भौतिक पृष्ठभूमि
- पर्वतीय क्षेत्र में उच्चावचीय विभिन्नता के
कारण सारी गांव की धरातलीय संरचना व बनावट में विविधता पाई जाती है, भू आकृतिक दृष्टि से यह ग्राम प्राचीन हिमानी निर्मित Uआकार की घाटी में बसा है जिसके आसपास के सभी क्षेत्र
प्राचीन हिमानी निर्मित लटकती घाटियों के रूप में परिलक्षित होते हैं| गांव की
धरातलीय संरचना और बनावट से पता चलता है कि यह क्षेत्र प्राचीन शैल भूस्खलन के
पंखाकार हिमोढ़ पर उत्तर से दक्षिण दिशा में फैला है जिसका उत्तरी भाग 1600-1700
मीटर की ऊंचाई में खड़े ढाल, मध्य भाग 1500 मीटर की ऊंचाई में मध्यम ढाल तथा दक्षिण भाग का ऊपरी भाग 1400 मीटर
की ऊंचाई में समतल तथा निचला भाग खड़े ढाल वाला है मध्य भाग की अपेक्षा पूर्वी भाग तथा पश्चिमी
भागों में ढाल अधिक पाया जाता है गांव का
अधिवास क्षेत्र 1500 मीटर से 1550 मीटर के
मध्य फैला है ढाल की दिशा की दृष्टि से भी गांव का धरातल कई भागों में बंटा है| पूर्वी क्षेत्र में ढाल उत्तर से दक्षिण की तरफ, मध्य भाग में उत्तर से पूर्व तथा पश्चिम भाग में ढाल
पूर्व की तरफ को मिलता है| इस प्रकार प्राकृतिक रूप से यह गांव छोटे-छोटे
सीढ़ीनुमा खेतों के मध्य विहंगम दृश्य के
रूप में दिखाई देता है |
प्राकृतिक
वनस्पति- सारी गांव शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में स्थित
है इस कारण इस क्षेत्र में ओक
प्रजाति के वृक्षों की बहुलता है, गांव के पूर्वी, पश्चिमी व उत्तरी भाग में मध्यम ढाल वाले क्षेत्रों में वृक्षों का घनत्व अधिक है जबकि
दक्षिण व मध्य भाग में मानवीय हस्तक्षेप के कारण वृक्षों का घनत्व कम हो रहा है
गांव के दक्षिण भाग में उत्तीस के वृक्ष, पूर्वी भाग में उत्तीस चीड़ बांज बुरांश वृक्ष मिश्रित रूप में, पश्चिम में बांज, बुरास, अंयार, उत्तीस, उत्तरी भाग में बांज, बुरास, मोरु के वृक्ष पाए जाते हैं! व तीव्र ढाल वाले क्षेत्र वनस्पति विहीन हैं|
गाँव के उत्तरी तथा पूर्वी भाग में वृक्षारोपण द्वारा मणिपुरी बाँजका घनत्व बड़ा है|
मिट्टी - सारी गांव प्राचीन शैल भूस्खलन के पंखाकार
हिमोड़ पर बसा है जिस कारण ऊपरी भाग में बड़े-बड़े चट्टानों के टुकड़े व पथरीली
मिट्टी , मध्य भाग में गहरी भूरी, पूर्वी भाग में ऊपरी क्षेत्र में हल्की भूरी तथा निचले भाग में चूना युक्त मिट्टी, पश्चिम भाग में लाल मिट्टी व हल्की भूरी मिट्टी का बाहुल्य है|
सांस्कृतिक
दृष्टि के अध्ययन से पता चलता है कि वर्तमान समय में
गांव में 243 परिवार निवास करते हैं जिनमें से 223 परिवार राजपूतों के है जिसमें
163 परिवार नेगी तथा 60 परिवार भट्ट के हैं व 20 परिवार अनुसूचित जाति के है। गाँव
में मात्र दस परिवार ही अस्थायी रूप से पलायन किये है जिनके गाँव में भी स्थायी
निवास है, गाँव की कुल जनसंख्या 1178 है जिसमे 617 स्त्रियाँ व् 561
