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किशोर एवं किशोरियों के स्वास्थ्य पर फास्ट-फूड के सेवन तथा उसके प्रभाव का अध्ययन | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Study of Consumption of Fast Food and its Effect on the Health of Adolescent Boys and Girls | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
17540 Submission Date :
2023-04-05 Acceptance Date :
2023-04-19 Publication Date :
2023-04-24
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. For verification of this paper, please visit on
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सारांश |
वर्तमान समय में बदलती जीवन शैली तथा आधुनिकीकरण के कारण स्वास्थ्य का विषय पीछे छूट गया है आज फास्ट-फूड़ हमारी आहारीय जीवनशैली का एक हिस्सा है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को फास्ट-फूड से बहुत लगाव है, पार्टी हो या ट्रैवलिगं इसके बिना काम नहीं चलता है। जीवनशैली में आये इस बदलाव ने व्यक्ति की खाने की आदतों को बहुत प्रभावित किया है। प्रत्येक आयु वर्ग के लोग विशेषकर बच्चे एवं किशोर आकर्षक, स्वादिष्ट एवं उच्चकैलोरी युक्त फास्ट-फूड खाने को मजबूर हैं। आमतौर पर फास्ट-फूड़ के उपभोग का प्रचलन तेजी से बढ़ने के कई कारण हो सकते जैसे- आसानी से उपलब्धता, स्वाद, कम कीमत, साथियों का दबाव, बाजार तंत्र एवं विज्ञापन आदि। फास्ट-फूड में अत्याधिक कैलोरी, नमक, वसा, चीनी, भोजन परिरक्षक तथा खाद्य रंग आदि अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। जिसका नतीजा यह है कि आज किशोर उच्चरक्तचाप, हृदय रोग, शुगर, कोलेस्ट्रॅाल, मोटापा, थॅायराइड, एनीमिया जैसे रोग से पीड़ित होने लगे हैं, जो कि पहले प्रौढ़ावस्था व वृद्धावस्था में होते थे। इसकी सबसे बड़ी वजह है जीवनशैली में आया परिवर्तन, खान-पान सम्बन्धी आदतें, रहन-सहन आदि। इसके कारण स्वास्थ्य सम्बन्धी बिमारियाँ आज चुनौतियों के रुप में उभरे हैं जिसका सीधा सम्बन्ध खान-पान में बदलाव से है।
अतः वर्तमान समय में किशोर- किशोरियों को फास्ट-फूड सम्बन्धी आदतें, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के बारे में जानकारी, स्वास्थ्य एवं पोषण सम्बन्धी बिमारियों के निवारण व स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने पर बल दिया जाना चाहिए।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | At present, due to the changing lifestyle and modernization, the subject of health has been left behind, today fast-food is a part of our dietary lifestyle. From children to elders, everyone is very fond of fast food, party or traveling does not work without it. This change in lifestyle has greatly affected the eating habits of a person. People of every age group especially children and teenagers are forced to eat fast food which is attractive, tasty and high in calories. There can be many reasons for the rapid increase in the consumption of fast food in general, such as easy availability, taste, low price, peer pressure, marketing mechanism and advertising etc. Excessive calories, salt, fat, sugar, food preservatives and food colors etc. are found in fast food. The result of which is that today teenagers are suffering from diseases like high blood