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जनपद सम्भल में
अद्यः संरचनात्मक विकास का स्तर एवं प्रतिरूप - एक भौगोलिक विश्लेषण |
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Level and Pattern of Recent Structural Development in Sambhal District - A Geographical Analysis | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
18208 Submission Date :
2023-10-13 Acceptance Date :
2023-10-22 Publication Date :
2023-10-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.10393932 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/shinkhlala.php#8
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सारांश |
ग्रामीण आधारभूत संरचना का
विकास सुविधा केन्द्रों के विकसित होने से होता है। इन सुविधाओं के विकास में
यातायात एवं परिवहन सुविधाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जिस तीव्र गति से जनसंख्या
में वृद्धि हो रही है, उसको सुविधाएँ प्रदान करने हेतु सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक इत्यादि सुविधाएँ विकसित की जा रही है, जिससे अद्यः संरचनात्मक विकास के स्तर में विविधता देखने को मिलती है, जिसका सम्बन्ध संसाधनों की उपलब्धता तथा गुणवत्ता से है।
ग्रामीण क्षेत्र को नगरों से जोड़ने के लिए यातायात एवं परिवहन सुविधाओं को विकसित
किया जा रहा है, जिससे नगरों पर जनसंख्या का दबाव कम हो सके।
गाँवों एवं नगरों के मध्य नगरीय स्तर की सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं, जिससे छोटे-छोटे कस्बों की उत्पत्ति हो रही है। इसके साथ ही
रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हो रही है। सामाजिक एवं आर्थिक सुविधा केन्द्रों
के विकसित होने से न केवल ग्रामीण अर्थ व्यवस्था का विकास हो रहा है, बल्कि गाँवों से नगर की ओर को होने वाला पलायन भी कम हो रहा
है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी उच्च स्तर की सुविधाएँ विकसित हो रही हैं, जिससे अद्यः संरचनात्मक विकास को गति प्राप्त हुई है। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The development of rural infrastructure takes place through the development of facility centres. Traffic and transportation facilities play an important role in the development of these facilities. To provide facilities to the rapid pace at which the population is increasing, social, cultural, economic etc. facilities are being developed, due to which diversity is seen in the level of structural development, which is related to the availability and quality of resources. Transport and transportation facilities are being developed to connect rural areas with cities, so that population pressure on cities can be reduced. Urban level facilities are being developed between villages and cities, due to which small towns are being born. Along with this, employment opportunities are also increasing. With the development of social and economic facilities, not only the rural economy is developing, but migration from villages to cities is also decreasing. High level facilities are also being developed in rural areas, due to which infrastructural development has gained momentum. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | अद्यः संरचनात्मक, विकास, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन, सुविधा केन्द्र। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Recent Structural, Development, Rural Economy, Socio-Economic Change, Facilitation Centre. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना | स्वतन्त्रता प्राप्ति के