पुरष है सबसे अधिक जन संख्या 25 से 44 आयु वर्ग के अंतर्गत है जन संख्या घनत्व 4.12
व्यक्ति / हे० तथा लिंग अनुपात 1099 / हज़ार पुरुष है जिसका मुख्य कारण गाँव में पुरुष मृत्य दर की अधिकता हैl

गांव के उत्तर में शंकर भगवान व नागराजा जी का मंदिर
है तथा मध्य भाग में मां नंदा देवी दक्षिण भाग में काली माता दक्षिण काली वह पांडव
के मंदिर विद्यमान गांव के पूरब में है 20 किलोमीटर दूरी पर पंच केदारो में से एक
तुगनाथ भगवान जी का मंदिर विद्यमान है यहां आने वाले तीर्थयात्रियों व उत्तर भाग में स्थित देवरिया ताल पर्यटक स्थल में आने
वाले पर्यटकों के लिए सारी गांव एक विश्राम स्थल के रूप में विकसित हो चुका है
यहां की 75% जनसंख्या होटल, होमस्टे, हट, कैंप, गाइड
व्यवस्था, तथा परिवहन के कार्य में संलग्न है इस प्रकार से स्व
रोजगार के साधन उपलब्ध होने के कारण अन्य क्षेत्रों की तुलना में यहां पर
पलायन बहुत कम हुआ है जो 2-4 परिवार बाहर
हैं भी उनके गांव में भी स्थाई मकान बने हुए हैं। वर्तमान समय में सारी गांव
देवरिया ताल चंद्रशिला ट्रैक के रूप में विकसित हो रहा है यहां बरसात के 2 महीने
छोड़कर अन्य सभी महीनो में पर्यटक ट्रेकिंग के लिए पर्यटकआते रहते हैं|

पर्यटन की
अवसँरचना - पर्यटन की अवसंरचना के रूप में यहां पर रहने
खाने, गाइड, परिवहन हेतु जीप, घोड़े की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है यहाँ की पर्यटन
अवसंरचना के मुख्य अवयव निम्नवत है -
कैंप - देवरिया ताल - चंद्रशिला ट्रैकिंग मार्ग के समीप रहने
हेतु टेंट का उपयोग अधिकांशत: किया जाता है, टेंट दो प्रकार के होते हैं, स्थाई और अस्थाई, स्थाई टेंट का निर्माण गाँव में किया गया है जिसमे 4 से 6
टेंट के 4, 8 से 10 टेंट के दो कैंप हैं देवरिया ताल के ऊपर चंद्रशिला के मार्ग में 25 स्थाई कैंप है जिसमें 2 से 4
टेंट के, 12 तथा 4 से 6 कैंप के आठ टेंट, 8 से 10 के 2 कैम्प है |
होमस्टे- उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाई गयी होमस्टे योजना का विकास
के रूप में सारी गांव एक आदर्श उदाहरण है यहां पर 2007 से होमस्टे का कार्य शुरू
किया गया तथा वर्तमान समय में 40 परिवार होमस्टे को अपनी आर्थिक आजीविका का साधन
बनाकर स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं| वर्तमान की सूचना (2023) के आधार पर गांव
में 2 कमरे के 16, 2-4 कमरे के
10, 4-6 कमरे के 7, 6-8 कमरे के 4 तथा 8-10 कमरे के 3 होमस्टे इकाईयां हैं| इस प्रकार गांव में होम स्टे में
पर्याप्त आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं,जिनका किराया ₹12000 प्रति कमरे की दर से लिया जाता है इसमें दो व्यक्ति ठहर सकते हैं| पर्यटकों को घर के
जैसा खाना उपलब्ध होता है पर्यटकों को अपने आप भी खाना बनाने की भी सुविधा होती है|

