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महिला सबलीकरण का यथार्थ सामाजिक एवं राजनैतिक पक्ष त्योंथर विधानसभा के विशेष संदर्भ में | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
The Real Social and Political Aspect of Women Empowerment With Special Reference To Tyonthar Vidhansabha | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
16898 Submission Date :
2022-12-02 Acceptance Date :
2022-12-21 Publication Date :
2022-12-25
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सारांश |
भारत के राष्ट्रीय राजनीति में महिलाओं का कारवां बढ़ रहा है, लेकिन विश्व आर्थिक मंच द्वारा जुलाई 2022 का प्रतिवेदन कहता है कि लैंगिक समानता की विश्व रैंकिंग में भारत 146 देशों में 135 स्थान पर खिसक गया है। डब्ल्यू.ई.एफ. ने इस गिरावट के पीछे भारत के राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति कमजोर होने को कारण बताया है। इस संदर्भ में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और आठ बार सांसद रही सुमित्रा महाजन ने कहा कि केवल चुनाव लड़ना राजनीति नहीं है, बल्कि राजनैतिक समझ रखना अधिक महत्वपूर्ण है। वर्ष 1926 में मद्रास प्रांतीय विधानपरिषद चुनाव में कमला देवी देश की पहली महिला प्रत्याशी बनी। वर्ष 1952 के पहले आम चुनाव से अब तक भारतीय संसद में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है व राज्यों की विधानसभाओं में भी महिलाओं के निर्वाचित होने संबंधी आँकड़ें प्राप्त हो रहे हैं। मध्य प्रदेश के राजनैतिक इतिहास में रीवा जिले का त्योंथर विधानसभा क्षेत्र अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। त्योंथर क्षेत्र प्राचीन समय से ही राजवंशीय राजनीति का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। महाभारत काल के भूरिश्रवा की विजायठ की कथा से लेकर आदिवासी राजा एवं बेन वंशीय राजाओं की कहानी, त्योंथर की कोलगढ़ी से जुड़ी है। इतिहासकार रामसागर शास्त्री की पुस्तक ‘केवटी की गढ़ी’ के अनुसार रीवा के महाराजा वीरसिंह ने सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में उत्तर की ओर राज्य विस्तार किया और प्रयागराज के अरैल झूँसी तक का इलाका वेणुवंशीय एवं छोटे राजाओं से जीतकर अपने अधिकार क्षेत्र में कर लिया। अतः स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में रीवा जिले की सामाजिक छाप के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले की सामाजिक संस्कृति का प्रभाव इस विधानसभा क्षेत्र के निवासियों के ऊपर प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The caravan of women in India's national politics is increasing, but a report by July 2022 report by the World Economic Forum says that India has slipped to 135th place out of 146 countries in the world ranking of gender equality. According to WEF, the reason behind this decline is the weakening of the position of women in the political sphere of India. In this context, Sumitra Mahajan, former Lok Sabha speaker and eight-time MP, said that only contesting elections is not politics, but it is more important to have political understanding. In the year 1926, Kamala Devi became the country's first woman candidate in the Madras Provincial Legislative Council elections. Since the first general election in the year 1952, till now the number of women in the Indian Parliament has been increasing and statistics regarding the election of women in the State Assemblies are also being received. In the political history of Madhya Pradesh, Teonthar assembly constituency of Rewa district occupies an important place. Tyonthar region has