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शिक्षार्थी शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षताः एक अध्ययन | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Hindi Language Reading Competency of Student Teachers: A Study | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
17086 Submission Date :
2023-01-05 Acceptance Date :
2023-01-16 Publication Date :
2023-01-25
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सारांश |
प्रस्तुत शोध-अध्ययन का मुख्य उद्देश्य भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में स्थित विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का आकलन करना था। अध्ययन हेतु जयपुर जिले में स्थित विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों में से 18 शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत 921 शिक्षार्थी-शिक्षकों का चयन यादृच्छिक पद्धति से किया गया। इन शिक्षार्थी-शिक्षकों में से 506 शिक्षार्थी-शिक्षक बी.एड. पाठ्यक्रम से, 148 शिक्षार्थी-शिक्षक डी.एल.एड.पाठ्यक्रम से, 140 शिक्षार्थी-शिक्षक बी.ए.बी.एड. पाठ्यक्रम से, तथा 127 शिक्षार्थी शिक्षक बी.एससी.बी.एड. पाठ्यक्रम से में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। दत्त-संकलन हेतु स्वनिर्मित हिंदी-भाषा वाचन दक्षता मापनी का निर्माण किया गया। आंकड़ों के विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि बी.एड. एवं डी.एलएड. पाठ्यक्रम प्राप्त कर रहे महिला एवं पुरुष शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता में सार्थक अंतर पाया गया जबकि बी.ए.बी.एड. एवं बी.एससी.बी.एड. पाठ्यक्रम में अध्ययनरत पुरुष एवं महिला शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता में सार्थक अंतर नहीं पाया गया।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The main objective of the present research study was to assess Hindi language reading proficiency of student-teachers undergoing training in various teacher-training institutes located in Jaipur district of Rajasthan state of India. For the study, 921 student-teachers studying in 18 teacher-training institutes were randomly selected from various teacher-training institutes located in Jaipur district. Out of these learner-teachers, 506 learner-teachers B.Ed. course, 148 learner-teachers from D.El.Ed. course, 140 learner-teachers from B.A.B.Ed. course, and 127 learner teachers B.Sc.B.Ed. Received training from the course. A self-made Hindi-language reading proficiency scale was prepared for data collection. From the analysis of the data it was found that B.Ed. and D.El.D. A significant difference was found in Hindi language reading proficiency of female and male student-teachers receiving the course while B.A.B.Ed. and B.Sc.B.Ed. No significant difference was found in Hindi language reading proficiency of male and female student-teachers studying in the course. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | हिंदी भाषा, वाचन दक्षता, शिक्षक-प्रशिक्षण, शिक्षार्थी-शिक्षक, विद्यार्थी-शिक्षक, भावी शिक्षक। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Hindi Language, Reading Proficiency, Teacher-Training, Learner-Teacher, Student-Teacher, Future Teacher. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना |
वाचन एक आजीवन कौशल है जिसका उपयोग स्कूल और जीवन भर दोनों में किया जाता है। एंडरसन, हाइबर्ट, स्कॉट और विलिंकसन के अनुसार, पढ़ना एक बुनियादी जीवन कौशल है। यह स्कूल में और वास्तव में, जीवन भर बच्चे की सफलता की आधारशिला है। अच्छी तरह से पढ़ने की क्षमता के बिना, व्यक्तिगत पूर्ति और नौकरी की सफलता के अवसर अनिवार्य रूप से खो जाएंगे (Anderson et al., 1985)। इसके महत्व के बावजूद, पढ़ना शिक्षा प्रणाली में सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। हमारे तकनीकी समाज में साक्षरता के उच्च स्तर की लगातार बढ़ती मांग इस समस्या को और भी विकट बना देती है (Snow et al., 1998)।
