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जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरणीय
स्थिरता: पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के विशेष संदर्भ में |
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Biodiversity Conservation and Environmental Sustainability: With Special Reference to Panna National Park | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
17881 Submission Date :
2023-07-24 Acceptance Date :
2023-08-18 Publication Date :
2023-08-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. For verification of this paper, please visit on
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सारांश |
पृथ्वी पर मौजूद पौधों व प्राणियों की असंख्य प्रजातियाँ जैव विविधता कहलाती है। पृथ्वी की धरातलीय व जलवायु की विविधता ने ही वनस्पति व प्राणियों की विविधता को जन्म दिया है। सभी प्राणी एक निश्चित पर्यावरणीय दशाओं में ही वास करते हैं। इस प्रकार जैव विविधता के अन्तर्गत पृथ्वी अथवा उसके किसी भू-भाग पर जीवों व वनस्पति समुदाय की समग्रता को सम्मिलित किया जाता है। पौधों एवं जीवों से हमें भोजन, औद्योगिक कच्चा माल व औषधियों की प्राप्ति होती है। इस प्रकार जैव विविधता आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ पर्यटन एवं मनोरंजन तथा पारिस्थितिकीय संतुलन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। किन्तु आधुनिक युग के बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों का व्यापक उपयोग, अवनीकरण, जनसंख्या के बढ़ते दवाब के कारण जैव विविधता का तेजी से ह्रास हुआ है। देश में स्थापित राष्ट्रीय उद्यान वन्य प्राणी संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। प्रस्तुत शोध पत्र में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में पायी जाने वाली जैव विविधता तथा प्राणियों के संरक्षण हेतु किये जाने वाले प्रयास एवं कार्यक्रमों का विवेचन किया गया है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र है जहाँ पौधों व प्राणियों की 500 प्रजातियाँ मौजूद हैं जिनमें से कुछ अति दुर्लभ व दुर्लभ श्रेणी में विभक्त हैं। यह उद्यान मुख्य रूप से बाघ संरक्षण हेतु जाना जाता है जो मध्यप्रदेश के पन्ना व छतरपुर जिले में स्थित है। बाघ संरक्षण हेतु किये गये प्रयासों के कारण यहाँ बाघों की संख्या 0 से 72 तक पहुंच गई है। जैव विविधता की दृष्टि से यहाँ 35 प्रकार के स्तनधारी, 30 से अधिक प्रकार के सरीसृत, 252 प्रजाति के पक्षी तथा अनेक प्रकार के कीट पतंगें व पौधे विद्यमान हैं।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The innumerable species of plants and animals present on Earth is called biodiversity. The diversity of Earth's surface and climate has given rise to the diversity of plants and animals. All living beings live in certain environmental conditions only. Thus, under biodiversity, the totality of the fauna and flora community on the earth or any part of it is included. We get food, industrial raw materials and medicines from plants and animals. Thus, besides being important from economic and social point of view, biodiversity is also very important from the point of view of tourism and recreation and ecological balance. But in the modern era, due to increasing environmental pollution, extensive use of pesticides in agriculture, deforestation and increasing population pressure, biodiversity has declined rapidly. The national parks established in the country are very important from the point of view of wildlife conservation. In the presented research paper, the efforts and programs for the conservation of biodiversity and