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माध्यमिक
विद्यालयों की महिला शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि व व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य
सम्बन्ध का अध्ययन |
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A Study of The Relationship Between Emotional Intelligence and Professional Ethics of Female Secondary School Teachers | |||||||
Paper Id :
19040 Submission Date :
2024-06-13 Acceptance Date :
2024-06-21 Publication Date :
2024-06-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.12670789 For verification of this paper, please visit on
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सारांश |
प्रस्तुत शोधकार्य
में सहारनपुर जनपद में कार्यरत महिला शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि एवं व्यावसायिक
नीतिबोध के मध्य सम्बन्ध का अध्ययन किया गया है। अध्ययन हेतु मानकीय सर्वेक्षण
विधि का उपयोग किया गया। शोध की जनसंख्या में सहारनपुर जनपद के माध्यमिक
विद्यालयों में कार्यरत सभी महिला शिक्षक हैं, जिनमें
से न्यादर्श हेतु 200 महिला शिक्षकों का चयन बहुस्तरीय
दैव निदर्शन विधि से किया गया। शोध कार्य में सांवेगिक बुद्धि को स्वतंत्र चर तथा
व्यावसायिक नीति बोध को आश्रित चर मानते हुए अध्ययन किया गया। चयनित न्यादर्श पर
उपयुक्त उपकरणों के प्रशासन से प्राप्त आंकड़ों को सारणीबद्ध किया गया, उनको वर्गवार विभाजित करके एवं गुणांकों
की गणना की गई। प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण द्वारा शोध परिकल्पना
का परीक्षण किया गया। परिणामों से स्पष्ट हुआ कि सांवेगिक बुद्धि का स्तर अधिक
होने से व्यावसायिक नीतिबोध के स्तर में सुधार देखने को मिलता है, जबकि सांवेगिक बुद्धि के निम्न स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध में कमी
परिलक्षित हुए। शोध कार्य के निष्कर्षों के आधार पर शिक्षकों हेतु एक स्पष्ट एवं
आदर्श आचार संहिता के विकास के साथ साथ सांवेगिक
बुद्धि के विकास एवं परिमार्जन हेतु वैयक्तिक एवं सामूहिक स्तर पर प्रयोग किए जाने
वाले सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | In the presented research work, the relationship between emotional intelligence and professional ethics of women teachers working in Saharanpur district has been studied. Standard survey method was used for the study. The population of the research includes all women teachers working in secondary schools of Saharanpur district, out of which 200 women teachers were selected for the sample by multilevel random sampling method. In the research work, emotional intelligence was considered as the independent variable and professional ethics as the dependent variable. The data obtained by administering appropriate instruments on the selected sample was tabulated, divided into categories and the coefficients were calculated. The research hypothesis was tested by analyzing the obtained data. It was clear from the results that higher level of emotional intelligence leads to improvement in the level of professional ethics, whereas lower level of emotional intelligence reflects a decrease in professional ethics. Based on the findings of the research work, along with the development of a clear and ideal code of conduct for teachers, suggestions have been presented to be used at individual and group level for the development and refinement of emotional intelligence. | ||||||
मुख्य शब्द | माध्यमिक विद्यालय, महिला शिक्षक, सांवेगिक बुद्धि, व्यावसायिक नीतिबोध । | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Secondary School, Women Teachers, Emotional Intelligence, Professional Ethics. | ||||||
प्रस्तावना | शिक्षा प्रक्रिया
में कितने लोग सक्रिय रहते हैं ? या उनमें से
कौन सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ? जैसे
प्रश्नों के उत्तर तो अलग-अलग आ सकते हैं लेकिन यदि यह पूछा जाये कि शिक्षा
प्रक्रिया का आयोजन किसके लिए किया जाता है ? तो निःसंदेह
प्रत्येक उत्तर एक ही बात कहेगा- बालक के लिए। शिक्षा प्रक्रिया निःसंदेह बालक के
सर्वांगीण विकास हेतु वातावरण उपलब्ध कराने तथा उसे अपनी योग्यताओं, क्षमताओं आदि को सर्वोत्कृष्ट रूप में विकसित करने के लिए अवसर प्रदान
करती है। शिक्षा प्रक्रिया में प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह शिक्षा मंत्री हो,
प्रशासनिक अधिकारी हो, संस्था प्रधान हो,
