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डी0एल0एड0 प्रशिक्षण महाविद्यालयों में प्रशिक्षणरत् डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं की शैक्षिक आकांक्षा का अध्ययन |
Study of Educational Aspiration of D.El.Ed Trainees Undergoing Training in D.El.Ed Training Colleges |
Paper Id :
16949 Submission Date :
2022-12-09 Acceptance Date :
2022-12-22 Publication Date :
2022-12-25
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देश दीपक
शोधार्थी
शिक्षा विभाग
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय
कानपुर नगर,उत्तर प्रदेश - भारत
रश्मि गोरे
सह आचार्या
शिक्षा विभाग
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय
कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश - भारत
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सारांश
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शिक्षा बालक का सर्वांगीण विकास करती है एवं राष्ट्र के लिए एक अच्छा नागरिक बनाने का कार्य करती है। प्राथमिक शिक्षा, शिक्षा की आधारशिला है। बालकों के सर्वांगीण विकास करने में शिक्षकों की विशेष भूमिका होती है। 6 से 12 वर्ष की अवस्था विकास के सन्दर्भ में अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है, जब शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, गामक, चारित्रिक आदि सभी पक्षों का विकास होता है। डी0एल0एड0 प्रशिक्षण द्वारा प्रशिक्षुओं को बालकों के उत्कृष्ट शिक्षण हेतु शिक्षित किया जाता है जिससे वे देश के भावी नागरिकों का निर्माण कर सकें। उच्च शैक्षिक आकांक्षायें सफलता प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाती है। ये अभिप्रेरित करती हैं तथा श्रेष्ठ प्रदर्शन करने हेतु अनवरत् प्रयत्न कराती है। निम्न शैक्षिक आकांक्षायें होने पर मानसिक सामथ्र्य का सम्पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता। शैक्षिक आकांक्षायें तथा सामथ्र्य में उपयुक्त सामंजस्य होना आवश्यक है। अन्यथा तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जो कुसमायोजन का कारण होती है। प्रस्तुत शोध में 100 न्यादर्श पर आधारित डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं की शैक्षिक आकांक्षा में उनके लिंग भेद के आधार पर सार्थक अन्तर पाये गये।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद |
Education leads to the all-round development of the child and works to make a good citizen for the nation. Primary education is the cornerstone of education. Teachers have a special role in the all-round development of children. The stage of 6 to 12 years is very important in terms of development, when all aspects like physical, mental, emotional, galactic, character etc. develop. Through D.El.Ed. training, trainees are educated for the excellent education of children so that they can create future citizens of the country. Higher educational aspirations play a leading role in achieving success. They motivate and strive relentlessly to excel. Mental capacity is not fully utilized when there are low educational aspirations. There must be a proper harmony between academic aspirations and capabilities. Otherwise, a state of stress arises which causes disinterest. In the research presented, meaningful differences were found in the educational aspirations of D.El.Ed. trainees based on their gender differences. |
मुख्य शब्द
