P: ISSN No. 2231-0045 RNI No.  UPBIL/2012/55438 VOL.- XI , ISSUE- IV May  - 2023
E: ISSN No. 2349-9435 Periodic Research
शासन द्वारा अनुदान योजना पर प्रदत्त कृषि उपयोगी यंत्रों का कृषि नवाचार में योगदान (पश्चिमी मध्यप्रदेश के संदर्भ में अध्ययन)
Contribution of Agricultural Implements Provided By The Government On Grant Scheme In Agricultural Innovation (Study In The Context Of Western Madhya Pradesh)
Paper Id :  17711   Submission Date :  2023-05-06   Acceptance Date :  2023-05-19   Publication Date :  2023-05-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.
For verification of this paper, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/researchtimes.php#8
धर्मेन्द्र सिंह चौहान
पोस्ट- डॉक्टोरल फैलो
भूगोल विभाग
डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र
नई दिल्ली,भारत
सारांश
प्रस्तुत शोध अध्ययन में शासन द्वारा कृषि उपयोगी यंत्रों में प्रदान किये जाने वाले अनुदान का कृषि नवाचार पर प्रभाव देखा गया है। पारम्परिक कृषि द्वारा कृषकों को मानवीय श्रम की अधिकता के साथ-साथ समय ज्यादा लगता था। इसकी तुलना में आधुनिक कृषि यंत्रों के प्रयोग से ये दोनों ही समस्याएँ हल हुई है। इस शोध अध्ययन में मध्यप्रदेश का पश्चिमी भाग जिसमें पांच जिले इन्दौर, उज्जैन, धार, देवास, रतलाम लिए गए हैं तथा प्रत्येक जिले से कृषि जोत के अनुसार जिन कृषकों को कृषि यंत्र अनुदान प्राप्त हुआ है। उनको अध्ययन हेतु चुना गया। प्रत्येक जिले से 50 कृषक लिए गए हैं। इस प्रकार कुल 250 कृषकों से साक्षात्कार अनुसूची, अवलोकन, सामूहिक चर्चा, प्रष्नावली, व्यक्तिगत अध्ययन के आधार पर प्राथमिक समंकों का संकलन कर निष्कर्ष पर पहुंचा गया है तथा शोधार्थी द्वारा उक्त शोध विषय पर सुझाव देकर शोध मार्ग प्रषस्त करने का प्रयास किया गया है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In the presented research study, the impact of the grant provided by the government on agricultural innovation has been seen. With the traditional agriculture, the farmers used to take more time along with the excess of human labor. In comparison, both these problems have been solved by the use of modern agricultural machinery. In this research study, the western part of Madhya Pradesh in which five districts Indore, Ujjain, Dhar, Dewas, Ratlam have been taken and according to the agricultural holdings from each district, the farmers who have received agricultural machinery grant. He was selected for the study. Fifty farmers have been taken from each district. In this way, on the basis of interview schedule, observation, group discussion, questionnaire, personal study with a total of 250 farmers, a conclusion has been reached by compiling primary data and the researcher has tried to pave the way for research by giving suggestions on the said research topic.
मुख्य शब्द कृषि उपयोगी यंत्रों, पश्चिमी मध्यप्रदेश, कृषि।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Agricultural implements, West Madhya Pradesh, Agriculture.
प्रस्तावना
