P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- IX , ISSUE- X June  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक स्तर एवं सशक्तिकरण पर प्रभाव का अध्ययन
Study of the Impact of Pradhan Mantri Ujjwala Yojana on the Social, Economic Level and Empowerment of Rural Women
Paper Id :  16095   Submission Date :  2022-06-06   Acceptance Date :  2022-06-17   Publication Date :  2022-06-25
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चंदा देवी
शोध छात्रा
गृह विज्ञान विभाग
ज्वाला देवी गर्ल्स पी जी कॉलेज
कानपुर,उत्तर प्रदेश, भारत
निर्मला सिंह
एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष
गृह विज्ञान
ज्वाला देवी गर्ल्स पी जी कॉलेज
कानपुर , उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश
प्रत्येक देश की आधी आबादी महिलाओं पर आधारित होती है लेकिन यह विडंबना ही है कि समाज में महिलाओं की स्थिति अत्यन्त विरोधाभासी रही है। समाज के विकास के लिए महिलाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। परन्तु शिक्षा से वंचित वर्गों में पूरे भारत में सबसे बड़ा हिस्सा महिलाओं का है। भारत एक विकासशील देश है जिसकी 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवासी करती है। भारतीय ग्रामीण महिलाओं की स्थिति आज भी अत्यन्त सोचनीय है। किसी राष्ट्र के विकास के लिए वहाँ की महिलाओं का शिक्षित एवं सशक्त होना अत्यन्त आवश्यक है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए देश में ग्रामीण महिलाओं के विकास एवं उनकी स्थिति में सुधार हेतु विभिन्न योजनाओं द्वारा केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है। जिसमें प्रधानमंत्री रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा), प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री अन्त्योदय योजना, प्रधानमंत्री समर्थ योजना आदि सम्मिलित है। इन योजनाओं ने महिलाओं की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ग्रामीण महिलाओं का ज्यादा से ज्यादा समय घर के कार्यों में व्यतीत होता है जिसमें भोजन पकाना, परिवार के सदस्यों की देखभाल मुख्य रूप से शामिल है। भारतीय ग्रामीण महिलाओं का ज्यादा समय भोजन पकाने एवं ईंधन की व्यवस्था करने में जाता है। आज भी ग्रामीण परिवारों में भोजन पारम्परिक रूप से चूल्हों पर पकाया जाता है जिसमें जलाने के लिए जंगली लकड़ी, कोयला, कैरोसीन तथा गोबर के कंडे, फसलों के अपशिष्ट, मुख्य रूप से ठोस ईंधन के रूप में उपयोग में लाये जाते हैं। भारतीय ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने व उनको स्वच्छ ईंधन प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना एक ऐतिहासिक कदम है। इस योजना ने ग्रामीण महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस योजना के माध्यम से ग्रामीण भारत के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस (एल.पी.जी.) का कनेक्शन प्रदान किया गया है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को स्वच्छ ईंधन प्रदान करना, वायु प्रदूषण में कमी, सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार एवं स्वास्थ्य संवर्धन करना है। इस योजना की महत्वपूर्ण भूमिका महिलाओं को स्वस्थ रखना और उन्हें सशकत बनाना है। इस शोध पत्र का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक स्तर एवं उनके सशक्तिकरण पर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का क्या प्रभाव पड़ा का अध्ययन करना है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Half of the population of every country is based on women but it is ironic that the position of women in society has been very contradictory. For the development of the society, women need to be empowered. But among the deprived sections of education, women constitute the largest share in the whole of India. India is a developing country with 70 percent of its population living in rural areas. The condition of Indian rural women is still very worrying. For the development of a nation, it is very necessary for the women of that country to be educated and empowered. Keeping this in mind, through various schemes for the development and improvement of the status of rural women in the country, the Central and State Governments have tried to raise the socio-economic status of women and make them self-reliant. In which Prime Minister Employment Guarantee Scheme (MNREGA), Pradhan Mantri Awas Yojana, Pradhan Mantri Antyodaya Yojana, Pradhan Mantri Samarth Yojana etc. are included. These schemes played an important role in the improvement of the social and economic status of women.
