ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- IX , ISSUE- III June  - 2024
Anthology The Research

पर्यटन विकास में सारी गांव का स्थानिक विश्लेषण

Spatial Analysis of Sari Village in Tourism Development
Paper Id :  18943   Submission Date :  2024-06-04   Acceptance Date :  2024-06-12   Publication Date :  2024-06-16
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.
DOI:10.5281/zenodo.13221078
For verification of this paper, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/anthology.php#8
किरन त्रिपाठी
सहायक प्रध्यापक
भूगोल विभाग
राजकीय महाविद्यालय, भूपतवाला
हरिद्रार,उत्तराखण्ड, भारत
सारांश

पर्यटन उद्योग पर्वतीय क्षेत्र के विकास का मुख्य आधार माना जाता है यह स्थानीय  जनता को स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान करता है, उत्तराखंड में भी पर्यटन उद्योग की अपार संभावनाएं हैं यह एक पर्वतीय राज्य है जिसका अधिकांश भाग महान व लघु हिमालय में स्थित है, अत्याधिक उच्चावचीय अंतराल 300 से 8000 मीटर की ऊंचाई के कारण यहां धरातलीय विषमता का पाया जाना स्वाभाविक है| ऊंची पर्वत श्रेणियां व गहरी घाटियां यहां के धरातल के मुख्य विशेषताएं हैं यहां पर स्थित पर्वत श्रेणियां 12 महीने बर्फ से आच्छादित रहती हैं जिससे सतत वाहिनी नदियों का उद्गम होता है जो राफ्टिंग के लिए भी अनुकूल दशाएं प्रस्तुत करती हैं उत्तराखंड के उत्तरी भाग में हिमाच्छादित पर्वत श्रेणियां,मध्य भाग में घास के मैदान, (बुग्याल) तथा निचले भागों में कल-कल करती हैं नदी घाटियां यहां की नैसर्गिक सुंदरता अत्यंत मनमोहक है| तीन चौथाई भाग पर्वतीय होने के कारण यहां की भौगोलिक दशाएं उद्योग व कृषि के लिए अनुकूल नहीं है परंतु नैसर्गिक सुंदरता का धनी होने के कारण पर्यटन उद्योग यहां की आर्थिक आजीविका का मुख्य आधार बन सकता है प्रमुख तीर्थ स्थलों, बुग्याल क्षेत्रों, झील क्षेत्रों को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर यहां के आर्थिक विकास को बढ़ाया जा सकता है| वर्तमान समय में कुछ सीमांत गांव अंतिम विश्राम स्थल के रूप में विकसित हुए हैं जिसमें चमोली में नीति माणा बेरासकुंड, रुद्रप्रयाग में सारीत्रिजुगीनारायणजखोली में बधाणीउत्तरकाशी में बारसू, रेथल, हरसिल, जखोल मुख्य हैं, इन स्थानों पर होटलहटहोमस्टेगाइड  व्यवस्था,घोड़े, खच्चरस्थानीय यातायात को स्वरोजगार का साधन बना कर आजीविका अर्जित की जाती है जिस कारण इन गांव में पलायन भी नगण्य है यदि इस प्रकार की गतिविधियां अन्य क्षेत्रों में भी क्रियान्वित की जाएं तो पलायन की गतिपर रोचक लग सकती है|

सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The tourism industry is considered to be the main basis for the development of the mountainous region. It also provides self-employment opportunities to the local people. There are immense possibilities of tourism industry in Uttarakhand too. It is a mountainous state, most of which is located in the Great and Lesser Himalayas. Due to the high relief interval of 300 to 8000 meters, it is natural to find uneven terrain here. High mountain ranges and deep valleys are the main features of the surface here. The mountain ranges located here remain covered with snow for 12 months from which continuously flowing rivers originate, which also provide favorable conditions for rafting. Snow-clad mountain ranges in the northern part of Uttarakhand, grasslands (Bugyal) in the central part and gurgling river valleys in the lower parts, the natural beauty of this place is extremely captivating. As three fourths of the area is mountainous, the geographical conditions here are not conducive for industry and agriculture, but due to the abundance of natural beauty, tourism industry can become the main basis of economic livelihood here. Economic development here can be increased by developing major pilgrimage sites, Bugyal areas, lake areas as tourist places. At present, some border villages have developed as final resting places, in which Niti Mana Beraskund in Chamoli, Sari, Trijuginarayan in Rudraprayag, Badhani in Jakholi, Barsu Rethal in Uttarkashi, Harsil, Jakhol are the main ones. At these places, livelihood is earned by making hotels, huts, homestays, guide arrangements, horses, mules, local transport as means of self-employment, due to which migration in these villages is also negligible. If such activities are implemented in other areas as well, then the pace of migration may look interesting.
मुख्य शब्द नेसर्गिक सुन्दरता, बाहुल्य, पलायन, आर्थिक विकास, आर्थिक आजीविका, पर्यटक, मनोरम दृश्य, पर्यटन व्यवसाय, अंतिम विश्राम स्थल|
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Natural Beauty, Abundance, Migration, Economic Development, Economic Livelihood, Tourists, Scenic Views, Tourism Business, Final Resting Place.
प्रस्तावना

पृष्ठ भूमि - लघु हिमालय के सीमांत गांवो में मंदाकिनी नदी की सहायक नदी काकड़ा गाड के ऊपरी जलागम में 1500 मीटर की ऊंचाई पर बसा सारी गांव अपने नैसर्गिक सौंदर्य से ओत-प्रोत है  जो चारों ओर से हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है, यह ग्राम रुद्रप्रयाग जनपद में ऊखीमठ विकासखंड के ऊखीमठ चोपता मार्ग पर ऊखीमठ से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सारी गांव की 30052'19'' उत्तरी अक्षांश और 79012'70'' पूर्वी देशांतर पर 1400 मीटर से 1700 मीटर की ऊंचाई के मध्य 286 हे० भूमि में अवस्थित है l इसके उत्तर में देवरिया ताल, पूर्व में तुंगनाथ, ताला मक्कू, दक्षिण में देड़ा, व मस्तुरा ग्राम तथा पश्चिम में करोखी ग्राम स्थित है, प्राचीन किंबदंतिओं के अनुसार प्राचीन समय में मस्तूरा क्षेत्र में भूस्खलन होने के कारण प्रभावित जनसंख्या के उत्तर की ओर सरकने (विस्थापित )के कारण इस गांव का नाम सारी पड़ा|

अध्ययन का उद्देश्य
उत्तराखंड राज्य एक पर्वतीय राज्य है, जहां पर आर्थिक विकास के लिए उद्योगों का विकास करना संभव नहीं है परंतु प्राकृतिक सौंदर्य का धनी  होने के कारण यहां की नैसर्गिक छटा पर्यटन विकास का मुख्य आधार बन सकता है|
साहित्यावलोकन
सारी गांव का अध्ययन 1987 में डॉक्टर अनीता रुडोला हे. नं. ब. ग.विश्वविद्यालय की पौड़ी परिसर की भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष जी द्वारा जनसंख्या विकास पर अध्ययन किया गया था, तथा 1960 में मंजू भंडारी नेगी राजकीय महाविद्यालय देहरादून शहर के द्वारा यहां की जनसंख्या तथा पलायन पर विस्तृत अध्ययन किया गया, तथा डॉक्टर राजेश भट्ट द्वारा उत्तराखंड का पर्यटन विकास पर पुस्तक लिखी गई उसमें भी सारी गांव के पर्यटन अध्ययन किया गया है|
मुख्य पाठ

