P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- X , ISSUE- VI February  - 2023
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
माध्यमिक स्तर एवं जूनियर स्तर के अध्यापकों की पर्यावरणीय अभिवृत्तियों का तुलनात्मक अध्ययन
Comparative Study of Environmental Attitudes of Secondary Level and Junior Level Teachers
Paper Id :  17311   Submission Date :  2023-02-13   Acceptance Date :  2023-02-24   Publication Date :  2023-02-25
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भुवनेश्वर सिंह मस्तैनया
असिस्टेंट प्रोफेसर
शिक्षा संस्थान
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय
झॉसी, उ0प्र0, भारत
सारांश
प्रस्तुत शोधपत्र में माध्यमिक स्तर एवं जूनियर स्तर के अध्यापकों की पर्यावरणीय अभिवृत्तियों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। प्रस्तुत अध्ययन में वर्णानात्मक सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है। न्यादर्श हेतु जनपद झाँसी के भावी शिक्षकों को चयनित किया गया है। पर्यावरणीय अभिवृत्ति के लिये प्रदत्तों का संकलन डा0 हसीन ताज द्धारा तैयार ‘पर्यावरणीय अभिवृत्ति मापनी’ द्धारा किया गया। संकलित प्रदत्तों के विश्लेषण हेतु मध्यमान, मानक विचलन, एवं टी-परीक्षण एवं सहसम्बंध का प्रयोग किया गया। प्रदत्तों के विश्लेषण के फलस्वरूप पाया गया कि शैक्षिक उपलब्धि का मान माध्यमिक स्तर तथा जूनियर स्तर के अध्यापकों का पर्यावरणीय अभिवृत्ति तथा शैक्षिक उपलब्धि में सकारात्मक, धनात्मक है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In the presented research paper, a comparative study of environmental attitudes of secondary level and junior level teachers was done. Descriptive survey method has been used in the present study. Future teachers of Jhansi district have been selected for sampling. The data for environmental attitude was collected by the 'Environmental Attitude Scale' prepared by Dr. Hasin Taj. Mean, standard deviation, and t-test and correlation were used for the analysis of the collected data. As a result of the analysis of the data, it was found that the value of academic achievement is positive, positive in the environmental attitude and academic achievement of secondary level and junior level teachers.
मुख्य शब्द माध्यमिक स्तर एवं जूनियर स्तर, पर्यावरणीय अभिवृत्तियाँ।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Secondary Level and Junior Level, Environmental Attitudes.
प्रस्तावना
आज विश्व के सभी देश किसी न किसी प्रकार की पर्यावरणीय समस्या से त्रस्त हैं। इन समस्याओं के निवारण हेतु जन-जागरण की अत्यंत आवश्यकता है। इसी कारण पर्यावर्णीय अध्ययन पर बल दिया जा रहा है। पर्यावर्णीय अध्ययन जड़ एवं चेतन दोनों को ही शिक्षा देने वाला है। प्रकृति ही मनुष्य को महान शिक्षा देने वाली शिक्षिका होती है एंव पर्यावरण के उददेश्यों, मूल्यों को पहचानने में मदद करती है तथा उनके अनुकूल नागरिकों में अभिवृत्तियों का विकास करने में सहायता करती है। पर्यावरणीय अध्ययन दायित्वों को जानने तथा विचारों को स्पष्ट करने वाली प्रक्रिया है। इसके अध्ययन से जीवनयापन की विधियों तथा सहयोग के कार्य करने, अपनी प्रमुख आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये वातावरण का उपयोग करने, संस्कृति तथा उसके प्रभावशाली तत्वों का परिचय प्राप्त करने के लिये अधिक ध्यान दिया जाता है कि पर्यावर्णीय शिक्षा सामान्य शिक्षा नहीं है। बल्कि ये शिक्षा प्राणी मात्र की वर्तमान में जीवित रखने तथा भविष्य में सुरक्षित जीवन प्रदान करने वाली शिक्षा है। समस्या की उत्पत्तियाँ - मानव समाज अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए अनेक साधनों को अपनाता है। यदि किसी आवश्यकता की संतुष्टि किसी उपलब्ध साधन द्वारा नहीं हो पाती है तो समस्या उत्पन्न हो जाती है। अर्थात आवश्यकता की संतुष्टि के मार्ग में उपस्थित बाधा ही समस्या है। पर्यावरण में फैली इस प्रदूषणरूपी समस्या हेतु झाँसी जनपद के माध्यमिक स्तर एवं जूनियर स्तर के अध्यापकों के पर्यावर्णीय अभिवृत्तियाँ जानने को अपना उद्देश्य बनाया।
अध्ययन का उद्देश्य
इस अध्ययन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं - 1. माध्यमिक स्तर के पुरूष एवं महिला अध्यापकों की पर्यावर्णीय अभिवृत्तियों का तुलनात्मक अध्ययन करना। 2. जूनियर स्तर के पुरूष एवं महिला अध्यापकों की पर्यावर्णीय अभिवृत्तियों का तुलनात्मक अध्ययन करना। 3. माध्यमिक स्तर तथा जूनियर स्तर पर शिक्षकों की पर्यावर्णीय अभिवृत्तियों का तुलनात्मक अध्ययन।
साहित्यावलोकन