pressure, heart disease, sugar, cholesterol, obesity, thyroid, anemia, which used to occur earlier in adulthood and old age. The biggest reason for this is the change in lifestyle, eating habits, lifestyle etc. Due to this, health related diseases have emerged as challenges today, which is directly related to the change in food habits. Therefore, in the present time, emphasis should be laid on fast-food related habits, information about unhealthy foods, prevention of health and nutrition related diseases and providing health education to adolescents. |
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मुख्य शब्द | किशोर-किशोरियाँ, स्वास्थ्य, फास्ट-फूड़, बीमारियाँ, प्रभाव। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Teenagers, Health, Fast Food, Diseases, Effects. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना |
मानव जीवन की सभी अवस्थाओं में किशोरावस्था का अहम स्थान है। यह अवस्था मानव के भावी जीवन के निर्माण की भी एक महत्वपूर्ण अवस्था होती है। इस काल में किशोर एवं किशोरियों में शारीरिक, मानसिक तथा संवेगात्मक दृष्टि से क्रान्तिकारी परिवर्तन होते है। इस काल में होने वाले शारीरिक परिवर्तन, शारीरिक विकास से सम्बन्धित होते हैं। किशोरावस्था में शारीरिक विकास स्वास्थ्य से सम्बन्धित होता है। अत: किशोर - किशोरियों का शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ होना सर्वांगीण विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है। शरीर के सभी वाहय एवं आन्तरिक अंगों का स्वस्थ एवं निरोग रहना तथा समन्वित होकर सक्रिय रूप से कार्य करना ही स्वास्थ्य है।शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक होते हैं, अत: इनको अलग करके नही देखा जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन- ”शरीर को रोगों से मुक्त दशा स्वास्थ्य नही हैं, व्यक्ति के स्वास्थ्य में तो उसका सम्पूर्ण शरीरिक, मानसिक तथा संवेगात्मक कल्याण निहित होता है।“
वर्तमान समय में जीवन शैली में परिवर्तन के कारण उसका स्वास्थ्य एवं पोषण पर भी गहरा असर देखने को मिल रहा है। आधुनिक जीवन शैली तथा आधुनिकीकरण के कारण तेज रफ्तार तथा भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में सेहत एवं स्वास्थ्य का विषय काफी पीछे छूट गया है। जीवन शैली में आये बदलाव, औद्योगिकीकरण, आधुनिकीकरण और शहरीकरण ने किशोर-किशोरियों की खाने की आदतों को बहुत प्रभावित किया है। फैशन, स्वाद, एवं अभिजातीय सुविधा के कारण ऐसे आहार का प्रचलन बढ़ रहा है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यन्त हानिकारक है। प्रत्येक आयु वर्ग के बालक-बालिकाएँ विशेषकर किशोर-किशोरियाँ आकर्षक, स्वादिष्ट एवं कैलोरीयुक्त फास्ट-फूड खाने को मजबूर है। आमतैार पर बर्गर, पिज्जा, चाउमीन, समोसा आदि तली-भुनी चीजों को फास्ट-फूड की संज्ञा दी जाती है।
”फास्ट-फूड वह सुविधाजनक खाद्य है जो बहुत जल्दी तैयार व परोसे जा सकते है।“
एक अध्ययन के अनुसार आधुनिक खाद्य प्रदार्थ जैसे - फास्ट-फूड किशोर एवं¬किशोरियों के स्वास्थ्य एवं विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे है। जिसका नतीजा यह है कि आज किशोर एवं किशोरियाँ भी ब्लड प्रेशर, मोटापा, हृदयरोग, शुगर, एनिमिया जैसे रोगों से पीड़ित होने लगे हैं।
