P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- X , ISSUE- V January  - 2023
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत-बांग्लादेश सम्बन्ध
India-Bangladesh Relations in Current Perspective
Paper Id :  17133   Submission Date :  2023-01-12   Acceptance Date :  2023-01-21   Publication Date :  2023-01-25
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रामकल्याण मीना
सह आचार्य
राजनीति विज्ञान
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय
झालावाड़,राजस्थान, भारत
सारांश
बांग्लादेश के निर्माण में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। 6 दिसम्बर 1971 को भारत द्वारा बांग्लादेश को मान्यता दी गई। 19 मार्च 1972 को भारत और बांग्लादेश के बीच एक मैत्री संधि हुई जिसकी अवधि 25 वर्ष की थी। 10-13 जनवरी 2010 को प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा, भारत-बांग्लादेश संबंधों में नया ऐतिहासिक मोड़ लाने की दिशा में मील का पत्थर थी। बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी 27 मार्च 2021 को ढाका पहुंचे दोनों नेताओं की द्विपक्षीय वार्ता के बाद 5 करार भी हुए। 5-8 सितम्बर 2022 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 4 दिवसीय भारत यात्रा पर आयी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-बांग्लादेश संबंधों के सभी बिन्दुओं पर विचार विमर्श किया। इन बिन्दुओं में प्रतिरक्षा तथा सुरक्षा, सीमा प्रबंध, जल स्रोतों में सहयोग, एनर्जी, सांस्कृतिक सहयोग तथा विकास साझेदारी आदि शामिल है। दोनों नेताओं ने 7 सितम्बर 2022 को एक संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद India has played an important role in the creation of Bangladesh. Bangladesh was recognized by India on 6 December 1971. On 19 March 1972, a friendship treaty was signed between India and Bangladesh, whose duration was 25 years. The visit of Prime Minister Sheikh Hasina to India on 10–13 January 2010 marked a historic turning point in India-Bangladesh relations. On the occasion of completion of 50 years of Bangladesh's independence, Prime Minister Modi reached Dhaka on March 27, 2021. Five agreements were also signed after bilateral talks between the two leaders. On 5-8 September 2022, Prime Minister of Bangladesh Sheikh Hasina came on a 4-day visit to India. The two Prime Ministers discussed all aspects of India-Bangladesh relations. These points include defense and security, border management, cooperation in water resources, energy, cultural cooperation and development partnership etc. Both the leaders also issued a joint statement on 7 September 2022.
मुख्य शब्द नेबरहुड़ फस्र्ट, विरासत, सार्वभौम, धर्मनिरपेक्ष, सांस्कृतिक, द्विपक्षीय, सुरक्षा।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Neighborhood First, Heritage, Universal, Secular, Cultural, Bilateral, Security.
प्रस्तावना
भारत के पड़ौसी देशों में बांग्लादेश सबसे महत्त्वपूर्ण देश है। पहले यह पाकिस्तान का अंग था और इसका नाम पूर्वी पाकिस्स्तान था। बांग्लादेश की भूमि सीमा तीन और से भारत की सीमा से घिरी है तथा चैथी ओर बंगाल की खाड़ी स्थित है भारत और बांग्लादेश 4156 किमी. सीमा रेखा साझा करते है जो भारत द्वारा किसी भी अन्य पड़ौसी देश के साथ साझा सीमा रेखा से लम्बी है। बांग्लादेश के निर्माण में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। शायद ही विश्व के किसी देश को अपनी स्वाधीनता के लिए इतनी कुर्बानियां देनी पड़ी हो जितनी इस देश ने दी। भारत विश्व का पहला देश है जिसने बांग्लादेश को एक पृथक एवं स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता प्रदान की थी और दिसम्बर 1971 में इसकी स्वतंत्रता के तुरंत बाद एक मित्र दक्षिण एशियाई पड़ौसी के रूप में बांग्लादेश के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये थे। भारत की ’’नेबरहुड फस्र्ट’’ नीति में बांग्लादेश एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। बांग्लादेश के साथ भारत के सभ्यतागत, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संबंध है। एक साझा इतिहास एवं विरासत, भाषाई एवं सांस्कृतिक संबंध, संगीत साहित्य और कला के लिए एक समान उत्साह आदि दोनों देशों को परस्पर संबद्ध करता है यद्यपि नदी जल विवाद, अवैध अप्रवासियों की सहायता और मादक दृव्यों के व्यापार जैसे कई प्रमुख मुद्दे दोनों देशों के संबंध में अड़चन बने हुए है।
अध्ययन का उद्देश्य
1. दोनों देशों के आपसी संबंधों का वर्तमान परिपे्रक्ष्य में अध्ययन करना 2. दोनों देशों की सांझी संस्कृति का अध्ययन करना 3. दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों का अध्ययन करना 4. भारत की सुरक्षा चिन्ताओं का अध्ययन करना 5. दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों का अध्ययन करना
साहित्यावलोकन

