|
|||||||
झारखंड में गठबंधन की राजनीति समस्या और समाधान |
|||||||
Coalition Politics Problem and Solution in Jharkhand | |||||||
Paper Id :
18918 Submission Date :
2024-05-09 Acceptance Date :
2024-05-23 Publication Date :
2024-05-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.12164727 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/shinkhlala.php#8
|
|||||||
| |||||||
सारांश |
भारतीय लोकतंत्र संक्रमण के दौर से गुजर रही है जहाँ जमीनी सच्चाई देश को गठबंधन की राजनीति की ओर ले जा रही है। 15 नवंबर वर्ष 2000 को देश के नक्शे पर बिहार से पृथक होकर एक नए राज्य के रूप में झारखण्ड का उदय हुआ। झारखंड को बिहार से पृथक हुए 23 वर्ष हो गए लेकिन इस अवधि में पाँच वर्ष को छोड़ दे तो सरकारें अस्थिर रही। पिछले दशक से लगभग हर चुनावों के बाद किसी न किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नही मिलने के कारण विभिन्न दलों की मिली-जुली सरकार निर्मित हो रही है। गठबंधन की सरकार में क्षेत्रीय दलों की भागीदारी होती है। भिन्न-भिन्न दलों की भिन्न-भिन्न विचारधाराएँ होती है। गठबंधन की राजनीति के कुछ सकारात्मक पक्ष है तो कुछ नकारात्मक पक्ष भी है परन्तु गठबंधन की राजनीति भारत के लिए एक आवश्यक बुराई है। हमारा देश गठबंधन सरकारों के युग में प्रवेश कर चुका है। झारखण्ड राज्य गठबंधन की राजनीति के कारण ही 14 सालों तक सरकार का उठा-पटक चलता रहा और राजनीतिक गठबंधन के कई प्रयोग हुए जिसके कारण राज्य में 11 बार मुख्यमंत्री बदले। झारखण्ड राज्य में राजनीतिक अलगाव का एक गठबंधन है, जो 2019 के आम चुनाव से पहले बनाया गया है। झारखण्ड राज्य में गठबंधन की सरकार में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल है। |
||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Indian democracy is going through a phase of transition where ground reality is taking the country towards coalition politics. On 15 November 2000, Jharkhand emerged as a new state on the map of the country after separating from Bihar. It has been 23 years since Jharkhand was separated from Bihar but during this period, except for five years, the governments remained unstable. After almost every election since the last decade, a coalition government of different parties is being formed due to one party not getting a clear majority. Regional parties participate in coalition governments. Different parties have different ideologies. Coalition politics has some positive aspects and some negative aspects too but coalition politics is a necessary evil for India. Our country has entered the era of coalition governments. Due to coalition politics in Jharkhand state, the government kept changing for 14 years and many experiments of political alliance took place due to which the Chief Minister changed 11 times in the state. Jharkhand is a coalition of political parties in the state, formed ahead of the 2019 general election. The coalition government in the state of Jharkhand consists of Jharkhand Mukti Morcha, Rashtriya Janata Dal and Nationalist Congress Party. |
||||||
मुख्य शब्द | गठबंधन, राजनीति, समन्वय, स्थायित्व, बहुमत। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Coalition, Politics, Coordination, Stability, Majority. | ||||||
