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वर्तमान जीवन शैली में स्वस्थ एवं संतुलित आहार के स्थान पर आधुनिक व प्रसंस्कृत भोजन का बढ़ता उपयोग व परिणाम ‘‘स्वस्थ जीवन का आधार पौष्टिक आहार‘‘ |
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In the Present Lifestyle, Increasing Use of Modern and Processed Food Instead of Healthy and Balanced Diet and its Consequences “Nutritious Diet is the Basis of a Healthy Life” | |||||||
Paper Id :
18496 Submission Date :
2024-02-03 Acceptance Date :
2024-02-19 Publication Date :
2024-02-24
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.11221295 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/anthology.php#8
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सारांश |
स्वास्थ्य हमारे जीवन का सर्वश्रेष्ठ महत्व रखने वाला आयाम है। यह हमारे शरीरिक, मानसिक और सामाजिक तंतु का संतुलन होता है जो हमारी सम्पूर्ण जीवन शैली को प्रभावित करता है। स्वास्थ्य का संबंध मात्र निरोगी काया होना नहीं बल्कि यह जीवन के सभी पहलुओं में सम्मिलित होता है। जो हमारे जीवन को सुखमय और सफल बनाते हैं। इसके बल पर ही हम सामाजिक जीवन का सर्वोच्च प्राप्त कर सकते हैं। यह संस्कृति एवं जीवन मूल्यों की प्राथमिक पाठशाला भी है। स्वस्थ शरीर से हमारें भीतर सदगुणों का विकास होता है। हमारें शरीर के समुचित कार्य के लिये संतुलित आहार, फूड एवं न्यूट्रीशन खाने की आवश्यकता है। यह हमारे शरीर को ऊर्जावान रखता है, शारीरिक और मानसिक स्तर पर काम करने की क्षमता प्रदान करता है। यह शारीरिक वजन उठाने की क्षमता से लेकर, शिक्षा में ध्यान केन्द्रित करने व स्मृति को मज़बूत बनाने तक मुख्य तत्व है। भोजन क्षतिग्रस्त कोशिकाओं, ऊतकों की मरम्मत कर हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली बनायें रखने में सहायक होता है। भोजन के मुख्य घटक, कार्बन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन हैं। एंटोनी लेवोजर (1770-1794) को पोषण का जनक माना जाता है। हिप्पोक्रेटस ने पहली बार चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में नैदानिक पोषण के विज्ञान और दर्शन को मान्यता दी थी। पोषण (न्यूट्रीशन) शरीर के बढ़ने, विकसित होने और जीवन के रख रखाव के लिए आवश्यक तत्वों का सेवन, अवशोषण और उपयोग करने की प्रकिया है। लेकिन वर्तमान जीवनशैली में आधुनिक आहार जैसे- फास्ट फूड़, जंक फूड़ एवं प्रसंस्कृत भोजन का उपयोग दिनों-दिन तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिस कारण शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक बीमारियां मनुष्य के जीवन को प्रभावित कर रहीं हैं। फास्ट फूड आदि से वजन संबंधी रोग, मधुमेह, उक्त-रक्तचाप, अवसाद, डायबिटीज़ आदि बीमारी बढ़ रही हैं। अतः आज हम सभी को आवश्यकता है अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की। इसके लिये फूड एंड न्यूट्रीशन अभियान सरकार द्वारा स्कूलों व कॉलेजों के माध्यम से चलाये जा रहें हैं। कईं प्राइवेट संस्थान में इसकी पूर्ण कक्षायें चल रहीं हैं। अतः एक स्वस्थ समाज की नींव तभी रखी जा सकती है, जब हम सभी एक साथ कुपोषण के विरूद्ध कठोर कदम उठायें और भोजन शिक्षा-शास्त्र को अपने दैनिक आहार शैली से जोडें। ‘‘एक स्वस्थ परिवार, सुन्दर समाज का अधार‘‘ |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Health is the most important aspect of our life. It is the balance of our physical, mental and social fibers which affects our entire lifestyle. Health is not just about having a healthy body but it includes all aspects of life. Which make our life happy and successful. Only on its strength can we achieve the highest level of social life. It is also a primary school of culture and life values. A healthy body develops virtues within us. For proper functioning of our body, we need to eat balanced diet, food and nutrition. It keeps our body energetic, provides the ability to work at the physical and mental level. It is a key element in everything from the ability to lift physical weight, to concentration in studies and to strengthening the memory. Food helps in maintaining our immune system by repairing damaged cells and tissues. The main components of food are carbon, nitrogen, hydrogen and oxygen. Antoine Lavoisier (1770-1794) is considered the father of nutrition. Hippocrates first recognized the science and philosophy of clinical nutrition in the 4th century BC. Nutrition is the process of intake, absorption and utilization of elements necessary for the growth, development and maintenance of life of the body. But in the present lifestyle, the use of modern food like fast food, junk food and processed food is increasing day by day, due to which physical, mental and emotional diseases are affecting human life. Diseases related to weight, diabetes, high blood pressure, depression, diabetes etc. are increasing due to fast food etc. Therefore, today we all need to be aware of our health. For this, food and nutrition campaigns are being run by the government through schools and colleges. Its full classes are running in many private institutions. Therefore, the foundation of a healthy society can be laid only when we all together take strict steps against malnutrition and connect food pedagogy with our daily diet. “A healthy family is the foundation of a beautiful society.” |
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मुख्य शब्द | आहार शिक्षा, पोषण, मानव-शास्त्र, प्रसंस्कृत भोजन, फास्टफूड, जंक फूड, फूड एवं न्यूट्रीशन, निरोगी काया, व्यायाम, अन्नदन्ति भूतानी, स्वस्थ समाज, पारिवारिक हेल्थ, संतुलित-आहार, जागरूकता व अभियान, को-करिकुलर विषय, पौष्टिक-गुणवत्ता, वर्तमान जीवन शैली। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Diet Education, Nutrition, Anthropology, Processed Food, Fast Food, Junk Food, Food and Nutrition, Healthy Body, Exercise, Annadanti Bhutani, Healthy Society, Family Health, Balanced Diet, Awareness and Campaign, Co-curricular Subjects, Nutritious- Quality, Current Lifestyle. | ||||||