पश्चात् ग्रामीण भारत में आधारभूत संरचना का विकास तीव्र गति से हुआ है। इस विकास
को गति 1990 के पश्चात् मिली। 1990 के पश्चात् अद्यः संरचनात्मक विकास में कई गुना
वृद्धि हुई है। इसके लिए भारत सरकार ने ग्रामीण स्तर पर आधारभूत सुविधाएँ विकसित
करने के लिए 1951 से पंचवर्षीय योजनाएँ तथा विभिन्न विकासात्मक कार्यक्रम प्रारम्भ
किये हैं। इन मानव कल्याणकारी योजनाओं ने अद्यः संरचनात्मक विकास की आधारशिला रखकर
सेवा केन्द्रों को विकसित करने का कार्य किया है। सेवा केन्द्रों के विकसित होने
से न केवल प्रभाव क्षेत्र का विकास होता है बल्कि भूमि उपयोग प्रतिरूप भी तीव्र
गति से बदलता है। इस बदलाव के लिए जनसंख्या का आकार एवं कार्य जिम्मेदार होते हैं, जिन क्षेत्रों में सेवा केन्द्रों का अभाव होता है। वहां पर
अद्यः संरचनात्मक विकास का स्तर निम्न होता है, जबकि सेवा केन्द्रों का उच्च संकेन्द्रण वाले क्षेत्र में अद्यः संरचनात्मक
विकास का स्तर उच्च होता है। यातायात एवं परिवहन सुविधाओं के विकसित होने से अद्यः
संरचनात्मक विकास की दर में वृद्धि होती है। यह सुविधाएँ भौतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं
सांस्कृतिक विकास को गति प्रदान करती हैं। |
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. जनपद सम्भल में सेवा
केन्द्रों के विकास का स्तर तथा उन पर जनसंख्या निर्भरता का मूल्यांकन करना। 2. जनपद सम्भल में सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े क्षेत्रों की पहचान कर समन्वित विकास हेतु नियोजन प्रस्ताव तैयार करना। 3. जनपद सम्भल में अद्यः संरचनात्मक विकास के कारकों का परीक्षण करना तथा उनके विकास को अवरूद्ध करने वाले कारकों की पहचान कर विकास की रणनीति तैयार करना। |
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साहित्यावलोकन | ग्रामीण आधारभूत संरचना के
विकास के सन्दर्भ में अनेक विद्वानों ने अनुसंधान का कार्य किया है। इनके द्वारा
किये गये कार्यों का वर्णन निम्न प्रकार से दर्शाया गया है- खान एवं खान (2010) ने
ग्रामीण विकास में बाजारों की भूमिका तथा उनकी उत्पत्ति के कारकों का वर्णन अपने
अनुसंधान कार्य में किया। इन्होंने ग्रामीण संरचना के विकास में बाजारों की वृद्धि
को दर्शाया। इनके विकास का प्रभाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तीव्र गति से परिवर्तित
करता है। हेब्वर (2011) ने उत्तरी कर्नाटक जनपद के अद्यः संरचनात्मक विकास के
सन्दर्भ में अपना शोध कार्य किया। इन्होंने ग्रामीण आधारभूत संरचना के विकास का
प्रमुख आधार वहां पर उपलब्ध मानवीय एवं आर्थिक कारकों को माना। जैन एवं सैनी
(2012) इन्होंने अपने अध्ययन में ग्रामीण आधारभूत संरचना के विकास को गति प्रदान
करने में बाजार को विकसित करने पर बल दिया। इनके द्वारा सड़क परिवहन की सुविधा
विकसित होती है। खान (2015) ने ग्रामीण आधारभूत संरचना के विकास में सेवा
केन्द्रों की उत्पत्ति को प्रमुख आधार माना। इन्होंने सेवा केन्द्रों के विस्तार
से ग्रामीण क्षेत्र को विकसित होना पाया तथा ग्रामीण क्षेत्र में छोटे सेवा
केन्द्रों की उत्पत्ति तथा उन पर जनसंख्या निर्भरता को व्यक्त किया। वेलगन (2014)
ने ग्रामीण बाजारों के विश्लेषण में जी॰आई॰एस॰ विधि का प्रयोग किया। इन्होंने
