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शिक्षा स्नातक (बीoएडo) स्तर अध्ययनरत विद्यार्थियो की एचoआईoवीo/एड्स के प्रति जागरुकता का अध्ययन | |||||||
Study of HIV/AIDS Awareness of Students Studying at Bachelor of Education (B.Ed.) Level | |||||||
Paper Id :
17846 Submission Date :
2023-06-07 Acceptance Date :
2023-06-15 Publication Date :
2023-06-18
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सारांश |
शिक्षा के माध्यम से बालकों में एचवीआई/एड्स के प्रति जागरूकता एवं वह ज्ञान समाज की प्रत्येक कड़ी तक पहुँचाना ताकि एचवीआई/एड्स को बहुत ही शर्मिंदगी महसूस करते है इस विषय में चर्चा करना। इसके माध्यम से समाज में एचवीआई/एड्स की जानकारी और सावधानी को बताया गया।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Awareness of HVI/AIDS in children through education and that knowledge should reach every link of the society so that HVI/AIDS feel very ashamed to discuss this topic. Through this, the information and precautions of HVI/AIDS were told in the society. | ||||||
मुख्य शब्द | एचoआईoवीo, एड्स, एड्स मानवीय अपूर्णता विषाणु । | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | HIV, AIDS, AIDS human imperfection virus. | ||||||
प्रस्तावना | शिक्षा को सदैव ही समाज तथा राष्ट्र की प्रकृति का महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली साधन माना जाता है। शिक्षा द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियो का विकास करके उसके ज्ञान, कला कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जा सकता है। इसके द्वारा समाज के पूर्व ज्ञान, वर्तमान की आवश्यकताओ की पूर्ति एवं भविष्य का निर्माण किया जाता है। |
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अध्ययन का उद्देश्य | एड्स एक सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। समाज मे इसकी सही जानकारी और इसके संक्रमित लोगों को हीन भावना से देखना उसका आत्म विश्वास नीचा गिराता है इसलिए एड्सध्एचवीआई की सही जानकारी और इसके बचाव करने के उपायों को उजागर करना एड्स क्या हैए कैसे फैलता है। इससे कैसे बचा जाए इन सभी बातो को खोजने के लिए हमे एड्स के प्रति शैक्षिक संस्थान मे परिवर्तन लाने की आवश्यकता है और शिक्षा के माध्यम से एड्स ग्रस्त लोगो को बचाव और सुख मे रहने के उपाय की आवश्यकता है |
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साहित्यावलोकन | डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के अनुसार:- "शिक्षा शेरनी का वह दुग्ध है, जो पियेगा वह शेर की तरह दहाड़ेगा” राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (1964-66) के अनुसार :- शिक्षा राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक विकास शक्तिशाली साधन है। शिक्षा राष्ट्रीय संपन्नता एवं राष्ट्र कल्याण कुंजी है। नवजात शिशु असहाय तथा असामाजिक होता है परन्तु जैसे- जैसे वह बडा होता है वैसे- वैसे उसपर शिक्षा के औपचारिक तथा अनौपचारिक, शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक,तथा चारित्रिक विकास होता है। महात्मा गांधी के अनुसार:- शिक्षा से मेंरा अभिप्राय बालक और मनुष्य के शरीर, मन तथा आत्मा के सर्वांगीण विकास से है। गांधी जी अनुसार शिक्षा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करने वाली प्रकिया है। जान डयूवी के अनुसार:- जिस तरह मनुष्य को जीवित रहने के लिए खाना खाने की आवश्यकता रहती है उसी तरह समाज में रहने के लिए शिक्षा की आवश्यकता है। अरस्तू के