प्रस्तावना | निरोगी काया को सर्वोच्च सुख की
संज्ञा दी गयी है क्योंकि जब तक मनुष्य स्वस्थ नहीं होगा तब तक वह जीवन की किसी भी
क्रिया को पूर्ण नहीं कर सकेगा। स्वास्थ्य सभी के लिए बुनियादी आवश्यकता है।
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकता है, भोजन, अतः स्वास्थ्य का प्रथम संबंध हमारी आहार शैली से जुड़़ा होता है। निरोगी काया
पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है मानव को स्वस्थ्य संतुलित भोजन पर ध्यान देना। हर
तरह का भोजन व उससे प्राप्त होने वाला पोषण कुछ निजि योग्यता से परिपूर्ण होता है।
भोजन अथवा आहार हमारे द्वारा ग्रहण किया गया कोई भी पदार्थ अथवा पेय है जिससे शरीर
की ऊर्जा, वद्धि एवं कमजोर अंग की आवश्यकता पूर्ति होती है। |
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अध्ययन का उद्देश्य | भारतीय धार्मिक ग्रन्थों में भी भोजन की आवश्यकता पर विवरण दिया है आहार कैसा हो? किस मात्रा में हो? किस प्रकार का हो? श्रीमद् भगवत गीता के तीसरे अध्याय में भोजन की उत्पत्ति तथा मनुष्य शरीर की रचना का विवरण आहार पर आधारित उल्लेखित किया गया है। ‘‘अन्नाभवत्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः‘‘ अर्थात मनुष्य खाद्य पदार्थ से ही बना है। यह सत्य है आपके शरीर में जो कुछ भी है वह भोजन से बना है। माँ के गर्भ की एक कोशिका, जिससे हमारा निर्माण हुआ, से लेकर आज तक हमारा शरीर हमारे द्वारा लिये गये भोजन से ही बना है। निर्माण की यह प्रक्रिया जीवन पर्यन्त चलती रहती है। जिस प्रकार वनस्पति पेड़-पौधों को पानी से पोषण मिलता है अर्थात उचित पानी व धूप न मिलने से वह मुरझा के मूर्छित तथा नष्ट हो जातें हैं। उसी प्रकार मानव शरीर को संतुलित व उचित आहार न मिलने से वह अनेक बिमारियों के सम्पर्क में आ जाता है, क्षीण होने लगता है और रोग ग्रसित हो जाता है। हमारा मस्तिष्क, मांसपेशियां, रक्त और हडिड्यां सब हमारे द्वारा लिये गये भोजन से बनी है। भोजन मानव को ऊर्जा और काम करने के लिए शक्ति प्रदान करता है इसी से हमें शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्थिरता और सुरक्षा मिलती है। सही भोजन सही मात्रा संतुलित मात्रा में मिलने पर हमें अच्छे स्वस्थ और आकर्षक व्यक्तित्व का आनन्द मिलता है। स्वास्थ्य शब्द का अर्थ है, ‘शरीर की दशा‘। अच्छे स्वास्थ्य का अर्थ, रोगमुक्त काया ही नहीं वरन् आंतरिक शक्तियों का भी निर्माण होना है। |
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साहित्यावलोकन | प्रस्तुत शोधपत्र के लिए विभिन्न
पुस्तकों जैसे प्रो0 अंजू सिंह व डा0 गौरी गोयल की 'भोजन पोषण एवं स्वच्छता', |
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मुख्य पाठ |
