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भारत में सड़क दुर्घटना आपदा के रूप में | |||||||
Road Accident in India As A Disaster | |||||||
Paper Id :
16947 Submission Date :
2022-12-14 Acceptance Date :
2022-12-22 Publication Date :
2022-12-25
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सारांश |
आपदा से अभिप्राय विपत्ति से है जो सामान्य दैनिक कार्यों में रूकावट डालती है। मानव जन्य आपदाओं मे युद्ध, आतंकवाद, रेल, वायुयान, सड़क दुर्घटना, दंगे, गैस पाईप लाईन फटना, परमाणु परीक्षण, जलयान आदि है। परिवहन जनित दुर्घटनाओं में सड़क दुर्घटना से उत्पन्न आपदाएं सबसे अधिक होती है।
आपदा को इस प्रकार से भी समझ सकते हैं जो इस प्रकार है:-
वेबस्टर शब्द कोष के अनुसार - अचानक घटित दुर्भाग्यपूर्ण घटना जिससे बहुत बड़ी आर्थिक क्षति एवं कठिनाई उत्पन्न हो, आपदा कहलाती है।
भारत सरकार के आपदा प्रबन्धन अधिनियम (2005) के अनुसार आपदा का तात्पर्य प्राकृतिक अथवा मानव जनित दुर्घटना, लापरवाही या त्रुटि के कारण घटित ऐसी घटना से है जिसके कारण बड़े परिमाण पर मानव क्षति या कष्ट हो, सम्पत्ति की क्षति या विनाश हो या पर्यावरणीय क्षति या अवनति हो और घटना का परिमाण प्रभावित जनसमुंदाय की सामना करने की सीमा से अधिक हो। मानव जन्य आपदाओं ने सिर्फ पूरे संसार को ही परेशान नहीं किया है बल्कि भारत ने भी कई आपदाओं को भी झेला है।
मानव निर्मित आपदा प्राकृतिक आपदा से थोड़ा हटकर होती हैं। यह लापरवाही के कारण जन्म लेती है। जिसकी वजह से जानमाल का खतरा होता है। आपदायें तरककी की राह में रूकावट डालती है। मेहनत से किये गये कार्यों पर पानी फेर देती है। सड़क दुर्घटनाओं मे कार से सबसे अधिक दुर्घटना होती है कारण गाड़ी को तेज चलाना। जिसकी वजह से मानव क्षति होती हे। अथवा लोगों की मृत्यु हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में वित्तीय भार भी बढ़ जाता है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Disaster refers to a calamity that disrupts normal daily activities. Man-made disasters include war, terrorism, rail, aircraft, road accidents, riots, bursting of gas pipelines, nuclear tests, ships etc. Among the transport-related accidents, the disasters caused by road accidents are the most. Disaster can also be understood in this way which is as follows:- According to Webster's dictionary - a sudden unfortunate event that causes great economic loss and hardship is called a disaster. |
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मुख्य शब्द | आपदा, सड़क, रेल, वायुयान, जलयान, आतंकवाद, परमाणु परीक्षण। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Disaster, Road, Rail, Aircraft, Vessel, Terrorism, Nuclear Test. | ||||||
प्रस्तावना |
अक्सर देखा जाता है कि कुछ घटनाएँ पहले से ही सोची - समझी चाल होती है। ऐसी घटनाओं के कई उदाहरण है - जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी नगरों पर बमों का विस्फोट, भोपाल गैस त्रासदी, यूक्रेन मे चर्नोबिल परमाणु दुघर्टना, आदि है जो मानवीय गतिविधियाँ एवं कार्य प्रणाली के कारण यह घटनायें तेज हो जाती है। मानव जनित प्रकोप एवं आपदा में भौतिक मे जलाशयों एवं बाँधों से भूकम्पीय प्रकोप, रासायनिक मे पैट्रोलियम का रिसाव, नाभिकीय परीक्षण विस्फोटक, स्वास्थ्य में कुपोषण, कीट