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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन दर्शन |
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Life Philosophy of Dr. APJ Abdul Kalam | |||||||
Paper Id :
18025 Submission Date :
2023-08-14 Acceptance Date :
2023-08-21 Publication Date :
2023-08-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.8398877 For verification of this paper, please visit on
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सारांश |
प्रस्तावित शोध प्रबंध का शोध केंद्र भारतीय राष्ट्र के महान लोकप्रिय वैज्ञानिक एवं महान चिंतक तथा शिक्षाविद जननायक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन दर्शन पर केंद्रित है। डॉ. कलाम ने अपने जीवन में अनेक लोगों से प्रेरणा लीवर अपने जीवन को दिशा प्रदान की इनमें उनकी माता पिता गुरु मित्र बहन और परिजन आदि प्रमुख रहे। इन लोगों से उन्होंने सादा जीवन, अनुशासन, बड़ों का सम्मान, नया ज्ञान, अपनी जिम्मेदारियों का एहसास, त्याग, समर्पण, धैर्य, मैत्री आदि कई अनगिनत गुणों को सीखा और ताउम्र उनसे प्रेरित होते रहे। कलाम का बहुआयामी व प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे जिनका जीवन दर्शन आज भी युवाओं को जीवन पथ के सर्वोच्च शिखर की ओर अग्रसर कर सकता है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The research center of the proposed dissertation focuses on the life philosophy of Dr. APJ Abdul Kalam, the great popular scientist and great thinker and educationist of the Indian nation. Dr. Kalam took inspiration from many people in his life and gave direction to his life, in which his parents, teachers, friends, sisters and relatives were prominent. From these people, he learned countless qualities of simple living, discipline, respect for elders, new knowledge, realization of his responsibilities, sacrifice, dedication, patience, friendship etc. Even today the philosophy of life can lead the youth towards the highest peak of the path of life. | ||||||
मुख्य शब्द | डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, वैज्ञानिक, भारत। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Dr. APJ Abdul Kalam, Scientist, India. | ||||||
प्रस्तावना | मानवीय,
राष्ट्रीय और वैश्विक सरोकारों से जुड़े चिर युवा स्वभाव वाले डॉ.
एपीजे अब्दुल कलाम हम सबके लिए एक प्रेरणा स्रोत है। रामेश्वरम में पैदा हुए एक
बालक से लेकर भारत के 11 राष्ट्रपति बनने तक का डॉ. एपीजे
अब्दुल कलाम का जीवन असाधारण संकल्प शक्ति, साहस, लगन और श्रेष्ठता की चाह की प्रेरणाप्रद कहानी है। यह अबुल पाकिर
जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम बहुत ही सरल प्रकृति के इंसान थे जो महान वैज्ञानिक चिंतक,
शिक्षाविद व लोक नायक के रूप में भारत में पहचाने जाते हैं। यह
अपने जीवन दर्शन और मूल्य संबंधी विचारों से युवा पीढ़ी को सदैव अभी प्रेरित करते