प्रस्तावना | झारखण्ड राज्य गठबंधन सरकार के समक्ष बहुत सी समस्याएँ हैं जिनमें स्थायित्व की समस्या, वर्तमान में हो रही विकास योजनाओं का क्रियान्वयन, राष्ट्रीय एकता अखंडण को सुदृढ़ रखना, विभिन्न दलों के मध्य भिन्न-भिन्न विचारधाराओं में समन्वय स्थापित करना, भ्रष्टाचार पर रोकथाम, दल बदल की प्रवृति जैसी समस्याएँ प्रमुख है। गठबंधन की सरकार के कारण उत्पन्न बुराईयों तथा बाधाओं के समाधान के लिए सरकार के अस्थिरता को रोकने के लिए कानून बनाने चाहिए, मध्यावधि चुनावों पर रोक, दलों की आपसी खींचा-तानी पर रोक, दलों के बीच समन्वय स्थापित करने आदि पर जोर देना आवश्यक है। |
||||||
अध्ययन का उद्देश्य | इस शोध पत्र के अध्ययन का उद्देश्य झारखण्ड राज्य के गठबंधन की राजनीति के प्रभाव तथा उत्पन्न समस्याओं को जानना तथा उसके समाधान के उपायों का अध्ययन करना है। |
||||||
साहित्यावलोकन | डॉ॰ प्रेम की पुस्तक झारखण्ड की राजनीतिक औद्योगीकरण के सन्दर्भ में, झारखण्ड के गठन के पश्चात राजनीतिक अस्थिरता पर प्रकाश डाला है। ओ॰ पी॰ गाबा की पुस्तक ‘कॉन्सेप्चुअल डिक्शनरी ऑफ पॉलिटिकल साइन्स’ में संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत गठबंधन के अर्थ को बताया है। राजीव बंसल की पुस्तक ‘भारत में राजनीतिक प्रक्रिया गठबंधन सरकार की विशेषता तथा उससे उत्पन्न समस्याओं के बारे में बतलाया गया है। जौहरी, जे॰ सी॰ एवं डॉ॰ रश्मि शर्मा की 'भारत में राजनीतिक प्रक्रिया' में भारतीय राजनीतिक प्रक्रिया के बारे में बताया है।
|
||||||
सामग्री और क्रियाविधि | इस शोध पत्र में झारखण्ड जिले के ऐतिहासिक, राजनीतिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि के अध्ययन के लिए ऐतिहासिक पद्धति का सहारा लिया गया है। अध्ययन क्षेत्र:- इस शोध पत्र का अध्ययन क्षेत्र झारखण्ड राज्य है। इसमें झारखण्ड राज्य के गठबंधन की सरकार की विवेचना की गई है और इससे उत्पन्न समस्याओं और समाधान के बारे में अध्ययन किया गया है। |
||||||
विश्लेषण | गठबंधन सरकार, सरकार का एक रूप है जिसमें राजनीतिक दल सरकार बनाने में सहयोग करते हैं। ऐसी व्यवस्था का सामान्य कारण यह है कि चुनाव के बाद किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नही मिल पाता। गठबंधन शब्द लैटिन, भाषा के शब्द ब्वंसमेबमतम से लिया गया है जिसमें ब्व से अभिप्राय एक साथ से है और Coalescere का अर्थ एक साथ जाना या बढ़ना है। इस प्रकार गठबंधन यह अस्थाई सहयोग से है।[1] संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत गठबंधन का निहितार्थ उस प्रक्रिया से है जिसमें दो या दो अधिक दल मिलकर संसद में अपना बहुमत जुटा लेते हैं, तथा उसके बल पर अपनी सरकार बनाने का दावा करते हैं।[2] हमारा देश गठबंधन सरकारों के युग में प्रवेश कर चुका है। गठबंधन की राजनीति भारत के लिए एक आवश्यक बुराई है। राष्ट्रीय स्तर पर सर्वप्रथम गठबंधन की सरकार की शुरुआत मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार के गठन मानी जाती है। 28 जुलाई 1979, 1989, 1990 और 1991 तक कई बार गठबंधन की सरकार की स्थापना हुई और अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर गई।[3] वाजपेयी के अनुसार- “गठबंधन की राजनीति एक चुनौती है। इसका मापदंड यह है कि क्या तुम अथवा नहीं ? वैचारिक, सैद्धांतिक अथवा शासन करने के स्वरूप में मतभेद हो सकता है कि क्या हो, परंतु शासन करने की विधि लोकतांत्रिक होनी चाहिए। प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि एक मत वाले लोगों के लिए किस प्रकार से हम आगे लेकर चले तथा निर्देशन दें।