1. चडढ़ा पी.के. ’’अन्तर्राष्ट्रीय संबंध प्रकाशक आदर्श प्रकाशन, जयपुर

 प्रस्तुत पुस्तक में मुख्यतः भारत की विदेश नीति, भारत के पड़ौसी राष्ट्रों से संबंध, भारत की गुटनिरपेक्षता नीति तथा अमेरिका, रूस, चीन की विदेशनीतियों पर प्रकाश डाला गया है।

2. फड़िया डाॅ. बी.एल., डाॅ. कुलदीप ’’अन्तर्राष्ट्रीय संबंध’’ साहित्य भवन आगरा

प्रस्तुत पुस्तक में 25 अध्यायों को समाहित किया गया है इनमे मुख्यतः भारत की विदेश नीति व पड़ौसी देशों से संबंध, आसियान, सार्क, ब्रिक्स समसामयिक बहुधु्रवीय विश्व में भारत, प्रमुख देशो की विदेशी नीति आदि के बारे में उल्लेख किया गया है।

3. जोशी डाॅ. आर.पी. ’’अन्तर्राष्ट्रीय संबंध’’ प्रकाशक शीलसंस, जयपुर

प्रस्तुत पुस्तक में भारत की, साम्यवादी चीन, पूर्व सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीतियों का उल्लेख किया है पुस्तक में 25 अध्यायों को सम्मिलित किया है।

4. बिस्वाल तपन :- ’’अन्तर्राष्ट्रीय संबंध’’ प्रकाशक ओरियन्ट ब्लैकस्वाँन प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद

प्रस्तुत पुस्तक उभरती हुई अन्तर्राष्ट्रीय प्रवृत्तियों (मुद्दों) के संदर्भ में भारतीय परिपे्रक्ष्य का रेखांकन करती है पुस्तक में समसामयिक अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों के केन्द्रीय मुद्दों, संकल्पनाओं एवं आयामों का सहज विश्लेषण किया गया है।

5. मिश्रा राजेश ’’भूमण्डलीकरण के दौर में भारतीय विदेश नीति’’ प्रकाशक सरस्वती IAS

प्रस्तुत पुस्तक को 13 भागों में विभक्त किया गया है जिनमें भारतीय विदेश नीति का ऐतिहासिक विकास, विदेशों से भारत के संबंध, एशिया के देशों की समस्याओं, भारत व महाशक्तियाँ संयुक्त राष्ट्रसंघ आदि के बारे में बताया गया है।

मुख्य पाठ

सन् 1971 में स्वतंत्र, सार्वभौम, प्रजातांत्रिक और धर्म निरपेक्ष बांग्लादेश का उदय इस उपमहाद्वीप में सर्वोत्तम महत्व की घटना है। इस घटना ने भारत को एक महाशक्ति के रूप में उभारा है। इसने द्वि राष्ट्र सिद्धांत की कब्र खोद दी है। इसने सिद्ध कर दिया की धर्म के आधार पर भारत का विभाजन भौगोलिक और राजनीतिक मूल के साथ तृतीय पक्ष (ब्रिटिश शासकों) की धूर्तता का परिणाम था। बांग्लादेश के उदय से यह स्पष्ट है कि कोई भी निरंकुश शक्ति और किसी प्रकार का अत्याचार, नरसंहार और जघन्य कार्य लोगों की स्वतंत्रता के संकल्प को नष्ट नहीं कर सकता। 6 दिसम्बर 1971 को भारत द्वारा बांग्लादेश को मान्यता देने के बाद 10 दिसम्बर 1971 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी और बांग्लादेश के तत्कालीन कार्यवाहक राष्ट्रपति नजरूल इस्लाम के मध्य एक संधि हुई जिसके अनुसार भारतीय सेनापति की अध्यक्षता में एक संयुक्त कमान का निर्माण किया गया। जब 16 दिसम्बर 1971 को बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना के कमाण्डर जनरल नियाजी ने हथियार डाल दिये तो स्वतंत्र बांग्लादेश का निर्माण हो गया।[1]

भारत के प्रयासों से 9 जनवरी को शेख मुजीब को पाकिस्तानी जेल से रिहा कर दिया गया और 10 जनवरी 1972 को भारत पहुंचने पर शेख ने भारत के प्रति अपने आभार का व्यक्त किया। शेख मुजीब ने कहा ’’भारत-बांग्लादेश एक असीम भाई-चारे में बंध गये है, उनका कृतज्ञ राष्ट्र भारत की सहायता भुला नहीं सकेगा।[2]