भौतिक पृष्ठभूमि - पर्वतीय क्षेत्र में उच्चावचीय विभिन्नता के कारण सारी गांव की धरातलीय संरचना व बनावट में विविधता पाई जाती है, भू आकृतिक दृष्टि से यह ग्राम प्राचीन हिमानी निर्मित Uआकार की घाटी में बसा है जिसके आसपास के सभी क्षेत्र प्राचीन हिमानी निर्मित लटकती घाटियों के रूप में परिलक्षित होते हैं| गांव की धरातलीय संरचना और बनावट से पता चलता है कि यह क्षेत्र प्राचीन शैल भूस्खलन के पंखाकार हिमोढ़ पर उत्तर से दक्षिण दिशा में फैला है जिसका उत्तरी भाग 1600-1700 मीटर की ऊंचाई में खड़े ढाल, मध्य भाग 1500 मीटर की ऊंचाई में मध्यम ढाल तथा दक्षिण भाग का ऊपरी भाग 1400 मीटर की ऊंचाई में समतल तथा निचला भाग खड़े ढाल वाला है मध्य भाग की अपेक्षा पूर्वी भाग तथा पश्चिमी भागों में  ढाल अधिक पाया जाता है गांव का अधिवास क्षेत्र 1500 मीटर से 1550 मीटर के मध्य फैला है ढाल की दिशा की दृष्टि से भी गांव का धरातल कई भागों में बंटा है| पूर्वी क्षेत्र में ढाल उत्तर से दक्षिण की तरफ, मध्य भाग में उत्तर से पूर्व तथा पश्चिम भाग में ढाल  पूर्व की तरफ को मिलता है| इस प्रकार प्राकृतिक रूप से यह गांव छोटे-छोटे सीढ़ीनुमा खेतों के मध्य विहंगम  दृश्य के रूप में दिखाई देता है |

प्राकृतिक वनस्पति- सारी गांव शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है इस कारण इस क्षेत्र में ओक  प्रजाति  के वृक्षों की बहुलता है, गांव के पूर्वी, पश्चिमी व उत्तरी भाग में मध्यम ढाल वाले क्षेत्रों में वृक्षों का घनत्व अधिक है जबकि दक्षिण व मध्य भाग में मानवीय हस्तक्षेप के कारण वृक्षों का घनत्व कम हो रहा है गांव के दक्षिण भाग में उत्तीस  के वृक्षपूर्वी भाग में उत्तीस चीड़ बांज बुरांश वृक्ष  मिश्रित रूप में, पश्चिम में बांज, बुरास, अंयार, उत्तीस, उत्तरी भाग में बांज, बुरास, मोरु के वृक्ष पाए जाते हैं! व तीव्र ढाल वाले क्षेत्र वनस्पति विहीन हैं| गाँव के उत्तरी तथा पूर्वी भाग में वृक्षारोपण द्वारा मणिपुरी बाँजका घनत्व बड़ा है|

मिट्टी - सारी गांव प्राचीन शैल भूस्खलन के पंखाकार हिमोड़ पर बसा है जिस कारण ऊपरी भाग में बड़े-बड़े चट्टानों के टुकड़े व पथरीली मिट्टी , मध्य भाग में गहरी भूरी, पूर्वी भाग में ऊपरी क्षेत्र में हल्की भूरी तथा निचले  भाग में चूना युक्त मिट्टी, पश्चिम भाग में लाल मिट्टी व हल्की भूरी मिट्टी का बाहुल्य है|

सांस्कृतिक दृष्टि के अध्ययन से पता चलता है कि वर्तमान समय में गांव में 243 परिवार निवास करते हैं जिनमें से 223 परिवार राजपूतों के है जिसमें 163 परिवार नेगी तथा 60 परिवार भट्ट के हैं व 20 परिवार अनुसूचित जाति के है। गाँव में मात्र दस परिवार ही अस्थायी रूप से पलायन किये है जिनके गाँव में भी स्थायी निवास है, गाँव की कुल जनसंख्या 1178 है जिसमे 617 स्त्रियाँ व्  561 पुरष है सबसे अधिक जन संख्या 25 से 44 आयु वर्ग के अंतर्गत है जन संख्या घनत्व 4.12 व्यक्ति / हे० तथा लिंग अनुपात 1099 / हज़ार पुरुष है जिसका मुख्य कारण गाँव में पुरुष मृत्य दर की अधिकता हैl


