|
|||||||||||||||||||||||||||||||||||||
चेतना (कोन्शियसनेस) एक चिन्तन |
|||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Consciousness a Contemplation | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
18510 Submission Date :
2024-02-07 Acceptance Date :
2024-02-18 Publication Date :
2024-02-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.10829987 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/anthology.php#8
|
|||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सारांश |
कॉन्शसनेस चेतना chetna अंग्रेजी भाषा का शब्द है जिसका
संबंध दर्शनशास्त्र से है दर्शनशास्त्र को विश्व में दो विमर्शों में विभक्त कर समझा गया है पश्चिम दर्शन और पूर्वदर्शन पश्चिमी विश्व अर्थात अमेरिका और यूरोप महाद्वीप
के देशों में अनुभावित दार्शनिक विमर्श पाश्चात्य दर्शन के अंतर्गत आते हैं तथा अफ्रीका
और एशिया महाद्वीपों में संस्कृत संस्कृतप्रमाण पूर्वी दर्शन के विधान से जानी जाती है निगमन रूप
से दोनों ही विचारधाराओं में जीवन जगत व ब्रह्म के विषय में विमर्श है फिर भी उनके
ज्ञान के क्रम को लेकर मत भिन्नता है प्रस्तुत शोध पत्र में पाश्चात्य दर्शन
के कॉन्शसनेस एवं पूर्वी दर्शन के चेतना शब्द को लेकर विमर्श किया गया है। |
||||||||||||||||||||||||||||||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Consciousness Chetna is a word of English language which is related to philosophy. Philosophy has been understood by dividing it into two discussions in the world, Western philosophy and Eastern philosophy. The philosophical discussions experienced in the countries of the Western world i.e. America and the continent of Europe come under Western philosophy and Africa. And in the Asian continents, Sanskrit Sanskrit Praman is known from the method of Eastern philosophy. Deductively, both the ideologies have discussion about the life world and Brahma, yet there is difference of opinion regarding the order of their knowledge. In the presented research paper, Western philosophy's Consciousness and The word consciousness of Eastern philosophy has been discussed. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | चेतना, पाश्चात्य, पूर्वी पंचकोश, विमर्श स्वरूप। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Consciousness, Western, Eastern Panchakosh, Vimarsh Swarup. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना | कोन्शयनियेस (चेतना) अंग्रेजी भाषा का शब्द हैं, जिसका सम्बन्ध दर्शन-शास्त्र से है। दर्शनशास्त्र को विश्व में विमर्शद्वय में विभक्त कर समझा गया है - पाश्चात्य दर्शन और पौर्वात्यदर्शन। पश्चिमी विश्व अर्थात् अमेरिका और यूरोप महाद्वीप के देशों में अनुभक्ति दार्शनिक विमर्श ‘पाश्चात्य दर्शन’ के अन्तर्गत आते है तथा अफ्रीका और एशिया महाद्वीपों में संस्कारित प्रमा ‘प्रौर्वात्य दर्शन’ के अभिघान से जानी जाती है। निगमन रूप से दोनो ही विचारधाराओं में जीवन, जगत व ब्रह्मा के विषय में विमर्श है, फिर भी इनके ज्ञान के क्रम को लेकर ‘मत-वैभिन्य’ है। प्रस्तुत निबन्ध में पाश्चात्य दर्शन के ‘कोन्शसनियसनेस’ एवं पौर्वात्य दर्शन के ‘चेतना’ शब्द को लेकर ‘विमर्श’ किया गया है जिसको तीन स्तरो पर समझा जा सकता है। 1. परिभाषा/अर्थ/शब्द निष्पत्ति/शब्द व्युत्पत्ति के आधार पर 2. पाश्चत्य दर्शन में कौन्सनियस पर विमर्श 3. पौर्वात्य दर्शन में चेतना पर विमर्श 4. निष्कर्ष |
