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कोविड-19 के समय में विद्यार्थियों द्वारा मोबाईल के अधिक इस्तेमाल से उनके स्वभाव में उत्पन्न विकृति की समस्या व भ्रामरी प्राणायाम द्वारा उसका निदान | |||||||
Problem of Distortion in Nature of the Student Due to Excessive Use of Mobiles and Its Diagnosis by Bhramari Pranayama | |||||||
Paper Id :
16248 Submission Date :
2022-07-05 Acceptance Date :
2022-07-15 Publication Date :
2022-07-25
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सारांश |
कोरोना महामारी के समय सभी शैक्षिक संस्थाए बंद थी इस आपातकालीन की स्थिति में छात्र-छात्राओं के सामने अध्ययन की समस्या थी। इस समस्या को दृष्टिगत रखते हुए आधुनिक समय में जो हम मोबाइल प्रयोग में ला रहे है उसको छात्रों को अध्ययन कराने के लिये विकल्प के रुप में चुना गया, परन्तु छात्रों के व्यवहार में मोबाइल फोन के अनुप्रयोग से उत्पन्न विकृति के विषय में माता-पिता, छात्र-छात्राओं, शिक्षको को मोबाइल फोन के दुष्प्रभाव का आंकलन नही था जिसके कारण छात्र-छात्राओं के व्यवहार में मोबाइल फोन के अधिक प्रयोग करने से छात्र-छात्राओं के मस्तिष्क की कौशिकाओं को हानि हुई जिसके कारण छात्र-छात्राओं को याददाशत में कमी, चिडचिड़ापन, तनाव, अनिद्रा, आखों में जलन महसूस करना, छात्र-छात्राओं से मोबाइल रखने के लिए कहने पर छोटी-छोटी बातों पर आक्रमक रुप लेना, मोबाइल फोन में लगे रहने के कारण भोजन समय पर न करना, वहीं दूसरी ओर नींद कम की वजह से पाचन क्रिया भी काफी कमजोर पड़ गई जिससे छात्र-छात्राओं को कुछ भी खाया पिया नही लगा और दिन-ब-दिन उनका स्वास्थ्य गिरता चला गया। मोबाइल फोन ने कोविड-19 के समय छात्र-छात्राओं के मन और मस्तिष्क को प्रत्येक रुप से महसूस कराये बिना अप्रत्यक्ष रुप से अत्यधिक हानि पहुँचायी है।
इस समस्या को खोजना उतना ही कठिन कार्य था जितना की इस समस्या का समाधान ढूडना। इस स्थिति में शोधकर्ता को अपने वैदिककाल से चले आ रहे योग से निरोग के द्वारा समस्या को पहचान कर उसके निराकरण करने तथा इस पर अध्ययन करने की आवश्यकता जाग्रत हुई। भ्रामरी प्राणायाम के लगातार 30 दिन तक करने से छात्र-छात्राओ के मानसिक, शारीरिक व व्यवहारिक जीवन में जो कठिनाईयॉ प्रदर्शित हो रही थी उच्चस्तर तक उनका निदान सम्भव हो सका है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | All educational institutions were closed during the Corona epidemic, in the event of this emergency, there was a problem of study in front of the students. Keeping this problem in view, the mobile that we are using in modern times was chosen as an option for the students to study, but parents, regarding the distortion caused by the application of mobile phones in the behavior of the students, Students, teachers did not assess the ill effects of mobile phones, due to which excessive use of mobile phones in the behavior of students caused damage to the brain cells of the students, due to which the students lost memory, irritability. Stress, insomnia, feeling of burning in the eyes, taking an aggressive form on small things when students are asked to keep mobile, not eating food on time due to being engaged in mobile phone, on the other hand the reason for less sleep Due to which the digestive system also became very weak, due to which the students did not feel like eating or drinking anything and their health kept on deteriorating day by day. Mobile phones have indirectly caused immense harm to the mind and soul of the students during the time of Kovid-19 without making everyone feel it. Finding this problem was as difficult a task as finding a solution to this problem. In this situation, the researcher was awakened to the need to identify the problem and solve it and study it through the yoga which has been going on since his Vedic period. By doing Bhramari Pranayama continuously for 30 days, the difficulties which were being displayed in the mental, physical and practical life of the students have become possible to diagnose them to a higher level. |
