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आधुनिक समाज में युवाओं पर सोशल मीडिया का प्रभाव | |||||||
Influence of Social Media on Youth in Modern Society | |||||||
Paper Id :
17608 Submission Date :
2023-05-13 Acceptance Date :
2023-05-22 Publication Date :
2023-05-25
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सारांश |
अपराध विश्वव्यापी सामाजिक समस्या है। अपराध प्रत्येक युग में किसी न किसी रूप में सामाजिक व्यवस्था को आघात पहुँचाता रहा है। हम जितना आधुनिकता की दौड़ में आगे बढ़ रहे हैं उतनी ही तेज गति से अपराध भी बढ़ रहे हैं। वर्तमान समय में अनेकों अध्ययन यह इंगित करते हैं कि युवाओं में बढ़ते अपराध का बहुत बड़ा कारण सोशल मीडिया है।
सोशल मीडिया आज जिन्दगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। यद्यपि सोशल मीडिया का विशे'ष योगदान सूचनाएँ प्रदान करना, मनोरंजन एवं आवश्यकता पड़ने पर जनमत तैयार करना है, जिसके माध्यम से विकासात्मक कार्य भी हुए हैं। वह चाहे अन्ना हजारे का देशव्यापी आन्दोलन हो, निर्भया या अन्य पीड़ितों को न्याय दिलाने में जनसमर्थन हो, भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन हो या जनता को चुनावों में जागरुक कराने का कार्य हो। सोशल मीडिया के माध्यम से ही सरकार पर दबाव डालने का कार्य भी किया जाता है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Crime is a worldwide social problem. Crime has been affecting the social system in some form or the other in every era. The more we are moving forward in the race of modernity, the faster the crimes are also increasing. At present, many studies indicate that social media is a major reason for increasing crime among youth. Social media has become an important part of life today. Although the special contribution of social media is to provide information, entertainment and create public opinion when necessary, through which developmental work has also been done. Whether it is Anna Hazare's nationwide movement, public support in getting justice to Nirbhaya or other victims, movement against corruption or the work of making people aware about elections. The work of putting pressure on the government is also done through social media. |
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मुख्य शब्द | युवा, अपराध, सोशल मीडिया, साइबर अपराध। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Youth, Crime, Social Media, Cyber Crime. | ||||||
प्रस्तावना |
सोशल मीडिया का सकारात्मक प्रभाव के साथ ही नकारात्मक प्रभाव भी है जो कि अपराध के विभिन्न तरीकों के साथ ही अपराधी को कानून से बचने के उपाय भी मनोरंजन के माध्यमों से बतलाते हैं। इसके साथ ही सूचनाओं को सरलता एवं भ्रामक जानकारी के साथ प्रस्तुत किया जाता है। फोटो, ऑडियो, वीडियो, डॉक्यूमेन्टम को कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है। साइबर अपराध सोशल मीडिया की सबसे हानिकारक देन है। साइबर अपराध, कम्प्यूटर, लैपटाप आदि के माध्यम से किये जाते हैं यह अपराध आर्थिक या सामाजिक किसी भी रूप में हो सकते हैं। साइबर अपराध दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। सोशल मीडिया अपराध को भी इतना आकर्षक बना देता है कि युवा वर्ग जो कि बेरोजगारी, गरीबी, पारिवारिक समस्याओं से जूझता रहता है, शीघ्र ही सहज रूप से आकर्षित हो जाता है। वैश्वीकरण के इस दौर में युवा अत्यन्त ही महत्वाकांक्षी हो गया है वह शीघ्र ही अमीर होने का सपना बिना मेहनत के देखता है।
उत्तर प्रदेश में हुई एक लूट में इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र गिरफ्तार हुए, नोएडा में चेन छीनने वाले मैनेजमेंट के छात्र थे जिनके पिता सरकारी विभाग में कार्यरत थे।
