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भूगोल और राजनीति:
राजस्थान के बाली विधानसभा आम चुनावों का एक तुलनात्मक विश्लेषण |
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Geography and Politics: A Comparative Analysis of Bali Assembly General Elections, Rajasthan | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
18746 Submission Date :
2024-03-11 Acceptance Date :
2024-03-23 Publication Date :
2024-03-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.10941013 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/innovation.php#8
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सारांश |
चुनाव के अध्ययन विषय को वैज्ञानिक शब्दावली में सेफोलॉजी कहते हैं। चुनावी भूगोल की समझ के लिए भूगोल, राजनीति और लोकतंत्र के बीच संबंधों को समझने की आवश्यकता है। सरकार या स्वतंत्र राजनीतिक व्यवस्था भूगोल और राजनीति के बीच संबंधों की सबसे महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति है, जिसकी आधारशिला चुनाव पर टिकी होती है। चुनाव लोकतंत्र का प्रमुख घटक है, जो इसके सुदृढीकरण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वे लोगों को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेने तथा सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देता है। निर्वाचन भूगोल राजनीतिक भूगोल की एक शाखा है, इसमें चुनाव की प्रक्रिया, स्थानिक, संगठन, मतदान व्यवहार तथा उसे प्रभावित करने वाले स्थांजन्य कारकों, मतदान परिणाम का मानचित्र आदि पहलुओं का भौगोलिक विश्लेषण किया जाता है। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The subject of study of election is called psephology in scientific terminology. An understanding of electoral geography requires an understanding of the relationships between geography, politics and democracy. Government or independent political system is the most important expression of the relationship between geography and politics, the foundation of which rests on elections. Elections are a key component of democracy, which plays an important role in its strengthening and development. They give people the opportunity to participate in decision making processes and lead a dignified life. Election geography is a branch of political geography, in which geographical analysis of aspects like election process, spatial organization, voting behavior and the external factors affecting it, map of voting results etc. is done. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | भूगोल, राजनीति, विधानसभा, चुनाव। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Geography, Politics, Assembly, Elections. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना | भारत में लोकतंत्र सदियों पुरानी अवधारणा है। भारतीय लोकाचार के अनुसार लोकतंत्र में समाज में स्वीकार्यता, समानता और समावेशिता के मूल्य शामिल होते है, यह अपने आम नागरिको को गुणवत्तापूर्ण और सम्मान जनक जीवन जीने का अवसर देता है। ऐतिहासिक दृष्टि से अवलोकन करे तो भारत में लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली का आरम्भ पूर्व वैदिक काल से हो गया था।