been an important center of dynastic politics since ancient times. From the story of Vijayath of Bhurishrava of Mahabharata period to the story of tribal kings and Ben dynasty kings, Tyonthar's Kolgarhi is related. According to historian Ramsagar Shastri's book 'Kevti Ki Garhi', Maharaja Veer Singh of Rewa expanded his kingdom northwards in the beginning of the 16th century and conquered the area up to Arail Jhunsi of Prayagraj from Venuvanshiya and smaller kings and brought it under his jurisdiction. Therefore, it is clear that along with the social impression of Rewa district in this area, the effect of social culture of Prayagraj district of Uttar Pradesh is directly visible on the residents of this assembly constituency. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | महिला, पुरुष, सबलीकरण, परम्परा, पिछड़ापन, भूमिका, राजनीतिक, सामाजिक सहभागिता, प्रतिनिधित्व, रूढ़िवाद, आरक्षण। | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Women, Men, Empowerment, Tradition, Backwardness, Role, Political, Social Participation, Representation, Conservatism, Reservation. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना |
देश की आजादी के लगभग आठ दशक पूरे होने वाले है परंतु समाज में जिस प्रकार से सामाजिक, राजनीतिक चेतना विकसित हो रही है, उसके सापेक्ष महिलाओं की स्थिति उतनी संतोषप्रद नहीं दिखाई देती। अतः वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की सामाजिक, राजनैतिक स्थिति, विकास और उनके सशक्तिकरण का सवाल अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्पष्ट है कि महिला सशक्तिकरण में समाज की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। किसी भी क्षेत्र का समग्र विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक उस क्षेत्र की राजनीति से लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे- क्षेत्रों में वहाँ की महिलायें सशक्त बनकर न उभर पायें। अनेक सरकारी प्रभावी नीतियों और योजनाओं के बावजूद हकीकत यह है कि महिलायें व्यावहारिक जगत में अभी भी विभिन्न प्रकार की सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं से जूझ रही हैं। निःसंदेह यह मानना होगा कि जब तक परिवार और समाज महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच के साथ आगे नहीं बढ़ेंगेे तब तक इनके विकास और सशक्तिकरण की बात करना महज एक कोरी कल्पना ही होगी। समाज में सभी महिला पुरुष को भारत के संविधान द्वारा एक समान समस्त मूलभूत अधिकार दिये गये हैं, परंतु किसी न किसी रूप में सामाजिक रूढ़िवादी मान्यताओं और विषमताओं के कारण महिलायें उन समान अधिकारों से वंचित रह जाती है। अतः इस वेशकीमती मुद्दे के समाधान की दिशा में सरकारी और गैर सरकारी व स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा लिंग भेद और महिलाओं से जुड़ी अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए स्थानीय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से सहयोग लेकर भी अपने स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है।
अवधारणात्मक विश्लेषणः-
सबलीकरण का आशय एक ऐसी प्रक्रिया से होता है जिसके तहत शक्तिहीन लोगों को अपने जीवन की परिस्थितियों को नियंत्रित करने के बेहतर अवसर मिले। इसका अभिप्राय केवल संसाधनों पर बेहतर नियंत्रण नहीं बल्कि उनके आत्मविश्वास में वृद्धि से भी है। इस प्रकार महिला सशक्तिकरण का अर्थ उनके द्वारा समाज की वर्तमान व्यवस्था तौर-तरीकों को चुनौती में समान अवसर राजनैतिक और आर्थिक नीतिनिर्धारण में समान भागीदारी, समान कार्य के लिए समान वेतन, कानून के तहत सुरक्षा आदि अधिकार से है।