परिवार में स्वास्थ्य की आवश्कता एवं महत्व: परिवार वह स्थान, समाज अथवा संस्था है जहां बालक जन्म लेता है बच्चे का पालन-पोषण, देख-रेख सभी का दायित्व परिवार के लोगो का होता है। परिवार एक सार्वभौमिक संस्था है जो प्रत्येक समाज में पायी जाती है। समाजशास्त्रीयों और मानवशास्त्रीयों को कभी भी ऐसी सभ्यता का कोई निशान नहीं मिला जिसमें परिवार की संस्था न हो। भोजन और आश्रय से लेकर मानव संम्पर्क तक परिवार व्यक्ति की हर आवश्यकता को पूरा करता है। आपका पारिवारिक स्वास्थ्य इतिहास आपके स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, परिवार कई चीज़ेें साझा कर सकतें हैं जो आपके स्वास्थ्य संबंधी परिस्थिति के जोखिम को बढ़ा सकते है, जिनमें शमिल हैं: ‘जीन‘। स्वास्थ्य सभी के लिए आवश्यक है अतः प्रत्येक मनुष्य के लिए स्वास्थ्य जागरूकता भी आवश्यक है। न सिर्फ आपके लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए। यदि आपका आहार, खाने-पीने की आदतें, जीवन शैली (जैसे खराब आहार, धूम्रपान, अनियमित भोजनचर्या) गलत अथवा बिगड़ी हुई है तो वह आपकी आने वाली पीढ़ी के अस्वस्थ होने का कारण बन सकती है। परिवार हमारी शक्ति और आंतरिक ऊर्जा का केन्द्र है जिसके लिए भोजन का पोषण और संतुलित आहार होना प्रथम ध्यान देने योग्य बात है। स्वास्थ्य का अर्थ है रोगों से मुक्त रहना लेकिन न केवल शरीर में रोगों की अनुपस्थिति मात्र अपितु शारीरिक, मानसिक व सामाजिक रूप से सशक्त। एक परिवार में अलग-अलग आवश्यकता वाले लोग रहतें हैं जैसे बूढ़े, जवान व बच्चें महिला तथा पुरुष वर्ग। सभी की प्राथमिक आवश्यकता होती है भोजन। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज सही मात्रा में मौजूद हों, सही मात्रा का अर्थ हमारी आयु, लिंग, कार्य और स्वास्थ्य की अवस्था पर निर्भर करती है। एक बढ़ते बच्चें को प्रोटीन की मात्रा और जबकि वयस्क को कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता होती है क्योंकि वह अधिक परिश्रम करता है। रोगी व्यक्ति के लिये रोग के मद्देनजर भोजन व्यवस्था की जाती है। एक बालक में बचपन से ही सही आहार लेने की आदतें ड़ालनी चाहिए हरी फल-सब्जियों के प्रति आकर्षण डालना चाहिये, बाहर का खाना, फास्ट फूड आदि की लत नहीं पडने देनी चाहिये, हर तरह का पदार्थ तथा भोजन अपनी पोषण योग्यता एवं क्षमता अलग अलग रखता है। आहार विद्या: ‘पोषक अथवा संतुलित आहार‘ - आहार विद्या के अनुसार पोषण के लिये कुछ तत्वों की नितांत आवश्यकता होती है। ईंधन तत्व और दूसरा शारीरिक बनावट के पदार्थ, उत्पादक, तंतुवर्धक और हृास पूरक तत्व शरीर में शक्ति उत्पन्न करता है। यदि आप आहार अथवा भोजन में पोषक तत्व ग्रहण नहीं करेंगे तो शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर व क्षीण होंगे। आहार व पोषण की अवधारणा है भोजन, जिसमें 40 से भी अधिक विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं । इनमें से कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, प्रोटीन की आवश्यकता हमारे शरीर को अधिक होती है। पोषक तत्व वे पदार्थ है, जो शरीर के कार्यों को करने के लिए आवश्यक ऊर्जा और जैव अणु प्रदान करते हैं, जिसमें पोषण, स्वास्थ्य और विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ‘‘ऊर्जा के स्त्रोत को भोजन के रूप में शरीर के अंदर लेने की प्रक्रिया को पोषण कहते है।