होटल- सारी गांव में रहने खाने हेतु होटल व्यवस्था भी उपलब्ध है
जिसमें 2-4 कमरे के 3, 4–6 कमरे के 2 6-8 कमरे के 2 तथा 8-10 कमरे के 2 होटल हैं इस प्रकार गांव
में कुल मिलाकर 9 होटल है| इसमें सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, इसके एक कमरे का
किराया ₹1500 है होटलों में होटल मालिक स्वयं ही सभी कार्य
करते हैं|
हट - सारी गांव से देवरिया ताल मार्ग में विश्राम हेतु हट का
निर्माण भी किया गया है| जिनमें अधिकतर हट स्थानीय लोगों के हैं| वहीँ कुछ बाहरी
लोगों द्वारा जमीन को लीज पर लेकर हट का निर्माण किया गया है हट में भी संपूर्ण
आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं हट का निर्माण लकड़ी तथा टिन द्वारा किया गया है
वर्तमान में केवल टिन के द्वारा भी हट का निर्माण किया जा रहा है यहएक और दोबिस्तरों
वाले हैं एकल बेड हट का किराया ₹600 तथा दो बेड
के हट का किराया ₹12000 निर्धारित किया गया
है, जिसमें भोजन का शुल्क अलग से लिया जाता है, सारी गांव में 2 से 4 कमरे के 4, 4 से 6 कमरे के 3, 6 से 8 कमरे के 2 तथा 8 से 10 कमरे के 1हट विद्यमान है इनमें 7 हटगांव में तथा
तीन देवरियाताल मार्ग पर स्थित हैं|

गाइड व्यवस्था - सारी गांव देवरिया ताल चंद्रशिला ट्रैक के लिए अंतिम विश्राम स्थल है जहां से
चंद्रशिला की दूरी 18 किलोमीटर है इस ट्रेकमें देवरिया ताल, रोहिणी बुग्याल,चोपता व चंद्रशिला मुख्य स्थल हैं| यह ट्रैक हिमालय क्षेत्र में सबसे सुगम एवंछोटा
ट्रेक है जो वर्ष पर्यंत खुला रहता है इसमें स्थानीय ग्रामवासी व बाहरी कंपनियां गाइड
उपलब्ध कराते हैं| कुछ समय पहले केवल स्थानीय युवा इस कार्य को करतेथे परंतु
वर्तमान में बाहरी कंपनियां भी यहां पर गाइड का कार्य करने के लिए स्थानीय लोगों
को प्रतिमाह 25000 तक मानदेय पर रखते है स्थानीय जनता के द्वारा प्रति व्यक्ति
भाड़ा अलग-अलग मौसम में अलग-अलग लिया जाता है जैसे कि बर्फ गिरने तथा बरसात में यह
भाड़ा प्रति व्यक्ति रु 2000 प्रतिदिन रहता है जबकि ग्रीष्म,बसंत,व शरद ऋतुओं में भाड़ा प्रति व्यक्ति रु1500 प्रतिदिन की दर से लिया जाता है| वर्तमान में इंडिया
हाइक्स कम्पनी में 12 स्थानीय लोग गाइड का कार्य कर रहे हैं|
यात्रा हेतु
यातायात के साधन- सारी गांव पर्यटन संकुल
में यात्रा हेतु यातायात की पर्याप्त सुविधा है जिसमें स्थानीय लोगों के घोड़े
खच्चर टैक्सी, टाटा सुमो, जीप उपलब्ध है वर्तमान समय में यहा 25 टैक्सी 5 टाटा सुमो और 40
घोड़े खच्चर इसके अतिरिक्त एक जी.एम.ओ की बस भी उपलब्ध है|
पर्यटन के मार्ग
- पर्यटक स्थल देवरिया ताल के दो मुख्य मार्ग, जिसमें
एक रुद्रप्रयाग एवं ऊखीमठ से होकर चोपता मार्ग दूसरा कर्णप्रयाग से गोपेश्वर होकर
चोपता, देवरिया ताल
पहुंचने के कई उपमार्ग है जिसमें ऊखीमठ
