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कृषि
के विकास में मनरेगा का सूक्ष्म मूल्यांकन |
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Micro-evaluation of MNREGA in the Development of Agriculture | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
18125 Submission Date :
2023-09-13 Acceptance Date :
2023-09-22 Publication Date :
2023-09-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.8409927 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/innovation.php#8
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सारांश |
देश के स्वतन्त्र होने के पश्चात सबसे बड़ी चुनौती देश का
सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विकास था। इन सभी
विकास को पूरा करना आसान कार्य नही था। देश के आजाद होने के बाद देश में ग्रामीण
विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारम्भ किया गया। जिससे गाँवों के लोग भी
अपने कौशल का विकास करके रोजगार को प्राप्त कर सके जिससे ग्रामीण परिवेश के सशक्त
बनाया जा सके। प्रस्तुत शोध पत्र में ग्रामीण विकास में मनरेगा जैसी योजनाओं का
विस्तार से अध्ययन करना अत्यन्त आवश्यक है। जिससे यह मालूम किया जा सके कि मनरेगा
के द्वारा गाँव के लोगों को जो रोजगार मिला है उस रोजगार से कृषि के क्षेत्र में
कितना योगदान प्राप्त हुआ है तथा अभी कितना बाकी है। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | After the country's independence, the biggest challenge was the social, economic, cultural and political development of the country. Accomplishing all these developments was not an easy task. After the independence of the country, five-year plans were started for rural development in the country. So that the people of the villages can also develop their skills and get employment, thereby empowering the rural environment. In the presented research paper, it is very important to study in detail the schemes like MNREGA in rural development. So that it can be known how much contribution has been made in the field of agriculture by the employment provided to the village people through MNREGA and how much is still left. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | मनरेगा, श्रमिक सुरक्षा, रोजगार सृजन, मजदूरी दर, बागवानी, ग्रामीण अर्ध बेराजगारी। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | MNREGA, Labor Protection, Employment Generation, Wage Rates, Horticulture, Rural Underemployment. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना | हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो‘‘ इसका मतलब हुआ कि हर मजदूर जो कि काम की इच्छा रखता है, उसे काम दो तथा उस काम के बदले में जो भी पारिश्रमिक दी जा रही है उसकी
सहमति अनिवार्य है। मनरेगा का प्रमुख उद्देश्य एक अधिनियम बनाना एवं वैधानिक
प्रक्रिया के अन्तर्गत उसे रोजगार देना है। मनरेगा को अधिनियम का दर्जा प्राप्त
होते ही ग्रामीण मजदूरों को स्थायी रोजगार मिलने लगा। 23
अगस्त 2005 को लोक सभा में ध्वनि मत से पारित होने वाले इस
अधिनियम को 2 फरवरी 2006 को सर्वप्रथम
देश के 200 जिलों में लागू किया गया। वर्तमान समय में इसका
विस्तार देश भर में व्याप्त हो गया है। इस समय इसका नाम महात्मा गाँधी के नाम से
कर दिया गया है। देश जब स्वतन्त्र हो गया
उसके बाद अनेकों योजनाओं का शुभारम्भ किया गया ताकि जल्द से जल्द देश का विकास हो सके
और देश विकासशील देश की श्रेणी में आ सके। इस योजनाओं में देश की पंचवर्षीय योजनाओं