ग्रामीण संरचना को विकसित करने में साप्ताहिक बाजारों की भूमिका को स्पष्ट किया। खान
(2015) ने ग्रामीण बाजारों के विकास का प्रमुख कारण जनसंख्या मांग एवं परिवहन
संसाधनों के विकास को माना। यहां पर विकास की अपार संभावनाएँ निहित हैं, जिस कारण यहां पर दैनिक एवं साप्ताहिक बाजार विकसित हो रहे
हैं, जो ग्रामीण क्षेत्र को सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।
खान (2016) ने सेवा केन्द्रों की उत्पत्ति को विकास का प्रमुख आधार माना है। इनके
द्वारा सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गति मिलती है, जिससे आधारभूत संरचना का विकास होता है। खान एवं आसिफ (2017) इन्होंने अपना
शोध का कार्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बाजारों के उत्थान एवं विकास का स्थानिक
एवं कालिक संदर्भ में अध्ययन प्रस्तुत किया। इन्होंने अपने अध्ययन में पाया कि
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बाजारों का विकास तीव्र गति से हुआ है, जिस कारण से आधारभूत संरचना में तीव्र गति से विकास हो रहा
है। खान एवं आसिफ (2018) ने उत्तरी भारत में बाजारों के विकास का सामाजिक एवं
आर्थिक परिप्रेक्ष्य में अध्ययन प्रस्तुत किया। शाहू (2020) ने आधुनिक भारत में
ग्रामीण विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत किया। इन्होंने ग्रामीण विकास हेतु
कृषि की वर्तमान प्रणाली में परिवर्तन करने तथा समन्वित कृषि प्रणाली अपनाने हेतु
रणनीति विकसित की। मिश्रा (2021) ने अपना अनुसंधान का कार्य भारत में भूमि उपयोग
वर्गीकरण की विधियों के सन्दर्भ में प्रस्तुत किया। इन्होंने अपने अनुसंधान के
कार्य में पाया कि भूमि उपयोग में तीव्र गति से परिवर्तन जनसंख्या वृद्धि, यातायात एवं परिवहन सुविधाओं के विकास एवं औद्योगीकरण व
नगरीकरण के परिणाम स्वरूप हुआ है। सिसौदिया एवं सिंह (2022) ने अपने अध्ययन में
ग्रामीण विकास हेतु सिद्धांत, नीतियां एवं
प्रबंधन का वर्णन किया। दास (2023) ने ग्रामीण विकास के सन्दर्भ में ग्रामीण विकास
संकल्पना एवं प्रयोग एक परिचय नामक शीर्षक पर शोध कार्य प्रस्तुत किया। |
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परिकल्पना | 1. सेवा केन्द्रों का विकास जनसंख्या के दबाव तथा परिवहन सुविधाओं के विकास के कारण होता है। 2. नगरों की सीमा से सुदूरवर्ती क्षेत्र संसाधनों के अभाव एवं तकनीकी अभाव के कारण पिछड़ा हुआ है। 3. ग्रामीण क्षेत्रों का विकास कृषि तथा कृषि आधारित उद्योग-धन्धों के समन्वय पर आधारित है। |
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सामग्री और क्रियाविधि | प्रस्तुत शोध को पूर्ण करने
हेतु वर्णनात्मक शोध विधि का प्रयोग किया गया है। इसमें प्राथमिक एवं द्वितीयक
दोनों प्रकार के आंकड़ों का प्रयोग किया गया है। प्राथमिक आंकड़े अध्ययन क्षेत्र से
प्रश्नावली-अनुसूची का प्रयोग करके व्यक्तिगत साक्षात्कार विधि से एकत्र किये गये
हैं। इसके साथ ही साथ प्राथमिक आंकड़े एकत्र करने में अन्वेषण एवं पर्यवेक्षण
विधियों का भी प्रयोग किया गया है। द्वितीयक आंकड़े जिला सांख्यिकी पत्रिका जनपद
सम्भल, शोध पत्र, शोध ग्रंथ, समाचार पत्र, जिला गजेटियर्स तथा विभिन्न विभागों एवं
कार्यालयों की आख्या तथा विभिन्न वेबसाईटस से प्राप्त किये गये हैं। आंकड़ों को
प्रदर्शित करने हतु सारणीयन विधि तथा विभिन्न ग्राफों का प्रयोग किया गया है। शोध
समस्या के स्तर तथा प्रतिरूप को दर्शाने हेतु विभिन्न सांख्यिकीय विधियों का
प्रयोग किया गया है। |
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न्यादर्ष |