पेंज गांव से देवरिया ताल , मनसूना से देवरिया ताल, करोखी
देवरिया ताल मार्ग, फापँज से
देवरिया ताल मार्ग, गैड गडगू देवरिया ताल मार्ग, नोडर ग्वाड़ देवरिया ताल मार्ग, मस्तूरा सारी देवरियाताल चंद्रशिला मार्ग, मस्तुरा सारी, देवरियाताल चंद्रशिला मार्ग सबसे
मुख्य मार्ग है| जिसकी दूरी सारी गांव से 16 किलोमीटर है इन मार्गो में मुख्य विश्राम
स्थल देवरिया ताल, रोहिणी बुग्याल, एवं चोपता है|
ट्रैकिंग - सारी देवरिया ताल चंद्रशिला ट्रैक गढ़वाल क्षेत्र के
काफी विकसित ट्रैक है जहां पर वर्ष भर
ट्रैकिंग सक्रिय रहता है जिसको संपन्न कराने का कार्य सारी गांव का स्थानीय समुदाय
तथा गांव में स्थित दो बाहरी कंपनियों इंडिया हाइक्स व ट्रैक द हिमालया में लगे
स्थानीय गाइड करते हैं मानसूनकालीन 2 महीनों जुलाई, अगस्त में ट्रैकर की संख्या थोड़ा कम रहती है, ट्रैकिंग में
गाइड का काम होमस्टे, हट, होटल, कैंप चलाने वाले स्थानीय लोग ही करते हैं एक ग्रुप में 8 से 10 व्यक्तियों की संख्या होती है तथा मजदूरी मौसम के अनुसार अलग-अलग रहती है
बर्फ गिरने या बरसात में प्रति व्यक्ति/ प्रति दिन मजदूरी ₹2000 तथा ग्रीष्म,वसंत व शरद ऋतु में 1500 रुपए होती है |
इंडिया हाइक्स 4 रात 5 दिन का ₹10000 प्रति व्यक्ति की दर से 15 से 20 व्यक्तियों के ग्रुप को लेकर आते हैं माह में चार से पांच ग्रुप ट्रेक करते
हैं इंडिया हाइक्स कंपनी में 12 स्थानीय व्यक्ति गाइड का कार्य करते हैं जिनका मानदेय ₹25000 है | ट्रैकिंग हेतु ट्रैकर राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आते हैं
जिसमें पश्चिमी बंगाल बेंगलुरु गुजरात रूस जर्मनी ब्रिटेन जापान आदि क्षेत्र मुख्य
हैं ट्रैकिंग में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री व टेंट में प्रयोग होने वाली सभी
आधुनिक सुविधाएं यहां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहती हैं|
मनोरंजन- देवरिया ताल की नैसर्गिक सुंदरता अत्यधिक रमणीय है जिससे
देखने के लिए देश-विदेश से शैलानी वर्ष पर्यंत आते रहते हैं जिनकी संख्या शीत ऋतु
में बर्फ गिरने तथा वसंत ऋतु में बुरांश खिलने पर बढ़ जाती है इस प्रकार इस
क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पर्यटन उद्योग के लिए अधिक अनुकूल है जहां कोई भी आसानी
से पहुंच सकता है यहां से गढ़वाल हिमालय की हिमाच्छदित पहाड़ियां, घने जंगल, गहरी घाटियां, व सुंदर देवरिया
ताल झील सैलानियों को अपनी और आकर्षित करती है देवरिया ताल के चारों तरफ के
प्राकृतिक परिदृश्य का प्रतिबिंब यहां की सुंदरता को और भी निखार देती है
सारी गाँव में
विदेशी यात्रियों की संख्या
माह
|
Jan
|
Feb
|
Mar
|
Apr
|
May
|
Jun
|
Jul
|
Aug
|
Sep
|
Oct
|
Nov
|
Dec
|
संख्या
|
1398
|
682
|
981
|
1359
|
281
|
1209
|
1100
|
1003