प्राचीन पवित्र ग्रंथ ऋग्वेद और अथर्ववेद की पंक्तियों में सभा, समिति और संसद जैसी सहभागी संस्थाओं का उल्लेख मिलता है। महाकाव्य रामायण और महाभारत भी निर्णय प्रक्रिया में लोगों को समावेशित करने की बात करते है। प्राचीन भारत में सुदृढ़ लोकतांत्रिक व्यवस्था विद्यमान थी, इसके साक्ष्य भी प्राचीन साहित्य, सिक्के और अभिलेखो से प्राप्त होते हैं। एक समाज, राष्ट्र की महानता उसमें निवास करने वाले लोगों के निरन्तर सामाजिक-आर्थिक विकास पर निर्भर है। वर्तमान समय मे प्रत्येक राष्ट्र अपने नागरिकों के सतुंलित विकास पर अत्यधिक केन्द्रित है। आर्थिक विकास से ही विभिन्न सामाजिक समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके लिए विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के साथ ही विशेष योजना की भी जरूरत होती है। इस प्रकार का नियोजित विकास उस देश की शासन व्यवस्था पर निर्भर होता है। भारत 142 करोड़ की जनसंख्या वाला देश है, और यहां विभिन्न जाति धर्म, भाषा, बोली तथा संस्कृति के लोग लोकतांत्रिक, शासन व्यवस्था के अधीन निवास करते है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की आधार शिला चुनाव पर टिकी होती है। भारतीय लोकतंत्र को स्वरूप देने व गतिशील बनाने मे आम चुनावों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। निर्वाचन भूगोल राजनीतिक भूगोल की एक शाखा है जिसमें चुनाव की प्रक्रिया, संगठन, चुनाव संचालन की प्रक्रिया, चुनाव क्षेत्रों का स्थानिक संगठन (संरचना) एवं चुनाव परिणामों पर उसके प्रभाव का विश्लेषण, मतदान के परिणामों का मानचित्रण, मतदान निर्णयों को प्रभावित करने वाले स्थानजन्य कारकों के प्रभाव का विश्लेषण तथा मतदान के क्षेत्रीय वितरण प्रारूप का निरूपण और इस प्रारूप तथा जनसंख्या की सामाजिक विशेषताओं के क्षेत्रीय वितरण के बीच कार्य कारण संबंधों का विश्लेषण तथा चुनाव प्रक्रिया में मतदाता व्यवहार तथा चुनाव परिणामों के भौगोलिक पहलुओं का विश्लेषण किया जाता रहा है। चुनाव और भूगोल चुनाव विभिन्न दृष्टिकोणों से भौगोलिक क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं से आंतरिक रूप से जुड़े होते है जो एक निर्वाचन क्षेत्र के परिसीमन से शुरू होकर प्रतिनिधित्व और मतदान के पैटर्न तक जाते है तथा क्षेत्रानुसार भिन्न भिन्न पाए जाते है। विश्व के कई देशों के प्रमुख कानूनों के अनुसार मुख्य दायित्वों के निर्वाह के लिए जिम्मेदार उत्तरदायी व्यक्तियो का निर्धारण चुनाव प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। जिसका लाभ सीधे तौर पर आम लोगों को प्राप्त होता है। लोग सामान्यतः चुनाव के माध्यम से अपने प्रतिनिधियों का चयन करने, सरकार की जवाबदेही और आवश्यक होने पर अयोग्य व्यक्तियों को हटाने का अवसर प्राप्त करते है। लोकतांत्रिक समाज में चुनाव लोकतांत्रिक, समयात्मक और एक क्षेत्रीय प्रक्रिया होती है जिसमे सरकारी दायित्वों के लिए उत्तरदायी प्रतिनिधि अपनी योजनाएं प्रस्तुत करते है तथा क्षेत्र विशेष की आर्थिक, सांस्कृतिक व तकनीकी विशेषताओं का चुनाव कार्यक्रम के माध्यम से प्रचार-प्रसार करते है। लोग आमतौर पर उनके कार्यक्रम के प्रकार आचार-विचार, व प्रतिनिनिधियो की प्रवृत्ति और आवश्यकताओं के आधार पर अपने मतदान का प्रयोग करते है। चुनावी प्रचार-प्रसार मे भी चुनाव और भूगोल का अंतनिर्हित संबंध प्रतिविंबित होता है। चुनावी रणनीति में भूगोल निर्वाचन क्षेत्र के चयन से लेकर प्रतिनिधित्व और प्रचार प्रचार तक निर्णयक कारक की भूमिका निभाता है। विभिन्न क्षेत्रों में लोगों की मानसिकता, जीवनशैली और समस्याएं भिन्न भिन्न हो सकती है इससे सभी मतदान प्राथमिकताएं प्रभावित होती है और चुनावी नतीजों पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि उम्मीदवार अक्सर अपने प्रचार संदेशो को प्रभावी बनाने के लिए संबंधित क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओ और आंकाक्षाओं से मेल कराते है। सारांश में चुनाव और भूगोल का अंत एक-दूसरे से अंतर्निहित रूप से जुड़े होते है क्योंकि यह मतदाता भावनाओं, राजनीतिक गतिविधियों और प्रचार-रणनीतियों को आकृति देते है जो अंत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को जटिल और समृद्ध स्वरूप प्रदान करते हैं। अध्ययन क्षेत्र यह विधानसभा क्षेत्र राजस्थान के पाली जिले में स्थित है। यह विधानसभा क्षेत्र लगभग 1830 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में विस्तृत हैं, जिसमें बाली तहसील के 111 गांव व 2 नगर पालिका क्षेत्र बाली व फालना तथा देसूरी तहसील के 55 गांव तथा सादड़ी नगर पालिका क्षेत्र सम्मिलित है। भौगोलिक दृष्टि से यह मारवाड़ वह मेवाड़ का संक्रमण क्षेत्र है, जो लूनी बेसिन का भाग है, इसे गोड़वाड़ के नाम से भी जाना जाता है । यह संपूर्ण क्षेत्र उप पहाड़ी कहा जा सकता है जहां बिखरी पहाड़ियों के साथ-साथ मैदानी भाग हैं, अरावली पहाड़ियों की एक लंबी श्रृंखला यही से गुजरती है। जलवायु की दृष्टि से यह उप आर्द्र (अर्दशुष्क)मानसूनी हैं, शुष्क व उष्णकटिबंधीय वनस्पति के साथ ही यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 82.82 सेंटीमीटर तक होती है। गर्मियों के मौसम में अधिकतम दैनिक तापमान लगभग 45 डिग्री तथा सर्दियों में न्यूनतम तापमान 2 से 5 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो जाता है। यह जोधपुर-उदयपुर सड़क मार्ग व दिल्ली- अहमदाबाद रेलमार्ग से जुड़ा है। |
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अध्ययन का उद्देश्य | प्रस्तुत शोध कार्य के निम्न उद्देश्य है। 1. बाली विधानसभा आम चुनावों(2013-2023) का तुलनात्मक विश्लेषण करना 2. मतदान निर्णय को प्रभावित करने वाले स्थानजन्य कारकों के प्रभाव की विवेचना करना। |
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साहित्यावलोकन | एडवर्ड केबहेल (1916) ने Gengraphical Review में प्रकाशित एक आलेख में ग्रेट ब्रिटेन में 1885 से 1910 के बीच मतदान में स्थानिक भिन्नताओ मे होने वाले परिवर्तनों को विश्लेषित करने का प्रयास किया। आपने इस आलेख में मतदान परिणामों को पर्यावरणीय कारकों जैसे सामाजिक एवं आर्थिक दशाओं से सम्बद्ध करने का प्रयास किया। वी.के.डीन(1949) का एक आलेख न्यूफाउण्डलैण्ड में मतदान के भौगोलिक पहलुओं का अध्ययन प्रकाशित हुआ जिसमें निर्वाचन आँकड़ों के भौगोलिक स्वरूप का अध्ययन प्रस्तुत किया गया। राबर्ट नोरिस (1970) ने मतदान व्यवहार पर प्रवास के प्रभावों का विश्लेषण प्रस्तुत किया। यह संभवतः सर्वेक्षण शोध विधि के द्वारा किया गया पहला भौगोलिक अध्ययन था। यह विश्लेषण नगर में प्रवास के प्रभावों के साथ-साथ मतदाताओं के व्यक्तिगत गतिशीलता के प्रारूपों से संबंधित था। एस.एस.राणा (2000)) ने अपनी पुस्तक, ‘‘इंड्यिा बोट्स लोकसभा एण्ड विधानसभा इलेक्शन’’ 1999-2000 में चुनाव मतदान को प्रभावित करने वाले तत्वों का विश्लेषण किया है। दूबे अभय कुमार (2005) ने अपनी पुस्तक ‘‘लोकतंत्र के सात अध्याय’’ में लोकतंत्र में चुनाव एवं मतदान को प्रभावित करने वाले कारकों का विश्लेषण किया है। |
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सामग्री और क्रियाविधि | प्रस्तुत शोध पत्र बाली विधानसभा चुनाव के अन्तर्गत सम्मिलित दो तहसीलों के 166 गांव व 3 नगरपालिका क्षेत्र के प्राप्त आंकड़ों को आधार मानकर किया गया हैं। प्रस्तुत शोध में आनुभविक व विश्लेषणात्मक विधियों के साथ-साथ सांख्यिकीय विधियो, की सहायता ली गई हैं। प्रस्तुत शोध के विधि तंत्र के अन्तर्गत आंकड़ों का संकलन द्वितीयक स्त्रोत से किया गया है। |