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डी0एल0एड0 प्रशिक्षण महाविद्यालय, प्रशिक्षण, डी0एल0एड0 प्रशिक्षु एवं शैक्षिक आकांक्षा। |
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद |
D.El.Ed. Training College, Training, D.El.Ed. Trainee & Educational Aspiration. |
प्रस्तावना
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प्रकृति की सर्वोत्कृष्ट कृति शिशु को परिष्कृत कर मानव बनाने का कार्य शिक्षक का होता है, यदि अध्यापक की कृति बिगड़ जाए तो उसका परिणाम सारे समाज व राष्ट्र को भुगतना पड़ता है। अच्छे अध्यापक के बिना सर्वोत्तम शिक्षा प्रणाली असफल हो जाती है (कुमार, 2020)। समाज में शिक्षा का स्तर अध्यापक के गुणों पर निर्भर करता है और अध्यापक के गुण उसके प्रशिक्षण पर निर्भर करते हैं। शिक्षा की गुणवत्ता व्यक्ति की क्षमता को बढ़ाती है, व्यक्ति की क्षमता राष्ट्रभक्ति को बढ़ाती है। अतः शिक्षक-प्रशिक्षण का सीधा संबंध राष्ट्रीय विकास और राष्ट्रीय जीवन स्तर के सुधार के साथ है (कुमार, 2020) क्योंकि प्रशिक्षण के पश्चात् यही शिक्षक विद्यालय में जाकर बच्चों के भविष्य को आकार देते हैं अतः हमारे राष्ट्र के भविष्य का भी निर्माण करते हैं (राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020) अर्थात् राष्ट्र की उन्नति शिक्षा में गुणात्मक सुधार से ही संभव हो सकती है। हमारा समाज एक नौका है जिसका चालक शिक्षक है, समुद्र में उठते हुए तूफान और लहरें समस्याएं हैं, इन सभी समस्याओं से जूझकर अंतिम लक्ष्य पर पहुंचाना ही उसकी कुशलता का परिचायक है।
स्वतंत्रता से पूर्व उत्तर प्रदेश की अपेक्षा भारत के अन्य प्रांतों में प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापक प्रशिक्षण महाविद्यालयों के विकास की स्थिति अच्छी थी। 1856 में मद्रास ट्रेनिंग स्कूल के प्रशिक्षु अध्यापकों की स्थिति अप्रशिक्षित अध्यापकों की तुलना में अच्छी थी। इसी के परिणाम स्वरूप सर्वप्रथम सन् 1857 में संयुक्त प्रान्त में आगरा, मेरठ, वनारस में ट्रेनिंग स्कूल की स्थापना की गई। 19वीं सदी के अंत में इलाहाबाद में प्रशिक्षण महाविद्यालय की स्थापना हुई (भट्टाचार्य, 2019)। भारत में स्वंतत्रता के पश्चात् उच्चतर माध्यमिक शिक्षा उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं के लिए दो वर्षीय एवम् स्नातक उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं के लिए एक वर्षीय प्रशिक्षण की संस्तुति की गई (माध्यमिक शिक्षा आयोग, 1952) तथा सेकेंडरी स्कूल कोर्स उत्तीर्ण प्राथमिक विद्यालयों के लिए प्रशिक्षुओं की प्रशिक्षण अवधि 2 वर्ष एवम् स्नातक उत्तीर्ण माध्यमिक विद्यालयों के लिए प्रशिक्षुओं की प्रशिक्षण अवधि 1 वर्ष, कुछ समय के पश्चात् 2 वर्ष की संस्तुति की गई (शिक्षा आयोग, 1964-66)। वहीं उत्तर प्रदेश में जूनियर हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं के दो वर्षीय एवं हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा में उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं के लिए एक वर्षीय पाठ्यक्रम के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई। ये प्रशिक्षण विद्यालय बी0टी0सी0 प्रमाण पत्र देते थे। राज्य के शिक्षा विभाग ने राज्य में प्रचलित बुनियादी एवं गैर बुनियादी शिक्षा व्यवस्था के लिए अध्यापकों एवं निरीक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था के लिए ध्यान दिया। उत्तर प्रदेश में स्वतंत्रता के पश्चात् प्रशिक्षण महाविद्यालयों की संख्या में तीव्र वृद्धि हुई एवं प्रशिक्षण जनपद के विद्यालयों में दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने बी0टी0सी0 पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण देने के लिए प्रत्येक जनपद में एक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की व अन्य महाविद्यालयों से भी यह प्रशिक्षण दिया गया (राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986)। वर्तमान में बी0टी0सी0 प्रशिक्षण स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण की बढ़ती प्रगति के कारण तथा राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद एवं विश्वविद्यालयों के सहयोग से राज्य में अध्यापक प्रशिक्षण संस्थानों के विकास की प्रबल संभावना परिलक्षित हो रही है।
प्रबंध एवं संगठन के आधार पर उत्तर प्रदेश में अध्यापक प्रशिक्षण संस्थानों को दो रूपों में वित्तीय सहायता प्राप्त अध्यापक प्रशिक्षण संस्थान तथा स्ववित्तपोषित अध्यापक प्रशिक्षण संस्थान में वर्गीकृत किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों को नियुक्त होने से पूर्व एनसीटीई के मानकानुसार डी0एल0एड0; पूर्व नाम बी0टी0सी0 का प्रशिक्षण लेना आवश्यक है। 1991 में कल्याण सरकार ने सर्वप्रथम बी0टी0सी0 प्रवेश परीक्षा के लिए अनिवार्य योग्यता स्नातक उत्तीर्ण कर दी। 1996 में मुलायम सरकार ने बी0टी0सी0 प्रवेश परीक्षा के लिए न्यूनतम योग्यता पुनः इंटर उत्तीर्ण कर दी। 1997 में कल्याण सरकार ने पुनः बी0टी0सी0 प्रवेश परीक्षा की योग्यता स्नातक उत्तीर्ण कर दी। वर्तमान में डी0एल0एड0 प्रशिक्षण के लिए चयन का आधार हाईस्कूल, इंटरमिडिएट व स्नातक के प्राप्तांको की प्रतिशत के योग की वरीयता के आधार पर होता है। चयनित विद्यार्थियों को दो वर्ष का प्रशिक्षण जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के साथ- साथ स्ववित्तपोषित संस्थान में दिया जाता है। 2017 सत्र से बी0टी0सी0 नाम के स्थान पर डी0एल0एड0 किया गया (एनसीटीई, 2014)।
जीवन चुनौतियों एवं संघर्षों से परिपूर्ण है। बचपन से हमें जीवन की विविध समस्याओं एवं परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। जो जिस सीमा तक जितने अच्छे ढंग से जीवन संग्राम की इस लड़ाई को लड़ता रहता है वह उतने ही अच्छे ढंग से सफलतापूर्वक प्रगति करता रहता है। कोई भी विद्यार्थी जो शैक्षिक कार्य करता है, उसमें वह एक निश्चित लक्ष्य या प्रवीणता प्राप्त करना चाहता है। लक्ष्य, आकांक्षाएं एवं मूलभूल आवश्यकताएं विद्यार्थी की क्षमताओं के अनुरूप, उच्च अथवा निम्न या औसत स्तर की हो सकती हैं। (सिंह, 2012)। यही चाहत विद्यार्थी को पल-पल संघर्ष करने को प्रेरित करती है। कुछ विद्यार्थी अपनी निष्पत्ति का उच्च प्राक्कलन तथा कुछ न्यून प्राक्कलन करते हैं। कई विद्यार्थी जो अपनी बौद्धिक क्षमता से अनभिज्ञ होते हैं पर उच्च शैक्षिक आकांक्षा रखते हैं। वे बहुधा निराशा का अनुभव करते हैं। (नारायण, 2020)।
विद्यार्थियों के आकांक्षा स्तर के सन्दर्भ में प्रायः तीन प्रकार की स्थितियाँ दृष्टिगोचर होती हैं। सामान्यतः उच्च स्तर वाले विद्यार्थी अधिक परिश्रम करने के लिये प्रोत्साहित होते हैं, इसके विपरीत निम्न आकांक्षा स्तर वाले विद्यार्थी कम परिश्रम तथा साथ ही पारिवारिक वातावरण के निम्न स्तर के प्रभाव के फलस्वरूप अपेक्षाकृत निम्न उपलब्धि प्राप्त करते हैं यद्यपि कई बार उनमें इससे कहीं अधिक उपलब्धि प्राप्त करने की सामथ्र्य होती है। तथा जिनकी आकांक्षा अपने स्तर के अनुकूल है या औसत है। इस स्तर के विद्यार्थी में आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है (बसीर एवं कौर, 2017)। शैक्षिक आकांक्षा स्तर विद्यार्थियों के लक्ष्यों को निर्धारित करने में मदद करता है (तमन्ना, 2015)।
