ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- VIII , ISSUE- VII August  - 2023
Innovation The Research Concept
प्रतापगढ़ जनपद (उ0प्र0) में जनसंख्या घनत्व की बदलती प्रवृत्तियां का एक भौगोलिक अध्ययन
A Geographical Study of Changing Trends of Population Density in Pratapgarh District (U.P.)
Paper Id :  18042   Submission Date :  2023-08-02   Acceptance Date :  2023-08-17   Publication Date :  2023-08-22
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.
DOI:10.5281/zenodo.8330859
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अनुज सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर
भूगोल विभाग
एम.एल.के.पी.जी.कॉलेज
बलरामपुर,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश
जनसंख्या घनत्व प्रति इकाई क्षेत्रफल पर निवास करने वाली जनसंख्या का घोतक है।किसी प्रदेश के क्षेत्रफल तथा वहां की जनसंख्या के पारस्परिक अनुपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। अध्ययन क्षेत्र प्रतापगढ़ जनपद में जनसंख्या घनत्व में भिन्नता देखने को मिलती है। 1951, 1961, 1971, 1981, 1991, 2001, 2011 के दशकों में जनसंख्या घनत्व में क्रमश: वृद्धि हुई है और इन दशकों में जनसंख्या घनत्व क्रमशः 279, 341, 381, 485, 595, 735 एवं 863 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर हो गया। जनसंख्या घनत्व के अध्ययन से स्पष्ट है कि प्रतापगढ़ जनपद में जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है। इस जनपद में जनसंख्या घनत्व इतना अधिक होने का मुख्य कारण यह है कि इस क्षेत्र को मिट्टी काफी उपजाऊ है, जलापूर्ति की पर्याप्त सुविधाएं तथा परिवहन के साधनों का विकास हुआ है। यह जनपद प्राचीन काल से ऐतिहासिक, धार्मिक, अध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है। फलतः जनसंख्या का केन्द्रीकरण होता रहा है। भूमि पर जनसंख्या का दबाव बहुत अधिक है, किन्तु इस दाव को भूमि सुधार, जल प्रबन्ध एवं आधुनिक प्राविधिकी के द्वारा अवस्थापनात्मक सुविधाओं का विकास करके कम किया जा सकता है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Population density is an indicator of the population living per unit area. The mutual ratio of the area of a region and its population is called population density. Variation in population density is seen in the study area Pratapgarh district. The population density has increased respectively in the decades of 1951, 1961, 1971, 1981, 1991, 2001, 2011 and in these decades the population density became 279, 341, 381, 485, 595, 735 and 863 persons per square kilometer respectively. From the study of population density, it is clear that the population density in Pratapgarh district is very high.
The main reason for the high population density in this district is that the soil in this area is quite fertile, adequate water supply facilities and means of transportation have developed. This district has been a center of historical, religious, spiritual and cultural activities since ancient times. As a result, concentration of population has been taking place. The pressure of population on the land is very high, but this claim can be reduced by developing infrastructure facilities through land reclamation, water management and modern technology.
मुख्य शब्द भूमि सुधार, जलापूर्ति, धार्मिक, सांस्कृतिक गतिविधियों, परिवहन।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Land Reclamation, Water Supply, Religious, Cultural Activities, Transportation.
प्रस्तावना

जनसंख्या घनत्व परिकल्पना मानव के क्षेत्रीय वितरण प्रारूप को स्पष्ट करने का महत्वपूर्ण उपकरण है। किसी क्षेत्र के मनुष्य और भूमि महत्वपूर्ण तत्व होते है जिनके पारस्पारिक अनुमत से जनसंख्या घनत्व को परिकलित किया जाता है। जनसंख्या के वितरण की अर्थपूर्ण स्थिति इसके क्षेत्रफल और जीवन यापन के उपलब्ध संसाधनों के अनुपात में व्यक्त करने से मालूम होती है। इसी प्रकार के अनुपात जनसंख्या घनत्व को स्पष्ट करते है। प्रकृति प्रदत्त सम्पूर्ण संसाधनों में मानव सर्वश्रेष्ठ, सर्वशक्तिमान एवं सर्वाधिक क्रियाशील संसाधन है। वह प्रकृति परिवेश का मात्र अंश ही नहीं, बल्कि परिवेश का निर्माण भी करता है। इस प्रकार मनुष्य स्वयं संसाधन एवं संसाधनकर्ता भी है। इस प्रकार स्पष्ट है कि मानव भौगोलिक तत्व, संसाधन एवं कारक तीनों है। वह संसाधनों का उपयोग करता है। जनसंख्या के विभिन्न पक्षों के आधार पर ही विभिन्न संसाधनों का वर्तमान आर्थिक उपयोग, संरक्षण एवं सम्यक नियोजन पर आधारित होता है। इस दृष्टि से जनसंख्या घनत्व का अध्ययन आवश्यक हो जाता है।