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मुख्य शब्द | कोविड-19, सन 2019 में जन्मी कोरोना महामारी, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन- मोबाइल फोन से निकलने वाली किरणे, भ्रामरी प्राणायाम- योग के माध्यम से छात्र-छात्राओं के मस्तिष्क में उत्पन्न विकृति का निदान करने वाली एक योग पद्धिति। आई.सी.टी- इन्फोरमेशन एण्ड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Kovid-19, Corona Epidemic Born on the Year 2019, Electromagnetic Radiation - Rays Emanating From Mobile Phones, Bhramari Pranayama - A Yoga Method to Diagnose the Deformity in the Brain of Students Through Yoga. ICT - Information and Communication Technology. | ||||||
प्रस्तावना |
प्रकृति ने मनुष्य को प्राकृतिक संसाधनो के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनो के अनियमित दोहन करने के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं का भी निदान प्रदत्त किया है। प्रस्तुत शोध का मुख्य उद्देश्य भ्रामरी प्राणायाम का विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव व मोबाइल फोन से पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव का अध्ययन है। कोविड-19 के समय में छात्र-छात्राओं द्वारा ज्यादा फोन के इस्तेमाल से उसमें से जो हानिकारक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन निकली उसके कारण छात्र-छात्राओं के मस्तिष्क की कौशिकाओं को हानि पहुची जिसकी वजह से मस्तिष्क की कौशिकाओं को हानि हुई जिसके कारण छात्र-छात्राओं को याददाशत में कमी, चिडचिड़ापन, तनाव व अनिद्रा, आखों में जलन महसूस करना, माँ-बाप द्वारा छात्र-छात्राओं से मोबाइल रखने के लिए कहने पर छोटी-छोटी बातों पर आक्रमक रुप लेना, मोबाइल फोन में लगे रहने के कारण भोजन समय पर न करना आदि। दूसरी ओर नीद कम की वजह से पाचन क्रिया भी काफी कमजोर पड़ गयी जिससे छात्र-छात्राओं को कुछ भी खाया पिया नही लगा और दिन-ब-दिन उनका स्वास्थ्य गिरता चला गया। छात्र-छात्राओं की इसी तरह की काफी मानसिक, शारीरिक व व्यवहारिक कठिनाईयाँ सामने आनी प्रारम्भ हुई। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए छात्र-छात्राओ को भ्रामरी प्राणायाम को लगातार 30 दिन तक 15 मिनट तक कराया गया तथा इसके अनुप्रयोग से उच्चस्तर तक उनका निदान सम्भव हो सका है। योग में भ्रामरी प्राणायाम के नियमित अभ्यास के द्वारा हम उसको ठीक कर सकते है व साथ ही उसको भविष्य में होने वाली भयंकर मानसिक बीमारियों से भी मुक्ति दिला सकते है।
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अध्ययन का उद्देश्य | छात्र-छात्राऐं ही किसी भी देश के भविष्य की आधारशीला होती है। छात्र-छात्राओं के भविष्य का निर्माण समकालीन शिक्षा के कन्धों पर निर्भर होता है जिस प्रकार की शिक्षा छात्र-छात्राओं को प्रदान की जाती है तथा जिस प्रकार से प्रदान की जाती है छात्र-छात्राओं का निष्पादन उसी के अनुरुप फलीभूत होता है। परन्तु कोरोना-19 महामारी के कारण छात्र-छात्राओं को अध्ययन करने, माता-पिता तथा शिक्षको को अध्ययन कराने की एक बहुत बडी समस्या उत्पन्न हो गयी। इस समस्या के निदान हेतु शैक्षिक संस्थाओं ने छात्र-छात्राओं को अध्ययन कराने हेतु आनलाईन माध्यम से मोबाइल, टेबलेट, लेबटोप, डेक्सटोप आदि (आई.सी.टी) का अनुप्रयोग कर शिक्षणकार्य प्रारम्भ किया। जिसके अत्यधिक उपयोग से छात्र-छात्राओं में मानसिक, व्यवहारिक व शारीरिक बीमारीयाँ उत्पन्न हुई। वैदिक काल में योग चिकित्सा के माध्यम से सभी रोगो का निदान सम्भव था यही कारण है कि अध्ययनकर्ता ने योग चिकित्सा को ध्यान में रखकर योगपद्धित के अन्तर्गत आने वाले भ्रामरी प्राणायाम के द्वारा छात्र-छात्राओं के मानसिक, व्यवहारिक व शारीरिक बीमारीयों के निदान हेतु अध्ययन किया गया। |
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साहित्यावलोकन |