रहे थे जो सभी उम्र के व्यक्तियों को कर्म पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
अपनी रचनाओं द्वारा यह विद्यार्थियों और युवाओं को जीवन में ज्ञान, लगन, मेहनत, नैतिकता,
महत्वाकांक्षा, चरित्र निर्माण, राष्ट्रप्रेम के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। इनके अनुसार ज्ञान,
परिश्रम, प्रयास द्वारा हर बड़े लक्ष्य
को प्राप्त किया जा सकता है। एपीजे अब्दुल कलाम ने तिरुक्कुरल पुस्तक में बड़ी
सुंदरता से इस बात को स्पष्ट किया है कि सफलता और धन अपना मार्ग ढूंढ लेते हैं और
उस व्यक्ति तक पहुंच जाते हैं जिसमें दृढ़ इच्छाशक्ति और योजनाबद्ध लगन होती है।
नसीब उस इंसान तक खुद चल कर आ जाता है जिसमें अदम्य साहस व उत्साह और कभी ना
परास्त होने वाली हिम्मत होती है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन दर्शन एक
अभिव्यक्ति है। जो सिद्धांतों, मूल्यों और विचारों को
संदर्भित करती है। अब्दुल कलाम जी का जीवन दर्शन उनकी जीवनशैली के बारे में जानकर
आता है उनके आत्म साक्षात्कार को दर्शाता है स्वयं के जीवन में उनके व्यवहार को
बताता है और भी किन-किन व्यक्तियों से प्रभावित हुए उनके बारे में जानकारी प्रदान
करता है। |
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अध्ययन का उद्देश्य | शोध अध्ययन का
उद्देश्य डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन दर्शन का अध्ययन करना है। |
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साहित्यावलोकन | शोधार्थी ने डॉ. कलाम की कुछ
उत्कृष्ट पुस्तकों के अध्ययन को अपने शोधकार्य में सम्मिलित किया है प्रस्तुत शोध
में निम्नलिखित पुस्तकों के अध्ययन को लिया है- इण्डिया 2020-
ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (1998) यह पुस्तक
भारत के भविष्य और विकासशील भारत के लिए कलाम के विचारों को बताती है। विंग्स ऑफ फायर (अग्नि
की उडान)- एन ऑटो बायोग्राफी ऑफ ए.पी.जे.
अब्दुल कलाम (1999) अग्नि की उडान राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे.
अब्दुल कलाम के जीवन का खुला दस्तावेज है जिसमें उनके जीवन से जुड़े अनेक मार्मिक
प्रसंगों को दर्शाया गया है। हमारे पथ प्रदर्शक- 2007
उनके महान बनने के कारणों पर प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक डॉ.
कलाम के व्यक्तित्व तथा जीवन के अप्रकट पहलुओं पर ध्यान आकृष्ट करती है। अदम्य साहस (2008)
अदम्य साहस जीवन के अनुभवों से जुड़े संस्मरणो, रोचक प्रसंगो, मौलिक विचारो और कार्य योजनाओं का
प्रेरणाप्रद चित्रण है। टर्निंग पाइन्ट्स (2012)-
यह कहानी उनके जीवन और राष्ट्रपतित्व काल कुछ ऐसे पहलू उजागर करती
है जो अब तक अनजान रहे है। कई विवादास्पद मुद्दों पर भी पहली बार उन्होंने अपना
बयान दिया है। मेरी जीवन यात्रा (2013)-डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की आत्मकथ जिन्दगी के हर दौर को बयान किया है।
डॉ. कलाम ने अपनी जिन्दगी के उतार चढावों को सहज व सरल भाषा शैली में प्रस्तुत
किया है। ‘‘अ लिटिल ड्रीम 2008’’-
यह एक भारतीय डॉक्यूमेन्ट्री फिल्म है जिसमें भारतीय राष्ट्रपति डॉ.