अध्ययन का उद्देश्य

प्रस्तुत अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य अध्ययन क्षेत्र जनपद प्रतापगढ़ में जनसंख्या घनत्व की बदलती प्रवृत्तियों का अध्ययन करना है, ताकि इस अध्ययन के आधार पर जनसंख्या की भार की पहचान की जा सके तथा साथ ही साथ इस अध्ययन के आधार पर अध्ययन क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग तथा विकास की सही-सही पहचान की जा सके। इस तरह अध्ययन क्षेत्र में जनसंख्या एवं संसाधनों को अनुपात को ज्ञात कर क्षेत्र के विकास के लिए आयोजन प्रस्तुत की जा सके।

साहित्यावलोकन

प्रस्तुत शोध प्रपत्र के लिये निम्न साहित्य का अध्ययन किया गया है- जिनमें आर०सी० तिवारी (2000) भारत का भूगोल, एन०सी०आर०टी०-(2000) भारत भौतिक पर्यावरण, डॉ० विमलेश कुमार पाण्डेय (2007) प्रतापगढ़ का प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्त्व, महेन्द्र सिंह (2013)-जनपद प्रतापगढ़ के भू-आर्थिक संसाधनों पर जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव एक भौगोलिक विश्लेषण। अलका गौतम (2012) भारत का भूगोल।

मुख्य पाठ

अध्ययन क्षेत्र-

जनपद प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश में अपर गंगा मैदान का दक्षिण पूर्वी भू-भाग है। यह जनपद इलाहाबाद मण्डल (वर्तमान प्रयागराज) की जनपदीय प्रशासनिक इकाई है, इस के पूरब में जनपद जौनपुर, पश्चिम में कौशाम्बी, उत्तर-पश्चिम में रायबरेली, उत्तर में सुल्तानपुर, दक्षिण में प्रयागराज (इलाहाबाद) जनपद अवस्थित हैं। अध्ययन क्षेत्र प्रतापगढ़ का अक्षांशीय विस्तार 25034' उत्तर से 26011' उत्तर एवं देशान्तरीय विस्तार 81019' पूरब से 82027' पूर्वी देशान्तर है। जिसका भौगोलिक क्षेत्रफल 3717 वर्ग किमी है। जिसकी लम्बाई पश्चिम से पूरब 115 किलोमीटर तथा चौड़ाई 40 किलोमीटर उत्तर से दक्षिण है, जनपद की समुद्रतल से ऊँचाई 137 मीटर है, जहाँ गंगाा जनपद के दक्षिण पश्चिम कौशाम्बी और प्रतापगढ़ की प्राकृतिक सीमा का निर्धारण करती है वही उत्तर पूरब में गोमती नदी 7 किलोमीटर सुल्तानपुर और प्रतापगढ़ की उत्तर पूर्वी सीमा पर प्रवाहित होती है। जनपद की प्रशासनिक इकाईयों में 5 तहसीलें एवं 17 विकास खण्ड से संयुक्त है।

सामग्री और क्रियाविधि
शोध-पत्र में द्वितीयक आँकड़ों का उपयोग किया गया है। शोधकार्य से सम्बन्धित द्वितीयक आंकड़ों का संकलन जिला सांख्यकीय पत्रिका के तथ्यों के आधार पर किया गया है। चयनित आँकड़ों तथा प्रतिदर्शों को विभिन्न घटनाओं एवं वितरणों के आधार पर एकत्र कर विभिन्न चरणों के परिप्रेक्ष्य में उनका विश्लेषण किया गया है।
विश्लेषण