गांव के उत्तर में शंकर भगवान व नागराजा जी का मंदिर है तथा मध्य भाग में मां नंदा देवी दक्षिण भाग में काली माता दक्षिण काली वह पांडव के मंदिर विद्यमान गांव के पूरब में है 20 किलोमीटर दूरी पर पंच केदारो में से एक तुगनाथ भगवान जी का मंदिर विद्यमान है यहां आने वाले तीर्थयात्रियों व उत्तर  भाग में स्थित देवरिया ताल पर्यटक स्थल में आने वाले पर्यटकों के लिए सारी गांव एक विश्राम स्थल के रूप में विकसित हो चुका है यहां की 75% जनसंख्या होटल, होमस्टे, हट, कैंप, गाइड व्यवस्था, तथा परिवहन के कार्य में संलग्न है इस प्रकार से स्व रोजगार के साधन उपलब्ध होने के कारण अन्य क्षेत्रों की तुलना में यहां पर पलायन  बहुत कम हुआ है जो 2-4 परिवार बाहर हैं भी उनके गांव में भी स्थाई मकान बने हुए हैं। वर्तमान समय में सारी गांव देवरिया ताल चंद्रशिला ट्रैक के रूप में विकसित हो रहा है यहां बरसात के 2 महीने छोड़कर अन्य सभी महीनो में पर्यटक ट्रेकिंग के लिए पर्यटकआते रहते हैं|

पर्यटन की अवसँरचना - पर्यटन की अवसंरचना के रूप में यहां पर रहने खाने, गाइड, परिवहन हेतु जीप, घोड़े की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है यहाँ की पर्यटन अवसंरचना के मुख्य अवयव निम्नवत है -

कैंप - देवरिया ताल - चंद्रशिला ट्रैकिंग मार्ग के समीप रहने हेतु टेंट का उपयोग अधिकांशत: किया जाता हैटेंट दो प्रकार के होते हैं, स्थाई और अस्थाई, स्थाई टेंट का निर्माण गाँव में किया गया है जिसमे 4 से 6 टेंट के 4, 8 से 10 टेंट के दो कैंप हैं देवरिया ताल के ऊपर चंद्रशिला के मार्ग में 25 स्थाई कैंप है जिसमें 2 से 4 टेंट के12 तथा 4 से 6 कैंप के आठ टेंट, 8 से 10 के 2 कैम्प है |

होमस्टे- उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाई गयी होमस्टे योजना का विकास के रूप में सारी गांव एक आदर्श उदाहरण है यहां पर 2007 से होमस्टे का कार्य शुरू किया गया तथा वर्तमान समय में 40 परिवार होमस्टे को अपनी आर्थिक आजीविका का साधन बनाकर स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं| वर्तमान की सूचना (2023) के आधार पर गांव में 2 कमरे के 162-4 कमरे के 10, 4-6 कमरे के 76-8 कमरे के 4 तथा 8-10 कमरे के 3 होमस्टे  इकाईयां हैं| इस प्रकार गांव में होम स्टे में पर्याप्त आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं,जिनका किराया 12000 प्रति कमरे की दर से लिया जाता है इसमें दो व्यक्ति ठहर सकते हैं| पर्यटकों को घर के जैसा खाना उपलब्ध होता है पर्यटकों को अपने आप भी खाना बनाने की भी सुविधा होती है|

होटल- सारी गांव में रहने खाने हेतु होटल व्यवस्था भी उपलब्ध है जिसमें 2-4 कमरे के 3, 4–6 कमरे के 2 6-8 कमरे के 2 तथा 8-10 कमरे के 2 होटल हैं इस प्रकार गांव में कुल मिलाकर 9 होटल है| इसमें सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, इसके एक कमरे का किराया 1500 है होटलों में होटल मालिक स्वयं ही सभी कार्य करते हैं|

हट - सारी गांव से देवरिया ताल मार्ग में विश्राम हेतु हट का निर्माण भी किया गया है| जिनमें अधिकतर हट स्थानीय लोगों के हैं| वहीँ कुछ बाहरी लोगों द्वारा जमीन को लीज पर लेकर हट का निर्माण किया गया है हट में भी संपूर्ण आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं हट का निर्माण लकड़ी तथा टिन द्वारा किया गया है वर्तमान में केवल टिन के द्वारा भी हट का निर्माण किया जा रहा है यहएक और दोबिस्तरों वाले हैं एकल बेड हट का किराया 600 तथा दो बेड के हट का किराया 12000 निर्धारित किया गया है, जिसमें भोजन का शुल्क अलग से लिया जाता है, सारी गांव में 2 से 4 कमरे के 4, 4 से 6 कमरे के 3, 6 से 8 कमरे के 2 तथा 8 से 10 कमरे के 1हट विद्यमान है इनमें 7 हटगांव में तथा तीन देवरियाताल मार्ग पर स्थित हैं|