मेडिकल स्टडीज में देखा गया है कि फास्ट-फूड खाने से रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है और इन्सुलिन का स्तर भी गड़बड़ा जाता हैं जिसकी वजह से टाइप-2 डायबिटीज होने के चांसेस कई गुना बढ़ जाते है। वैसे भी बहुत सी बीमारियाँ केवल पेट से शुरू होती है। फास्ट-फूड खाने से पेट और पाचन क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है जिसकी वजह से कई तरह की पाचन से जुड़ी समस्याएँ सामने आती हैं।
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अध्ययन का उद्देश्य | मुख्य उद़देश्य इस प्रकार हैं -
1. फास्ट-फूड के उपभोग का किशोर एवं किशोरियों के शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करना।
2. किशोर एवं किशोरियों की सम्पूर्ण साप्ताहिक समय में उपभोग किये गये फास्ट-फूड्स सम्बन्धी आदतों की जानकारी संकलित करना। |
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साहित्यावलोकन | 1. मोनिका सिंह एवं सुनिता मिश्रा (2014) ने लखनऊ जनपद के 100 स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य स्तर पर फास्ट-फूड के सेवन तथा उसके प्रभाव का अध्ययन किया। उन्होने स्वनिर्मित प्रश्नावली के द्वारा फास्ट-फूड संबंधी जानकारी तथा बी0एम0आई0 को ज्ञात किया। अध्ययन में 56 प्रतिशत लड़के तथा 44 प्रतिशत लड़कियाँ शामिल थी। जिसमें 11.1 प्रतिशत की बी0एम0आई0 सामान्य थी। 33.3 प्रतिशत में अत्यधिक वजन था। 13.8 प्रतिशत में मोटापा का स्तर अधिक था तथा 8.3 प्रतिशत में अत्यधिक मोटापा था। फास्ट-फूड खाने का कारण उन्होंने कम मूल्य का होना, सुविधाजनक एवं स्वादिष्ट होना बताया। फास्ट- फूड को प्रतिदिन खाने की वजह से मोटापा, क्रॉनिक बीमारियाँ, आत्मविश्वास में कमी तथा डिप्रेशन जैसी समस्या होने की सम्भावना उन्होंने व्यक्त की। 2. डी0 राधाश्री और जी0 गोकिला (2017) द्वारा कोविलपल्यम, कोयम्बटूर के 50 उत्तरदाताओं पर एक अध्ययन किया गया। अध्ययन का उद्देश्य फास्ट-फूड खाने के कारण उसका स्वास्थ्य पर होने वाले खतरों के बारे में पता लगाना था। उत्तरदाताओं में से 48 प्रतिशत लड़के तथा 52 प्रतिशत लड़कियाँ थी। जिसमें से 92 प्रतिशत फास्ट-फूड खाते हैं तथा 8 प्रतिशत उत्तरदाता फास्ट-फूड नही खाते हैं। फास्ट-फूड खाने के दुष्परिणामों में यह देखा गया कि 36 प्रतिशत उत्तरदाताओं में अल्सर, 28 प्रतिशत उत्तरदाताओं में डायबिटीज, 24 प्रतिशत उत्तरदाताओं में खाने का अनियमित समय तथा 12 प्रतिशत उत्तरदाताओं में फास्ट-फूड का प्रभाव बॉडी फैट के रूप में पाया गया। उन्होंने फास्ट-फूड को कम करके या कम मात्रा में सेवन करने का सुझाव दिया। 3. जहान, करमाकर एवं अन्य (2020) जहान, करमाकर एवं अन्य ने ”फास्ट-फूड के सेवन का स्वास्थ्य पर प्रभाव का“ अध्ययन किया। उन्होनें अपने स्टडी में फास्ट-फूड आइटम, फास्ट-फूड के सेवन का आयु के साथ सम्बन्ध, फास्ट-फूड सेवन के पीछे का कारण, फास्ट-फूड सेवन का लिंग के साथ सम्बन्ध तथा मोटापा, अत्यधिक भार का फास्ट-फूड के साथ सम्बन्ध का अध्ययन किया। अध्ययन में पाया कि फास्ट-फूड के सेवन से दिन-प्रतिदिन अनेक प्रकार की नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज बढ़ती जा रही हैं। फास्ट-फूड खाना खासतौर से युवाओं में नशा की तरह हो गया है, जो एक गम्भीर स्वास्थ्य समस्या है। इस समस्या को कम करने के लिए तुरन्त किसी ना किसी एक्शन की जरूरत है। फास्ट-फूड आइटम में बर्गर, पिज्जा, फ्राइड चिकन, हैम्बर्गर, सैंडविच थे, जबकि जंक फूड में चिप्स, चाकलेट, बेकरी