प्रत्येक सामाजिक व्यवस्था की दृढ़ता के लिए नियम, आदर्श, मूल्यों एवं सामाजिक प्रतिमानों की निश्चित व्यवस्था होती है। इस व्यवस्था के बने रहने से समाज संगठित रहता है। जो व्यक्ति एवं समूह व्यवस्था के विरूद्ध आचरण करते हैं वह अपराधी की श्रेणी में आते हैं। अपराध विश्वव्यापी सामाजिक समस्या है। अपराध प्रत्येक युग में किसी न किसी रूप में सामाजिक व्यवस्था को आघात पहुँचाता रहात है। हम जितना आधुनिकता की दौड़ में आगे बढ़ रहे हैं उतनी ही तेज गति से अपराध भी बढ़ रहे हैं। वर्तमान समय में अनेकों अध्ययन यह इंगित करते हैं कि युवाओं में बढ़ते अपराध का बहुत बड़ा कारण सोशल मीडिया है।
सोशल मीडिया एक अपरम्परागत मीडिया है। यह एक विशाल नेटवर्क है जो कि सम्पूर्ण विश्व के एक दूसरे से सम्बन्धित रखता है। यह सूचनाओं के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्तमान समय में सोशल मीडिया जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। यदि हम विकास की दृष्टि से देखें तो सोशल मीडिया का योगदान सूचनाएँ प्रदान करना, तथा मनोरंजन विशेष रूप से है किन्तु आवश्यकता पड़ने पर मीडिया ने जनमत तैयार किया है जो कई बड़े-बड़े आन्दोलन को भी खड़ा किया है। अन्ना हजारे का आन्दोलन अल्प समय में ही सम्पूर्ण भारत में व्याप्त हुआ तथा एक बड़ी जनसंख्या उनके नेतृत्व में एक प्लेटफार्म पर आ गई। उसी प्रकार निर्भया, श्रद्धा तथा अनेकों पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए जनसमर्थन तैयार हो गया है तथा सरकार पर दबाव डालने का कार्य भी सोशल मीडिया के माध्यम से होता है। जनता को जागरुक करना, जनमत तैयार करना भी सोशल मीडिया का महत्वपूर्ण कार्य है। सोशल मीडिया का सकारात्मक प्रभाव जो कि सूचनाओं के आदान-प्रदान, मनोरंजन, शैक्षणिक क्षेत्रों में व्याप्त है तो दूसरी ओर नकारात्मक प्रभाव भी है। वैश्वीकरण के इस दौर में युवा अत्यन्त ही महत्वाकांक्षी हो गया है। इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा प्रदर्शित वैभव, उच्च जीवन स्तर, आसपास बिखरा हुआ ग्लैमर उसे आकर्षित करता है वह उसे बिना मेहनत के प्राप्त करना चाहता है। सोशल मीडिया अपराध को भी इतना आकर्षक बना देता है कि युवा वर्ग जो बेरोजगारी, गरीबी तथा पारिवारिक समस्याओं से जूझता रहता है, सहज ही सबकुछ पाने के लिए अपराधी बनने से भी नहीं हिचकता। सोशल मीडिया मनोरंजन के माध्यम से अपराध के विभिन्न तरीकों के साथ ही अपराधी को कानून से बचने के उपाय भी प्रस्तुत करते हैं। फोटो, ऑडियो, वीडियो, डाक्यूमेंट्स को कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है। साइबर अपराध सोशल मीडिया की सबसे हानिकारक देन है। साइबर अपराध कम्प्यूटर, लैपटॉप तथा मोबाइल के द्वारा किये जा सकते हैं। यह अपराध वैयक्तिक, सामाजिक एवं आर्थिक किसी भी रूप में हो सकते हैं। साइबर अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। युवा वर्ग सोशल मीडिया के माध्यम से इन अपराधों में पढ़े-लिखे, उच्च आय वर्ग परिवार के युवा भी इन अपराधों में सहभागी हैं।
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. सोशल मीडिया एवं अपराध के बीच सम्बन्ध।
2. सोशल मीडिया के कारण बढ़ते साइबर अपराध के विभिन्न प्रकार प्रस्तुत करना।
3. सोशल मीडिया के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव का अध्ययन।
4. समाधान के सुझाव।
इस प्रपत्र में मैंने सोशल मीडिया एवं युवाओं में बढ़ते अपराध की समस्या, प्रभाव एवं समाधान को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इस विश्लेषणात्मक प्रपत्र में समाचार-पत्र, रिपोर्ट एवं विभिन्न अध्ययनों को आधार बनाया है। |