का युग रहा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत देश के हर ग्रामीण परिवारों को कम से कम 100 दिन का गारन्टी युक्त रोजगार उपलब्ध करना इसका लक्ष्य था। कुछ दिन बीतने
के बाद वर्ष 2012 -13 में 100 दिन के
लक्ष्य को बढ़ाकर 150 दिन कर दिया गया है। इस कार्यक्रम में
महिला अकुशल मजदूरों के लिए प्राथमिकता के आधार पर रोजगार देने की बात की गयी। इस
योजना को काम के बदले अनाज कार्यक्रम के साथ जोड़ा गया। इसके बाद इसके विस्तार को
आगे बढ़ाते हुए देश के 330 जिलो में लागू कर दिया गया। मनरेगा
केन्द्र सरकार का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन
व्यक्तियों का समावेशी विकास को बढ़ावा मिल सकें। मनरेगा कार्यक्रम के तहत 2009-10 एवं 2012-13 के लिए क्रमशः 39,100 करोड़ एवं 43,009 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया
जिसे 2016-17 में बढ़ाकर 48,000 करोड़
रुपये कर दिया गया। |
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. कृषि क्षेत्र में मनरेगा योजना
के द्वारा हुए आर्थिक एवं सामाजिक विकास का अध्ययन 2. कृषि क्षेत्र में मनरेगा द्वारा
किए गये रोजगार सृजन का अध्ययन 3. ग्रामीण जीवन में मनरेगा के
द्वारा कृषि में परिसम्पत्तियों के निर्माण का अध्ययन |
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साहित्यावलोकन | कोई भी शोध अध्ययन तब तक पूरा नहीं होता जब तक कि सम्बन्धित
विषय पर विद्वानों की राय को न समझा जाए इसके लिए सम्बन्धित साहित्य का विश्लेषण
करना आवश्यक हो जाता है इसके लिए शोधकर्ता ने साहित्य का पुनरावलोकन किया जो
निम्नलिखित हैः- सुशान्त कुमार मिश्रा (2011) ने एक शोध अध्ययन किया अध्ययन
के दौरान पाया कि मनरेगा से कृर्षि के क्षेत्र में सम्पत्तियों के पुनर्निर्माण में
जो बाधाएं उत्पन्न हो रही थी अब वह खत्म हो चुकी है। अध्ययन से इस बात को बल मिला है
कि किसानों की गृहस्थी में प्रगति हुई है, जबकि फसलों के
उत्पादन में वृद्धि हुई है इसके कारण किसानों के जीवन स्तर में सुधार का अवसर
प्राप्त हुआ है पाण्डा सान्तनु और अरूप मजूमदार (2013) अपने
अध्ययन का वर्णन करते हुए लिखा है कि कृषि के क्षेत्र में ग्रामीणों के विकास में
मनरेगा ने महत्वपूर्ण प्रगति दिलाने का प्रयास किया है उनकी आजीविका के साधनों में
वृद्धि हुई है तथा शहरों की तरफ पलायन की प्रवृत्ति में कमी आई है। बाल श्रमिक
की संख्या में कमी आयी है। गरीबी उन्मूलन को बल मिला है। ग्रामीण शहरों के निर्माण
में आने वाली समस्याएं खत्म हो रही है, स्वच्छ पेय जल की
आपूर्ति हो रही है तथा ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने वालें कार्यक्रमों में विकास
हुआ है। मल्लिकार्जुन राव (2013) के अपने अध्ययन की समीक्षा
करते हुए बताया कि मनरेगा ने ग्रामीण बेरोजगारी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई है, खास कर जब जब कि सूखा या बाढ़ की स्थिति उत्पन्न
हुई है, इससे ग्रामीणों के क्रय शक्ति में वृद्धि हुई,
आवश्यक वस्तुओं के निर्माण में बल मिला कुटीर उद्योगों का विकास हुआ। |
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मुख्य पाठ |
अधिनियम और रोजगार गारन्टी- इस अधिनियम में रोजगार
की गारन्टी निम्न प्रकार दी गयी हैः- 1. प्रत्येक परिवार के अकुशल मजदूर जो कि कार्य करने की इच्छा शक्ति
रखते हैं प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम 150 दिन के
रोजगार की गारन्टी देता है इस प्रकार प्रत्येक परिवार का वयस्क सदस्य इस अधिनियम
में 150 दिन का रोजगार माँगने का हकदार है। 2. इसके तहत परिवार का पंजीकरण होना आवश्यक है और पंजीकृत परिवार के
लिए ‘‘जॉब कार्ड‘‘ दिया जाएगा। यह जॉब कार्ड ग्राम के पंचायत
द्वारा जारी किया जाएगा। 3. यह जॉब कार्ड फोटो युक्त होगा जिसमें मुखिया का नाम एवं सदस्यों की
संख्या एवं नाम अंकित होगा। यह कार्ड 5 वर्ष लिए वैध होगा। 4. आवेदन अथवा रोजगार माँग करने के 14 दिन के