animals found in Panna National Park have been discussed. Panna National Park is an area rich in biodiversity where 500 species of plants and animals are present, some of which are classified as extremely rare and rare. This park is mainly known for tiger conservation, which is located in Panna and Chhatarpur districts of Madhya Pradesh. Due to the efforts made for tiger conservation, the number of tigers here has increased from 0 to 72. In terms of biodiversity, 35 types of mammals, more than 30 types of reptiles, 252 species of birds and many types of insects and plants are present here. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | वन्य प्राणी, वनस्पति, विविधता, संरक्षण, जलवायु। | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Wildlife, Vegetation, Diversity, Conservation, Climate. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना | वनस्पतियाँ व प्राणी
प्रकृति प्रदत्त अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन हैं जो मानव के अस्तित्व के लिये
अतिआवश्यक हैं। मानव की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति पौधों व जीव-जंतुओं से होती
है। अतः मानव की जैविक आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ प्रकृति में संतुलन की दृष्टि
से जैव विविधता का संरक्षण अतिआवश्यक है।भारत एक अत्यंत विशाल देश है इसकी विशालता
ने यहाँ धरातलीय व जलवायु की विविधता को जन्म दिया है। प्रसिद्ध जलवायु वेत्ता
स्पेट का कथन है कि भारत में जितने जलवायु प्रकार हैं उतने प्रकार विश्व की जलवायु
में भी नहीं पाये जाते। जलवायु, पेड़,
पौधे तथा वहां पाये जाने वाले भौतिक घटकों से जैव विविधता का
जन्म होता है। भारत जैव विविधता की दृष्टि से एक सम्पन्न राष्ट्र है। विश्व में
पाई जाने वाली कुल जैव विविधता का 40 प्रतिशत भारत में
मौजूद है जहाँ लगभग 81000 जीवों तथा 45000 किस्म की वनस्पतियों की पहचान की जा चुकी है तथा अभी तक कई जातियों की
खोज किया जाना शेष है। राबर्ट मेए के वैज्ञानिक आंकलन के अनुसार एक लाख से अधिक
पादप तथा तीन लाख से अधिक जंतुओं की खोज होना भारत में शेष है। पृथ्वी पर जैव
विविधता के वितरण में एक तथ्य यह भी है कि ऊष्ण कटिबंध क्षेत्र में सर्वाधिक तथा
ध्रुवों की ओर न्यूनतम जीवों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। भारत एक ऊष्ण कटिबंधीय
देश है जहाँ सर्वाधिक जैव विविधता विद्यमान है। विश्व के जैव विविधताओं के 34
तरल स्थलों में से 02 भारत में स्थित
हैं। वर्तमान में बढ़ती हुई देश की जनसंख्या तथा मानवीय गतिविधियों ने वन तथा वन्य
प्राणियों को अत्यधिक प्रभावित किया है। वन प्राणियों का नैसर्गिक आवास होता है
वर्तमान में सिकुड़ते वन क्षेत्र ने अनेक प्राणियों के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर
दिया है। वन्य प्राणियों को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने की दृष्टि से राष्ट्रीय
पार्कों की स्थापना की गई। यह एक आरक्षित क्षेत्र होता है जहाँ वनों की कटाई तथा
पशुओं की चराई पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होती है। दुर्लभ तथा विलुप्त प्रायः जीवों
की संरक्षण की दृष्टि से यह अतिमहत्वपूर्ण कदम है। भारत में प्रथम राष्ट्रीय
उद्यान की स्थापना 1936 में की गई जो वर्तमान में जिम
कार्बेट नेशनल पार्क कहलाता है। वर्तमान में देश में राष्ट्रीय पार्क व अभ्यारण्यों की कुल संख्या 176 है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना
1981 में की गई जिसे 1994 में
टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित कया गया। यह मध्यप्रदेश का पांचवा तथा भारत का 22वाँ टाइगर आरक्षित क्षेत्र है। आज बढ़ते मानवीय गतिविधियों जैसे कृषि का
विस्तार, अवनीकरण, नगरीकरण,
औद्योगीकरण, खनन एवं पर्यटन आदि के कारण
