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माध्यमिक स्तरीय विद्यार्थियों की हिंदी और अंग्रेजी व्याकरणिक दक्षता का तुलनात्मक अध्ययन | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Comparative Study of Hindi and English Grammatical Proficiency of Secondary Level | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
16407 Submission Date :
2022-09-19 Acceptance Date :
2022-09-21 Publication Date :
2022-09-25
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सारांश |
सीमित संसाधनों में किए गए प्रस्तुत शोधकार्य से किसी बड़े सामान्यीकरण की बात तो नहीं की जा सकती है; किंतु प्राथमिक रूप से शोध परिणामों के सार को इस प्रकार उल्लेखित किया जा सकता है -
1. माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की हिंदी और अंग्रेजी (दोनों भाषा) की व्याकरिणक दक्षता न्यून स्तर की है।
2. माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की हिंदी और अंग्रेजी व्याकरिणक दक्षता में कोई उल्लेखनीय मध्यमान अंतर नहीं है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | No big generalization can be made from the present research work done in limited resources; But primarily the essence of the research results can be mentioned as follows - 1. The grammar proficiency of Hindi and English (both languages) of secondary level students is of low level. 2. There is no significant mean difference between Hindi and English grammar proficiency of secondary level students. |
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मुख्य शब्द | माध्यमिक स्तर, व्याकरणिक दक्षता का तुलनात्मक अध्ययन, सामान्यीकरण। | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Secondary Level, Comparative Study of Grammatical Proficiency, Generalization. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना |
आज के युग में भाषिक दृष्टि से अद्यतन रहना विद्यार्थियों हेतु चुनौती भरा हो गया है। समय और समाज के साथ चलना है तो अपनी जिह्वा (मातृभाषा) पर तो अधिकार होना ही चाहिए, साथ ही किसी अन्य मानक भाषा में भी दक्षता चाहिए। भारतीय परिप्रेक्ष्य में बात करें तो हिंदी और अंग्रेजी; दोनांे भाषाओं में निपूर्णता होना, आज की अनिवार्यता हो गई है। यदि बात प्राथमिक स्तर की हो तो वहाँ मातृभाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाना चाहिए। जब बात माध्यमिक स्तर तक की हो तो एकाधिक भाषाओं को सीखना वक्त की जरूरत कही जा सकती है।
माँ!जी हाँ, माँ की छत्रछाया में रहकर शिशु जिस भाषा के अनुकरण से स्वतः अधिगम करता है, उसे मातृभाषा कहा जा सकता है। यहाँ ‘माँ’ शब्द का अर्थ मात्र जननी-धात्री से आगे जाकर पूरे कुटुंब तक व्याप्त है। कुटुंब के वे सारे सदस्य जो मातृवत् व्यवहार करते हुए भाषिक वातावरण सुलभ कराते हैं, वे सब माँ है। उनसे सीखी हुई भाषा मातृभाषा है। यही मातृभाषा कइयों के लिए प्रादेशिक और राजभाषा भी है।
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की हिंदी व्याकरणिक दक्षता का पता लगाना।
2. माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की अंग्रेजी व्याकरणिक दक्षता का पता लगाना।
3. माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की हिंदी और अंग्रेजी व्याकरणिक दक्षता का तुलनात्मक अध्ययन करना।
पारिभाषिक शब्दावली -
1. व्याकरणिक-इस शब्द का विश्लेषण है - वि + आ + करण + इक। व्याकरण वह शास्त्र है, जिसमें किसी भाषा के स्वरूप और रचना-विधान का विवेचन किया जाता है। इस प्रकार व्याकरणिक शब्द का अर्थ हुआ - किसी भाषा के रचना-विधान के ज्ञान से संबंधित।