|
822
|
927
|
1255
|
1248
|
कुल
|
12,265
|
श्रोत- प्राथमिक आंकड़े
शोधार्थी- देवरिया ताल क्षेत्र केदारनाथ रिजर्व फॉरेस्ट मैं स्थित
है जो जैव विविधता का धनी है जिस कारण राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोधार्थी
शोध कार्य के लिए बुरास खिलने व अक्टूबर-नवंबर में शोध कार्य हेतु बड़ी संख्या में
यहां पहुंचते हैं शोधार्थियों में गढ़वाल विश्वविद्यालय, गुजरात, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, रूस, जर्मनी, जापान, आदि क्षेत्रों के शोधार्थी अधिक
संख्या में आते है
विद्यार्थी-
धरातलीय विषमता व जैव विविधता मैं
अत्यधिक भिन्नता का पाया जाना इस क्षेत्र की मुख्य विशेषता है इसलिए विद्यालयों
महाविद्यालयों के बॉटनी, फॉरेस्ट, जूलॉजी, जियोलॉजी,ज्योग्राफी आदि विषयों के विद्यार्थियों के शैक्षणिक टूर बसंत ऋतु तथा
अक्टूबर-नवंबर में जैव विविधता व भौगोलिक अध्ययन के लिए यहां अधिक संख्या में
पहुंचते हैं इसके अतिरिक्त कुछ विद्यालयों में एन.एस.एस, रोवर्स रेंजर्स व अन्य विद्यार्थी भी मनोरंजन के लिए यहां आते हैं
तीर्थयात्री- सारी गांव के केदारनाथ, तुँगनाथ,बद्रीनाथ मार्ग में अवस्थित होने के कारण तीर्थाटन पर आने वाले यात्री भी
तुँगनाथ में अधिक भीड़ भाड़ होने के कारण व देवरिया ताल पर्यटक स्थल के निकट होने
से यात्री रात्रि विश्राम के लिए सारी आते हैं जिससे यात्रा काल के दौरान यहां पर
पर्यटकों की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है तथा गांव की अधिकांश जनसंख्या पर्यटन
व्यवसाय में कार्यरत हो जाती है
वर्डवाचर- केदारनाथ रिजर्व फॉरेस्ट के अंतर्गत स्थित होने के कारण
यहां की पारिस्थितिकी में अत्यधिक विविधता पाई जाती है जिससे यहां पर विभिन्न
प्रकार के जैव समुदायों का विकास हुआ है साथ ही ग्रीष्म ऋतु के शुभारंभ पर अनेक
प्रकार के प्रवासी पक्षियों का आवागमन भी शुरू हो जाता है इसलिए मार्च-अप्रैल से
गुजरात, मुंबई, बेंगलुरु से पक्षी विशेषज्ञों के ग्रुप बड़ी संख्या मेंशोध हेतु देवरिया
ताल क्षेत्र में पहुंचते हैं वर्डवाचर का
कार्य सारी गांव के पूर्व में स्थित मक्कू गांव के पक्षी विशेषज्ञ करते हैं|

ब्लाँगर - बढ़ती जनसंख्या के समक्ष रोजगार की समस्या दिन प्रतिदिन
बढ़ती जा रही है जिस कारण वर्तमान समय में
सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के कारण उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र पर्यटन,
तीर्थाटन , ग्रामीण लोक संस्कृति इत्यादि के क्षेत्र में
ब्लॉगर के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान कर रहा है सारी गांव का
मनोरम प्राकृतिक पर्यावरण ब्लॉगर कार्य के लिए अनुकूल दशाए प्रस्तुत करता है जिस