जैव विविधता को व्यापक क्षति पहुंची है। वर्तमान में वन क्षेत्र में तेजी से
गिरावट आई है। वन सर्वेक्षण प्रतिवेदन 2021 के अनुसार कुल
वन और वनाच्छादित क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर है जो
भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.62 प्रतिशत है। वनों के अन्तर्गत
भूमि में गिरावट आने से वन्य प्राणी के नैसर्गिक आवास की क्षति हुई है। पिछले पचास
वर्षों में चमड़ा, सींग, दाँत,
बाल, पंख आदि के लिए बड़े पैमाने पर
जीव-जंतुओं का शिकार किया गया है। दूसरी ओर बढ़ते प्रदूषण के कारण जीवधारियों की
प्रजनन क्षमता नष्ट होने से अनेक प्राणी विलुप्ति के कगार पर पहुंच गये हैं। अतः
मानव जाति के भविष्य व पर्यावरण संतुलन के लिए जैव विविधता का संरक्षण आवश्यक है। |
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अध्ययन का उद्देश्य | वर्तमान अध्ययन के
उद्देश्य निम्नानुसार है- 1. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की
भौगोलिक संरचना का अध्ययन। 2. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघ
संरक्षण का अध्ययन। 3. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में जैव
विविधता का अध्ययन। |
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साहित्यावलोकन | जैवविविधता संरक्षण तथा पर्यावरण
सदैव से ही भूगोल वेत्ताओं के मध्य अध्ययन का केंद्र बिंदु रहा है। पर्यावरण सभी जीवधारियों
हेतु जीवन का आधार है तथा किसी भी क्षेत्र की समृद्ध जैवविविधता पर्यावरण को मजबूत
आधार प्रदान करती है। प्रकृति में प्रत्येक जीवधारी की निश्चित भूमिका होती है तथा
किसी भी जीवधारी की कमी अथवा अधिकता व्यापक पारिस्थितिकीय एवं पर्यावरणीय असंतुलन उत्त्पन्न
कर देती है अतः पर्यावरण तथा पारिस्थिकीय संतुलन की दृष्टि से जैवविविधता का संरक्षण
आवश्यक है तथा इस क्षेत्र में किये गए अध्ययन व शोधकार्य संरक्षण
की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान शोध अध्ययन हेतु विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय
शोध जर्नल, पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों में प्रकाशित लेख तथा समाचार पत्रों में प्रकाशित आलेखों का अवलोकन किया
गया साथ ही साथ पन्नाटाइगर रिजर्व द्वारा समय समय पर प्रकाशित प्रतिवेदनों का अध्ययन
किया गया। गुप्ता (2014) द्वारा मध्यप्रदेश
के उद्यानों का आर्थिक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। जॉनसन परमार तथा रमेश (2012) ने पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में प्रवाहित होने वाली केन नदी में
विद्यमान मत्स्य विविधता का विस्तार से वर्णन किया है। मिश्रा एवं उपाध्याय
(2014) ने अपने अध्ययन में कान्हा राष्टीय उद्यान का प्रतीक
अध्ययन कर वहां मौजूद जैव विविधता का वर्णन किया हैं। तलत तथा ओरम
(2021) द्वारा नदी व जैवविविधता का विस्तृत
विश्लेषण पन्ना टाइगर रिज़र्व के सन्दर्भ में किया है। सिंह व कुमार
(2013) ने अपने अध्ययन में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघों
के आवास की अनुकूल दशाओं का स्थानिक विश्लेषण किया है। |
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मुख्य पाठ |
अध्ययन क्षेत्र: वर्तमान
अध्ययन हेतु पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को चुना गया है। यह राष्ट्रीय उद्यान 1981 में स्थापित किया गया तथा 1994 में टाईगर रिजर्व घोषित किया गया। पन्ना
राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश के पन्ना व छतरपुर जिले में स्थित है। अक्षांशीय
दृष्टि से यह उद्यान 24027’ उत्तरी अक्षांश से 24044’ उत्तरी अक्षांश तथा 79045’
से 80009’
पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित
है। पन्ना राष्ट्रीय पार्क का कुल क्षेत्रफल 1645.08 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 542.56 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कोर तथा 1002.42 वर्ग किलोमीटर बफर क्षेत्र के अन्तर्गत