1. डॉ. अरुण कुमार सिंह के अनुसार, ‘‘महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिला को शक्ति सम्पन्न बनाना ताकि वह सहजता से अपने जीवन-यापन की व्यवस्था कर सकें।’’
2. लीना मेहदेले के अनुसार, ‘‘सशक्तिकरण एक मानसिक अवस्था है, जो कुछ विशेष आंतरिक कुशलताओं और सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर है।’’
3. बीना अग्रवाल के अनुसार, ‘‘महिला सशक्तिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे दुर्बल एवं उपेक्षित लोगों (महिलाओं) के समूहों की क्षमता बढ़ें।’’
संक्षेप में महिला सबलीकरण के पक्ष में कहा जा सकता है कि महिलाएं अपने आप को निम्न आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक स्थिति में प्रभाव डालने वाले मौजूदा शक्ति संबंधों को बदलकर अपने पक्ष में कर सकें। महिला सबलीकरण से मूल तात्पर्य यह है कि महिला को आत्मनिर्भर बनाना है व समाज के सभी क्षेत्रों में समानता प्रदान करना है। अतः कह सकते हैं कि महिलाओं के सबलीकरण के लिए आवश्यक है कि पुरुष समाज, महिलाओं के साथ होने वाले भेद-भाव के विषय में जागरुक बनें।[1]
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अध्ययन का उद्देश्य | प्रस्तुत शोध का उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक, राजनैतिक प्रस्थिति का अध्ययन करना है ताकि यह ज्ञात किया जा सके कि इस क्षेत्र में वर्तमान परिस्थितियों में महिलाओं के सबलीकरण में मुख्य रूप से व्यावहारिक बाधाएं कौन-कौन सी हैं एवं इन बाधाओं के निदान हेतु क्या उपाय अपनाए जाने चाहिये ? अतः इस दिशा में प्रस्तुत शोध के उद्देश्य निम्न इस प्रकार हैं-
1. त्योंथर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के महिलाओं की राजनीतिक स्थिति का अध्ययन करना।
2. त्योंथर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत महिलाओं की सामाजिक स्थिति का अध्ययन करना।
3. त्योंथर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत महिलाओं के सबलीकरण की दशा का अध्ययन करना। |
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साहित्यावलोकन | प्रस्तुत शोध के संबंध में पूर्व में किए गए अध्ययनों
की समीक्षा करना भी महत्वपूर्ण होता है, जिसके आधार पर
संबंधित अध्ययन का निष्कर्ष प्राप्त करने में सुगमता होती है अतः इस परिप्रेक्ष्य
में विश्वकर्मा सम्पूर्णा (2014) ने अपने प्रकाशित शोध-पत्र
महिलाओं में राजनैतिक सहभागिता एक समाज शास्त्रीय अध्ययन (बुमरिहा पंचायत के विशेष
संदर्भ में) लिखा है कि महिला समाज की एक अभिन्न व महत्वपूर्ण अंग है। अतः महिलाओं
की सार्थकता को भी कभी नकारा नहीं जा सकता, चाहे वह हमारा
अतीत रहा हो, वर्तमान हो या भविष्य सभी काल महिलाओं के
अस्तित्व से प्रभावित होते हैं। इसी प्रकार शाही सविता (2014) ने भी अपने प्रकाशित शोध-पत्र उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में महिलाओं
की राजनैतिक सहभागिता में उल्लेख किया है कि भारतीय संविधान में महिलाओं को
पुरुषों के समान ही मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। इतना ही नहीं महिलाओं की
स्वतंत्र, सक्रिय, समान और सशक्त
राजनीतिक भागीदारी के सबलीकरण की जरूरत को भी रेखांकित किया गया है, किन्तु भारतीय राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी, भूमिका
व सक्रिय सहभागिता की गति अभी भी धीमी है। संबंधित शोध साहित्य का
विश्लेषणः- उपर्युक्त शोध साहित्य के अध्ययन से यह तथ्य स्पष्ट
होता है कि मनुष्य के जीवन को शासित करने के लिए आदिकाल से ही कौतूहल बना रहा है।
मानव सभ्यता के शुरूआत से ही शासन-प्रशासन पर नियंत्रण करने की होड़ और अतिशासन के
विरुद्ध संघर्ष आदिकाल से ही देखने को मिलते रहे हैं इसी तरह लोगों के अधिकारों का
हनन भी बहुत हुआ है, जिसमें विशेषतः महिलाओं ने कड़ा
संघर्ष करते हुए विभिन्न क्रिया-कलापों एवं राजनैतिक गतिविधियों में भागीदारी