अन्दर ग्राम पंचायत द्वारा रोजगार दिया जाना आवश्यक है। 5. राज्य कृषि श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी दी जाएगी 6. यह कार्य आवेदनकर्ता के निवास स्थान से 5 किलोमीटर
की परिधि के भीतर दिया जाएगा। यदि उसके बाहर काम दिया गया तो 10 प्रतिशत अतिरिक्त मजदूरी देनी पड़ेगी। 7. प्रत्येक कार्य स्थल पर स्वच्छ पीने योग्य पानी, विश्राम स्थल एवं प्राथमिक उपचार के लिए चिकित्सा पेटी उपलब्ध कराई जाएगी 8. श्रमिकों के साथ बच्चे आते हैं और उन बच्चों की संख्या 5 या उससे आधिक हो तो किसी व्यक्ति को बच्चों की देखभाल करने की जिम्मेदारी
मिलेगी इसका भुगतान अन्य श्रमिकों के भुगतान के बराबर होगा। मनरेगा द्वारा कृषि में योगदान- सरकार ने देश भर
के सभी किसानों को मनरेगा के माध्यम से उनकी आय को दो गुनी करने का लक्ष्य रखा है।
इसके लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। फसल बुआई से पूर्व एवं फसल कटाई के पश्चात
किसानों की आय में सुधार के लिए मनरेगा के द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे है इसमें जलसंरक्षण,
ग्रामीण हाट, वर्मी कम्पोस्ट, खेतों की मेड़बन्दी, बाजार का निर्माण नकदी फसल को
बाजार तक ले जाने के लिए सुगम रास्ते का निर्माण पर बल दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त
कृषि में संकट जैसे बाढ़, सूखा आदि से निपटने के लिए कार्य
योजना का निर्माण तैयार करने के लिए समितियों की बैठक आहूत की गयी। इसके आलावा
निम्नलिखित कार्य किए गए हैं- मनरेगा और ग्रामीण हाट बाजार- किसानों को उनकी
उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए मनरेगा के अन्तर्गत ग्रामीण हाट की व्यवस्था की गयी
जिसमें किसान अपने फसल को एक निश्चित स्थान पर बेच सके एवं उचित मुनाफा प्राप्त कर
सके ‘इसके लिए कृषि अधिकारियों की सहायता से ‘‘विलेज
नालेज सेन्टर’’ बनाए गये हैं, इसके लिए
किसानों से विकास परियोजनाओं के निर्माण में कृषि योग्य भूमि के लिए जाने पर उचित
मुआवजा देने की बात की गयी है। मनरेगा और जल संरक्षण-ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे टैंक
बनाने की योजना भी मनरेगा के अन्तर्गत की गयी है। इन टैंकों के आस पास घास लगवाएं
जाएंगे ये घास अपने आस-पास पानी को इकट्ठा कर लेंगें और फसलों के आस पास नमी
बरकरार रहेगी और फसल को कम पानी देना पड़ेगा। मनरेगा और एग्रो-फार्मिग- मनरेगा के तहत किसानों को एग्रो
फारेस्टिंग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है इसके अन्तर्गत किसान अपनी फसलों के
साथ-साथ बाँस,
सागौन, महोगनी आदि। पेड़ों की व्यवस्था मनरेगा
के तहत की जा रही है जिसमे किसानों को दोगुना फायदा मिल सके। इससे पानी एवं खाद की
सप्लाई हो जाती है मनरेगा और वर्मी कम्पोस्ट- किसानों की फसल
पैदा करने वाली लागत में कमी लाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट की व्यवस्था की जा रही
है। इसके किए गाय एवं भैंस पालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इनसे पैदा हुए
गोबर को खेत में फेंक कर खेती की लागत को कम किया जा रहा है। गोबर के खाद में
आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद रहते है। ये सूक्ष्म तत्व पौधे आसानी से अवशोषित
कर लेते हैं। मनरेगा और मछली पालन- नीली क्रान्ति योजना के अन्तर्गत जो किसान
अपने खेत में मत्स्य पालन के लिए तालाब का निर्माण करवाने की इच्छा रखता है उसके लिए मनरेगा के अन्तर्गत तालाब का निर्माण करवाया जा रहा है। इसके अलावा फिश फिड खरीदने, कल्चर
प्रोग्राम मछली को बाजार तक पहुँचाने के लिए परिवहन की व्यवस्था की जा रही है। |
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विश्लेषण | शोध प्राविधि प्रस्तुत
शोध अध्ययन के लिए साक्षात्कार अनुसूची का निर्माण किया गया जिसको पूरित करने के