सिंह, अल्का (2013) के द्वारा दूरस्थ शिक्षा प्रणाली एवं परम्परागत शिक्षा प्रणाली में अध्ययनरत् बी.एड. प्रशिक्षार्थियों की पर्यावरण अवबोध, पर्यावरणीय शिक्षा के सन्दर्भ में अभिवृत्ति तथा प्रशिक्षण आवश्यकता का तुलनात्मक अध्ययन किया। शोध कार्य में सर्वेक्षणात्मक विधि का प्रयोग करते हुये दूरस्थ शिक्षा प्रणाली एवं परम्परागत शिक्षा प्रणाली के शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं के 600 बी.एड छात्रों का चयन न्यादर्श के रूप में किया गया। शोध अध्ययन में प्रयोज्यों के समंकों को एकत्र करने के लिए तीन मापन उपकरणों का प्रयोग किया गया। पर्यावरण अवबोध के लिए डॉ. पी.के. झा द्वारा संरचित अवबोध मापनी, पर्यावरण अभिवृत्ति मापनी डॉ. आर.आर. सिंह द्वारा संरचित अभिवृत्ति मापनी एवं पर्यावरणीय प्रशिक्षण के लिए स्वनिर्मित मापनी का प्रयोग किया गया। सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए टी-परीक्षण का प्रयोग किया गया। निष्कर्षतः परम्परागत शिक्षा प्रणाली के बी.एड. प्रशिक्षणार्थियों में पर्यावरण अवबोध तथा अभिवृत्ति दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के बी.एड. प्रशिक्षणार्थियांे से अधिक है। इसी प्रकार परम्परागत शिक्षा प्रणाली के बी.एड प्रशिक्षणार्थियों में पर्यावरणीय प्रशिक्षण की आवश्यकता दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के बी.एड प्रशिक्षणार्थियों की तुलना में अधिक है। अतः समाज के शैक्षिक व गैर शैक्षिक वर्ग के लोगों को पर्यावरण सम्बन्धी अवबोध एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

शर्मा, नीतू (2018). ने माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में पर्यावरणीय अभिवृत्ति एवं पर्यावरणीय जागरूकता का अध्ययन किया। शोध हेतु सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया। राजस्थान राज्य के उदयपुर शहर के माध्यमिक विद्यालयों से यादृच्छिक विधि से 100 छात्रों का चयन न्यादर्श के रूप में किया गया। माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में पर्यावरणीय अभिवृत्ति एवं पर्यावरणीय जागरूकता के मापन हेतु स्वनिर्मित मापनियों का प्रयोग किया गया। प्रदत्तों के विश्लेषण के लिए मध्यमान, मानक विचलन एवं टी-परीक्षण का प्रयोग किया गया। निष्कर्ष के रूप में पाया गया कि माध्यमिक स्तर के ग्रामीण व शहरी विद्यार्थियों की पर्यावरणीय जागरूकता में सार्थक अन्तर होता है। अतः ग्रामीण तथा शहरी छात्रों को पर्यावरणीय जागरूकता का ज्ञान प्रदान कर उनके पर्यावरणीय दृष्टिकोण में सुधार किया जा सकता है।

