ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- VII , ISSUE- VII August  - 2022
Innovation The Research Concept
एक क्षेत्रीय विश्लेषण: ऐतिहासिक व पौराणिक तीर्थ - शुक्रताल
A Regional Analysis: Historical and Mythological Pilgrimage - Shukratal
Paper Id :  16342   Submission Date :  2022-08-16   Acceptance Date :  2022-08-19   Publication Date :  2022-08-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.
For verification of this paper, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/innovation.php#8
वंदना त्यागी
एसोसिएट प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष
भूगोल विभाग
एस.डी.पी.जी. कॉलेज
मुजफ्फरनगर,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश
जिस तरह गंगोत्री गंगा का उद्गम, यमनौत्री यमुना का उद्गम स्थल है, उसी तरह ही शुक्रतीर्थ श्री भागवत् ज्ञान गंगा का उद्गम स्थल है, यह भारत के 68 (अड्सठ़) तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है ‘‘श्रीमद्भाग्वतेमहामुनिकृतेकिंवापरैरीश्वरः’’ पर्यटन को अधिक बढावा न देने के कारण उत्तर प्रदेश अभी पर्यटन के क्षेत्र में अछूता सा है, जबकि इसकी पश्चिम सीमायें देश की राजधानी नई दिल्ली से लगी हुई है, देश की सबसे बड़ी आबादी के साथ-साथ यह ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व धार्मिक व व्यावसायिक को एक तार में पिरोये हुये है। ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से देखे तब रामभूमि (अयोध्या), कृष्ण जन्मभूमि (मथुरा), शिव नगरी (वाराणसी), संगम (प्रयागराज), पांडव किला (बरनावा, मेरठ), नैमिशारणय (लखनऊ), सत्यनारायण की प्रथम कथा, सारनाथ, झांसी, आगरा (सात अजूबे में एक), जामा मस्जिद, फतेहपुर सीकरी (मार्कण्य आश्रम), पंचनदसंगम, शुक्रताल (पौराणिक नगरी-कथाव्यास) उत्तर प्रदेश में स्थित है। शुक्रताल भागीरथी व भागवत् दोनों का संगम तीर्थ है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Just as Gangotri is the origin of Ganga, Yamanotri is the source of Yamuna, in the same way Shukratirth Shri Bhagwat is the origin of Gyan Ganga, it is considered the best among the 68 (sixty eight) pilgrimages of India. Uttar Pradesh is still untouched in the field of tourism, while its western borders are with the country's capital New Delhi, along with the country's largest population, it has historical, cultural, religious and commercial threads. From the historical and religious point of view, then Rambhoomi (Ayodhya), Krishna Janmabhoomi (Mathura), Shiv Nagari (Varanasi), Sangam (Prayagraj), Pandava Fort (Barnawa, Meerut), Naimisharanay (Lucknow), Satyanarayan's first story, Sarnath, Jhansi , Agra (One of the Seven Wonders), Jama Masjid, Fatehpur Sikri (Markanya Ashram), Panchanadsangam, Shukratal (Mythological City-Kathavyas) is located in Uttar Pradesh. Shukratal is the confluence of both Bhagirathi and Bhagwat.
