P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- X , ISSUE- IV December  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
कोविड-19 महामारी में सोशल मीडिया की भूमिका
Role of Social Media in COVID-19 Pandemic
Paper Id :  16915   Submission Date :  2022-12-10   Acceptance Date :  2022-12-22   Publication Date :  2022-12-25
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शेफालिका राय
असिस्टेंट प्रोफेसर
अर्थशास्त्र विभाग
एस एस एस वी एस गवर्नमेंट (पी.जी.) कॉलेज
चुनार, मिर्जापुर,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश
सोशल मीडिया से आशय पारस्परिक सम्बन्ध के लिए अंतजलि या अन्य माध्यमों द्वारा निर्मित आभासी समूह से है या व्यक्तियों और समुदायों के साझा, सहभागी बनने के माध्यम से है। इसका उपयोग सामाजिक सम्बन्ध के अलावा उपयोगकर्ता सम्बन्ध के संशोधन के लिए उच्च पारस्परिक मंच बनाने के लिए मोबाइल व वेब आधारित प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के रूप में देखा जा सकता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम विश्व के अनेक व्यक्तियों से ऑन लाइन तकनीक के माध्यम से जुड़ सकते हैं वर्तमान में सोशल मीडिया न्यूज, सूचना, मनोरंजन, मार्केटिंग, शिक्षा का सुलभ उपकरण है जो ऐसा मंच प्रदान करता है जिससे व्यक्ति सीधे तौर पर जुड़ाव महसूस करता है। विश्व महामारी कोविड-19 के दौरान भी सोशल मीडिया सशक्त माध्यम सिद्ध हुआ। विशेष तौर से भारत में लॉकडाउन की स्थिति में लोगों को कोरोना से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध करने में, लोगों के एकाकीपन व उससे उत्पन्न अवसाद की स्थिति से बाहर निकलने में सहायक सिद्ध हुआ। किन्तु यह भी देखा गया है भ्रामक खबरों का प्रचार-प्रसार भी तेजी से सोशल मीडिया के माध्यम से ही हुआ। साथ ही मोबाईल पर निर्भरता में भी वृद्धि देखी गयी। प्रस्तुत शोध पत्र में सोशल मीडिया के इतिहास प्रकार, कोविड-19 के उत्पत्ति व प्रसार पर एवं कोविड-19 की स्थिति में सोशल मीडिया की भूमिका पर विस्तृत अध्ययन किया गया है। यह शोध-पत्र द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Social media refers to virtual groups created by Internet or other means for interpersonal relationships or through sharing, participation of individuals and communities. Its use can be seen as the use of mobile and web-based technologies to create a highly interactive platform for modification of user interaction in addition to social interaction. In other words, we can say that social media is such a medium through which we can connect with many people of the world through online technology. At present, social media is an accessible tool for news, information, entertainment, marketing, education, which is such a platform provides which the person feels direct connection. Social media proved to be a powerful medium even during the world pandemic Covid-19. Especially in the situation of lockdown in India, providing information related to corona to the people, proved helpful in getting people out of the state of loneliness and depression arising out of it. But it has also been seen that the propaganda of misleading news also happened rapidly through social media only. Along with this, an increase in dependence on mobile was also seen. In the presented research paper, a detailed study has been done on the history type of social media, origin and spread of Covid-19 and the role of social media in the situation of Covid-19. This research paper is based on secondary data.
मुख्य शब्द सोशल मीडिया, विश्वमहामारी, कोविड-19।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Social Media, Pandemic, Covid-19.
प्रस्तावना
सोशल मीडिया दो शब्दों से मिलकर बना है, सोशल और मीडिया, यहाँ सोशल का अर्थ समाज से है और मीडिया का अर्थ माध्यम से है। सोशल मीडिया ऐसा जन संचार माध्यम है, जिसमें समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपने विचार प्रकट कर सके। सोशल मीडिया का स्वरूप, मीडिया के अन्य माध्यमों से भिन्न होता है। यह एक वेबसाइट है जो आनलाइन आधारित होती है, जिसके माध्यम से आप सूचनाओं को प्रेषित करते हैं एवं प्राप्त करते हैं। सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम विश्व के अनेक व्यक्तियों से ऑनलाइन तकनीक के माध्यम से जुड़ सकते हैं। वर्तमान में सोशल मीडिया न्यूज, सूचना, मनोरंजन, मार्केटिंग, शिक्षा का सुलभ उपकरण है जो ऐसा मंच प्रदान करता है जिससे व्यक्ति सीधे तौर पर जुड़ाव महसूस करता है।
अध्ययन का उद्देश्य
कोविड 19 के दौरान सोशल मीडिया की उपयोगिता को देखते हुए समाज पर उसके प्रभाव का आकलन विशेष रूप से आर्थिक परिप्रेक्ष्य में।
साहित्यावलोकन

