की पेचीदगियों से हटकर इन लोक-कला परंपराओं की सादगी और सीधेपन को अपनाया। अधिक जड़ और सुलभ कला रूप की खोज में यामिनी राय ने स्वदेशी सामग्रियों और तकनीकों के साथ प्रयोग करना शुरू किया। उन्होंने मिट्टी के रंगों जैसे कि बत्ती की कालिख और गेरू का उपयोग किया और कैनवास के बजाय हाथ से बने कागज, बुने हुए मैट और कपड़े जैसी पारंपरिक सामग्रियों का इस्तेमाल किया। उनके विषयों ने भारतीय पौराणिक कथाओंलोककथाओं और रोजमर्रा के ग्रामीण जीवन से प्रेरणा लीजो उनकी सांस्कृतिक विरासत से गहरा संबंध दर्शाता है।[9]


Jamini Roy painting - Two cats holding a large prawn


Ram, Sita, Lakshmana and golden deer by Jamini Roy, 1889-1972. Watercolour on paper. In the Indian Museum, Kolkata.

यामिनी राय के अद्वितीय कलात्मक दृष्टिकोण ने व्यापक प्रशंसा प्राप्त की जिससे उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही तरह से पहचान मिली। उनके काम को दुनिया भर में प्रदर्शित किया गया और उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिले जिनमें 1955 में पद्म भूषण भी शामिल है।[10]

आलोचना तथा विरोधाभास

कलाकार के करियर का विरोधाभास 1950 और 1960 के दशक में आया जब वह एक वास्तविक चित्र उद्योग बन गया जो  दोस्तों और प्रशंसकों को स्वतंत्र रूप से पेंटिंग दे रहा थाबाजार की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए अक्सर कामों की नकल करता था और जिसके बेटे ही उसके कामों की व्यापक रूप से नकल कर रहे थे। कुछ आलोचकों ने तर्क दिया है कि राय द्वारा लोक रूपांकनों का विनियोग उनके काम की विशिष्टता पर सवाल उठाता हैजबकि अन्य आरोप लगाते हैं कि उनके काम का सरलीकृत संरचनात्मक पैटर्न काफी हद तक वित्तीय लाभ के लिए चित्रों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की उनकी इच्छा से प्रेरित था। उनकी कलात्मक विषयों के आदर्शीकरणउनके सूत्रबद्ध चित्रण और उनके समय की सामाजिकराजनीतिक और सांस्कृतिक वास्तविकताओं से उनके कार्यों के अलगाव के लिए भी उनकी आलोचना की गई है।“[11]

आलोचकों के अनुसार उनके प्रतिकों में मौलिकता नहीं है। ये ठीक है, किन्तु ये भी मानना पड़ेगा कि लोक जीवन में व्याप्त उनके प्रतीक चिर नूतन हैं। उन्होने उन्हें नई व्यवस्था और नव जीवन दिया है। उन्हें पुष्ट बनाया है और दी है सार्वभोमिकता जिसके बिना यह प्रतीक बंगाल की परिधि से बाहर न निकाल पाते। दूसरी आलोचना उनकी कृतियों के विषय में यह की जाती है कि उन्होने स्वयं को निरंतर दोहराया है। वास्तव में यामिनी राय ने कुछ मूल तत्वों को सरलीकृत कर लिया था और उन्हीं को वे सदैव प्रयुक्त करते रहे हैं। इसी कारण देखने वालों को उनमें एकरसता अथवा पुनरावृति सी प्रतीत होती है।“[12]

यामिनी राय के पक्ष में अन्य तर्क

यामिनी राय एक नकल कलाकार नहीं थेबल्कि एक अग्रणी थे जिन्होंने पश्चिमी तकनीकों को स्वदेशी भारतीय लोक कला शैलियों के साथ मिश्रित किया  उन्हें आधुनिक कला में अद्वितीय भारतीय सौंदर्यशास्त्र के सृजन के लिए जाना जाता हैजिसमें पारंपरिक बंगाली लोक कला और कालीघाट पटचित्र के तत्वों को शामिल किया गया है। यद्यपि यामिनी राय के प्रारंभिक करियर में सीखने के साधन के रूप में यूरोपीय कलाकारों की नकल करना शामिल थालेकिन बाद में वे अपनी अनूठी शैली के लिए जाने गएजो बंगाली लोक कला और कालीघाट चित्रकला से प्रेरणा लेती थी।“[13]

यामिनी राय ने शुरुआत में कौशल विकास की एक पद्धति के रूप में यूरोपीय कला की नकल की थी  उनका एक बेटा भी थाअमिया (पोटोल)जो बाद के वर्षों में राय द्वारा हस्ताक्षर रेखाएं खींचने के बाद रंग भरने में उनकी सहायता करता था। इस सहयोग और राय के विपुल उत्पादन के कारणप्रामाणिकता और उनके काम की नकल किये जाने की संभावना के बारे में कुछ भ्रम पैदा हुआ।“[14]  

प्रारंभिक प्रशिक्षण और नकल

यामिनी राय ने ब्रिटिश अकादमिक चित्रकला शैली में प्रशिक्षण प्राप्त किया था और वे अपने चित्रांकन के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपनी कलात्मक कुशलता को निखारने के लिए यूरोपीय कलाकारों की नकल भी की।“[15]   

