ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- VII , ISSUE- II March  - 2022
Innovation The Research Concept
कोरोना महामारी के दौरान इण्टरनेट प्रयोग व शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्यः समस्या व सुझाव
Internet Use and Physical, Mental Health during The Corona Epidemic: Problems and Suggestions
Paper Id :  15872   Submission Date :  2022-03-07   Acceptance Date :  2022-03-18   Publication Date :  2022-03-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.
For verification of this paper, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/innovation.php#8
रीता श्रीवास्तव
एसोसिएट प्रोफेसर
शिक्षा प्रशिक्षण विभाग
आचार्य नरेंद्र देव महापालिका महिला महाविद्यालय
कानपुर,उत्तर प्रदेश, भारत
अन्नू वर्मा
शोधार्थी
शिक्षा प्रशिक्षण विभाग
आचार्य नरेंद्र देव महापालिका महिला महाविद्यालय
कानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश
कोविड-19 एक वैश्विक महामारी है, जिसने व्यक्ति के जीवन के सभी पहलुओं शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक क्षेत्र को क्षति पहुँचायी है। इसके अतिरिक्त शिक्षा का क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है। कोविड-19 के दौरान आॅनलाईन शिक्षा होने के कारण बच्चों के शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ा है। अतः प्रस्तुत लेख के अन्तर्गत विद्यार्थियों के इण्टरनेट अधिक प्रयोग करने तथा उनसे उत्पन्न होने वाले शारीरिक व मानसिक समस्याओं की चर्चा की गयी है तथा इन समस्याओं के निराकरण हेतु उपयुक्त सुझाव भी दिये गये है जो विशेष रूप से विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों हेतु लाभदायक हो सकते है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद COVID-19 is a global pandemic that has affected all aspects of a person's life – physical, mental, social, economic. Apart from this, the field of education has also been affected. Due to online education during Covid-19, the physical, mental health of children has been especially affected. Therefore, under the present article, the physical and mental problems arising out of students are discussed more and the physical and mental problems arising from them have been discussed and suitable suggestions have also been given to solve these problems which can be especially beneficial for students, teachers, parents.
मुख्य शब्द कोविड-19, इण्टरनेट प्रयोग, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Covid-19, Internet Usage, Physical Health, Mental Health.
प्रस्तावना
कोविड-19 एक वैश्विक महामारी है, जिसने व्यक्ति के न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को अपितु मानसिक स्वास्थ्य को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है, इसके अतिरिक्त इस महामारी के दौरान समस्त सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक व्यावसायिक क्षेत्रों को क्षति पहुँची है तथा अनेक समस्याऐं वर्तमान में उभर कर सामने आयी है। जिससे व्यक्ति प्रभावित है विशेषकर शैक्षिक क्षेत्र से। शिक्षा मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण अंग है जिसके अभाव में मनुष्य जीवन अपूर्ण है। कोरोना महामारी के दौरान शैक्षिक क्षेत्र मे अनेक समस्याऐं उत्पन्न हुयी उन समस्याओं के समाधान हेतु शिक्षा का डिजिटलाइजेशन किया गया और कक्षाऐं ऑनलाइन चलायी गयी, जिससे विद्यार्थियों को कोई असुविधा न हो तथा शिक्षा के सभी स्तरों पर इसकी व्यवस्था की गयी परन्तु एक तरफ ऑनलाइन शिक्षा ने विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़े रखा वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन कक्षाओं व इण्टरनेट के अधिक प्रयोग के कारण बच्चों में शारीरिक व मानसिक समस्याऐं, परिलक्षित होने लगी। अतः अधिक इण्टरनेट का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए उसी प्रकार हानिकारक है जिस प्रकार किसी दवाई का अधिक प्रयोग व्यक्ति के स्वास्थ्य को क्षति पहुँचाती है।
अध्ययन का उद्देश्य
कोविड-19 के दौरान जब लाॅकडाउन हुआ तब सरकार द्वारा सभी को कुछ महत्वपूर्ण निर्देशों का पालन करना पड़ा जिससे व्यक्ति को समाज-दुनिया से विलग घर पर ही रह कर अपने कार्य करने पड़े। इस दौरान व्यक्ति को अपने कार्य व समाज-दुनिया से जोड़ने हेतु इण्टरनेट एक आवश्यक साधन बन गया साथ ही साथ व्यक्ति मोबाइल, लैपटाॅप का अधिक प्रयोग करने लगे तथा उसे अपने मनोरंजन का साधन मानने लगे। बिजनेस स्टेण्र्डड ई पत्रिका में लाॅकडाउन के समय भारत में इण्टरनेट प्रयोग से सम्बन्धित कुछ आंकड़े प्रस्तुत किये जिसमें औसतन 40% व्यक्ति इण्टरनेट का प्रयोग कर रहे है, जिसमें शहरी क्षेत्रों में 54% तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 32% इण्टरनेट का प्रयोग किया जा रहा है। यदि हम लिंग के अनुसार इण्टरनेट प्रयोग की स्थिति देखे तो वर्तमान समय में शहरी क्षेत्रों में पुरूषों द्वारा 60% तथा महिलाओं द्वारा 40% इण्टरनेट का प्रयोग किया जा रहा है वही ग्रामीण क्षेत्रों में पुरूषों द्वारा 69% तथा महिलाओं द्वारा 31% इण्टरनेट का प्रयोग किया जा रहा है। व्यक्ति प्रतिदिन 4 घण्टे इण्टरनेट का प्रयोग कर रहा है। उपर्युक्त आंकड़ों को ग्राफ द्वारा समझा जा सकता है
साहित्यावलोकन
1. बच्चों की आनलाईन कक्षा हेतु एक निश्चित समय निर्धारित करें व समय-समय पर उन्हें बे्रक दें। 2 कक्षाऐं बहुत लम्बे समय तक न चलायी जाय। 3. शिक्षक बच्चों को ज्यादा से ज्यादा सृजनात्मक कार्य दे। 4. शिक्षकों द्वारा बच्चों को इण्टरनेट अधिक प्रयोग करने से होने वाली हानियों की जानकारी देनी चाहिए। 5. शिक्षकों को पाठ्यक्रम में बच्चों के माता-पिता का भी सहयोग लेना चाहिए। 3- विद्यार्थियों हेतु सुझाव- विद्यार्थियों हेतु निम्नलिखित सुझाव इस प्रकार हैः- 1. आनलाईन कक्षा के उपरान्त विद्यार्थी अधिक मोबाइल व लैपटाॅप का प्रयोग न करे। 2. विद्यार्थियों को पर्याप्त समय अपने स्वास्थ्य व परिवार को देना चाहिए। 3. विद्यार्थियों द्वारा नियमित दिनचर्या अपनायी जाय तथा नियमित व्यायाम व योग किया जाना चाहिए। 4. सोते समय मोबाइल का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। 5. अनावश्यक रूप से इण्टरनेट का प्रयोग न करने तथा बच्चे घर के कार्य में माता-पिता का हाथ बटायें।
मुख्य पाठ

वर्तमान समय में देखा जाय तो बच्चे अधिक से अधिक अपना समय मोबाईलकम्प्यूटरलैपटाॅप पर बिताने लगे है कक्षाओं की समाप्ति के पश्चात् भी वे घण्टों इण्टरनेट का प्रयोग कर रहे हैजिससे उनमे अनेक शरीरिक व मानसिक बिमारियाँ उत्पन्न हो रही है तथा साथ ही साथ उनका पारिवारिक व सामाजिक जीवन भी प्रभावित हो रहा है।

बच्चों के माता-पिता एक तरफ तो निश्चिंत हो गये कि इस महामारी में भी बच्चों की कक्षाएंे चल रही है परन्तु दूसरी तरफ बच्चों के व्यवहार में परिर्वतन होने के कारण अभिभावक चिन्तित भी होने लगे हैबच्चे अक्रामकचिड़चिड़ेजिद्दी होने लगे है तथा उनके स्क्रीनिंग का समय भी बढ़ गया है तथा अनेक समस्याऐं जैसे-अनिद्रासिरर्ददबदन दर्दआँखों में दर्दभुख की इच्छा की समाप्ति आदि ऐसे लक्षण दिखायी देने लगे है। अतः समस्या बहुत ही गंभीर हो गयी है। जहाँ बच्चे पहले प्राकृतिक खेल खेला करते थेवर्तमान में विडियों गेम्स् खेलते हैसोशल साइट्स का अधिक प्रयोग करते हैउन्हें परिवार के सदस्यों से कोई मतलब नहीं होता। अतः यह आवश्यक है कि इस समस्या को गंभीरता से लिया जायें परन्तु सर्वप्रथम यह जानना आवश्यक है कि बच्चों में इस महामारी के दौरान इण्टरनेट का अधिक  प्रयोग करने के कारण किस प्रकार की शारीरिक व मानसिक समस्याऐं उत्पन्न हुयी है -

शारीरिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या:- शारीरिक स्वास्थ्य को समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है। शारीरिक रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति थकान अनुभव किये बिना विभिन्न गतिविधियों को सफलतापूर्वक कर सकता है तथा इन गतिविधियों को सफलता पूर्वक कर अन्य कार्यों को करने हेतु भी ऊर्जा बनी रहती है। शारीरिक स्वास्थ्य की परिभाषा इस प्रकार है:-

मुहाजिर के अनुसार “शारीरिक स्वास्थ्य से तात्पर्य शरीर की थकान के बिना विभिन्न गतिविधियों से अनुकूलन की क्षमता है।

अतः  इस प्रकार स्पष्ट रूप से कहाँ जा सकता है कि शारीरिक स्वास्थ्य से तात्पर्य शारीरिक रोगों की अनुपस्थिति से है। इण्टरनेट का अधिक प्रयोग बच्चों द्वारा किये जाने पर उनमें अनेक शारीरिक समस्याऐं उत्पन्न हो रही हैजो इस प्रकार है ‘-

माइग्रेन : घंटों लैपटाप या मोबाइल के प्रयोग के कारण बच्चों में माइग्रेन की समस्या उत्पन्न हो रही है। कई उपयोगकर्ताओं में यह गंभीर समस्या बन चुकी है। अतः इण्टरनेट का प्रयोग कम से कम करने की सलाह दी जाती है।

नेत्र दृष्टि पर प्रभाव : व्यक्ति जितने अधिक समय तक इण्टरनेट  प्रयोग करता है डिवाइस से निकलने वाली हानिकारक किरणें उसके नेत्र दृष्टि पर बुरा-प्रभाव डालती है। अतः यह समस्या गंभीर भी हो सकती है।

पीठ दर्द : अधिक समय तक  विद्यार्थी कुर्सी पर बैठ कर इण्टरनेट का प्रयोग करते हैअतः एक ही स्थिति में देर तक बैठे रहने के कारण शरीर में दर्द व पीठ दर्द की समस्याऐं देखने को मिल रही है।

वजन बढ़ना : कोविड-19  के दौरान बच्चे बाहर  खेलने के बजाय घर पर ही आॅनलाईन गेम्स खेलते है व शारीरिक गतिविधियों में भाग न लेने के कारण वजन बढ़ने की समस्या भी परिलक्षित हो रही है।

अनिद्रा : बच्चे वर्तमान समय में अपने मोबाइल को स्वयं के साथ सोते समय भी रखते है तथा बार-बार उन्हें मोबाइल पर आने वाले सन्देश को जानने की इच्छा रहती हैअतः सोते समय मोबाइल प्रयोग करना बच्चों के सोने की प्राकृतिक प्रक्रिया को रोकता है। अतः बच्चों में अनिद्रा की समस्या भी पायी गयी है।

भूख न लगना : घंटों इण्टरनेट प्रयोग करने के कारण बच्चें हो या बूढ़े सभी में भूख न लगने की समस्या उत्पन्न हो रही हैजिसका प्रभाव उनके शरीर पर पड़ने लगा है। 

मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या : मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य मानसिक रोगों की अनुपस्थिति नहीं है अपितु यह मनुष्य के दैनिक जीवन का सक्रीय व निश्चित गुण है। यह गुण उस व्यक्ति के व्यवहार में दिखायी देता है जिसका शरीर व मस्तिष्क दोनो एक ही दिशा में कार्य करती है। अतः मानसिक स्वास्थ्य समायोजन की वह प्रक्रिया है जिसमें समझौतासांमजस्यविकास व निरन्तरता का समावेश रहता है।

