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स्वतंत्रता सेनानी:
छोटू सिंह आर्य का अलवर क्षेत्र में आर्य समाज और स्त्री शिक्षा में योगदान |
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Freedom Fighter: Chhotu Singh Aryas Contribution to Arya Samaj and Womens Education in Alwar Region | |||||||
Paper Id :
18020 Submission Date :
2023-08-11 Acceptance Date :
2023-08-19 Publication Date :
2023-08-25
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सारांश |
अलवर के प्रमुख
स्वतंत्रता सेनानी, आर्य समाज के विशिष्ट प्रतिनिधि,
महिला सशक्तिकरण के प्रबल पक्षधर और आर्यकन्या विद्यालय समिति के
संस्थापक प्रधान छोटूसिंह आर्य की चर्चा आते ही स्मृति-पटल पर उनके विराट व्यक्तित्व
का विशाल बिंब उभर आता है। समाज उत्थान के लिए जीवन प्रर्यन्त सक्रिय और समर्पित
रहे छोटूसिंह आर्य का नाम यश उनके महत्वपूर्ण कार्यो से है। बालिकाओं और महिलाओं
के शिक्षण के लिए उन्होनें जो कार्य किया, वह उनकी धवल
कीर्ति का आधार बना। वैस तो छोटूसिंह आर्य किसी परिचय में मोहताज नहीं है। इनका
नाम छोटूसिंह है लेकिन इनके कार्य, अरावली पर्वतमाला के
समान विशाल और अद्भुत है। एक कहावत “होनहार बिरवान के होत
चीकने पात“ को आप सत्य सिद्ध कर दिखाया, बचपन से आप विद्यार्थी जीवन से ही हमेशा प्रत्येक कार्य में अग्रणी रहे। प्रारम्भ से ही बालिका शिक्षा के प्रबल समर्थक व पक्षधर रहे और इस कार्य के
लिए आप के द्वारा स्थापित बीज एक वट वृक्ष का रूप धारण कर चुका है। बालिका व
महिलाओं के लिए शिक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में किये गये कार्यों ने आप को महान
ही नहीं अमर बना दिया। आज आर्य कन्या विद्यालय समिति अलवर के अधीन संचालित एकादश
संस्थाओं और छात्रावास सुविधा को देखकर कहा जा सकता है कि छोटूसिंह आर्य व्यक्ति
नहीं, संस्था थे। देश के स्वतंत्रता संग्राम में आपका
योगदान, समाज सुधार, समाज सेवा,
सामाजिक चेतना, विस्तार, निम्नवर्ग के उद्धार, राजनीति एवं बालिका
शिक्षा की दिशा में उनकी जबरदस्त भूमिका ने उनका व्यक्तित्व विराट और तेजस्वी बना
दिया। आपका जीवन संकल्प, संघर्ष, सेवा परोपकार, सृजन, सफलता,
दृढ़ता और दूरदर्शिता जैसी खूबियों के कारण हमारे लिए जीवनादर्श
और प्रेरणास्रोत बने रहेगे। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Chief freedom fighter of Arya Samaj, distinguished representative of Arya Samaj, strong supporter of women's sect and founder of Aryakanya Vidyalaya Samiti, Pradhan Chaudhary Singh Arya, a huge image of his great personality emerges on the memory-table. Chhotusingh Arya's name Yash is from his important idol, who remained active and devoted life prayer for the founder of the society. The artist's work for the training of comrades and women formed the basis of his fame. By the way, Chhotusingh Arya is not dependent on any introduction. His name is Chhotu Singh but the third task is as vast and amazing