हुसन, बाला, पुष्पा (2018) ने माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों का पर्यावरण शिक्षा के प्रति अभिवृत्ति का अध्ययन किया। शोध में वर्णात्मक सर्वेक्षण विधि का प्रयोेग किया गया। शोध अध्ययन में हरियाणा प्रान्त के पानीपत जिले के माध्यमिक विद्यालयों का स्तरीकृत विधि से चयन किया। न्यादर्श के रूप में माध्यमिक विद्यालयों से 50 पुरूष तथा 50 महिला शिक्षकों का चयन किया गया। शिक्षकों की पर्यावरण के प्रति अभिवृत्ति को मापने के लिए डॉ. प्रवीण कुमार झा द्वारा निर्मित पर्यावरण के प्रति अभिवृत्तिपरीक्षण का प्रयोग किया गया। प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण हेतु टी-परीक्षण का प्रयोग किया गया। शोध के निष्कर्ष के आधार पर ज्ञात हुआ कि माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक पर्यावरण शिक्षा के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति रखते हैं ।

देवी, सुमन (2020) ने उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की पर्यावरण जागरूकता व सूचना तकनीकी के प्रति अभिवृत्ति का तुलनात्मक अध्ययन किया। शोध हेतु वर्णनात्मक सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया। राजस्थान राज्य के श्रीगंगानगर जिले के राजकीय एवं गैर राजकीय विद्यालयों में कार्यरत 600 शिक्षकों का यादृच्छिक विधि से न्यादर्श हेतु चयन किया गया शिक्षकों में पर्यावरणीय जागरूकता के मापन हेतु डॉ. सीमा धवन द्वारा निर्मित मानक उपकरण का प्रयोग किया गया तथा शिक्षकों की सूचना तकनीकी के प्रति अभिवृत्ति के मापन हेतु नसरीन एवं फातिमा ईसलाही द्वारा निर्मित मापनी का प्रयोग किया गया। आंकड़ों के विश्लेषण हेतु मध्यमान, मानक विचलन तथा क्रांतिक अनुपात मान का प्रयोग किया गया। निष्कर्षतः उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत सरकारी तथा गैर सरकारी, पुरूष एवं महिला शिक्षकों की पर्यावरणीय जागरूकता एवं सूचना तकनीकी के प्रति अभिवृत्ति में समानता पाई गयी।

शुक्ला, गणेश  (2021) ने प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं शिक्षकों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता का अध्ययन, किया। शोध हेतु वर्णनात्मक सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया। केंद्रीय विद्यालय के छात्र-छात्राओं का परिषदीय विद्यालय के छात्र-छात्राओं में कोई सार्थक अंतर नहीं आता सभी छात्र छात्र समान रूप से जागरूक हैं केंद्रीय तथा  परिषदीय विद्यालय के छात्रों के अभिभावकों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता में कोई सार्थक अंतर नहीं है अर्थात सभी अलग समान रूप से जागरूक हैं तथा केंद्र से परिषदीय विद्यालय के छात्रों में महिला पुरुष अभिभावकों में जागरूकता में सार्थक अंतर नहीं होता और महिला पर समान रूप से जागरूक हैं अर्थात महिला तथा पुरुष शिक्षक समान रूप से पर्यावरण  प्रति जागरूक हैं।

कुमार, मुकेश (2022) ने उच्चतर माध्यमिक व स्नातक स्तर के छात्र-छात्राओं की पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूकता-एक अध्ययन किया। शोध हेतु वर्णनात्मक सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया।व्यक्तियों को पर्यावरण व पर्यावरण समस्याओं के प्रति जागरूक व संवेदनशील बनाना, उनमें समस्याओं को समझने की सोच विकसित करना, समस्याओं के समाधान हेतु कौशलों का विकास करना एवं शैक्षिक पर्यावरणीय कार्यक्रमों का निष्पक्ष मूल्यांकन करना आदि पर्यावरणीय शिक्षा के मुख्य उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं। शिक्षा, जागरूकता व स्थायित्व पर्यावरण शिक्षा विश्वविद्यालय का अभाव, पाठ्यक्रम एवं अनुसंधान की समस्याएं पर्यावरण शिक्षा के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है।

मुख्य पाठ

समस्या का चयन - शोधार्थी के मन में अनेकों समस्याऐं उत्पन्न होती हैं। किन्तु वह सभी पर तो एक साथ कार्य नहीं कर सकता है। इनमें से अनुसंधान के लिये किसी एक समस्या का निर्धारण निम्नलिखित सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है-

1. अनुसंधान की रूचि।
2. अनुसंधानकर्ता की अभियोग्यता।
3. समस्या का नया होना।
4. समस्या मापन की सीमा में हो।
5. समस्या सैद्धांतिक तथा व्यवहारिक दृष्टि से उपयोगी हो।