WHO के वांक चिश्होम के अनुसार - “बगैर मानसिक स्वास्थ्य के सच्चा शरीरिक स्वास्थ्य नहीं हो सकता।

अतः इण्टरनेट का अधिक प्रयोग व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता हैजिससे व्यक्ति में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही है। सफदरगंज अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ- डा0 पंकज कुमार के अनुसार, “कुछ स्टडीज के मुताबिक अगर बच्चें या किशोर 6 से 7 घण्टे स्क्रीन पर रहते है तो उन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकता हैउनमें आत्मसंयम की कमीभावनात्मक स्थिरता न होनाध्यान केन्द्रित न कर पानाआसानी से दोस्त नहीं बना पाना जैसी समस्या हो सकती है।

इण्टरनेट के अधिक प्रयोग से निम्न प्रकार की मानसिक समस्याएँ उत्पन्न हो रही है जो इस प्रकार है:-

तनाव व चिड़चिड़ापनइण्टरनेट का अधिक प्रयोग बच्चों मे तनाव व चिड़चिड़ापन उत्पन्न कर रहा है। आनलाईन कक्षाएंलम्बे समय तक चलने के कारण तथा प्राकृतिक वातावरण न मिलने के कारण बच्चों में तनाव व चिड़चिड़ापन उत्पन्न हो रहा है।

अवसाद व चिन्ता: इण्टरनेट की लत का शिकार बन चुके बच्चों व युवाओं मंे अवसाद का खतरा बढ़ता जा रहा है। “डेली मेल“ समाचार पत्र के अनुसार चीन के एक शोध अध्ययन में 15 वर्ष से अधिक आयु के एक हजार विद्यार्थियों में लगभग 8ः बच्चे इण्टरनेट की लत के कारण अवसाद के शिकार हो चुके है।

क्रोध : बच्चे कोविड महामारी के दौरान सामाजिक गतिविधियों से दूर हो रहे है। उपयुक्त वातावरण न मिलने व अधिक से अधिक समय मोबाइल व लैपटाॅप पर रहने के कारण उनका व्यवहार क्रोधी हो चुका है तथा माता-पिता उनके इस व्यवहार से परेशान है।

अन्य गंभीर मानसिक समस्याऐं : कई शोध पत्रिकाओं के अनुसार कोविड महामारी के इस दौरान इण्टरनेट की लत होने से बच्चों में आत्म संयमजिज्ञासा में कमीअकेलापन भावनात्मक अस्थिरताआत्मविमोहअतिचचंलतामोबाइल एडिक्शन जैसी गंभीर मानसिक बिमारियाँ जन्म ले रही है।  

विश्लेषण

भारत में इण्टरनेट प्रयोग का आंकड़ा (अप्रैल से मई 2021)

All India

40%

Urban

54%

Rural

32%


इण्टरनेट प्रयोग की आवृत्ति (अप्रैल से मई 2021)

Urban

77%

Rural

61%


लिंग के आधार पर इण्टरनेट प्रयोग की स्थिति (अप्रैल से मई 2021)

All India

Male

35%

Female

65%



Urban

Male

40%

Female

60%




Rural

Male

31%

Female

69%


स्मार्ट फोन पर बिताया गया समय (अप्रैल से मई 2021)

परिणाम

कोविड - 19 के समय बच्चों के इण्टरनेट प्रयोग के कारण होने वाले शारीरिक व  मानसिक समस्या  सम्बन्धी सुझाव  इस प्रकार है:-

माता-पिता हेतु सुझाव- बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य हेतु माता-पिता का सहयोग अत्यन्त आवश्यक है। अतः माता-पिता हेतु निम्नलिखित सुझाव इस प्रकार है:-

  1. माता-पिता 18 महीने से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन प्रयोग न करने दे।
  2. माता-पिता बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाले कार्यक्रम दिखाये।
  3. 2 से 5 वर्ष के बच्चें को माता-पिता 1 घण्टें से अधिक स्क्रीन प्रयोग न करने दे।
  4. 6 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे को स्क्रीन देखने का उचित समय निर्धारित करे तथा यह भी ध्यान दे कि वह क्या कर रहे है।
  5. खाली समय में बच्चों को माता-पिता कुछ कार्य देते रहे जिससे वह व्यस्त रहे।
  6. माता-पिता बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताये तथा उनके साथ मनोरंजक खेल खेले।
  7. बच्चों को संतुलित भोजन कराये व उनके पोषण का ख्याल रखें।
  8.  ऑनलाईन कक्षाओं में माता-पिता भी बच्चों का सहयोग करें।