“[4] गठबंधन की राजनीति का मुख्य उद्देश्य किसी न किसी प्रकार से सरकार बनाने के लिए चुनाव की राजनीति में सर्वाधिक वोट प्राप्त कर या फिर अन्य दलों के बीच साथ सहयोग जुटा कर जनादेश को अपने पक्ष में करना होता है गठबंधन की राजनीति मतभेदों के बीच सहमति और एकता को प्रदर्शित करती है। तथापि गठबंधनकर्ताओं के बीच इस सहमति का कोई एक स्थायी आधार रूप आम सहमति हो या अनिवार्य नहीं है ऊपर से गठबंधन चाहे जितना भी सुदृढ़ क्यों न दिखे ? परन्तु सहयोगी दल के बीच विभिन्न मुद्दों पर मतभेद अवश्य ही विद्यमान रहते है। गठबंधन की सरकार में अस्थिरता का संकट सदैव विद्यमान रहता है क्योंकि कब गठबंधन में शामिल एक दल अपना समर्थन वापस ले एवं सरकार अल्पमत में आ जाए फिर गिरने की संभावना से ग्रस्त हो। गठबंधन सरकार में चूंकि मुख्यमंत्री की स्थिति बहुत प्रभावी नहीं होती अतः सौदेबाजी की प्रबल संभावना रहती है। देश में प्रायः दो प्रकार के राजनीतिक गठबंधन के स्वरूप देखने को मिलते है पहला- वे गठबंधन जो कुछ विशेष राजनीतिक दलों के द्वारा एक निश्चित कार्यक्रमों के आधार पर आम चुनावों के पूर्व ही बना लिए जाते हैं ऐसे गठबंधन चूँकि किन्हीं पूर्व निश्चित तथा सर्वमान्य सैद्धांतिक या दार्शनिक मूल्यों से युक्त साझा कार्यक्रमों के आधार पर निर्मित होते हैं। दूसरा- वे गठबंधन जो चुनाव के पश्चात बनते हैं और परिस्थितिजन्य मजबूरी के कारण निर्मित है उनमें केवल निहित स्वार्थों का या एक दल विशेष के विरोध का भाव निहित होता है। ऐसा उस समय होता है जब आम चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होता है। चुनाव के पूर्व जो गठबंधन बनते है उनमें अवसरवादिता के तत्व कम होते हैं और साथ ही साथ मिलकर काम करने की भावना रहती है जो लगभग एक समान कार्य करने के लिए गठबंधन बनाएं जाते हैं। गठबंधन की राजनीति से तात्पर्य क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों को एक साथ मिलकर सरकार की स्थापना करने से है। वर्तमान भारतीय राजनीति में इस तरह की परम्परा का चलन है। झारखण्ड राज्य के गठन के पश्चात ही अधिकांशतः गठबंधन की सरकार रही। गठबंधन की सरकार के कारण सभी राजनीतिक दलों के अपने-अपने हित थे। झारखण्ड गठन से वर्तमान समय तक 11 से अधिक बार मुख्यमंत्री बदले हैं। भाजपा लंबें समय तक सत्ता में रही, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में केवल रघुवर दास ही अपना कार्यकाल पूरा कर सके। बाकी सरकारें बीच में ही धड़ाम होते रही। इस बीच कई तरह के गठजोड़ बने।[5] झारखण्ड में 2005 के दिसम्बर 2005 का द्वितीय विधानसभा का कार्यकाल राजनीतिक अस्थिरता का कार्यकाल रहा। इस अवधि में अर्जुन मुंडा को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का नेतृत्व का अवसर प्राप्त हुआ। जब 7 दिन पुरानी शिबू सोरेन की सरकार विधानसभा में बहुमत सिद्ध किए बिना गिर गई। द्वितीय कार्यकाल भारतीय जनता पार्टी को सीमित समय तक ही शासन का अवसर प्राप्त हुआ। दिसम्बर, 2009 में तृतीय झारखण्ड विधानसभा के चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी सत्ता से बाहर थी। शिबू सोरेन मधु कोड़ा का मुख्यमंत्रित्व काल तथा पहली बार झारखण्ड में राष्ट्रपति शासन की कमियों को उजागर गठबंधन के कारण ही हुआ है।[6] गठबंधन सरकार की समस्या: गठबंधन की राजनीति के समक्ष बहुत सी बाधाएँ और समस्याएँ उत्पन्न होती है। गठबंधन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती वर्तमान में हो रही विकास के योजनाओं के क्रियान्वयन को पूर्ण करना है।[7] झारखण्ड सरकार को बड़ी संख्या में तात्कालिक उद्देश्यों से मुकाबला करना होगा, सभी तरह के समस्याओं के साथ ही सरकार को एक गठबंधन की मांग और उससे उपजने वाली बाधाओं से जूझना पड़ेगा।