अध्ययन उद्देश्यों के सन्दर्भ में छात्रों का दृष्टिकोण भी वाचन-क्षमता को प्रभावित करता है। यदि विद्यार्थी उन्हें प्रदान की गई सामग्री का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहते हैं, तो उन्हें आलोचनात्मक या विश्लेषणात्मक रूप से वाचन करना सीखना होगा। यहां विचार यह है कि जब हम किसी सामग्री का वाहन करते हैं, तो हमारा उद्देश्य यह समझने की कोशिश करना है कि सन्दर्भ सामग्री का तात्पर्य क्या है। वाचन के साथ व्यवहार करते समय, हम वास्तविकता को दो प्रकार से समझने का प्रयास करते हैं एक जिसे हम देख सकते हैं और एक जिसे हम नहीं देख सकते हैं। इसलिए वाचन का उद्देश्य अदृश्य संप्रत्यय में अंतर्निहित अर्थ को दृश्यमान और स्पष्ट बनाना है। टीले का दावा है कि सभी पाठकों का लक्ष्य यह समझना होना चाहिए कि वे क्या पढ़ते हैं (Teele, 2004)। अनुसंधान से पता चलता है कि अच्छे वाचक पाठ के साथ सक्रिय रूप से सम्मिलित होते हैं, और वे उन प्रक्रियाओं से अवगत होते हैं जिनका उपयोग वे वाचन के माध्यम से विषयवस्तु को समझने के लिए करते हैं। वाचन रणनीतियों के निर्देश के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों के अधिगम में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। भविष्यवाणी करना, संबंध बनाना, कल्पना करना, अनुमान लगाना, पूछताछ करना और सारांशित करना, वाचन सम्बन्धी सुधार के लिए अनुसंधान द्वारा विकसित की गई रणनीतियाँ हैं (lock & Israel, 2005)। वाचन संबंधी रणनीति का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए, सोच-समझकर प्रक्रिया, समूह अभ्यास, भागीदार अभ्यास और रणनीति के स्वतंत्र उपयोग के माध्यम से इन रणनीतियों को सिखाना महत्वपूर्ण है (Duke & Pearson, 2005)।
जैसा कि हम जानते हैं, वाचन में सक्षम होना शैक्षिक उपलब्धि के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विद्यार्थियों को स्कूल के भीतर और बाहर दोनों ही तरह के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को समझने और आनंद लेने का कौशल प्रदान करता है। स्कूल से परे, यह हमारे दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो काम और आगे की शिक्षा के लिए उपलब्ध विकल्पों का निर्धारण करता है। इस प्रकार, यह आवश्यक है कि हम उन प्रक्रियाओं को समझें जो सफल पठन समझ की ओर ले जाती हैं और उन तरीकों को जिनसे छोटे बच्चों में इन प्रक्रियाओं को विकसित किया जा सकता है।
शिक्षक हेतु वाचन कौशल में निपुणता एवं सटीकता एक व्यवसायगत आवश्यकता है। वही शिक्षक अपने विद्यार्थियों को सही, शुद्ध एवं सटीक वाचन हेतु प्रेरित कर सकता है जिसे वाचन सम्बन्धी सभी रणनीतियों में निपुणता प्राप्त हो तथा वह स्वयं उत्तम वाचन कौशलों से परिपूर्ण हो। शिक्षक-शिक्षा संस्थानों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे भावी शिक्षकों को इस विधा में पर्याप्त निपुण होना चाहिए। यदि इस स्तर पर वे वाचन कौशल का विकास नहीं कर पाएंगे तो भावी व्यवसाय के प्रति न्याय नहीं कर पाएंगे।
भारत के हिंदी भाषी प्रदेशों में राजस्थान राज्य एक प्रमुख राज्य है जहां अध्ययन-अध्यापन का माध्यम हिंदी है। हिंदी दैनिक जीवन की भाषा होने के साथ ही प्रशासनिक भाषा भी है। इस स्थिति में शिक्षकों को हिंदी भाषा में निपुण होना आवश्यक है। प्रस्तुत शोध भावी शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता के आकलन हेतु समर्पित है।
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षणरत बी.एड. पाठ्यक्रम के शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का लैंगिक आधार पर तुलनात्मक अध्ययन करना।
2. विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षणरत बी.ए.बी.एड. पाठ्यक्रम के शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का लैंगिक आधार पर तुलनात्मक अध्ययन करना।
3. विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षणरत बी.एएससी.बी.एड. पाठ्यक्रम के शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का लैंगिक आधार पर तुलनात्मक अध्ययन करना।
4. विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षणरत डी.एल.एड. पाठ्यक्रम के शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का लैंगिक आधार पर तुलनात्मक अध्ययन करना। |
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साहित्यावलोकन | भाषागत दक्षता के अंतर्गत वाचन दक्षता महत्वपूर्ण अंग हैं। वाचन पर स्थानीय प्रभाव दृष्टिगोचर होने के उपरांत भी अनेक शिक्षक ऐसे हो सकते हैं जिनके वाचन में शुद्धता होती है तथा उच्चारण किये जाने वाले शब्दों से भिन्न ये वाचन में कुशलता प्रदर्शित करते हैं। जाना डोलेज़लोवा द्वारा भावी शिक्षकों की वाचन दक्षता का मूल्यांकन करने हेतु शोधकार्य किया गया तथा उन्होंने पाया कि भावी शिक्षकों को वाचन-दक्षता विकसित करने हेतु अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता है (Doležalová, 2015)। यह स्थिति सभी भावी शिक्षकों पर सामान रूप से लागू होती है। भारत में भावी शिक्षकों के सम्मुख प्रमुख समस्या शुद्ध उच्चारण एवं वाचन है (Ramakrishnan, 2021)। उपरोक्त सभी शोधकार्यों का अवलोकन करने से ज्ञात हुआ कि शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा दक्षता पर बहुत काम शोधकार्य हुए हैं तथा इनमे भी हिंदी भाषा वाचन दक्षता पर कोई शोधकार्य नहीं हुआ है। इस स्थिति में प्रस्तुत शोध कार्य प्रासंगिक है। |