किसी भी क्षेत्र में विद्यमान प्राकृतिक संसाधनों की एक सीमा होती है तथा जनसंख्या इन सभी संसाधनों के विदोहन स्तर को निर्धारित करती है। जिससे प्रतिव्यक्ति उपलब्ध संसाधन प्रति व्यक्ति आय एवं जीवन स्तर का ज्ञान प्राप्त होता है स्पष्ट है कि क्षेत्र विशेष की आर्थिक, समाजिक एवं सांस्कृतिक उन्नति का प्रारूप निर्धारित करने के लिए उसकी जनसंख्या की सघनता का ज्ञान होना आवश्यक है। जनसंख्या घनत्व को यद्यपि कई रूपों में आंकलित किया जा सकता है परन्तु सामान्य जनघनत्व, आर्थिक जनघनत्व, कायिक जन घनत्व कृषि जन घनत्व एवं औद्योगिक जन घनत्व अध्ययन की दृष्टिकोण से यह महत्वपूर्ण पहलू है जिनके माध्यम से विद्यमान संसाधनों पर जनसंख्या के बढ़ते दबाव की स्थितियों का व्यावहारिक एवं वास्तविक मूल्यांकन किया जा सकता है।

सामान जनसंख्या घनत्व या गणितीय घनत्व-

जनसंख्या घनत्व की मापन में यह विधि सर्वाधिक महत्वपूर्ण है इसमें संबंधित जनसंख्या एवं क्षेत्रफल के आंकड़े आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं इसीलिए इनका उपयोग अधिक किया जाता है जब संपूर्ण जनसंख्या और संपूर्ण क्षेत्र के अनुपात को प्रति वर्ग किमी या मिल में व्यक्त किया जाता है तो उसे गणितीय या आंकिक घनत्व कहते हैं संपूर्ण जनसंख्या में संपूर्ण क्षेत्रफल का भाग देकर यह घनत्व ज्ञात किया जाता है। गणितीय घनत्व निकालने के निम्न सूत्र

सामान्य जनघनत्व = कुल जनसंख्या/कुल क्षेत्रफल

तालिका संख्या-1.1

जनपद प्रतापगढ़ (उ0प्र0) में सामान्य जनघनत्व

क्र.सं.

विकास खण्ड

कुल क्षेत्रफल (वर्ग किमी0)

जनसंख्या

घनत्व (व्यक्ति प्रति वर्ग किमी0)

1-

कालाकांकर

181-43

153576

846

2-

बाबागंज

249-63

189421

759

3-

कुण्डा

285-16

251912

883

4-

बिहार

274-91

233032

848

5-

सांगीपुर

265-13

187078

706

6-

लालगंज

189-40

127084

671

7-

लक्ष्मणपुर

190-45

158259

831

8-

सण्डवाचन्द्रिका

210-36

166877

793

9-

प्रतापगढ़ सदर

193-37

136207

704

10-

मानधाता

203-47

221140

1087

11-

मंगरौरा

225-52

159515

707

12-

पट्टी

154-14

125227

812

13-

आसपुर देवसरा

203-76

146452

719

14-

शिवगढ

129-71

142650

1100

15-

गौरा

235-09

151568

645

16-

रामपुर संग्रामगढ़

215-76

157770

731

17-

बाबा बेलखर नाथ

184-67

161933

877

 

योग

3]717-00

3209141

863

स्रोत- जिला सांख्यिकीय पत्रिका 2022

चित्र-1.1

तालिका संख्या- 1.1 एवं चित्र संख्या-1.1 के अध्ययन से स्पष्ट है कि जनपद प्रतापगढ़ में जनसंख्या का घनत्व सर्वत्र एक जैसा नहीं है। जनपद प्रतापगढ़ का औसत जन घनत्व 863 है,परन्तु विकास खण्ड स्तर पर जनसंख्या घनत्व में पर्याप्त अन्तर दिखाई पड़ता है। जनपद प्रतापगढ़ के विकास खण्ड शिवगढ़ में 1100 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी क्षेत्रफल में निवास करते है जो प्रतापगढ़ के सभी विकास खण्डों में सबसे अधिक है जबकि विकास खण्ड गौरा में 645 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी निवास करते है जो सभी विकास खण्डों में सबसे कम है। इसी प्रकार विकास खण्ड मान्धाता में 1087व्यक्ति, कुंडा में 883 व्यक्ति, बाबा बेलखरनाथ में 877 व्यक्ति, बिहार में 848 व्यक्ति, काला कांकर में 846 व्यक्ति, लक्ष्मणपुर 831 व्यक्ति,  पट्टी 812  व्यक्ति, सण्डवा चन्द्रिका में 793 व्यक्ति, बाबागंज में 759 व्यक्ति, रामपुर संग्रामगढ़ में 731व्यक्ति, आसपुर देवसरा में 719 व्यक्ति, मंगरौरा में 707 व्यक्ति, सांगीपुर में 706 व्यक्ति, प्रतापगढ़ सदर में 704 व्यक्ति तथा लालगंज में 671 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी क्षेत्रफल में निवास करते है। जनसंख्या घनत्व में विद्यमान यह विषमता जहां भौतिक कारकों के रूप में भूमि की उत्पादकता धरातलीय विषमता के कारण विद्यमान है वहीं सिंचाई के साधनों की उपलब्धता, जोत का आकार एवं चकबन्दी के स्वरूप तथा ऐतिहासिक पहलुओं ने भी जनसंख्या घनत्व की इस विषमता को प्रभावित किया है।