प्रस्तुत शोध पत्र को पूर्ण
करने हेतु 100 सेम्पल एकत्रित किये गये हैं। इन एकत्रित सेम्पल का चयन यादृच्छिक
विधि (Randomly) के द्वारा किया गया है। |
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विश्लेषण | शोध समस्याः- अध्ययन क्षेत्र जनपद सम्भल में ग्रामीण क्षेत्र में अद्यः संरचनात्मक विकास की दर बहुत धीमी है। यहां पर प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाया है। नगर से दूर जाने पर अद्यः संरचनात्मक विकास के स्तर में तीव्र गति से हृास होता है। ग्रामीण क्षेत्र में सुविधा केन्द्रों का अभाव बना हुआ है तथा उन पर जनसंख्या का उच्च संकेन्द्रण पाया गया है। उच्च जनसंख्या दबाव के कारण इन सेवा केन्द्रों का विस्तार नहीं हुआ है। यहां पर निम्न क्रम की सेवाएँ विद्यमान हैं, जिस कारण से आधारभूत संरचना विकास का स्तर निम्न है। तकनीकी के अभाव के कारण संरचनात्मक विकास अवरूद्ध हो रहा है। शोध का महत्वः- प्रस्तुत शोध ग्रामीण क्षेत्र में विद्यमान विकास के कारकों तथा उनकी उपयोगिता को दर्शाने का कार्य करती है। यह अद्यः संरचनात्मक विकास के असन्तुलित स्तर को दर्शाती है, जो नियोजन कर्ताओं के लिए विकास के लिए रणनीति विकसित करने में मदद करेगी। यह सेवा केन्द्रों की उपलब्धता तथा उन पर जनसंख्या के संकेन्द्रण को दर्शाती है, जिससे स्थानिक संगठन के विकास हेतु नियोजन की प्रक्रिया विकसित करने में मदद मिलेगी। यह अति पिछड़े क्षेत्रों की पहचान कराने में मदद करेगी, जिससे उस क्षेत्र के विकास हेतु नियोजन की प्रक्रिया को निर्मित किया जा सके। सेवा केन्द्रों का स्थानिक संगठन एवं वितरणः- अध्ययन क्षेत्र जनपद सम्भल में ग्रामीण क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के सेवा केन्द्र विकसित हैं, जो अपने निवासियों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान करते हैं। इनका विस्तार नगर एवं कस्बों के समीप तीव्र गति से हो रहा है, जबकि नगरीय क्षेत्र से दूर जाने पर इनके विकास की दर बहुत धीमी है। अध्ययन क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इनके वितरण का अध्ययन निम्न वर्गों में विभाजित कर किया गया है। (I) सामाजिक सेवा केन्द्र- इन सेवा केन्द्रों के अन्तर्गत शिक्षण संस्थाओं एवं चिकित्सकीय सेवाओं को सम्मिलित किया गया है। इनमें उच्च एवं निम्न क्रम की सेवाओं की उपलब्धता, उन पर जनसंख्या निर्भरता, प्रभाव क्षेत्र तथा अन्तरालन को ज्ञात करने का प्रयास किया गया है। इसके लिए ई॰सी॰ मेदर महोदय की ‘औसत अन्तरालन विधि’ का प्रयोग किया गया है, जो निम्नवत् है- Where, D = Distance between one service center to another (in km.) A = Total area (km2) N = No. of facilities 1.0746 is a constant value सारणी-1 जनपद सम्भल में सामाजिक सेवा केन्द्रों का स्थानिक संगठन (वर्ष 2021)
स्रोतः जिला सांख्यिकी पत्रिका जनपद सम्भल, वर्ष 2021 उपरोक्त सारणी के अनुसार
अध्ययन क्षेत्र जनपद सम्भल में वर्ष 2021 के अनुसार यहां पर प्राथमिक विद्यालयों
के मध्य औसत अन्तरालन (दूरी) 1.40 किमी॰, जनसंख्या निर्भरता 1325 तथा प्रभाव क्षेत्र 1.96 वर्ग किमी॰ प्राप्त हुआ है।
उच्च प्राथमिक विद्यालयों के मध्य औसत दूरी 2.10 किमी॰, औसत जनसंख्या निर्भरता 2965 तथा प्रभाव क्षेत्र 4.41 वर्ग
किमी॰ प्राप्त हुआ है। माध्यमिक विद्यालयों के मध्य औसत दूरी 3.92 किमी॰ जनसंख्या
निर्भरता 10367 एवं प्रभाव क्षेत्र 15.37 वर्ग किमी॰ प्राप्त हुआ है।
महाविद्यालयों के मध्य औसत दूरी 11.05 किमी॰, जनसंख्या निभ्ररता 82445 तथा प्रभाव क्षेत्र 122.10 वर्ग किमी प्राप्त हुआ है।