गाइड व्यवस्था - सारी गांव देवरिया ताल चंद्रशिला ट्रैक  के लिए अंतिम विश्राम स्थल है जहां से चंद्रशिला की दूरी 18 किलोमीटर है इस ट्रेकमें देवरिया ताल, रोहिणी बुग्याल,चोपता व चंद्रशिला मुख्य स्थल हैं| यह ट्रैक हिमालय क्षेत्र में सबसे सुगम एवंछोटा ट्रेक है जो वर्ष पर्यंत खुला रहता है इसमें स्थानीय ग्रामवासी व बाहरी कंपनियां गाइड उपलब्ध कराते हैं| कुछ समय पहले केवल स्थानीय युवा इस कार्य को करतेथे परंतु वर्तमान में बाहरी कंपनियां भी यहां पर गाइड का कार्य करने के लिए स्थानीय लोगों को प्रतिमाह 25000 तक मानदेय पर रखते है स्थानीय जनता के द्वारा प्रति व्यक्ति भाड़ा अलग-अलग मौसम में अलग-अलग लिया जाता है जैसे कि बर्फ गिरने तथा बरसात में यह भाड़ा प्रति व्यक्ति रु 2000 प्रतिदिन रहता है जबकि ग्रीष्म,बसंत,व शरद ऋतुओं में भाड़ा प्रति व्यक्ति  रु1500 प्रतिदिन  की दर से लिया जाता है| वर्तमान में इंडिया हाइक्स कम्पनी में 12 स्थानीय लोग गाइड का कार्य कर रहे हैं|

यात्रा हेतु यातायात के साधन- सारी गांव पर्यटन संकुल में यात्रा हेतु यातायात की पर्याप्त सुविधा है जिसमें स्थानीय लोगों के घोड़े खच्चर टैक्सी,  टाटा सुमो, जीप उपलब्ध है वर्तमान समय में यहा 25 टैक्सी 5 टाटा सुमो और 40 घोड़े खच्चर इसके अतिरिक्त एक जी.एम.ओ की बस भी उपलब्ध है|

पर्यटन के मार्ग - पर्यटक स्थल देवरिया ताल के दो मुख्य मार्ग, जिसमें एक रुद्रप्रयाग एवं ऊखीमठ से होकर चोपता मार्ग दूसरा कर्णप्रयाग से गोपेश्वर होकर चोपता, देवरिया ताल पहुंचने के कई उपमार्ग है जिसमें  ऊखीमठ पेंज गांव से देवरिया ताल , मनसूना  से देवरिया ताल, करोखी देवरिया ताल मार्ग, फापँज से देवरिया ताल मार्ग, गैड गडगू देवरिया ताल मार्ग, नोडर ग्वाड़ देवरिया ताल मार्ग, मस्तूरा सारी देवरियाताल चंद्रशिला मार्गमस्तुरा सारी, देवरियाताल  चंद्रशिला मार्ग सबसे मुख्य मार्ग है| जिसकी दूरी सारी गांव से 16 किलोमीटर है इन मार्गो में मुख्य विश्राम स्थल देवरिया ताल, रोहिणी बुग्याल, एवं चोपता है|

ट्रैकिंग - सारी देवरिया ताल चंद्रशिला ट्रैक गढ़वाल क्षेत्र के काफी विकसित ट्रैक है जहां पर वर्ष भर ट्रैकिंग सक्रिय रहता है जिसको संपन्न कराने का कार्य सारी गांव का स्थानीय समुदाय तथा गांव में स्थित दो बाहरी कंपनियों इंडिया हाइक्स व ट्रैक द हिमालया में लगे स्थानीय गाइड करते हैं मानसूनकालीन 2 महीनों जुलाई, अगस्त में ट्रैकर की संख्या थोड़ा कम रहती है, ट्रैकिंग में गाइड का काम होमस्टे, हट, होटल, कैंप चलाने वाले स्थानीय लोग ही करते हैं एक ग्रुप में 8 से 10 व्यक्तियों की संख्या होती है तथा मजदूरी मौसम के अनुसार अलग-अलग रहती है बर्फ गिरने या बरसात में प्रति व्यक्ति/ प्रति दिन मजदूरी 2000 तथा  ग्रीष्म,वसंत व शरद ऋतु में 1500 रुपए होती है |