प्राचीन काल के पौराणिक एवं ऐतिहासिक ग्रंथों से पता चलता है, कि प्रागैतिहासिक काल से ही कृषि कार्य प्रारंभ हो चुका था। सिंधु सभ्यता, आर्य अथवा वैदिक संस्कृति, ग्रीक संस्कृति, रोमन साम्राज्य आदि में कृषि की जानकारी मिलती है। परंतु कृषि का विधिवत् प्रारंभ 18 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ। ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी शब्द-कोश 1964 के अनुसार ‘‘एग्रीकल्चर कृषि, मृदाकर्षण एवं खेतीबाडी का विज्ञान है, जिसमें विभिन्न क्रियाएँ जैसे संग्रहण, पशुपालन, जुताई आदि सम्मिलित की जाती है।’’खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार‘‘कृषि के अंतर्गत फसल क्षेत्र, वन क्षेत्र, स्थायी बास के मैदान तथा चरागाह भी सम्मिलित किये जाते हैं।’’ कृषि का क्षेत्र फसलोत्पादन से भी अधिक व्यापक है। यह मानव द्वारा ग्रामीण पर्यावरण का रूपान्तरण है, जिससे कतिपय उपयोगी फसलों एवं पशुओं के लिए सम्भव अनुकूल दशाएँ सुनिश्चित की जाती है। अतः विस्तृत अर्थ में कृषि का अभिप्राय “भौतिक वातावरण के पौध, पशुपालन, वनारोपण तथा प्रबंध एवं मत्स्य पालन आदि करने से है।“ प्राचीन काल से लेकर आज तक कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार रही है। खाद्य वस्तुएँ, चारा और कच्चा माल आदि कृषि से ही प्राप्त होता है। इसी प्रकार कृषि से ही अकृषि क्षेत्रों के विभिन्न सामानों की आपूर्ति होती है एवं इससे विभिन्न उद्योगों के लिये कच्चे माल की भी प्राप्ति होती है। हमारे निर्यात से होने वाली आय का एक बहुत बड़ा भाग कृषि व कृषि आधारित निर्यात के कारण उपलब्ध है। कपास, जूट के वस्त्र, मांस, शक्कर, वनस्पति घी, तेल, चाय, मसाले, इमारती लकड़ी, लाख, चावल, काजू-गिरी, तम्बाकू, नारियल, केसर, ताजे फल, शुष्क मेवा बादाम, अखरोट आदि जैसी महत्वपूर्ण चीजों का हमारे देश से निर्यात होता है। ये कुल निर्यात का 16 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय आय में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता हैं। कृषि कार्य में जितना योगदान पर्यावरण, मिट्टी, उर्वरक, मानव संसाधन का होता है उतनी ही भूमिका कृषि कार्य को संपन्न करने में आधुनिक कृषि यंत्रों की होती है। चूँकि वर्तमान समय में कृषि कार्य मशीनीकरण के कारण जल्दी और सुलभ हो गया है। अब प्रश्न यह उठता है कि आधुनिक कृषि यंत्र प्रायः सभी कृषकों के पास उपलब्ध नहीं है। जो बड़े कृषक, सीमान्त कृषक उनके पास तो कृषि यंत्र उपलब्ध हैं, परंतु छोटी जोत वाले कृषकों कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे महँगे कृषि यंत्र क्रय नहीं कर पाते हैं। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश शासन ने 2015-16 में बड़े पैमाने पर कृषि यंत्रों को अनुदान (सब्सिडी) के माध्यम से कृषक को उपलब्ध कराया जिसमें प्रमुख रूप से छोटे कृषकों को चिन्हित किया गया। इस योजना को सन् 2019-20 में ई-कृषि यंत्र पोर्टल पर ऑनलाईन आवेदन के माध्यम से शुरू किया गया जिसके अंतर्गत कृषकों को 30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक कृषि यंत्रो पर अनुदान देने का प्रावधान किया गया। कुछ कृषि यंत्रों में तो इससे ज्यादा सब्सिडी भी देने का प्रावधान है। इस योजना में कृषि यंत्रों के माध्यम से आर्थिक मदद दी जाएगी। अगर महिला कृषक है तो ज्यादा अनुदान दिया जाएगा। मध्यप्रदेश कृषि उपकरण योजना सब्सिडी यंत्रों में विद्युत डीजल पंपसेट, पाइप लाईन सेट, रेन गन सिस्टम, ड्रिप/स्प्रिंकलर सिस्टम, लेजर लैंड लेवलर, रोटा वेटर, पॉवर टिलर, रेज्ड वेड प्लांटर, ट्रेक्टर 20 हॉर्स पॉवर से अधिक, ट्रेक्टर चलित रीपर कम बाइंडर, स्वचालित रीपर, ट्रेक्टर माउंटेड ऑपरेटेड स्प्रेयर, मल्टी क्रॉप थ्रेशर एक्सियल फ्लो पैडी थ्रेसर, पैडी ट्रांसप्लांटर, सीडड्रिल, रीपर कम बाइंडर, हैप्पी सीडर, जीरो ट्रिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, पॉवर हैश, पावर वीडर, इंजन चलित 2 एचपी से अधिक मल्टीक्रॉप प्लांटस, ट्रेक्टर 20 हॉर्स पावर तक छोटे, मल्चर, ग्रेडर आदि प्रमुख यंत्र सम्मिलित किये गये है।
अध्ययन का उद्देश्य
1. अध्ययन क्षेत्र में कृषि नवाचार एवं कृषि यंत्र अनुदान प्राप्त कृषकों की कृषि जोत का अध्ययन करना। 2. कृषि नवाचार एवं कृषि यंत्रों का प्रयोग कर कृषकों द्वारा उत्पादित फसलों का अध्ययन करना। 3. अध्ययन क्षेत्र में कृषि यंत्र मिलने के उपरांत कृषि नवाचार का अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन

1. गंगराडे साधना 2015 द्वारा कृषक जगत पत्रिका में कृषि क्षेत्र में उन्नत तरीकों तकनीकी जानकारी, उत्पादन के साथ ही गुणवत्ता में वृद्धि, विपुल पैदावार देने वाली उन्नत किस्में फसल पोषण, पौधे पोषक तत्वों की पूर्ति, जैविक उर्वरकों एवं कृषि यंत्रों की उपयोगिता फसल संरक्षण आदि तत्वों का अध्ययन किया गया है।

2. जोशी वाय.जी. 2017 ने एक शोध पत्र प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने कृषि नवाचार की व्याख्या करते हुए बताया कि ‘‘कृषि में उन्नत तकनीकों के स्थानिक विसरण का अभिप्राय उस प्रक्रिया से है, जिसके द्वारा किसी स्थान में कृषि में आये नवीन बदलाव विसरित होकर दूसरे स्थान में प्रतिस्थापित हो जाते है।’’ विकसित देशों की अपेक्षा अविकसित देशों और क्षेत्रों में नवाचार के अंगीकरण की प्रक्रिया सामाजिक आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक बाधाओं के कारण अपेक्षाकृत अधिक जटिल होती है। इन सब में यंत्रीकरण को बढ़ावा देना निश्चित ही उचित है।

3. किशोर, नवल 2019 ने ’’भारतीय किसान और उनकी मुलभूत सुविधाएँनामक लेख के अनुसार कृषि और सहकारिता विभाग के कुल आयोजनों परिव्यय में विगत वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत बढोत्तरी कर 2012-13 में 20208 करोड़ रूपया जो कुल बजट का मात्र 1.355 प्रतिशत था। भारत सर्वाधिक रोजगार देने वाले क्षेत्र के लिए दो प्रतिशत से भी कम धन राशि का आवंटन कृषि की उपेक्षा का साक्षात् प्रमाण है।

4. श्राफ वी.एन. (2022)‘‘किसान अनुदान मध्यप्रदेश समीक्षा पत्रिका’’ ने कहा है कि किसानो के पास इतने बेहतर उपकरण नहीं होते की वे कृषि के साधनों के उपयोग में अपने लिए कोई यंत्र या उपकरण ले सके। क्योंकि किसानो के पास पर्याप्त साधन नहीं होते और ना ही वे इन चीजों को लेने में इतने सक्षम होते है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ऐसी समस्या को देखते हुए राज्य के किसानो को सिंचाई के साधनो के लिए और फसलों के बेहतर उपज के लिए कृषि यंत्रों के लिए अनुदान राशि दी जाएगी। जिससे कृषकों को खेती करने में आसानी हो और फसलों की पैदावार अच्छी हो सके और वे कृषि की तरफ लाभान्वित हो सके। इस योजना कृषि उपकरण सब्सिडी योजना का मुख्य उद्देश्य किसानो की आय में वृद्धि करना है।