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विश्लेषण | मतदान व्यवहार का सामान्य अर्थ मत देने के तरीकों को परिभाषित करना है तथा जो कारक लोगों को मतदान में प्रभावित करते हैं उनको परिभाषित करना है। यह न केवल वोटिंग करने के आंकड़ों रिकॉर्ड के बारे में बताता है बल्कि यह मनोवैज्ञानिक कारकों जैसे अनुभव, भावना आदि की बात भी करता है। चुनाव में मतदान व्यवहार का अध्ययन लोकतंत्र का महत्वपूर्ण पहलू है। चुनाव के अध्ययन के विषय को वैज्ञानिक शब्दावली में ‘‘सेफोलॉजी’’ कहते हैं और इसका उद्देश्य चुनाव के दौरान मतदाता व्यवहार से संबंधित प्रश्नों का विश्लेषण करना होता है। मतदाता किसी उम्मीदवार को वोट क्यों देते हैं ? या वे चुनाव में एक ही पार्टी को क्यों पसंद करते हैं ? क्या सामजिक, आर्थिक कारक मतदान को प्रभावित करते है ? क्या लोग विकास कार्यों से प्रभावित होकर मतदान करते हैं ? क्या यह मजबूत नेतृत्व से प्रभावित होते हैं? चुनाव में मतदाताओ से अपेक्षा की जाती है कि चुनाव में खड़े किसी भी एक उम्मीदवार को वोट देंकर अपने प्रतिनिधित्व का चयन करें। मतदाताओं का व्यवहार उनके पूर्व ज्ञान, विश्वास, परंपरा आस्था, समस्या, आवश्यकता आदि पर आधारित होता है। लेकिन चुनाव में मतदाताओं के मतदान आचरण को प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं, उनमें विकास का स्तर, क्षेत्रीयता, सामाजिक-आर्थिक कारक जैसे जाति, वर्ग, लिंग, शिक्षा, धर्म, अन्य कारको में राजनीतिक दल या सत्तारूढ़ दल का आचरण, चुनावी घोषणा पत्र जैसे अनेक कारक मतदान व्यवहार को निर्धारित करते हैं। मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले स्थानजन्य कारक 1. जनसाख्यिकीय कारक जेंडर (लिंग) यहएक व्यापक अवधारणा है जो मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारकों में महत्वपूर्ण है मतदान में महिलाओं की भूमिका का महत्व इस तथ्य से उजागर होता है कि सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु अपने-अपने एजेंडा में महिला कल्याण हेतु महिलाओं से संबंधित मुद्दों को शामिल किया है। जैसे महिला आरक्षण, घरेलु हिंसा, सामाजिक आर्थिक सुरक्षा इत्यादि। वर्तमान में सतारूढ़ पार्टियों द्वारा महिलाओं के कल्याण हेतु विभिन्न योजनाओं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था, स्कूटी और साइकिल योजना, आदि। इन मुद्दों और योजनाओं के कारण महिलाओं की चुनाव में भागीदारी बढ़ी है वर्तमान समय में महिलाएं अपने अधिकारों एवं कल्याणकारी नीतियों के प्रति अधिक सजग व सक्रिय हैं चाहे वह किसी भी जाति, वर्ग या उनकी शैक्षणिक स्थिति किसी भी स्तर की हो वर्तमान विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो स्पष्ट है कि महिलाओं का मतदान प्रतिशत 74.72% रहा जो पुरुषों के मतदान प्रतिशत 74.53% के मुकाबले 0.19 फीसदी अधिक रहा। आयु मतदाताओं की आयु भी मतदान को प्रभावित करती हैं सामान्यतः यह देखा गया है कि अधिक आयु वर्ग की बजाय कम आयु वर्ग के मतदाता और विशेषकर पहली बार मतदान करने वाले मतदाता उम्मीदवार से भावनात्मक मुद्दों से अधिक प्रभावित होते हैं । पिछले 10 वर्षों से भारतीय राजनीति में जब से मोदी युग का उद्भव हुआ है तब से कम आयु के मतदाता वर्ग उनकी कार्य शैली व विचारधारा से भावनात्मक रूप से अधिक जुड़ाव देखने को मिला इसका लाभ चुनाव में सम्बंधित उम्मीदवारों को मिलता है । शिक्षा शिक्षा