उत्पाद, साफ्ट ड्रिक्ंस तथा मीठे पेय-पदार्थ को अध्ययन में शामिल किया गया। फास्ट-फूड का प्रमोशन, स्वादिष्ट, सुविधाजनक तथा आकर्षक विज्ञापन सेवन के पीछे का प्रमुख कारण है। लिंग के साथ सम्बन्ध में देखा गया कि महिलाओं की तुलना में पुरूष वर्ग द्वारा अधिक मात्रा में उपभोग किया जाता है। अन्त में उन्होनें सरकार द्वारा फास्ट-फूड के ऊपर टैक्स को बढ़ाकर तथा आइटम की कीमतों को बढ़ाकर फास्ट-फूड के सेवन को कम करने का सुझाव दिया। इसके अलावा उन्होनें युवाओं के साथ-साथ सभी आयु वर्ग के लोगों को जंक फूड तथा फास्ट-फूड की प्राथमिकता को दूर करके उन्हें संतुलित आहार देने को आवश्यक बताया। |
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सामग्री और क्रियाविधि | प्रस्तुत अध्ययन में उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए वर्णनात्मक शोध प्ररचना का प्रयोग किया गया है। आँकड़ों का संकलन करने के लिए समस्या की प्रकृति के अनुसार सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है। |
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न्यादर्ष |
प्रस्तुत अध्ययन के लिए बेल्थरारोड़ तहसील में संचालित माध्यमिक विद्यालयों में से लकी ड्रा विधि का प्रयोग करते हुए पाँच विद्यालय नगरीय क्षेत्र से तथा पाँच विद्यालय ग्रामीण क्षेत्र से लिए गये हैं। इन चयनित प्रत्येक विद्यालयों में से 20 छात्र एवं 20 छात्राओं अर्थात कुल 40 (कक्षा 11 एवं 12) को सरल यादृच्छिक विधि के अन्तर्गत आने वाली निश्चित क्रम विधि का प्रयोग करते हुए चयन किया गया है। इस प्रकार नगरीय क्षेत्र के पाँच माध्यमिक विद्यालयों से 100 किशोर एवं 100 किशोरियाँ तथा ग्रामीण क्षेत्र के पाँच माध्यमिक विद्यालयों से 100 किशोर एवं 100 किशोरियों को प्रतिदर्श के रूप में चयन किया गया है। आँकड़ों का संकलन प्राथमिक स्रोतों के माध्यम से किया गया है। प्रतिदर्श का आकार- प्रस्तुत अध्ययन के लिए ग्रामीण क्षेत्र के पाँच माध्यमिक विद्यालयों से 100 किशोर एवं 100 किशोरियाँ तथा नगरीय क्षेत्र के पाँच माध्यमिक विद्यालयों से 100 किशोर एवं 100 किशोरियाँ कुल 400 को प्रतिदर्श के रूप में लिया गया है। प्रतिदर्श क्षेत्र- प्रस्तुत अध्ययन के लिए बलिया जनपद के बेल्थरारोड़ तहसील का चुनाव उद्देश्य विधि का प्रयोग करके किया गया है। |
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प्रयुक्त उपकरण | प्रस्तुत अध्ययन में आँकडों को एकत्र करने के लिए स्वनिर्मित प्रश्नावली एवं साक्षात्कार अनुसूची का उपयोग किया गया है। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी | आँकडों को एकत्र
करने के बाद सारणी में तालिकाबद्ध करके उद्देश्य के अनुसार उपयुक्त सांख्यिकीय
विधियों का उपयोग किया गया है। |
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परिणाम |
आँकडों के विश्लेषण के पश्चात जो परिणाम प्राप्त हुए हैं, वह इस प्रकार है- 1. किशोर एवं किशोरियों के शारीरिक स्वास्थ्यपर फास्ट-फूड का प्रभाव- प्रथम उद्देश्य फास्ट-फूड के उपभोग का किशोर एवं किशोरियों के शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाने के लिए शरीर-रचनात्मक माप के अन्तर्गत ऊँचाई तथा वजन को लेकर बी. एम. आई. को निकाला गया है। तालिका-1(A) शरीर-रचनात्मक माप की स्थिति -