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवन यात्रा को बताया गया है जो रामेश्वरम् से राष्ट्रपति
भवन तक की है। |
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मुख्य पाठ |
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन दर्शन- भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भारत
के राष्ट्रपति ही नहीं थे। अपितु वे उच्च कोटि के वैज्ञानिक, विचारक, देशभक्त और एक अच्छी शिक्षाविद भी थे।
विज्ञान, कला व साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य
है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। एक अच्छे इंसान, वैज्ञानिक, साहित्यकार, कवि,
लोकनायक, देशभक्त और राष्ट्रपति के रूप में वे
सदियों तक याद किए जाएंगे। उन्होंने अपने सादगी भरे आचरण से मानवता के हितार्थ
अनेक कार्य किए जो उन्हें एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में पहचान दिलाता है। एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम कस्बे में एक मध्यमवर्गीय तमिल परिवार में हुआ
था। उनके पिता जैनुलाब्दीन बहुत अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे लेकिन उनके विचार बहुत उच्च
थे। डॉ. कलाम ने अपने पिता से ईमानदारी, उदारता, भाईचारा, कृतज्ञता, समय की
महत्ता व सादा जीवन जैसे गुणों को अपनाना सीखा। माता आशियम्मा एक धार्मिक
प्रवृत्ति की महिला थी। उनसे डॉ. कलाम ने ईश्वर में आस्था, जिम्मेदारियों
का सही ढंग से निर्भय, अनुशासन, त्याग,
समर्पण करना आदि जैसे गुणों को सीखा जो उन्हें जीवन भर सदाचरण को
प्रेरित करते रहे। अब्दुल कलाम कुल 5 भाई बहन थे जिनमें तीन
बड़े भाई और एक बड़ी बहन थी। छोटी उम्र से ही परिवार की मदद करने के लिए भी अखबार
बेचा करते थे। स्कूल के दिनों में पढ़ाई में सामान्य थे। लेकिन नई चीजों को सीखने
के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। गणित विषय में उनकी विशेष रूचि थी। जलालुद्दीन व शमसुदीन दो ऐसे व्यक्ति थे जिनका डॉ. कलाम के बाल जीवन पर गहरा प्रभाव था। यह उनके अंतरंग मित्र थे। जिनके साथ वे
आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा करते थे। जलालुद्दीन डॉक्टर कलाम को हमेशा शिक्षित
व्यक्ति वैज्ञानिक खोजों समकालीन साहित्य और चिकित्सा विज्ञान की उपलब्धियों के
बारे में बताते थे। यही वह व्यक्ति थे जिन्होंने डॉक्टर कलाम को सीमित दायरे से
बाहर निकालकर नई दुनिया का बोध कराया। इन दोनों के अलावा वे अपनी बहन जोहरा से भी
बहुत प्रेरित थे। बहन जोहरा ने हर कठिन परिस्थितियों में अपने भाई को आगे बढ़ने के
लिए प्रेरित किया व निः स्वार्थ सहयोग दिया। डॉ. कलाम उम्र भर अपनी बहन के प्रति
कृतज्ञ रहे। अपने माता-पिता, शिक्षक एवं मित्रों के अलावा
एपीजे अब्दुल कलाम 5 वैज्ञानिकों से बहुत अधिक प्रभावित हुए
थे। जिन्हें वे पांच महान आत्माएं मानते थे और उनके प्रति सदैव अपनी कृतज्ञता
दर्शाते थे। यह 5 प्रोफेसर- विक्रम साराभाई, प्रोफेसर सतीश धवन, प्रोफेसर ब्रह्म प्रकाश, प्रोफेसर एन जी के मेनन और डॉ. राजारमन्ना थे। डॉक्टर कलाम के बचपन की
दिनचर्या से पता चलता है कि वे बहुत अनुशासन प्रिय थे सुबह 4ः00