मानवीय विकास स्तर को मापने का एक महत्वपूर्ण आधार है सामान्यतःअशिक्षित लोग अपने हितों की परवाह की बिना राजनेताओं या राजनीतिक दलों के विभिन्न तरह के प्रलोभन वादों बयानों के प्रभाव में आकर मतदान करते हैं। इसके विपरीत शिक्षित लोग अपने हितों के मध्य नजर स्व-विवेक से मतदान करते हैं, इसके अलावा मतदाता अच्छे शैक्षिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार का निर्वाचन पसंद करते हैं। राजनीतिक दल की विचारधारा भी मतदान को प्रभावित करती है भारतीय राजनीति में गांधीवादी उदारवादी साम्यवादी समाजवादी और राष्ट्रवादी विचारधाराओं का प्रभाव प्रत्येक चुनाव में देखने को मिला है। वर्तमान समय में देश में राष्ट्रवादी व हिंदुत्व की विचारधारा का ज्यादा प्रभाव है इसका परिणाम उस पार्टी के उम्मीदवारों को मिलता है। 2. क्षेत्रीयता प्रदेशिकता व स्थानीयता भी मतदान को प्रभावित करता है। उम्मीदवार किस क्षेत्र या प्रदेश का है स्थानीय है या बाहरी, कभी-कभी उम्मीदवार को यह कहकर भी नकार दिया जाता है। उम्मीदवार स्थानीय नहीं है या बाहरी वर्तमान चुनावों में प्राय यह देखा गया है कि लोग बाहरी उम्मीदवार की बजाय स्थानीय व्यक्ति को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि वे इस बात से आशकित रहते हैं, या उनके मन में यह रहता है कि बाहरी उम्मीदवार विजय होने के बाद अधिक समय तक क्षेत्र के बाहर ही रहेगा विकास कार्य पर अपना पूरा ध्यान नहीं दे पाएगा। इसके साथ स्थानीय उम्मीदवार के साथ उनका अपनेपन का लगाव तथा भावनात्मक जुडाव भी रहता है 3. सामाजिक व धार्मिक कारक जाति भारत की सामाजिक संरचना जाति व्यवस्था से अत्यधिक प्रभावित हैं इसलिए चुनाव की प्रक्रिया में इसका अच्छा खासा प्रभाव होता है। प्रायः ऐसा देखा गया है कि राजनीतिक दल के नेता वर्ग, जाति, बहु-संख्या के आधार पर टिकट का वितरण करते हैं तथा इसी आधार पर वोट हासिल करने का प्रयास भी करते हैं। रजनी कोठारी ने अपनी पुस्तक में कहा है कि भारतीय समाज में जाति का प्रभाव घट रहा है लेकिन राजनीति में जाति का प्रभाव बढ़ रहा है। चुनाव किसी भी स्तर का हो, लोकसभा विधानसभा पंचायत या जिला उसमें मतदाताओं का झुकाव अपनी जाति, वर्ग के उम्मीदवार की और स्वाभाविक रूप से पाया जाता है। धर्म भारतीय समाज में धर्म के प्रति गहरी आस्था व श्रद्धा है। राजनीतिक दल व राजनेता चुनावी परिणाम में लाभ अर्जित करने एवं माहौल को अपने पक्ष में करने हेतु धर्म का सहारा लेते हैं और लोग भावनात्मक रूप से वशीभूत होकर उनके पक्ष में मतदान करते हैं इससे वोटों का ध्रुवीकरण होता है परिणाम स्वरुप चुनावी नतीजे भी प्रभावित होते हैं। 4. आर्थिक कारक आर्थिक तत्व या धनबल भी मतदान व्यवहार को प्रभावित करते हैं इसे दो रूपों में देखा जा सकता है। प्रथम लोगों की आर्थिक स्थिति दूसरा राजनीतिक दल के आर्थिक साधन, लोगों की आर्थिक स्थिति जितनी अच्छी होती है तो मतदान प्रायःशासक दल के पक्ष में जाता है अन्यथा मतदान इसके विरुद्ध में जाता है। मतदाता उतना ही उन दलों की ओर झुकता है, जो लोगो के जीवन में में परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। वर्तमान समय में चुनाव बहुत ही खर्चीले हो गए हैं कुछ उम्मीदवार या राजनीतिक दलों के द्वारा मतदाताओं को प्रलोभन दिया जाता हैं वह किसी भी रूप में हो सकता हैं, जैसे शराब, धन या अन्य कोई घरेलू सामग्री इत्यादि इसके अलावा वर्तमान में राजनीतिक दलों द्वारा अपने चुनावी एजेंडा में महिलाओं को मासिक भत्ता, किसानों को कर्ज माफी, वृद्ध जनो को पेंशन, बिजली, पानी मुफ्त देने इत्यादि घोषणा करते हैं। जिससे मतदाता अपने मतदान की प्राथमिकता में परिवर्तन कर देते हैं और इससे भी चुनावी परिणाम प्रभावित होते हैं। राजनीतिक दलों के आर्थिक साधन भी मतदाता व्यवहार को प्रभावित करते हैं । यदि सतारूढ दल विपक्ष की तुलना में अधिक साधन संपन्न है तो भारी मात्रा में आर्थिक साधन चुनाव प्रसार- प्रचार झोकने के कारण वह सुगठित एवं व्यापक स्तर पर अपना चुनाव अभियान चला सकता है जिससे चुनाव परिणामो की स्थिति बदल सकती है। 