‘‘ इसी प्रक्रिया द्वारा जीव भोजन ग्रहण करता है। उसी भोजन का उपयोग अपनी बुद्धि, उपापचय और पुनःनिर्माण आदि क्रियाओं के लिये करता है, उसे ही भोजन व पोषण कहा जाता है। वह समस्त प्रक्रिया व प्रकम जिसके द्वारा जीवधारी बाह्य वातावरण से भोजन ग्रहण करते हैं तथा भोज्य पदार्थ से ऊर्जा मुक्त कर के शरीर की वृद्धि करते हैं, उसे पोषण कहते हैं। इसमें भोजन से आवश्यक तत्व ग्रहण कर शारीरिक व मानसिक स्थिति को मजबूती प्रदान की जाती है। पोषण से संबंधित मुख्य बिंदु निम्नवत है:- 1. अलग-अलग आयु और लिंग की कार्य क्षमता के आधार पर भोजन की संतुलित मात्रा । 2. अपनी गतिविधि एवं लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए भोज्य पदार्थों का चयन। 3. अच्छे व संतुलित आहार की आदत निरोगी काया की एक मात्र कुंजी है। 4. विषाक्त, फास्ट फूड, खराब आहार शरीर में रोगों का घर बनाता है। 5 दैनिक आहार शैली व्यवस्थित होना आावश्यक है। 6. मधुमेह, रक्तचाप अथवा अन्य किसी भी रोग से ग्रस्त व्यक्ति की आहार शैली उन्हीं के अनुसार रखनी चाहिये। 7. गलत व अनियमित आहार रुगन्ता कुपोषण को जन्म देता है। 8. पोषण में एक से अधिक तत्वों की अधिकता या उनकी कमी के कारण भी शारीरिक हृास होता है। 9. पोषण सदैव संतुलन, गुणवत्ता और समय पर सही मात्रा में ग्रहण किया जाना चाहिए। पोषण का महत्व: मानव जीवन को बनाये रखने के लिये आहार अथवा पोषण अति आवश्यक है। व्यक्ति की शारीरिक वृद्धि और दिमाग का विकास एवं उत्तम स्वास्थ्य दैनिक क्रियाशीलता के लिये पर्याप्त आहार तथा पोषण की आवश्यकता होती है। इसी को आहार विज्ञान में रखा गया है। आहार विज्ञान भोजन प्रबंधन से संबंधित होता है और पोषण स्वस्थवर्धन से जुड़ा होता है। 1. भोजन में पौष्टिक तत्व ग्रहण करने से ही बिमारियों से लड़़़ने की शक्ति मिलती है। 2. स्वास्थ्य व सही आहार लेने से कुपोषण के दायरे से मुक्ति पायी जा सकती है। 3. इसीलिये आहार विद्या, पोषण के ज्ञान को जागरूक करने के लिये 30 सितम्बर को ‘कुपोषण दिवस‘ मनाया जाता है। 4. भारत में प्रतिवर्ष सितम्बर के महिने में पूरे देश में ‘राष्ट्रीय पोषण माह‘ के रूप में मनाया जाता है। 5. पोषण के अभाव में ही बच्चा कुपोषित हो जाता है। 6. गर्भावस्था में सही व पौष्टिक आहार की कमी से जन्म के समय बच्चे का वजन भी कम होता है। 7. पोषण की कमी से बालक के शरीर ही नहीं वरन बौद्धिक विकास में भी बाधा आती है। 8. बालक में विटामिन की कमी, आयोडीन की कमी, रक्त आदि की कमी गर्भ में ही शुरू हो जाती है। 9. गर्भावस्था में विशेषज्ञ भी आहार व अच्छी पौष्टिक पदार्थो पर विशेष ध्यान रखने की सलाह देते हैं। 10. कुपोषण हमारी आयु और शरीर के अनुरूप पर्याप्त शारीरिक और मानसिक विकास को रोकता है इसलिए पोषण युक्त भोजन ग्रहण करना अति आवश्यक है। 11. पोषण में पर्याप्त आहार, संतुलति आहार, कैलोरी नियंत्रण, उचित व आवश्यक पदार्थों का समावेश महत्वपूर्ण है। जैसे-काबोाहइड्रेटस, वसा, न्यूलिक अम्ल, खनिज लवण, प्रोटीन विटामिन जल आदि। पारिवारिक पोषण का महत्व: पारिवारिक पोषण मूल रूप से, अपने परिवार के लिये अच्छे पोषण का अभ्यास करना है, जिसमें प्रत्येक सदस्य को उनकी पोषण सम्बंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराना और लंबे समय तक स्वस्थ खाने की आदतें स्थापित करना है। प्रतिदिन प्रत्येक सदस्य के लिये फलों और सब्जियों को दैनिक दिनचर्या में शामिल करें। प्रत्येक आहार में फल-सब्जियों को परोसें, एक स्वास्थ परिवार सामाजिक स्वास्थ्य