निभाती रही अतः महिलाओं की राजनीतिक व सामाजिक प्रस्थिति आज भी शोध का विषय बना
हुआ है। |
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परिकल्पना | 1. महिलाओं की सामाजिक स्थिति में अभी भी पिछड़ापन विद्यमान है। 2. महिलाओं के राजनैतिक सबलीकरण हेतु और अधिक प्रयास किया जाना चाहिए। 3. लोकतंत्र की सफलता हेतु महिला पुरुषों के समान राजनैतिक सहभागिता उपयोगी तत्व है। 4. महिलाओं के सामाजिक, राजनैतिक रूप से पिछड़े होने की प्रमुख कारणों में यहाँ के समाज में व्याप्त रूढ़ियाँ हैं। 5. क्षेत्र के समाजसेवी संगठनों एवं सरकार के सदप्रयासों से महिला सबलीकरण की दिशा में कुछ सुधार परिलक्षित होने लगा है। |
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सामग्री और क्रियाविधि | प्रस्तुत शोध में तथ्य संकलन के द्वितीयक स्रोतों का प्रयोग किया गया है। जिसमें प्रमुख रूप से पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं समाचार-पत्रों भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट एवं जिला निर्वाचन कार्यालय रीवा से निर्वाचन संबंधी प्राप्त आँकड़ों के आधार पर विषय-वस्तु का अध्ययन किया गया है। |
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विश्लेषण | त्योंथर विधानसभा क्षेत्र
अंतर्गत महिला सबलीकरण सामाजिक पक्ष:- भारतीय समाज एक परम्परावादी समाज है, यहाँ महिलाओं की स्वतंत्रता व समानता के अधिकारों की बातें तो
बहुत होती है परंतु अधिकांश पुरुष तथा महिलायें भी महिलाओं की परम्परावादी घरेलू
छवि की ही अधिक पक्षधर होती हैं, यही कारण है कि आज भी
सामाजिक दृष्टि से महिलाओं के सार्वजनिक जीवन में प्रवेश को बहुत अच्छा नहीं माना
जाता है। अतः समय-समय पर प्राप्त आँकड़ों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में महिला
लिंगानुपात व शिक्षा की स्थिति प्रारंभ से ही बहुत कमजोर रही है। यह लिंग भेद यहाँ
की सामाजिक व्यवस्था का प्रमुख अंग बन चुका है, परिवार में
लड़कियों के साथ भेद-भावपूर्ण व्यवहार किया जाता है। लड़कियों को पराया समझकर उनका
लालन-पालन किया जाता है इससे उनके स्वतंत्र विकास में बाधा पहुँचती है। वर्तमान
में भारतीय समाज में महिलाओं को बराबर का अधिकार है। नौकरी, मजदूरी
आदि सभी क्षेत्रों में समान कार्य के लिए समान वेतन की नीतियाँ हैं।[2] समाज में महिलाओं की वास्तविक स्थिरित पर निरंतर शासन और चिंतक व मनीषियों
द्वारा विचार किया जा रहा है। यही कारण है कि अब इस दिशा में सार्थक परिणाम
प्राप्त होने लगे हैं जैसे विश्वसुंदरी सम्मान से लेकर प्रधानमंत्री पद तक,
राज्यपाल से राष्ट्रपति पद तक, विमान चालकों
से लेकर अंतरिक्ष यात्रियों तक सभी उन्नत तकनीकी क्षेत्रों में दूरभाष, दूरदर्शन के क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों के पंच-सरपंच के पदों में एवं
लोकसेवा व समाज सेवा के क्षेत्र में भी महिलाओं को अब पूर्ण अवसर प्राप्त हो रहा
है।[3] त्योंथर विधानसभा क्षेत्र
अंतर्गत महिला सबलीकरण राजनैतिक पक्ष:- महिलाओं के विकास का एकमात्र रास्ता उनकी राजनीतिक सहभागिता से खुलता है। त्योंथर विधानसभा निर्वाचन
क्षेत्र अंतर्गत विभिन्न निर्वाचनों में महिलायें अपने घर-परिवार की पूरी
जिम्मेदारी निभाते हुए मतदान केन्द्रों पर मतदान के लिए उनकी भीड़ राजनीतिक
सहभागिता की बुनियादी अभिव्यक्ति ही है जो किसी भी चेतना सम्मत जनतांत्रिक
राजनीतिक समाज के लिए अपरिहार्य है। त्योंथर विधानसभा निर्वाचनों के महिला व
पुरुषों के मतदान संबंधी आँकड़े निम्न हैं- तालिका क्रमांक-01 त्योंथर विधानसभा निर्वाचनों
में चुनावी वर्षवार मतदान संबंधी आँकड़ें (1957-2018)
स्रोतः- भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली। उपरोक्त तालिका से स्पष्ट होता है कि त्योंथर
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं के मतदान प्रतिशत
में प्रारंभ से ही कभी कमी देखी गई पंरतु 2018 के मतदान