5. अन्य कारक सतारूढ़ दल का आचरण सतारूढ़ दल का आचरण व क्रियाकलाप भी मतदाताओं के व्यवहार को प्रभावित करता है। सामान्यतय यह देखा गया कि यदि सतारूढ़ दल जनहित के कार्यों में अधिक रुचि लेता है। लोगों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति की उचित व्यवस्था करता है, शांति व्यवस्था की स्थिति बनाए रखता है, भ्रष्टाचार मुक्त शासन व्यवस्था प्रदान करता है, तो मतदान शासक दल के पक्ष में ही होता है। वर्तमान विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा, भर्ती परीक्षाओं में विसंगति और सतारूढ़ दल के विधायकों के आचरण आदि जनता के लिए संतोजनक नहीं रहे हैं जिससे सतारूढ़ दल के उम्मीदवारों को चुनाव मे नुकसान हुआ है। उम्मीदवार का व्यक्तित्व
सारणी नं. 02
बाली विधानसभा चुनावों का (वर्ष 2013 से 2023) 15 वर्षों के विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि बाली विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में लगातार सफलता प्राप्त हुई है हालांकि चुनाव विश्लेषण से यह भी पता चला है कि भाजपा के वोटो में भारी उतार.चढ़ाव देखने को मिला है। सारणी संख्या 02 में वर्ष 2013 के चुनावी आंकड़ों पर एक नजर डालने पर पता चलता है कि बाली विधानसभा चुनाव क्षेत्र जिसे चुनावो के दृष्टिकोण से 31 सेक्टर में बांटा गया है जिसमें से भाजपा को 25 सेक्टर में ज्यादा मत मिले तथा 6 सेक्टर में भाजपा कांग्रेस के मुकाबले को पीछे रही। भाजपा को सर्वाधिक बढ़त सेक्टर नंबर 23, 24, 27 में कमशः 3015, 2156, 1807 मतो की रही है वहीं कांग्रेस को सर्वाधिक बढ़त सेक्टर नंबर 9, 12 व 18 में क्रमशः 1019, 1046 व 1524, मतों की मिली है, इस प्रकार विश्लेषण से यह भी ज्ञात हुआ है, कि विधानसभा आम चुनावों में मैदानी क्षेत्र के मुकाबले पहाड़ी क्षेत्रों में वोट प्रतिशत अधिक रहा है इसका मुख्य कारण प्रवास है मैदानी क्षेत्र से लोग रोजगार व व्यापार हेतु दक्षिण भारतीय शहरों में सर्वाधिक संख्या में पलायन कर गए हैं। इस कारण मैदानी क्षेत्र में मतदान प्रतिशत कम रहा है। यदि कुल मतदान प्रतिशत की बात करें तो सर्वाधिक मतदान सेक्टर बीजापुर-कुण्डाल व नाना आमलिया में रहा है जो क्रमशः 74 व 70 प्रतिशत रहा है। जबकि मैदानी क्षेत्र में सेक्टर सादड़ी-भादरास तथा पेरवा-जादरी में कमशः 73 व 70 प्रतिशत रहा है मतदान पर नजर डालने से यह जानकारी मिलती है कि मतदाताओं पर उम्मीदवार के वर्ग, जाति व्यक्तिगत संपर्कों स्थानीयता का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। इसी प्रकार वर्ष 2018 के विश्लेषण से स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी को सेक्टर नंबर 4, 9, 23 और 24 में सर्वाधिक बढ़त प्राप्त हुई है कांग्रेस को सेक्टर नंबर 18 में बीजेपी से 1066 वोटो की बढ़त मिली इस प्रकार वर्ष 2018 में पहाड़ी और मैदानी क्षेत्र हो या ग्रामीण व शहरी सभी स्थान पर भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा मत प्राप्त हुये वहीं यदि डाक मतपत्रों पर नजर डालें तो बीजेपी को कांग्रेस के 703 मतों के मुकाबले 809 मत प्राप्त हुये है इस प्रकार सरकारी कर्मचारियों