इंडिया हाइक्स 4 रात 5 दिन का 10000 प्रति व्यक्ति की दर से 15 से 20 व्यक्तियों के ग्रुप को लेकर आते हैं माह में चार से पांच ग्रुप ट्रेक करते हैं इंडिया हाइक्स कंपनी में 12 स्थानीय व्यक्ति गाइड का कार्य करते हैं जिनका मानदेय 25000 है | ट्रैकिंग हेतु ट्रैकर  राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आते हैं जिसमें पश्चिमी बंगाल बेंगलुरु गुजरात रूस जर्मनी ब्रिटेन जापान आदि क्षेत्र मुख्य हैं ट्रैकिंग में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री व टेंट में प्रयोग होने वाली सभी आधुनिक सुविधाएं यहां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहती हैं|

मनोरंजन- देवरिया ताल की नैसर्गिक सुंदरता अत्यधिक रमणीय है जिससे देखने के लिए देश-विदेश से शैलानी वर्ष पर्यंत आते रहते हैं जिनकी संख्या शीत ऋतु में बर्फ गिरने तथा वसंत ऋतु में बुरांश खिलने पर बढ़ जाती है इस प्रकार इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पर्यटन उद्योग के लिए अधिक अनुकूल है जहां कोई भी आसानी से पहुंच सकता है यहां से गढ़वाल हिमालय की हिमाच्छदित पहाड़ियां, घने जंगल, गहरी घाटियां, व सुंदर देवरिया ताल झील सैलानियों को अपनी और आकर्षित करती है देवरिया ताल के चारों तरफ के प्राकृतिक परिदृश्य का प्रतिबिंब यहां की सुंदरता को और भी निखार देती है

सारी गाँव में विदेशी यात्रियों की संख्या

माह

Jan

Feb

Mar

Apr

May

Jun

Jul

Aug

Sep

Oct

Nov

Dec

संख्या

1398

682

981

1359

281

1209

1100

1003

822

927

1255

1248

कुल

12,265

श्रोत- प्राथमिक आंकड़े

शोधार्थी- देवरिया ताल क्षेत्र केदारनाथ रिजर्व फॉरेस्ट मैं स्थित है जो जैव विविधता का धनी है जिस कारण राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोधार्थी शोध कार्य के लिए बुरास खिलने व अक्टूबर-नवंबर में शोध कार्य हेतु बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं शोधार्थियों में गढ़वाल विश्वविद्यालयगुजरात, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, रूसजर्मनी, जापान, आदि क्षेत्रों के शोधार्थी  अधिक संख्या में आते है

विद्यार्थी-  धरातलीय विषमता व जैव विविधता  मैं अत्यधिक भिन्नता का पाया जाना इस क्षेत्र की मुख्य विशेषता है इसलिए विद्यालयों महाविद्यालयों के बॉटनी, फॉरेस्ट, जूलॉजी, जियोलॉजी,ज्योग्राफी आदि विषयों के विद्यार्थियों के शैक्षणिक टूर बसंत ऋतु तथा अक्टूबर-नवंबर में जैव विविधता व भौगोलिक अध्ययन के लिए यहां अधिक संख्या में पहुंचते हैं इसके अतिरिक्त कुछ विद्यालयों में एन.एस.एस, रोवर्स रेंजर्स व अन्य विद्यार्थी भी मनोरंजन के लिए यहां आते हैं

तीर्थयात्री- सारी गांव के केदारनाथ, तुँगनाथ,बद्रीनाथ मार्ग में अवस्थित होने के कारण तीर्थाटन पर आने वाले यात्री भी तुँगनाथ में अधिक भीड़ भाड़ होने के कारण व देवरिया ताल पर्यटक स्थल के निकट होने से यात्री रात्रि विश्राम के लिए सारी आते हैं जिससे यात्रा काल के दौरान यहां पर पर्यटकों की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है तथा गांव की अधिकांश जनसंख्या पर्यटन व्यवसाय में कार्यरत हो जाती है

