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नई शिक्षा नीति 2020 का उच्च शिक्षा एवं स्कूल शिक्षा पर प्रभाव |
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Impact of New Education Policy 2020 on Higher Education and School Education | |||||||
Paper Id :
18162 Submission Date :
2023-10-06 Acceptance Date :
2023-10-20 Publication Date :
2023-10-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.10017518 For verification of this paper, please visit on
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सारांश |
भारत सरकार द्वारा
घोषित नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) दुनिया
भर में फैली नकारात्मकताओं के बीच एक स्वागत योग्य
बदलाव है। एनईपी 2020 की घोषणा कई लोगों के लिए पूरी तरह
से अप्रत्यासित थी। एनईपी 2020 ने जिन
बदलावों की सिफारिश की है, वे कुछ ऐसे थे कि जिन्हे कई शिक्षाविदों,
विद्वानों ने कभी आते हुए नही देखा था। एनईपी 2020 ने स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा को विशेष
रूप से प्रभावित किया है। इसका मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति 2020 का उच्च शिक्षा पर इसके प्रभाव पर
केन्द्रित है। यह पेपर एनईपी की मुख्य उद्देश्यों, विशेषताओं
एवं महत्व को रेखांकित करता है और विश्लेषित करता है कि पुरानी शिक्षा प्रणाली को
नई शिक्षा प्रणाली कैसे प्रभावित करते। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The New Education Policy (NEP 2020) announced by the Government of India is a welcome change amid the negativity spread across the world. The announcement of NEP 2020 was completely unexpected for many. The changes recommended by NEP 2020 were such that many educationists and scholars had never seen them coming. NEP 2020 has particularly affected school education and higher education. Its main objective focuses on the impact of the New Education Policy 2020 on higher education. This paper outlines the main objectives, features and significance of NEP and analyzes how the new education system impacts the old education system. | ||||||
मुख्य शब्द | नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020), उच्च शिक्षा एवं स्कूल शिक्षा। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | New National Education Policy (NEP 2020), Higher Education and School Education. | ||||||
प्रस्तावना | भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली के सामने आने वाली मुख्य समस्याओं में योग्यता को
अलग करना, प्रारंभिक विशेषज्ञ और प्रतिबंधित अनुसंधान क्षेत्रों में छात्राओं का प्रवेश, अधिकांश विश्वविद्यालयों और स्कूलों में अनुसंधान पर कम ध्यान देना समय और बहु-विषयक
शिक्षा को सभी मानवीय क्षमताओं में मानसिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और
नैतिक में सुधार करने के लिए एकीकृत तरीके से प्रयास करना चहिए। दीर्घावधि में ऐसी
व्यापक शिक्षा चिकित्सा, तकनीकी और व्यावसायिक विषयों सहित सभी स्नातक पद्वति के लिए है। छात्रों के
लिए सीखने पढ़ने का माहौल और समर्थन एक दृष्टिकोण प्रदान करता है, जिसमें पर्याप्त
पाठ्यक्रम, इंटरैक्टिव शिक्षा लगातार रचनात्मक मूल्याकंन और छात्राओं के लिए पर्याप्त
समर्थन शामिल है। |
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अध्ययन का उद्देश्य | इस अध्ययन का
प्राथमिक उद्देश्य उच्च शिक्षा एवं स्कूल शिक्षा पर नई शिक्षा नीति 2020
के प्रभाव का अध्ययन करना है। इस शोध का अध्ययन एनईपी की मुख्य
उद्देश्यों, विशेषताओं एवं महत्व को रेखांकित करता है और
विश्लेषित करता है कि पुरानी शिक्षा प्रणाली को नई शिक्षा प्रणाली कैसे प्रभावित करती है। |
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साहित्यावलोकन | राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) भारत के लोगों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा बनाई गई एक नीति है। यह नीति स्कूल एवं कॉलेजों में प्रारंभिक शिक्षा को कवर करती हैं। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है सिखाने की क्रिया। इस प्रकार हम कह सकते है कि किसी भी समाज में चलने वाली वह निरंतर प्रक्रिया जिसका उद्देश्य इंसान की आन्तरिक शक्तियों का विकास करना और उसके व्यवहार में सुधार लाना है। शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य ज्ञान और कौशल में वृद्धि कर मनुष्यों को योग्य बनाना है। आजादी के बाद भारत में पहली शिक्षा नीति सन 1986 में बनाई गई थी जो मुख्यतः लॉर्ड मैकाले की अंग्रेजी प्रधान शिक्षा नीति पर आधरित थी। इसमें सन 1992 में कुछ संशोधन भी किए गए किन्तु इसका ढाँचा मूलतः अंग्रेजी माध्यम शिक्षा पर केंद्रित रहा। सन 1986 की वह शिक्षा नीति में कुछ खामियां है इसके तहत ज्ञान तो हासिल हो रहा है, किन्तु यह ज्ञान भविष्य में रोजगार के अवसर पैदा करने योग्य नही बन पा रहा है।