का भी भारतीय जनता पार्टी को पूरा सहयोग मिला इसी तरह नोटा के वोटों की बात करें तो इस वर्ष 2018 में 5330 मत नोटा को मिले जो कि इन 15 वर्षों में सर्वाधिक प्राप्त हुए। इसका कारण दोनों मुख्य पार्टीयों के उम्मीदवारों का एक जाति, वर्ग से होना है। विश्लेषण से स्पष्ट है कि वर्ष 2023 में कुल डाले गये 222020 मतों में से भाजपा प्रत्याशी को 107938 तथा कांग्रेस प्रत्याशी को 97445 मत प्राप्त हुए यदि प्रतिशत की दृष्टि से देखें तो भाजपा प्रत्याशी को 48.62 के मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी को 43.89 वोट प्राप्त हुए। भारतीय जनता पार्टी को सेक्टर नंबर 1, 2, 5, 6, 23, 24 व 25 में अधिक मत प्राप्त हुये है तथा इन सभी सेक्टर में भाजपा को 1000 से अधिक मतों की बढ़त प्राप्त हुई है दूसरी और कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले सेक्टर नंबर 9, 12, 18 में अधिक मत प्राप्त हुये है। इन सेक्टर में कांग्रेस को भी 1000 वोटो से अधिक बढ़त मिली। भाजपा को सर्वाधिक बढ़त बीजापुर- कुंडाल सेक्टर में 2492 वोटो की मिली तो वहीं कांग्रेस को सेक्टर नंबर 18 पुनाडीया- लालराई- लाटाड़ा में 2060 वोटो की सर्वाधिक बढ़त मिली यदि डाक मत पत्रों की तुलना करें 2023 में कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले 990 वोटो की तुलना में 1123 मत प्राप्त हुये, इससे यह स्पष्ट पता चलता है कि 2023 में सरकारी कर्मचारियों का रुझान कांग्रेस की तरफ झुका हुआ था इसका प्रमुख कारण सरकार द्वारा लागू की गई पुरानी पेंशन योजना थी। सारणी सख्य 2 विधानसभा चुनाव के सेक्टर अनुसार विश्लेषण से यह ज्ञात हुआ है कि वर्ष, 2013 में भाजपा को प्रति-सेक्टर 2959 वोट मिले। वहीं कांग्रेस को प्रति-सेक्टर 2337 वोट प्राप्त हुए इसी प्रकार वर्ष, 2018 में भाजपा को प्रति-सेक्टर 3104 तथा कांग्रेस को 2195 वोट मिले। वहीं 2023 में भाजपा को 3475 वोट व कांग्रेस को 3143 प्रति-सेक्टर मत प्राप्त हुए। सारणी के विश्लेषण से स्पष्ट है कि भाजपा के वोटों में वर्ष, 2013 से 2023 तक विधानसभा आम चुनावों में प्राप्त वोटों में प्रति-सेक्टर लगातार बढ़ोतरी हुई यहां वर्ष, 2013 में भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले प्रति-सेक्टर 622 मत, वर्ष 2018 में 909 मत, तथा 2023 में 341 मत अधिक प्राप्त हुए। लेकिन विश्लेषण से यहीं भी ज्ञात हुआ कि वर्ष, 2013 (622)के मुकाबले, वर्ष 2018(909) में भाजपा को प्रति-सेक्टर 287 अधिक मिले वहीं 2018(909) के मुकाबले, वर्ष 2023(349) में भाजपा को प्रति-सेक्टर 568 वोट कम प्राप्त है। इससे यह स्पष्ट है कि वर्ष, 2023 में भाजपा उम्मीदवार के प्रति लोगों में नाराजगी दिखाई दी। यही हम प्राप्त वोटों के विचरण को देखे तो भाजपा को प्राप्त वोटो का विचरण गुणांक वर्ष, 2013 में 30.03, 2018 में 34.73 तथा 2023 में 30.03 था। यही कांग्रेस पार्टी को प्राप्त वोटो का विचरण गुणांक वर्ष, 2013 में 45.56, 2018 में 43.40 तथा 2023 में 41.04 था। इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा जनता पार्टी को प्राप्त हुए वोटों में अधिक स्थिरता देखने को मिली है। |
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निष्कर्ष |
