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मन्दाकिनी बेसिन में कृषि भूमि उपयोग | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Agricultural Land Use in Mandakini Basin | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
16137 Submission Date :
2022-06-01 Acceptance Date :
2022-06-16 Publication Date :
2022-06-25
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सारांश |
कृषि मानव जीवन के अर्थ तंत्र अधिवास तथा सामजिक एंव सांस्कृतिक क्रिया कलापों की आधार शिला हैं। आदि काल से लेकर आज तक कृषि की गरिमा यथावत बनी हुई है। मानव सभ्यता का इतिहास वास्तव में कृषि भूमि का इतिहास रहा है। भारत जैसे कृशि प्रधान देश में कृषि यहां की आजिविका का मुख्य साधन रहा है। यहाँ पर कृषि उत्पादन के लिए भूमि का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है। मैदानी भागों की अपेक्षा पर्वतीय भागों में कृषि भूमि उपयोग पर यहां की भौगोलिक दशाओं का प्रभाव स्पष्ट दिखायी देता है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Agriculture is the cornerstone of the economic system of human life, settlement and social and cultural activities. From time immemorial till today the dignity of agriculture has remained the same. The history of human civilization has actually been the history of agricultural land. In an agricultural country like India, agriculture has been the main source of livelihood. Here the land is used in various forms for agricultural production. The effect of geographical conditions on agricultural land use is clearly visible in the mountainous parts as compared to the plains. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | भौगोलिक परिस्थितियां, वातावरण, उच्चावचीय, विविधता, स्पष्ट , दृष्टिगोचर, उपलब्धता, जलवायु दशायें,ढाल। | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Geographical conditions, Atmosphere, Relief, Diversity, Clear, Visible, Availability, Climatic conditions, Slope. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना |
मन्दाकिनी बेसिन उत्तराखण्ड राज्य के लगभग मघ्यवर्ती भाग में 30° 17' उत्तर से 30°49' उत्तरीय अक्षांश तथा 78° 49' से 79° 22' पूर्वी देशान्तर के मघ्य स्थित है। उच्चावच की दृष्टि से यह बेसिन क्षेत्र 605 मीटर (रूद्रप्रयाग) से लेकर 6940 मीटर (केदारनाथशिखर) की ऊँचाई के मध्य अनेक कटिबन्धों में विस्तृत है। मन्दाकिनी नदी अलकनन्दा नदी की सहायक नदियों में प्रमुख है, जो चौराबाड़ी हिमनद से निकलकर 82किलोमीटर की दूरी तय कर रूद्रप्रयाग में दाहिनी ओर से अलकनन्दा में संगम बनाती है। इसका प्रभाव क्षेत्र रूद्रप्रयाग जनपद के 80 प्रतिशत भाग का प्रतिनिधित्व करता है। गढ़वाल हिमालय के अन्तर्गत मन्दाकिनी बेसिन क्षेत्र दो भागों में (महान व लघु हिमालय) में फैला हुआ है। जिसका क्षेत्रफल 1648 वर्ग किलोमीटर है। अत्यधिक उच्चावचीय अन्तराल (6300 मीटर) होने के कारण यहा की धरातलीय सरचना में विविधता का पाया जाना स्वाभाविक हे। जिसका प्रभाव यहां के भूमि उपयोग पर स्पष्ट दिखायी देता है। जिसे निम्न तालिका एंव मानचित्र में प्रदर्शित किया गया है।
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अध्ययन का उद्देश्य | कृषि पर बडते मानवीय अनुपात को ध्यान में रखते हुए उपलब्ध कृषि भूमि पर लागत की अपेक्षा शुद्ध की मात्रा को बढ़ाये जाने हेतु कृषि क्षेत्र का प्रादेशिकरण किया जांय। जहां पर जो फसल अधिक उत्पादन देती है वहां पर उन्हीं फसलों को बढ़ावा दिया जायं। जहां ढाल अधिक है उन भागों में वैकल्पिक कृषि उद्यानकी बागवानी को बढ़ावा दिया जायं। उद्यानकी पर ढाल सिंचाई तथा मानवीय श्रम की लागत की अपेक्षा उत्पादन अधिक प्राप्त होता है तथा मानवीय श्रम की लागत की अपेक्षा उत्पादन अधिक प्राप्त होता है तथा शुद्ध लाभ भी खाद्यान फसलों की अपेक्षा अधिक मिलता है। |
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साहित्यावलोकन | मंदाकिनी बेसिन में वर्तमान समय तक अनेक विषयों में शोध कार्य किया गया है जिसमें सुथर 1980 भूमि उपयोग, ड़ॉ0 वाई0 एस0 नेगी 1993 मंदाकिनी घाटी में ऊर्जा के स्रोत तथा उनका संतुलन व विकास हेतु नियोजन,ड़ॉ0 ड़ी0एस0 नेगी 1995 मंदाकिनी घाटी का समाकलित एवं क्षेत्रीय विकास, ड़ॉ0 किरन त्रिपाठी 2003 मंदाकिनी बेसिन (पर्वतीय पर्यावरण) में कृषि भूमि उपयोग का स्थानिक विश्लेषण, इत्यादि मुख्य कार्य हुए हैं। |
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मुख्य पाठ |
मन्दाकिनी बेसिन में कृषि सामान्य भूमि उपयोग
राजस्व ग्राम क्षेत्रफल के आधार पर मन्दाकिनी बेसिन का सामान्य भूमि उपयोग निम्न तालिका में प्रदशित है। मन्दाकिनी बेसिन में भूमि उपयोग(तहसीलवार)
कृषि भूमि उपयोग:-
मन्दाकिनी बेसिन में कुल राजस्व भूमि के 40प्रतिशत भाग पर कृषि भूमि का विस्तार है।जिस पर यहॉ की 79.30प्रतिशत जनसंख्या निर्भर करती है। सम्पूर्ण भारत के समान ही मन्दाकिनी बेसिन
की अर्थव्यवस्था भी कृषि प्रधान है। कृषि उत्पादन में मानव व पशुश्रम का उपयोग
किया जाता है, जिससे जनसंख्या का अधिकांश भाग कृषि कार्य में लगा हुआ है, जबकि उत्पादन 1/4 भाग मुश्किल से हो पाता है। मन्दाकिनी बेसिन के विषम ढाल में कृषि भूमि के
वितरण को प्रभावित किया है। म्ंदाकिनी बेसिन में पटवारी क्षेत्रों के आधार पर कृषि भूमि
का वितरण प्रतिशत में। स्रोत - तहसील उखीमठ,जखोली,अगस्त्यमुनि। कृषि भूमि का
वर्गीकरण:- कृषि उत्पादन की विधि के आधार पर मन्दाकिनी की कृशि भूमि को तीन भागों
में बॉंटा जा सकता है।
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क्रम संख्या |
फसल |
उत्पादन |
1 |
धान |
12-18 |
2 |
गेहूॅ |
11-56 |
3 |
जौ |
8-14 |
4 |
मण्डवा |
13-04 |
5 |
झंगोरा |
11-72 |
6 |
उडद |
2-15 |
7 |
मसूर |
6-23 |
8 |
मटर |
8-12 |
9 |
तोर |
5-39 |
10 |
मक्का |
10-41 |
11 |
लाई सरसों |
5-80 |
12 |
सोयावीन |
4-90 |