कृषि जनसंख्या घनत्व-

कृषि घनत्व या खेतिहर घनत्व कायिक घनत्व का परिकृत रूप है जो कुल कृषि योग्य भूमि और कृषि पर आधारित जनसंख्या के पारस्परिक सम्बन्ध को प्रकट करता है। इसकी गणना में प्रदेश की कुल कृषि योग्य भूमि या कुल कृषित भूमि से कृषि में संलग्न कुल जनसंख्या को विभाजित किया जाता है। इस प्रकार कृषि घनत्व प्रति इकाई कृषित भूमि पर आधारित औसत व्यक्तियों की संख्या को प्रकट करता है। कृषि घनत्व के परिकलन हेतु कुल जनसंख्या से ऐसे व्यक्तियों को अलग कर दिया जाता है जो अपनी अजीविका कृषि के अतिरिक्त किसी अन्य व्यवसाय से प्राप्त करते है। किसी भी प्रदेश की कृषि में संलग्न जनसंख्या की मात्रा और घनत्व में परिवर्तन अवश्य सम्भावी हो जाता है। कृषि प्रधान क्षेत्रों के लिए कृषि भूमि पर जनसंख्या के वास्तविक दबाव को ज्ञात करने के लिए कृषि घनत्व सबसे उपयोगी कारक है। साधारणतः कृषक जनसंख्या का प्रतिशत जितना अधिक होगा इसका सूचकांक भी बढ़ता जाता है। कृषि घनत्व की गणना के लिए अध्ययन क्षेत्र जनपद प्रतापगढ़ में विकास खण्ड स्तर पर कृषि कार्य में संलग्न जनसंख्या और कृषित

क्षेत्र को अध्ययन का आधार बनाया गया है। कृषि घनत्व निम्नलिखित सूत्र की सहायता से परिकलित किया गया है।

सूत्र- कृषि घनत्व = कृषि में संलग्न जनसंख्या / कृषित भूमि



तालिका संख्या-1.2

जनपद प्रतापगढ़ (उ0प्र0) में कृषि जनसंख्या घनत्व

क्र.सं.

विकास खण्ड

कृषि क्षेत्रफल (वर्ग किमी0)

कृषि जनसंख्या

कृषि जनसंख्या घनत्व(व्यक्ति प्रति वर्ग किमी0)

1-

कालाकांकर

146-16

22837

156

2-

बाबागंज

159-91

30631

152

3-

कुण्डा

159-45

33998

213

4-

बिहार

147-86

31770

215

5-

सांगीपुर

139-16

25453

183

6-

लालगंज

109-80

19167

175

7-

लक्ष्मणपुर

104-09

22882

220

8-

सण्डवाचन्द्रिका

128-61

20500

159

9-

प्रतापगढ़ सदर

117-38

16080

137

10-

मानधाता

147-95

29533

200

11-

मंगरौरा

137-23

18630

136

12-

पट्टी

114-25

11535

101

13-

आसपुर देवसरा

132-93

19273

145

14-

शिवगढ

97-19

15150

191

15-

गौरा

149-79

23311

156

16-

रामपुर संग्रामगढ़

144-04

28166

196

17-

बाबा बेलखर नाथ

122-10

12196

100

 