उपर्युक्त सिद्धांतों के दृष्टिगत शोधार्थी ने अपनी समस्या ‘‘माध्यमिक स्तर एवं जूनियर स्तर के अध्यापकों के पर्यावर्णीय अभिवृत्तियों का तुलनात्मक अध्ययन’’  चुना है।

समस्या में उपर्युक्त पदों की व्याख्या -

पर्यावर्णीय अभिवृत्ति- पर्यावर्णीय मनोविज्ञान के अनुसार ‘‘पर्यावर्णीय अभिवृत्ति प्रभाव तथा अनुभव करने की क्षमता या ज्ञान शब्द अन्तपरिवर्तनीय है। एक व्यक्ति जो पर्यावरण के साथ सकारात्मक प्रभाव या अनुभव की क्षमता रखता है वह उस पर्यावरण को पसंद करने वाला कहा जाता है, अथवा पर्यावरण के प्रति अभिवृत्ति रखता है।"

न्यादर्ष

प्रस्तुत शोध में न्यादर्श के रूप में 60 अध्यापकों का चयन किया गया।


प्रयुक्त उपकरण प्रदत्तों के संकलन के लिये शोधार्थी द्धारा जिला झाँसी (उ0प्र0) के जूनियर स्तर ग्रामीण एवं माध्यमिक प्रस्तर के अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों मे पढ़ाने वाले अध्यापकों तथा शहरी क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले अध्यापकों का चयन किया गया। पर्यावरणीय अभिवृत्ति के लिये प्रदत्तों का संकलन डा0 हसीन ताज द्धारा तैयार ‘पर्यावरणीय अभिवृत्ति मापनी’ द्धारा किया गया।
अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी

प्रत्येक क्षेत्र के अनुसंधान में विभन्न प्रकार की सांख्यिकी विधियों का प्रयोग किया जाता है परंतु अध्ययन, विषय और न्यायदर्श की प्रकृत्ति के अनुसार शोधकार्य में निम्नवत सांख्यिकी विधियों का प्रयोग किया गया है।
1. मध्यमान (Mean)
2. मानक विचलन (SD)
3. क्रान्तिक अनुपात या “T” Test
4. सह-संबंध

परिणाम

प्रदत्तों का संकलन व व्यवस्थापन के पश्चात यह आवश्यक हो जाता है कि प्रदत्तों का विश्लेषण व व्याख्या की जाये जिससे यह जानकारी की जा सके कि शोध के क्या परिणाम आये व क्या निष्कर्ष निकले ? शोध के क्या उद्देश्य थे ? उनकी प्राप्ति हुयी या नहीं तथा शोध की क्या परिकल्पनायें थी वे स्वीकृत हुयी या अस्वीकृत हुयी। आदि के लिये प्रदत्तों का विश्लेषण व व्याख्या किया जाता है। अतः प्रस्तुत शोध में संकलित आँकड़ों के लिये एवं विश्लेषण के लिये परीक्षण का प्रयोग किया गया है।




माध्यमिक स्तर के अध्यापकों की पर्यावरणीय अभिवृत्तियों में कोई सार्थक अन्तर नहीं है।

प्रतिदर्श

N

M

SD

t

df

सार्थकता स्तर

सारणी मान

Male

15

171.5

22.150

0.3832

28

0.05

2.01

Female

15

170.83

20.640

0.01

2.68

0.01 की सार्थकता स्तर पर टी-परीक्षण का सारणीमान 2.68
0.05 की सार्थकता स्तर पर टी-परीक्षण का सारणीमान 2.01
व्याख्या - माध्यमिक स्तर के 15 पुरूष अध्यापकों और 15 महिला अध्यापकों की  पर्यावरणीय अभिवृत्तियों की तुलना करने पर टी0 का मान 0.3832 प्राप्त हुआ जो कि 28 के सार्थकता स्तर पर 0.05 के सारणीमान 2.01 तथा सार्थकता स्तर 0.01 के सारणीमान 2.68 दोनों मानों से कम है। अतः शून्य परिकल्पना स्वीकृत होगी और शोध परिकल्पना अस्वीकृत होगी।
जूनियर स्तर के अध्यापकों की पर्यावरणीय अभिवृत्तियों में कोई सार्थक अन्तर नहीं है।