as the Aravalli range. There is a saying, "Honhar Birwan Ke Hot Chikne Paat", you proved it to be true, from childhood to the life of both of you always remained the leader in every work. As an actor, Asset has been a strong supporter of education and the seed planted by you for this work has taken the form of a banyan tree. The work done in the direction of education and discipline for women and women has not only made you great but immortal. Today, looking at the eleventh hostel and laptop facility operated under the ownership of Arya Kanya Vidyalaya Samiti, it can be said that Chhotusingh Arya was not an individual, but an institution. Your contribution in the country's freedom struggle, social reform, social service, social individualism, expansion, low class place, his intense role in the direction of politics and education made his personality vast and young. Your determination, struggle, service, charity, creation, success, perseverance and foresight will continue to be our philosophy of life and our source of inspiration. | ||||||
मुख्य शब्द | स्वतंत्रता सेनानी, आर्य समाज, बालिका शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, समाज सुधार। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Freedom Fighter, Arya Samaj, Girl Education, Women Empowerment, Social Reform | ||||||
प्रस्तावना | जीवन परिचय “मैं अकेला ही चलाया, जानिबे मंजिल मगर। लोग
साथ आते गये, कारवाँ बनता गया।“ श्री
छोटूसिंह आर्य का जन्म 11 अगस्त 1921 को राजस्थान के सिंहद्वार अलवर के व्यापारी श्री गिरवर मल जी की पत्नि
के गर्भ से हुआ। महज 6 वर्ष की आयु में ही श्री छोटूसिंह
आर्य के सिर से उनके पिता श्री गिरवर मल जी का साया उठ गया। आप कभी इस बात से नहीं
घबराये और निरंतर आगे अग्रसर रहे। सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, प्रगति चिरंतन कैसा इति अब, सुस्मित हर्षित
कैसा श्रम 'लय असफल, सफल समान मनोरथ सब कुछ देकर कुछ न
मांगते पावस बनकर ढ़लना होगा कदम मिलाकर चलना होगा।' श्री छोटू सिंह जी आर्य में
बाल्यकाल से ही देशभक्ति का जज्बा एंव समाज के लिए कुछ करने की ललक इस प्रबल थी कि
उन्होनें राजनीति को अपना कार्यक्षेत्र बनाया एवं समर्पित भाव से जनसेवा में जुट
गये। |
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. प्रस्तुत अध्ययन का उद्देश्य
अलवर के वे स्वंतत्रता सेनानी जिनका बहुत कम उल्लेख मिलता है उन्हे वर्तमान समाज
के सामने लाना उनके द्वारा भारत माता और अलवर की जनता के अमूल्य योगदान को प्रकाश
में लाना। 2. भारत के स्वंतत्रता आन्दोलन में
अलवर की जनता का योगदान भी उच्च स्तर पर था लेकिन अभी तक अलवर के स्वतंत्रता
सेनानी पर शोध के कार्य नहीं हो पाया है अतः इस विषय पर विश्लेषणात्मक अध्ययन की
आवश्यकता है। 3. श्री छोटूसिंह आर्य जी के
द्वारा अलवर की जनता के लिए किये गये कार्य को और स्त्रियों को शिक्षा का हक