मुख्य शब्द प्राकृट्य- लोकप्रियता, उत्पत्ति, कुरू-कुरू पांचाल समर्पण भारत भूमि (भारत माता) का हृदय स्थल अधिगत- प्राप्ति, अधिगम-जानना, श्रीमद्भागवत कथा- श्री शुकदेव आश्रम (शुकतीर्थ स्वामी कल्याण देव सेवा ट्रस्ट शुक्रताल), ओमानन्द ब्रह्माकरी, श्रीकृष्ण सन्देश (मथुरा) के सम्पादक स्वर्गीय श्री सुरर्दश जी।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Prakritya - Popularity, Origin, Kuru - Kuru Panchal Surrender was the heartland of Bharat Bhoomi (Bharat Mata), The learned-acquisition, learning-knowing, Mad Bhagavat Katha - have been taken from the middle of the complete written reference of the present article. Shree Shukdev Ashram (Shuktirtha Swami Kalyan Dev Seva Trust Shukratal), ISBN No. 81-87796-02-2-Omanand Brahmakari, Editor of Shri Krishna Sandesh (Mathura) Late Shri Surdash ji
प्रस्तावना
श्रीमद्भागवत और शुकतार तीर्थ भारत का धार्मिक, ऐतिहासिक व पौराणिक तीर्थ है, शुकतीर्थ (शुकतार) श्रीमद्भागवत् की व्यासपीठ प्राकट्य तपोभूमि है, यह अनादि, आनन्द सिद्ध उस पर परम भागवत् विदिवेदित्व अधिगत परमहंस श्री शुकदेव जी ने महाराज परीक्षित के शाप ब्यास से मोक्ष कैसे मिला, यह श्रीमद्भागवत कथा सुनाई थी, शोध लेखन मात्र गागर में सागर भरने के मात्र है, मेरठ, मुजफ्फरनगर तथा आस-पास के क्षेत्र को कुरू जंगल कहते है, जो कुरू राज्य (धर्म राज) का अंग था।
अध्ययन का उद्देश्य
अध्ययन का मुख्य उद्देश्य जनपद मुजफ्फरनगर में पर्यटन विकास की सम्भावनाओं को विकसित करने हेतु पर्यटन स्थलों की पहचान के साथ पर्यटन विकास हेतु पर्यटकों को उपलब्ध पर्यटक स्थल व सुविधाओं के बारे में अवगत कराना, पर्यटक केन्द्रों पर अवसंरचना सम्बन्धी कमी को पूरा करना है, शुक्रताल भारत का अत्यन्त पौराणिक तीर्थ है, कालान्तर में शुक्रता से वर्तमान में शुक्रताल हो गया, मोक्ष व अमृत का संगम यही पौराणिक स्थल है, गृहात् प्रवजितोघीरः पुण्यतीर्थ जलप्लुतः। शुचै विविक्त आसीनो विधिवल्कल्पितासने।।
सामग्री और क्रियाविधि
द्वितीयक स्त्रोतों पर आधारित के साथ-साथ प्राथमिक आंकडों का स्थान विशेष कर सर्जन व धार्मिक गतिविधियों लाभार्जन , ‘‘वरीयानेषते प्रश्नः कृतोलोकहितंनृप। आत्मवित्सम्भवतःपुसांश्रोतव्यादिषुयःपरः।।‘’ अपने परम कल्याण, मोक्ष हेतु, धर्म लाभ हेतु तो जाये ही, साथ- ही-साथ इस पौराणिक नगरी का अस्तित्व कहीं नष्ट न हो जाये, स्थानीय निवासियों को रोजगार, रमणीय से भरपूर, आस्था से युक्त, नौकायान, गंगास्थान, पुरातन ढीले, प्रदूषण रहित एक हराभरा सभी सुविधाओं से युक्त पिकनिक पर्यटन का आनन्द भी है। उपरोक्त विशेषताओं के आधार पर ही इसके बारे में, अन्तकालेतुपुरूषआगतेगतसाहवसः। छिन्घादसंगशस्त्रेणस्पृहांदेहेऽनुयेचतम्।।
विश्लेषण