वर्डवाचर- केदारनाथ रिजर्व फॉरेस्ट के अंतर्गत स्थित होने के कारण यहां की पारिस्थितिकी में अत्यधिक विविधता पाई जाती है जिससे यहां पर विभिन्न प्रकार के जैव समुदायों का विकास हुआ है साथ ही ग्रीष्म ऋतु के शुभारंभ पर अनेक प्रकार के प्रवासी पक्षियों का आवागमन भी शुरू हो जाता है इसलिए मार्च-अप्रैल से गुजरात, मुंबई, बेंगलुरु से पक्षी विशेषज्ञों के ग्रुप बड़ी संख्या मेंशोध हेतु देवरिया ताल  क्षेत्र में पहुंचते हैं वर्डवाचर का कार्य सारी गांव के पूर्व में स्थित मक्कू गांव के पक्षी विशेषज्ञ करते हैं|


ब्लाँगर - बढ़ती जनसंख्या के समक्ष रोजगार की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिस कारण वर्तमान समय में  सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के कारण उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र पर्यटन, तीर्थाटन , ग्रामीण लोक संस्कृति इत्यादि के क्षेत्र में ब्लॉगर के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान कर रहा है सारी गांव का मनोरम प्राकृतिक पर्यावरण ब्लॉगर कार्य के लिए अनुकूल दशाए प्रस्तुत करता है जिस कारण इस गांव क्षेत्र में वर्ष पर्यंत अलग-अलग कार्यों जैसे ग्रामीण संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता, देवरिया ताल के पर्यटक स्थल का मनोरम दृश्य,का अवलोकन कराने के लिए अलग अलग समय पर लोग यहां आते हैं |

पर्यटन का प्रभाव

आर्थिक विकास पर प्रभाव - किसी भी क्षेत्र के आर्थिक विकास में पर्यटन व्यवसाय की अहम भूमिका होती है देवरिया ताल पर्यटक स्थल के अंतिम विश्राम स्थल व केदारनाथ बद्रीनाथ यात्रा मार्ग केनिकट स्थित होने के कारण सारी गांव में पर्यटन व्यवसाय आर्थिक आजीविका का मुख्य आधार बन चुका है यहां की तीन चौथाई जनसंख्या होमस्टे,होटल, गाइड  व्यवस्था व यातायात सुविधाओं में संलग्न है जिससे यहां पर प्रति व्यक्ति आय का स्तर भी बढ़ा है वर्तमान समय में 26 परिवार होमस्टे, 10 परिवार होटल, 4 परिवार हट, 25 परिवार कैंम्प, 60 व्यक्ति गाइड व्यवस्था तथा 15 परिवार घोड़े खच्चर व 25 परिवार (टैक्सी) सड़क यातायात जैसे स्वरोजगार में कार्यरत हैं युवा स्वरोजगार वर्ष पर्यंत चलता रहता है जिस कारण इस गांव क्षेत्र में रोजगार हेतु युवा पलायन बहुत कम हुआ है |

सामाजिक विकास पर प्रभाव - पर्यटन व्यवसाय  का प्रभाव यहां के सामाजिक जीवन पर भी स्पष्ट दिखाई देता है गांव में प्राचीन अधिवास का स्थान आधुनिक ढंग से बने सीमेंट के मकानलकड़ी व टिन से बने हट व टेंट ने ले लिया है जनसंख्या घनत्व वह साक्षरता का स्तर भी बढ़ा है लिंगानुपात में भी स्त्री पुरुष अनुपात में अंतर ज्यादा नहीं मिलता!

सांस्कृतिक विकास पर प्रभाव- पर्यटन हेतु  देश विदेशी से  पर्यटकों के आवागमन के कारण यहां की संस्कृति के अंतर्गत रीति रिवाज बोलचाल रहन-सहन पहनावे में परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, रीति रिवाज में स्थानीय रीति रिवाज  जैसे पांडव नृत्य, बगड़वाल नृत्य, आछरी नृत्य, नाग देवता पूजा, नंदा देवी उत्सव, रामलीला,नाटक आदि का आयोजन पहले की तरह आज भी किया जाता है! इसके अतिरिक्त तीन पर्व मुख्य रूप से यहां पर मनाए जाते हैं, जिनमें जन्माष्टमी में देवरिया ताल में कृष्ण जन्मोत्सव, तुगनाथ भगवान,व गोल्या देवता की साल में एक बार पूरे गांव से दूध एकत्रित कर दूध के पकवान बनाकर पूजा अर्चना की जाती है तथा प्रसाद पूरे गांव में वितरित किया जाता है| पर्यटन विकास के कारण पर्यटकों के लिए कैंप फायर व हिंदी अंग्रेजी गानों पर नाच/डांस करवाया जाता है बोलचाल में भी स्थानीय जनता मातृभाषा का प्रयोग करती है परंतु पर्यटकों के साथ हिंदी अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता है, रहन-सहन पर पर्यटन का सबसे अधिक प्रभाव दिखाई दे रहा है जिसमें खाने में स्थानीय पकवानों की अपेक्षा फास्ट फूड मैगी, चिप्स, शीतल पेय  आदि का प्रचलन बढ़ गया है, पहनावे में भी बुजुर्ग लोगों की तुलना में  नयी पीढ़ी के बच्चों के पहनावे में बाहरी संस्कृति की झलक दिखाई देती है |