Dr. B.N. Gangadhar MBBS, MD, DSc (Yoga), FAMS Director Sr. Professor of Psychiatry के अनुसार जो ये महामारी पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिये है इसमें बच्चों का स्कूल जाना बन्द हो गया है और बच्चे अब घर पर ही अपना ऑनलाईन पढ़ाई कर रहे है जिससे मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है जिसकी वजह से बच्चों में भय, चिंताए, अवसाद, सोने में कठिनाई, और भूख न लगने जैसी कई तरह के अवसाद देखने को मिले है इससे कई बच्चों में तीव्र तनाव विकार और अन्य कई तरह के मानसिक विकारो को दूर करने का एक आसान तरीका भ्रामरी प्राणायाम है जिसके रोजाना प्रयोग से तनाव को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।
Dilara Kamaldeen, Department of Physiology, Sri Ramachandra Medical College and Research Institute, Chennai, India के शब्दों में भ्रामरी प्राणायाम योग अभ्यास की एक शाखा है जो मानव जाति के लिए स्वस्थ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में बेहद फायदेमंद है इस लेख का उद्देश्य स्वास्थ्य पर भ्रामरी प्राणायाम (बीएचआरपी) की प्रभावशीलता पर किए गए अध्ययनों पर एक अंतर्दृष्टि प्राप्त करना है। मई 2016 तक किए गए अध्ययनों को मेडलाइन, एम्बेस, विद्वान और मैनुअल खोज का उपयोग करके पाया गया था। भ्रामरी प्राणायाम का स्वास्थ्य पर प्रभावशीलता में किए गए अध्ययनों से प्रिज्मा दिशानिर्देशों के आधार पर शामिल किया गया था जिससे यह बात सिद्ध होती है कि भ्रामरी प्राणायाम प्रत्येक प्रकार के मानसिक रोगी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
Julius Amaldas, Department of Biochemistry, Sri Balaji Dental College and Hospital, Bharath University, Chennai, India के अनुसार भ्रामरी प्राणायाम का प्रयोग किशोरो में संज्ञानात्मक कार्य में सुधार के लिये, बच्चों का ज्यादा मोबाइल फोन इस्तेमाल करने से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिये किया जा सकता है। |
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सामग्री और क्रियाविधि | प्रस्तुत अध्ययन के लिए उपरोक्त वर्णित न्यादर्श पद्धतियों में से जिस महत्वपूर्ण पद्धतियों का अनुगम किया है वह उद्देश्यपूर्ण सहसंयोग पद्धति है। इस प्रकार प्रस्तुत अध्ययन के लिए उद्देश्यपूर्ण सहसंयोग पद्धति द्वारा अध्ययनकर्ता ने मुजफ्फरनगर शहर के सी.बी.एस.ई. बोर्ड के पांच विद्यालयों की सूची बनाई जिनमें से यादृच्छिक विधि के द्वारा एक विद्यालय का चयन किया। इस विद्यालय से 40 छात्र-छात्राओं को सहसंयोग विधि द्वारा चुना गया जिसमें 20 छात्र एवं 20 छात्राओं को चयनित कर कुल 40 छात्र-छात्राओं का चयन न्यादर्श के रुप में किया गया। |
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विश्लेषण | इस विद्यालय के 500 विद्यार्थियों में से अध्ययन के लिए 40 विद्यार्थियों को सांख्यिकीय विश्लेषण हेतु ‘टी-परीक्षण’के आधार पर ऑकडो का विश्लेषण किया गया। स्तरीकृत नमूने में एक अंश तक उद्देश्यता का भी ध्यान रखा गया है क्योंकि इस प्रकार के लघु अध्ययनों में परीक्षण को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण बनाने में कठिनाइयॉ आती है। स्तरीकृत नमूने की विशेषताए निम्न दो तालिकाओं के माध्यम से प्रकट की जा सकती है।
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निष्कर्ष |
शोध कार्य के परिणाम इस ओर स्पष्ट संकेत करते हैं कि विद्यार्थियों को रोजाना एक महीने तक 15 मिनट के लिए भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास कराया गया जिसमें 30 दिन बाद जो बच्चो व उनके माता-पिता के द्वारा बताये गये अनुभव के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि एक ओर जहां बच्चे केवल मोबाइल फोन से होने वाली मानसिक परेशानी से पीड़ित थे उनमें काफी हद तक बदलाव आया। अभिभावको ने बताया कि जहां उनके बच्चे हमेशा चिडचिडे व अकेले रहना ज्यादा पसन्द करते थे 30 दिन बाद उनके स्वभाव में अन्तर आना प्रारम्भ हो गया। जो बच्चे कभी माता-पिता के पास बैठकर अपने स्कूल, या सहपाठीयों या टीचर की कोई भी बात कभी नही बताना पसंन्द करते थे अब वह काफी उत्साह के साथ अपने माता-पिता से अपनी बाते कहने लगे। अतः इस शोध से निष्कर्ष निकलता है कि भ्रामरी प्राणायाम के लगातार 30 दिन तक करने से छात्र-छात्राओ के मानसिक, शारीरिक व व्यवहारिक जीवन में जो कठिनाईयॉ प्रदर्शित हो रही थी उच्चस्तर तक उनका निदान सम्भव हो सका है। योग में भ्रामरी प्राणायाम के नियमित अभ्यास के द्वारा हम उसको ठीक कर सकते है व साथ ही उसको भविष्य में होने वाली भयंकर मानसिक बीमारियों से भी मुक्ति दिला सकते है। |
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