सम्मिलित है। धरातलीय
दृष्टि से राष्ट्रीय पार्क विंध्यन श्रेणी में स्थित है जिसकी औसत ऊँचाई 540 मीटर है। सम्पूर्ण उद्यान में विस्तृत
पर्वतीय क्षेत्र, गहरी घाटियाँ व मैदान पाये जाते हैं। केन नदी उद्यान के मध्य भाग से प्रवाहित
होती है जो दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहित है। केन उद्यान का प्रमुख जल स्रोत है।
उद्यान में स्थित ताड़ोबा नदी व झील तथा कोलासा झील अन्य प्रमुख जल स्रोत हैं।
राष्ट्रीय पार्क के अन्तर्गत ही केन नदी पर केन घड़ियाल अभ्यारण का निर्माण किया
गया है जहाँ घड़ियाल संरक्षण हेतु प्रयास किये जा रहे हैं।
अध्ययन
क्षेत्र की जलवायु उष्ण कटिबंधीय है जहाँ वर्षा का औसत 110
से.मी. है। देश के अन्य भागों
के समान यहाँ भी मुख्य रूप से तीन ऋतुयें- ग्रीष्म, वर्षा व शीत ऋतु पाई जाती है। वर्षा का 90
प्रतिशत से अधिक मानसून के चार
माह में प्राप्त होता है। मई सर्वाधिक गर्म महीना है जबकि तापमान 45
डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता
है जबकि जनवरी में औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस होता है। |
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सामग्री और क्रियाविधि |
वर्तमान अध्ययन हेतु प्राथमिक एवं द्वितीयक आँकड़ों का प्रयोग किया गया है। प्राथमिक आँकड़ों के संग्रहण हेतु प्रत्यक्ष अवलोकन प्रणाली तथा साक्षात्कार का प्रयोग किया गया। प्राथमिक आंकड़ों के संग्रहण हेतु सर्वेक्षण कार्य जनवरी 2022 में सम्पन्न किया गया । क्षेत्र सर्वेक्षण के दौरान पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारी, कर्मचारी एवं सुरक्षा कर्मी तथा गाइड से साक्षात्कार विधि का प्रयोग कर जानकारी का संग्रहण किया गया । द्वितीयक समंकों का संग्रहण पन्ना टाईगर रिजर्व द्वारा समय-समय पर प्रकाशित प्रतिवेदन, सर्वे रिपोर्ट ,पन्ना पक्षी सर्वेक्षण तथा राष्ट्रीय उद्यान की अधिकृत वेबसाइट से किया गया है। अध्ययन की प्रकृति के अनुसार एकत्रित आकड़ों को सारणी द्वारा प्रस्तुत किया गया है। |
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विश्लेषण | जैव विविधता का विश्लेषण: पन्ना राष्ट्रीय उद्यान एवं टाईगर आरक्षित क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से
समृद्ध है। यह अनेक दुर्लभ तथा लुप्तप्राय प्राणियों का आवास है। वन्य प्राणी- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में मुख्य रूप से बाघ (पेंथरा
टाईग्रस), तेंदुआ (पेंथरा परडस), जंगली कुत्ता,
भेड़िया, लकड़बग्गा तथा रीछ जैसे मांसाहारी
प्राणी पाये जाते हैं। यहाँ के शाकाहारी प्राणियों में, सांभर,
भारतीय हिरण, चीतल, चिंकारा,
नीलगाय, खरगोश प्रमुख हैं, जो यहाँ घास के मैदानों में देखे जा सकते हैं। दुर्लभ जंगली बिल्ली व एक
सींग वाला हिरण भी यहां विद्यमान है। पक्षी- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में 200 से अधिक
प्रजाति के पक्षी पाये जाते हैं। यहाँ लाल सिर वाले गिद्ध, हंस,
भारतीय गिद्ध, हनी बुजार्ड, सारस, बत्तख, दूधराज सहित अनेक
प्रवासी पक्षी पाये जाते हैं। यहाँ गिद्धों की 06 प्रजातियाँ
पायी जाती हैं। प्रथम पन्ना पक्षी सर्वेक्षण 2022 में 252
प्रजाति के पक्षी पाये गये। वनस्पति- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में मुख्य रूप से सागौन, बांस,
मिश्रित वन एवं विविध प्रकार की वनस्पति विद्यमान है। सेठ (1968)
के अनुसार पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में 6 प्रकार
के वन पाये जाते हैं- 1. दक्षिणी उष्णकटिबंधीय शुष्क सागोन, मिश्रित
पर्णपाती वन 2. उत्तरी उष्टकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती मिश्रित वन 3. शुष्क पर्णपाती स्कर्ब 4. एनोगाइसस पेंडुला (धाक) 5. सलई (बाँसबेलिया) वन 6. शुष्क बांस वन सागोन यहाँ के वनों का प्रमुख वृक्ष है। बांस, तेंदू, सलई, पलाश, अचार, जामुन, महुवा, लेंटाना यहाँ पायी जाने वाली प्रमुख वनस्पति