उपर्युक्त तालिका में फास्ट-फूड का उत्तरदाताओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाने के लिए शरीर रचनात्मक माप के अन्तर्गत ऊचाई एवं वजन को नापा गया। सभी किशोर एवं किशोरियों की शारीरिक ऊचाई का माध्य 159.22 ± 8.70 (Mean ± SD) से0मी0 तथा उनके शारीरिक वजन का माध्य 48.70 ± 7.44(Mean ± SD) कि0ग्रा0 पाया गया। तालिका- 1(B) बी0 एम0 आई0 की स्थिति -
उपरोक्त तालिका में किशोर एवं किशोरियों की पोषणीय अवस्था की स्थिति को जानने के लिए उनकी ऊचाई एवं वजन को लेकर बी0एम0आई0 को निकाला गया। कुल उत्तरदाताओं में से 165 (41.25%) की बी0एम0आई0 सामान्य से कम, 230 (57.5%) की बी0एम0आई0 सामान्य तथा 5 (1.25%) की बी0एम0आई0 सामान्य से अधिक थी। 2. किशोर एवं किशोरियों के द्वारा सम्पूर्ण साप्ताहिक समय में फास्ट-फूड के उपभोग की स्थिति - तालिका- 2
उपर्युक्त तालिका में किशोर एवं किशोरियों के फास्ट-फूड सम्बन्धी आदतों से सम्बन्धित आँकड़ों को प्रदर्शित किया गया है। उपरोक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि फास्ट-फूड को पसन्द करने वाले 342 (85.5%) हैं, तथा फास्ट-फूड को नहीं पसन्द करने वाले 58 (14.5%) हैं। तालिका- 3
उपर्युक्त तालिका में किशोर एवं किशोरियों के फास्ट-फूड सम्बन्धी आदतों से सम्बन्धित आँकड़ों को प्रदर्शित किया गया है। उपरोक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि फास्ट-फूड को अत्यधिक पसन्द करने वाले 44 (11%) हैं, अधिक पसन्द करने वाले 71 (17.75%)हैं, सामान्य (औसत) पसन्द करने वालों की संख्या 208 (52%) है, कम पसन्द करने वालों की संख्या 53 (13.25%) तथा फास्ट-फूड को अत्यधिक कम पसन्द करने वाले 24 (6%) हैं। तालिका- 4
उपर्युक्त तालिका में किशोर
एवं किशोरियों के फास्ट-फूड सम्बन्धी आदतों से सम्बन्धित आँकड़ों को प्रदर्शित किया
गया है। उपरोक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि सुविधाजनक होने के कारण 28 (7%) उत्तरदाता फास्ट-फूड खाना पसन्द करते हैं, सस्ता होने के कारण 14 (3.5%) उत्तरदाता फास्ट-फूड खाना पसन्द करते हैं, स्वादिष्ट होने के कारण 309 (77.25%) उत्तरदाता फास्ट-फूड खाना पसन्द करते हैं, समय बिताने के लिए 31 (7.75%) उत्तरदाता फास्ट-फूड
खाना पसन्द करते हैं, जबकि लाइफ स्टाइल के कारण 18 (4.5%) उत्तरदाता फास्ट-फूड खाना पसन्द करते हैं। इससे यह पता
चलता है कि फास्ट-फूड को पसन्द करने का सबसे अधिक कारण इसका स्वादिष्ट होना है।
तालिका- 5
उपर्युक्त तालिका में किशोर एवं किशोरियों के फास्ट-फूड सम्बन्धी आदतों से सम्बन्धित आँकड़ों को प्रदर्शित किया गया है। उपरोक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि फास्ट-फूड खाने के लिए 285 (71.25%) उत्तरदाता 50 रू0 से कम खर्च करते हैं, 94 (23.5%) उत्तरदाता फास्ट-फूड खाने के लिए 50 से 100 रू0 तक खर्च करते हैं, तथा 21 (5.25%) उत्तरदाता फास्ट-फूड खाने के लिए 100 रू0 से अधिक खर्च करते हैं। तालिका- 6
उपर्युक्त तालिका में किशोर एवं किशोरियों के फास्ट- फूड सम्बन्धी आदतों से सम्बन्धित आँकड़ों को प्रदर्शित किया गया है। उपरोक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि प्रत्येक दिन फास्ट-फूड खाने वाले 46 (11.5%) हैं, सप्ताह में फास्ट-फूड खाने वाले 234 (58.5%) हैं, महीने में फास्ट-फूड खाने वाले 57 (14.25%) हैं तथा विशेष अवसर पर फास्ट-फूड खाने वाले 63 (15.75%) है। इससे यह पता चलता है कि सबसे ज्यादा उत्तरदाता सप्ताह में एक बार फास्ट-फूड अवश्य खातें हैं। तालिका- 7