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मुख्य पाठ |
शिक्षार्थी-शिक्षक भविष्य के शिक्षक होते हैं तथा
भावी शिक्षा-व्यवस्था का सञ्चालन एवं देश-दुनिया हेतु भावी नागरिक तैयार करना इनका
उत्तरदायित्व होता है (Skilbeck & Connell, 2004)। किसी
भी अन्य शिक्षक की भांति इनको भी भाषा के सन्दर्भ में पारंगत होना चाहिए। भाषागत
त्रुटियां श्रोता अथवा अध्ययनकर्ता में भ्रम उत्त्पन्न करती हैं। एक सफल शिक्षक
बनने हेतु आवश्यक है कि इन शिक्षकों की भाषागत दक्षता का आंकलन प्रशिक्षण-काल में
ही कर लिया जाए ताकि यदि कोई कमी अथवा त्रुटि पायी जाती हो तो समय रहते इन्हे
सुधार लिया जाए। भाषागत दक्षताओं में वाचन सम्बन्धी दक्षता महत्वपूर्ण है। भविष्य
में जब ये शिक्षक शिक्षण-कार्य को व्यवसाय के रूप में अपनाएँ तो उन्हें वाचन
सम्बन्धी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़े। प्रस्तुत शोध कार्य से प्राप्त
निष्कर्ष शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का आंकलन कर विभिन्न
त्रुटियों एवं बाधाओं को दूर करने में सहायक सिद्ध होंगे। इस सन्दर्भ में प्रस्तुत
शोध कार्य आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है।
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न्यादर्ष |
प्रस्तुत शोधकार्य हेतु राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में स्थित 18 शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत 921 शिक्षार्थी-शिक्षकों का चयन यादृच्छिक न्यादर्शन पद्धति से किया गया। इन शिक्षार्थी-शिक्षकों में बी.एड. पाठ्यक्रम के 506 शिक्षार्थी-शिक्षक, बी.ए.बी.एड. पाठ्यक्रम के 140 शिक्षार्थी-शिक्षक, बी.एएससी.बी.एड. पाठ्यक्रम के 127 शिक्षार्थी-शिक्षक, एवं डी.एल.एड. पाठ्यक्रम के 148 शिक्षार्थी-शिक्षक थे। |
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प्रयुक्त उपकरण | प्रस्तुत शोध हेतु स्वनिर्मित हिंदी भाषा लेखन-दक्षता परीक्षण का उपयोग किया गया। परीक्षण मे कुल तीन आयाम थे- हिंदी वर्तनी पहचान परीक्षण एवं हिंदी वर्तनी सुधार परीक्षण। विधिवत पद्धतियों के माध्यम से उपकरण की विश्वसनीयता एवं वैधता का निर्धारण किया गया। उपकरण की ब्तवदइंबी’े ।सचीं विश्वसनीयता प्रथम आयाम हेतु 0.79 एवं द्वितीय आयाम हेतु 0.89 पाई गयी। उच्च विश्वसनीयता के सन्दर्भ में उपकरण की वैधता स्थापित की गयी। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
विश्लेषण | तालिका-1: बी. एड. पाठ्यक्रम के पुरुष एवं महिला प्रशिक्षणार्थियों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का तुलनात्मक अध्ययन
तालिका क्रमांक 1 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि जयपुर जिले के विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों के बी.एड. पाठ्यक्रम में प्रशिक्षणरत महिला प्रशिक्षणार्थियों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता पुरुष प्रशिक्षणार्थियों की तुलना में सार्थक रूप से श्रेष्ठ पाई गयी (p<0.05)।
तालिका-2: बी.ए.बी.एड. पाठ्यक्रम के पुरुष एवं महिला प्रशिक्षणार्थियों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का तुलनात्मक अध्ययन
तालिका क्रमांक 2 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि जयपुर जिले के विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों के बी.ए.बी.एड. पाठ्यक्रम में प्रशिक्षणरत पुरुष प्रशिक्षणार्थियों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता महिला प्रशिक्षणार्थियों की तुलना में श्रेष्ठ पाई गयी, किन्तु यह अंतर सार्थक नहीं था (p>0.05)। तालिका-3: बी.एससी.बी.एड. पाठ्यक्रम के पुरुष एवं महिला प्रशिक्षणार्थियों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का तुलनात्मक अध्ययन
तालिका क्रमांक 3 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि जयपुर जिले के विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों के बी.एससी.बी.एड. पाठ्यक्रम में प्रशिक्षणरत महिला प्रशिक्षणार्थियों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता पुरुष प्रशिक्षणार्थियों की तुलना में श्रेष्ठ पाई गयी किन्तु यह अंतर सार्थक नहीं था (p>0.05)। तालिका-4: डी.एल.एड. पाठ्यक्रम के पुरुष एवं महिला प्रशिक्षणार्थियों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का तुलनात्मक अध्ययन