प्रत्येक विद्यार्थी में व्यक्तिगत भिन्नता पाई जाती है अतः उनकी शैक्षिक आकांक्षा का भिन्न-भिन्न होना स्वाभाविक है। बौद्धिक एवं मानसिक स्तर में भिन्नता भी स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है (स्किनर उद्धृत पाठक, 2011)। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है समाज में प्रत्येक का अलग-अलग बौद्धिक एवं मानसिक क्रियाकलाप। विद्यार्थी का जीवन निर्माण शैक्षिक आकांक्षा स्तर द्वारा प्रभावित होता है। एक विद्यार्थी जीवन में क्या बनना चाहता है? वह उस दिशा में कितना प्रयास करके सफलता प्राप्त कर सकता है यह उस विद्यार्थी के शैक्षिक आकांक्षा और लक्ष्य के प्रति किए गए प्रयत्न पर निर्भर करता है। इसी क्रम में हमीद, रहीम व अजमन (2010), सिंह (2012), गौतम, चंदेल व बंसल (2016), वर्मा, अग्रवाल व सक्सेना (2016), बसीर व कौर (2017), हांग (2017), हुड्डा एवं देवी (2018), लाजवंती एवं बंसल (2018), भारद्वाज एवं प्रभूदयाल (2019), सिंह एवं अग्रवाल (2020) व नारायण (2020) आदि ने सफल व असफल विद्यार्थियों के शैक्षिक आकांक्षा स्तर का अध्ययन किया। इनमें से अधिकांश विद्यार्थियों का आकांक्षा स्तर उच्च पाया गया।
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अध्ययन का उद्देश्य
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प्रस्तुत शोध अध्ययन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं -
1. डी0एल0एड0 प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत् प्रशिक्षुओं की शैक्षिक आकांक्षा का अध्ययन करना।
2. लिंग भेद के संदर्भ में डी0एल0एड0 प्रशिक्षण महाविद्यालयों में प्रशिक्षणरत् प्रशिक्षुओं की शैक्षिक आकांक्षा का तुलनात्मक अध्ययन करना। |
साहित्यावलोकन
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भारद्वाज एवं प्रभु दयाल (2019) ने माध्यमिक स्तर पर मुस्लिम समुदाय के छात्र एवं छात्राओं की शैक्षिक आकांक्षा का तुलनात्मक अध्ययन पर शोध कार्य किया और निष्कर्ष रूप में पाया की माध्यमिक स्तर पर मुस्लिम समुदाय के छात्र एवं छात्राओं की शैक्षिक आकांक्षा के मध्यमानों में सार्थक अंतर है। सिंह एवं अग्रवाल (2020) ने माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों के शैक्षिक आकांक्षा स्तर पर अध्ययन कार्य किया और निष्कर्ष रूप में पाया कि माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विज्ञान वर्ग की छात्राओं का शैक्षिक आकांक्षा स्तर छात्रों की तुलना में आंशिक रूप से उच्च है एवं छात्र-छात्राओं के शैक्षिक आकांक्षा स्तर में कोई सार्थक अंतर नहीं है। |
मुख्य पाठ
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समस्या की आवश्यकता एवं महत्व -
शिक्षा
किसी भी सभ्य,उन्नत और विकसित कहे जाने वाले समाज का अनिवार्य लक्षण है,इसके बिना
किसी भी प्रकार की प्रगति कभी भी पूर्ण एवं बहुआयामी नहीं हो सकती है। एक शिक्षित
व्यक्ति,शिक्षित समाज या शिक्षित राष्ट्र ही प्रगति के दुर्गम पथ पर अनवरत यात्रा
कर पाने में सक्षम होता है। प्रत्येक जागरूक व्यक्ति को समाज एवं संसार की
जिज्ञासाओं के प्रति जिज्ञासु एवं चिंतनशील होना चाहिए। समस्याओं के प्रति
जिज्ञासा या चिंतन की प्रक्रिया अनुसंधान को जन्म देती है। यह आवश्यक है कि
विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा संबंधी समस्याओं का अध्ययन कर शिक्षा की
व्यवस्था उनकी आकांक्षा के अनुरूप की जा सके जिससे उनका जीवन स्तर ऊंचा हो सके और
उनको बेहतर भविष्य के निर्माण में सहायक सिद्ध हो सके (यादव, 2011)।
शिक्षा
के माध्यम से विद्यार्थियों में न केवल पढ़ाई-लिखाई से संबंधित योग्यताओं का विकास
किया जाता है वरन् उन सभी क्षमताओं और कौशलों का विकास भी किया जाता है जो उन्हें