झुंड, परिवहन जन्य में सड़क, रेल, समुद्री परिवहन तथा परमाणु से जुड़े, प्रकोप, औद्योगिक में पटाखों में विस्फोट, आतंकवाद में अलगाववादी, धार्मिक, एवं राष्ट्र, युद्ध एवं संघर्ष से उत्पन्न प्रकोप, भीड़ एवं भगदड़ से पैदा हुए हादसे शामिल होते हैं। कुछ आपदा मानव मदभेद के द्वारा उत्पन्न होती है। समय-समय पर आने वाली प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के कारण कितने लोगों की मौत और उनकी, सम्पत्ति को भी नुकसान पहुंचता है। भारत में आपदाएँ व्यापक नुकसान और विघटन का कारण रही है। अतः प्राकृतिक आपदा हो या मानव - जन्म आपदा हो, इनको अच्छे तरीके से आपदा प्रबन्ध तकनीकों, जागरूकता अभियानों एवं प्रशासनिक समन्वय द्वारा इनके प्रभावों को कम किया जा सकता है। किसी देश को उसकी आर्थिक या सामरिक शक्ति की स्थिति के आधार पर विकसित या विकासशील नहीं माना जा सकता है। उसके लिए स्वास्थ्य परिवहन संचार, शिक्षा जैसी आधारभूत सेवाओं का विश्वस्तरीय होना भी जरूरी है। इसके लिए आपदा प्रबन्धन का होना आवश्यक है। बहुत समय पहले से ही मनुष्य एवं जीव - जन्तु प्राकृतिक आपदाओं से जूझते आये हैं बिजली का कड़कना, आँधी - तूफान को मानव दैवीय शक्ति समझकर काँपता था। आपदायें ऐसी घटना है जो मानचित्र में मानव निर्मित सीमाओं के अनुसार नहीं घटित होती हैं प्राकृतिक व्यवस्था ध्वस्थ होने के कारण आपदायें बढ़ती जा रही हैं । वैश्विक आर्थिकीकरण, शहरीकरण विश्व तापमान मे वृद्धि तथा जलवायु परिवर्तन ने इस संवेदनशीलता को और अधिक बढ़ाया है। मानव पृथ्वी के सबसे विकसित व शक्तिशाली जीवों मे से एक है परन्तु आपदा को समाप्त करने में सक्षम नहीं हो पाया है। लेकिन काफी हद तक प्रयास किया है आपदा को रोकने का तकनीकों की सहायता से।
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. अधिक से अधिक दुर्घटनाओं से ग्रस्त लोगों के बचाव को सुनिश्चित करना।
2. जनजागरूकता पैदा करना।
3. सड़कों पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यातायात सम्बन्धी नियमों का प्रचार किया जाना।
4. आपदाओं का सामना करने के लिए पहले तैयारी
5. गाड़ी को गलत साईड पर चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकना।
6. सड़कों का खराब होना भी हादसा का ही मुख्य अंग है। इसके लिए यातायात विभाग को जगाना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। |
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साहित्यावलोकन | परिवहन सम्बन्धी घटनाओं में
सड़क दुर्घटना सम्बन्धी बहुत से हादसे घटित होते हैं। 2003 मे 947993 दुर्घटनायें, 2013 में 54 मिलियन
दुर्घटनायें हुई जिसमें कई लोग घायल तथा बहुत से लोगों की मृत्यु हुई। भारत में 2009 से 2012 तक मरने वालों
की संख्या 133938 थी। वर्ष 2007 में विश्व में 1230000, चीन में 2009 में 68,000, ब्राजील में 2011 में 37694, संयुक्त राज्य
अमेरिका में 2009 में 33808, रूस में 2012 मे 27991, दक्षिण अफ्रीका में 2011 में 13802, मिश्र में 2009 - 12 तक 12000, अफगानिस्तान में 2007 - 2008 तक 10593, अर्जेण्टाइना में 2000 में 7485, मलेशिया में 2009 में 6745 तथा यूक्रेन
में 2012 में 5094 मरने वालों की संख्या थी।
अफगानिस्तान में 1982 में 2000, स्पेन में 1978 में 215, 1991 में थाईलैण्ड में 171, तमिलनाडु में 1965 में 110, कर्नाटक में1999 में 94,1976 में लिसोयों में 90, 1980 पाकिस्तान में 90, 1991 में जिम्वाम्बे में 87, पंजाब में 1984 में 80 मरने वालों की संख्या थी। भारत में 2016 मे 150785 मरने वालों की संख्या