है। समतल मैदानों तथा नदी तट पर घास के मैदान विस्तृत हैं जो यहाँ के शाकाहारी
जीवों का प्रमुख चारागाह है। सरीसृप- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में 30 से अधिक
प्रजातियों के सरीसृप पाये जाते हैं। केन नदी क्षेत्र में मगरमच्छ व घड़ीयाल बड़ी
संख्या में पाये जाते हैं। विभिन्न प्रजाति के सर्प, गोह,
अजगर, छिपकली, गिरगिट,
मुलायम हड्डी वाले कछुवा, मेंढक यहाँ के
प्रमुख सरीसृप हैं। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में पाये जाने वाले साँप हैं- नाग,
रसल बाईपर, करेत, धामन
एवं भेडियां सांप। कीट पतंगें- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान विविध प्रकार के सूक्ष्म जीवों से
सम्पन्न है, जो यहाँ के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण योगदान देते
हैं। यह कीट पतंगें यहाँ पाये जाने वाले पक्षी तथा छोटे जीवों का प्रमुख आहार है।
यहाँ अनेक प्रजातियों की तितली, मकड़ी, चीटियाँ,
दीमक, टिड्डे, गुबरेला
बहुतायत से पाये जाते हैं। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघ संरक्षण: 21वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान
में 3 बाघ प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में
पाये जाते थे जो वर्ष 2009 में शून्य हो गया। भारत में वन्य
प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 में लागू किया गया। इसी अधिनियम
के अन्तर्गत 1 अप्रैल 1973 से टाइगर
प्रोजेक्ट कार्यक्रम प्रारंभ किया गया, जिसका उद्देश्य भारत
में बाघों को प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराना तथा उन्हें विलुप्त होने से बचाना एवं
संरक्षण करना है। इस परियोजना के क्रियान्वयन के पश्चात देश में बाघों की संख्या
में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1994 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। उद्यान में बाघ संरक्षण का प्रारंभ 2009
से प्रारंभ हुआ जब यह पार्क बाघ विहीन हो गया। 2010 में यहाँ दो मादा बाघ टी1, टी2 तथा एक नर बाघ टी3 अन्य उद्यान से लाये गये। वर्ष 2010 में टी2 द्वारा प्रथम शावक को जन्म
दिया गया। इसके पश्चात् पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि
हुई तथा वर्तमान में बाघों की संख्या 60 से अधिक हो गई है,
जिसमें 42 पूर्ण वयस्क बाघ हैं। सारणी क्र.1 पन्ना टाईगर रिवर्ज: बाघों की संख्या
स्रोतः वार्षिक प्रतिवेदन पन्ना टाईगर रिजर्व, 2022 सारणी क्र.1 से स्पष्ट है कि 2010 में यहाँ केवल 6
बाघ थे जिनकी संख्या बढ़कर 2021 में 75 हो गई। यह वृद्धि 1150 प्रतिशत है जो बाघ संरक्षण
हेतु संचालित कार्यक्रमों का परिणाम है। वर्तमान समय में 12 बाघ
1 वर्ष की दर से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की वृद्धि
का अनुमान है एवं वर्ष 2025 तक यहाँ बाघों की संख्या 100
से अधिक हो जाने का अनुमान है। उपरोक्त अवधि में 06 बाघ देश के अन्य उद्यानों में भेजे गये हैं। वर्ष 2010-2021 के मध्य 18 बाघों की मृत्यु हुई जिसमें कई अवैध
शिकार के कारण मारे गये। अवैध शिकार इस राष्ट्रीय उद्यान की एक प्रमुख समस्या है
जिसके कारण न केवल बाघ बल्कि अन्य प्राणी के लिए भी संकट उत्पन्न हो गया है। गिद्ध संरक्षण:
पर्यावरणीय संतुलन की दृष्टि से गिद्ध एक महत्वपूर्ण पक्षी है जिसका प्रमुख
आहार मृत जीव होते हैं। पिछली शताब्दी के अंतिम वर्षों में यह पक्षी विलुप्त होने
की कगार पर आ गया था, जिसका प्रमुख कारण खेतों में प्रयुक्त होने वाले खतरनाक
कीटनाशक व रासायनिक उर्वरक है। किन्तु वर्तमान शताब्दी में गिद्ध संरक्षण हेतु
चलाये गये कार्यक्रमों से प्रदेश में गिद्धों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई
है। वर्ष 2021 में प्रदेश में कुल गिद्धों की संख्या 9446
है, जिसमें से 1000 से
अधिक का आवास पन्ना राष्ट्रीय उद्यान स्थित वल्चर पहाड़ी है, जबकि
वर्ष 2018 में यहां केवल 650 गिद्ध ही