सामग्री और क्रियाविधि
शोध अध्ययन की शोध प्रविधि के अंतर्गत शोध अध्ययन क्षेत्र के रूप म.प्र. राज्य के पश्चिम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पाँच जिलों (इंदौर, उज्जैन, धार, रतलाम, देवास) को लिया गया, अध्ययन के समग्र के रूप में इन जिलों में कृषि यंत्र अनुदान प्राप्त कृषकों का श्रेणीवार विभाजन किया गया, अध्ययन की ईकाई वे कृषक हैं, जिन्हें कृषि यंत्र अनुदान प्राप्त है, उनसे प्राथमिक समंकों को संकलन के लिए चुना गया है। प्रस्तुत शोध अध्ययन में उद्देश्य पूर्ण निदर्शन पद्धति का प्रयोग कर स्तरीकृत निदर्शन किया गया। जिसमें उपरोक्त पांच जिलों के कृषकों की वर्ष 2017 से लेकर 2020 तक की कृषि यंत्र अनुदान प्राप्त कृषकों की सूची प्राप्त की गयी। जिसमें से हर जिले से 50-50 कृषि यंत्र अनुदान प्राप्त कृषकों को चयनित किया गया। इस प्रकार पश्चिमी म.प्र. के पांच जिलों से कुल 250 कृषि यंत्र अनुदान प्राप्त कृषकों को चुना गया, जिसमें सामान्य श्रेणी (पिछड़ा वर्ग सम्मिलित) वर्ग के 95 कृषक, अ.जा. वर्ग के 85 कृषक तथा अ.ज.जा. वर्ग के 70 कृषक सम्मिलित है।
विश्लेषण

तालिका क्रमांक 1

कृषि जोत का आकार

कृषि जोत/हेक्टेयर में

कृषक संख्या

प्रतिशत

2 हेक्टेयर से कम

237

94.80

2 से 4 हेक्टेयर

08

3.2

4 हैक्टेयर से अधिक

05

2.0

योग

250

100

उपरोक्त तालिका के अनुसार कृषि यंत्र अनुदान प्राप्त प्राप्त कृषकों की कृषि जोत का अध्ययन करने पर 94.80 प्रतिशत कृषकों की कृषि जोत का आकार 2 हैक्टेयर से कम, 3.2 प्रतिशत कृषकों की कृषि जोत का आकार 2 से 4 हैक्टेयर तक तथा 2.0 प्रतिशत कृषकों की कृषि जोत का आकार 4 हैक्टेयर से अधिक पाया।

तालिका क्रमांक 2

कृषि कार्य हेतु सब्सिडी पर प्राप्त यंत्र

यंत्र प्रकार

कुल कृषक

कृषक संख्या

प्रतिशत

ट्रेक्टर

250

159

63.6

सीडड्रिल

250

37

14.8

पंजा

250

37

14.8

प्लाव

250

31

12.4

स्प्रिंकलर

250

197

78.8

थ्रेशर

250

18

7.2

अन्य उपकरण

250

17

6.8

उपरोक्त तालिका के अनुसार कृषि यंत्र अनुदान प्राप्त कृषकों ने कृषि कार्य हेतु सब्सिडी पर लिये गये यंत्रों के प्रकार का अध्ययन किया गया जिसमें कृषकों की कुल समग्र संख्या 250 में से 63.6 प्रतिशत कृषकों ने ट्रेक्टर पर अनुदान लिया, 14.8 प्रतिशत कृषकों ने बोवाई की सीडड्रिल, 14.8 प्रतिशत कृषकों ने पंजा, 12.4 प्रतिशत कृषकों ने प्लाव, 78.8 प्रतिशत कृषकों ने सिंचाई स्प्रिंकलर, 7.2 प्रतिशत कृषकों ने थ्रेसर मशीन तथा 6.8 प्रतिशत कृषकों ने हारवेस्टर पर अनुदान राशि प्राप्त की है। यह अनुदान राशि का प्रतिशत भी अलग-अलग यंत्रों पर अलग-अलग है।

तालिका क्रमांक 3

कृषि यंत्र अनुदान योजना से कृषि यंत्र प्राप्त करने वाले विभाग का नाम

विभाग का नाम

कृषक संख्या

प्रतिशत

कृषि अभियांत्रिकी विभाग

210

84

किसान कल्याण विभाग

21

8.4

कृषि विभाग

19

7.6

योग

250

100

उपरोक्त तालिका के अनुसार कृषि यंत्र अनुदान योजना में कृषि यंत्र प्राप्त कृषकों ने किस विभाग के माध्यम से यंत्र प्राप्त किया है? इसका अध्ययन करने पर 84.00 प्रतिशत कृषकों ने कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा, 8.4 प्रतिशत कृषकों ने किसान कल्याण विभाग के माध्यम से तथा 7.6 प्रतिशत कृषकों ने सीधे कृषि विभाग द्वारा ट्रेक्टर, सीडड्रिल, पंजा, प्लाव, स्प्रिंकलर, थ्रेशर, हारवेस्टर प्राप्त किया था।