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साहित्यावलोकन | टी0वी0 जो कि आज नगर एवं ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। ब्रॉडकास्ट ऑडियन्स रिसर्च काउन्सिल इंडिया ने रिपोर्ट किया कि भारत में 2020 में दर्शकों की संख्या में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई (B.A.Q.C. 2021)। 21वीं सदी को मीडिया युग कहा जाता है मार्शल मैक्लुसन के अनुसार ‘‘मीडिया का अर्थ मध्यस्थता करने वाला होता है जो दो बिन्दुओं को आपस में जोड़ने का कार्य करता है। व्यवहारिक दृष्टि से जनसंचार एक ऐसा सेतु है जो विभिन्न समूहों के श्रोताओं को एक विचारधारा में जोड़ता है। ल्योआर्ड (Lyotard) ने अपनी पुस्तक "The Post Modern Condition : A Report on Knowledge, 1919" में व्यक्त किया है कि आधुनिक समाज एकरूपता, सामूहिकता व सार्वभौमिकता पर आधारित था अब उततर आधुनिकता में वैयक्तिकता, विखण्डता और अन्तर पर आधारित समाज होगा। इसमें ज्ञान व सूचना का व्यापार होने लगा है तथा समाज की दशा में परिवर्तन हो गया है। वर्तमान समय में साइबर अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हें। के.पी.एम.जी. ने अपनी साइबर क्राइम सर्वे रिपोर्ट (2014) में 89 प्रतिशत भारतीय संगठनों ने साइबर अपराध को प्रमुख खतरा माना है। नोर्टन साइबर क्राइम रिपोर्ट (2011) ने बताया कि 30 मिलियन भारतीय अपराध के शिकार हुए हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को वार्षिक 76 विलियन डॉलर का नुकसान हुआ। अनुमान किया जाता है कि भारत में 10 प्रतिशत साइबर अपराध रिपोर्ट किये जाते हैं जिसमें से केवल 2 प्रतिशत ही वास्तव में पंजीकृत हैं। उसमें भी साज की दर केवल 2 प्रतिशत थीं उपरोक्त प्रपत्र में युवाओं में बढ़ते अपराध एवं सोशल मीडिया का सम्बन्ध, प्रभाव एवं समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया। |
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मुख्य पाठ |
सोशल मीडिया एवं अपराध के बीच सम्बन्ध वर्तमान समय में सोशल मीडिया केवल मनोरंजन का साधन अथवा सूचनाओं का आदान-प्रदान का साधन मात्र् नहीं है, बल्कि सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गया है। अपराध के समाचार अत्यन्त ही नाटकीय एवं आकर्षित ढंग से प्रस्तुत किये जाते हैं कि युवा वर्ग अपने आपको अपराधी के व्यक्तित्व से जोड़कर देखने लगता है। आर्थिक अपराध, हिंसा एवं सेक्स से सम्बन्धित अपराधों की प्रस्तुति अत्यधिक बढ़ती जा रही है। यदि अपराध में कोई अभिनेता, राजनेता या अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है तो कुछ युवा उन्हें अपना रोल मॉडल समझने लगते हैं। कैलनन एवं रोजेन बर्गर के अनुसार, ‘‘अपराध की लोकप्रियता और न्याय से सम्बन्धित मनोरंजन की कोई सीमा नहीं होने के कारण अपराध को मीडिया में मनोरंजन का एक महत्त्वपूर्ण और बहुत ही आम स्रोत माना जाता है।’’ मीडिया में अपराध, नायक और खलनायक की असम्भव लड़ाई, गैंगस्टर्स को महिमामंडित करती है तो दूसरी ओर पुलिस, न्याय, कानून की नाकामी दिखाकर उन्हें तर्कसंगत बनाती है तथा अपराधी के प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न करती है। बैंक डकैती पर आधारित फिल्में भारत एवं विदेशों में भी लोकप्रिय हुई हैं। वर्तमान समय में अपराध सम्बन्धी विषयवस्तु आसानी से मीडिया के माध्यम से उपलब्ध हो जाती हैं इससे कमजोर मानसिकता वालो युवा शीघ्र ही आकर्षित हो जाते हैं। साइबर अपराध: सम्पूर्ण विश्व में तेजी से प्रौद्योगिक विकास हो रहा है। कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल के माध्यम से साइबर अपराध का प्रसार शीघ्रातिशीघ्र होता जा रहा है। साइबर अपराध में अपराधी एवं पीड़ित व्यक्ति के सम्पर्क में आने की आवश्यकता ही नहीं होती है। साइबर अपराध का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है- 1. व्यक्ति के विरूद्ध अपराध: किसी भी व्यक्ति के विरूद्ध साइबर अपराध जाली ईमेल बनाकर उसके नाम से संदेश देना, यौन उत्पीड़न, धन की वसूली, खाते की जानकारी करना आदि गलत सूचना देकर किसी भी व्यक्ति के सम्मान को आघात पहुँचाया जा सकता है। 