थी। देश में प्रति वर्ष 48000 लोगों की मृत्यु नौकरी या काम करने वाले स्थलों पर होने
वाली घटनाओं से होती है। जिसमें से 24.20 प्रतिशत निर्माण कार्य करने वालों की संख्या है। वर्ष 2015 में हरियाणा में 11174, तमिलनाडु में 69059, महाराष्ट्र में 63805, मध्यप्रदेश में 54947, कर्नाटक में 44011, केरल में 39014, उत्तर प्रदेश में 24258, आन्ध्रप्रदेश में 24258, राजस्थान में 24072, गुजरात में 23183, तेलंगाना मे 21252, छत्तीसगढ़ में 14446, पश्चिम बंगाल में 13208 सड़क दुर्घटनाओं की संख्या है। 2015 में भारत में हादसों में 500279 घायल होने वाली
लोगों की संख्या है। 2018 में 1.49 लाख लोगों की
मृत्यु हुई। घटनाओं मे दोपहिया वाहन वाले
लोग अधिक थे। 2018 में 15642 लोगों की
मृत्यु दुर्घटना के कारण हुई। महाराष्ट्र में 13212 संख्या थी। वर्ष 2015, 2017 के मध्य हादसों मे लगभग 4.45 लाख लोग मृत्यु को प्राप्त हुए। और 14.65 लाख लोग घायल तथा 2014 - 15 में बीमा कम्पनियों मे
हादसे मे शिकार लोगों को 11480 करोड़ रू0 का भुगतान किया। आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर पिछले देा सालों
में 200 से अधिक मरने वालों की संख्या हो चुकी है। वर्ष 2012 के शुरू में ही यमुना एक्सप्रेसवे पर जनवरी 2018 में 4880 सड़क हादसों में 800 से अधिक मृत्यु और जुलाई 2019 में यह संख्या 850 से अधिक हो गई। वर्ष 1994 में हादसों में 51855, लोगों की मृत्यु हुई थी इसमें से पुरूषों का प्रतिशत 82.30 तथा 30 से 35 वर्ष आयुवर्ग लोगों की हादसों में 3310 मृत्यु दर थी। 1993 में महाराष्ट्र मे सबसे अधिक मौतें तथा 1994 में तमिलनाडु में 7474 मौतें तथा त्रिपुरा में प्रतिशत 3 गुना रहा। आज भी देश सारी सुविधाओं के
होते हुए भी सभी आपदाओं से जूझ रहा है। इसमें हमारी कोई भी गंभीरता नही दिखाई दे रही है। जबकि इसको गंभीरता से
लेना आवश्यक हो जाता है। |
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मुख्य पाठ |
अध्ययन क्षेत्र - भारत दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर (रूस, कनाडा, ब्राजील, संयुक्त राज्य अमेरिका, आस्ट्रेलिया व चीन के बाद) जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व मे दूसरे स्थान पर (चीन के बाद) है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में चीन (तिब्बत), नेपाल और भूटान पूर्व में बांगलादेश और म्यानमार (वर्मा) स्थित है। हिन्द महासागर मे इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण पूर्व में इण्डोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत तथा दक्षिण में हिन्द महासागर स्थित है। दक्षिण पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर है। भारत एक प्रायद्वीप बनाता है। यह तीन तरफ से पानी से घिरा होता है। बंगाल की खाड़ी के तट पर सुंदरवन है, जो दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है। विस्तार - Latitudes 80
4’ N and 370 6’ N Longitudes 680 7’ E and
970 25 E Area – 3.287 million km2 Population – 139.34 Crores स्थलीय