इस योजना में लाभ लेने हेतु सर्वप्रथम ऑनलाईन आवेदन आमंत्रित किया जाता है तथा लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से कृषकों का चुनाव किया जाता है। तत्पश्चात् अनुदान राशि सीधे यंत्र उत्पादित करने वाले फर्म के बैंक खाता में ट्रान्सफर कर दी जाती है।

तालिका क्रमांक 4

कृषि यंत्र उपलब्धता के पश्चात् नवाचार तथा कृषि कार्य में परिवर्तन

कृषि कार्य में परिवर्तन

कृषक संख्या

प्रतिशत

कम समय में अधिक कार्य

100

40

मानव श्रम की बचत

80

32

फसलों के नुकसान में कमी

40

16

अगली फसल के लिए खेत तैयार

17

6.8

उपरोक्त सभी

13

5.2

योग

250

100

उपरोक्त तालिका के अनुसार अनुदान पर कृषि यंत्र मिलने के पश्चात् की स्थिति का अध्ययन करने पर कृषकों द्वारा दिये गये उत्तरों में 40.00 प्रतिशत कृषकों के अनुसार अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध होने पर कृषि कार्य में समय की बचत होती है अर्थात् कम समय में अधिक कार्य होता है। 32 प्रतिशत कृषकों के अनुसार मानव श्रम में कमी होती है क्योंकि जहाँ अधिक मजदूर लगते हैं उसकी तुलना में यंत्रीकरण से कार्य सुगम हो जाता है। 16 प्रतिशत कृषकों का मानना है कि समय पर कार्य हो जाने के कारण मौसमीय गतिविधि या अन्य प्रकार से फसलों में होने वाले नुकसान में कमी होती है, 6.8 प्रतिशत कृषकों के अनुसार यंत्रीकरण के कारण अगली फसल के लिए समय पर खेत तैयार हो जाता है। 5.2 प्रतिशत कृषक वर्ग ऐसा भी है जो उपरोक्त सभी प्रकार के लाभों को कृषि यंत्र अनुदान से प्राप्त यंत्रीकरण के कारण बताते   हैं।

इस प्रकार कृषि कार्य सुगम होने के साथ-साथ समय की भी बचत होती है।

तालिका क्रमांक 5

कृषि यंत्र अनुदान योजना से कृषि नवाचार योग

विकल्प

कृषक संख्या

प्रतिशत

हाँ

220

88.0

नहीं

30

12.0

योग

250

100

      

 

      

 

 

कृषि यंत्र अनुदान योजना से आर्थिक स्थिति पर प्रभाव

 

उपरोक्त तालिका के अनुसार कृषि यंत्र अनुदान योजना से लाभ प्राप्त करने के पश्चात् कृषकों की आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने पर 88 प्रतिशत कृषकों के अनुसार उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ या आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। 12 प्रतिशत कृषकों के अनुसार आर्थिक स्थिति ज्यों की त्यों है। इस प्रकार कृषकों का एक बड़ा प्रतिशत यह मानता है कि उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है। इस प्रकार अध्ययन क्षेत्र में कृषकों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा है। 