अनुसार:- शिक्षा विहीन मनुष्य पशु समान है। स्टेनले हाल ने किशोरावस्था को संघर्ष, तनाव, तूफान तथा विरोध की अवस्था कहा है। किशोरावस्था समस्याओ की अवस्था है। किशोर- किशोरियो की अधिकांश समस्याओं का सम्बन्ध उनकी काम प्रवृत्ति से होता है उनमें प्राय: यौन संबंधी बुरी आदते पड जाती है,वर्तमान समय में अश्लील चित्र और काम प्रधान टीवी सीरियल और चलचित्र का ऐसा कुप्रभाव पड़ा हुआ है कि इस आयु में किशोर-किशोरियों में शारीरिक संबंध स्थापित हो जाता है। असुरक्षित यौन संबंधो द्वारा किशोरो में अनेक यौन संचारित रोग एड्स/एच आई वी का संक्रमण हो जाता है। एड्स एक लाइलाज बीमारी है जो एच आई वी के कारण होता है यह एक संक्रमण बीमारी है जो असुरक्षित यौन संबंधो, संक्रमित रक्त चढ़ाने एड्स ग्रस्त मां से उसके बच्चो में फैल जाता है। एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसऐनसी सिंड्रोम है। एच आई वी संक्रमण के बाद की स्थिति है जिसमें मानव अपनी क्षमता खो देता है। एच आई वी रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका कोशो पर आक्रमण करता है। |
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परिकल्पना | 1. शिक्षा स्नातक स्तर मे अध्ययनरत विद्यार्थियो की एड्स के प्रति जागरूकता मे कोई सार्थक अन्तर नही है। 2. शिक्षा स्नातक स्तर मे अध्ययनरत छात्र व छात्रो की एड्स के प्रति जागरूकता का कोई सार्थक अन्तर नही है। 3. शिक्षा स्नातक स्तर मे अध्ययनरत सरकारी एवं निजी महाविद्यालय के विद्यार्थियो की एड्स के प्रति जागरूकता मे सार्थक अन्तर नही है 4. शिक्षा स्नातक स्तर मे अध्ययनरत विज्ञान व कला वर्ग के विद्यार्थियो की एड्स के प्रति जागरूकता मे सार्थक अन्तर नही है। 5. शिक्षा स्नातक स्तर मे अध्ययनरत शहरी एवं ग्रामीण विद्यार्थियो के प्रति जागरूकता मे सार्थक अन्तर नही है। |
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सामग्री और क्रियाविधि | प्रस्तुत शोध अध्ययन मे विवरणात्मक शोध विधि ( सर्वेक्षण विधि ) का प्रयोग किया गया है। जनसंख्या:- प्रस्तुत शोध अध्ययन मे जनसंख्या के अन्तर्गत जनपद बिजनौर के सरकारी एव निजी महाविद्यालय स्तर के शिक्षा स्नातक अध्ययनरत समस्त विद्यार्थियो से है। |
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न्यादर्ष |
प्रस्तुत शोध अध्ययन मे जनपद बिजनौर के शिक्षा स्नातक स्तर मे अध्ययनरत 200 विद्यार्थियो (100 लड़के 100 लड़कियाँ) का चयन सरल यादृच्छिक प्रतिचयन विधि द्वारा किया जाएगा उपकरण प्रस्तुत शोध अध्ययन मे परवेन्द्र के द्वारा अनूप कुमार द्वारा निर्मित एच आई वी/एड्स का ज्ञान एवं जागरूकता मापनी का प्रयोग किया जाऐगा। अध्ययन चर 1 स्वतंत्र चर :- प्रस्तुत शोध अध्ययन मे स्वतंत्र चर "एड्स" है
2 आश्रित चर :- प्रस्तुत शोध अध्ययन मे आश्रित चर "जागरूकता" है |
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विश्लेषण | एड्स उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण या एड्स मानवीय अपूर्णता विषाणु (एच आई वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है,जिसमें मानव अपनी प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स स्वम कोई बीमारी नही है,पर एड्स से पीड़ित मानव सभी संक्रमक बीमारियाँ जो कि जीवाणुओ व विषाणुओ आदि से होती है, के प्रति अपनी प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योकि एचवीआई (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी क्षमता के संक्रमण, यानी आम सर्दी-जुकाम से लेकर क्षय रोग जैसे रोग सहजता से हो जाते है। एच आई वी संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में 6-10 वर्ष या इससे भी अधिक समय