मौजूद थे। देश में गिद्धों की 09 प्रजातियाँ पाई जाती हैं,
जिनमें से 7 प्रजातियाँ यहाँ मौजूद हैं। ये
प्रजाति हैं- भारतीय गिद्ध, लाल सिर वाले गिद्ध, इजिप्सियन गिद्ध, हिमालयन ग्रिफॉन, यूरेशियन ग्रिफॉन, सिनेरयस गिद्ध, सफेद गिद्ध। गिद्ध संरक्षण की दृष्टि से यहाँ 25 गिद्धों
में जी.पी.एस. डिवाइस लगाया गया है, जो अलग-अलग प्रजातियों
के हैं, इसके माध्यम से गिद्धों के व्यवहार का अध्ययन किया
जाता है। |
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निष्कर्ष |
पन्ना राष्ट्रीय
उद्यान वन्य प्राणियों का नैसर्गिक आवास है। साल, सागोन
व बांस के वृक्षों से परिपूर्ण यहाँ के पहाड़ी, घाटियों व
विस्तृत घास के मैदानों में समृद्ध जैव विविधता विद्यमान है। उद्यान में स्तनपाई,
सरीसृप, पक्षी व कीट पतंगों की अनेक
प्रजाति के प्राणी पाये जाते है।भारत में जैव विविधता संरक्षण की द्रिष्टि से
टाइगर प्रोजेक्ट परियोजना ,हाथी संरक्षण एवं घड़ियाल
संरक्षण परियोजना अत्यंत महत्व पूर्ण योजनाए है । वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972
में वनस्पतियो व प्राणियों के संरक्षण हेतु कानूनी प्रवधान किये
गए है. इसी प्रकार पर्यावरण संरक्षण अधिनयम 1986 भी जैव
विविधता संरक्षण की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कदम है। कभी बाघों की संख्या से मुक्त
इस उद्यान में बाघों के संरक्षण हेतु क्रियान्वित किये गए कार्यक्रमों एवं
प्रयासों से वर्तमान में 72 बाघ उपस्थित है तथा अनेक
बाघों को प्रदेश के अन्य राष्ट्रीय उद्यानों में भी भेजा गया है। गिद्ध संरक्षण
हेतु किये गये प्रयासों से गिद्धों की संख्या में भी उत्साहजनक वृद्धि हुई है।
अवैध शिकार, वनों की कटाई, पशुचारण,
अवैधानिक वनोपज संग्रहण इस उद्यान की प्रमुख समस्याये हैं।
निष्कर्षतः मानव जाति के कल्याण एवं पारिस्थितिकीय संतुलन हेतु जैव विविधता का
संरक्षण किया जाना अति आवश्यक है। |
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भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव | पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में यद्यपि वन्य प्राणियों की सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत नेटवर्क व वायरलेश प्रणाली है तथा वत्सला हाथी के द्वारा गार्डो द्वारा नियमित रूप से उद्यान का भ्रमण कर गश्त लगाई जाती है परन्तु पिछले कुछ समय में अनेक बाघों का अवैध शिकार करंट लगाकर व फंदा लगाकर किया गया है। अतः उद्यान की सुरक्षा प्रणाली अधिक मजबूत किये जाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय उद्यान में अधिक तालाब व कृत्रिम झीलों का निर्माण किया जाना चाहिए ताकि ग्रीष्मकाल में वन्य प्राणीयों को जल आसानी से उपलब्ध हो सके। | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. गुप्ता, श्रीमती प्रभा (2004), मध्यप्रदेश के
राष्ट्रीय उद्यानों का अर्थशास्त्रीय अध्ययन, कान्हा
राष्ट्रीय उद्यान के विशेष संदर्भ में, शोध प्रबंध,
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर 2. गौतम, डाॅ.
अल्का (2015), संसाधन एवं पर्यावरण, शारदा पुस्तक भवन, यूनीवर्सिटी रोड़, इलाहाबाद (उ.प्र.) 3. Johnson, J.A., Parmer, R., Ramesh, K. (2012),
Fish Diversity and Assemblage Structure in Ken River of Panna Landscape Central
India Journal of Threatened Taxa. 4. मिश्रा, कमलेश एवं उपाध्याय, ए. (2014), ‘‘जैव विविधता संरक्षण एवं पर्यावरणीय परिवर्तन: कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
का प्रतीक अध्ययन **] The Research Journal of Environment, Culture and
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(1995), ‘‘भारत के संकटापन्न वन्य प्राणी और उनका संरक्षण’’,
नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया, नई दिल्ली
6. Sharma, V.K. (2022), A Brief note on Tiger
Population Dynamics and Future Projection in Panna Tiger Reserve. |