एक उत्पादी कार्यकत्र्ता, उत्तरदायी नागरिक व एक प्रभावकारी
व्यक्ति बना सकें क्योंकि एक कुशल एवं योग्य विद्यार्थी देश की प्रगति में अपना
अमूल्य योगदान दे सकेगा (सिंह, 2012)। शिक्षा प्रणाली की कुशलता
शिक्षकों की योग्यता पर निर्भर करती है, अच्छे शिक्षकों के अभाव में
सर्वोत्तम शिक्षा प्रणाली का असफल होना अवश्यंभावी है। यदि प्रशिक्षु शिक्षण
प्रणाली को ही उच्च शैक्षिक आकांक्षा के रूप में ही स्वीकार करेंगे तो उच्च
शैक्षिक आकांक्षा के साथ उनमें आत्मविश्वास होगा। उनमें यदि उच्च शैक्षिक आकांक्षा
होगी तो शैक्षिक क्षेत्र में नई शैक्षिक नीति, शिक्षण प्रक्रिया में
अमूल्य योगदान दे सकेंगे (हुड्डा एवं देवी, 2018)। शिक्षकों के
उत्तरदायित्वों की सफलता शिक्षा प्रक्रिया की सफलता एवं असफलता पर निर्भर करती है।
वर्तमान समय में, सरकारी प्राथमिक विद्यालय में अध्यापन कार्य के लिए डी0एल0एड0 प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षुओं को नियुक्त किया जाता है। प्राथमिक शिक्षा,शिक्षा
की आधारशिला है (सिंह, 2010)। अतः प्राथमिक शिक्षा का आधार
मजबूत होना अत्यन्त आवश्यक है। जिसके लिए योग्य एवं कुशल शिक्षकों की आवश्यकता है।
इसलिए डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं को शैक्षिक आकांक्षा के अनुकूल प्रशिक्षण प्राप्त करने की
आवश्यकता है। जिससे डी0एल0एड0 प्रशिक्षु अपने अध्यापन कार्य में अनुकूल योगदान दे सकें। अच्छे शिक्षकों का
निर्माण कुशल प्रशिक्षण से ही किया जा सकता है। इसी आवश्यकता की जिज्ञासा से
शोधकत्र्ता ने इस विषय पर गंभीरता से विचार करके अंततः डी0एल0एड0 प्रशिक्षण महाविद्यालयों में प्रशिक्षणरत् डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं की शैक्षिक आकांक्षा का अध्ययन करने का निर्णय लिया।
शोध अध्ययन में प्रयुक्त पदों का परिभाषीकरण
डी0एल0एड0 प्रशिक्षु-
प्राथमिक
शिक्षा के बच्चों को अध्यापन कराने के लिए जिन शिक्षकों की आवश्यकता होती है
उन्हें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान और स्ववित्तपोषित प्रशिक्षण महाविद्यालय
में 2 वर्ष का प्रशिक्षण प्रदान करते हैं,शिक्षक-प्रशिक्षण की नियामक संस्था
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा उन्हें डी0एल0एड0 (डिप्लोमा इन एलिमेन्ट्री एजूकेशन) प्रशिक्षु कहते हैं।
प्रस्तुत
शोध अध्ययन में डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं से
तात्पर्य जनपद हरदोई के स्ववित्तपोषित शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में
प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे पुरुष एवं महिला प्रशिक्षणार्थियों से है।
शैक्षिक आकांक्षा-
शैक्षिक
आकांक्षा का तात्पर्य शैक्षिक क्षेत्र में वर्तमान शैक्षिक उपलब्धि के साथ-साथ
भविष्य में एक विशेष उच्च स्तर के लक्ष्यों एवं उपलब्धियों को प्राप्त करने की आशा
या महत्वाकांक्षा को संदर्भित करती है।
प्रस्तुत
शोध अध्ययन में शैक्षिक आकांक्षा से तात्पर्य हरदोई जिले के स्ववित्तपोषित शिक्षक
प्रशिक्षण महाविद्यालयों के डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं द्वारा डॉ० वी0पी0 शर्मा एवं डॉ0 अनुराधा गुप्ता द्वारा निर्मित 'शैक्षिक आकांक्षा मापनी उपकरण' से प्राप्त
समंकों से है।
समस्या कथन-
डी0एल0एड0 प्रशिक्षण महाविद्यालयों में प्रशिक्षणरत् डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं की शैक्षिक आकांक्षा का अध्ययन।
|
सामग्री और क्रियाविधि
|
अध्ययन के उद्देश्यों के दृष्टिगत शोधकत्र्ता द्वारा शोध अध्ययन हेतु शोध विधि के रूप में ‘वर्णनात्मक अनुसंधान‘ की ‘सर्वेक्षण विधि‘ का प्रयोग किया गया है। |
न्यादर्ष
|