उपर्युक्त तालिका में किशोर एवं किशोरियों के फास्ट-फूड सम्बन्धी आदतों से सम्बन्धित आँकड़ों को प्रदर्शित किया गया है। उपरोक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि सप्ताह में एक से कम बार फास्ट-फूड लेने वाले 63 (15.75%) हैं, सप्ताह में एक बार फास्ट-फूड लेने वाले 155 (38.75%) हैं, सप्ताह में दो से तीन बार फास्ट-फूड लेने वाले 115 (28.75%) हैं, सप्ताह में तीन से चार बार फास्ट-फूड लेने वाले 36 (9%) हैं तथा सप्ताह में चार से अधिक बार फास्ट-फूड लेने वाले 31 (7.75%) हैं। इससे यह पता चलता है कि सबसे अधिक उत्तरदाता सप्ताह में एक बार अवश्य फास्ट-फूड खाते हैं।
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निष्कर्ष |
1. फास्ट-फूड का किशोर एवं किशोरियों के शारीरिक स्वास्थ्य पर कोई सार्थक प्रभाव नहीं पडता है, यह स्वीकार की जाती है। अध्ययन से प्राप्त तथ्यों से यह परिणाम प्राप्त हुआ कि कुछ उत्तरदाताओं में वजन का कम होना तथा अधिक होना उनके अनुचित पोषण के कारण है। फास्ट-फूड का शारीरिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव तभी देखने को मिलता है जब उसका अत्यधिक मात्रा में सेवन किया जाये।
2. फास्ट-फूड का किशोर एवं किशोरियों के शारीरिक स्वास्थ्य पर कोई वांछित प्रभाव नहीं दिखाई दिया। अधिकांश की बी0एम0आई0 सामान्य तथा कुछ उत्तरदाताओं की बी0एम0आई0 सामान्य से कम थी।
3. सम्पूर्ण विश्लेषण से ज्ञात होता है कि फास्ट-फूड खाने का चलन सभी आयु वर्ग में व्याप्त है। विभिन्न-विभिन्न प्रकार के फास्ट-फूड का किशोर एवं किशोरियों द्वारा खरीदा तथा उपभोग किया जाता है।
4. अध्ययन से यह पता चलता है कि फास्ट-फूड का अधिकांश किशोर-किशोरियों द्वारा सप्ताह में उपभोग किया जाता है जबकि आधे से कम महीने में तथा विशेष अवसर पर ही फास्ट-फूड का उपभोग करते हैं।
5. परिणाम से यह ज्ञात होता है कि अधिकांश किशोर एवं किशोरियों को फास्ट-फूड के गुणवत्ता की जानकारी नहीं है उसके बाद भी उसका सेवन स्वाद व सुविधाजनक होने के कारण किया जाता है।
परिणाम यह दर्शाते हैं कि फास्ट-फूड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने के बावजूद अधिकांश उत्तरदाताओं द्वारा नियमित रूप से उपभोग किया जाता है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. Ashakiran, and Deepthi R. (2012) “Fast food and their impact on health,” Journal of Krishna Institute of Medical Sciences University, Vol.- 1 (2): 7-15.
2. Monika, singh and Sunita Mishra (2014) “Effect of fast food consumption on the health of school going children (9 to 13 year) in Lucknow district,” Indian Streams Research Journal, Vol.- 4, Issue -6.
3. Nitin, Joseph et al. (2015) “Fast Food consumption pattern and its association with overweight among high school boys in Mangalore city of southern India, Journal of clinical and Diagnostic Research, Vol.-9 (5): 13-17.
4. D. Radhasri and G. Gokila (2017) “A study on health hazards caused due to intake of fast food in Kovilpalayam at Coimbatore”, International Journal of Applied Research, Vol.-3 (10): 14-17.
5. Poonam (2017) “Studies on nutritional status and health awareness among adolescents girls of Ambedkar Nagar district of Uttar Pradesh,” A Thesis, V.B.S. University, Jaunpur.
6. Jahan I, et al. (2020) “Fast Food consumption and its Impact on Health”Eastern Medical College Journal, January 2020; 5 (1): 28-36. |