योग

2265-36

381112

168

स्रोत- जिला सांख्यिकीय पत्रिका 2022

चित्र-1.2

तलिका संख्या 1.2 एवं चित्र संख्या-1.2 के अध्ययन से स्पष्ट है कि जनपद प्रतापगढ़ का औसत कृषि घनत्व 162 है,अर्थात प्रति वर्ग किमी0 कृषि योग्य भूमि में 162 कृषक कृषि कार्य में संलग्न हैं। विकास खण्ड लक्ष्मणपुर का कृषि घनत्व 220 है जो सभी विकास खण्डों में सर्वाधिक है जबकि विकास खण्ड बिहार में 215 कृषक प्रतिवर्ग किमी० कृषि योग्य भूमि में संलग्न है। इसी प्रकार विकास खण्ड कुंडा में 213, मांधाता में 200, रामपुर संग्रामगढ़ में 196, बाबागंज में 192, शिवगढ़ में 191, सांगीपुर में 183, लालगंज में 175, सड़वा चंद्रिका में 159, काला कांकर में 156, गौरा में 156, कालाकांकर में 171, आसपुर देवसरा में 145, मंगरौरा में 136, पट्टी में 101, तथा विकास खण्ड बाबा बेल्खर नाथ धाम में 100, कृषक प्रतिवर्ग किमी० कृषि योग्य भूमि में कृषि कार्य संलग्न है।

कायिक जनसंख्या घनत्व-

कायिक घनत्व मानव क्षेत्र अनुपात के गणना की अधिक परिष्कृत विधि है क्योंकि इसके अन्तर्गत कुल क्षेत्रफल की जगह कुल कृषि भूमि एवं कुल जनसंख्या का अनुपात ज्ञात किया जाता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के सन्दर्भ में मानव एवं कृषि भूमि की उपलब्धता का आंकलन और भी आवश्यक हो जाता है। अध्ययन क्षेत्र जनपद प्रतापगढ़ एक कृषि प्रधान क्षेत्र है जहां कायिक घनत्व की परिकल्पना अध्ययन की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है । यद्यपि कायिक घनत्व की गणना करते समय अकृषि भूमि को अनुत्पादक मान लिया जाता है और कृषित भूमि को समान गुण वाली भूमि की विशेषता भी प्रदान कर दी जाती है। फिर भी मूलरूप में कायिक घनत्व ज्ञात करके संसाधन पर जनसंख्या के दबाव का मूल्यांकन करना कृषि प्रधान क्षेत्रों के लिए विशेष उपयोगी एवं सार्थक सिद्ध हुआ है।

किसी भी क्षेत्र में कायिक घनत्व ज्ञात करते समय कुल क्षेत्र के स्थान पर कुल कृषि भूमि से जनसंख्या को विभाजित किया जाता है और प्राप्त परिणाम को कायिक घनत्व कहा जाता है। वस्तुतः कायिक घनत्व प्रति इकाई कृषि भूमि पर आश्रित कुल जनसंख्या के परिणाम का द्योतक होता है।

सूत्र- कायिक घनत्व - कुल जनसंख्या / कृषित क्षेत्र

तालिका संख्या-1.3

जनपद प्रतापगढ़ (उ0प्र0) में कायिक जनसंख्या घनत्व

क्र.सं.

विकास खण्ड

कृषि क्षेत्रफल (वर्ग किमी0)

जनसंख्या

कायिक जनसंख्या घनत्व (व्यक्ति प्रति वर्ग किमी0)

1-

कालाकांकर

146-16

153576

1051

2-

बाबागंज

159-91

189421

1185

3-

कुण्डा

159-45

251912

1580

4-

बिहार

147-86

233032

1576

5-

सांगीपुर

139-16

187078

1344

6-

लालगंज

109-80

127084

1157

7-

लक्ष्मणपुर

104-09

158259

1520

8-

सण्डवाचन्द्रिका

128-61

166877

1298

9-

प्रतापगढ़ सदर

117-38

136207

1160

10-

मानधाता

147-95

221140

1495

11-

मंगरौरा

137-23

159515

1162

12-

पट्टी

114-25

125227

1096

13-

आसपुर देवसरा

132-93

146452

1102

14-

शिवगढ

97-19

142650

1801

15-

गौरा

149-79

151568

1012

16-

रामपुर संग्रामगढ़

144-04

157770

1095

17-

बाबा बेलखर नाथ

122-10

161933

1326

 