लगता है। एचवीआई से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षो तक बिना किसी विशेष लक्षणों के बिना रह सकते है। एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओ में से एक है यानी कि यह एक महामारी है। एड्स के संक्रमण के मुख्य तीन कारण है असुरक्षित यौन संबंध, रक्त के आदान-प्रदान, मा से शिशु में संक्रमण द्वारा हो सकता है एड्स और एचवीआई में अन्तर एच आई वी एक अति सूक्ष्म विषाणु है जिसकी वजह से एड्स हो सकता है एड्स स्वम कोई रोग नही है बल्कि एक संक्रमण है यह मनुष्य की अन्य रोगो से लडने की नैसर्गिक प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता है। प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण यानी आम सर्दी-जुकाम से लेकर फुफस प्रदाह टीबी चर्म रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते है इसका इलाज होना कठिन हो जाता है। इस रोग से मनुष्य धीरे धीरे मृत्यु की ओर बढ़ने लगता है काम करने को मन नहीं करता हृदय में घबराहट होने लगती है इस संक्रमण का केवल उपाय बचाव है अपने आप को सुरक्षित रखना यह एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसिएनसी सिंड्रोम नामक विषाणु से फैलता है| भारत में एड्स ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 14-16 लाख लोग एच आई वी/एड्स से पीड़ित है। हालांकि 2005 में मूल रूप से यह अनुमान लगाया गया था कि भारत लगभग 55 लाख एच आई वी/एड्स से संक्रमित हो सकते है 2007 में और अधिक सटीक अनुमान में संक्रमित लोगो की संख्या में बढ़ोत्तरी पाई गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ कि 2011 के एड्स रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 साल भारत में एच आई वी/एड्स से संक्रमण लोगों की संख्या में गिरावट आई है। भारत में एड्स से प्रभावित लोगो की बढ़ती संख्या के सम्भावित कारण 1. आम जनता को एड्स के विषय में विशेष जानकारी न होने के कारण 2. एड्स तथा यौन रोगो के विषयो को कलंकित समझना 3. शिक्षा में यौन शिक्षण व जागरुकता बढाने वाले पाठ्यक्रम का अभाव 4. कई धार्मिक संगठनो का गर्भ निरोधक के प्रयोग को अनुचित ठहराना एड्स के लक्षण एचवीआई से संक्रमण लोगों में लम्बे समय तक एड्स के कोई लक्षण नही दिखाई देते दीर्घकालिक (3-6 महीने या अधिक) एच आई वी भी औषधीय परीक्षण में नहीं उभरते अक्सर एड्स मरीजों को सर्दी-जुकाम या विषाणु बुखार हो जाता है पर इससे एड्स होने की पहचान नहीं होती। एड्स के कुछ प्रारम्भिक लक्षण है - 1. हैजा, थकान और तेज ज्वर 2. सिरदर्द 3. मतली व भोजन से अरूचि 4. लसीकाओ में सूजन ध्यान रहे कि ये समस्त लक्षण साधारण बुखार या अन्य सामान्य रोगो के भी हो सकते है अत: एड्स के निश्चत रुप से पहचान केवल व केवल औषधि परीक्षण से ही की जा सकती है व की जानी चाहिए। एचवीआई संक्रमण के तीन मुख्य घटक है- तीव्र संक्रमण, नैदानिक विलंबता एवं एड्स| एचवीआई तीन मुख्य कारण से अधिक फैलता है- 1. संक्रमित स्त्री या पुरुष के सम्पर्क में आना 2. शरीर से संक्रमित तरल पदार्थ या ऊतको द्वारा (रक्त संक्रमण या संक्रमित सुइयो के आदान-प्रदान के कारण) 3. माता से शिशु में गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान द्वारा विशेष मल, नाक, स्रोवो, लार, थूक, पसीना, आसू, मूत्र या उल्टी से एच आई वी संक्रमित होने का खतरा तब तक नही होता जब तक कि एच आई वी संक्रमित रक्त के साथ दूषित न हो जाए एड्स से बचाव 1. अपने जीवन साथी के प्रति वफादार रहे एक से अधिक व्यक्ति से यौन संबंध न रखे 2. अपरिचित से संबंध ( मैथुन ) के समय कंडोम का सदैव प्रयोग करना चाहिए 3. यदि आप एच आई वी संक्रमित या एड्स ग्रस्त है तो अपने साथी से इस बात का खुलासा अवश्य करे, बात छुपाए रखने से इस स्थिति में यौन संबंध जारी रखने से आपका साथी भी संक्रमित हो सकता है और आपकी संतान पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। 