स्वतंत्र बांग्लादेश के निर्माण के समय से लेकर 1975 तक भारत-बांग्लादेश संबंध घनिष्ठ मित्रता के रहे। अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति दोनों देशों के दृष्टिकोण और विचारों में काफी समानता रही। दोनों ही देश धर्म निरपेक्षता, पंचशील, गुटनिरपेक्षता की नीति में विश्वास करते रहे। दोनों हिन्द महासागर को शांति का क्षेत्र बनाये रखना चाहते थे। बांग्लादेश को मान्यता दिलाने में भारत की कूटनीति अत्यधिक सक्रिय रही। शेख मुजीब के कार्यकाल में भारत और बांग्लादेश के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को सुदढ़ करने के लिए फरवरी 1972 में शेख मुजीब भारत यात्रा पर आये और मार्च 1972 में श्रीमती गाँधी बांग्लादेश गई। 19 मार्च 1972 को भारत और बांग्लादेश के बीच एक मैत्री संधि हुई जिसकी अवधि 25 वर्ष की थी। इस संधि के द्वारा दोनों देशों ने एक-दूसरे के आंतरिक मामलों के हस्तक्षेप न करने, एक दूसरे की सीमाओं का आदर करने, एक दूसरे के विरूद्ध किसी अन्य देश की सहायता नहीं करने, विश्व शांति और सुरक्षा को दृढ़ बनाने, आदि का संकल्प किया। संधि में यह व्यवस्था की गयी कि यदि दोनों देशों में कोई मतभेद हो जायेगा तो उसे आपसी बातचीत द्वारा हल करने की कोशिश करेंगे। 25 मार्च 1972 को एक व्यापार समझौता हुआ जिसके अनुसार सीमाओं के दोनों तरफ सोलह-सोलह किमी. तक स्वतंत्र व्यापार की व्यवस्था थी। इसमें आयात-निर्यात और विनिमय संबंधी कोई नियंत्रण नहीं था बांग्लादेश के आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए भारत ने 25 करोड़ रूपये मूल्य का माल और सेवाएं प्रदान करने का वचन दिया। भारत ने बांग्लादेश को 50 लाख पौण्ड की विदेशी मुद्रा का ऋण देने का भी निश्चय किया। 30 सितम्बर 1972 को दोनों देशों के बीच एक सांस्कृतिक समझौता हुआ जिसने दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत किया। मई 1974 में बांग्लादेश और भारत के बीच सीमांकन संबंधी समझौता हुआ जिसके अनुसार भारत ने दाहग्राम और अमरकोट का क्षेत्र बांग्लादेश को दे दिया और बांग्लादेश के बेरूबाड़ी पर भारतीय अधिकार स्वीकार कर लिया। मई 1974 में भारत ने बांग्लादेश को 40 करोड़ रूपये का ऋण देना भी स्वीकार किया।[3]

अगस्त 1975 में बांग्लादेश में आन्तरिक विद्रोह हुआ। जिसमें बांग्लादेश के राष्ट्रपति शेख मुजीर्बुरहमान की हत्या कर दी गई, इसके साथ ही दोनों देशों के मध्य मैत्रीपूर्ण संबंधों में तनाव उत्पन्न हो गया तथा दोनों देशों की कुछ द्विपक्षीय समस्याओं को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उठाने का प्रयास किया गया। इस तरह की समस्याओं में सबसे बड़ी समस्या थी। गंगाजल के बटवारे की समस्या, इस समस्या को हल करने के लिए दोनों देशों के मध्य वार्ताओं के पश्चात् 26 सितम्बर 1977 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गये जो कि नवम्बर 1977 से लागू हुआ। इस समझौते को फरक्का समझोते का नाम दिया गया। समझौते पर भारत में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ हुई। आलोचना का मुख्य आधार था कि गंगा नदी की अस्सी प्रतिशत धारा भारत में है तथा चालीस हजार क्यूसिक से कम पानी मिलने पर कलकत्ता बन्दरगाह को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा जबकि इस बांध का निर्माण कलकत्ता बन्दरगाह के लिए ही किया गया था इस समझौते के अन्तर्गत भारत को अपनी आवश्यकता से 20 हजार क्यूसिक पानी कम मिल रहा था जबकि बांग्लादेश को अपनी आवश्यकता से पाँच हजार क्यूसिक पानी अधिक मिल रहा था। लेकिन इस समझौते का भारत को कोई लाभ नहीं हुआ। बांग्लादेश ने इस समस्या को बहुपक्षीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय रूप देने का भी प्रयास   किया।[4]

1974 के समझौते के अनुसार मुहरी नदी के पानी की मध्य रेखा ही भारत- बांग्लादेश की सीमा रेखा है। बांग्लादेश रायफल्स के अधिकारियों ने इस समझौते का उलंघन करके 1979 में भारतीय जमीन पर अपना कब्जा पेश किया और भारतीय किसानों पर गोलिया चलायी। यह विवाद 44-45 एकड़ जमीन के बारे में है जो त्रिपुरा राज्य के बेलोनेया करबे के पास मुहरी नदी के तट पर है। इसके अलावा नवमूर द्वीप विवाद, चकमा शरणार्थियों की समस्या ने भी दोनों देशों के बीच तनाव पैदा किया। 1980 के दशक में भारत ने सीमा पार से बांग्लादेशियों के आप्रवासन को रोकने के लिए बाड़ा बनाने की योजना बनाई और बांग्लादेश की यह इच्छा थी कि चकमा विद्रोहियों को भारत की और से गुप्त सहायता न प्राप्त हो। भारत में शरणार्थी, संबंधों में सबसे बड़ी रूकावट है। जून 1992 में इस बात पर सहमति हुई थी कि भारत, बांग्लादेश को गंगा डेल्टा में 1.5 हैक्टेयर तीन बीघा गलियारा अनंतकालीन पट्टे पर देगा। यह गंगा डेल्टा से बांग्लादेशियों का अपनी मातृभूमि तक अलग करने वाला एक अन्तः विदेशी क्षेत्र है। दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए। वर्ष 1991 में पहली बार भारतीय सेना प्रमुख ढाका गए जो एक उल्लेखनीय कदम था। बांग्लादेशी भूमि से भारत विरोधी शक्तियों की निरन्तर गतिविधियों तथा उग्रवाद भी भारत के लिए चिंता का विषय है।[5]

