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झारखंड में संचारी रुग्णता: एक भौगोलिक
अध्ययन |
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Communicable Disease in Jharkhand: A Geographical Study | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
17612 Submission Date :
2023-07-09 Acceptance Date :
2023-08-01 Publication Date :
2023-08-16
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सारांश |
मनुष्य का स्वास्थ्य
असामान्य रहने की दशा ही रूग्णता कहलाती है अर्थात् मनुष्य का किसी बीमारी से
पीड़ित होना ही रूग्णता है, दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है
कि किसी क्षेत्र विशेष में निश्चित अवधि के दौरान वहाँ की जनसंख्या में कितनी
जनसंख्या रूग्ण पाई गई, रूग्णता को प्रदर्शित करती है। जब
रोग एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाले होते हैं तो उन्हें संचारी रूग्णता की
श्रेणी में
रखा जाता है, यह रूग्ण व्यक्ति के प्रत्यक्ष
संपर्क से अन्य व्यक्तियों, रोगवाहक कीट, दूषित पदार्थ यथा: जल, दूध, भोजन द्वारा प्रसारित होते हैं। प्रस्तुत शोध-पत्र झारखण्ड राज्य में
संचारी रूग्णता की स्थिति को रेखांकित करता है, वर्त्तमान
में झारखण्ड इ.ए.जी. राज्यों में शामिल है, नेशनल हेल्थ
प्रोफाइल, 2021 के अनुसार झारखण्ड काला-आजार के संबंध में
दूसरा तथा मलेरिया के संबंध में चौथा स्थान देश में रखता है, अतएव प्रस्तुत शोध पत्र संचारी रूग्णता के संबंध में राज्य की स्थिति
का विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसके लिए प्राथमिक एवं
द्वितीयक आँकड़े प्रयुक्त किए गए हैं तथा संदर्श गाँवों का तुलनात्मक अध्ययन
प्रस्तुत किया गया है जो वर्णनात्मक शोध का बोध कराता है। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The state of abnormal health of a human being is called morbidity, that is, a human being suffering from any disease is a sickness, in other words it can be said that how much of the population was found sick in a particular area during a certain period, morbidity Displays. When diseases are spread from one person to another, then they are placed in the category of communicable diseases, they are spread through direct contact of the sick person to other people, disease-carrying insects, contaminated substances such as water, milk, food. The presented research paper underlines the situation of communicable diseases in the state of Jharkhand, currently Jharkhand EAG. The states include, according to the National Health Profile, 2021, Jharkhand ranks second in the country in relation to Kala-azar and fourth in relation to malaria, hence the presented research paper presents an analysis of the situation of the state in relation to communicable diseases, For which primary and secondary data have been used and a comparative study of model villages has been presented which gives an idea of descriptive research. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | रूग्णता, मलेरिया, फाइलेरिया, रोग, गाँव। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Morbidity, Malaria, Filariasis, Disease, Village. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना | रुग्णता मानव शरीर