दिलाने में बड़ा योगदान रहा है इस जनमानस तक पहुँचाना। |
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साहित्यावलोकन | 1. स्वतंत्रता सेनानी: छोटूसिंह आर्य का अलवर क्षेत्र में आर्य
समाज के विकास में सहयोग एवं स्त्री शिक्षा में योगदान पर अभी तक कोई भी आलेख
प्रस्तुत नहीं किया गया है। 2. यह एक मौलिक कार्य है। 3. प्रस्तुत शोध-पत्र पर अलग से प्रकाश डालने वाली कोई भी पुस्तक उपलब्ध नहीं
है। “आर्य कन्या विद्यालय समिति
अलवर“ ने
समय - समय पर अपनी पत्रिका में प्रकाशित की है। 4. “आजादी का आन्दोलन और अलवर“ पुस्तक
को अलवर जिला स्वाधीनता स्वर्ण जयन्ती समारोह समिति द्वारा स्वतंत्रता सेनानी
छोटूसिंह की क्रांतीकारी गतिविधियों का उल्लेख किया। लेखक
के द्वारा प्रस्तुत शोध पत्र स्वतंत्रता सेनानी छोटू सिंह का अलवर क्षेत्र
मे आर्य समाज और स्त्री शिक्षा मे योगदान पर पृथक रूप से कोई साहित्य शोधार्थी को नही
मिला क्योंकि इस विषय पर अभी कोई भी शोध कार्य नहीं हुआ है। |
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मुख्य पाठ |
श्री आर्य का विद्यार्थी जीवन से ही यूनियन रूझान के कारण अपने साथियों के सहयोग
से राजर्षि कॉलेज अलवर में विद्यार्थी यूनियन की स्थापना करायी और उसके प्रथम
प्रीमियर बनने का सौभाग्य प्राप्त किया तथा यूनियन के उद्घाटन के लिए भी प्रकाश
एम.एल.ए (जो बाद में पाकिस्तान के हाई कमीश्नर भी रहे) के द्वारा उद्घाटन को निश्चित
किया, किन्तु तत्कालीन प्राचार्य द्वारा अनुमति नहीं
देने पर आपने विद्धोत्माक रूप अपनाते हुए में हड़ताल करवा दी और बाहर लॉन में ही
यूनियन का उद्घाटन कराकर अपनी दृढ़ता का परिचय दिया। 1939 में मास्टर भोलानाथ के सम्पर्क में आये ओर उनकी प्रेरणा से प्रजामण्ड़ल के
आन्दोलन से धीरे-धीरे जुड़ने लगे। 1939 से ही आपने
खादी पहनना प्रारम्भ किया था। श्री आर्य ऐसे कर्म योगी थे। श्री छोटू सिंह आर्य जी
ऐसे कर्मयोगी है जों अपने सहयोगियों को भी कर्मक्षेत्र में प्रवृत्त करने की अद्भुत क्षमता रखते है। अपने इसी चुम्बकीय आकर्षण के बल पर सन् 1942-43 के दौरान आपने आर्य समाज के नेता श्री ओमप्रकाश त्यागी के आह्वान पर “आर्यवीर दल" का गठन किया, जिसमें हजारों नौजवान
साथी “ओउम“ के झण्डे के
नीेचे एकत्रित हुए। सन् 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन
में महात्मा गाँधी के आह्वान पर आपने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और आजादी के
संघर्ष में कूद पड़े और अनेक सक्रिय कार्य किये। राष्ट्रीय स्वतंत्रता के आन्दोलन
में अति सक्रियता से जुड़े रहने से 1945 से 1947 तक ढाई वर्ष तक आपकी पढ़ाई छूट गई। 1945 में
विद्यार्थी जीवन में ही म्यूनिसिपल कमेटी के पद सुशोभित कर “नगर पिता“ होने का गौरव प्राप्त किया और पुनः 1950 में कम्यूनिसिपल कमेटी से चुने गए। सत्र 1946-47 के सत्र में राजऋषि कॉलेज
अलवर से वाणिज्य में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की। इसी दौरान महाविद्यालय में
संघर्ष करके छात्र संघ की स्थापना करायी, जिसके प्रथम प्रीमियर बने। 1949 में लखनऊ
विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातकोत्तर एवं विधि में स्नातक परीक्षाएँ उत्तीर्ण
की। स्वतंत्रता सेनानी छोटू सिंह जी के सामाजिक व राजनीतिक
सरोकार आर्य समाज के कद्दावर नेता छोटूसिंह आर्य जी का कृतित्व और
व्यक्तित्व बहुआयामी था। “नाम बड़े दर्शन छोटे“ जैसी कहावत आपके लिए शोभा
नहीं देती। सच पूछे तो आप जैसे आर्यवीर का नाम जरूर छोटू था, लेकिन आप देखने में विराट और व्यक्तित्व के धनी थे। आपके साक्षात दर्शन
सर्वजन हितकारी रहे और आपका जीवन दर्शन आज भी स्तुत्य और अनुसरणीय है। सामाजिक और
राजनीतिक सरोकरों और अवदानों ने आपको आर्य समाज ही नहीं सभी वर्गो के लोगों के
करीब ला दिया। राष्ट्रीय आजादी प्राप्ति से वर्षों पहले तत्कालीन वर्ण व्यवस्था
में निम्न जाति संबंधी हीनता-बोध से कराहते लोगों के लिए आप नवचेतना के अग्रदूत और
सामाजिक उद्धारक के रूप में सामने आए और सामाजिक चेतना के वाहक बनकर उभरे। आपके
प्रयास से जहाँ दलित वर्ग के लोगों के शैक्षिक उन्नयन का मार्ग प्रशस्त हुआ, वहीं तत्कालीन समाज के वंचित वर्ग को चेतना नई रोशनाई देने वाला शाशवत
परोपकार मिल गया। सामाजिक क्षेत्र में आपकी यही भूमिका आपके लिए भावी ताकत और
प्रतिष्ठापक बनी। भविष्य में विभिन्न जन समाजों में आपकी स्वीकार्यता और राजनीतिक
क्षेत्र में आपकी सफलता इस बात की प्रमाण है। विद्यार्थी काल में लेकर जीवन
पर्यन्त सामाजिक राजनीतिक गतिविधियों में आपकी भागीदारी, सक्रियता एवं जिम्मेदारी ने आपको सार्वजनिक शख्सियत बना दिया।
देश में प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था लागू होने से पहले यानि कि
अपने विद्यार्थी शासन व्यवस्था लागू होने से पहले यानि कि अपने विद्यार्थी जीवन से
ही छोटू सिंह आर्य का रूझान सामाजिक राजनीतिक गतिविधियों की ओर था। विभिन्न
गतिविधियों में स्वैच्छिक भागीदारी के दौरान छोटू सिंह आर्य ने निर्धन व निम्न
वर्ग के विसगति पूर्ण सामाजिक स्तर को निकट से देखा और जाति को लेकर हीनता बोध से
ग्रस्त लोगों के मानिसक कष्ट का अनुमान किया और श्री छोटूसिंह ने सामाजिक
प्रतिष्ठा से वंचित वर्ग को उनके मौजूदा अभिशप्त जीवन से मुक्ति दिलाने की दिशा
में प्रयास शुरू कर दिए। शिक्षा के क्षेत्र में छोटूसिंह आर्य का योगदान के लिए अलवर
के विशेष संदर्भ में - छोटू सिंह जी आर्य पर स्वामी दयानन्द सरस्वती के जीवन
चरित्र कार्य का प्रभाव था श्री छोटूसिंह जी और उनके ज्येष्ठ भ्राता राम जी लाल ने
स्त्री शिक्षा और बालिका शिक्षा के लिए बीड़ा उठा और उनके लिए विद्यालयों की
स्थापना कराई। इन्हें में एक “आर्य कन्या विद्यालय समिति“ है। जिस समय महिला शिक्षा का अत्यनत अभाव था। दूर-दूर तक
बालिकाओं के लिए विद्यालय नहीं थे उस समय सन 1945 में 30 अगस्त को जन्माष्टमी के पावन पर्व पर श्री गणेशलाल जी के द्वारा “आर्य कन्या पाठशाला“ के नाम से आर्य समाज मन्नी
का बड़ में प्रारम्भ की गई थी। छोटूसिंह जी आर्य के इस
कार्य में ज्येष्ठ भ्राता श्री रामजी लाल आर्य ने भी सहयोग किया था, रामजीलाल आर्य जो निरन्तर नौ वर्ष तक नगर परिषद के अध्यक्ष पद पर रहे, उन्होने अपने कार्यकाल में ही नारी शिक्षा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य