स्नातकोत्तर महाविद्यालयों के मध्य औसत दूरी 17.91 किमी॰, जनसंख्या निर्भरता 216417 तथा प्रभाव क्षेत्र 320.77 वर्ग
किमी॰ प्राप्त हुआ है। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के मध्य औसत दूरी 25.33 किमी॰, जनसंख्या निर्भरता 432834 तथा प्रभाव क्षेत्र 644.14 वर्ग
किमी॰ प्राप्त हुआ है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के मध्य औसत दूरी 22.66
किमी॰, औसत जनसंख्या निर्भरता एवं प्रभाव क्षेत्र
513.48 वर्ग किमी॰ प्राप्त हुआ है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के मध्य औसत दूरी
10.13 किमी॰, जनसंख्या निर्भरता 69253 एवं औसत प्रभाव क्षेत्र
102.62 वर्ग किमी॰ प्राप्त हुआ है। परिवार कल्याण केन्द्रों के मध्य औसत दूरी
25.33 किमी॰, जनसंख्या निर्भरता 432834 एवं प्रभाव क्षेत्र
641.60 वर्ग किमी॰ प्राप्त हुआ है। परिवार कल्याण उपकेन्द्रों के मध्य औसत दूरी
3.48 किमी॰, जनसंख्या निर्भरता 8167 तथा प्रभाव क्षेत्र
12.11 वर्ग किमी॰ प्राप्त हुआ है। (II) वित्तीय सेवा केन्द्र- वित्तीय सेवा केन्द्रों का विस्तार अद्यः संरचनात्मक विकास को गति प्रदान करता
है। यह सुविधाएँ सस्ती दर पर वित्त की आपूर्ति करती हैं, जिससे
विभिन्न प्रकार के संरचनात्मक ढांचे का निर्माण होता है, जैसे- आवास, उद्योग, सड़क इत्यादि। इनकी उच्च उपलब्धता आर्थिक विकास को गति प्रदान करती है।
अध्ययन क्षेत्र में उपलब्ध वित्तीय सुविधाओं के स्थानिक संगठन तथा उन पर जनसंख्या
निर्भरता को निम्न सारणी में दर्शाया गया है- सारणी-2 जनपद सम्भल में वित्तीय सेवा केन्द्रों का स्थानिक संगठन
(वर्ष 2021)
स्रोतः जिला सांख्यिकी पत्रिका जनपद सम्भल, वर्ष 2021 उपरोक्त सारणी के अनुसार अध्ययन क्षेत्र जनपद सम्भल में वर्ष 2021 के अनुसार वित्तीय सुविधा केन्द्रों के मध्य औसत अन्तरालन 3.59 किमी॰ तथा जनसंख्या निर्भरता 8700 एवं प्रभाव क्षेत्र 12.88 वर्ग किमी॰ प्राप्त हुआ है। इनमें राष्ट्रीयकृत बैंकों के मध्य औसत अन्तराल 9.57 किमी॰, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के मध्य 6.14 किमी॰ अन्य गैर राष्ट्रीयकृत बैंकों के मध्य 17.91 किमी॰, प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समितियों के मध्य 5.93 किमी॰, सहकारी बैंकों के मध्य 20.68 किमी॰, जिला सहकारी बैंकों के मध्य 15.27 किमी॰ तथा सहकारी कृषि एवं ग्राम्य बैंकों के मध्य औसत दूरी 22.65 किमी॰ पायी गयी है। इनमें सर्वाधिक प्रभाव क्षेत्र 513.02 वर्ग किमी॰ सहकारी कृषि एवं ग्राम्य विकास बैंकों का पाया गया है। जबकि सबसे कम प्रभाव क्षेत्र 35.16 वर्ग किमी॰ प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समितियों का पाया गया है। सामाजिक एवं आर्थिक विकास का स्तरः- अध्ययन क्षेत्र जनपद सम्भल में सामाजिक एवं आर्थिक विकास के स्तर को मापने हेतु z-score एवं composite z-score विधि का प्रयोग किया गया है। सामाजिक एवं आर्थिक विकास का परीक्षण साक्षरता (x1), लिंगानुपात (x2), स्वास्थ्य सुविधाएं (x3), वित्तीय सुविधाएं (x4), परिवहन सुविधाएं (x5), कृषि उत्पादकता (x6), चरों के आधार पर किया गया है। अध्ययन क्षेत्र जनपद सम्भल में सामाजिक एवं आथिक विकास का स्तर निम्न सारणी में दर्शाया गया है- उपरोक्त सारणी में अध्ययन क्षेत्र जनपद सम्भल का सामाजिक एवं आर्थिक विकास के स्तर को दर्शाया गया है, जिसमें सामाजिक एवं आर्थिक विकास का सर्वोच्च स्तर 1.75 विकास खण्ड असमोली तथा सबसे कम -1.83 जुनामई विकासखण्ड में पाया गया है। रजपुरा विकासखण्ड में सामाजिक