एवं समरसता का आधार है। एक व्यक्ति की स्वास्थ्य दशा परिवार के विकास पर निर्भर करती है और परिवार की समरसता से समाज का निर्माण होता है। एक सुंदर व स्वस्थ समाज का अर्थ है कि लोगों के अंतर्गत और समाज के अन्य सदस्यों तथा व्यक्तियों एवं विश्व, जिसमें निवास करते हैं के बीच एकजुटता एवं सामंजस्य हो। पोषण प्राप्त करने का स्त्रोत ‘भोजन‘ है। संतुलित भोजन आपके शरीर को सही ढंग से कार्य करने के लिए आवश्यक पोषक तत्व देता है। परिवार में बच्चें, व्यस्क, वृद्ध आदि को कैलोरी की मात्रा बढ़ाने में ताजा फल, ताजी सब्जियां, साबुत अनाज, फलियां, पालक, पतला प्रोटीन अच्छे स्रोत हैं। कैलोरी को नियंत्रित मात्रा में लेने के लिये आहार विद्या में विशेष बिन्दु बताये गये हैं। किसी भी भोजन में कैलोरी की संख्या उस भोजन में संग्रहित ऊर्जा मात्रा को दर्शाती है आपका शरीर चलने, सोचने, सांस लेने और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिये भोजन से प्राप्त कैलोरी का उपयोग करता है। औसत व्यक्ति को अपना वजन बनाये रखने के लिये अपनी उम्र, लिंग व शारीरिक गतिविधियों के अनुरूप कैलोरी ग्रहण करनी चाहिये। महिलाओं के क्रियाकलापों में पारिवारिक कार्यों, सामाजिक दायित्वों के साथ परिवार की पोषण सुरक्षा को सुनिश्चित करने का मुख्य दायित्व हैं तथा उपलब्ध पारिवारिक संसाधनों से परिवार का प्रबंधन महिलाओं का मुख्य उत्तरदायित्व है। वर्तमान समय में बिगड़ती हुई आहार शैली: वर्तमान समाज और विश्व में भागदौड़ की इस जीवन शैली से सबसे अधिक प्रभावित है तो मनुष्य की सेहत एवं स्वास्थ्य। जोकि हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए वही सर्वाधिक बिगड़ रही है। अनियमित समय भोजन करना, भोजन की मात्रा में पौष्टिक पदार्थों की कमी, अनियंत्रित आहार शैली आदि का सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ जीवन पर पड़ रहा है। व्यस्त कार्यशैली और तेज जीवन शैली के साथ, जब भोजन विकल्पों की बात आती है तो लोग अक्सर पोषण की बजाय सुविधा को चुनते है। फास्ट फूड़ और प्रसंस्कृत स्नैक्स आसानी से उपलब्ध हैं और इन्हें कम समय में तैयार किया जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से ये विकल्प हमारे खाद्य पदार्थों के लिए अच्छे नहीं है। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, उच्च चीनी सामग्री और अस्वास्थ्यकर वसा पर बढ़ती निर्भरता के साथ, हाल के वर्षों में आधुनिक आहार में दुष्प्रभावी बदलाव आया है। परिणाम स्वरूप हम मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी बिमारियों में निरंतर वृद्धि देख रहें हैं। आधुनिक खान-पान की आदतें हमारे स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रही हैं। फास्ट फूड, जंक फूड, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और सुविधाजनक इंस्टेंट फूड आदि पदार्थों के बढने से ताजे़ फल और सब्जियां, साबुत अनाज और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की खपत में कमी आयी है, इससे महत्वपूर्ण विटामिन और खनिजों की कमी हो रही है, साथ ही कैलोरी, चीनी, नमक और अस्वास्थ्यकर वसा का अधिक सेवन हो रहा है, जो निश्चित रूप से हमारे शरीर को खोखला व रोग ग्रसित कर रहा है। आधुनिक आहार संबंधी