वर्ष 1996 में शेख हसीना वाजिद के सत्ता में आने से भारत-बांग्लादेश के संबंधों में प्रगति देखी गई जिसका उदाहरण गंगा जल बंटवारा समझौता है। 2001 में खालिदा जिया की सरकार आने के बाद भारतीय सुरक्षा चिंताओं की अवहेलना की गई उल्फा नेता अनूप चेतिया ने बांग्लादेश में शरण ली तथा उल्फा को न केवल बांग्लादेश में शरण दिया गया, बल्कि इन्हें स्वतंत्रता सेनानी की उपाधि भी दी गई। भारत ने बांग्लादेश द्वारा उग्रवादी संगठनों को शरण देने का विरोध किया।[6]

अपै्रल 2001 में बांग्लादेश की सेना भारतीय क्षेत्र में लगभग डेढ़ किमी. घुस आई और उसने मेघालय में दावकी से चार किमी. दूर पिरदयाव गाँव पर कब्जा कर लिया। बांग्लादेशी सैनिकों ने सिर्फ गाँव पर कब्जा ही नहीं किया बल्कि बी.एस.एफ. के कतिपय जवानों को बंदी बना लिया। बांग्लादेश राइफल्स द्वारा 16 भारतीय जवानों को अमानवीय यातना देकर मारने की घटना ने पूरे राष्ट्र को क्षुब्ध कर दिया। केन्द्र सरकार ने बांग्लादेश से कड़ा विरोध दर्ज किया और कहा कि वह जवानों की हत्या जैसा आपराधिक दुःस्साहस करने वालों को दण्ड दे। भारत स्थित बांग्लादेश के उच्चायुक्त को इस घटना के संदर्भ में दो बार विदेश मंत्रालय बुलाकर फटकार भी लगाई गई।[7] 2009 में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बी.एस.एफ. के जवानों ने लगभग 59 घुसपेटियों को मार डाला। ये घुसपैटिए जबरन भारत की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे थे इस घटना के बाद दोनों देशों के संबंध और भी कटु हो गए।[8]

10-13 जनवरी 2010 को प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा, भारत-बांग्ला संबंधों मे नया ऐतिहासिक मोड़ लाने की दिशा में मील का पत्थर है। 13 जनवरी 2010 को नई दिल्ली में शेख हसीना को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए 2009 के प्रतिष्ठित इंदिरा गाँधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत ने बांग्लादेश को एक बिलियन डाॅलर यानी लगभग 4500 करोड़ रूपये का अनुदान भी इस यात्रा के दौरान दिया। इस यात्रा से पूर्व असम के आतंकवादी नेता राजखोवा को भारत के हवाले करके बांग्लादेश सरकार ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया था कि अपनी जमीन पर वह कोई भी भारत विरोधी गतिविधि बर्दाश्त नहीं करेगी। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने दाहाग्राम-आंगरापोटा के लिए विद्युत उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने हेतु भारत के प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और भारत को पूर्व में हुई सहमति के अनुसार सिर्फ भारत के उपयोग हेतु तीन बीघा कोरीडोर पर फ्लाई ओवर का निर्माण करने के लिए आमंत्रित किया। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने 1974 के भू-सीमा करार की भावना के अनुरूप सभी अनसुलझे तथा भू सीमा संबंधी मुद्दों का व्यापक समाधान किए जाने पर तथा भारत और बांग्लादेश के बीच समुद्री सीमा का सौहार्दपूर्ण सीमांकन किए जाने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने समुद्री कानून से संबद्ध संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के अनुबंध-7 के तहत कार्यवाही आरम्भ किए जाने पर गौर किया और इस संदर्भ में बांग्लादेश के प्रतिनिधिमंडल की भारत यात्रा का स्वागत किया। इस बात पर भी सहमति व्यक्त की गई कि बांग्लादेश में आशुगंज तथा भारत में सिलहट को मुक्त बंदरगाह घोषित किया जाएगा। बांग्लादेश सड़क और रेल मार्ग द्वारा भारत से आने वाले और भारत को जाने वाले सामानों की आवाजाही के लिए मोगला और चटगांव समुद्री बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति देगा। यह सहमति भी व्यक्त की गई कि प्रस्तावित अखौरा-अगरतला रेलवे लिंक का वित्तपोषण भारत के अनुदान से किया जाएगा। उन्होंने कलकत्ता और ढाका के बीच ’’मैत्री एक्सपे्रस’’ का शुभारंभ किए जाने का स्वागत किया तथा दोनों देशों के बीच सड़क और रेल संपर्कों की बहाली का आह्वान किया।[9]