Most of the time of rural women spent in household work which mainly includes cooking food, taking care of family members. Indian rural women spend much of their time cooking food and arranging fuel. Even today, in rural households, food is traditionally cooked on chulhas, using wood, coal, kerosene and dung, crop waste, mainly solid fuel, for burning. Pradhan Mantri Ujjwala Yojana is a historic step to improve the condition of Indian rural women and provide them clean fuel. This scheme has contributed significantly in bringing about a change in the socio-economic status of rural women. Through this scheme, free cooking gas (LPG) connections have been provided to the women of the families living below the poverty line in rural India. The objective of this scheme is to provide clean fuel to rural poor families, reduce air pollution, improve socio-economic status and promote health. The important role of this scheme is to keep women healthy and empower them. The purpose of this research paper is to study the impact of Pradhan Mantri Ujjwala Yojana on the social, economic status of rural women and their empowerment.
मुख्य शब्द स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला, सशक्तिकरण, पर्यावरण, ईंधन, सामाजिक, आर्थिक, स्थिति।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Health, Education, Women, Empowerment, Environment, Fuel, Social, Economic, Status.
प्रस्तावना
भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की 70 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गाँवों में निवास करती है और कृषि के आधारभूत कार्यों से अपना जीवन-यापन करती है। भारत देश दुनिया में आबादी के मामले में दूसरे स्थान पर आता है। भारत एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर तेजी से अग्रसर है, जहाँ हम तेजी से विकास की ओर अग्रसर हो रहे हैं। साथ ही साथ इतना विकास होने के फलस्वरूप आज भी समाज के बहुत सारे लोग जीवन की जरूरी वस्तुएँ जैसे-रोटी, कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जीवन को बनाये रखने के क्रम में सबसे पहला स्थान रोटी (भोजन) का आता है। भोजन जीवन की मूलभूत आवश्यकता में से एक है। भारत में आज भी ग्रामीण इलाकों में भोजन पकाने के लिए परम्परागत ईंधन जैसे-जंगल की लकड़ी, गोबर के उपले, मिट्टी का तेल (कैरोसीन), कोयला आदि पर निर्भर है। भारत एक पुरुष प्रधान देश होने के नाते घर के सारे कामकाज की जिम्मेदारी घर की महिलाओं की होती हैं। भोजन पकाना, बच्चों एवं परिवार के अन्य सदस्यों की देखभाल करना आदि । ग्रामीण महिलाओं का ज्यादा से ज्यादा समय भोजन पकाने तथा ईंधन इकट्ठा करने में जाता है। ईंधन इकट्ठा करने की जिम्मेदारी महिलाओं पर होती है। ग्रामीण महिलाओं को शुद्ध ईंधन की उपलब्धता बहुत कम है। अशुद्ध ईंधन का प्रयोग करने से महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारतीय ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने एवं उन्हें सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में केन्द्र एवं राज्य सरकार ने अनेक कल्याणकारी योजनायें चलाई है। भारतीय ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छ ईंधन प्रदान करने एवं सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की अहम भूमिका है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ग्रामीण महिलाओं के जीवन में उजाला लाई है। यह योजना ग्रामीण महिलाओं की उन्नति का एक प्रतीक बन चुकी है। आज देश के ग्रामीण क्षेत्रों में एल0पी0जी0 ऊर्जा का सबसे स्वच्छ और सर्वसुलभ साधन बन चुका है। पिछले कुछ वर्षों से यह योजना ग्रामीण समाज में रहन-सहन के स्तर को ऊँचा उठाने एवं ग्रामीण महिलाओं को सशक्त तथा आत्मनिर्भर बनाने में इसने बहुत ही अहम भूमिका अदा की है। अस्वच्छ ईंधन से भोजन पकाने की पूरी प्रक्रिया में न सिर्फ अधिक समय लगता है बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है तथा ठोस ईंधन से निकलने वाला धुंआ पर्यावरण को भी प्रदूषित करता है। किसी व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए उसका स्वस्थ होना अत्यन्त आवश्यक है। ग्रामीण महिलाओं की इन समस्याओं एवं अस्वच्छ ईंधन के प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का शुभारम्भ किया। इस योजना का उद्देश्य भारतीय ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन प्रदान करना है।
अध्ययन का उद्देश्य
1. भारत में स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना। 2. महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना। 3. परंपरागत ईंधन के प्रयोग से होने वाले स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारियों से बचाने के लिए। 4. वायु प्रदूषण को कम करने एवं पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए। 5. ग्रामीण महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाना।
साहित्यावलोकन