||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अध्ययन का उद्देश्य | चेतना एक चिंतन |
||||||||||||||||||||||||||||||||||||
साहित्यावलोकन | विभिन्न शब्दकोश जैसे अंग्रेजी में फादर कामिल बुल्के संस्कृत में डॉक्टर वामन
शिवराम आप के धर्मशास्त्र का इतिहास पी.वी. काने श्रीमद् भागवद् गीता पानी की अष्टाध्याई एवं पश्चिमी एवं पूर्वी विद्वानों के
विभिन्न लेख एवं शोध पत्रों का अवलोकन कर प्रस्तुत शोध पत्र में उनका प्रयोग किया गया
है |
||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य पाठ |
1. पाश्चात्य भाषाओं में कोन्शसनियसनेसः- लैटिन भाषा के शब्दकोष के अनुसार 1500वीं शदी में यह शब्द दो पदों के योग से बना CON + SCIO = CONSCIUS जिनका क्रमश: अर्थ हैः- 1. CON = TOGATHER 2. SCIO = (i) TO KNOW (ii) WORKING WITH (iii) KNOWLEDGE WITH ANOTHER अंग्रेजी भाषा में लैटिन के से दोनो पद एक हुए और नवीन ‘पद’ का निर्माण हुआ - CONSCIOUSNESS यही शब्द भारतीय भाषाओं में चेतना, चेतन, जीव, प्राण, सावधानी, जागृतावस्था आदिरूपों में अनुदित हुआ। सन् 2008 में पाश्चात्य दार्शनिक ‘मेक्स वेलमेन्स’ ने एक लेख के माध्यम से उक्त शब्द की 08 परिभाषायें प्रस्तुत की जो इस प्रकार हैः- 1. क्वालिटी ओर स्टेट ऑफ अवेयरनेस 2. बीइंग अवेयर ऑफ एन एक्सटर्नल आब्जेक्ट 3. समथिंग विघइन वनसेल्फ 4. सेन्टियेन्स, अवेयरनेस, सब्जेक्टिविटि 5. एबिलिटि टु एक्सफुलनेस 6. टु फील, वेलफुलनेस 7. लेविंग ए सेन्स ऑफ सेल्फहुड 8. एक्जीक्यूटिव कन्ट्रोल सिस्टम ऑफ दा माइण्ड इसी क्रम में प्रसिद्ध विद्वान कामिल बुल्के द्वारा दिये गये कान्शिएसनेस पर के शब्दार्थ इस प्रकार हैः- 1. सचेतन, चेतन 2. से अभिज्ञ (A WARE OF) 3. चेतना, संज्ञा, चैतन्य, होश 4. जानकारी, अभिज्ञता, बोध 5. संज्ञान - (TOTALITY OF NESS) पौर्वात्य भाषाओं में चेतना चेतना शब्द भाषा विज्ञान के अनुसार ‘भारोपीय’ भाषा समूह का शब्द है, जिसके मूल में ‘चित्’ धातु है। चैत्य, चिता, चेतना, चित्त, अवचेतन, आचेतन, निष्चेतन, सचेतन, संचेतन आदि शब्दों में मूल में ‘चित्’ धातु ही है। माधवीया ‘धातुवृत्ति’ में ‘चित्’ नाम से तीन धातुऐं मिलती है। 1. चित् संचेतने चुरादिगण चेतयते संज्ञान, संचेतन 2. चिति स्मृत्याम् चुरादिगण चिन्तयति चिन्ता, प्रायश्चित्त 3. चिति संज्ञाने, स्मरणे, सन्धाने भ्वादिगण चेतति संज्ञान, चैतन्य प्रसिद्घ संस्कृत-हिन्दी शब्द कोषकार वी.एस. आप्टे ने ‘चेतन/चेतना/चेतनी’ शब्द के अर्थ इस प्रकार प्रस्तुत किये हैः- 1. चेतना 1. सजीव, जीवित, जीवधारी, सचेत, संवेदनशील 2. दृष्यमान 3. सचेतन प्राणी, मनुष्य 4. आत्मा, मन 5. परमात्मा 2. चेतना 1. ज्ञान, संज्ञान, प्रतिबोध 2. समझ, प्रज्ञा 3. जीवन, प्राण, सजीवता 4. बुद्घिमत्ता विचार-विमर्श 3. चित् क्रिया के अर्थ 1. प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना, देखना, नजर डालना, दृष्टि गोचर करना 2. जानना, समझना, चौकस होना, सतर्क होना 3. चैतन्य प्राप्त करना 4. प्रकट होना, चमकना गूगल सर्च में वीकीपीडिया पर ‘चेतना’ शब्द के अधोेलिखित 10 अर्थ दिये गये है- 1. मानव की वह वृत्ति या शक्ति जिससे जीवन या प्राणी को आन्तरिक (अनुभव, भाव, विचाार आदि) और ब्राह्म (घटना आदि) तत्वों या बातों का अनुभव या भाव होता है। 2. होश - हवाश 3. मनोवृत्ति - विशेषतः ज्ञानमूलकः 4. संज्ञा से युक्त होना 5. ऐसी स्थिति में होना कि बुरे परिणामों या बातो से बचकर अच्छी बातों की ओर प्रवृत्त हो सकें । 