दोनों प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति में निम्न करारों पर भी हस्ताक्षर किए गए-[10]                                         

. आपराधिक मामलों पर पारस्परिक विधिक सहायता से सम्बद्ध करार

. राजयाफ्ता कैदियों के अंतरण से संबद्ध करार

. अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, संगठित अपराध तथा मादक द्रव्यों की तस्करी की रोकथाम से संबद्ध करार।

. विद्युत क्षेत्र में सहयेाग से संबद्ध समझौता ज्ञापन

. सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम

11 मार्च 2010 को ढाका में इन्दिरा गाँधी सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना के पश्चात् दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक कार्यकलापों में और तेजी आई। कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए है जिसमें पुस्तक विमोचन, चित्रकला प्रतियोगिता, नृत्य एवं संगीत कार्यक्रम, भारतीय फिल्में दिखाना, कला प्रदर्शनी और व्याख्यान सहित सभी प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल किए गए है। सांस्कृतिक केन्द्र में भारत के शिक्षक योग, नृत्य और शास्त्रीय संगीत में कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते रहे है। पारस्परिक हित के सभी क्षेत्रों में भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग जारी रहा, जिसकी परिणति 6-7 सितम्बर 2011 तक भारत के प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा के रूप में हुई। वर्ष 2012 में 200 मिलियन अमेरिकी डाॅलर को अनुदान में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया था। जिसका उपयोग बांग्लादेश सरकार की प्राथमिकता के अनुसार परियोजना के लिए किया जाएगा। ऋण शृंखला के अन्तर्गत उपलब्ध शेष 800 मिलियन अमेरिकी डाॅलर में से 656.34 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की राशि की 12 परियोजनाओं की पहचान परस्पर सहमति से की गई है। 6 सितम्बर 2011 को भारत व बांग्लादेश ने वर्षों पुराने सीमा विवाद को हल करते हुए ऐतिहासिक सीमांकन समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का ढाका यात्रा के दौरान दोनों देशों में 162 छोटे क्षेत्रों के आदान-प्रदान की सहमति बनी। वर्ष 2013-14 में बांग्लादेश में व्यापार तथा आर्थिक सहयोग को सुदृढ़ बनाने के लिए संस्थागत अवसंरचना को सुदृढ़ बनाया गया।[11]

भारत-बांग्लादेश के बीच वर्ष 2015 में लैण्ड बाॅर्डर एग्रीमेंट हुआ है जिसके तहत दोनों देशों के मध्य सीमा विवाद तो सुलझा रहे है साथ ही इस सीमा में आने वाली बस्तियों के लोगों को अपनी पहचान मिली ओर इमाइग्रेशन का खतरा भी कम हुआ है। 18 सितम्बर 2018 को प्रधानमंत्री मोदी व शेख हसीना ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए 130 किमी. लम्बी पाइप लाइन जिसे भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइप लाइन की संज्ञा दी गई, का शिलान्यास किया। इस पाइप लाइन के द्वारा भारत पूर्व में जो पेट्रोलियम प्रोडक्ट रेल मार्ग से पहुंचाता था अब सीधा पाइपलाइन से बांग्लादेश पहुंचाएगा जिससे बांग्लादेश की ऊर्जा दक्षता में वृद्धि होगी।[12]

बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी 27 मार्च 2021 को ढाका पहुंचे। यात्रा के दूसरे दिन शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी की बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई जिसमे 5 करार (MOU) भी हुए साथ ही कई अहम प्रोजेक्ट्स की भी घोषणा की गई। साथ ही दोनों देशों के बीच मिताली एक्सपे्रस पैसेंजर ट्रेन ढाका से जल्पाईगुडी के बीच शुरू की जायेगी। वार्ता के दौरान 5 मुद्दों पर समझौता हुआ वह है- डिजास्टर मैनेजमेंट रिजिलीअन्स एंड मिटिर्गेशन, बांग्लादेश नेशनल कैडेट काटर्स और नेशनल कैडेट काटर्स के बीच करार के अलावा बांग्लादेश के राजशाही काॅलेज फील्ड और उसके आसपास के क्षेत्र में खेल गतिविधियों को विकसित करना। साथ ही दोनों देशों के बाॅर्डर पर 3 नए बाॅर्डर हाॅल्ट शुरू किए जाऐंगे। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आज ’’नेबर हुड फस्र्ट’’ नीति के तहत प्रधानमंत्री शेख हसीना को 109 एंबुलेंस सौपी साथ बांग्लादेश को 12 लाख कोरोना वैक्सीन डोज गिफ्ट किया। वही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पीएम मोदी को बंगबधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी के अवसर पर जारी किए गए सोने और चांदी का एक-एक सिक्का भेंट किया। प्रधानमंत्री मोदी ओराकांडी के मतुआ समुदाय के मंदिर पहुंचे जहां उन्होंने पूजा अर्चना की। ओराकांडी में ही मतुआ समुदाय के संस्थापक हरिशचंद्र ठाकुर का जन्म हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा में बांग्लादेश के राष्ट्रीय पर्व पर भारत के 130 करोड़ भाइयों-बहनों की तरफ से आपके लिए प्रेम और शुभकामनाएँ लाया हूँ। आप सभी को बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने पर ढेरों बधाई, हार्दिक शुभकामनाएँ, दोनों देशों के बीच हमारा रिश्ता जन-जन का मन से मन का है। श्री मोदी ने सावर में शहीद स्मारक का भी दौरा किया था दूसरे दिन पीएम मोदी ने काली मंदिर और बंगबधु काटलेक्स का दौरा किया।[13]