4. यदि आप एच आई वी संक्रमित या एड्स ग्रसित है तो रक्तदान न करे । रक्त ग्रहण करने से पहले रक्त का एच आई वी परीक्षण कराने पर जोर दे। 5. यदि आपको एच आई वी संक्रमण होने का संदेह हो तो तुरंत अपना एच आई वी परीक्षण करा ले अक्सर एच आई वी के कीटाणु संक्रमण होने के 3 - 6 महीने बाद भी एच आई वी परीक्षण द्वारा पता नही लगाए जा सकते। अतः तीसरे और छठे महीने के बाद ही एच आई वी परीक्षण अवश्य करा लेना चाहिए| एड्स इन कारणो से नही फैलता है- 1. एचवीआई संक्रमित या एड्स ग्रसित व्यक्तियों से हाथ मिलाने से 2. एचवीआई संक्रमित या एड्स ग्रसित व्यक्ति के साथ रहने या उसके साथ खाना खाने से 3. एड्स ग्रस्त व्यक्ति के द्वारा भोजन पकाने या भोजन परोसने से प्रारम्भिक अवस्था में एड्स के लक्षण 1. तेजी से अत्यधिक वजन का घटना 2. सूखी खासी 3. लगातार ज्वर या रात के समय अत्यधिक/असाधारण मात्रा में पसीना बहना 4. जंघाना, कक्षे एवं गर्दन में लम्बे समय तक सूजी हुई लसीकाए 5. एक हफ्ते से अधिक समय तक दस्त होना,लम्बे समय तक गम्भीर हैजा 6. फुफफुस प्रदाह। 7. चमडी के नीचे, मुह पलको के नीचे या नाक में लाल भूरे गुलाबी या बैंगनी रंग के धब्बे 8. निरंतर भुक्कड़पन| एड्स नामक परीक्षण का नाम इस संक्रमण का पता लगाने के लिए एलिसा नामक परीक्षण होता है एड्स/एच आई वी संक्रमित लोगो के प्रति समाज का रवैया:- एड्स/एच आई वी संक्रमित लोगों के साथ समाज का रवैया अच्छा नही होता है संक्रमित व्यक्ति को हीन भावना से देखा जाता है इसलिए वह अपने आप को सदैव नकारात्मक विचार से आवरण बना लेता है अध्ययन की उत्पति प्रायः समाज में यह देखा जाता है कि एड्स तथा यौन रोगों के विषयो को कलंकित समझा जाता है। तथा आम जनता को एड्स के विषय में सही जानकारी नही होती है। इसके अलावा विद्यालय शिक्षा में भी यौन शिक्षण की कमी है इसलिए इस विषय में कोई भी अपने विचार खुलकर नही रख पाता है इसलिए समाज में यह रोग बहुत ही सोचनीय बन जाता है इस विषय में बात करने पर बहुत ही गन्दा बता दिया जाता जिससे अज्ञानता बढ़ती है और रोग लगातार बढ़ता जाता है अत: एड्स नामक बीमारी पर हमें शिक्षण संस्थान में जोर देना आवश्यक है चूंकि शिक्षक ही बालक के भाग्य विधाता और नवराष्ट्र निर्माण में प्रमुख कड़ी है इसलिए हम शिक्षा स्नातक (बीoएडo) स्तर में अध्ययनरत विद्यार्थियो की एड्स के प्रति जागरूकता का अध्ययन करना उचित समझा । शहरी एवं ग्रामीण विद्यार्थियो की एड्स के प्रति जागरूकता 1.एच आई वी/एड्स के बारे में सामान्य जानकारी के प्रथम आयाम के अन्तर्गत ग्रामीण की अपेक्षा शहरी विद्यार्थियो में एच आई वी/एड्स की सामान्य जानकारी अधिक पायी गयी 2. एच आई वी/एड्स के संक्रमण की जानकारी के द्वितीय आयाम के अन्तर्गत ग्रामीण की अपेक्षा शहरी विद्यार्थियो में एच आई वी/एड्स के संक्रमण की जानकारी अधिक पायी गयी। सरकारी एवं निजी महाविद्यालय के विद्यार्थियो की एड्स के प्रति जागरूकता 1. एच आई वी/एड्स के बारे में सामान्य जानकारी के प्रथम आयाम के अन्तर्गत निजी महाविद्यालय की अपेक्षा सरकारी महाविद्यालय के विद्यार्थियो में एच आई वी/एड्स के बारे में सामान्य जानकारी अधिक पायी गयी 2. एच आई वी/एड्स के संक्रमण की जानकारी निजी महाविद्यालय के अपेक्षा सरकारी महाविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों में अधिक पायी गयी विज्ञान व कला वर्ग के विद्यार्थियो की एड्स के प्रति जागरूकता 1. एच आई वी/एड्स के बारे में सामान्य जानकारी में कला वर्ग की अपेक्षा विज्ञान वर्ग की विद्यार्थियो में अधिक पायी गयी 2. एच आई वी/एड्स के संक्रमण की जानकारी के बारे में कला वर्ग के अपेक्षा विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियो में अधिक जागरूकता पायी गयी। |