प्रतिदर्श

N

M

SD

t

df

सार्थकता स्तर

सारणी मान

Male

15

165.28

156.64

0.014

28

0.05

2.01

Female

15

167.5

16.81

0.01

2.68

0.01 की सार्थकता स्तर पर टी-परीक्षण का सारणीमान 2.68
0.05 की सार्थकता स्तर पर टी-परीक्षण का सारणीमान 2.01
व्याख्या - जूनियर स्तर के 15 पुरूष अध्यापकों और 15 महिला अध्यापकों की पर्यावरणीय अभिवृत्तियों की तुलना करने पर टी0 का मान 0.014 प्राप्त हुआ जो कि 28 के सार्थकता स्तर पर 0.05 के सारणीमान 2.01 तथा सार्थकता स्तर 0.01 के सारणीमान 2.68 दोनों मानों से कम है। अतः शून्य परिकल्पना स्वीकृत होगी और शोध परिकल्पना अस्वीकृत होगी।
माध्यमिक स्तर एवं जूनियर स्तर के अध्यापकों की पर्यावरणीय अभिवृत्ति के सहसम्बन्ध में कोई सार्थक अन्तर नहीं है।

प्रतिदर्श

N

M

SD

t

df

सार्थकता स्तर

सारणी मान

Male

30

171.1

52.97

0.453

58

0.05

2.01

Female

30

166.43

19.30

0.01

2.68

0.01 की सार्थकता स्तर पर टी-परीक्षण का सारणीमान 2.68
0.05 की सार्थकता स्तर पर टी-परीक्षण का सारणीमान 2.01
व्याख्या - माध्यमिक स्तर एवं जूनियर स्तर के 30 पुरूष अध्यापकों और 30 महिला अध्यापकों की पर्यावरणीय अभिवृत्तियों की तुलना करने पर टी0 का मान 0.453 प्राप्त हुआ जो कि 58 के सार्थकता स्तर पर 0.05 के सारणीमान 2.01 तथा सार्थकता स्तर 0.01 के सारणीमान 2.68 दोनों मानों से कम है। अतः शून्य परिकल्पना स्वीकृत होगी और शोध परिकल्पना अस्वीकृत होगी।

निष्कर्ष
प्रदत्तों के विश्लेषण के आधार पर प्राप्त निष्कर्ष निम्न है:- 1. माध्यमिक स्तर के पुरूष अध्यापकों की पर्यावरणीय अभिवृत्ति का मान जूनियर स्तर के पुरूष अध्यापकों की तुलना में अधिक है। 2. माध्यमिक स्तर की महिला अध्यापकों की पर्यावरणीय अभिवृत्ति का मान जूनियर स्तर के महिला अध्यापकों की तुलना में अधिक है। 3. माध्यमिक स्तर के अध्यापकों की पर्यावरणीय अभिवृत्ति का मान जूनियर स्तर के अध्यापकों की तुलना में अधिक है। शैक्षिक उपलब्धि का मान माध्यमिक स्तर तथा जूनियर स्तर के अध्यापकों का पर्यावरणीय अभिवृत्ति तथा शैक्षिक उपलब्धि में सकारात्मक, धनात्मक है। अध्ययन के उपयोग:- महिला अध्यापिकाओं तथा पुरूष अध्यापकों में पर्यावरण की समस्याओं एवं उसके संरक्षण की अभिवृत्ति पैदा करने में पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने के लिये प्रेरित करने एवं पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेने में। महिला अध्यापिकाओं एवं पुरूष अध्यापकों में प्रमुख पर्यावरणीय मसलों को स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर परखकर उसे हल करने हेतु प्रेरित करने में।
अध्ययन की सीमा इस शोध कार्य में अध्ययन की सुविधा को ध्यान में रखने से यह अध्ययन निम्न बिन्दुओं तक सीमित है:-
1- प्रस्तुत अध्ययन में केवल झाँसी नगर में कार्यरत अध्यापकों का चयन किया गया है।
2- प्रस्तुत अध्ययन में केवल झाँसी नगर के माध्यमिक स्तर एवं जूनियर स्तर के अध्यापकों का चयन किया गया है।
3- प्रस्तुत अध्ययन में केवल माध्यमिक स्तर के 30 एवं जूनियर स्तर के 30 अध्यापकों का चयन किया गया है।
4- इस प्रकार यह अध्ययन कुल 60 अध्यापकों तक ही सीमित है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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