संबंधी आँकड़े बताते हैं कि यहाँ महिलाओं के मत प्रतिशत में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की
गई जो कि पुरुषों के मत प्रतिशत से बहुत ज्यादा रहा। तालिका क्रमांक-02 त्योंथर विधानसभा निर्वाचनों
में महिला प्रत्याशी (1957-2018)
स्रोतः- जिला निर्वाचन कार्यालय, रीवा उपरोक्त तालिका से स्पष्ट होता है कि यहाँ 1957 से लेकर 1990 तक न तो किसी दल ने और
न ही निर्दलीय के रूप में महिलायें प्रत्याशी बन पाईं, वर्ष 1993
के विधानसभा निर्वाचन में एक महिला 2008 के
निर्वाचन में तीन महिलायें, 2013 के निर्वाचन में दो
महिलायें एवं 2018 के निर्वाचन में एक महिला प्रत्याशी बनी
परंतु पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की यह सक्रिय चुनावी सहभागिता महिला सबलीकरण की
दिशा व दशा पर प्रश्न चिन्ह् लगाता है। तालिका क्रमांक-03 त्योंथर विधानसभा निर्वाचन
क्षेत्र अंतर्गत दलवार महिला प्रत्याशी (1957-2018)
स्रोतः- जिला निर्वाचन कार्यालय, रीवा उपरोक्त तालिका दलवार प्रत्याशी से स्पष्ट होता है कि
इस विधानसभा क्षेत्र से किसी भी बड़े व राष्ट्रीय राजनीतिक दल द्वारा किसी भी महिला
को अपना प्रत्याशी बनाने में किसी भी निर्वाचन वर्ष में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
बशर्तें वर्ष 2018 के निर्वाचन में बहुजन समाज
पार्टी द्वारा महिला को अपना प्रत्याशी बनाया। अतः कहा जा सकता है कि इस क्षेत्र
में राजनैतिक दलों द्वारा महिलाओं के प्रति चुनावी राजनीति में घोर उदासीनता
व्याप्त है। |
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निष्कर्ष |
माना जाता है कि प्राचीनकाल के भारत में महिलाओं की स्थिति आज के समय से बेहतर थी। प्राचीनकाल में महिलायें पुरुषों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर समाज के हर क्षेत्र में काम करती थीं, प्राचीनकाल के महिला स्थिति के विषय में कहा जाता है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।’ अर्थात् जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का वास होता है। परंतु आज के इस आधुनिक काल कहे जाने वाले समय में भी अब महिलाओं की स्थिति प्राचीनकाल की तुलना में बहुत दयनीय हो गई है, अतः यही कारण है कि आज का समाज महिलाओं के सबलीकरण पर विचार कर रहा है और यह प्रायस किया जा रहा है कि महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके।
यदि भारत को निकट भविष्य में एक विकसित देश बनाना है तो इसके लिए परम आवश्यक है कि समाज की महिलाओं के सबलीकरण के लिए आगे आना होगा। महिला सबलीकरण से तात्पर्य है महिलाओं को सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक क्षेत्रों में पुरुषों के समान भागीदार बनाया जाय। |
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अध्ययन की सीमा | प्रस्तुत शोध मध्य प्रदेश के रीवा जिला अंतर्गत त्योंथर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की महिलाओं का सामाजिक व राजनैतिक सबलीकरण का अध्ययन है, अतः यह शोध त्योंथर विधानसभा क्षेत्र के भौगोलिक, सामाजिक व राजनीतिक परिधि तक सीमित है। | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1.mpgkpdf.com
2. शैलेन्द्र कुमार भारल, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण महिलाओं के विशेष संदर्भ में रचना, द्विमासिक अंक 113-114 मार्च व जून 2015, मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग एवं हिन्दी ग्रंथ अकादमी भोपाल, पृ. सं. 56
3. प्रो. वी.एन. सिंह, विंध्यक्षेत्र में महिलाओं की प्रस्थिति (समस्याएं, समाधान) स्मारिका शोध-पत्रों का सारांश 2008, शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय, रीवा पृ. सं. 21
4. भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली की आधिकारिक बेवसाइट।
5. जिला निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त आँकड़े। |