बांग्लादेश के 50 विजय स्विस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 15 दिसम्बर 2021 को बांग्लादेश की यात्रा पर पहुंचे ढाका में राष्ट्रपति कोविंद का जोरदार स्वागत किया गया उनके स्वागत में 21 तोपों की सलामी दी गई और सलामी गारद दिया गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से ढांका में मुलाकात की और दोनों नेताओं ने आपसी हित एवं द्विपक्षीय सहयोग के कई मामलों पर चर्चा की।[14]

5-8 सितम्बर 2022 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 4 दिवसीय भारत यात्रा पर आयी। इस यात्रा के दौरान शेख हसीना ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़, विदेश मंत्री एस. जयशंकर तथा उत्तरी पूर्वी क्षेत्रों के विकास मंत्री जी किशन रेड्डी से मुलाकात की तथा विभिन्न द्विपक्षीय क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर विचार विमर्श किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान स्टूडेन्ट स्काॅलरशिप की भी घोषणा की जिसके अन्तर्गत 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सैनिकों के वर्तमान 200 परिजनों को बांग्लादेश द्वारा छात्रवृत्ति दी जाएगी। 7 सितम्बर को उन्होंने एक व्यापारिक सम्मेलन को भी संबोधित किया। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ व्यक्तिगत तथा प्रतिनिधि मंडल दोनों स्तरों पर बातचीत    की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-बांग्लादेश संबंधों के सभी बिन्दुओं पर विचार-विमर्श किया। इन बिन्दुओं में प्रतिरक्षा, तथा सुरक्षा, सीमा प्रबन्धन, जल स्रोतों में सहयोग, एनर्जी, सांस्कृतिक सहयोग तथा विकास साझेदारी आदि शामिल है। इसके साथ ही दोनों नेताओं ने कतिपय नए क्षेत्रों जैसे- पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, अन्तरिक्ष तकनीकी, साइबर सुरक्षा तथा सूचना तकनीकी, ग्रीन एनर्जी तथा ब्लू इकोनाॅमी आदि में भी सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। दोनों नेताओं ने 7 सितम्बर 2022 को एक संयुक्त व्यक्तव्य भी जारी किया जिसमें दोनों देशों के संबंधों की वर्तमान स्थिति का पता चलता है। इस संयुक्त व्यक्तव्य की निम्न बाते महत्त्वपूर्ण है-[15]

सम्पर्कता पर जोर-

भारत व बांग्लादेश के बीच 4156 किमी. लम्बी सीमा है जो भारत की पड़ौसी देशों के साथ लगती सीमाओं में सबसे लम्बी है। इसके अतिरिक्त बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भारत बांग्लादेश से होकर अपने पूर्वोत्तर राज्यों के साथ बेहतर सम्पर्कता स्थापित कर सकता है। वर्तमान में पूर्वोत्तर राज्यों से सम्पर्क स्थापित करने का एकमात्र संकरा जलमार्ग दार्जलिंग से होकर गुजरता है। पुनः सम्पर्कता व्यापार निवेश तथा विकास में भी सहायक है। इसलिए दोनों देश अपने संबंधों में सम्पर्कता के विकास पर विशेष जोर दे रहे है। दोनों देशों के बीच पहले से कई सम्पर्कता परियोजनाओं पर काम चल रहा है। वर्तमान यात्रा के दौरान कतिपय रेल सम्पर्कता जैसे कौनिया न्यू गीतलदाहा लिंक लाइन, हिल्ली-बीरमपुर रेल लाइन, कतिपय रेलवे लाइनों का उन्नतीकरण तथा सिराजगंज कानटेनर डिपो का निर्माण करने पर सहमति व्यक्त की गई। भारत ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि वह बांग्लादेश को अपनी भूमि से निःशुल्क निर्यात की इजाजत देगा। दोनों देशों ने भारत की सहायता से माँगला व चटगाँव बन्दरगाहों के विकास के कार्य पर संतोष व्यक्त किया। इसके अलावा दोनों देशों ने अन्य उपक्षेत्रीय सम्पर्कता परियोजनाओं विशेषकर प्रस्तावित बांग्लादेश-भूटान-इंडिया-नेपाल सड़क मार्ग परियोजना को यथा शीघ्र मूर्तरूप देने पर सहमति व्यक्त की। भारत ने बांग्लादेश से यह भी अनुरोध किया है कि वह पश्चिम बंगाल के हिली से अपने क्षेत्र से होकर मेघालय के महेन्द्रगंज तक सड़क मार्ग के विकास हेतु सहमति प्रदान करे।