योग

2265-36

3209141

1417

स्रोत- जिला सांख्यिकीय पत्रिका 2022

चित्र-1.3

तालिका संख्या 1.3 एवं चित्र संख्या-1.3 के अध्ययन से स्पष्ट है कि जनपद प्रतापगढ़ में सर्वाधिक कायिक घनत्व विकास खण्ड शिवगढ़ 1801का है अर्थात प्रतिवर्ग किमी० कृषित भूमि पर 1801 व्यक्ति आश्रित हैं। विकास खण्ड कुंडा का कायिक घनत्व 1580 है। जबकि बिहार में 1576 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी० कृषित भूमि पर आश्रित हैं। इसी प्रकार विकास खण्ड लक्ष्मणपुर का कायिक धनत्व 1520, मांधाता का 1495, सांगीपुर का 1344, बाबा बेलखरनाथ का 1326, सड़वा चंद्रिका का 1298, बाबागंज का 1185, मंगरौरा का 11, प्रतापगढ़ सदर का 1160, लालगंज का 1157, आसपुर देवसरा का 1102, पट्टी का 1096, रामपुर संग्रामगढ़ का 1095, काला कांकर का 1051 तथा विकास खण्ड गौरा का कायिक घनत्व 1012 है जो सभी विकास खण्डों में सबसे कम है। जनपद प्रतापगढ़ का औसत कायिक घनत्व 1417 है। जनपद प्रतापगढ़ के औसत कायिक घनत्व से अधिक कायिक घनत्व विकास खण्ड शिवगढ़, कुंडा, बिहार, लक्ष्मणपुर तथा मांधाता में पाया जाता है। जबकि जनपद प्रतापगढ़ के औसत कायिक घनत्व से कम कायिक घनत्व विकास खण्ड गौरा, बाबा बेल्खर नाथ धाम, आसपुर देवसरा, पट्टी, सण्डवा चन्द्रिका तथा सांगीपुर  में पाया जाता है।

तालिका संख्या-1.4
जनपद प्रतापगढ़ (उ0प्र0) में विभिन्न दशकों में जनसंख्या घनत्व की परिवर्तनशीलता

वर्ष

1951

1961

1971

1981

1991

2001

2011

घनत्व (व्यक्ति प्रति वर्ग किमी0)

297

341

381

485

595

735

863

अध्ययन क्षेत्र प्रतापगढ़ जनपद में विभिन्न दशकों में जनसंख्या घनत्व में भिन्नता देखने को मिलती है। 1951 में जनसंख्या घनत्व 297 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर था, जबकि 1961 में 341 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी0 रह गया। 1971, 1981, 1991, 2001 एवं 2011 के दौरान जनसंख्या घनत्व क्रमशः 381, 485, 595, 735 एवं 863 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी० रहा है। उपरोक्त आकड़ों से स्पष्ट है कि अध्ययन क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व में क्रमशः वृद्धि हुई है। विभिन्न वर्षाे में जनसंख्या घनत्व का तुलनात्मक विवरण तालिका संख्या 1.4 से स्पष्टहै । इस जनपद में जनसंख्या घनत्व इतना अधिक होने के मुख्य कारण यह है कि इस क्षेत्र की मिट्टी काफी उपजाऊ है, जलापूर्ति की पर्याप्त सुविधा है तथा परिवहन के साधनों का विकास हुआ हैं। यह जनपद प्राचीन काल से धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है, फलतः जनसंख्या का केन्द्रीयकरण होता जा रहा हैं।

निष्कर्ष

जनसंख्या घनत्व के अध्ययन से निष्कर्ष निकलता है कि प्रतापगढ़ जनपद में भूमि पर जनसंख्या का दबाव बहुत अधिक है, किन्तु इस दबाव को भूमि सुधार, जल प्रबन्ध एवं आधुनिक प्राविधिकी के द्वारा अवस्थापनात्मक सुविधाओं का विकास करके कम किया जा सकता है।

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची

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2. Ehrilich, Paul R. and Ehrilich, A.H.- "Population, Resources, Environment : Issues in Human Ecology", 1972.
3. Finch R.C. Trewartha G.T. Shearer M.H.- "The Earth and its Resources.
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6. उत्तर भारत भूगोल पत्रिका, दाउदपुर, गोरखपुर।
7. कुरुक्षेत्र मासिक पत्रिका, ग्रामीण विकास मंत्रालय, नई दिल्ली।
8. चन्दना, आर, सी, जनसंख्या भूगोल, 2017
9. महेन्द्र सिंह (2013)-जनपद प्रतापगढ़ के भू-आर्थिक संसाधनों पर जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव एक भौगोलिक विश्लेषण।
10. जिला सांख्यिकीय पत्रिका 2022