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मकराना पंचायत समिति में पंचायती राज संस्थाएं व अधिकार: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन |
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Panchayati Raj Institutions and Powers in Makrana Panchayat Samiti: An Analytical Study | |||||||
Paper Id :
19217 Submission Date :
2024-08-13 Acceptance Date :
2024-08-21 Publication Date :
2024-08-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.13380234 For verification of this paper, please visit on
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सारांश |
पंचायत समितियां अपने क्षेत्र में जहाँ ग्राम विकास एवं ग्राम शिक्षा के लिए पूर्णतया जिम्मेदार होती है वही सामाजिक कल्याण एवं न्याय के प्रति उत्तरदायी है। पंचायत समिति राज्य सरकार के सीधे सम्पर्क में भी रहती है तथा कुछ दिशा-निर्देश उसे सीधे भी मिलते हैं जिनका यह क्रियान्वयन करती है। पंचायत समितियां कार्याें एवं शक्तियों की दृष्टि से काफी सुदृढ़ है उसके पास पर्याप्त वित्तीय, प्रशासनिक एवं नियंत्रणकारी शक्तियां होती है। वह शक्तियों के साथ-साथ अपने उत्तरदायित्वों एवं कर्तव्यों से भी बंधी हुई है जिनका पालन उसे हमेशा करना होता है। समितियां अपने क्षेत्र में अन्य विभागों जैसे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, पशुपालन, बिजली, जलदाय, समाज कल्याण, बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं के साथ सामंजस्य बिठाकर कार्य करती है। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Panchayat Samitis are responsible for village development and village education in their area and are also responsible for social welfare and justice. Panchayat Samitis are in direct contact with the state government and receive some direct guidelines which they implement. Panchayat Samitis are quite strong in terms of functions and powers. They have sufficient financial, administrative and controlling powers. Along with powers, they are also bound by their responsibilities and duties which they have to follow at all times. Samitis work in coordination with other departments in their area such as medical and health, animal husbandry, electricity, water supply, social welfare, banks and other financial institutions and they also have interrelationships with these departments and are largely dependent on these departments for some works. | ||||||
मुख्य शब्द | ग्राम विकास, सामाजिक कल्याण, प्रशासनिक, वित्तीय, समाज कल्याण, पशुपालन, वित्तीय संस्थाएं, अन्तर्संबंध, समितियां । | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Rural Development, Social Welfare, Administrative, Financial, Social Welfare, Animal Husbandry, Financial Institutions, Inter-Relations, Committees. | ||||||
प्रस्तावना | मकराना पंचायत समिति जिले की प्रमुख पंचायत समिति है, इसका मुख्यालय मकराना व इसकी उपतहसील है। यह पंचायत समिति क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरे स्थान पर है। जनसंख्या का प्रतिशत 91.803 प्रतिशत है जिनमें से 52 प्रतिशत पुरूष व 48 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस पंचायत समिति में कुल 36 ग्राम पंचायतें हैं जो इसके सम्पूर्ण भू-भाग को घेरे हुए हैं एवं पंचायतीराज व्यवस्था को सफल एवं सुदृढ़ बनाये हुए हैं। इस पंचायत समिति के सदस्यों की कुल संख्या 67 है जो सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं। उन सदस्यों में से ही एक प्रधान एवं एक उप प्रधान का चुनाव किया जाता है। मकराना पंचायत समिति स्तर पर भी आरक्षण की व्यवस्था को अपनाया गया है। पंचायत समिति की ग्राम पंचायतों के सरपंच एवं वार्ड पंचों हेतु भी आरक्षण की व्यवस्था को अपनाया गया है। पंचायत समितियां नागौर जिला परिषद् के कार्य क्षेत्र को काफी व्यवस्थित एवं सफलतापूर्वक संचालित किए हुए है। हम इस शोध पत्र में मकराना पंचायत समिति के विषय में व मकराना पंचायत समिति में पंचायती राज संस्थाओं का विश्लेषणात्मक अध्ययन करेंगे। |
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अध्ययन का उद्देश्य | प्रस्तुत शोध पत्र में कुछ उद्देश्यों की पूर्ति का प्रयास किया गया है जो निम्न है -
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साहित्यावलोकन |
प्रस्तुत शोधपत्र के लिए विभिन्न पुस्तकों जैसे
जगदीश गहलोत की “राजपूताने का इतिहास”, डॉ. महिपाल की "ग्रामीण योजनायें और
पंचायती राज", सुखवीर सिंह गहलोत रचित "राजस्थान पंचायती राज कानून" एवं