व्यापार तथा आर्थिक साझेदारी को प्रोत्साहन-

दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि भारत एशिया में बांग्लादेश के निर्यात का सबसे बड़ा बाजार बन गया है। बांग्लादेश के अनुरोध पर भारत ने खाद्य पदार्थों चावल, गेहूँ प्याज आदि की आपूर्ति की सुनिश्चितता पर सहमति व्यक्त की। द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए दोनों देशों ने कस्टम स्टेशनों तथा पोर्ट पर ढाँचागत सुविधाओं को बढ़ाने तथा व्यापार पर लगे गैर टैरिफ प्रतिबंधों को शिथिल करने पर सहमति व्यक्त की। दोनों देश व्यापार व निवेश को बढ़ाने के लिए एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर करना चाहते है। इसके साथ ही दोनों देशों ने विकास साझेदार की प्रगति पर भी संतोष व्यक्त किया।

सीमा प्रबंधन-

भारत व बांग्लादेश की लम्बी सीमा कई जगहों पर खुली तथा प्राकृतिक बाधाओं के युक्त है इसका प्रबंधन करना एक कठिन कार्य है इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सीमा पर बचे हुए फेन्सिंग कार्य को पूरा करने तथा जीरो लाइन के 150 गज की दूरी तक विकास कार्यों को पूरा करने पर सहमति व्यक्त की। दोनों देशों ने सीमा पर नशीली दवाओं व अन्य वस्तुओं के अवैध व्यापार तथा मानव तस्करी के विरूद्ध सक्रिय साझा प्रयासों का स्वागत किया। इसी संदर्भ में दोनों देशों ने आतंकवाद तथा उग्रवाद को समाप्त करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

जल संसाधनों का बँटवारा-

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने लम्बे समय बाद कुशियारा नदी के जल बँटवारे को लेकर एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किए है। दूसरी तरफ भारत ने त्रिपुरा राज्य की सिंचाई हेतु पानी की आपूर्ति हेतु दोनों देशों के बीच फेनी नदी पर समझौते हेतु बांग्लादेश से अनुरोध किया है।

एनर्जी साझेदारी-

बांग्लादेश अपनी एनर्जी आवश्यकताओं के लिए भारत पर निर्भर है। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने एनर्जी सेक्टर में उप-क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने पर बल दिया। दोनों देशों ने आपस में बिजली ट्रांसमिशन नेटवर्क के विकास पर बल दिया। दोनों देशों ने पहले से प्रस्तावित कटिहार (बिहार), पार्बतीपुर (बांग्लादेश), बोरनगर (असम) बिजली ट्रांसमिशन लाइन को शीघ्र पूरा करने पर बल दया। दोनों देश वर्तमान में इंडिया-बांग्लादेश फेंडशिप तेल पाइपलाइन परियोजना पर काम कर रहे है जिसके द्वारा भारत से बांग्लादेश को जल की आपूर्ति की जा सकेगी।

क्षेत्रीय मुद्दे- दोनों नेताओं ने कतिपय क्षेत्रीय विषयों पर भी विचार-विमर्श किया। दोनों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि क्षेत्रीय संगठनों के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। भारत ने बांग्लादेश द्वारा बिम्सटेक संगठन का सचिवालय स्थापित करने के लिए आभार व्यक्त किया। भारत ने इंडयन ओसन रीम एसोसिएसन के अध्यक्ष के रूप में बांग्लादेश का सहयोग करने का आश्वासन दिया।

सात नए समझौते-

शेख हसीना की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आपसी सहयोग का विस्तार करने के लिए सात समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए जैसे कुशियारा नदी के जल बँटवारे का समझौता, बांग्लादेश के रेल कर्मियों के भारत में प्रशिक्षण का समझौता, रेलवे में सूचना तकनीकी के प्रयोग पर सहयोग का समझौता, दोनों देश के बीच तकनीकी क्षेत्र सहयोग बढ़ाने का समझौता, अन्तरिक्ष तकनीकी के क्षेत्र में सहयोग का समझौता, सूचना प्रसारण के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग का समझौता, बांग्लादेश के न्यायिक अधिकारियों के भारत में प्रशिक्षण हेतु      समझौता।[16]