उपर्युक्त विषय से सम्बंधित विचारों पर शोधात्मक दृष्टि से अत्यधिक कार्य हो चुका है ,यथा खुला एक्सेस प्रकाशित:20 नवंबर 2021” सचिन मोदगिल, रोहित कुमार सिंह,… डेनिस डेनेही के कोविड-19 के दौरान सोशल मीडिया प्रेरित ध्रुवीकरण पर एक पुष्टिकरण पूर्वाग्रह दृश्यमें जो अध्ययन किया उससे स्पष्ट होता है कि पुष्टिकरण पूर्वाग्रह और प्रतिध्वनि कक्षों पर आकर्षित करता है ताकि पुष्टिकरण पूर्वाग्रह की अभिव्यक्तियाँ कोविड-19 महामारी के दौरान आपूर्ति श्रृंखला सूचना साझा करने में प्रतिध्वनि कक्षों के विकास में कैसे योगदान करती हैं। निष्कर्षों से पता चलता है कि केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के विपरीत, पुष्टिकरण पूर्वाग्रह और प्रतिध्वनि कक्षों के बीच एक पारस्परिक, मजबूत संबंध है जो एसएमआईपी को गति देता है। अपने लेखः महामारी और सोशल मीडिया की भूमिका में डॉ. केवल आनन्द काण्डपाल ने अध्ययन किया कि सोशल मीडिया वस्तुतः एक तकनीकी साधन है। प्रत्येक तकनीकी साधन की तरह इसकी भी कुछ सीमायें हैं। यह एक अच्छा सेवक है परन्तु बहुत बुरा स्वामी भी है। यह उपयोगकर्त्ता पर निर्भर करता है कि वह इसका इस्तेमाल किस तरह से करता है। यह भी सोशल मीडिया में ही देखने में आया है कि किसी खास विचार/विचारधारा का प्रचार करने या विरोध करने के लिए इस साधन का किस प्रकार से दुरूपयोग किया जा रहा है, उन सभी का यहाँ पर विवरण देना उचित नहीं होगा। सूचनाओं/सामग्री को जांचे-परखे बिना स्वीकार कर लेना और अपना विचार बना लेना बहुत ही अनुचित है।