उज्जवला गैस योजना के विषय में तथा महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण पर पड़ने वाले इसके प्रभावों को समझने के लिए शोधार्थी विभिन्न समसामायिक लेखोंशोध प्रपत्रों का अध्ययन किया।

1. रमन देवी (2017) ने अपने शोध लेख Pradhanmantri Ujjwala Yojana: Issue and Challenges में विश्व स्वास्थ्य संगठन कि रिपोर्ट के आधार पर पारस्परिक ईंधन से होने वाले स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रमाणों पर प्रकाश डाला हैइन्होंने पारम्परिक ईंधनों जैसे लकड़ीगोबर के उपले आदि पर खाना पकाने से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को रेखांकित किया है। इस लेख के अनुसार भारत में गरीबों तक गैस पहुँचाना एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे समय की बचत होगी तथा साथ ही स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

2. एनअहमद श्लग्या शर्माडाअंजना सिंह (2008) ने सम्मिलित रूप से लिखे अपने-अपने एक लेख Pradhanmantri Ujjwala (PMUY) Step towards social inclusion in India में यह रेखांकित किया है कि यह योजना गरीबों के लिए समावेशी उपक्रम की ओर बढ़ता हुआ एक बड़ा कदम है। इस योजना के लागू होने से न सिर्फ गरीब महिलाओं को अस्वच्छ ईंधन एकत्रित करने से मुक्ति मिली है बल्कि भोजन पकाने में जो समय लगता है उसमें भी कमी आयेगी। इस शोध लेख के माध्यम से ये बताया गया है कि यह योजना क्या हैजिसको इसका लाभ मिलेगाइस योजना के लागू होने से क्या लाभ हैइस योजना का महिला सशक्तिकरणस्वस्थ्य समाज बनाने में एवं स्वच्छ पर्यावरण बनाने में योगदान की भी चर्चा की है।

3. कुन्दन पाण्डेयजीतेन्द्र प्रियरंजन शाहू और पुरूषोत्तम ठाकुर (2018) ने अपने एक सम्मिलित शोध लेख Ujjwala Scheme : Are Cleaner cooking fuels affordable and accessible? मे इस योजना को परिदृश्य बदलने वाली योजना बतायालेकिन गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए गैस सिलेण्डर को पुनः भरवाने की असमर्थता को प्रकाश में लाते हुए इस योजना कि आलोचना की। यद्यपि इन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव से हमें जोड़ा और इस बात पर भी चर्चा किया कि यह योजना गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है।

4. भारतीय पेट्रोलियम और नेचुरल गैस स्टेटिसटिक्स मंत्रालय (2016-17) के अनुसार सरकार ने मई 2016 से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के नाम से स्कीम जारी किया है जिसमें 80 मिलियन गरीबों में मुफ्त में एल0पी0जीतरल पेट्रोलियम गैस देने का लक्ष्य बनाया गया है। इसका उद्देश्य स्वस्थ कूकिंग का भोजन व्यवस्था तथा महिलाओं का सशक्तिकरण निर्धारित किया गया है।