शिक्षकों हेतु सुझावः- शिक्षकों हेतु निम्नलिखित सुझाव इस प्रकार हैः-

  1. बच्चों की ऑनलाईन कक्षा हेतु एक निश्चित समय निर्धारित करें व समय-समय पर उन्हें ब्रेक दें।
  2. कक्षाऐं बहुत लम्बे समय तक न चलायी जाय।
  3. शिक्षक बच्चों को ज्यादा से ज्यादा सृजनात्मक कार्य दे।
  4. शिक्षकों द्वारा बच्चों को इण्टरनेट अधिक प्रयोग करने से होने वाली हानियों की जानकारी देनी चाहिए।
  5. शिक्षकों को पाठ्यक्रम में बच्चों के माता-पिता का भी सहयोग लेना चाहिए।

विद्यार्थियों हेतु सुझाव:- विद्यार्थियों हेतु निम्नलिखित सुझाव इस प्रकार हैः-

  1. ऑनलाईन कक्षा के उपरान्त विद्यार्थी अधिक मोबाइल व लैपटॉप का प्रयोग न करे।
  2. विद्यार्थियों को पर्याप्त समय अपने स्वास्थ्य व परिवार को देना चाहिए।
  3. विद्यार्थियों द्वारा नियमित दिनचर्या अपनायी जाय तथा नियमित व्यायाम व योग किया जाना चाहिए।
  4. सोते समय मोबाइल का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  5. अनावश्यक रूप से इण्टरनेट का प्रयोग न करने तथा बच्चे घर के कार्य में माता-पिता का हाथ बटायें।

निष्कर्ष
उपर्युक्त सुझाव के आधार पर बच्चों के इण्टरनेट अधिक प्रयोग करने पर उत्पन्न शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है। यह लेख न केवल विद्यार्थियों हेतु अपितु माता-पिता सभी के लिए लाभदायी हो सकता है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. कपिल, एच0के0 (2006), अनुसन्धान विधियाँ, एच0पी0 भार्गव बुक हाउस, आगरा, पृ0सं0- 61-62। 2. कुलश्रेष्ठ, एस0पी0 (2007), शैक्षिक तकनीकी के मूल आधार, अग्रवाल पब्लिकेशन, आगरा, पृ0सं0- 545-546। 3. पाठक, पी0डी0 (2010), शिक्षा मनोविज्ञान, अग्रवाल पब्लिकेशन, आगरा, पृ0सं0- 440-441। 4. बेस्ट, जे0 डब्लू, काँहन, जे0वी0, झाँ, ऐ0के0 (2006), रिसर्च इन एजुकेशन, टेन्थ एडिशन, पियर्सन एजुकेशन पब्लिकेशन, नोयडा, उ0प्र0, पृ0सं0- 13 -15। 5. गोयल, जी0, शुभ्रमन्यम, ए0, कामनाथन, आर0 (2013), ए स्टडी आन द प्रिविलेन्स आॅफ इण्टरनेट एडिक्शन एण्ड इट्स एसोएिशन विथ साॅइकापैथोलाॅजी इन इण्डियन एडोलिसेन्ट्स, इण्डियन जर्नल आॅफ सोइकेट्री, vol. no.- 55(2) retrived from https://www.indianjpsychiatry.org/article. 6. सिंह, संजय (2006), हिन्दी माध्यम एवं अंग्रेजी माध्यम के माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं की सामाजिक परिपक्वता, संवेगात्मक परिपक्वता एवं मानसिक स्वास्थ्य का तुलनात्मक अध्ययन, पी0एच0डी0 थीसिस, शिक्षा संकाय, कानपुर, वि0वि0, उ0प्र0। 7. https://www.statista.com/topics/2157/internet-usage-in-india/23 8. https://en.wikipedia.org/wiki/Social_competence 9. https://www.developgoodhabits.com/good-study-routine 10. https://www.indianjournals.com