मुख्य पाठ

सोशल मीडिया का क्रमिक विकास-

500 से 15000 में जब सन्देशवाहक के रूप में कबूतरों का प्रयोग किया जाता था, हम कह सकते हैं कि तभी से सोशल मीडिया की शुरूआत हुई। सन् 1792 में टेलीग्राफ का विकास हुआ जिसमें संदेशों को टावर के प्रयोग से विजुअल संदेशों द्वारा भेजा जाता था। सन् 1836 में मोर्सकोड की शुरूआत हुई। इस प्रणाली में टेक्स्ट को ऑन-ऑफ टोन्स की लाइट और क्लिक के जरिये भेजा जाने लगा। जिसे पढ़ने के लिए विशिष्ट मशीन का प्रयोग किया जाता था। सन् 1836 में ही न्यूमैटिक मेल सेवा की शुरूआत हुई। सन् 1875 में टेलीफोन का आविष्कार हुआ जिसे सूचना क्षेत्र में एक बड़ी क्रान्ति के रूप में माना जाता है। सन् 1891 मार्कोनी ने रेडियो संरचना को आधार दिया। सन् 1969 में कंप्यूसर्वर नामक संदेश संवाहक सेवा शुरू हुई जो अमेरिका की पहली ऑनलाइन सर्विस थी। सन् 1971 में कंप्यूटर इंजीनियर रे टायलिन्सन ने स्वयं को ही सबसे पहला ई-मेल भेजा। सन् 1989 में टिमोथी जॉन, टिम बर्नर्स ली ने वर्ल्ड वाइड वेब की शुरूआत की। सन् 1991 में विश्व की पहली वेबसाईट info.cern.ch बनी जिसे वर्नसली ने ही बनाया था। सन् 1994 में विश्व के पहले ब्लॉग की शुरूआत लिंग्स नेट के नाम से हुई सिक्स डिग्रीज नामक विश्व की पहली पूर्ण सोशल नेटवर्किंग साइट सन् 1977 में बनी, जिसमें यूजर्स को अपनी प्रोफाइल बनाने और दूसरों के साथ मित्रता करने का अवसर प्रदान किया गया। ब्लागर्स की शुरूआत सन् 1999 में हुई थी। सोशल नेट वर्किग और बुक मार्किग साइट के तौर पर लिन्क्ड इन की शुरूआत सन् 2003 में हुई। मार्क जुकर बर्ग द्वारा सन् 2004 में फेसबुक नामक सोशल साइट का निर्माण किया गया। सन् 2005 में वीडियो शेयरिंग वेबसाइट यू ट्यूब प्रारम्भ हुआ। सन् 2006 में ट्वीटर की शुरूआत हुई। सन् 2007 में एप आधारित सोशल नेटवर्किंग प्रारम्भ हुई जैसे व्हाट्सएप, हाइक, की चेट इत्यादि। सोशल मीडिया के विकास का क्रम इसके आगे भी निरन्तर जारी है।

सोशल मीडिया के प्रकार-

1. सोशल नेटवर्किंग- सोशल नेटवर्किंग के द्वारा लोग ऑनलाइन लोगों से सम्पर्क स्थापित करते हैं। इसके द्वारा लोग अपने नये विचारों को एक साथ बहुत से लोग अपने नये विचारों को एक साथ बहुत से लोगों से साझा करते हैं। उदाहरण - फेसबुक, ट्विटर

2. मीडिया शेयरिंग नेटवर्क- इसके द्वारा लोग विडियो, फोटो, और विचारों को साझा करते हैं एवं अपनी जिज्ञासाओं को प्राप्त करने का ऑनलाइन मंच होता है। मीडिया शेयरिंग नेटवर्क लोगों को ब्रान्ड एवं मार्केटिंग से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करने एवं साझा करने का ऑन लाइन माध्यम है। उदाहरण- इन्स्ट्राग्राम, स्नैपचैट, यूट्यूब।

3. डिस्कसन फोरम- इसके माध्यम से लोग नये समाचारों, विचारों, सूचनाओं को प्राप्त करते हैं एवं उनपर चर्चा करते हैं। यह नेटवर्क बाजार सम्बन्धित शोध हेतु बहुत ही बेहतरीन माध्यम है। यह सोशल मीडिया के एक बहुत ही पुराना माध्यम है। उदाहरण- Quora, PhpBB.