5. एनअहमद रॉलेस शर्मा एवं अन्य (2018) द्वारा बताया गया है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना गरीबों के सामाजिक उत्थान के प्रति एक बड़ा कदम है। महिलायें घरेलू ईंधन बनाने के लिए गोबरलकड़ियां आदि एकत्र कर ईंधन के तौर पर उपयोग में लाने के लिए कण्डे आदि बनाती हैं उसमें समय एवं ऊर्जा दोनों का अत्यन्त व्यय होता है। जबकि एल0पी0जीगैस में शीघ्रता से यही कार्य कम ऊर्जा के प्रयोग से हो जाता है। इसके अलावा महिलायें आर्थिक निर्णय लेने के लिये भी समक्ष होने लगती हैं जैसे एल0पी0जीरिफिल के लिये आदेश या आवेदन देनाबैंक में खाता खोलकर सब्सिडी प्राप्त करना आदि।

6. भारतीय राष्ट्रीय जनगणना (2001) के अनुसार लगभग 90 प्रतिशत तक ठोस बायो ईंधन जैसे लकड़ियांकोयलेकण्डे आदि का प्रयोग ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है।

मुख्य पाठ

आर्थिक सुरक्षा एवं सशक्तिकरण
महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया है। सशक्तिकरण एक समर्थकारी प्रक्रिया है। जब ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा वित्तीय सहित अन्य की हालात में सुधार होगा तभी उन्हें सशक्त माना जायेगा। महिला सशक्तिकरण देश की ऊर्जा अर्थव्यवस्था से गहरे रूप से जुड़ा है। भारतीय ग्रामीण गरीब महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) की शुरूआत की गई है। इससे महिलाओं को खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन प्राप्त होगा साथ ही ही साथ समय की बचत होगी। बचे हुए समय का उपयोग ग्रामीण महिलाएं स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने में करेगी। इस योजना की शुरूआत एक सामाजिक आन्दोलन के रूप में की गई है। इससे ग्रामीण गरीब महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक स्थिति में परिवर्तन होगा और महिलाओं का सशक्तिकरण होगा।
शोध प्रविधि
प्रस्तुत शोध पत्र में द्वितीयक स्रोतों का प्रयोग किया गया है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छ ईंधन प्रदान करने की दिशा में उठाया गया सबसे महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का शुभारम्भ किया। इस योजना के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रह रहे परिवार जो कि गरीबी रेखा नीचे जीवनयापन करने वाले 5 करोड़ गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जाने का लक्ष्य था जिसे 3 साल यानि की 2019 में पूरा किया जाना था बाद में इस योजना का लाभ 8 करोड़ परिवारों तक पहुँचाने का लक्ष्य 2020 तक रखा गया। परन्तु इसे योजना से होने वाले लाभ एवं ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए योजना का लक्ष्य पुनः 2022 तक बढ़ा दिया गया है। योजना को सफल बनाने के लिए 8,000 करोड़ की राशि निश्चित की है। भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन है इस तरह की ये पहली योजना है जिसमें करोड़ों गरीब परिवारों की महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा। योजना के अन्तर्गत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रह रहे परिवार जो कि गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे हैं, को निःशुल्क गैस कनेक्शन उपलब्ध कराया जाने का प्रावधान किया गया है। इस हेतु 1600/- रूपये का अनुदान भारत सरकार द्वारा सीधे गैस कम्पनी को उपलब्ध कराया जाता है। इसे प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का नाम दिया गया है। किन्तु गैस-चूल्हा एवं पहली बार गैस भराने का खर्च लगभग 1500/- रूपये लाभार्थी को देने होते हैं। यदि लाभार्थी इस खर्च को वहन करने में असमर्थ हैं तो उसके लिए खर्च को किश्तों में अदा करने की सुविधा भी प्रदान की गई है। जिसे बाद में सब्सिडी के माध्यम से भरपाई कर ली जाती है। जब किश्त पूरी हो जायेगी तो लाभार्थी को सब्सिडी का लाभ उसके बैंक खाते में जाने लगेगा।
योजनान्तर्गत भारत के निर्धारित मापदंड के अनुसार 14.2 किलो अथवा 5 किलो गैस क्षमता के सिलेण्डर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की 18 साल से अधिक उम्र की महिला के नाम से गैस कनेक्शन दिये जायेगे। यह गरीब परिवारों की महिलाओं के स्वास्थ्य पर खाना पकाने के अन्य साधनों से होने वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए महत्वपूर्ण है। वही दूसरी ओर पर्यावरण की सुरक्षा एवं महिला सशक्तिकरण में भी इस योजना का अपना महत्व है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभ
1. इस योजना से गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों का मुफ्त एल.पी.जी. गैस कनेक्शन मिलता है जिससे अब वे स्वच्छ एवं धुवा रहित ईंधन का प्रयोग कर सकेंगे।
2.  इस योजना के लागू होने से ग्रामीण महिलाओं का जो समय पारंपरिक ईंधन-लकड़ी, गोबर के उपले, फसलों के अपशिष्ट आदि इकट्ठा करने में लगता था वह अब किसी अन्य सामाजिक-आर्थिक कार्य में लाता है। जिससे उनके सामाजिक-आर्थिक स्तर में सुधार हुआ है।
3. ग्रामीण महिलाओं के पारंपरिक ईंधन से भोजन पकाने में उससे निकलने वाले हानिकारक धुंए का समाना करना पड़ता था जिससे उन्हें श्वांस सम्बन्धी, फेफड़े से सम्बन्धित, आँख सम्बन्धी एवं टीबी व कैंसर जैसी गंभीर बिमारियों का खतरा बना रहता था। इस योजना के लागू होने के बाद उनमें कमी आई है। इस प्रकार यह योजना महिलाओं और बच्चों को स्वस्थ रखने में भी सहायक सिद्ध होगी।
4. ग्रामीण गरीब परिवारों में उपयोग में आने वाले अशुद्ध जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में इस योजना के तहत प्रदान स्वच्छ ईंधन से मदद मिली।
5.  इस योजना में गैस कनेक्शन महिला लाभार्थी के नाम से जारी होताहै। लाभार्थी का राष्ट्रीय बैंक का खाता रसोई गैस कनेक्शन से जोड़ दिया जाता है जिसमें गैस कि सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी महिला के खाते में आने से परिवार में उसकी भागीदारी निर्णय लेने में बढ़ जाती है जो महिला पहले घर के कामों में लगी रहती थी अब वह अपने घर के आँगन से निकलकर बाज़ार तक सब्सिडी का रुपये निकालने के लिए जाती है। जिससे उनकी पहुँच न सिर्फ बाजार तक हुई है बल्कि इसी बहाने सशक्तिकरण हो रहा है।