एवं आर्थिक विकास का स्तर 0.64, गुन्नौर -0.24, सम्भल 1.44, पवांसा -0.66, बनियाखेड़ा -0.84 तथा बहजोई -1.21 प्राप्त हुआ है। यहां पर असमोली, सम्भल तथा रजपुरा विकासखण्ड में संसाधनों की उच्च उपलब्धता है तथा तकनीकी का स्तर उच्च है, जिस कारण से यहां पर सामाजिक एवं आर्थिक विकास का स्तर उच्च प्राप्त हुआ है। अद्यः संरचनात्मक विकास का स्तरः- अध्ययन क्षेत्र जनपद सम्भल में अद्यः संरचनात्मक विकास का स्तर z-score तथा composite z-score के आधार पर प्राप्त किया गया है। यहां पर अद्यः संरचनात्मक विकास के स्तर का मापन शिक्षण संसाधनों की उपलब्धता (x1), चिकित्सकीय संसाधनों की उपलब्धता (x2), वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता (x3), परिवहन सुविधाएं (x4), कृषि सुविधाएं (x5), बाजार सुविधाएं (x6), के आधार पर किया गया है। अद्यः संरचनात्मक विकास के स्तर को निम्न सारणी में दर्शाया गया है- उपरोक्त सारणी के अनुसार अध्ययन क्षेत्र जनपद सम्भल में अद्यः संरचनात्मक विकास का सर्वोच्च स्तर 1.85 विकासखण्ड असमोली तथा सबसे निम्न स्तर -1.93 विकासखण्ड रजपुरा में पाया गया है। यहां पर अद्यः संरचनात्मक विकास का उच्च स्तर सम्भल विकासखण्ड (1.79) तथा बनियाखेड़ा (0.83) में पाया गया है। यहां पर अद्यः संरचनात्मक विकास का निम्न स्तर गुन्नौर (-1.09), जुनामई (-1.65) तथा बहजोई (-0.58) में पाया गया है। यहां पर विकासखण्ड असमोली, सम्भल तथा बनियाखेड़ा में अद्यः संरचनात्मक विकास का स्तर उच्च होने का प्रमुख कारण परिवहन संसाधनों का विकसित होना तथा व्यापारिक गतिविधियों का विकसित होना है। समन्वित विकासात्मक गतिविधियों को अपनाने वाले कृषकः- ग्रामीण क्षेत्र का संरचनात्मक विकास समन्वित कृषि प्रणाली व औद्योगिक समन्वयन के कारण तीव्र गति से हो रहा है। तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या की भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विभिन्न प्रकार के संरचनात्मक कार्य निर्मित हो रहे हैं। इन गतिविधियों को अपनाने वाले कृषकों का एक सेम्पल सर्वे किया गया है, जो समन्वित विकासात्मक संरचना को विकसित करने का कार्य कर रहे हैं। इन्हें निम्न सारणी में दर्शाया गया है- सारणी-5 समन्वित विकासात्मक कार्यों को अपनाने वाले कृषकों का विवरण (सितम्बर-2023)
स्रोतः शोधार्थी द्वारा सर्वेक्षित आंकड़ों की गणना पर आधारित। उपरोक्त सारणी के अनुसार अध्ययन क्षेत्र से चयनित 100 सेम्पल के आधार पर समन्वित कृषि विकास हेतु कार्य करने वाले कृषकों में 35 प्रतिशत कृषक कृषि व पशुपालन का कार्य करते हैं। 16 प्रतिशत कृषक कृषि + पशुपालन + मत्स्यन का कार्य करते हैं। 22 प्रतिशत कृषक पशुपालन + उद्यान + कुककुट पालन + मधुमक्खी पालन का कार्य करते हैं। 12 प्रतिशत कृषक पशुपालन + मत्स्यन + कुककुट पालन का कार्य करते हैं। कृषि + पशुपालन + मधुमक्खी पालन का कार्य 15 प्रतिशत कृषक करते हैं। उक्त प्रकार के समन्वित कृषि विकास कार्यों से उद्योग-धन्धे विकसित हो रहे हैं, जिनमें रोजगार के नये स्रोतों का जन्म हो रहा है। इसके साथ ही साथ सड़क परिवहन मार्ग विकसित हो रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की आधारभूत संरचना विकसित हो रही है। प्रस्तुत अध्ययन से यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत संरचना का विकास तेजी से हो रहा है, जिसमें परिवहन एवं संचार के साधनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कृषि कार्यों में परिवर्तन करने तथा समन्वित कृषि विकासात्मक कार्यों को अपनाने से न केवल