बजे से उनकी दैनिक दिनचर्या शुरू हो जाती थी। एपीजे अब्दुल कलाम भारत रत्न प्राप्त एमएस
सुब्बूलक्ष्मी को अपनी दूसरी महान मां मानते थे। जिन्हें उन्होंने 1950 में तंजौर में आयोजित त्यागराज समारोह में सुना था। इन्हें सुनने के बाद
कलाम जी की मान्यता थी कि किसी भी राग का उद्देश्य श्रोता के मन को ईश्वर एवं उसकी
समस्त सृष्टि की ओर उन्मुख करना है। डॉ. कलाम ने अपने जीवन में अनेक लोगों से
प्रेरणा ली व अपने जीवन को दिशा प्रदान की। इसमें उनकी माता, पिता, गुरु, मित्र, बहन और परिजन आदि प्रमुख रहे। इन लोगों से उन्होंने सादा जीवन, अनुशासन, बड़ों का सम्मान, समय
की महत्ता, नया ज्ञान, अपनी
जिम्मेदारियों का एहसास, त्याग, समर्पण,
जिज्ञासा, धैर्य, इमानदारी,
मित्र आदि अनगिनत जीवन मूल्यों को सीखा। जो उन्हें हमेशा प्रेरित करते
रहे। डॉ. कलाम ने इन सब के प्रति सदैव अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित की। विभिन्न संदर्भों में डॉ. एपीजे अब्दुल
कलाम का जीवन दर्शन- 1.सादा जीवन- सादा
जीवन जीना डॉ. कलाम ने अपने पिता जी से सीखा। डॉ. कलाम के पिता आडम्बर हीनता में
विश्वास रखते थे और अनावश्यक ऐशो आराम से दूर रहते थे। कलाम का बचपन बहुत ही
निश्चिंत था और सादेपन में बीता। भौतिक एवं भावात्मक दोनों ही तरह से अपने पिता से
आध्यात्मिकता व धर्म के बारे में पूछने पर वे आध्यात्मिक की जटिल अवधारणाओं को भी
तमिल में बहुत ही सरल ढंग से समझा देते थे। उनके अनुसार संकट, दुख और समस्या आने पर घबराना नहीं चाहिए, संकट का
कारण जानकर आत्म विश्लेषण करना चाहिए। अपनी वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी को सारी
जिंदगी डॉ. कलाम ने पिताजी से सीखे सादा जीवन, कठिन परिश्रम,
समय का महत्व, कृतज्ञता, सहानुभूति, भाईचारा, इमानदारी,
अनुशासन जैसे मूल्यों का अनुसरण करने की कोशिश की। जिसकी नीव उनके
बचपन में ही पड़ गई थी। 2. विवेक और आत्मा- डॉ. कलाम पर बचपन की एक घटना का गहरा प्रभाव था जिसमें उन्होंने सीखा कि उपहार लेना या
किसी काम के लिए उपहार स्वीकार करना जिंदगी में बहुत खतरनाक है। डॉ. कलाम विवेक को
आत्मा की ज्योति बताते हैं, जो इंसान के मन मंदिर में जलती
है। यह उतना ही वास्तविक है जितना कि जीवन। जब कोई व्यक्ति सदाचार के विरुद्ध आचरण
करता है तो यह ज्योति विरोध करती है। विवेक, सत्य का स्वरूप
है जो हमारे भंडार से ज्ञान के रूप में निकल कर हमारे कर्म और अच्छे बुरे अनुभवों
में बदल जाता है। इसीलिए वे सदाचार के पालन करने की प्रेरणा देते हैं। 3. विज्ञान और अध्यात्म- विज्ञान और अध्यात्म के संबंध में डॉ. कलाम स्पष्ट दृष्टिकोण रखते हैं। वे
विज्ञान को मानवता का ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान मानते थे। तर्क आधारित विज्ञान समाज
की पूंजी है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आध्यात्म से जुड़ने पर ही दोनों का भविष्य
टिका है। उन्होंने अपनी पुस्तक अदम्य साहस में कहा है कि विज्ञान और अध्यात्म
दोनों मानव कल्याण के निमित्त एक ही परमात्मा का अनुग्रह चाहते हैं। अर्थात हम जिस