4. बुकमार्क एवं क्लटेन्ट क्यूरेशन नेटवर्क- इस नेटवर्क के माध्यम से मीडिया के नये ट्रेंड एवं प्रयोगों पर चर्चा की जाती है एवं उनको साझा किया जाता है। यह नेटवर्क अत्यधिक प्रभावपूर्ण होता है। जिसकी वजह से इसके डाटा लोगों, वेबसाइट, व्यवसाय व ब्राण्ड सम्बनिधत जानकारियों को साझा करने हेतु इसका प्रयोग करते हैं। उदाहरण- फ्लिपबोर्ड

5. उपभोक्ता समीक्षा नेटवर्क- इस नेटवर्क के माध्यम से ब्राण्ड, उत्पाद एवं सेवाओं के साथ-साथ रेस्टोरेन्ट, होटल, एवं यात्रा सम्बन्धित समीक्षा प्राप्त की जाती है। उपभोक्ता समीक्षा नेटवर्क लोगों को व्यवसाय, खेल, उत्पाद सेवा एवं इसके अतिरिकत अन्य जानकारियों के बारे में समीक्षा उपलब्ध कराता है। जिससे लोगों को निर्णय लेने में मदद प्राप्त होती है। उदाहरण- Trip Advisor, Yelp.

6. ब्लाग्गि एवं पब्लिशिंग नेटवर्क- इस नेटवर्क के माध्यम से लोगों को अपने विचारों को एवं दूसरों के विचारों पर अपने मतों को ऑनलाइन पबलिश करते हैं। यह लोगों के व्यवसाय से सम्बन्धित श्रोताओं को प्रभाव पूर्ण तरीके से जोडता है एवं ब्राण्ड को प्रसारित करता है। उदाहरण- WordPress, blogger.

7. सोशल शापिंग नेटवर्क- ई: व्यवसाय का यह बहुत बड़ा माध्यम है। इसके द्वारा क्रेता व विक्रेता दोनों ही कम समय में उत्पादों को खरीदते व बेचते हैं। इसके द्वारा अपने व्यवसायिक उत्पादों को खरीदते व बेचते हैं। इसके द्वारा अपने व्यावसायिक उत्पादों को साझा किया जाता है एवं उसको बेचा व खरीदा भी जाता है। उदाहरण- Pinterest Pins, Snapchat.

8. रूचि आधारित नेटवर्क- इस नेटवर्क के माध्यम में लोग अपनी रूचि एवं शौक के अनुरूप अपने आस-पास के लोगों से जुड़ते हैं। इसके द्वारा लोग अपने व्यवसाय का प्रचार-प्रसार करते हैं, उन ग्रूप में जिनकी रूचि उनके व्यवसाय से सम्बन्धित होती है साथ ही लोगों को अपने शौक व रूचि के अनुरूप आसानी से अपने पसन्द के व्यवसाय के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है। उदाहरण- Good reads, हौज्ज

9. शेयरिंग इकोनामा नेटवर्क- इसके माध्यम से लोग आनलाइन सम्पर्क स्थापित करके आवश्यक सेवाओं को खरीदने बेचने एवं ट्रेडिंग उत्पादों के विज्ञापन एवं सेवाओं की जानकारी प्राप्त करते हैं। यह सेवाओं के आदान-प्रदान का एक माध्यम उपलब्ध कराता है। उदाहरण- उबर

10. शेयरिंग एप्स- इस माध्यम से सन्देशों, विडियो, फोटो को शेयर किया जाता है कुछ एप्स जैसे वाट्सएप के लिए एनड्राइड फोन की आवश्यकता नहीं होती है जिससे इन एप्स का प्रयोग सर्वाधिक किया जा रहा है। कुछ एप्स फोन में पाये जाते हैं एवं कुछ को डाउनलोड करके उनका प्रयोग किया जाता है।