2. दक्षता-इस शब्द के पर्याय है - पारंगतता, निपूर्णता और प्रवीणता। किसी कार्य विशेष में कुशल होने का भाव ही दक्षता है। |
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साहित्यावलोकन | माध्यमिक स्तर का विद्यार्थी (यदि राजस्थान के संदर्भ में बात करें) तो कम से कम दो मानक भाषाओं - हिंदी और अंग्रेजी में संवाद करना तथा संप्रत्ययों और विषयवस्तु का अवबोध करना आरंभ कर देता है। माध्यमिक स्तर के इन हिंदी माध्यम वाले विद्यार्थियों की इन भाषाओं की व्याकरणिक समझ कितनी है और किस स्तर की है? यही इस शोध में जानने का यत्न किया गया है। शोध.समस्या का औचित्य प्रत्येक शोध की समस्या का अवलंब उसका औचित्य होता है। औचित्य के आधार पर ही उस शोध की उपादेयता निर्भय करती है। यह शोध माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों पर किया गया है, अतः उन्हें अपनी व्याकरणिक अभिक्षमता का पता चल सकेगा। यह माध्यमिक स्तर पर शिक्षण कराने वाले भाषिक शिक्षकों को भी अपने विद्यार्थियों के भाषिक स्तर की जानकारी सुलभ कराएगा। इस शोध प्रकरण और इससे संबद्ध अन्य प्रकरणों पर व्यापक शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए यह प्रारूप और संबंधित साहित्य के रूप में उपयोगी सिद्ध होगा। |
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सामग्री और क्रियाविधि | सर्वेक्षण विधि वर्तमान स्थितियों का अध्ययन करने हेतु सर्वथा उपयुक्त होती है। अतः इस शोध की प्रकृति देखते हुए इसी सर्वेक्षण विधि का चयन किया गया। |
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न्यादर्ष |
उक्त रेखाचित्र के अनुसार उदयपुर जिले के कुल दस माध्यमिक विद्यालयों (पाँच राजकीय और पाँच निजी) का चयन करते हुए प्रत्येक विद्यालय से दस-दस विद्यार्थियों (पाँच छात्र और पाँच छात्राओं) का चयन किया। इस प्रकार कुल न्यादर्श सौ लिया गया। स्कूलों का चयन सोद्देश्य विधि से किया, जबकि छात्र-छात्राओं का चयन यादृच्छिक विधि से किया।
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प्रयुक्त उपकरण | इस शोध के लिए कोई मानक उपकरण उपलब्ध नहीं होने से हिंदी और अंग्रेजी व्याकरणिक दक्षता का पता लगाने हेतु भाषानुसार दो उपकरणों का निर्माण किया और उन्हें विशेषज्ञों से मानकीकृत कराया गया। |
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अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी | शोध में दत्तों के संकलन के पश्चात् उसका वर्गीकरण और विश्लेषण करते हुए मध्यमान सांख्यिकी का अनुप्रयोग किया गया। |
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परिणाम |
शोध परिणामों का सारणी और आरेख द्वारा प्रदर्शन- सारणी - एक और दो माध्यमिक स्तरीय विद्यार्थियों की क्षेत्रवार व्याकरणिक दक्षता
आरेख -एक और दो
सारणी-तीन माध्यमिक स्तरीय विद्यार्थियों की कुल व्याकरणिक दक्षता की तुलनात्मक स्थिति
आरेख- तीन
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निष्कर्ष |
शोध से प्राप्त दत्तों का वर्गीकरण करके विश्लेषण किया गया। तत्पश्चात् उनका मध्यमान निकालते हुए सारणीयन से प्रदर्शित किया। इन्हीं सारणियों से आरेख बनाए गए। दत्तों के इन आरेखों से सुस्पष्ट है कि हिंदी माध्यम वाले माध्यमिक स्तरीय विद्यार्थियों की हिंदी और अंग्रेजी व्याकरणिक दक्षता न्यून स्तर की है। इसके साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि इनकी हिंदी और अंग्रेजी व्याकरणिक दक्षता में कोई उल्लेखनीय मध्यमान अंतर नहीं है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. कुमार, डॉ. अरविन्द (2012), सम्पूर्ण हिन्दी व्याकरण और रचना, पटना: लूसेंट पब्लिकेशन।
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शब्दकोश
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