से अथक प्रयासों के बल पर स्वामी दयानन्द मार्ग पर भूखण्ड उपलब्ध कराया 10 भूखण्डों को एकत्रित कर 12 एकड़ भूमि के
विशाल प्रागण में स्थित पूर्व संचालित आर्य कन्या पाठशाला जो आज वैदिक विद्या
मन्दिर, दयानन्द मार्ग, अलवर
के नाम से जानी जाती है जिसका आपने आर्य कन्या विद्यालय समिति के रूप सन् 1956 में विधिवत् पंजीकरण कराया और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोहन लाल
सुखाडिया जी के कर कमलो द्वारा इसका उद्घाटन कराया। चित्र संख्या 1 श्री मोहनलाल सुखाडिया जी के कर कमलों से उद्घाटन यह विद्यालय निरन्तर प्रगति की ओर बढ़ते हुए। जुलाई 1960 को विद्यालय सैकण्डरी स्तर और 1966 में
हायर सैकण्डरी और 1989 में सीनियर सैकण्डरी तक
पहुँच कर बालिका शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष स्थान बनाया। 1972 में वैदिक विद्या मन्दिर स्वामी दयानन्द मार्ग अलवर में मारीशस के
तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. शिवसागर गुलाम की अध्यक्षता में 11 वाँ आर्य महासम्मेलन आयोजित किया गया। इस समय बालिकाओं की स्नातक शिक्षा
को ध्यान में रखते हुए 1972 में प. नरेन्द्र जी
हैदराबाद (दक्षिण) एवं मॉरिशस के प्रधनमंत्री डा. शिवसागर गुलाम द्वारा आर्य कन्या
विद्यालय की नींव रखी गई। श्री छोटूसिंह आर्य ने लम्बे समय तक राजनीति में रहने के
कारण देश में उच्च स्तरीय नेताओं से भी अच्छा सर्म्पक रहा है जिसके कारण अलवर
वासियों को अपने प्रिय नेताओं को देखने व सनुने का सुअवसर प्राप्त हो सका। सन् 1987 में महामिहम राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह के कर कमलों द्वारा आर्य कन्या
महाविद्यालय भवन अलवर का उद्घाटन कराया गया। चित्र संख्या 2 मॉरीशस के प्रधाानमंत्री
डा. शिव सागर रामगुलाम चित्र संख्या 3 आर्य कन्या महाविद्यालय भवन अलवर के उद्घाटन अवसर पर महामाहिमा राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के साथ श्री छोटू सिंह आर्य बलिका शिक्षा को बढ़ावा देने और छात्राओं के प्रवेश के दबाव
के कारण और उनको विद्यालय में प्रवेश के लिए समिति ने शहर की महत्त्वपूर्ण
बस्तियों में विद्यालय खोलने की और अग्रसर होते हुए सबसे पहले 1992 में भी बलदेव राज खंड्जा द्वारा दिये गये लाजपत नगर में 500 वर्ग गज के भूखण्ड पर उनके पिता की स्मृति में “चौथूराम खंड्जा“ भवन में प्राथमिकविद्यालय से
प्रारम्भ होकर वर्तमन में सीनियर सैकण्डरी स्कूल चलाया जा रहा है। चित्र संख्या 4 आर्य बालिका माध्यामिक विद्यालय लाजपत नगर अलवर उच्च शिक्षा प्राप्त छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने के
उद्देश्य से तथा अलवर जिले में कोई भी महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय न होने
के कारण विद्यालय समिति ने नगर विकास न्यास अलवर से महाविद्यालय हेतु भूमि उपलब्ध
कराने के लिए प्रार्थना की। तत्कालीन जिलाधीश एवं नगर विकास न्यास के अध्यक्ष श्री
अरविन्द मायाराम तथा सचिव श्री सुनील अरोड़ा ने 15000 वर्ग गज का
भूखण्ड़ समिति को निशुल्क दिये जाने की राजस्थान सरकार से सिफारिश की। अन्ततोगत्वा