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जाँच - परिणाम |
1. यह शोध अध्ययन एच आई वी/एड्स और यौन शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों की जागरूकता उत्पन्न करने की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा। 2. यह अध्ययन यौन शिक्षा संबंधित स्वस्थ मुद्दो पर पाठ्यक्रम मे सम्मलित करने मे सहायक होगा 3. यह अध्ययन विद्यार्थियों मे एड्स सम्बन्धी जागरूकता कार्यक्रम को बढ़ावा देने मे सहायक होगा 4. यह अध्ययन एड्स जैसी लाइलाज बीमारियों के उपचार रोकथाम एवं बचाव के लिए सहायक होगा। |
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निष्कर्ष |
छात्र-छात्राओ की एड्स के प्रति जागरूकता के आधार पर- 1. एच आई वी/एड्स के बारे में सामान्य जानकारी के प्रथम आयाम के अन्तर्गत छात्रों की अपेक्षा छात्राओ में एच आई वी/एड्स के बारे में सामान्य जानकारी अधिक पायी गयी 2. एच आई वी/एड्स के संक्रमण की जानकारी के द्वितीय आयाम के अन्तर्गत छात्रों की अपेक्षा छात्राओ में एच आई वी के संक्रमण की जानकारी अधिक पायी गयी। 3. एच आई वी/एड्स संबंधी जागरूकता लाने के लिए सरकारी प्रावधान/सुविधा की जानकारी के तृतीय आयाम के अन्तर्गत छात्रो की अपेक्षा छात्राओ में एच आई वी/एड्स संबंधी जागरूकता लाने के लिए सरकारी प्रावधान/सुविधाऐ की जानकारी अधिक पायी गयी। 4. एच आई वी/एड्स संबंधी अफवाह के बारे में ज्ञान के चतुर्थ आयाम के अन्तर्गत छात्रो की अपेक्षा छात्राओ में एच आई वी/एड्स संबंधी अफवाह के बारे में जानकारी अधिक पायी गयी । 5. एच आई वी/एड्स संबंधी इलाज और बचाव के उपाय के बारे में ज्ञान के पंचम आयाम के अन्तर्गत छात्रो की अपेक्षा छात्राओ में एच आई वी/एड्स के इलाज और बचाव के उपाय के बारे में जानकारी अधिक पायी गयी।
6. सम्पूर्ण एच आई वी/एड्स के ज्ञान का स्तर और जागरूकता के सभी आयामो के अन्तर्गत छात्रो की अपेक्षा छात्राओ में सम्पूर्ण एच आई वी/एड्स के ज्ञान का स्तर और जागरूकता अधिक पायी गयी । |
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भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव | 1. अभिभावको को चाहिए कि वे अपनी एव अपने बच्चो की मानसिक संकीर्णता एव रुढ़िवादी विचारधारा को दूर रखे 2. अभिभावको को चाहिए है कि वह अपने बालको को यौन संबंधी आवश्यकताओ की ऊचित जानकारी प्रदान करे। शिक्षको के लिए सुझाव 3. शिक्षको को चाहिए कि वह बालको को संक्रमण की रोकथाम एव स्वस्थ रहने के लिए जानकारी प्रदान करे 4. शिक्षको को यौन संबंधी जानकारी के विषय मे अनेक प्रकार से कार्यक्रम प्रसारित करने के लिए सहायक बने |
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अध्ययन की सीमा | समस्या कथन को निम्न प्रकार से सीमित किया गया है 1. प्रस्तुत शोध अध्ययन मे बिजनौर जनपद के सरकारी एवं निजी महाविद्यालय का चयन किया गया है। 2. प्रस्तुत शोध अध्ययन मे परवेन्द्र सिंह के द्वारा शिक्षा स्नातक (बीoएडo) स्तर मे अध्ययनरत विद्यार्थियो की एड्स के प्रति जागरूकता का अध्ययन किया गया है 3. प्रस्तुत शोध अध्ययन मे परवेन्द्र सिंह के द्वारा स्नातक स्तर पर बीएड विद्यार्थियो का चयन किया गया है |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. लाल, रमन बिहारी (2017 -18) "शिक्षा के दार्शनिक एवं समाजशास्त्री आधार", मेरठ आरo लाल बुक डिपो आईएसबीएन - 978-93-86405-86-9,
पृष्ठ संख्या 1,2 |