आदतें न सिर्फ शारीरिक संबंधी बल्कि मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी नकरात्मक प्रभाव डाल रही है। अध्ययनों से पता चलता है कि यह बदलती आहार शैली एवं फास्टफूड से अवसाद, चिंता व अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को दिन-प्रतिदिन बढवा दे रहीं है। वहीं यह भी देखा गया कि जो लोग वर्तमान दशाओं से सचेत होकर अपनी दैनिक आहार चर्या में फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और वसा से भरपूर भोजन ग्रहण कर रहें हैं उनका मानसिक स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक कार्य में सुधार देख जा रहा है। आधुनिक चलन में फास्ट फूड और जंक फूड का बढ़ता प्रयोग एवं दुष्परिणाम: जैसा कि हम जानतें हैं आज चायनीज़ फूड, फास्ट फूड, जंक फूड, ताम्रसिक फूड का चलन दैनिक जीवन में प्रमुख अंग बन गया है। क्योंकि इस प्रकार का भोजन सुविधाजनक, सामर्थय और स्वाद के लिए खाया जाता है। किन्तु इसका अनुचित मात्रा में सेवन करना हमारे स्वास्थ्य पर नाकारत्मक प्रभाव डाल रहा है। फास्ट फूड, जंक फूड में या अन्य आधुनिक फूड में- बर्गर, फ्राइज़, पिज़्ज़ा, होट डॉग, नूड़ल, मोमोज़ व अन्य तला भूना, चिकन, ताम्रसिक, मीठा पेय या एनर्जी ड्रिंक, और रेडी टू ईट पेकेज्ड़ स्नैक्स, आदि चीजें प्रमुख रूप से शामिल है। इन सभी के नियमित सेवन से वज़न बढ़ जाता है जो कि मोटापें से संबंधित बीमारियों का कारण है। क्योंकि इस प्रकार के भोज्य पदार्थों में फाइबर, विटामिन और खनिज भी कम होतंे हैं जो ईष्टतम स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इस प्रकार के पदार्थों में उच्च मात्रा में अधिक शर्करा और सोड़ियम होता है जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी बीमारियों के खतरे का बढावा दे रहा है। फास्ट फूड व जंक फूड से होने वाली प्रमुख समस्या - 1. वज़न बढ़ना। 2. पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ना। 3. खराब पोषण। 4. पाचन संबंधी समस्याएं। 5. दांतो की समस्याएं। 6. मानसिक स्वास्थ्य पर नामारात्मक प्रभाव। 7. ऊर्जा के स्तर में कमी। 8. बच्चों में विकास की कमी। 9. हरी सब्जियों के प्रति बच्चों में उदासीनता। 10. खराब पोषण। भोजन और पोषण शिक्षा के प्रति जागरुकता की आवश्यकता: जैसा कि ऊपर हम अध्ययन कर चुकें है कि भागदौड़ भरी जिदंगी में सबसे अधिक प्रभावित हमारी आहार चर्या हो रही है, इस पर नाकारात्मक प्रभाव से हमारे भविष्य में स्वास्थ संबंधी दशा हम महसूस कर सकतें हैं। ऐसे में आवश्यकता है कि प्रत्येक समाज व परिवाार को पोषण व आहार शिक्षा के प्र्रति जागरूक होने की। पोषण शिक्षा को भोजन की प्रथाओं को बदलने की प्रक्रिया भी कहा जा सकता है। पोषण का ज्ञान, सम्बंधित वैज्ञानिक जानकारी विज्ञान को तथा सामाजिक और इस प्रकार व्यवहारिक विज्ञान को लागू करने से है जो समूह को सही भोजन लेने के लिए प्रभावित कर सकें, जिससे अधिकतम पोषण प्राप्त हो सके। भोजन के वे सभी तत्व जो शरीर में आवश्यक कार्य करते हैं, उन्हें पोषण तत्व कहते है इनकी कमी से अस्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है। इसीलिए आवश्यक है कि हम पोषण आहार-तत्व जो शरीर विज्ञान सम्बधी विज्ञान को समझे जो शरीर विज्ञान व रसायन विज्ञान से जुड़ा है। 