शैक्षिक परामर्शदाता हो, शिक्षक हो,
अभिभावक हो सभी का लक्ष्य बालक के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास
ही होता है। व्यक्ति जन्म से ही दूसरे व्यक्ति से भिन्न योग्यताएं, क्षमताएं आदि लेकर पैदा होता है और वह आजीवन दूसरे से भिन्न ही बना
रहता है। मनोविज्ञान वैयक्तिक भिन्नता के सिद्धांत पर बल देता है। शिक्षा के सभी
स्तरों में माध्यमिक शिक्षा का विशेष महत्व होता है। क्योंकि यह उन विद्यार्थियों
की शिक्षा से संबंधित है जो किशोरावस्था में होते हैं। इस अवस्था की अपनी अलग ही
विशेषताएं होती हैं। इन विशेषताओं के कारण ही इन्हें शिक्षा भी विशेष सावधानी रखकर
दी जाती है। इसलिए इस शिक्षा में अपनी भूमिका अदा कर रहे शिक्षकों, शिक्षिकाओं तथा संस्था प्रधानों को कुछ अधिक ही सचेत रहना पड़ता है। यदि
वृत्तिक परिस्थितियों, सांवेगिक बुद्धि की प्रभावशीलता या
पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण शिक्षकों के व्यवसायिक नीतिबोध में कमी आती है तो
इसका स्पष्ट प्रभाव बालकों के अधिगम तथा शिक्षकों की कार्यकुशलता पर पड़ता है। अधिक
वृत्तिक दबाव में शिक्षक शिक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिससे अधिगम उपयुक्त ढंग
व परिस्थितियों में नहीं हो सकेगा। शिक्षक की सांवेगिक बुद्धि एवं उसके व्यावसायिक
नीतिबोध के मध्य संबंधों के स्वरूप का स्पष्ट अवबोध शिक्षण प्रभावशीलता में वृद्धि
की दृष्टि से आवश्यक है। शोध में अध्ययन हेतु चयनित कारक विद्यालय संगठनात्मक
परिवेश के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अतः इनसे संबंधित किसी भी
व्यवस्थित एवं विज्ञान सम्मत शोध अध्ययन के निष्कर्ष संगठनात्मक उपलब्धियों की
दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं
होना चाहिए शोधकर्ता को विश्वास है कि प्रस्तावित शोध अध्ययन की प्राप्तियां
शैक्षिक क्षेत्र को अनेक प्रकार से सहायक होंगी। |
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अध्ययन का उद्देश्य | प्रस्तुत शोध का
मुख्य उद्देश्य माध्यमिक विद्यालयों की महिला शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि व
व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सम्बन्ध का अध्ययन करना है। |
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साहित्यावलोकन | अब्बासी फरहान एवं
इकबाल फरहान, (2013) ने ’’रिलेशनशिप बिटवीन इमोशनल इंटेलिजेंस एण्ड जॉब सैटिस्फैक्शन अमंग
यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स इन करांची’’ में विभिन्न
विश्वविद्यालयों के 100 प्रोफेसर के न्यादर्श पर अध्ययन
किया। प्रयोज्यों की आयु 25 से 50 वर्ष के बीच थी। अध्ययन हेतु स्कट सेल्फ रिपोर्ट इमोशनल इंटेलिजेंस
टेस्ट (SSEIT, 1981) और मास्लाच बर्न आउट इन्वेंटरी
(मास्लाच एण्ड जैक्सन, 1981) का प्रयोग किया गया। समंकों
के विश्लेषण हेतु रेखीय प्रतिगमन का प्रयोग किया गया। अध्ययन की प्राप्तियों में
विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों की सांवेगिक बुद्धि एवं कार्य निष्क्रयता के मध्य
नकारात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। |
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सामग्री और क्रियाविधि | शोध की प्रकृति व
उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता द्वारा मानकीय सर्वेक्षण विधि का
प्रयोग किया गया है। प्रस्तुत शोध में चयनित न्यादर्श,
उपयोग में लाए गए शोध उपकरणों, शोध
संग्रह की प्रक्रिया तथा सांख्यिकीय तकनीकी का निम्नवत् प्रयोग किया गया। |
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न्यादर्ष |
प्रस्तुत अध्ययन में
अध्ययन का वास्तविक स्थान उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जनपद है। सहारनपुर जनपद में
अवस्थित माध्यमिक विद्यालयों की समस्त महिला शिक्षक अध्ययन की जनसंख्या में शामिल
हैं। |
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प्रयुक्त उपकरण | प्रस्तुत शोध में प्रयुक्त चरों के मापन हेतु निम्न उपकरणों का उपयोग कर आंकड़ें एकत्रित किए गए- 1. सांवेगिक बुद्धि मापनी - अनुकूल हायडी, सजोत हायडी एवं उपेन्द्र धर। 2. अध्यापक व्यावसायिक नीतिबोध मापनी- प्रवीण कुमार, डी के शर्मा । |
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अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी |
परीक्षणों के प्रशासन से प्राप्त समंकों की प्रोसेसिंग हेतु निम्नलिखित सांख्यिकीय तकनीकी प्रयुक्त की गई- 1. मध्यमान व मानक विचलन। 2. मध्यमानों में अंतर की सार्थकता के परीक्षण हेतु एफ एवं टी- परीक्षण। |
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विश्लेषण |
वर्गो का योग एफ परीक्षण पर
विभिन्न समूहों के मध्यमानों में सार्थक अंतर प्राप्त होने पर विभिन्न समूहों के