कोविड-19 महामारी -

कोरोना वायरस को सबसे पहले चीन के वुहान प्रान्त में 31 दिसम्बर 2019 में देखा गया जो धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 11 मार्च 2020कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया गया। कोरोना वायरस बहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है। कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है लेकिन कोरोना का संक्रमण विश्व में तेजी से जिस प्रकार फैला उससे स्पष्ट होता है कि यह बहुत ही घातक वायरस है। सेंटर फॉर डिजीज कन्ट्रोल एण्ड प्रिवेंशन ने स्पष्ट किया कि कोरोना वायरस वायरसों का समूह है। इनके संक्रमण से सर्दी जैसे लक्षण देखने को मिलता है जैसे नाक बहना, खाँसी, बुखार और गले में दर्द संक्रमण यदि लम्बे समय तक रहा तो संक्रमित व्यक्ति न्यूमोनिया जैसी स्थिति में भी पहुँच सकता है। कोरोना वायरस का नाम कोरोनासे लिया गया है। कोरोना का लैटिन में मतलम क्राउन या ताज होता है। कोरोना वायरस की सतह पर कांटे जैसी आकृति होती है जो देखने में ताज जैसे लगती है। इसी कारण से इस वायरस का नाम कोरोना रखा गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 11 फरवरी 2020 को एक प्रेस रिलीज जारी करके कोरोना बिमारी का नाम कोविड-19 रखा जहां इससे तात्पर्य है-

Co

का अर्थ कोरोना

VI

का अर्थ वायरस

D

का अर्थ डिजिज

19

का अर्थ सन् 2019 अर्थात् जिस वर्ष इस बिमारी का जन्म हुआ।

भारत में सबसे पहले कोरोना वायरस से संक्रमण का मामला 30 जनवरी 2020 को दक्षिण भारत के केरल में सामने आया था। 27 फरवरी 2021 तक भारत में कुल कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या- 1,10,79,979 हो गई है। 28 दिसम्बर 2022 तक भारत में कोरोना पॉजिटिव के कुल मामले 44678937, कोरोना से मरने वालो की कुल संख्या 530698 एवं सक्रिय मामले 4682 है

कोविड-19 महामारी के प्रभाव-

कोरोना वायरस से सम्पूर्ण विश्व में एक आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो गयी। महामारी काल में विश्व अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी वैश्विक आर्थिक मंदी की ओर गतिशील हो गयी । भारत द्वारा इस महामारी को तेजी से फैलने से रोकने हेतु कड़े कदम उठाये गये और 25 मार्च 2020 से 14 अप्रैल 2020 तक 21 दिन का प्रथम चरण में लॉकडाउन पूरे देश में घोषित किया गया, उसके उपरान्त 15 अप्रैल 2020 (19 दिन) द्वितीय चरण का, 4 मई 2020 से 17 मई 2020 (14 दिन) तक चतुर्थ चरण एवं 1 जून 2020 से 30 जून 2020 (30 दिन) तक पांचवा चरण का लॉकडाउन लगाया गया है। जिसके परिणाम स्वरूप सामाजिक तौर पर लोगों के मध्य दूरी उत्पन्न हुई। भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्यतः तीन संसाधनों द्वारा निर्मित है, पूंजी संसाधन, श्रम संसाधन एवं प्राकृतिक संसाधन। जैसा कि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन विकास की प्राप्ति हेतु निरन्तर एवं उच्च गति से किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों हेतु यह लॉकडाउन की स्थिति वरदान सिद्ध हुई। इस दौरान वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एवं जल प्रदूषण में कमी आयी। नदियां स्वयं ही स्वच्छ हो गयी। वहीं उद्योगों के बन्द होने से श्रमिकों व उद्योगपतियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़े, जहाँ प्रवासी श्रमिक अपने गृह जनपदों की ओर भारी संख्या में वापस लौटने लगे जिससे सामाजिक संरचना प्रभावित हुई, वहीं उद्योगपतियों के अवसाद में जाने व उद्योगों के बंद होने से आर्थिक संरचना प्रभावित हुई। सामाजिक संरचना की ओर यदि ध्यान केन्द्रित करते हैं तो हम पाते हैं कि कोविड-19 महामारी के दौरान सामाजिक दूरी का पालन करते हुए लोग एक दूसरे से मानसिक तौर पर समीप आये। लॉकडाउन के समय परिवार के लोगों के मध्य आपसी समझ का विकास हुआ। वहीं इसके नकारात्मक पक्ष भी सामने आये। जिसमें कोविड-19 बिमारी से प्रभावित लोगों को समाज से बहिष्कृत करने जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा, वहीं देश के कई क्षेत्रों में कोरोना योद्धाओं को भी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा।