कृषकों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, बल्कि कृषि पर आधारित विभिन्न प्रकार के उद्योग-धन्धे विकसित हो रहे हैं, जिससे आधारभूत संरचना तीव्र गति से जुड़ने के कारण ग्रामीण स्तर पर विविध प्रकार के लघु उद्योग-धन्धे नगर से ग्रामीण क्षेत्र की ओर विस्थापित हुए हैं। अद्यः संरचनात्मक विकास का उच्च स्तर विकासखण्ड असमोली, सम्भल तथा बनियाखेड़ा में पाया गया है। यहां पर आधारभूत संरचना तीव्र गति से विकसित हो रही है, क्योंकि यह क्षेत्र नगर व कस्बों के समीप स्थित है। यहां पर अद्यः संरचनात्मक विकास का स्तर 1.50 प्राप्त हुआ है। इसके विपरीत विकासखण्ड रजपुरा में विकास का स्तर सबसे निम्न -1.93 पाया गया है। यहां पर सामाजिक एवं आर्थिक विकास का सर्वोच्च स्तर 1.75 असमोली विकासखण्ड में पाया गया है, जबकि सबसे निम्न स्तर -1.83 जुनामई विकासखण्ड में पाया गया है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि अद्यः संरचनात्मक विकास के स्तर में परिवर्तन सेवा केन्द्रों की वृद्धि का परिणाम है। |
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निष्कर्ष |
प्रस्तुत अध्ययन से यह
निष्कर्ष प्राप्त होता है कि ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत संरचना का विकास तेजी से
हो रहा है, जिसमें परिवहन एवं संचार के साधनों ने
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कृषि कार्यों में परिवर्तन करने तथा समन्वित कृषि
विकासात्मक कार्यों को अपनाने से न केवल कृषकों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा
है, बल्कि कृषि पर आधारित विभिन्न प्रकार के उद्योग-धन्धे
विकसित हो रहे हैं, जिससे आधारभूत संरचना तीव्र गति से जुड़ने के
कारण ग्रामीण स्तर पर विविध प्रकार के लघु उद्योग-धन्धे नगर से ग्रामीण क्षेत्र की
ओर विस्थापित हुए हैं। अद्यः संरचनात्मक विकास का उच्च स्तर विकासखण्ड असमोली, सम्भल तथा बनियाखेड़ा में पाया गया है। यहां पर आधारभूत
संरचना तीव्र गति से विकसित हो रही है, क्योंकि यह क्षेत्र नगर व कस्बों के समीप स्थित है। यहां पर अद्यः संरचनात्मक
विकास का स्तर 1.50 प्राप्त हुआ है। इसके विपरीत विकासखण्ड रजपुरा में विकास का
स्तर सबसे निम्न -1.93 पाया गया है। यहां पर सामाजिक एवं आर्थिक विकास का सर्वोच्च
स्तर 1.75 असमोली विकासखण्ड में पाया गया है, जबकि सबसे निम्न स्तर -1.83 जुनामई विकासखण्ड में पाया गया है। इस आधार पर यह
कहा जा सकता है कि अद्यः संरचनात्मक विकास के स्तर में परिवर्तन सेवा केन्द्रों की
वृद्धि का परिणाम है। |
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भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव | ग्रामीण स्तर पर सतत् एवं सन्तुलित विकास हेतु निम्न प्रयास किये जा सकते हैं- 1. समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाकर कृषि आधारित अन्य उद्योग-धन्धों को गति प्रदान की जा सकती है, जिससे आर्थिक विकास के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र का भौतिक विकास सम्भव हो सकेगा। 2. नगरों व कस्बों से पिछड़े क्षेत्रों की ओर उद्योग-धन्धों का विकेन्द्रीकरण करके इन क्षेत्रों के विकास की दर को बढ़ाया जा सकता है। 3. ग्रामीण आधारभूत संरचना को विकसित करने हेतु स्थानीय बाजार एवं रोजगार के नये स्रोतों को विकसित किया जाये, ताकि क्षेत्रीय विषमता कम हो सके। 4. ग्रामीण क्षेत्रों में नगरीय सुविधाएँ विकसित की जायें, जिससे ग्रामीण क्षेत्र से नगर की ओर होने वाले पलायन को नियंत्रित किया जा सके। |
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