क्षेत्र में भी काम करें हमें सामान्य जन की सेवा में लगे रहना होगा। सभी प्रकार
के ज्ञान और कर्म का मूल्यांकन सामान्य जन की सेवा है। विज्ञान के उपयोग से
प्रौद्योगिकी, प्रौद्योगिकी का उपयोग उत्पादन, उत्पादन से अर्थव्यवस्था व पर्यावरण सब जुड़ जाते हैं तो समाज में खुशहाली
आती है। समाज में खुशहाली के लिए धर्म और अध्यात्म का अध्ययन भी आवश्यक है। धर्म
विज्ञान का समर्थन करता है। अतः हम कह सकते हैं कि विज्ञान और अध्यात्म एक दूसरे
से जुड़े हुए हैं। 4.पुस्तकों का महत्व- कलाम के जीवन में पुस्तकों का अति विशिष्ट स्थान है। उनका पुस्तकों से
घनिष्ठ संबंध रहा है। अपनी युवावस्था के दिनों से डॉ. कलाम ने इनसे अपना नाता जोड़ा
जो उम्र के अंतिम पड़ाव तक जारी रहा। पुस्तके डॉ. कलाम को सदैव प्रेरित करती रही।
उनके अनुसार शिक्षा ज्ञान में वृद्धि तथा अपनी सोच में बदलाव करने के लिए प्राप्त
की जाती है। शिक्षा प्राप्त करने वाले जिज्ञासाओं के लिए पुस्तके अच्छे मित्र
साबित होती है। पुस्तकों से जीवन से जुड़ी अनेक मान्यताओं तथा गुणों को बढ़ावा मिलता
है। वर्षों तक कलाम ने कई पुस्तकें पढ़ी लेकिन जिन पुस्तकों को उन पर गहरा प्रभाव
पड़ा उनमें से मुख्य रूप से तीन पुस्तकें आती हैं। वह हैं लाइट फ्रॉम मेनी लैंप्स,
तिरुक्कुरल और मैन द अननोन थी। इसमें जीवन के विभिन्न विषयों का
ज्ञान भरा पड़ा है। डॉ. कलाम ने अपने जीवन में विकट परिस्थितियों में बहुत बार इस
पुस्तक का सहारा लिया। उनके अनुसार भावनाओं के अथाह सागर में भटकने पर यह पुस्तक
उनकी सोच में संतुलन लाती थी। 5.आत्मनिर्भर नारी और राष्ट्र निर्माण- राष्ट्र निर्माण
में नारी की भूमिका से संबंधित विचार व्यक्त करते हुए डॉ. कलाम कहते हैं कि आज हम
भारतको विकसित राष्ट्र बनाने का स्वप्न देखते हैं। ऐसे में राष्ट्र की महिलाओं का
सशक्त प्रबुद्ध होना आवश्यक है। प्रभुद्ध नारी राष्ट्र निर्माण में अपनी
महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि उनकी सोच, काम करने के
तरीके और जीवन मूल्य से अच्छे परिवार, अच्छे समाज और अच्छे
राष्ट्र के निर्माण की दिशा में प्रगति होगी। नारी के सशक्त होने से ही समाज
प्रभावित होता है। उसमें आत्मविश्वास और संतुलन कायम होता है। इसीलिए बालिकाओं की
शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। डॉ. कलाम लिंगभेद की दृष्टि से
संवेदनशील मुद्दों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवाने के पक्षधर थे। इसमें
महिलाओं और पुरुषों के पक्षों पर प्रकाश डाला जाए तथा बताया जाए कि परस्पर प्रभावी
सहयोग और योगदान से किसी संगठन के सामूहिक लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। 6. अदम्य साहस- डॉ. कलाम ने देशवासियों को अदम्य साहस जीवन में जगाने का आह्वान किया है। उन्होंने
उपलब्धि के उच्चतर लक्ष्यों की ओर ले जाने वाली दृष्टि को अदम्य साहस माना। अदम्य
साहस का दूसरा पहलू किसी लक्ष्य के अध्याय को पूरा करने के रास्ते में आने वाली
सभी बाधाओं को पार करने की क्षमता को माना। जब हमें सफलता दूर तक कहीं नजर नहीं
आती या रास्ते में कई रुकावटें है तो ऐसे में डॉ. कलाम युवाओं में आत्म बल को बढ़ाकर