भारत-बांग्लादेश प्रगाढ़ होते सम्बन्ध-

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच होने वाले काॅम्प्रेहेंसिव इकोनाॅमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट यानी ईपीए आने वाले दिनों में द्विपक्षीय कारोबार के लिए अहम भूमिका निभाएगा। वल्र्ड बैंक के एक वर्किंग पेपर के मुताबिक फ्री ट्रेड़ एग्रीमेंट के तहत बांग्लादेश का निर्यात 182 प्रतिशत बढ़ सकता है। अगर भारत बांग्लादेश को कुछ अतिरिक्त कारोबारी सहूलियत देता है और ट्रांजेक्शन लागतों में कमी करता है तो निर्यात 300 प्रतिशत तक बढ़ सकता है इससे भारत की राॅ मैटेरियल इंडस्ट्री से लेकर मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों में फायदा होगा। क्योंकि बांग्लादेश की बढ़ती जरूरते भारत के लिए वहाँ बाजार मुहैया कराएगी। बांग्लादेश भारत का छठा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है दोनों देशों के बीच 2009 में 2.4 अरब डाॅलर का कारोबार होता था लेकिन 2020-21 में यह बढ़कर 10.8 अरब डाॅलर का कारोबार होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शेख हसीना से मुलाकात के बाद कहा कि बांग्लादेश भारत के सबसे बड़े कारोबारी सहयोगियों में से एक है। भारत अब अब बांग्लादेश के साथ आईटी, स्पेस और न्यूक्लियर सेक्टर में सहयोग बढ़ाएगा। भारत हर वर्ष 15 से 20 लाख बांग्लादेशियों को वीजा देता है जो भारत में इलाज, नौकरी पर्यटन और मनोरंजन के लिए आते है। निश्चित रूप से हाल के समय में व्यापारिक सहयोग का बढ़ना उत्साहवर्द्धक है।[17]

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश के बीच सम्पर्क लगातार बढ़ता जा रहा है। हसीना सरकार के सहयोगी रूख से दोनों देशों के बीच सहयोग का एक नया आयाम खुल गया है। दरअसल पूर्वोत्तर में शांति और समृद्धि लाने में बांग्लादेश ने भारत के लिए अहम भूमिका निभाई है। इतना ही नहीं पूर्वोत्तर का बाकी भारत से कनेक्टिविटी बेहतर करने में भी बांग्लादेश का बड़ा रोल है। त्रिपुरा काॅरिडोर जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर बांग्लादेश के सहयोग से ही बन सकता है अब फेनी नदी के उपर बने पुल से बांग्लादेश से समान लेकर सीधे त्रिपुरा पहुँचा जा सकता है। बांग्लादेश के कैंपों से पूर्वोत्तर भारत के अलगाववादी आन्दोलन को जिस तरह से समर्थन मिल रहा था उसे कुचलने में भी हसीना सरकार ने अहम भूमिका निभाई है। वहाँ रह रहे अलगाववादी आन्दोलन के बड़े नेताओं को हसीना सरकार ने भारत को सौंप दिये इनमें उल्फा नेता अरविंद राजखोवा समेत कई दूसरे अलगाववादी नेता है अब वे भारत से शांति वार्ता कर रहे है। पिछले दिनों असम के मुख्यमंत्री हिमत बिस्व शर्मा ने कहा कि बांग्लादेश की वजह से आज उनके राज्य के लोग चैन की नींद सो पा रहे है। चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की चुनौतियों को देखते हुए भारत के लिए इस इलाके में ऐसे देश की जरूरत है जो उसका दोस्त हो। यही वजह है कि भारतको बांग्लादेश की मदद की जरूरत है।[18]

निष्कर्ष
बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध निकट ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक समानताओं से परिलक्षित होते है यद्यपि भारत ने 17 अपै्रल 1971 को स्वतंत्र बांग्लादेश की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई फिर भी ढाका के साथ नई दिल्ली के संबंध न तो निकटतम रहे और न ही विवादों से मुक्त रहे। बांग्लादेशी राष्ट्रवाद में ढाका ने एक बाध्यकारी शक्ति के रूप में इस्लाम पर बल दिया। तटवर्ती सीमा पर द्विपक्षीय विवाद, साझे जल संसाधनों पर विवाद तथा पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशियों का अवैध अप्रवासन, भारत बांग्लादेश संबंधों के मार्ग की कुछ बाधाएँ है। हालांकि दोनों देशों ने विभिन्न मामलों पर संवाद बनाए रखा तथा संयुक्त आर्थिक सहयोग के उदार कार्यक्रम की भी शुरूआत की। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आतंकवाद की समस्या को प्रमुखता देते हुए उससे निपटने के प्रति भी आश्वासन दिया था। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के मौजूदा भारत दौरे के सकारात्मक नतीजे सामने आए है इस दौरान दोनों देशों के बीच सात समझौते हुए। इनमें बीते 26 वर्षों में पहली बार जल बँटवारा समझौते को अंजाम दिया गया। मुक्त व्यापार समझौता वार्ता की शुरूआत हुई और बुनियादी ढाँचा, खासकर रेलवे की कई परियोजनाओं पर करार हुआ। कुल मिलाकर दक्षिण एशिया में बांग्लादेश भारत का एक भरोसेमंद साझीदार है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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