[8] गठबंधन सरकार में राजनीतिक दल एक-दूसरे पर दोष मढ़कर जवाबदेही से बच जाते है। गठबंधन की सरकार मे क्षेत्रीय दलों की भागीदारी होती है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया एवं राष्ट्रीय एकता व अखण्ड सुदृढ़ होती है गठबंधन की सरकार के द्वारा एक दल के तानाशाही पूर्व रवैये का अन्त होता है। गठबंधन सरकार से संघीय प्रणाली को सशक्त आधार प्राप्त होता है। गठबंधन में शामिल दलों की भिन्न-भिन्न विचारधाराएँ होती है जिनमें परस्पर समन्वय स्थापित करना भी एक बड़ी समस्या है परन्तु परस्पर समन्वय के पश्चात व्यापक हितों को प्रतिनिधित्व मिल जाता है। गठबंधन की सरकार के कारण निर्णय प्रक्रिया में जनता के एक बड़े वर्ग की भागीदारी तो संभव हो जाती है परन्तु इसमें समन्वय स्थापित करना भी एक बड़ी चुनौती है। गठबंधन की सरकार की सबसे बड़ी समस्या इसके स्थायित्व से है। गठबंधन की सरकार गठबंधन के टूटते ही समाप्त हो जाती है। सरकार के अस्थायित्व के कारण बार-बार चुनाव कराने पड़ते है, जिसमें धन का अपव्यय होता है और जिसका भार जनता पर पड़ता है। गठबंधन की सरकार में शामिल विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच, सामजस्य स्थापित करना कठिन होता है जिसके कारण निर्णय प्रक्रिया मे विलंब होता है। गठबंधन की सरकार में सत्ता में बने रहने के लिए तुष्टीकरण की नीति अपनाई जाती है। जिससे भ्रष्टाचार और अनैतिकता का प्रोत्साहन मिलता है। गठबंधन की सरकार में दल-बदल की प्रवृति को प्रोत्साहन मिलता है।[9] गठबंधन की राजनीति से उत्पन्न समस्याओं के लिए समाधान: गठबंधन की सरकारों की अस्थिरता को दूर करने के लिए ऐसा नियम बनाया जाए कि यदि सरकार गठित हो जाए तो उसे निश्चित अवधि तक शासन का मौका मिले। इसके बाद सरकार के अल्पमत में आने पर भी मध्यावधि चुनाव की नौबत न आने की व्यवस्था की जा सकती है। चुनाव के बाद महज सत्ता प्राप्ति के लिए बनाए गए गठबंधन अवैध करार दिए जाए। गठबंधन की सरकार की मुख्य समस्या दलों की आपसी खींचातानी से आती है इसे दूर करना अति आवश्यक है क्योंकि आपसी खींचातानी के कारण नीतियों में समायोजना व एकरूपता का अभाव का रहता है।[10] भ्रष्टाचार और अनैतिकता को बढ़ने से रोकना होगा। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच विचारधारा के समन्वय स्थापित करना होगा। |
||||||
निष्कर्ष |
उपयुक्त विवेचना के बाद हम यह कह सकते हैं कि गठबंधन की राजनीति भारत देश हो या झारखण्ड राज्य में स्थायी रूप से धारण कर चुकी है तो इसे बेहतर ढंग से चलाने के लिये राजनीतिक दलों के लिए तथा नेताओं के लिए आचार संहिता का होना आवश्यक है। अयोग्य तथा अपराधी प्रवृति के लोगों को राजनीति में आने से रोका जाए, परिवारवाद पर अंकुश लगे। गठबंधन सरकार में शामिल सभी सहयोगी दलों को आपसी आदान-प्रदान तथा एक-दूसरे के हितों का ख्याल रखते हुए आपस में भागीदारी का निर्वहन की भावना का न्यूनतम सम्मान संभव हो तो ज्यादा से ज्यादा पालन तो होना ही चाहिए। |
||||||
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. जौहरी, जे॰ सी॰ एवं डॉ॰ रश्मि शर्मा. भारत में राजनीतिक प्रक्रिया. एस॰बी॰पी॰ओ॰ पब्लिकेशन, 2022, पृ॰ 24. 2. गाबा, ओ० पी०. कॉन्सेप्चुअल डिक्शनरी ऑफ पॉलिटिकल साइन्स, हिंदी, मयूर पब्लिकेशन, नई दिल्ली, 2005. 3. भारतीय संविधान, राजनीतिक व्यवस्था एवं शासन प्रणाली तथा राजस्थान की राजनीतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था, by Team Prabhat, पृ॰ 51. 4. सरस्वती राजनीति विज्ञान, नई सरस्वती हाऊस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली, पृ॰ 387. 5. https://www.jagaran.com/ jharkhand/ranchi- 6. प्रकाश, डॉ॰ प्रेम. झारखण्ड की राजनीतिक औद्योगिकरण के संदर्भ में. रेड साइन पब्लिकेशन 7. https://www.bhaskar.com 8. https// www. hindi_business-Standard.com 9. बंसल, राजीव. भारत में राजनीतिक प्रक्रिया. एसबीपीओ पब्लिकेशन, पृ॰ 24 10. https://www.bhaskar.com |