P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- IX , ISSUE- XII August  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
प्राथमिक विद्यालयो में कार्यरत शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य का लिंग एवं वैवाहिक स्तर के सम्बन्ध में अध्ययन
Study of Mental Health of Teachers Working in Primary Schools in Relation to Gender and Marital Level
Paper Id :  16445   Submission Date :  2022-08-13   Acceptance Date :  2022-08-20   Publication Date :  2022-08-25
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शान्तनु गौड़
सह-आचार्य
एम0एड0 विभाग
भगवान महावीर कॉलिज ऑफ एजुकेशन, जगदीशपुर
सोनीपत, हरियाणा, भारत
सारांश
शिक्षण को सबसे पुराने और महान व्यवसायों में से एक माना जाता है। शिक्षक के मूल्य और नौकरी के साथ उनकी पेशेवर चिंता में जबरदस्ती बदलाव आया है जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अध्ययन का उद्देश्य स्कूली शिक्षकों के लिंग और वैवाहिक स्थिति के संबंध में उनके मानसिक स्वास्थ्य का पता लगाना है। सोनीपत जिले (हरियाणा) के विभिन्न स्कूलों से 100 शिक्षकों का चयन किया गया था। शिक्षक मानसिक स्वास्थ्य स्केल का प्रयोग किया गया। यह पाया गया कि महिला शिक्षकों की तुलना में पुरुष शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा है। वैवाहिक स्थिति का शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Teaching is considered as one of the oldest and noblest professions. The value of teacher and their professional concern with the job have forcibly undergone a change which adversely affects their mental health. The study is aimed at finding the mental health of school teachers in relation to their gender and marital status. 100 teachers were selected from different schools of Sonipat district (Haryana). Teachers Mental Health Scale was used. It was found that male teachers posses good mental health in comparison to female teachers. Marital status has significant effect on the mental health of teachers.
मुख्य शब्द मानसिक स्वास्थ्य, वैवाहिक स्थिति, व्यवसाय।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Mental Health, Marital Status, Occupation.
प्रस्तावना
शिक्षण प्रक्रिया की सफलता मानसिक स्वास्यि पर ही निर्भर करती है। फ्रैंडसन ने लिखा है, ‘‘मानसिक स्वास्थ्य और सीखने में सफलता का बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध है।’’ इस कथन से यह स्पष्ट है कि शिक्षण प्रक्रिया में ‘शिक्षक’ और ‘बालक’ दोनों के मानसिक स्वास्थ्य का ठीक होना आवश्यक है। मानसिक रूप से स्वस्थ न होने पर बालक ठीक ढ़ंग से शिक्षा ग्रहण करने में सफल नहीं होगा और शिक्षक शिक्षण कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने में सफल नहीं होगा। अतएव शिक्षण प्रक्रिया की सफलता के लिए शिक्षक और बालक दोनों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होना आवश्यक है। मानसिक स्वास्थ्य का तात्पर्य वास्तविक जीवन में वातावरण में पर्याप्त सामंजस्य स्थापित करने की योग्यता से है। शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य एक दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं। शिक्षण प्रक्रिया को सफल बनाने हेतु शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों का मानसिक स्वास्थ्य ठीक होना आवश्यक है। छात्रों को मानसिक रूप से स्वस्थ्य बनाये रखने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति के लिए विद्यालय में जो भी कार्य होता है उसमें शिक्षक विशेष रूप से सहायक होता है अतएव शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य को भी ठीक रखना अत्यन्त आवश्यक है। जब तक शिक्षक स्वयं मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा तब तक छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति करने की आशा नहीं की जा सकती है। सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली में शिक्षक एक ऐसा व्यक्ति होता है जो शिक्षा प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने एवं प्रभावशाली परिणाम देने में सक्षम है। शिक्षक जिस विद्यालय में रहकर शिक्षण कार्य करता है उसका शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य पर स्वाभाविक रूप से प्रभाव पडता है। विशेष विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को तो और भी अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अतः वर्तमान समय में यह जानना अत्यन्त आवश्यक है कि विशेष विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर लिंग व वैवाहिक स्तर का क्या प्रभाव पड़ता है। अथवा ये दोनों किस प्रकार मानसिक स्वास्यि को प्रभावित करते हैं। प्रस्तुत समस्या का शीर्षक प्रस्तुत अध्ययन की समस्या इस प्रकार है- प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य का लिंग व वैवाहिक स्तर के सम्बन्ध में अध्ययन।
अध्ययन का उद्देश्य
1. प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत पुरुष एवं महिला शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य की तुलना करना। 2. प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर वैवाहिक स्तर के प्रभाव का अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन

बसु (2009) ने कॉलेज के शिक्षकों के मानसिक स्वास्यि पर लिंग के प्रभाव व वैवाहिक स्तर के प्रभाव का अध्ययन किया। विश्लेषण के पश्चात् ज्ञात हुआ कि पुरुष शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य, महिला शिक्षकों की तुलना में अधिक अच्छा है। साथ ही वैवाहिक स्थिति का मानसिक स्वास्थ्य पर सार्थक प्रभाव नहीं पड़ता है। दीवान व अन्य (2009) ने झारखण्ड के जनजातीय विद्यालय के शिक्षों के मानसिक स्वास्थ्य पर लिंग, धर्म एवं वैवाहिक स्तर के प्रभाव का परीक्षण किया। परिणामस्वरूप यह ज्ञात हुआ कि लिंग का प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर सार्थक रूप से पड़ता है। महिला शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य की तुलना पुरुष शिक्षकों से करने पर अत्यन्त निम्न पाया गया। धर्म का मानसिक स्वास्थ्य पर सार्थक प्रभाव प्राप्त हुआ।

दधानिया (2013) ने अपने अध्ययन में यह पाया कि लिंग एवं पारिवारिक संरचना का शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर सार्थक प्रभाव पड़ता है। पुरुष शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य महिला शिक्षकों की अपेक्षा अधिक अच्छा पाया गया।

सुभद्रा दास (2014) ने अपने अध्ययन में शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य औसत स्तर का पाया। ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों के शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य में सार्थक अन्तर पाया गया। साथ ही सरकारी व निजी विद्यालयों के शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य में सार्थक अन्तर पाया गया एवं नगरीय क्षेत्र के शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों की अपेक्षा अधिक अच्छा पाया। साथ ही विद्यालय के प्रकार का शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पाया गया।

भरत कुमार पंडा एवं अनूप मिश्रा (2022) ने प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अतिउच्च शिक्षित शिक्षकों की कार्य संतुष्टि का अध्ययन किया जिसमे पाया की प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अतिउच्च शिक्षित शिक्षकों की आर्थिक संतुष्टि 50 में से 21 शिक्षक औसत से अधिक आर्थिक संतुष्ट दिखाई देते हैं जबकि 29 शिक्षकों की आर्थिक संतुष्टि का स्तर औसत से कम संतुष्ट दिखाई पड़ती है । 

सामग्री और क्रियाविधि
प्रस्तुत शोध समस्या की विषय वस्तु की प्रकृति वर्णनात्मक अनुसंधान की है। इस कारण इस शोध हेतु सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है।
न्यादर्ष

प्रस्तुत शोध अध्ययन हेतु उद्देश्यपूर्ण न्यादर्शन विधि द्वारा सोनीपत शहर के 100 शिक्षकों का चयन न्यादर्श क रूप में किया गया है।

प्रयुक्त उपकरण प्रस्तुत अध्ययन में शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य के मापन हेतु शोधकर्त्री द्वारा स्वनिर्मित शिक्षक मानसिक स्वास्यि मापनी का प्रयोग किया गया है।
अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी

प्रस्तुत शोध में सांख्यकीय विधियों के अन्तर्गत निर्धारित उद्देश्यों के सन्दर्भ में मध्यमान, मानक विचलन व टी-मूल्य का प्रयोग किया गया।

विश्लेषण

प्रदत्तों का संकलन करने के उपरानत प्राप्त प्रदत्तों की उद्देश्यानुसार विश्लेषण एवं व्याख्या की गयी है। उद्देश्यों के आधार पर जो परिणाम निकलकर आये हैं वे निम्नलिखित हैं-

उद्देश्य 1- प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत पुरुष एवं महिला शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य की तुलना करना।

तालिका संख्या 1 के निरीक्षण से यह ज्ञात होता है कि पुरुष एवं महिला शिक्षकों में मानसिक स्वास्थ्य का मध्यमान क्रमशः 15.32 व 18.83 है। इन दोनों मध्यमानों के अन्तर का टी-मूल्य 3.23 है जो 0.01 स्तर पर सार्थक है। अतः यह शून्य परिकल्पना की विशेष विद्यालयों में कार्यरत पुरुष एवं महिला शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य में सार्थक अन्तर नहीं है’, अस्वीकृत की जाती है अर्थात् यह कहा जा सकता है कि पुरुष एवं महिला शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य में सार्थक अन्तर है। इस प्रकार पुरुष शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य महिला शिक्षकों की अपेक्षा अधिक अच्छा पाया गया है।