भौगोलिक विश्लेषणः-मुजफ्फरनगर जिले में शुक्रताल ग्राम पंचायत है जो मुजफ्फरनगर से 26 किमी0. दूरी पर स्थित है। शुक्रताल का अक्षांश 29.473096 और देशान्तर 78.0109764 शुक्रताल खादर के जिला मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) मोरना क्षेत्र का हिस्सा है। यहाँ पर कृषिगत भूमि है। मुख्यतः दोमट, चिकनी व जलोढ, रेतीली मिट्टी भी मिलती है। गंगा नदी में दल-दल की मात्रा काफी अधिक है।  

क्षेत्रीय विश्लेषण
जनपद मुजफ्फरनगर से मात्र सडक मार्ग से 26 किमी0. की दूरी पर मोरना-भोपा रोड पर पौराणिक नगरी शुक्रताल स्थित है, ऐतिहासिक तपोभूमि ‘‘समुद्वाराय तीर्थस्थ सततं मोक्षदायिनी’’ स्थल शुक्रताल का ऐतिहासिक महत्व यह है कि धरातल से लगभग 150 फीट की ऊँचाई पर स्थित पौराणिक अक्षयवट पच्पन हजार एक सौ दस वर्ष पुराना अक्षय वट वृक्ष है, जो आज भी विद्यमान है, वटवृक्ष के नीचे बैठकर ही शुकदेव जी ने अर्जुन के पौत्र तथा वीर अभिमन्यु के पुत्र तत्कालीन सम्राट राजा परीक्षित ने श्राप से मुक्ति प्राप्त करने के लिये ब्रह्मनिष्ठ, जीवनमुक्त, व्यासनन्दन, महर्षि शुकदेव जी की अमृतवाणी से पहली बार परम आह्लादकारिणी श्रीमद्भागवत कथा का सात दिन तक दिव्य उपदेशात्मक पान किया था। भगवत् में स्पष्ट कहा गया है, ‘‘तं सत्यमानन्दनिघिं भजते नान्यत्र सज्जेत यदात्मपातः’’ अतएवं अक्षय वट भी कथा के प्रभाव से अमर हो गये थे, इस वृक्ष पर शुक पक्षी भी मान्यतानुसार मोक्ष को प्राप्त करते है। देश-विदेश से कथावाचक वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर श्रद्वालुओं को विशेष आनन्द की अनुभूति कराते है।

दर्शनीय मन्दिर
1. श्रीशुकदेव मन्दिर - वटवृक्ष के ठीक नीचे पौराणिक शुकदेव जी का मन्दिर है, महाराज के चरण चिन्ह व परीक्षित का मंदिर भी पौराणिक काल से मौजूद है, मंदिर की धरोहर बचाये रखने हेतु इसका जीर्णाद अवश्य कराया गया है।
2. गायत्री मन्दिर - माता गायत्री जी के मन्दिर की नींव में देश-विदेशी श्रद्वालुओं ने एक करोड गायत्री मंत्र अनुष्ठान व कई करोड गायत्री मंत्र ग्रन्थ लिखकर नींव में स्थापित करवाये है।
3. हनुमान मन्दिर - महर्षि शुकदेव मन्दिर के दांये पाश्र्व में 72 फुट (1988 सेमी0.) ऊँची सिद्ध प्रतिमा है जिसके गर्भ में कई करोड राम नाम के जाप स्थापित है। साथ-साथ यज्ञशाला, देशी घी के लड्डू का प्रसाद यहां पर भोग के रूप में चढ़ता है।

4. गीता भवन - गीता भवन का निर्माण मंदिर परिसर में ही है, जिसमें एक साथ कई लाख श्रद्धालु, धर्माधिकारी व कथावाचकों द्वारा एक ही समय में लाभ प्राप्त कर सकते है।
5. संस्कृत महाविद्यालय व छात्रावास - संस्कृते वर्जनात नित्यं सस्वृतस्य भारत दुर्बलायते - संस्कृत ग्रन्थों की पहचान का एकमात्र उपाय है, निःशुल्क संस्कृत विद्यार्थी व छात्रावास निःशुल्क चलाया जाता है।

6. गणेश धाम - सन् 1988 ई0. में 35 फुट ऊँची अलौकिक गणेश प्रतिमा अपने आप में अद्वितीय व रमणीय प्रतिमा है।
गजाननं भूत गणाधिसेंवित, क जम्बूफल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकं, नमामि विघ्नेश्वर पाद् पंकजम्।।

7. शिवधाम व दुर्गाधाम - शुकदेव मन्दिर से लगभग एक किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में गंगा घाट के समीप 101 फुट ऊँची भगवान शंकर की प्रतिमा तथा निकट स्थित सिंह वाहिनी श्री माँ दुर्गा की 51 फुट ऊँची दर्शनीय प्रतिमा विराजमान है।