2. आर्थिक अपराध: इसके अन्तर्गत बैंक और क्रेडिट कार्ड की जानकारी गलत संदेश देकर प्राप्त करके पैसे निकाल लिये जाते हैं जबकि जिसका धन होता है, उसे बाद में पता चलता है। कॉपीराइट का उल्लंघन, ट्रेडमार्क का अनाधिकृत उपयोग, गोपनीय जानकारी की नकल करना, दूसरे के संसाधनों का उपयोग आदि आर्थिक अपराधों की श्रेणी में आते हैं। एक अपराधी पासवर्ड एवं ओ.टी.पी. प्राप्त कर धन की प्राप्ति कर सकता है। समाज विरोधी अपराध: इसके अन्तर्गत उपयोगी फाइलें खोलकर धोखाधड़ी, झूठे दस्तावेज बनाना, मैलवेयर के द्वारा कम्प्यूटर के संचालन को बाधित करना, फाइलों को हटाना, सिस्टम को ध्वस्त करना आता है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (2019) के अनुसार साइबर अपराध के अन्तर्गत 44,546 दर्ज किये गये जो 2018 (27,248) की तुलना में अत्यन्त वृद्धि दिखाते हैं। 2019 के दौरान दर्ज साइबर अपराध के 60.4 प्रतिशत मामलें धोखाधड़ी 5.1 प्रतिशत यौन शोषण एवं 4.2 प्रतिशत पीड़ित को बदनाम करने के लिए थे। सोशल मीडिया का सकारात्मक पक्ष: सोशल मीडिया का वर्तमान समय में महत्वपूर्ण योगदान है। जनमत तैयार करना, भ्रष्टाचार एवं आतंकवाद के विरूद्ध सम्पर्क करके आन्दोलन खड़े करना, एकता एवं अखण्डता के लिए जनमानस को जागरुक करना आदि हैं। महिलाओं में भी आन्दोलनों से जुड़ने का साहस बढ़ा है। 1. सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापार में लाभ होता है। उत्पाद की लोकप्रियता का आकर्षक साधन है। 2. यह तेज गति से सम्पर्क स्थापित करता है, यह संचार का बहुत अच्छा माध्यम है। 3. सोशल मीडिया युवाओं की प्रतिभा की पहचान बताता है। उनको अभिव्यक्ति का अवसर मिलता है जो उनके व्यक्तित्व के विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है। 4. स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध होने से धन एवं समय बचता है तथा अधिक से अधिक विशेषज्ञों के सलाह भी ली जा सकती है। 5. फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर युवाओं को सहभागिता का मंच प्रदान करते हैं। युवा वर्ग अपनी अभिरुचि के अनुसार समूह का अंग बनकर आत्म सन्तुष्टि का अनुभव करता है। इससे उसके मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 6. युवाओं की रचनात्मकता को प्रोत्साहन मिलता है साथ ही उन्हें यू.ट्यूब, इंस्टाग्राम आदि के माध्यम से सम्बन्धित पेशा अपनाकर अपना भविष्य बनाते हैं। 7. सोशल मीडिया ज्ञान के विस्तार का अति उत्तम साधन है। सम्पूर्ण विश्व के सम्बन्ध में तथा किसी भी क्षेत्र या विषय की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 8. जब सम्पूर्ण विश्व में कोरोना महामारी का संकट उत्पन्न हो गया था तब प्रत्येक वर्ग के लोगों में सोशल मीडिया का प्रभाव स्पष्ट था। स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई का माध्यम, सम्बन्धियों से सम्पर्क, विदेशों में रहने वाले स्वजनों की चिन्ता का समाधान तो हुआ ही साथ ही विदेशों में प्रवेश लेकर भी छात्रों ने अपने ही देश से पढ़ाई की इससे समय और धन की बर्बादी नहीं हो पाई। सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव सोशल मीडिया का जहाँ एक ओर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो दूसरी ओर इसके नकारात्मक प्रभाव भी हैं, जिसके कारण सरकार को अनेकों प्रतिबंध लगाने होते हैं जैसे कि जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंध लगाना पड़ा। उसी प्रकार मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में हुए किसान आन्दोलन में भी सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया था। 