अतः इन कमियों को दूर करने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) की आवश्यकता पड़ी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) 21वी शताब्दी की ऐसी पहली शिक्षा नीति है, जिसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिए आने वाली आवश्यकताओं को पूरा करना है। यह नीति भारत की परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों को बरकरार रखते हुए 21 वीं सदी की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्य, जिसके अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था उसके नियमों का वर्णन सहित सभी पक्षों के सुधार्र आर पुनर्गठन का प्रस्ताव रखता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा से न केवल साक्षरता, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा स्तर की तार्किक और समस्या समाधान संबंधित संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास होना चहिए।[1] राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) जिसे 29 जुलाई 2020 को भारत के केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था, यह नीति प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के साथ-साथ स्कूल शिक्षा और ग्रामिण, शहरी दोनों क्षेत्रों में भारत में व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिय एक व्यापक रूपरेखा है। नई शिक्षा नीति का लक्ष्य 2021 तक भारत की शिक्षा प्रणाली को बदलना है। एनईपी में भाषा नीति प्रकृति में एक व्यापक दिशानिर्देश और सलाह है, और कार्यान्वयन पर निर्णय लेना राज्यों, संस्थाओं और स्कूलों पर निर्भर है। एनईपी 2020 कई अधिनियम बनाता हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के तहत केन्द्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा पर व्यय को सकल घरेलू उत्पाद को 6% करना है। जनवरी 2015 में पूर्व कैबिनेट सचिव टी.एस.आर. सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक समिति ने नई शिक्षा नीति के लिए परामर्श प्रक्रिया शुरू की, नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिए जून 2017 में पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, इस समिति ने मई 2019 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा प्रस्तुत किया। बाद में मानव विकास मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था, जिसके बाद कई सार्वजनिक परामर्श हुए। ड्राफ्ट एनईपी में484 पेज थे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक भारत केन्द्रित शिक्षा प्रणाली की कल्पना करती है जो सभी को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करके हमारे राष्ट्र को एक समान और जीवंत ज्ञान समाज में बदलने में सीधे योगदान देती है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लक्ष्य ऐसे व्यक्तियों का विकास करना जो उत्कृष्ठ, विचारशील, सर्वागींण विकास रचनात्मक हो।[2] |
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सामग्री और क्रियाविधि | यह शोध एक वर्णात्मक अध्ययन है। इस शोध में प्राथमिक एवं माध्यमिक डेटा पुस्तकों, भारत सरकार की वेवसाइट, पत्रिकाएं, जर्नलस आदि से लिया गया है। और इस शोध के निष्कर्षों को प्राप्त करने के लिए डेटा का विश्लेषण और समीक्षा किया गया है। |
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विश्लेषण | एनईपी से संबंधित स्कूल शिक्षा की विशेषता नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) को स्कूल स्तर से लेकर कॉलेज/विश्वविद्यालयों स्तर तक प्रणाली में बदलाव को औपचारिक बनाने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया गया है। इस नीति में प्रतावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठयेतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नही होगा। 1. कक्षा 6 से ही शैक्षणिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को षामिल कर दिया गया जिसमें इंटर्नशिप की भी व्यवस्था है। 2. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् NCERT द्वारा स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जायेगी। 3. छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10, कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किया गया है,इसमें भविष्य में सेमेस्टर या बहुविल्पीय प्रश्न आदि को शमिल किया गया है। 4. छात्रों की प्रगति के मूल्याकंन के लिए मानक- निर्धारक निकाय के रूप में परख नामक नए राष्ट्रीय आंकलन केन्द्र की स्थापना की गई है। एनईपी से संबंधित उच्च शिक्षा की विशेषता नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में सकल नामाकंन अनुपात को 26.3% से बढ़ाकर 50% तक रखने तक लक्ष्य रखा गया, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नये सीटों को जोड़ा गया है। 