निष्कर्ष
प्रस्तुत शोध पत्र में अध्ययन क्षेत्र में प्राथमिक समंकों के संकलन सारणीयन तथा आरेखीय प्रदर्षन के उपरांत शोध विषय पर दिए गए निष्कर्ष निम्नानुसार है - 1. शासन द्वारा कृषि यंत्र छोटी जोत वाले कृषक परिवारों को प्रदान किया गया जिसमें 94.80 प्रतिशत कृषक 2 हैक्टेयर से कम कृषि जोत आकार वाले है। इससे भी यह ज्ञात होता है कि शासन द्वारा छोटे कृषकों की आय बढ़ाने तथा कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। 2. अध्ययन क्षेत्र में सबसे ज्यादा सिंचाई का माध्यम ट्यूबवेल है, जो कि 56.8 कृषकों के पास उपलब्ध है। इसके बाद कुआँ, तालाब, नहर आदि है। 3. खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन तथा कपास है, जो कि क्रमशः 40.8 प्रतिशत तथा 11.2 प्रतिशत कुल कृषक वर्ग का है। रबी की प्रमुख फसल गेहूँ और चना है, जो कि क्रमशः 38.8 प्रतिशत तथा 18.8 प्रतिशत है। जायद की मुख्य फसल मूँग तथा सब्जियाँ है। 4. कृषि यंत्र अनुदान योजना में 63.6 प्रतिशत कृषकों ने ट्रेक्टर, 14.8 प्रतिशत कृषकों ने सीड ड्रील तथा अन्य ने पंजा, प्लाव, स्प्रिंकलर, थ्रेशर तथा अन्य उपकरण लिये हैं। 5. कृषि यंत्र उपलब्धता के पश्चात् कृषि कार्य में जो परिवर्तन हुआ उसमें 40.00 प्रतिशत कृषक कम समय में अधिक कार्य, 3.2 प्रतिशत कृषक मानव श्रम की बचत, 16 प्रतिशत कृषक फसलों के नुकसान में कमी, 6.8 प्रतिशत कृषक अगली फसल के लिए जल्दी खेत का तैयार होना मानते हैं। 6. 88 प्रतिशत उत्तरदाता कृषक वर्ग मानते हैं कि कृषि यंत्र अनुदान योजना का लाभ लेने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा। 7. कृषि यंत्र अनुदान योजना के उत्पादन लागत में आयी 20 प्रतिशत तक कमी को 59.2 प्रतिशत कृषक वर्ग मानते हैं जबकि 23.2 प्रतिशत कृषक इस कमी को 50 प्रतिशत तक मानते हैं। 8. कृषि अनुदान से प्राप्त यंत्रों का भूमि सुधार पर भी प्रभाव पड़ा जिसमें 84 प्रतिशत कृषक ऊबड़-खाबड़ जमीन में सुधार तथा 16 प्रतिशत कृषक सिंचाई के साधनों में वृद्धि मानते हैं।
भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव शोध अध्ययन में दिये गये सुझाव संक्षिप्त में निम्नानुसार है -
1. आवश्यक कृषि यंत्रों पर अनुदान की राशि को बढ़ाया जाए जिससे अतिरिक्त बोझ कृषक पर न पड़े।
2. कृषि यंत्रों के अधिक प्रयोग से भूमि क्षरण, मृदा क्षरण पोषक तत्वों की कमी पर्यावरणीय समस्याऐं पैदा हो रही हैं इसलिए जैविक आदानों को भी प्राथमिकता दी जाए।
3. जैविक खाद बनाने वाली मशीनों पर सर्वाधिक अनुदान दिया जाए तथा पशुधन बढाऐ जाने वाली पद्धति पर कार्य किया जाए।
4. सिंचाई के साधनों में और अधिक नवाचार की आवश्यकता है। इसमें कम बिजली पर चलित पंपों का वितरण अनुदान योजना के माध्यम से किया जावे।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. अरूण डी.के. (1999): ‘‘जैविक खेती के प्रमुख सूत्र’’, एज्युकेशनल एण्ड क्राफ्ट, इंदौर, म.प्र., पृ. क्र. 10 2. अवस्थी, नरेन्द्र मोहन (2005): ‘‘संसाधन और पर्यावरण’’, म.प्र. हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल, पृष्ठ क्र. 1-19 3. ऑक्सफोर्ड (1964), अंग्रेजी शब्द कोष, पृष्ठ क्र. 201 4. ओम प्रकाश (2001): ‘‘मृदा संरक्षण के सिद्धांत’’, राम पब्लिशिंग हाऊस, मेरठ, पृष्ठ क्र. 1-5 5. कार्यालय, भू अभिलेख, जिला इंदौर, म. प्र. 6. Swaminathan, M.S. (1992). Conserving Natural Resources for sustainable agriculture. In V.Kumar, Shrotriya & S.V. Kaore (eds.), Soil Fertility & Fertilizer use, vol, V. IFFCO, New Delhi, p. 226 7. Tambe, G.C. and D. WadYeshwant (1935), Humus manufacture from cane trash. International Sugar Journal, Vol. 37, 260-63. 8. Upadhyay, Manishankar (2007). Shroff Krishi Anusandhan Farm, Ek Farm Jo Basati he 100 Se Adhik Vanaspatiya. pp.8.