प्रस्तुत
शोध अध्ययन के परिप्रेक्ष्य में जनसंख्या के रूप में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले
के स्ववित्तपोषित डी0एल0एड0 प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत्
डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं को शामिल किया गया है।
जनसंख्या की समस्त इकाइयों में से कुल 100 डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं को ‘सम्भावित न्यादर्श विधि‘ की 'स्तरीकृत यादृच्छिक न्यादर्शन विधि' से
न्यादर्श के रूप में चयन किया गया है। जिसमें 50 पुरूष प्रशिक्षु एवं 50 महिला प्रशिक्षु सम्मिलित हैं।
|
प्रयुक्त उपकरण
|
प्रस्तुत शोध अध्ययन में प्रदत्तों के संकलन हेतु शोधकत्र्ता द्वारा डॉ0 वी0पी0 शर्मा एवं डॉ0 अनुराधा गुप्ता द्वारा निर्मित 'शैक्षिक आकांक्षा मापनी उपकरण' का प्रयोग किया गया है। जिसमें कुल 8 एकांश हैं जो 10 बिन्दु मापनी पर आधारित हैं। |
अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी
|
प्रस्तुत शोध अध्ययन में समंकों के विश्लेषण हेतु प्रतिशत, मध्यमान एवं क्रान्तिक अनुपात का प्रयोग किया गया है। |
विश्लेषण
|
प्रस्तुत
शोध अध्ययन में डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं की
शैक्षिक आकांक्षा को आधार मानकर तथ्यों को वर्गीकृत कर विश्लेषण किया गया है।
डी0एल0एड0 के पुरुष प्रशिक्षु व
महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक आकांक्षा का अध्ययन
प्रस्तुत
उद्देश्य की पूर्ति के लिए शोधकत्र्ता द्वारा डी0एल0एड0 के पुरुष प्रशिक्षु व महिला प्रशिक्षु के शैक्षिक आकांक्षा का अध्ययन किया
गया है।
डी0एल0एड0 के पुरुष प्रशिक्षु व
महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक आकांक्षा की तुलना
शैक्षिक
आकांक्षा मापनी की सहायता से पुरुष प्रशिक्षु व महिला प्रशिक्षु के शैक्षिक
आकांक्षा के विवरण की आपस में तुलना की गई जो तालिका संख्या 1 में दर्शाया गया है-
तालिका संख्या- 1
डी0एल0एड0 के पुरुष प्रशिक्षु व
महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक आकांक्षा की तुलना तालिका
अंक प्रसार
|
शैक्षिक आकांक्षा का विवरण
|
डी0एल0एड0 प्रशिक्षु
|
पुरुष प्रशिक्षु
|
महिला प्रशिक्षु
|
संख्या
|
प्रतिशत
|
संख्या
|
प्रतिशत
|
53अंक से अधिक
|
उच्च शैक्षिक आकांक्षा
|
05
|
10
|
18
|
36
|
27-52
|
सामान्य शैक्षिक आकांक्षा
|
36
|
72
|
30
|
60
|
26 से कम
|
निम्न शैक्षिक आकांक्षा
|
09
|
18
|
02
|
04
|
योग
|
50
|
100
|
50
|
100
|
100
|
उपर्युक्त
तालिका संख्या 1 के निरीक्षण से स्पष्ट है कि उच्च शैक्षिक आकांक्षा वाले प्रशिक्षुओं की
सर्वाधिक संख्या महिला प्रशिक्षुओं की है जो 36 प्रतिशत है। जबकि
तुलनात्मक दृष्टि से कम संख्या वाले प्रशिक्षु पुरुष हैं जो 10 प्रतिशत हैं। अर्थात् पुरुष प्रशिक्षु की अपेक्षा महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक
आकांक्षा उच्च पायी गयी। सामान्य शैक्षिक आकांक्षा वाले प्रशिक्षुओं की सर्वाधिक
संख्या पुरुष प्रशिक्षु की है जो 72 प्रतिशत है। जबकि तुलनात्मक
दृष्टि से कम संख्या वाले महिला प्रशिक्षु हैं जो 60 प्रतिशत है। निम्न
शैक्षिक आकांक्षा वाले प्रशिक्षुओं की सर्वाधिक संख्या पुरुष प्रशिक्षु की हैं जो 18 प्रतिशत हैे। जबकि तुलनात्मक दृष्टि से कम संख्या वाले महिला पुरुष हैं जो 4 प्रतिशत हैं। अर्थात् महिला प्रशिक्षु की अपेक्षा पुरुष प्रशिक्षु की शैक्षिक
आकांक्षा निम्न पायी गयी।
डी0एल0एड0 के पुरुष प्रशिक्षु व महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक आकांक्षा की तुलना का
आरेखीय प्रदर्शन आरेख संख्या 1 में प्रदर्शित है।
आरेख संख्या: 1
डी0एल0एड0 के पुरुष प्रशिक्षु व
महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक आकांक्षा की तुलना का आरेखीय प्रदर्शन 
आरेख: शैक्षिक आकांक्षा
H0 डी0एल0एड0 प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत् पुरूष एवं महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक
आकांक्षा में सार्थक अन्तर नहीं है।
तालिका
संख्या- 2 डी0एल0एड0 प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत् पुरूष एवं महिला प्रशिक्षु की
शैक्षिक आकांक्षा सम्बन्धी प्राप्तांकों का मध्यमान,प्रमाणिक
विचलन,क्रान्तिक अनुपात व सार्थकता स्तर का विवरण
कुल
डी0एल0एड0
प्रशिक्षु
(100)
|
मध्यमान
(M)
|
प्रमाणिक
विचलन
(s or )
|
मानकत्रुटि
(SED or D)
|
क्रान्तिक
अनुपात (CR)
|
सार्थकता
स्तर
|
परिणाम
|
पुरुष
प्रशिक्षु
|
37.1
|
9.74
|
2.15
|
5.0046
|
> 0-01
|
सार्थक
|
महिला प्रशिक्षु
|
47.86
|
11.69
|
df = n1 + n2 – 2 =
98 के लिए सारणी मान t.01 = 2.63
उपर्युक्त
तालिका संख्या 2 के निरीक्षण से स्पष्ट है कि डी0एल0एड0 के पुरूष प्रशिक्षु के शैक्षिक आकांक्षा सम्बन्धी प्राप्तांकों का मध्यमान (M)37.1 एवं प्रमाणिक विचलन (sorσ)9.74 प्राप्त हुआ। इसी प्रकार डी0एल0एड0 के पुरूष प्रशिक्षु के शैक्षिक आकांक्षा सम्बन्धी प्राप्तांकों का मध्यमान (M)47.86 एवं प्रमाणिक विचलन (sorσ)11.69 प्राप्त हुआ तथा डी0एल0एड0 के पुरूष प्रशिक्षु एवं महिला प्रशिक्षु के शैक्षिक आकांक्षा के मध्यमान की
मानक 2.15 है तथा मध्यमानों का अन्तर 10.76 है। डी0एल0एड0 के पुरूष प्रशिक्षु एवं महिला प्रशिक्षु के मध्य सार्थक अन्तर की जाँच करने
के लिए क्रान्तिक अनुपात की गणना के पश्चात् मान 5.0046 प्राप्त हुआ जो स्वतन्त्रांश 98 के लिए सारणी मान 0.01 सार्थकता स्तर पर 2.63 है जो प्राप्त
क्रान्तिक अनुपात से कम है। अतः 0.01 सार्थकता स्तर पर
सार्थक है। अतः निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि डी0एल0एड0 के पुरूष प्रशिक्षु एवं महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक आकांक्षा में अन्तर पाया
गया। अतः सम्बन्धित शून्य परिकल्पना ''डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं के पुरूष प्रशिक्षु एवं महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक आकांक्षा में
कोई अन्तर नहीं पाया जाता है।'' अस्वीकृत होती है और शोध परिकल्पना ''डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं के पुरूष प्रशिक्षु व महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक आकांक्षा में
सार्थक अन्तर पाया जाता है।'' स्वीकृत होती है।
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निष्कर्ष
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1. डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं में उच्च शैक्षिक आकांक्षा में महिला प्रशिक्षुओं की सर्वाधिक संख्या है जबकि सामान्य एवं निम्न शैक्षिक आकांक्षा में पुरूष प्रशिक्षुओं की सर्वाधिक संख्या है।
2. डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं के पुरूष प्रशिक्षु एवं महिला प्रशिक्षु की शैक्षिक आकांक्षा में सार्थक अन्तर पाया गया। अर्थात् डी0एल0एड0 प्रशिक्षण की महिला प्रशिक्षुओं की शैक्षिक आकांक्षा पुरुष प्रशिक्षुओं की तुलना में उच्च है। |
अध्ययन की सीमा
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प्रस्तुत शोध अध्ययन उत्तर प्रदेश के जनपद हरदोई के स्ववित्तपोषित अध्यापक प्रशिक्षण महाविद्यालय के डी0एल0एड0 पाठ्यक्रम के प्रशिक्षणरत् प्रशिक्षु तक परिसीमित है। |
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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