मध्यमानों में वास्तविक अन्तर की जांच हेतु टी - मूल्यों की गणना की गई- सारणी 4(i)
माध्यमिक विद्यालयों
की महिला शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि के उच्च व मध्यम स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध
के मध्य अन्तर की सार्थकता की टी-परीक्षण द्वारा जाँच। सारणी 4(ii) माध्यमिक विद्यालयों
की महिला शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि के मध्यम व निम्न स्तर पर व्यावसायिक
नीतिबोध के मध्य अन्तर की सार्थकता की टी-परीक्षण द्वारा जाँच।
सारणी 4(iii) माध्यमिक विद्यालयों
की महिला शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि के निम्न व उच्च स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध
के मध्य अन्तर की सार्थकता की टी-परीक्षण द्वारा जाँच।
* . 05 स्तर पर सार्थक * .01 स्तर पर सार्थक |
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परिणाम |
सारणी 3 के अवलोकन से स्पष्ट है कि उच्च, मध्यम एवं निम्न तीनों समूहों की सांवेगिक बुद्धि वाली महिला शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध मापनी पर प्राप्तांकों के मध्यममानों में सार्थक अन्तर है (एफ = 9.08**)। एफ- परीक्षण पर विभिन्न समूहों के मध्यमानों में सार्थक अन्तर प्राप्त होने पर विभिन्न समूहों के मध्यमानों में वास्तविक अन्तर की जांच हेतु टी-परीक्षण की गणना की गई। सारणी 4(i) एवं सारणी 4(ii) के क्रमशः अवलोकन से स्पष्ट है कि उच्च एवं मध्यम तथा मध्यम एवं निम्न सांवेगिक बुद्धि वाली महिला शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध मापनी पर प्राप्तांकों के मध्यमानों में सार्थक अन्तर है (टी = क्रमशः 4.09, 2.74), जबकि सारणी 4(iii) के निरीक्षण से अवलोकित है कि निम्न एवं उच्च सांवेगिक बुद्धि वाले महिला शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध मापनी पर प्राप्तांकों के मध्यमानों में सार्थक अन्तर नही है (टी =.28)। अतः इस सन्दर्भ में निर्मित शून्य परिकल्पना ’’महिला माध्यमिक शिक्षकों में सांवेगिक बुद्धि के विभिन्न स्तरों पर व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक अन्तर नही है’’ निरस्त की जाती है। सारणी 4(i) व सारणी 4(ii) के क्रमशः पुनः निरीक्षण से स्पष्ट है कि उच्च सांवेगिक बुद्धि स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध (M = 263.30) मध्यम सांवेगिक बुद्धि स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध (M = 250.89) की तुलना में अधिक है, जबकि मध्यम सांवेगिक बुद्धि स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध (M = 250.89) निम्न सांवेगिक बुद्धि स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध (M = 262.19) से कम है। इन परिणामों से स्पष्ट है कि उच्च एवं निम्न सांवेगिक बुद्धि वाले दोनों महिला शिक्षक समूह अपने पेशे से जुड़े विभिन्न पक्षों के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन में अग्रणी थी। जबकि मध्यम सांवेगिक बुद्धि वाली महिला शिक्षिकाएं अपने पेशेवर कर्तव्यों के प्रति अन्य समूहों की तुलना में कम जागरूक पाई गई। परिणामों से प्रदर्शित होता है कि महिला माध्यमिक शिक्षकों का व्यावसायिक नीतिबोध उनकी सांवेगिक बुद्धि से प्रभावित है। |
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निष्कर्ष |
शोधपरिणामों से
प्रदर्शित होता है कि माध्यमिक शिक्षकों का व्यावायिक नीतिबोध उनकी सांवेगिक
बुद्धि से प्रभावित है। मध्यम सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों में इस मूल्य का निम्न
सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों अधिक तुलना में अधिक होना यह इंगित करता है कि
मध्यम सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षक अपेक्षाकृत कम सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों
की अपेक्षा अपने व्यावसायिक नीतिबोध के प्रति अधिक सजग एवं निष्ठावान होते हैं।
माध्यमिक शिक्षक अपने व्यावसायिक उत्तरदायित्वों का भली प्रकार निर्वहन कर सके
इसके लिए आवश्यक है कि शिक्षकों के लिए एक स्पष्ट एवं आदर्श आचार संहिता का विकास
किया जाये। शिक्षकों के लिए व्यावसायिक नीतिबोध को विकसित करने हेतु उनकी नैतिक
संस्कृति को सुधारा जाये। इसके अतिरिक्त सकारात्मक कहानियों को पढ़ना,
आदर्श व्यक्तियों का अनुसरण करना, अभिव्यक्ति
के अवसर देकर, सुनने व ग्रहण करने की आदतों को प्रोत्साहित
करके, सामुदायिक सेवा में भाग लेकर, सामूहिक अधिगम समूहों में प्रतिभाग करके तथा संगीत, ध्यान व योग जैसी क्रियाओं के माध्यम से उनकी सांवेगिक बुद्धि को
विकसित एवं परिमार्जित किया जाना चाहिए। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची |
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