कारण इस गांव क्षेत्र में वर्ष पर्यंत अलग-अलग कार्यों जैसे ग्रामीण संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता, देवरिया ताल के पर्यटक स्थल का मनोरम दृश्य,का अवलोकन कराने के लिए अलग अलग समय पर लोग यहां आते हैं |
पर्यटन का
प्रभाव
आर्थिक विकास पर प्रभाव - किसी भी क्षेत्र के
आर्थिक विकास में पर्यटन व्यवसाय की अहम भूमिका होती है देवरिया ताल पर्यटक स्थल
के अंतिम विश्राम स्थल व केदारनाथ बद्रीनाथ यात्रा मार्ग केनिकट स्थित होने के
कारण सारी गांव में पर्यटन व्यवसाय आर्थिक आजीविका का मुख्य आधार बन चुका है यहां
की तीन चौथाई जनसंख्या होमस्टे,होटल, गाइड
व्यवस्था व यातायात सुविधाओं में संलग्न है जिससे यहां पर प्रति व्यक्ति आय
का स्तर भी बढ़ा है वर्तमान समय में 26 परिवार होमस्टे, 10 परिवार होटल, 4 परिवार हट, 25 परिवार कैंम्प, 60 व्यक्ति गाइड
व्यवस्था तथा 15 परिवार घोड़े खच्चर व 25 परिवार (टैक्सी) सड़क यातायात जैसे स्वरोजगार में कार्यरत हैं
युवा स्वरोजगार वर्ष पर्यंत चलता रहता है जिस कारण इस गांव क्षेत्र में रोजगार
हेतु युवा पलायन बहुत कम हुआ है |
सामाजिक विकास
पर प्रभाव - पर्यटन व्यवसाय का प्रभाव यहां के सामाजिक जीवन पर भी स्पष्ट
दिखाई देता है गांव में प्राचीन अधिवास का स्थान आधुनिक ढंग से बने सीमेंट के मकान, लकड़ी व टिन से बने हट व टेंट ने ले लिया है जनसंख्या घनत्व वह साक्षरता का
स्तर भी बढ़ा है लिंगानुपात में भी स्त्री पुरुष अनुपात में अंतर ज्यादा नहीं
मिलता!
सांस्कृतिक
विकास पर प्रभाव- पर्यटन हेतु देश विदेशी से
पर्यटकों के आवागमन के कारण यहां की संस्कृति के अंतर्गत रीति रिवाज बोलचाल
रहन-सहन पहनावे में परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, रीति रिवाज में
स्थानीय रीति रिवाज जैसे पांडव नृत्य, बगड़वाल नृत्य, आछरी नृत्य, नाग देवता पूजा, नंदा देवी उत्सव, रामलीला,नाटक आदि का आयोजन पहले की तरह आज भी किया जाता
है! इसके अतिरिक्त तीन पर्व मुख्य रूप से यहां पर मनाए जाते हैं, जिनमें जन्माष्टमी में देवरिया ताल में कृष्ण जन्मोत्सव, तुगनाथ भगवान,व गोल्या देवता की साल में एक बार पूरे गांव से दूध एकत्रित कर दूध के पकवान
बनाकर पूजा अर्चना की जाती है तथा प्रसाद पूरे गांव में वितरित किया जाता है|
पर्यटन विकास के कारण पर्यटकों के लिए कैंप फायर व हिंदी अंग्रेजी गानों पर नाच/डांस
करवाया जाता है बोलचाल में भी स्थानीय जनता मातृभाषा का प्रयोग करती है परंतु
पर्यटकों के साथ हिंदी अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता है, रहन-सहन पर पर्यटन
का सबसे अधिक प्रभाव दिखाई दे रहा है जिसमें खाने में स्थानीय पकवानों की अपेक्षा
फास्ट फूड मैगी, चिप्स, शीतल पेय आदि का प्रचलन बढ़ गया है, पहनावे में भी बुजुर्ग लोगों की तुलना में नयी पीढ़ी के बच्चों के पहनावे में बाहरी
संस्कृति की झलक दिखाई देती है |