तालिका क्रमांक 4 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि जयपुर जिले के विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों के डी.एल.एड. पाठ्यक्रम में प्रशिक्षणरत महिला प्रशिक्षणार्थियों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता महिला प्रशिक्षणार्थियों की तुलना में सार्थक रूप से श्रेष्ठ पाई गयी (p<0.05)। |
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जाँच - परिणाम | 1. राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में स्थित विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों के बी.एड. पाठ्यक्रम में अध्ययनरत पुरुष एवं महिला शिक्षार्थी- शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता में सार्थक अंतर पाया गया। महिला प्रशिक्षणार्थी पुरुष प्रशिक्षणार्थियों की तुलना में हिंदी भाषा वाचन दक्षता के सन्दर्भ में सार्थक रूप से श्रेष्ठ पाई गयीं। 2. राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में स्थित विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों के बी.ए.बी.एड. पाठ्यक्रम में अध्ययनरत पुरुष एवं महिला शिक्षार्थी- शिक्षकों की हिंदी भाषा में सार्थक अंतर नहीं पाया गया। पुरुष प्रशिक्षणार्थी महिला प्रशिक्षणार्थियों की तुलना में हिंदी भाषा वाचन दक्षताके सन्दर्भ में श्रेष्ठ पाए गए किन्तु यह अंतर सार्थक नहीं था। 3. राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में स्थित विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों के बी.एससी.बी.एड. पाठ्यक्रम में अध्ययनरत पुरुष एवं महिला शिक्षार्थी- शिक्षकों की हिंदी भाषा सार्थक अंतर नहीं पाया गया। महिला प्रशिक्षणार्थी पुरुष प्रशिक्षणार्थियों की तुलना में हिंदी भाषा वाचन दक्षता में श्रेष्ठ पाई गयीं किन्तु यह अंतर सार्थक नहीं था। 4. राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में स्थित विभिन्न शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों के डी.एल.एड. पाठ्यक्रम में अध्ययनरत पुरुष एवं महिला शिक्षार्थी- शिक्षकों की हिंदी भाषा सार्थक अंतर पाया गया। महिला प्रशिक्षणार्थी पुरुष प्रशिक्षणार्थियों की तुलना में हिंदी भाषा वाचन दक्षता में सार्थक रूप से श्रेष्ठ पाई गयीं। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
निष्कर्ष |
प्रस्तुत शोध से प्राप्त निष्कर्षों है कि अधिकांश शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षणरत शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता में लैंगिक आधार पर अंतर है। प्रशिक्षण-काल में यदि शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता का आंकलन कर लिया जाए तो प्रशिक्षण-पाठ्यक्रम का उन्नयन इस प्रकार से किया जा सकता है कि शिक्षार्थी-शिक्षकों की हिंदी भाषा वाचन दक्षता में आने वाली बाधाओं एवं कठिनाइयों को समय पर दूर कर रखें ताकि भावी शिक्षकों में आत्म-विश्वास की वृद्धि हो सके तथा वे अपने भावी व्यवसाय के प्रति न्याय कर सकें। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. Anderson, R., Hiebert, E., Scott, J., & Wilkinson, I. (1985). Becoming a nation of readers: The report of the commission on reading. Washington, DC: National Institute of Education and the Center for the Study of Reading.
2. Block, C., & Israel,, S. (2005). Reading first and beyond: The complete guide for teachers and literacy coaches. Thousand Oaks, CA: Corwin Press.
3. Doležalová, J. (2015). Competencies of Teachers and Student Teachers for the Development of Reading Literacy. Social and Behavioral Sciences, 171, 519–525. 10.1016/j.sbspro.2015.01.156
4. Duke, N. K., & Pearson. (2005). Effective practices for developing reading comprehension. Retrieved November 26, 2022, from http://www.ctap4.org/%20infolit/trainers/comprehe_strategies.pdf
5. Ramakrishnan, M. (2021, May 24). Teaching Hindi to young learners: The need for a pedagogic change. LEAD School. Retrieved November 26, 2022, from https://leadschool.in/blog/teaching-hindi-to-young-learners-the-need-for-a-pedagogic-change/
6. Snow, C. E., Burns, M. S., & Griffin, P. (1998). Preventing reading difficulties in young children. Washington, DC: National Academy Press.
7. Teele, S. (2004). Overcoming barricades to reading a multiple intelligences approach. Thousand Oaks, CA: Corwin Press. |