8. भेड़ाहेडी स्थल - पौराणिक मन्दिर व तक्षम वृक्ष जहां तक्षक और कश्यप वैद्य की भेंट हुई वहीं स्थान जो शुक्रताल से 7 किमी0. दूरी पर स्थित है और जहाँ से तक्षक ने कश्यप वैद्य को वापस किया था या मोडा था, वह स्थान मोड़ना जो बाद में मोरना के नाम से प्रचलित हुआ, भेड़ाहेडी स्थल को अब भूराहेडी के नाम से जाना जाने लगा, आज भी वहीं वृक्ष उपस्थित है।
9. नक्षत्र वाटिका व स्वामी कल्याण देव समाधि स्थल - नक्षत्र वाटिका में सभी राशियों से सम्बन्धित औषधि के पेड है, शाकुम्बरी देवी मंदिर, दण्डी आश्रम, पांडव मन्दिर, प्राचीन गंगा मन्दिर, एकादश शिवलिंग, यज्ञशालायें, नौका विहार, गीता भवन, मनोहर घाट, छात्रावास, धर्मार्थ औषधालय, मोक्षधाम, कल्याण भोजनालय, होटल, धर्मशाला, ए0टी0एम0, पुलिस, चिकित्सा सुविधायें आदि सभी सुविधायें उपलब्ध है।

क्षेत्र सम्बन्धित समस्यायें व निराकरण
पौराणिक व ऐतिहासिक धार्मिक नगरी (जनपद के निकट) होने पर भी इसका विकास नहीं हो रहा है। जिला की प्रशासनिक सेवाओं व सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि इस पौराणिक धरोहर का विकास करे, जिससे धरोहर तो बचेगी ही - साथ ही साथ रोजगार को बढावा मिलेगा।
भागवत् कथा की महत्ता का अभाव - आजकल युवा पीढ़ी को अपने पौराणिक ग्रन्थों की जानकारी ही नही है, स्वयं एक सर्वेक्षण के दौरान मेरे द्वारा पाया गया कि शुक्रताल के निवासी ही शुक्रताल की महत्ता को नहीं जानते है, युवाओं को अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता भी आवश्यक है, वन विभाग को भी ध्यान देना जरूरी है। वनों की कटाई पर प्रतिबंध हो, नये-नये वृक्षों को लगाया जाना चाहिये।

स्थानीय प्रशासन को पर्यटन सम्बन्धित कार्यक्रम, अखबार, डाक्यूमेन्ट्री व होर्डिंग, सेमीनार इत्यादि के माध्यम से जनता को पर्यटन के रूप में ‘शुक्रताल के प्रति पर्यटन’ जागरूकता कार्यक्रम करवाने की आवश्यकता है।
प्रस्तुत शोध में आंकडा नही दिया गया है। लेखक का मुख्य उद्देश्य पर्यटन हेतु पौराणिक नगरी का सबको दीदार करने मात्र व पर्यटन को बढावा देना है। 

निष्कर्ष
‘‘विलुप्त होता पौराणिक धरोहर का अस्तित्व’’ शोध का मुख्य उद्देश्य एक सांस्कृतिक, धार्मिक स्थल का अस्तित्व मिटता जा रहा है, जो समय रहते संरक्षित नहीं रखा गया, तब किसकी जिम्मेदारी थी, आने वाली पीढी का प्रश्न होगा। अतएवं हमारा सबका कर्तव्य बनता है, हम भ्रमण के लिये अल्प खर्च, दैनिक व पिकनिक के रूप में मन की शांति हेतु अपने नगर के समीप स्थलों का पर्यटन के रूप में बढ़ावा दे, जिससे भविष्य में रोजगार, हस्त शिल्प, स्थानीय प्रसिद्ध स्थलों को अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल भी बनाया जा सकता है, यह सब हमारे हाथ में है, कृपया मोक्ष प्राप्ति हेतु ही सही एकबार शुक्रताल आवश्यक जाये, निवेदन सहित शुक्रताल में पर्यटन हेतु बहुत कुछ है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. मुजफ्फरनगर पत्रिका। 2. शुक्रताल पत्रिका, अखबार, दैनिक जागरण, स्थानीय अखबार। 3. इण्टरनेट के माध्यम से। 4. muzaffarnagar.nic.in/tourist-place/shukarteerath-shukartaal/ 5. https://www.jatland.com/home/Shukartal_Khadar 6. timesofindia.indiatimes.com 7. www.wikipedia.ocom/shukartal 8. https://www.patrika.com/muzaffarnagar-news/shukratal-muzaffarnagar-name-change-to- shukrateerth-by-up-government-3460021/ 9. https://timesofindia.indiatimes.com/travel/destinations/shukratal-with-its-ancient-attractions- is-a-tourists-dream-come-true/as65624178.cms