की वह अवस्था है जिसमें मानव शरीर में किसी प्रकार की विकृति अथवा अक्षमता आ जाती
है। रुग्णता को अंग्रेजी में "MORBIDITY" कहा जाता है, जो लैटिन भाषा के शब्द "MORIB"
का अंग्रेजी रुपांतरण है, जिसका अर्थ
"DISEASE" होता है(11) WORLD HEALTH
ORGANIZATION द्वारा रुग्णता को इस प्रकार से परिभाषित किया गया
है"MORBIDITY REFERS OF THAT STATE OF BEING DISEASED OR UNHEALTHY
WITHIN A POPULATION" (9) (रुग्णता से तात्पर्य किसी
जनसंख्या का रोगग्रस्त या अस्वस्थ होने की स्थिति से है।) जनसंख्या भूगोल के
अंतर्गत्त जनसंख्या गत्यात्मकता वाले अध्याय में मर्त्यता का अध्ययन किया जाता है,
यह अध्ययन तभी सफलीभूत हो सकता है, जब
मर्त्यता से पूर्व रुग्णता का विधिवत अध्ययन हो। (3) |
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अध्ययन का उद्देश्य | प्रस्तुत शोध-पत्र
का उद्देश्य झारखण्ड राज्य में संचारी रुग्णता के संबंध में अध्ययन करना है तथा ग्राम
अरसण्डे एवं सुकुरहुटू जो क्रमशः शहर व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के समीप व दूर
अवस्थित है, इन गाँवों में वेक्टर जनित रुग्ण
जनसंख्या की स्थिति का ब्यौरा प्रस्तुत करना है। |
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साहित्यावलोकन | 1. यादव, मै.ला. द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘हेल्थ सर्विसेज फॉट आल्डर्स इन
ए रूरबन सेंटिंग ऑफ इंडिया’’ जिसका प्रकाशन 2019 में हुआ। |
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मुख्य पाठ |
अध्ययन क्षेत्र
चित्र संख्या 01: ग्राम अरसण्डे स्रोत: www.bhuvan.nrsc.gov.in चित्र संख्या 02: ग्राम सुकुरहुटू स्रोत: www.bhuvan.nrsc.gov.in
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सामग्री और क्रियाविधि | शोध विधितंत्र का
तात्पर्य क्रमबद्ध रूप से शोध लक्ष्य की प्राप्ति की प्रविधि से है। प्रस्तुत
शोध-पत्र हेतु प्राथमिक एवं द्वितीयक दोनों प्रकार के आँकड़ों का प्रयोग किया गया
है। प्राथमिक आँकड़ों की प्राप्ति हेतु संदर्श सर्वेक्षण किया गया जिसमें स्थानीय
घरों को सम्मिलित किया गया साथ ही निरीक्षण, साक्षात्कार
एवं अनुसूची विधि का प्रयोग प्रदत्त संग्रह के लिए किया गया है। द्वितीयक आँकड़े
प्रखण्ड कार्यालय, पंचायत भवन, सामुदायिक
स्वास्थ्य केन्द्र, इंटरनेट एवं संबंधित पुस्तक व पत्रिका
से संकलित किए गए हैं, आँकड़ों को सारणीबद्ध रूप से
प्रस्तुत करते हुए वर्णनात्मक एवं विश्लेषणात्मक विधि तंत्रों का प्रयोग किया है। |
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परिणाम |
शोधार्थी द्वारा झारखण्ड राज्य में संचारी रुग्णता के अध्ययन हेतु निम्नलिखित
रोगों को सम्मिलित किया गया, जिन्हें दो उप-शीर्षकों के तहत रखा गया यथा: वेक्टर जनति
संचारी रूग्णता एवं अन्य संचारी रूग्णता
सारणी 03: संचारी रुग्णता से ग्रसित जनसंख्या व मृत्यु, झारखण्ड (2016-2020) स्रोत - www.nvbdcp.gov.in एवं शोधार्थी द्वारा परिगणित उपरोक्त सारणी 03 अवलोकनार्थ ज्ञात होता है कि राज्य में 2016-2020 की अवधि में संचारी रूग्णता से 08,74,289 जनसंख्या ग्रसित रही तथा कुल 399 मृत्यु दर्ज की गई एवं कुल अनुमानित जनसंख्या में रूग्ण जनसंख्या प्रतिशत 2.26% देखी गई।
उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि कुल 11 रोगों (रूग्णता) में प्रथम स्थान पर मलेरिया है अर्थात् राज्य में सर्वाधिक रूग्ण जनसंख्या मलेरिया (346347) से संबंधित है साथ ही सर्वाधिक मृत्यु भी मलेरिया के कारण ही हुई है। स्रोत - www.nvbdcp.gov.in एवं शोधार्थी द्वारा विश्लेषण उपरांत तैयार वेक्टर जनित संचारी रुग्णता की स्थिति जानने के लिए संदर्श सर्वेक्षण हेतु ग्राम अरसण्डे के 19 वार्डों से 10-10 घरों को प्रतिदर्श घर के रूप में चयनित किया गया तथा सुकुरहुटू गाँव से उत्तरी पंचायत एवं दक्षिणी पंचायत केे 50-50 घरों को प्रतिदर्श घर के रूप में चयनित किया गया। ग्राम अरसण्डे में 190 प्रतिदर्श घरों में 1111 जनसंख्या का वास है तथा वेक्टर जनित रुग्ण जनसंख्या 77 है जिसमें 67 मलेरिया एवं 10 फाइलेरिया से संबंधित है अर्थात् गाँव में सर्वाधिक रुग्णता मलेरिया की है। ग्राम के उत्तरी भाग में फाइलेरिया का प्रभाव अधिक है, यह हिस्सा पुराना अधिवासित क्षेत्र है, गाँव का दक्षिण भाग नया अधिवासित क्षेत्र है, यहाँ फाइलेरिया का प्रभाव नहीं के बराबर है परंतु मलेरिया प्रभावी है। ग्राम सुकुरहुटू में 100 प्रतिदर्श घरों में 947 जनसंख्या का वास है तथा वेक्टर जनित रुग्ण जनसंख्या 92 है जिसमें 62 मलेरिया एवं 30 फाइलेरिया से संबंधित है, अतः गाँव में सर्वाधिक रुग्णता मलेरिया की है साथ ही फाइलेरिया का प्रभाव भी अधिक है। चित्र संख्या 03: रुग्ण ग्रामीण स्रोत: शोधार्थी द्वारा किया गया संदर्श ग्राम सर्वेक्षण
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निष्कर्ष |
व्यक्ति का रुग्ण होना उसकी व्यक्तिगत समस्या हो सकती है परंतु यह समाज के लिए भी समस्या है क्योंकि व्यक्ति समाज का क्रियात्मक इकाई होता है, राज्य तथा संदर्शं गाँवों में रोगवाहक जनित रुग्णता का अध्ययन यह संकेत देता है कि राज्य में मलेरिया, फाइलेरिया की स्थिति काफी भयावह है, कुष्ठ, राजयक्ष्मा रोग से भी एक भारी जनसंख्या पीड़ित है। एक बड़ी आबादी का इस प्रकार रुग्ण होना जनसंख्या भूगोल में मर्त्यता के अध्ययन से ठीक पहले रुग्णता के अध्ययन का पुरजोर समर्थन करता है, समय के साथ रुग्ण जनसंख्या में कमी आई है परंतु फिर भी यह चिंता का विषय है, गाँव का अध्ययन बताता है कि यहाँ की एक बड़ी आबादी प्रतिवर्ष मलेरिया के प्रकोप से आक्रांत होती है तो वहीं फाइलेरिया के कुछ मामले ऐसे भी जो अनुवांशिक से प्रतीत होते है, (पिता एवं उसके बाद पुत्र, माँ एवं उसके बाद पुत्री का आक्रांत हो जाना) अतः अध्ययन क्षेत्र के रूग्ण जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय तर्कसंगत प्रतीत होते हैं: 1. वेक्टर जनित रोगों के उन्मूलन हेतु चलाए जा रहे योजनाओं व कार्यक्रमों में सुदृढ़ीकरण लाया जाए, संबंधित व्यक्ति तक इसका लाभ पहुँच रहा है या नहीं इसका मूल्यांकन किया जाए। 2. गाँवों/शहरों/प्रखंड कार्यालयों में कैम्प के
माध्यम से जागरुकता लाई जाए साथ ही जाँच व औषधि की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए,
स्वास्थ्य केंद्रों व सहिया- साथी को सुदृढ़ किया जाए। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. गुप्ता, एस.एल., 2014, जनांकिकी के मूलतत्व, वृंदा पब्लिकेशन्स, दिल्ली। |