उद्देश्य 2- प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर वैवाहिक स्तर के प्रभाव का अध्ययन करना।

तालिका संख्या-2 के निरीक्षण से यह ज्ञात होता है कि वैवाहिक स्तर के आधार पर पुरुष एवं महिला शिक्षकों का मध्यमान क्रमशः 210.12 व 195.3 और मानक विचलन क्रमशः 11.97 व 17.81 है। इन दोनों मध्यमानों के अन्तर का टी-मूल्य 4.89 है जो 0.01 स्तर पर सार्थक है। अतः यह शून्य परिकल्पना कि विशेष विद्यालयों में कार्रूरत शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर वैवाहिक स्तर के आधार पर सार्थक अन्तर नहीं है।अस्वीकृत की जाती है तथा यह कहा जा सकता है कि पुरुष एवं महिला शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर वैवाहिक स्तर का सार्थक प्रभाव पड़ता है।

निष्कर्ष
शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करते समय उन्हें मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का भी प्रशिक्षण देना चाहिए। इससे शिक्षक मानसिक स्वास्यि विज्ञान के नियमों से परिचत हो सकेंगे और अपना मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रख सकने में समर्थ हो सकेंगे।
भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव शिक्षकों की समस्याओं को समझने के लिए विद्यालय के अधिकारियों को समय-समय पर बैठकों एवं सभाओं का आयोजन करना चाहिए। साथ ही सेमिनार, कार्यशाला व संगोष्ठियों का आयोजन भी किया जाना चाहिए। जिसमें उन्हें मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारियों से परिचित कराया जा सके।
1. शिक्षकों की दशाओं में सुधार किया जाना चाहिए, उन्हें उचित वेतन, भत्ते व आवास सम्बन्धी सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिए। एवं इनके पारिवारिक एवं सामाजिक समस्याओं का भी ज्ञान रखना चाहिए।
2. शिक्षकों को अत्यधिक कार्यभार न दिया जाए। अत्यधिक कार्यभार होने से शिक्षक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहते हैं जो कि उनकी मानसिक अस्वास्थता का कारण बनता है।
3. शिक्षकों की मानसिक अस्वस्थता को दूर करने के लिए विद्यालय में मनोवैज्ञानिक सहायता केन्द्र की व्यवस्था की जानी चाहिए।
अध्ययन की सीमा 1. प्रस्तुत शोध को केवल सोनीपत शहर में किया गया है।
2. प्रस्तुत शोध सोनीपत शहर के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को ही सम्मिलित किया गया है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. कैरल, ए0 हरबर्ट (1964), मेन्टल हाइजीन, प्रेन्टिस हाल न्यू जर्सी। 2. क्लीन, डी0बी0 (1956), मेन्टल हाइजीन, हेनरी हॉल्ट कम्पनी, न्यूयार्क। 3. कैपलन, लुईस (1959), मेन्टल हेल्थ एण्ड ह्यूमैन रिलेशन इन एजुकेशन, हार्पर एण्ड ब्रदर्स पब्लिशर्स, न्यूयार्क। 4. जायसवाल, सीताराम (2005), शिक्षा मनोविज्ञान, प्रकाशन केन्द्र, लखनऊ। 5. भटनागर, सुरेश (2006), शिक्षा मनोविज्ञान, आर0लाल0 बुक डिपो, मेरठ। 6. गुप्ता, एस0पी0 (2009), उच्चतर शिक्षा मनोविज्ञान, शारदा पुस्तक भवन, इलाहाबा। 7. सिंह, अरूण कुमार (2010), मनोविज्ञान, समाजशास्त्र तथा शिक्षा में शोध विधियाँ, दिल्लीः नरेन्द्र प्रकाश जेन, मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन। 8. भरत कुमार पंडा एवं अनूप मिश्रा (2022), प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अतिउच्च शिक्षित शिक्षकों की कार्य संतुष्टि का अध्ययन, International Journal of creative research thoughts (IJRCT), ISSN: 2320-2882, Volume 10, Issue 3 March 2022