1. एनईपी- 2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण सुधार किया गया है, इसमें मल्टीपल एंट्री एवं एग्जिट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई पाठ्यक्रम को छोड सकेंगें और उन्हें उसी के अनुरुप डिग्री या प्रमाण पत्र दिये जाएगा। 2. 1 वर्ष के बाद प्रमाण पत्र सर्टिफिकेट 3. 2 वर्ष के बाद डिप्लोमा 4. 3 वर्ष के बाद डिग्री 5. 4 वर्ष के बाद शोध के साथ स्नातक विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रुप से सुरक्षित रखनें के लिए एक अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट दिया जाएगा ताकि अलग अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सकते हैं। चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रुप में भारत उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रुप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India HECI)का गठन किया जाएगा। HECI के कार्यों को प्रभावी और प्रदर्शितापूर्ण निष्पादन के लिये चार संस्थानों/निकायों का निर्धारण किया गया हैं- 1. विनियमन हेतु- National Higher Education Regulatory Council – NHERC 2. मानक निर्धारण- General Education Council – GEC 3. वित पोषण- Higher Education Grants Council – HEGC 4. प्रत्यायन- National Accreditation Council – NAC शिक्षा के क्षेत्रों में क्रेडिट - आधारित पाठ्यक्रम और परियोजनाएं शिक्षा के क्षेत्रों में क्रेडिट- आधारित पाठ्यक्रम और परियोजनाएं भी होगी। पर्यावरण शिक्षा में ऐसे क्षेत्र शामिल होगे जैसे जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता, जैविक विविधता का संरक्षण, जैविक संसाधनों और जैव विविधता का प्रबंधन, वन और वन्यजीव संरक्षण, और सतत विकास और जीवन मूल्य आधारित शिक्षा में मनवतावादी, नैतिकका विकास शामिल होगा। |
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निष्कर्ष |
नई शिक्षा नीति
बदलावों की एक पूरी श्रृंखला प्रस्तुत करती हैं और वर्तमान सामाजिक आर्थिक
परिद्रश्य और भविष्य की अनिश्चिताओं की संभावना पर मजबूत पकड़ के साथ काफी हद तक एक
बहुत ही प्रगतशील दस्तावेज के रुप में पढ़ी जाती हैं। नई पीढ़ी के शिक्षार्थियों के
लिये शिक्षा को अनिवार्य रुप से अर्थव्यवस्थाओं के बढ़तें डिमटेरियलाइजेशन और
डिजिटलाइजेशन के साथ जोड़ना होगा। यह भारतीय मूल्यों से विकसित शिक्षा प्रणाली हैं
जो सभी को उच्च गुणवत्ता शिक्षा उपलब्ध कराकर भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति
बनाकर भारत को एक जीवंत समाज में बदलने के लिये प्रत्यक्ष रुप से योगदान करेगी। इस
नीति का विजन छात्रों में भारती होने का गर्व, केवल
विचार में नहीं बल्कि व्यवहार, बुद्धि और कार्यों के साथ
ज्ञान कौशल, मूल्यों एवं सोच में भी होना चाहिए नई शिक्षा
नीति में एक सराहनीय दृष्टिकोण हैं, लेकिन इसकी ताकत इस
बात पर निर्भर करती हैं कि यह डिजिटल इण्डिया जैसी सरकार की अन्य नीतिगत पहलों के
साथ प्रभावी ढ़ग से एकीकृत हो पाती हैं कि नहीं। एनईपी में वास्तविक समय मूल्याकंन
प्रणालियों और एक परामर्षात्मक निगरानी और समीक्षा ढाँचे के लिये प्रावधान किया
गया हैं। यह शिक्षा प्रणाली को पाठ्यक्रम में बदलाव के लिये हर दशक में एक नई
शिक्षा नीति की उपेक्षा करने के बजाय लगातार सुधार करने के लिये सशक्त बनायेगा।
यह अपने आप में एक उल्लेखनीय उपलब्धि होगी। एनईपी अनिश्चिताओं 2020 उच्च शिक्षा के लिये निर्णायक क्षण हैं जो प्रभावी और गहन कार्यान्वयन
ही इसे वास्तव में पथ-प्रदर्शक बना देगा। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. पी.एस. ऐथल, शुभ्रज्योत्सना, (2019) "भारतीय राष्ट्रीय
शिक्षा नीति प्रस्ताव 2019 में उच्च शिक्षा का विश्लेषण और इसके कार्यान्वयन की चुनौतियॉ" एप्लाइड इनजीनियरिंग
और प्रबंधन पत्रों के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल 14.2667 2. डॉ. एस.पी. गुप्ता डा. अलका
गुप्ता (2020) "राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020"
शारदा पुस्तक भवन प्रयागराज। 3. नंदनी, ईडी. (29 जुलाई 2020) "नई शिक्षा नीति 2020 में स्कूली और उच्च
शिक्षा पर बडे बदलाव" हिन्दुस्तान टाइम। 4. कृष्णा, अतुल (29 जुलाई 2020) "नई शिक्षा नीति 2020 स्कूल और उच्च शिक्षा में
प्रकाश" एन.डी.टी.वी। 5. https://www.org/expert-speak /national
-education -policy-2020-on. 6. https://bweducation.businessworld.in/article/NEP-2020-Impact-On-Higher-Education/07-08-2020.
7. https://timesofindia.indiatimes.com/readersblog/theaitics/implications-of-the-national.educationpolicy-2020-on-higher-education-in-india-2-24729/. |