बाली विधानसभा आम चुनावों में भाजपा लगातार वर्ष, 1993 से ही अपनी बढ़त बनाये हुये है। बीजेपी के वर्तमान प्रत्याशी भी लगातार छठी बार विजयी रहे है लेकिन उनकी बढ़त पिछले चुनावों के मुकाबले में वर्ष, 2023 में न्यूनतम रही है। विधानसभा चुनाव 2023 में मतगणना के 24 राउण्ड हुए जिसमें भाजपा को कुल 15 राउण्ड (01, 02, 03, 04, 05, 07, 12, 15, 18, 19, 20, 21, 22, 24) में आगे रही है, वही कांगेस 09 राउण्ड (08, 09, 10, 11, 13, 14, 16, 17, 23) में आगे रही है। वर्ष 2013 से 2023 के चुनावों के विश्लेषण यह ज्ञात हुआ है कि सेक्टर नं. 01, 02, 23, 24 में भाजपा को सभी चुनावों में सर्वाधिक बढ़त मिली है। जबकी कांगेस सेक्टर नं. 18 व 20 में भाजपा से प्रत्येक चुनावों में आगे रही है। सेक्टर नं. 01, 02, 23 व 24 भाजपा की जीत के मुख्य आधार वोट है। यदि हम पहाडी क्षेत्रों की बात करे जहां गरासिया जनजाति के लोग निवास करतें है वहां पर भाजपा के वोटों में निरन्तर गिरावट आ रही है, जो कभी भाजपा का गढ़ माना जाता था। जबकी मैदानी क्षेत्रों में सेक्टर 01, 02, 03, 04, 05, 10, 11, 13, 16, 17 में भाजपा लगातार बढ़त बनाये हुऐ है, सेक्टर नं. 01, 02 व 03 में भाजपा के वोटों की संख्या में निरन्तर बढ़ोतरी देखने को मिली है। जबकी अन्य में काफी उतार-चढ़ाव आया है। विधानसभा आमचुनाव में जाति व वर्ग का प्रभाव हमेशा देखने को मिला है। पिछले तीन विधानसभा चुनावों की बात करे तो भाजपा को राष्ट्रवाद व सनातन धर्म के प्रभाव का ज्यादा फायदा मिला है प्रवास का भी विधानसभा आम चुनावों में प्रभाव ज्यादा देखने का मिला, यदि हम प्रतिशत वोट की बात करें तो कुल वोट प्रतिशत हमेशा ही राज्य के औसत से कम रहा है। जिसका मुख्य कारण मैदानी क्षेत्र से लोगों का दक्षिणी भारत में रोजगार एवं व्यवसाय हेतु बहुत ज्यादा संख्या में पलायन रहा है। यदि हम नोटा को मिले वोटों का विश्लेषण करे तो यह ज्ञात होता है कि, नोटा के पक्ष में लगातार वोटों में वृद्धि देखने को मिली है परन्तु वर्ष, 2018 के मुकाबले में वर्ष, 2023 में नोटा के वोटों की संख्या में कुछ कमी आयी है, फिर भी यहां मिले वोटो की दृष्टि से यह जिले में सर्वाधिक रही है।वर्ष 2023 में पिछलेे चुनावों के मुकाबले में सरकारी कर्मचारियों के वोट भाजपा की तुलना में कांग्रेंस को अधिक प्राप्त हुए है। जिसका मुख्य कारण राज्य सरकार द्वारा ओल्ड पेशन स्कीम(OPS) की घोषणा रही है। 2023 के चुनावों में स्थानीय व बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा भी खूब हावी रहा है। कांगेस की हार का मुख्य कारण कांगेस पार्टी द्वारा टिकट घोषणा में देरी करना, राष्ट्रवाद व सनातन धर्म का प्रभाव, बाहरी प्रत्याशी का होना, संगठन का धरातल पर कमजोर होना, आपसी खिंचतान आदि कांग्रेस पार्टी के हारने का मुख्य कारण रहे है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. सुदीप्त अधिकारी व रतन कुमार’’ राजनीतिक भूगोल (2014) शारदा पुस्तक भण्डार इलाहाबाद (P. 394-428) 2. दुबे अभय कुमार (2005)’’ लोकतंत्र के सात अध्याय विकासशील समाज अध्ययन पीठ वाणी प्रकाशन नई दिल्ली, 3. एम.एस.राणा, इण्डिया वोटस् लोकसभा एण्ड़ विधानसभा इलेक्शन 1999-2010 (All Analysis Election Data and Party Manifesto) बी.आर. पब्लिकेशन नई दिल्ली। 4. मतदान व्यवहार का निर्धारण NCRT Book XI, P. No. 39-46 5. डॉ. प्रताप कुमार (2019) मतदान व्यवहार, उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में विश्लेषण 6. Vishavjeet Dhanda (2020) Geographic Influences on voting pattern, studocu.com/in/document/university 7. Moral Kavianirad Majid Rasouli “Explanation of relationship between geography and election Geopolitics Quarterly, Volume 10, No. 4, Winter 2015, Scopus (PP-93-108) 8. समाचार पत्र, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका व दैनिक नवज्योति (नवम्बर व दिसम्बर माह, 2023) 9. https://results.eci.gov.in/ |