लिए 100 किसानों से सम्पर्क किया गया। पूरित किए गये साक्षात्कार अनुसूची के माध्यम से
विश्लेषण करके उद्देश्यों तक पहुँचने का प्रयास किया गया। इसका विश्लेषण निम्न
प्रकार हैः- सारणी सं0 1.1
सारणी सं0 1.1 के विश्लेषण
से स्पष्ट है कि न्यादर्श में सम्मिलित किए गये सर्वाधिक 78 प्रतिशत का मानना है
कि खेतों की मेड़बन्दी के लिए मनरेगा के द्वारा सुविधाएं दी जा रही है। 75 प्रतिशत
का मानना है कि तालाब की खुदायी के लिए मनरेगा से सुविधा प्राप्त होती है, 69 प्रतिशत का मानना है कि मनरेगा से नकदी फसलों की बुआई के
लिए सुविधा दी जाती है, शत प्रतिशत का मानना है कि ग्रामीण सड़कों की
मरम्मत एवं निर्माण कार्य मनरेगा से ही होता है, इसके अलावा केंचुआ पालन, एग्रो फार्मिंग
एवं वर्मी कम्पोस्ट क्रमशः 72,74 एवं 73 प्रतिशत सुविधाएं मनरेगा से प्राप्त होने
लगी है। अतः स्पष्ट है कि मनरेगा से
कृषि क्षेत्र में दी जाने वाली सुविधाएं एक बड़ी उपलब्धि हैं, इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि उनके जीवन स्तर
को ऊंचा करने में यह आय कारगर साबित होगी। सारणी सं0 1.2 प्राकृतिक आपदा
से हुई क्षति की पूर्ति मनरेगा द्वारा की जाती है का विवरण
सारणी संख्या 1.2 के
विश्लेषण से प्रतीत होता है कि न्यादर्श में शामिल किए गये सभी उत्तरदाताओं का मत
है कि प्राकृतिक आपदा के समय मनरेगा द्वारा किसी भी प्रकार की सुविधाएँ नहीं मिलती
है अतः स्पष्ट है कि इस प्रकार
की कमियों से ग्रामीण विकास में बाधा आ सकती है अतः सरकार को इस बात पर सुनिश्चित
होना चाहिए और प्राकृतिक आपदा के समय कुछ सुविधाएं कृषि के लिए दी जानी चाहिए। सारणी क्षेत्र
1.3 मनरेगा से कृषि
को दी जाने वाली सुविधाओं का विवरण
सारणी संख्या 1.3 के विश्लेषण से स्पष्ट है कि न्यादर्श मे लिए गये सर्वाधिक 50 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मत है कि मनरेगा द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी लोगों से प्राप्त होती है, 20 प्रतिशत का मानना है कि यह बात कृषि विकास अधिकारी मिटिंग के माध्यम से हम लोगों को बताता है जबकि 30 प्रतिशत का मानना है कि इसकी जानकारी प्रचार-प्रसार की सुविधाएं बढ़ने से जानकारी प्राप्त होती है। |
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निष्कर्ष |
अतः स्पष्ट है कि
मनरेगा द्वारा कृषि के क्षेत्र में दी जाने वाली सुविधाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं,
यह एक अच्छी पहल है। |
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भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव | मनरेगा कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने वाला एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसमें किसानों की आयु को दोगुनी करने के लिए सरकार ने कुछ कार्यक्रमों का संचालन किया है, हालॉकि सरकार द्वारा उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है फिर भी कुछ आवश्यक सुझाव निम्न प्रकार हैः- 1. मनरेगा कार्यक्रम में वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टचार तमाम कोशिश के बावजूद विद्यमान है। इसे खत्म होना चाहिए। 2. मनरेगा से कृषि से सम्बन्धित और भी कार्यक्रमों जैसे -में भी सहयोग करना चाहिए जिससे किसानो की आय में और भी वृद्धि हो सके। 3. मनरेगा द्वारा कार्य के क्षेत्र में और अधिक निवेश की आवश्यकता है। 4. महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाय, क्योंकि इस क्षेत्र मं 50 प्रतिशत महिलाएं है। 5. नकदी फसलों के लिए केवल निराई-गुडाई के लिए सुविधाएं दी जाती है इसको विस्तार करके कीटनाशक एवं पौधों की नर्सरी बनाने की सुविधाएं दी जाय। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. डा० सुमाथी (2016) ‘‘मनरेगा के द्वारा कृषि का विकास” एक सूक्ष्म
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