एक अनूठी शैली का निर्माण

रॉय की शैली की विशेषता थी उनके बोल्डसपाट रंगसरलीकृत रूप और अभिव्यंजक रेखाएँजो इन लोक कला स्रोतों से काफी हद तक प्रभावित थीं।“[16] 

प्रामाणिकता और इरादा

डीएजी वर्ल्ड पर प्रकाशित एक लेख के अनुसारयामिनी राय का उद्देश्य पश्चिमी और स्वदेशी कला रूपों का सम्मिश्रण करके एक अद्वितीय भारतीय सौंदर्यशास्त्र का निर्माण करना थान कि दूसरों को धोखा देना या उनकी नकल करना।“[17]

निष्कर्ष

यामिनी राय ने अपनी मृत्यु तक पेंटिंग करना जारी रखा और अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए जिसने भारतीय कलाकारों की कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है। आज उनकी पेंटिंग्स दुनिया भर के संग्रहकर्ताओं द्वारा अत्यधिक मांगी जाती हैं और उन्हें प्रमुख संग्रहालयों और दीर्घाओं के संग्रह में पाया जा सकता है।18 इस प्रकार ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यामिनी राय वास्तव में चित्रकला की अनूठी शैली के जनक हैं और उनको एक स्थिर, उदासीन और प्रतिलिपि चित्रकार कहना पूर्णतया तर्कहीन होगा। यही कारण है कि पारंपरिक भारतीय कला को पश्चिमी कला से जोड़ने वाले इस समकालीन और आधुनिक कलाकार को 1976 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उनके कार्यों के कलात्मक और सौंदर्य मूल्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें अन्य 08 प्रसिद्ध कलाकारों के साथ “राष्ट्रीय ख़जाना घोषित किया जिनकी कृतियाँ "कला के खजाने" हैं।

अध्ययन की सीमा यामिनी राय पर आधारित साहित्य की मात्रा काफी ज्यादा है लेकिन हमने प्रमुख व प्रामाणिक साहित्य व शोध-ग्रन्थों का अध्ययन किया है। शोध में कालक्रम प्रमुखतया यामिनी राय के जीवन काल से वर्तमान काल तक लेने का प्रयास किया है। समय तथा स्थान की सीमितता के करना यामिनी राय व उनकी चित्रों तथा कला कृतियों से संबन्धित कुछ प्रमुख घटनाओं का ही वर्णन किया है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
  1. https://dagworld.com/jaminiroy.html, 1993 में एक आर्ट गैलरी के रूप में स्थापित, DAG ने हाल ही में कोलकाता में यामिनी राय के स्टूडियो-कम-हाउस का अधिग्रहण किया है और नेशनल ट्रेजर आर्टिस्ट को समर्पित अपना पहला एकल-कलाकार संग्रहालय स्थापित करने की प्रक्रिया में है। मुंबई, नई दिल्ली और न्यूयॉर्क में इसकी गैलरी हैं।
  2. कला और कलम, डॉ गिर्राज किशोर अग्रवाल
  3. कला और कलम, डॉ गिर्राज किशोर अग्रवाल
  4. Jamini Roy: Bengali Artist of Modern India, Samuel P. Harn Museum of Art, Florida, 1997
  5.  DECCAN HERALD | THE LEGACY OF A POLARIZING ICON: Jamini Roy, January 23, 2022 By Giridhar Khasnis
  6.  MAP Academy: Article on Jamini Roy
  7.  Jamini Roy’s Art: Modernity, Politics and Reception: Debmalya Das, Visva-Bharati, Santiniketan, India, The Chitrolekha Journal on Art and Design
  8. Grosvenor Gallery: Article on Jamini Roy
  9. Grosvenor Gallery: Article on Jamini Roy
  10. Grosvenor Gallery: Article on Jamini Roy
  11. Prinseps: JAMINI ROY (1887 -1972): Overview
  12. आधुनिक चित्रकला का इतिहास: डॉ गिरराज किशोर अग्रवाल
  13. A journey to the roots of Jamini Roy’s art, SAMRAT CHAKRABARTI, Published - June 09, 2015 12:27 am IST - MUMBAI
  14. Debunking Myths About Jamini Roy’s Studio and Art: Prinseps
  15. BLOGS at Museum of Art and Photography: The Alchemist: Jamini Roy by Shubhasree Purkayastha
  16. The Print: “Bengali artists & Jamini Roy collectors are at war. Smear campaign, jealousy or ignorance?”, MONIDEEPA BANERJIE 29 February, 2024 12:39 pm IST
  17. The Print: “Bengali artists & Jamini Roy collectors are at war. Smear campaign, jealousy or ignorance?”, MONIDEEPA BANERJIE 29 February, 2024 12:39 pm IST
  18. ब्रशस्ट्रोक ऑफ़ ब्रिलिएंस: यामिनी राय की कलात्मक विरासत की खोज, ओवी (ऑब्जर्वर वॉयस) डिजिटल डेस्क10 अप्रैल 2025 अंतिम अपडेट: 10 अप्रैल 2025