निष्कर्ष
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में महिलाओं को स्वच्छ ईंधन प्रदान कर उन्हें धुंए से भरी जिंदगी से स्वतंत्रता दिलाई है। यह योजना ग्रामीण गरीब महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है। इस योजना ने गरीबों, शोषित, दलितों और आदिवासियों के जीवन को शक्ति प्रदान की है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ग्रामीण महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार लाने का सरकार का एक ऐतिहासिक कदम है। यह गरीबों की जीवन गुणवत्ता में सुधार एवं महिला सशक्तिकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। अब महिलाओं को भोजन पकाने से जो समय बचता है उसे वे अपने जीवन के किसी अन्य महत्वपूर्ण कार्य में लगा सकती हैं जिससे उनका सामाजिक-आर्थिक विकास हो सकता है। इस योजना के स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डाला है। इस योजना ने न सिर्फ ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छ ईंधन प्रदान किया है बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ बनाने में मदद की है। स्वस्थ समाज एवं स्वच्छ पर्यावरण बनाने में इस योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह योजना गरीब परिवारों में रोशनी बनकर आयी है। इस योजना को बहुत महत्वपूर्ण उद्देश्य को पूरा करने के लिए बनाया गया है। योजना बहुत अच्छी है पर जमीनी स्तर पर इसे लागू करने में कुछ समस्याएं आ रही हैं।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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