1. सोशल मीडिया से यद्यपि अनेकों सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है किन्तु इसका एक दुष्परिणाम यह भी है कि कई बार भ्रामक सूचनाएँ प्राप्त होती हैं तथा सूचनाओं का स्वरूप भी बदल दिया जाता है। 2. फोटो वीडियो को निकालकर या गलत तरीके से जोड़कर व्यक्ति के खिलाफ या संगठन के खिलाफ साजिश की जाती है। ब्लैकमेलिंग की घटनाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। 3. युवा अपना अधिक से अधिक समय फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि में व्यतीत करते हैं। व्यक्तिगत सम्पर्क कम होते जा रहे हैं, इसका प्रभाव सामाजिक जीवन पर भी पड़ता है। मिलने-जुलने की अपेक्षा युवा मोबाइल के साथ समय बिताना पसन्द करते हैं। 4. कुछ अध्ययन यह भी स्पष्ट करते हैं कि जिन युवाओं में सोशल मीडिया के प्रति अधिक झुकाव है उनमें कई बार अवसाद के लक्षण पाये जाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका अत्यधिक प्रभाव पड़ता है क्योंकि युवा शारीरिक गतिविधियों पर कम समय व्यय करता है साथ ही एक सामान्य अनुशासित जीवन भी व्यतीत नहीं करने से अनेकों बीमारियाँ घेरने लगती हैं। उसे सोशल मीडिया का एडिक्शन जैसा हो जाता है। 5. सोशल मीडिया अपराध को ग्लैमराइज करके युवाओं को आकर्षित करता है। युवा आसानी से धनी होने का सपना देखते हैं। 6. साइबर बुलटिंग ने युवाओं एवं किशोरों में अनेकों गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न की हैं। युवा मादक पदार्थों का सेवन करते हैं तथा उत्तेजना, उत्पन्न होने के साथ आक्रामक भी हो जाते हैं। 7. व्यक्तिगत जीवन पूर्णतः भंग हो जाता है। साइबर अपराध सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे गम्भीर समस्या है। 8. अश्लील समाचार, चित्र, घटनाएँ यौन शोषण की ओर प्रेरित करती हैं। |
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निष्कर्ष |
1. सोशल मीडिया के लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों ही प्रभाव हैं अतः यह आवश्यक है कि उसका लाभ उठाते हुए हानि के कारणों को खत्म करने का प्रयास किया जाये।
2. शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल साक्षरता दिन-प्रतिदिन आवश्यक होती जा रही है। आवश्यकता है कि अनुपयुक्त एवं दिग्भ्रमित करने वाली सामग्री को प्रतिबंधित किया जाये। विशेषकर अपराध, यौन सम्बन्धित सूचनाएँ, आतंकवाद, अलगाववादी, शोषणकारी सामग्री का प्रसार एवं ग्लैमराइज करन प्रतिबंधित होना चाहिए।
3. सोशल मीडिया में उत्तरदायित्व वहन करने हेतु नैतिक मानक निश्चित किया जाना चाहिए केवल नाममात्र को सेंसर बोर्ड न हो बल्कि समग्र रूप से सोशल मीडिया पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर गलत सामग्री का प्रदर्शन रोकने का प्रयास आवश्यक है।
4. शिक्षण संस्थानों, अभिभावकों एवं सामाजिक संस्थाओं को इस ओर विशेष प्रयास करना होगा। युवाओं के साथ संवाद तथा उन्हें विभिन्न गतिविधियों में सहभागी बनाकर सोशल मीडिया के उपयोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
5. समय-समय पर सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों से सोशल मीडिया के दुष्परिणामों के प्रति सचेत किया जाना चाहिए तथा सभी उपकरणों की बुनियादी सुरक्षा के प्रति जागरुकता उत्पन्न करते रहना चाहिए। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. Callanna, V.J. & Rosenberger (2011), Media and Public Perceptions of the Police : Examining the impat of race and personal experience Policing & Society.
2. Cyber Crime Survey Report (2014)
3. Ferguson, C.J. (2009), Media Violence Effects – Confirmed Truth or Just another X-file, Journal of Forensic Psychology Practice.
4. Greer, C. (2009), Crime and Media Understanding the Conception, Criminology.
5. Jewkes, Y. (2017) Media & Crime, U.K. Sage Publications Ltd.
6. Different Reports, Newspapers etc. |