आर्थिक संरचना की ओर दृष्टिगत होने पर हम पाते हैं कि अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित    हुई। सरकार द्वारा स्वास्थ्य व खाद्य सुरक्षा की नीतियों के प्रयोग से लोगों की सहायता की गयी जो पूर्ण रूप से सफल नहीं रही, वस्तुतः ऐसा सामाजिक संरचना एवं भय के कारण रहा। किन्तु इसका दूसरा पक्ष भी सामने आया। जिसमें वर्क फ्राम होमकी नीति का विकास हुआ। जिससे लोग घरों की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के साथ-साथ आर्थिक जिम्मेदारी का भी पालन कर रहे हैं किन्तु इस दोहरी जिम्मेदारी के नकारात्मक प्रभाव के रूप में अवसाद व शारीरिक बिमारियों में वृद्धि देखी जा रही है विशेषतः ऑख व उससे सम्बन्धित। इस पूरे विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि कोविड-19’ से मानव सभ्यता बुरी तरह से प्रभावित हुई है, सामाजिक व आर्थिक दोनों ही रूपों में।

इंटरनेट के युग में हम ज्यादातर सूचनायें सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त करते हैं यह एक व्यवहारवादी परिवर्तन है, जिसने स्वास्थ्य विषयों पर लोगों के आपसी संवाद को क्रांतिकारी तरीके से बदल कर रख दिया है। कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों की इंटरनेट पर निर्भरता में वृद्धि हुई है। इंटरनेट पर व्यक्ति प्रतिदिन 6:30 घंटे व सोशल मीडिया पर 2:24 घंटे प्रतिदिन व्यतीत कर रहे (स्त्रोत दैनिक भाषकर)। जुलाई में आये सर्वे (स्त्रोत ग्लोबल वेक इंडेक्स) के अनुसार सोशल मीडिया पर भारतीय पहले की अपेक्षा 59 प्रतिशत ज्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं। भारत में हर यूजर, प्रतिदिन औसतन 2 घंटे 24 मिनट सोशल मीडिया पर बिताता है। देश में सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने के मामले में महिलाएं पुरूषों से आगे हैं। एक वर्ष में 37.6 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स बढ़े हैं।