निष्कर्ष
सारी गांव की स्थिति देवरिया ताल तुंगनाथ मार्ग में स्थित होने के कारण अंतिम विश्राम स्थल के रूप में विकसित होता जा रहा है| वर्तमान में देवरिया ताल चंद्रशिला ट्रैक के रूप में विकसित होने के कारण पर्यटन व्यवसाय स्थानीय जनता की आजीविका का यहां मुख्य आधार बन चुका है, यदि इसी प्रकार उत्तराखंड के अन्य अंतिम विश्राम स्थलों का भी विकास हो तो यहां पर पलायन को काफी हद तक रोका जा सकता है, तथा लोगों को रोजगार मिल सकता है व आर्थिक विकास तथा प्रति व्यक्ति आय का स्तर भी बढ़ सकता है|
भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव सारी गांव की भौगोलिक स्थिति को मध्य नजर रखते हुए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सरिगांव केदारनाथ- बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित होने के साथ-साथ देवरिया ताल वह तुम नाथ के लिए एक अंतिम विश्राम स्थल के रूप में है तथा इसकी प्राकृतिक सौंदर्यता भी अत्यधिक मनमोहक है जो सैलानियों को आकर्षित करती है इस दृष्टि से इस क्षेत्र की आर्थिक विकास में पर्यटन व्यवसाय अत्यधिक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है जो वर्तमान समय में धरातल पर भी दृष्टिगोचर हो रहा है जिसका सीधा प्रभाव यहां की पलायन पर भी दिखाई दे रहा है यदि आने वाले सैलानियों के लिए हरिद्वार ऋषिकेश से बस सेवा उपलब्ध हो गांव में चिकित्सालय की व्यवस्था की जाए शिक्षा के लिए इंटर कॉलेज की व्यवस्था हो जाए संचार व्यवस्था की अच्छी उपलब्धता हो तो पर्यटक यहां की आर्थिकी का मुख्य आधार बन सकता है वह पलायन को भी रोका जा सकता है l
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
  1. Bagri S.C. & Gupta S.K. (2001), Tourism and Pilgrimage: Planning & Development Issues in Garhwal Himalaya Nature, Calture and Society Editor Kandari O.P. & Gusain O.P., Transmedia, Srinagar Garhwal .
  2. Bagri S.C. (2005), Under Standing and Interpreting Eco-Tourism in Souvenir of International Conference, Eco-Tourism Planning and Management in Protected Areas (28 Feb. to 3 March, 2005 organized by H.N.B. GU.
  3. Bhardwaj D.S., Kandari O.P. (eds) (1998), Domestic Tourism in India, Indus publishing Company, New Delhi.
  4. Bhardwaj, Surender Mohan, (1973), Hindu Places of Pilgrimage in India, University of California Press, Berkeley P.146.
  5. Bhatt Rajesh & Kumar K, Panwar R.S. (2006), River Rafting-Potential Avenue of Adventure Tourism in the Sub-Himalayan Region of Uttaranchal in Resource Appraisal Technology Application and Environment Challenges in Central Himalaya, Voll-II, Editor M.S.S. Rawat etc., Transmedia Srinagar Garhwal.
  6. Bhattacharya and et. al. (1980), Assessment of Scenic beauty of Panchamarhi Area (M.P.), Mountain Recreation and Research Vol. II Lucknow.