राजस्थान सरकार ने रियासती मूल्य पर 15000 वर्ग गज
भूमि आंवटित किये जाने के आदेश पारित कर दिया। समिति अथक प्रयासों से “आर्य महिला स्थापना हुई व सत्र 1992-93 से
महाविद्यालय विधिवत प्रारम्भ हो गया। जिसका उद्घाटन राजस्थान के तत्कालीन
मुख्यमंत्री श्री भैरोसिंह शेखावत के यशस्वी करो द्वारा सम्पन्न हुआ। मालवीय नगर
स्थित आर्य महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्रशिक्षणार्थियों के प्रशिक्षण
हेतु तथा इस क्षेत्र के निवासियों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए समिति द्वारा
महाविद्यालय परिसर में ही एक बालिका विद्यालय सन् 1994 में प्रारम्भ किया गया। जो आज आर्य बालिका माध्यामिक विद्यालय के रूप में
अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहा है।
चित्र संख्या 5 माननीय श्री भैरोसिंह शेखावत मुख्यमंत्री राजस्थान, आर्य महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय का उद्घाटन करते हुए वर्तमान में जैसे-जैसे नगर का विस्तार होता जा रहा है, वैसे-वैसे ही सभी को सहज शिक्षा उपलब्ध करना चुनौती बनता जा रहा है, इसी चुनौती को स्वीकार करते हुए विद्यालय समिति ने नव विस्तारित आवासीय कॉलोनियों में प्रशिक्षण संस्थाएँ प्रारम्भ करने का संकल्प लिया है। इसी क्रम में हसन खां मेवाती नगर अलवर में 400 वर्ग गज के चार भूखण्डों को मिजाकर 1600 वर्ग गज भूमि पर दो मंजिला विद्यालय भवन एवं यज्ञशाला का निर्माण कराकर सन 1999 में आर्य बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय के रूप में विधिवत शुभारम्भ किया गया, जो वर्तमान में माध्यामिक स्तर तक क्रमोन्नत होकर बालिकाओं को लाभान्वित कर रहा है। वर्तमान में समिति द्वारा संचालित समान शिक्षण संस्थाओं में लगभग 6000 छात्राएँ विद्यार्जन कर रही है।
शैक्षिक उन्नयन की भावी योजनाओं में रामगढ़ प्रमुख मार्ग पर
स्थित 18 बीघा भूखण्ड का दिनांक 9 मई 2003 को वौदिक विधि से भूमिपूजन किया गया एवं बिजली व टेजीफोन का कनेक्शन लेकर
निर्माण कार्य प्रारम्भ किया। श्री छोटूसिंह आर्य हरिजन सेवा संघ के अध्यक्ष रहे तथा देा बार राजस्थान विधानसभा के अलवर शहर के सदस्य भी रहे। |
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निष्कर्ष |
उपयुक्त लेख मे माँ
भारती के वीर सपूत स्वतंत्रता सेनानी छोटू सिंह के जीवन परिचय,
कार्य, अलवर के लिए की और स्वतंत्रता मे
योगदान, आधुनिक अलवर के विकास मे सहयोग, त्याग और समर्पण के विषय मे विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।
वर्तमान मे स्वतंत्रता सेनानीओं पर स्मारक और चौराहा का निर्माण करवाये जा रहूँ।
मेरे शोध का उद्देश्य वर्तमान पीढ़ी को हमारे वीर महापुरुष से अवगत करना है। हमारे
समाज को आगे बढ़ाने मे हमारी माता-बहन को 'शिक्षित करना की
बेहद आवश्यक है। समाज मे बदलाव शुरुवात परिवार से और परिवार की शुरुवात घर महिलाओं
से हो इसलिए स्त्री शिक्षा पर प्रस्तुत शोध मे प्रकाश डाला गया है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. विद्यालय समिति अलवर राजस्थान
के अनुसार |