1-7 सितंबर तक चलाये जाने वाले अभियान अथवा कार्यक्रम का संबंध हमारे जीवन में पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है। उचित पोषण का मतलब सिर्फ खाना ही नहीं बल्कि सही भोज्य पदार्थ का चयन करने से है जो हमारे स्वास्थ्य और कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। बेहतर पोषण को बढ़ावा देने के लिए सबसे प्रभावी तरीका शिक्षा है, जो न सिर्फ व्यवहार में बल्कि हमारे दैनिक भोजन शैली में भी परिवर्तन ला सकती है। किसी भी पोषण तत्व को ग्रहण करने के लिए मुख्य बिन्दुआंे पर दृष्टि करके अपने स्वस्थ जीवन की नींव रखी जा सकती है- 1. फल और सब्जियों की अधिकता। 2. अनाज और कार्बोहाइड्रेट । 3. दालों सहित प्रोटीन स्रोत। 4. डेयरी व अन्य सम्बंधित विकल्प। 5. स्प्राउट व कच्ची सलाद। एक संपूर्ण आहार, अपनी दिनचर्या में व्यवस्थित करने से शरीर को निरोगी बनाया जा सकता है। इसके लिए सरकार ने भी जागरुकता अभियान कार्यक्रम की पहल की है। यहाँ तक की ‘नई शिक्षा नीति 2020‘ के तहत को-करिकुलम कार्यक्रम के अंतर्गत इस विषय को बच्चों के कोर्स में शामिल कर उन्हें इसके प्रति जागरूक करने का प्रयास किया गया है। किन्तु इसकी सफलता हर नागरिक के जागरूक होने और अपनी व अपने परिवार के स्वास्थ्य की ओर सचेत रहने पर निर्भर करती है। जो परिवार इस ओर ध्यान केन्द्रित कर रहें हैं वो, अनेक डायट प्लान व न्यूट्रीशन से सलाह कर एक अच्छे स्वास्थ जीवन की ओर बढ रहें हैं। |
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निष्कर्ष |
‘स्वस्थ व निरोगी काया‘ हमारी प्राथमिकता है, जो शिशु के गर्भ में आने से ही जुड़ जाती है। माँ और शिशु के पोषण तथा जन्म
लेने वाले बालक के विकास व ऊर्जा को ये आहार क्रिया सीधा प्रभावित करती है।
पोषण-शिक्षा, सीखने की वह आवश्यकता है जो भोजन विकल्पों और अन्य पोषण-संबंधी व्यवहार में
सहायता के लिए ड़िजाइन किया गया है। वर्तमान जीवन चर्या में आधुनिक आहार का हमारे
स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। हम क्या खाते है इसके बारे में जानकारी
पूर्ण निर्णय लेना आवश्यक है। हम नैदानिक और निवारक स्वास्थ्य परीक्षणों की एक
श्रृंखला पर निरन्तर कार्य करके स्वस्थ परिवार व समाज की नींव रख सकतें हैं। फास्ट
फुड, व प्रसंस्कृत पदार्थों के सेवन को कम करके पौष्टिक व संतुलित आहार ग्रहण कर
अपना और अपनों को निरोगी व आनंदमय जीवन दिला सकतें हैं। इसके प्रति सभी को एकजुट
होकर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. भोजन पोषण एवं स्वच्छता- प्रो0 अंजू सिंह, डा0 गौरी गोयल। 2. मूलभूत पोषण एवं शरीर रचना विज्ञान- डा0 शैलजा। 3. आहार एवं पोषण अवधारणाएं- स्वास्थ विज्ञान विद्या शाखा उत्तराखण्ड़ मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी। 4. आहार एवं पोषण- डा0 श्री नन्दन बंसल। 5. आहार एवं पोषण विज्ञान- डा0 सरिता कुमावत। 6. आहार, पोषण एवं स्वच्छता- साहित्यिक भवन, शिक्षा नीति 2020, को-करिकुलम। 7. Wikipedia / Encyclopedia/ online papers. 8. Nutrition and Dietics : K Gupta & others, 1997; 9. Handbook of food and Nutrition : M Swaminathan.
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