जिंदगी के लक्ष्य को हासिल करने की प्रेरणा देते हैं। उनके अनुसार इंसान की शक्ति
उसके आत्मबल से मिलती है। इसी प्रेरणा से वह जिंदगी में आगे बढ़ता है। इंसान को खुद
अपना निर्माण करना है और जिंदगी को सवारना है। आपको अपनी ख्वाहिश एक पृष्ठ पर दर्ज
कर देनी चाहिए। हो सकता है वह प्रश्न मानक इतिहास का बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न बन
जाए और राष्ट्र के इतिहास में उसी एक प्रसिद्ध रचना के लिए आप याद किए जाएं। 7. ज्ञानवान समाज- समृद्धि
और सत्ता के लिए ज्ञान प्रमुख प्रेरक तत्व रहा है। इसीलिए पूरी दुनिया में ज्ञान
प्राप्ति को प्राथमिकता दी जाती है। हमारे देश में ज्ञान के आदान प्रदान की
संस्कृति बड़ी ही पुरातन और बेजोड़ है। 21वीं सदी में भारत में
एक नए समाज का उदय हो रहा है। जो ज्ञान संपन्न समाज के रूप में पहचाना जा रहा है।
ऐसे समाज में पूर्ण जीवश्रम के स्थान पर ज्ञान उत्पादन का प्रमुख स्त्रोत माना जा
रहा है। ज्ञान संपन्न समाज के आयामों को स्पष्ट करते हुए डॉ. कलाम बताते हैं कि
ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में समाज के उद्देश्य बदल जाते हैं। यहां समग्र विकास
की मौलिक आवश्यकताएं पूरी करने के स्थान पर सशक्तिकरण उद्देश्य बन जाता है। डॉ. कलाम प्रबुद्ध नागरिकों के लिए 10 सूत्री शपथ पत्र का उल्लेख
करते हैं जिसको अपना कर देशवासी एक नवीन भारत का निर्माण कर सकते हैं। जो उसे
समृद्ध व संस्कारवान बनाएंगे। 10 सूत्रीय घोषणापत्र में
डॉक्टर कलाम प्रबुद्ध नागरिकों से अपने पेशे के प्रति प्रतिबद्धता, उत्कृष्टता, साक्षरता बढ़ाने, वृक्षारोपण
करने व उनका विकास सुनिश्चित करने, ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों
में नशा मुक्ति हेतु एवं जुए की लत को छुड़ाने हेतु प्रयास, दीन
दुखियों के प्रति सहानुभूति और जिम्मेदारी लेने, मूल्य
आधारित शिक्षा और धर्म को आध्यात्मिक शक्ति बताते हुए भारत को आर्थिक शक्ति बनाने,
समुदाय व भाषागत भेदभाव से मुक्ति, भ्रष्टाचार
से मुक्ति, ईमानदारी, पारदर्शिता जीवन
जीने, सहानुभूति, विकलांग व्यक्तियों
के प्रति करुणा और अपने देश व देशवासियों की उपलब्धि पर खुशी अनुभव करने की शपथ
दिलाते हैं और नव भारत के निर्माण की नींव को सीखते हैं। 8. विकसित भारत का स्वरूप- भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का स्वप्न संजोए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम
निरंतर युवाओं को प्रेरित करते रहे। उनका मानना था कि हमें यह सोचने और महसूस करने
की जरूरत है कि राष्ट्र किसी व्यक्ति या संस्था से बड़ा होता है। उन्हें राष्ट्र,
नव निर्माण हेतु अनेक सार्थक सुझाव दिए। लोगों को दिमाग से यह बात
निकाल देनी होगी कि हम यह नहीं कर सकते। इस प्रकार की नकारात्मक सोच को निकालकर
युवाओं में सकारात्मक सोच उत्पन्न करना चाहते थे। डॉ. कलाम समाज के विभिन्न अंगों
में सदाचार पैदा करना सभी देशवासियों की जिम्मेदारी मानते थे। पूरे समाज का
सदाचारी बनाने के लिए परिवार, शिक्षा, सेवा,
कैरियर, व्यापार, उद्योग,
लोक प्रशासन, राजनीति, सरकार,
कानून व्यवस्था और न्यायालय के सभी जगह सदाचार को आवश्यक माना जाता