6. होश में आना 7. सावधान या होशियार होना 8. सोच - समझकर किसी बात की ओर ध्यान देना 9. विचारना 10. समझाना 2. पाश्चत्य दर्शन में कोन्शिएसनेस पर विमर्श:- आधुनिक पाश्चात्य दार्शनिको में डेस्कार्टज, लोके औश्र मेक्सवेलमेन्स ने अपने-अपने शोध लेखों में इस संदर्भ में विमर्श प्रस्तुत किया हैः- 1. डेसकार्टज (DESCARTES) 2. जोहन लोके - 1600 में लेख (1) कन्सर्निंग ह्यूमन अण्डरस्टैण्डिंग (2) दा परसेप्शन ऑफ हॉट पासेस इन ए मेन्स ओन माइण्ड 3. मेक्स वेलमेन्स 2008 में लेख - ‘‘दा ब्लेकवेल कम्पेनियन टु कोन्शिएसनेस’ 4. सेम्युअल जोहन्सन - 1755 में शब्दकोष - उपर्युक्त अर्थ इन लेखों के साथ ही 7 अप्रेल 2005 में स्टेव पवलीना’ (STEVE PAVLINE) ने लेवल्स ऑफ कोन्शिएसनेस’ के नाम से एक अनुक्रम (HIERARCHY) प्रस्तुत किया, जो शर्मिन्दगी (SHAME) से प्रारम्भ होकर ज्ञानोदय (ENLIGHTMENT) पर समाप्त होता है- 1. शर्मिन्दगी = SHAME 2. ग्लानि = GUILT 3. उदासीनता = APATHY 4. शोक = GRIET 5. डर = FEAR 6. इच्छा =WISH 7. क्रोध = ANGER 8. अभिमान = PRIDE 9. हिम्मत = COURAGE 10. निष्पक्षता = NEUTRALITY 11. तत्परता = WILLINGNESS 12. स्वीकृति = ACCEPTANCE 13. विचार = REAGON 14. प्रेम = LOVE 15. आनन्द = JOY 16. शान्ति = QUIET 17. ज्ञानोदय = ENLIGHTMENT आधुनिक वैज्ञानिको ने भी ‘‘कोन्शिएसनेस’’ पर शोध प्रस्तुत किये है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिषिगन में ‘पशुओं’ की कोन्शिसनियस पर अध्ययन किया, जिसमें पाया गया कि ‘‘नैदानिक मृत्यु (CLINICAL DEATH) के बाद मस्तिष्क उच्च विद्युत गतिविधि दिखाता है। इस अध्ययन के मुखिया का नमा एन आर्वट है तथा अध्ययन कोन्शियसनेस प्रोजेक्ट के नाम से किसा गया। 3. पौर्वात्य दर्शन में चेतना का स्वरूपः- विश्व का प्राचीनतम उपलब्ध साहित्यिक ग्रन्थ ऋग्वेद है। इसके पुरूष, नासदीय एवं वाक् आदि सूक्तों में, ‘चेतन-तत्व’ की विस्तृत व्याख्यायें मिलती है, फिर भी, दार्शनिक रूप से वैदिक साहित्य के अन्तिम भाग उपनिषदों में ‘चेतना’ को लेकर व्यवस्थित प्रभा प्राप्त होती है। ‘वेदान्त दर्शन’ को ‘पंचकोष’ ‘चेतना’ के अनुक्रम को शास्त्रीय आधार प्रदान करते है जो इस प्रकार हैः- पंचकोष कोष का नाम शरीर का नाम अवस्था का नाम 1. अन्नमय कोष स्फूल शरीर जागृत अवस्था 2. प्राणमय कोष 3. मनोमय कोष 4. विज्ञानमय कोष लिंग/सूक्ष्म शरीर स्वप्न अवस्था 5. आनन्दमय कोष मोक्ष सुषुप्ति अवस्था जैसे पंचकोष है, वैसे ही पंच महाभूत, पंचप्राण, पंचज्ञानेन्द्रिय, पंचकर्मेन्द्रिय, पंचविषय आदि है, जो ‘चेतना’ का प्रमाण ही है।
श्रीमद्भगवद्गीता के तृतीय अध्याय में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इस चेतनतत्व के ‘अनुक्रम’ को इतने व्यवस्थित तरीके से समझाया है कि चेतना को लेकर हो रहे सभी आधुनिक अध्ययन बोने प्रतीत होते है। कृष्ण कहते है- इन्द्रियाँ श्रेष्ठ है, मन उनसे भी श्रेष्ठ है, मन से बुद्धि अधिक श्रेष्ठ है परन्तु जो तत्व बुद्धि से भी श्रेष्ठ है वही तत्व ‘चेतन’ है। ‘‘इन्द्रियाणि पराणि आहुः,
इन्द्रियेम्यः परम् मनः। मनसस्तु पराबुद्धिः,
यो बुद्धेः परतस्तु सः।। 3.42
|
||||||||||||||||||||||||||||||||||||
निष्कर्ष |
निष्कर्ष रूप में यही कहा जा सकता है कि कोन्षिएसनेस की अपेक्षा ‘चेतना’ शब्द में अर्थगाम्भीर्य है, इसके मात्र अनुदित अर्थ या आयातित अर्थ से ही पूर्ण बुद्धि विलास की प्राप्ति नही हो पायेगी, हमें ‘चेतना’ के गाम्भीर्य को अपने ही शास्त्र में, अपनी ही भाषा में तलाशना होगा, यह तो सागर है, जितना गहराई में जायेंगे, अमूल्य मोती निकाल कर ला पायेगें। इतिषम् |
||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. भारतीय दर्शन के रूपरेखा दत्ता एवं चटर्जी 2. श्रीमद् भागवत गीता वेदव्यास 3. संस्कृत हिंदी शब्दकोश वामन शिवराम आपके 4. माधवी या धातु वृत्ति माधवाचार्य 5. ऋग्वेददसवां मंडल 6. विकिपीडिया विकिपीडिया गूगल सर्च |