सोशल मीडिया वस्तुतः एक बहुत बड़ा स्वतंत्र प्लेटफार्म है जिससे जुड़ा हर व्यक्ति अपनी भावनाओं को स्वतन्त्र रूप से व्यक्त करता है। जिससे सही जानकारी के साथ ही साथ गलत जानकारी का भी संप्रेषण होता है। कोविड-19 महामारी के दौरान सोशल मीडिया पर झूठे समाचारों को प्रभावी तौर पर प्रसारित किया गया। सोशल मीडिया पोस्ट्स में आउटब्रेक को सनसनीखेज बनाने और गलत जानकारी का प्रसार करने की प्रवृत्ति होती है जिससे डर और भगदड़ की स्थिति बनती है। कोरोना काल में लोगों के सोशल मीडिया बर्न आउट के शिकार भी हुए हैं। सोशल मीडिया बर्न आउट के अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न स्थिति होती है। जिसमें व्यक्ति कुछ-कुछ मिनटों में अपना अकाउंट व नोटिफिकेशन चेक करता है एवं नई सूचना न मिलने पर निराशा झुझलाहट व अवसाद की स्थिति में पहुँच जाता है। इसके साथ ही कोविड 19 के दौरान घरेलू उपायों व आयुर्वेदिक उपायों के नाम पर बहुत सी सूचनाओं का प्रचार सोशल मीडिया से हुआ, जिनका यदि कोविड पाजिटिव व्यक्ति के द्वारा प्रयोग निरन्तर किया गया व व्यवहारिक दवाईयों से वंचित रहने के परिणामस्वरूप वो विकट परिस्थितियों में पहुँच गए। इसके साथ ही अपमानजनक भाषा, टिप्पणी इत्यादि का भी प्रयोग उन लोगों के लिए (विशेष सम्प्रदाय के लोगों व चीन राष्ट्र के लिए किया गया) जिनके द्वारा महामारी फैलाने की आशंका व्यक्त किया गया। ऐसे अपमानजनक व भड़काऊ पोस्ट ने आपसी मतभेदों को बढ़ाने का ही प्रयास किया। कोरोना वायरस से उत्पन्न परिस्थितियों को सामान्य करने में ये कहीं से भी सहयोग करते प्रतीत नहीं होते हैं। कोविड-19 महामारी के फैलने के दौरान डर व भगदड़ की स्थिति जो लोगों में सोशल मीडिया के माध्यम से देखी गयी। इन प्रतिक्रियाओं को उस समय की स्थिति के हिसाब से आनुपातिक माना जाता है और सोशल मीडिया को जागरूकता फैलाने का माध्यम माना गया। भारत के द्वारा कोविड-19 बिमारी से लड़ने के लिए कोविशील्ड व कोवैक्सीन का आविष्कार किया गया एवं वैक्सीन लगाने के कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 16 जनवरी 2021 से पूरे देश में किया जा रहा है। वैक्सीन के सम्बन्ध में भी पूरी जानकारी न होने के कारण कुछ लोगों के मन में डर है, कुछ लोग राजनीतिक भावनाओं से प्रेरित होकर के। स्वतन्त्र प्लेटफार्म (सोशल मीडिया) के द्वारा अपने भावनाओं को जानकारी का रूप देकर के प्रदर्शित कर रहे हैं जिससे इन पोस्टों से लोग वैक्सीन के सम्बन्ध में भी भ्रमित हो रहे। स्पष्ट है कि सोशल मीडिया को कोविड-19 के सम्बन्ध में भी नकारात्मक व सकारात्मक दोनों ही पक्ष है। कोविड-19 महामारी में जब इस बिमारी से प्रभावित होकर सामाजिक, वैश्विक, अर्थव्यवस्था पूरी तरह से नष्ट हो गयी। सोशल मीडिया ने अपने सकारात्मक पक्षों के साथ बहुत ही बेहतरीन भूमिका का निर्वहन किया। भारत में लॉकडाउन के समय जनता को अपने दैनिक उपभोग की वस्तुओं, स्वास्थ्य सेवाओं के सम्बन्ध में जानकारी आसानी से प्राप्त होने के साधन के रूप में सोशल मीडिया प्रभावी रहा है। कोविड-19 बिमारी से बचाव के उपाय, मास्क का उपयोग, हाथ धुलने का सही तरीका, सामाजिक दूरी का नियम, स्वच्छता एवं सफाई के सम्बन्ध में जानकारी एवं हेल्पलाइन नम्बर का प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया के द्वारा किया गया। जो बच्चे व बुजुर्ग घरों से व अपनों से दूर थे उनको अकेलेपन व अवसाद की स्थिति में जाने से रोकने का माध्यम भी सोशल मीडिया बना। विडियो काल, फेसबुक, वाट्सअप जैसे सोशल मीडिया नेटवर्क का प्रयोग करके लोग सामाजिक दूरी का पालन करके भी अपनों के पास रहे। किन्तु इसका दूसरा पक्ष यह भी सामने आया कि लोग घरों में ही आपस में दूर हो गये व सोशल मीडिया पर पास आ गये।  जो लोग कोविड-19 बिमारी से प्रभावित होने के बाद ठीक हुए उनके द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से अपने अनुभवों को साझा किया गया। साथ ही साथ इस बिमारी से बाहर आने के लिए उन्होंने किस प्रकार के भोजन, दवाईयों, योग इत्यादि का प्रयोग किया इसके बारे में जानकारी दी गयी। ऐसे पोस्टों को सर्च व साझा करने से बहुत से लोगों को फायदा हुआ। सामाजिक रूप से लोगों को जोड़ने के साथ ही सोशल मीडिया के द्वारा अर्थव्यवस्था को भी काफी सहयोग दिया गया। शिक्षा के क्षेत्र में प्राइमरी स्तर से उच्च शिक्षा तक विद्यार्थियों तक पहुँचने का माध्यम अध्यापकों के लिए सोशल मीडिया रहा। ई कन्टेनर को यूट्यूब चैनल, वेबसाइट, गूगल मीट, जूम द्वारा आन लाइन कक्षाओं को प्रभावी रखा गया। साथ ही शोध चर्चाओं हेतु विभिन्न वेबिनार का आयोजन भी इन नेटवर्क माध्यमों से किया गया जिससे ज्ञान व विचार का आदान प्रदान लाकडाउन समय में होने से लोगों ने स्वयं की सहजता को बनाये रखा। आत्मनिर्भर भारत व वोकल फार लोकल की संकल्पना भी इस महामारी काल में ही आयी। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को स्वरोजगार का एक प्लेटफार्म मिल गया। यूट्यूब चैनल, फेसबुक पेज, योगा क्लासेज, डांस क्लासेज, कुकिंग व बेकिंग क्लासेज, पेन्टिंग क्लासेज इत्यादि को रोजगार के रूप में अपनाया गया। दूसरी ओर घर से ही बच्चों व महिलाओं द्वारा अपने कौशल का विकास ऑन लाइन कोर्स व क्लासेज के माध्यम से किया गया। साथ ही जो लोग गरीब व असहाय है या लघु व कुटीर उद्योगों के माध्यम से जीवन-यापन कर रहे थे। इन विपरीत परिस्थितियों में इनके विज्ञापन का कार्य स्वयं सेवी संस्थाओं व लोगों के द्वारा सोशल मीडिया के द्वारा किया गया। प्रख्यात लोक गायिका मालिनी अवस्थी जी द्वारा कोविड-19 महामारी काल में लोक गायकों के सहायता हेतु फेसबुक पेज के माध्यम से लोगों का आवाह्न किया गया व मंच भी प्रदान किया गया।