है। माना किसी देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए और वहां के लोगों को उदार
बनाने में तीन महत्वपूर्ण व्यक्तियों की भूमिका पर बल देते थे पिता, माता और शिक्षक। यह तीनों सामूहिक रूप से एक मिशन के रूप में कार्य करके
देश को भ्रष्टाचार मुक्त बना सकते हैं। बच्चों को छोटी उम्र से ही ईमानदारी का पाठ
पढ़ाना चाहिए। इसका इतना सशक्त असर होता है कि वे बड़े को भी अपने सदाचार के मार्ग
से भटकने नहीं देते। एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन दर्शन की
उपयोगिता-
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।
एक अच्छे इंसान, वैज्ञानिक, साहित्यकार, कवि, लोकनायक, देशभक्त और
राष्ट्रपति के रूप में वे सदियों तक याद किए जाएंगे। उन्होंने अपने सादगी भरे आचरण
से मानवता के हितार्थ अनेक कार्य किए जो उन्हें एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में
पहचान दिलाते हैं। डॉ. कलाम का प्रेरणादायक जीवन दर्शन एक विकासशील देश को विकसित
राष्ट्र में बदलने में सहायक सिद्ध होगा। विज्ञान, धर्म और
आध्यात्मिकता का समावेश देशवासियों की आत्मबल को जागृत कर उन्हें मूल्यवान सभ्य और
प्रबुद्ध नागरिक बनाने में अपनी सार्थक भूमिका निभाएगा। डॉ. कलाम की विचारधारा और
उनके दृष्टिकोण का उपयोग हम आधुनिक शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए कर सकते हैं।
इनके जीवन दर्शन की कुछ बातों को नई शिक्षा नीति में शामिल भी किया गया है। इनके
अनुसार संस्कार की कमी के कारण समाज में बहुत सी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। आज
युवा अपने कर्तव्य से विमुख है और अपने उत्तरदायित्व से दूर भागते जा रहा है।
एकाकीपन, तनाव अवसाद जैसी समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही
है। जिसके दुष्परिणाम समाज को भुगतने पड़ रहे हैं। इन्हीं दुष्परिणामों को दूर करने
के लिए छोटी उम्र के बच्चों और युवाओं को कलाम जी के जीवन दर्शन को आत्मसात करना
चाहिए। |
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निष्कर्ष |
डॉ.कलाम का
प्रारम्भिक जीवन अभावों में व्यतीत हुआ लेकिन अपनी मेहनत धैर्य,
सादगी व अनुशासन जैसे अमूल्य गुणों से वे देश के राष्ट्रपति पद
तक पहुँचते हैं। यह बात हमारे लिए प्रेरणास्पद हैं। यदि व्यक्ति ठान ले तो उसकी
पृष्ठभूमि उसके विकास में कभी आडे नहीं आती। दृढ़ निश्चय उसे सफलता की ओर अवश्य ले
जाता हैं। डॉ. कलाम विभिन्न धर्मों की धार्मिक ग्रन्थों जैसे- कुरान, वेद, भागवद्गीता, बाइबिल
से सीखा कि जीवन की कठिन परिस्थितियों में सफलता कैसे मिलती हैं। यह उनके सभी
धर्मों के प्रति सम्मान को दर्शाता हैं। डॉ.कलाम के जीवन दर्शन से उनके व्यक्तित्व
की विशेषताओं का ज्ञान मिलता हैं। वे समय के पाबन्द, दृढ़
निश्चय,कठोर परिश्रमी, सादगी,
धर्मनिरपेक्ष, विनम्र, अनुशासन और प्रकृति प्रेमी थे।, वे राष्ट्रीय
भावना से ओत प्रोत थे और उनका झुकाव आध्यात्म और परमार्थ की तरफ भी था। वे
प्रेरणादाई व्यक्तित्व के धनी थे जिससे आज की युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. अग्नि की उड़ान- (1999) |