सीमा - 15,200 कि0मी0 Area – 32,87,263 km2 विषय विवेचन - सड़क परिवहन का विकास सरलता के लिए किया गया है। गाड़ियों की संख्या में वृद्धि, सडक के नियमों को अनदेखा करना, तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना, नशे में चलाना, सड़कों का खराब होना हादसों को निमंत्रण देता है। मार्ग हादसों की संख्या काफी विकट बनी हुई है। दोपहिया वाहनों ने भी काफी लोगों की जान ली है। नेशनल हाईवे भी सडक घटनाओं मे प्रमुख है। वर्ष 2021 के लिए एन0सी0आर0बी0 की रिपोर्ट के अनुसार भारी वाहनों से 14622 तथा नेशनल हाईवे पर 53615 और शाम से लेकर रात तक 81410 और एक्सप्रेसवे पर 965 दुर्घटनाएं हुई। सड़क हादसों मे तेज गति से वाहन चलाने के कारण 403116 मार्ग दुर्घटनायें, ओवरटेकिंग के कारण संख्या 103629 तथा शहरी इलाको में 29.7 प्रतिशत दुर्घटनायें हुई। तेज गति के कारण अधिक मृत्यु तमिलनाडु (11419) मे दूसरे नम्बर पर कर्नाटक (8797) मे हुई। उत्तर प्रदेश में नशे के कारण 27.1 प्रतिशत मृत्यु हुई। देश मे आठ प्रतिशत हादसे शिक्षण संस्थानों के नजदीक हुए। आपदा एक खतरा है जिसमें शारीरिक क्षति व पर्यावरण मे भारी परिवर्तन होता है। हादसों में विकलांगता भी बढ़ती है जिसका असर समाज, परिवार, पर पड़ता है। अभी हाल में उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गुजरात, मे हुए सड़क हादसे ने परिवहन व्यवस्था और दुर्घटनाओं से निपटने के लिए रणनीति बनाने पर प्रश्न खड़ा किया है। सड़क हादसों मे वायरल वीडियो से पता चलता है कि कैसे - कैसे दुर्घटनाओं को अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है। मिजोरम, पंजाब, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश में घायलों की संख्या कम होती है। मरने वालों की संख्या अधिक हाती है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के कुल वाहनों का तीन फीसदी संख्या भारत में है। ’’2021 दिल्ली रोड क्रैश रिपोर्ट’’ के मुताबिक दिल्ली पैदल चलने वाले लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है। अगर तुलना की जाये तो अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों ने पैदल चलने वाले, अपाहिज वाले साईकिल वाले व्यक्तियों के लिए काफी सुरक्षा प्रदान की है। यातायात निदेशालय ने सभी राज्यों तथा जिलों को पत्र भेजकर चिन्ता प्रकट करके सड़क हादसों मे कमी लाने के लिए अभियान चलाने को कहा है। लखनऊ, नौएडा, गोरखपुर और प्रयागराज आदि शहरों मे 25 प्रतिशत से भी अधिक हादसों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। 2021 मे दुर्घटना 24513 बढ़कर 27871 हुई मरने वालों की संख्या 13995 जो बढ़कर 15213 हो गई। इसी वर्ष 16129 घायलों की संख्या जो 2022 वर्ष में 19103 हो गई। वर्ष 2021 मे लखनऊ में 528 हादसे जो बढकर 805 और नोयडा मे हादसे वर्ष 2021 मे 526 जो बढकर 718 हो गये। घायल
होने वाले लोागों की संख्या वर्ष 2021 से अधिक 2022 मे डेढ़ गुुना से भी अधिक रही।
गोरखपुर में भी लगभग ऐसा ही हाल है। 2016-2020 के
मध्य सड़क दुर्घटनायें प्राप्त डाटा के अनुसार निम्नलिखित है। 1- वर्ष - 2016 - 151801 भारत में वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 1.55 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है। यह आंकड़ा औसतन 426 लोग प्रतिदिन या हर घंटे 18 लोगों का है। कोरोना काल के बाद चालानों की संख्या घटने से हादसों की संख्या मे वृद्धि हो रही हैं। वर्ष 2020 में 708 दुर्घटना 469 घायल तथा 327 की मृत्यु तथा 2021 में 824 दुर्घटना, 551 घायल तथा 392 मृत्यु तथा 2022 मे 633 दुर्घटना, 446 घायल तथा 276 मृत्यु को प्राप्त हुए। वर्ष 2020 में चालान 377626 तथा 2152 वाहन सीज हुए। वर्ष 2021 मे चालान 306287 तथा 3952 वाहन सीज हुए। वर्ष 2022 मे 242221 चालान तथा 5212 वाहन सीज हुए। यह आँकड़े गाजियाबाद के हैं। प्राकृतिक और मानवीय दोनो प्रकार की आपदाओं से विकसित एवं विकासशील देश समान रूप से प्रभावित है किन्तु तुलनात्मक रूप से विकासशील देश अधिक संवेदनशील हैं। आपदा भौतिक समग्रता, संपदा और आय की हानि इन तरीकों से प्रभावित करती है। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ हरमन सिंह सोढ़ी के अनुसार ब्राजीलिया और स्टाकहोम (स्वीडन) सड़क हादसे को रोकने का संकल्प पूरा नही हो पाया इस कारण से सुप्रीम कोर्ट के आदेश निर्देश भी नहीं हो पाते हैं। सड़क का माहौल सुरक्षित होना चाहिए। भारत में सड़क नेटवर्क निरंतर बढ रहा है। बीते 22 वर्ष मे देश की जनसंख्या मे भी 36 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है 2024 तक दुर्घटनाओं की संख्या आधी करने का लक्ष्य केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग ने रखा हैं 2025 तक सभी शहरों मे टैफिक कैमरा लगाने की तैयारी है। के0के0 कपिला प्रेसीडेन्ट एमेरिट्स, इंटरनेशनल रोड फेडरेशन ने तकनीक की मदद से सावधानी बरतने के लिए कई फीचर्स उपलब्ध कराये हैं। भारत में तेजी से गाडी चलाने वाली सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। वर्तमान मे मनुष्य प्रकृति जन्मदाता बनने की कोशिश मे लगा हुआ है। आधुनिकता के नाम पर वह प्रकृति का शोषण करता जा रहा है अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों का विनाश, नई - नई इमारतें, सड़कें, भवन, कारखाने आदि बना रहा हैं क्या आप लोग जानते हैं कि सड़क हादसे प्राकृतिक आपदा से अधिक जीवन लेती है। उदाहरण के रूप में 2015 मे प्राकृतिक आपदाओं ने 10510 लोगों की जान ली थी जबकि सड़क हादसे में 146133 यानि कि 14 गुना अधिक थी। कारणः-
1- जल प्रवाह प्रणाली |
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निष्कर्ष |
आपदाओं के प्रभाव का जो दृश्य सामने आया है वह है बड़े पैमाने पर मानवीय वेदना जिंदगियों का नुकसान तथा वित्तीय लागत में आकस्मिक वृद्धि। विभिन्न राष्ट्रो में आपदा सम्बन्धी नमूनों को स्पष्ट करने मे भूगोल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है जैसे एशियाई देशों मे अफ्रीका देशों की तुलना में अधिक मौत होती हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि आपदायें कैसे कम हो इसके लिए मुबंई से देहरादून की ’’प्रगति से प्रकृति पथ यात्रा’’ को हरी झण्डी दिखाते हुए समारोह मे अपनी बात कही। पदमभूषण डा0 अनिल प्रकाश जोशी ने साईकिल यात्रा के द्वारा हवा, मिट्टी, जंगल और पानी को बचाने के लिए कहा है। यानि कि प्राकृतिक सम्पदाओं को बचाने का संदेश देने के लिए कहा है। आपदाओं के प्रभाव को विकास की राह में रूकावट माना जाता है। मानव को कई तरह की परेशानी तथा प्रगति का न होना भी मानव को आहत कर देता है। आपदायें सभी तरह के विकास को खतरे में डाल देती है। हम सबको उससे उबरना होगा। मानव की गलत क्रियायें मनुष्यों की जान और माल की हानि कर बैठती है यह सब सिर्फ नुकसान ही नहीं बल्कि प्रगति को भी रोकती है। इन आपदाओं को रोकना मनुष्य के हाथ में है फिर भी यह घटनायें घटित हो जाती है। घटनाओं से बचने के लिए उचित प्रबन्धन और नियंत्रण का होना जरूरी है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. https;//timesofindia.indiatimes.com
2. ikaspedia
3. स्वयं के द्वारा लिखा गया है।
4. पर्यावरण विज्ञान - डॉ. विजय कुमार तिवारी
5. पर्यावरण, आपदा प्रबन्धन एवं जलवायु परिवर्तन- डॉ. चतुर्भुज मामोरिया
6. News Articles ( Danik Jagran, Amar Ujala) |