निष्कर्ष
सोशल मीडिया की कोविड-19 के परिपेक्ष में सकारात्मक भूमिका अत्यधिक देखी गयी, किन्तु जो झूठी खबरे इसके माध्यम से फैलायी गयी उसको देखते हुए भारत सरकार द्वारा 25 फरवली 2021 को सोशल मीडिया के लगभग सभी प्लेटफार्म्स के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी गई है। नई गाइड लाइंस के दायरे में फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया नेटवर्क आयेंगे। इस गाइड लाइंस के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफार्म को किसी भी आपत्तिजनक कंटेट की शिकायत होने पर उसे 36 घंटे के भीतर हटाना होगा। साथ ही डिजिटल मीडिया को इलेक्ट्रानिक मीडिया की तरह ही सेल्फ रेगुलेशन करना होगा। सरकार के साथ ही साथ लोगों की भी स्वयं के प्रति जिम्मेदारी है कि कोविड-19 के सम्बन्ध में अधिकारी वेबसाइट व माध्यम से उपलब्ध कराये गये तथ्यों को पढ़ें। सोशल मीडिया से प्राप्त जानकारी को प्रसारित करने व उसका उपयोग करने के पूर्व उसके तथ्यों को अपने विवेक से जांच लें, उसके बाद ही उनको प्रसारित करें। कुछ सन्देश तथ्यों के आधार पर सही प्रतीत होते हैं किन्तु उनका प्रभाव समाज में डर की भावना में वृद्धि होने की आशंका व्यक्त करता है तो इस प्रकार के सन्देशों को या तो सहज भाषा में आगे जानकारी के रूप में देना चाहिए या तो इसको प्रसारित नहीं करना चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया का प्रयोग करते समय शब्दों का प्रयोग सोच-समझ के करना चाहिए एवं इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की समाज पर इसका उचित प्रभाव पड़े। कोविड-19 महामारी से सम्बन्धित सभी नियमों का पालन करें एवं स्वयं की बारी आने पर वैक्सीन अवश्य लगवायें।
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