कुलदीप सिंह की "ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज" आदि का अध्ययन किया गया
है। |
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सामग्री और क्रियाविधि | प्रस्तुत शोध पत्र में विश्लेषणात्मक, आलोचनात्मक तथा व्यावहारिक शोध प्रविधियों का प्रयोग किया है। शोध पत्र को उपयोगी बनाने के लिए विभिन्न संदर्भ पुस्तकों, समाचार पत्रों, विभिन्न पत्रिकाओं तथा विभिन्न वेबसाइटों की सहायता ली गई है। |
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विश्लेषण | मकराना पंचायत समिति व संस्थाएं प्रशासनिक स्वरूप प्रजातान्त्रिक व्यवस्था में अधिकारों के विकेन्द्रीकरण की भावना के अनुरूप राज्य में त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था के अन्तर्गत पंचायत समितियों जिला परिषद् एवं ग्राम पंचायतों के मध्य की संस्था है। पंचायत समितियां जिला परिषद् के कार्यों को वास्तविक रूप से सम्पादित करने वाली संस्था है तथा जिला परिषद् के कार्यों को वास्तविक रूप से सम्पादित करके इसके नियंत्रण में ही कार्य करती है। नागौर जिला पंचायत समितियों की दृष्टि से 11 समितियों में विभक्त है। ये समितियां सम्पूर्ण जिला परिषद् के क्षेत्र को घेरे हुए है तथा पंचायतीराज को फैलाए हुए है। पंचायत समितियां पंचायत राज व्यवस्था को संचालित करने एवं उसको सफल बनाने में अहम कड़ी की भूमिका निभाती है। ये जिला परिषद् के निर्णयों को ग्राम पंचायतों के माध्यम से क्रियान्वित करती है, ग्राम विकास के कार्यों को सम्पूर्णता देती है, विकास पर व्यय को नियंत्रित रखती है तथा विभिन्न ग्राम योजनाओं एवं कार्यक्रमों में गतिशीलता बनाये रखती है। मकराना पंचायत समिति काफी विस्तृत होने के साथ-साथ जिले के विकसित इलाके में होने के कारण इस पंचायत समिति का विकास अधिक हुआ है, साथ ही पंचायतीराज संस्थाएं भी इसी विकास की वजह से अधिक फली-फूली है। यहां के ग्राम भी सामाजिक एवं आर्थिक रूप से उन्नत हैं। यहां का जनसंख्या घनत्व काफी विरल है क्योंकि यहां जनसंख्या छितरायी ढाणियों में बसती है जिस वजह से पंचायतीराज व्यवस्था एक आवश्यक व्यवस्था के रूप में उभरी है। इन अनुकूल परिस्थितियों के कारण यहां पंचायतीराज संस्थाएं काफी विकसित हुई है। साथ ही यहां की पंचायतीराज संस्थाएं समस्त ग्रामीण जन समुदायों का विकास पंचायतीराज संस्थाओं के माध्यम से उन्नत एवं विकासशील है। राजनीतिक पदाधिकारी एवं सदस्य पंचायत समिति के राजनीतिक पदाधिकारी में प्रधान, उप प्रधान एवं सदस्यों में पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य प्रमुख हैं। इन सबके कार्य, शक्तियों एवं उत्तरदायित्व अलग-अलग होते हैं। पंचायत समिति स्तर पर गठित विभिन्न कमेटियों के सदस्य व अध्यक्ष भी राजनीतिक पदाधिकारी होते हैं, परन्तु वे पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्यों में से ही चुने जाते हैं। प्रधान जिस प्रकार जिला परिषद् का मुखिया जिला प्रमुख होता है ठीक उसी प्रकार प्रधान पंचायत समिति तथा उपखण्ड का सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं सर्वोच्च जन-प्रतिनिधि माना जाता है। पंचायत समिति क्षेत्र में उसे सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। पंचायत समिति के प्रधान को राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम की धारा 33 में निम्नलिखित कार्य सम्पादित किये जाने की शक्तियां प्रदत्त की गई है - 1. पंचायत समिति की बैठकों की अध्यक्षता करना। 2. अभिलेखों तक पहुंच रखना। 3. पंचायतों का मार्गदर्शन करना। 4. विकास अधिकारी पर पर्यवेक्षक एवं नियंत्रण रखना। 5. प्राकृतिक आपदाओं में सहयोग का अधिकार। 6. वित्तीय एवं कार्यपालक प्रशासन पर पर्यवेक्षक रखना। 7. निगरानी सम्बन्धी कार्य। 8. आय बढ़ाना। 9. अन्य शक्तियों का प्रयोग करना। उप प्रधान एवं उसकी शक्तियां 1. प्रधान की अनुपस्थिति में उप प्रधान पंचायत समिति की बैठकों की अध्यक्षता करता है। 2. पंचायत समिति के प्रधान की ऐसी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे कर्तव्यों का पालन करता है जो प्रधान, समय-समय पर इस निमित्त सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के अध्यधीन रहते हुए लिखित आदेश द्वारा उसे प्रत्यायोजित की जाती है। 3. प्रधान का निर्वाचन होने तक या तीन दिन से अधिक की कालावधि की छुट्टी के कारण प्रधान की पंचायत समिति क्षेत्र से अनुपस्थिति के दौरान प्रधान की शक्तियों का प्रयोग और कर्तव्य पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य जिला परिषदों में जो स्थान जिला परिषद् सदस्यों का है वही स्थान पंचायत समिति में पंचायत समिति सदस्यों का है। वास्तविकता तो यह है पंचायत समिति सदस्य समितियों में अपना अहम् स्थान रखते हैं। पंचायत समिति सदस्यों के अधिकार एवं कर्तव्य निम्नांकित हैं - 1. प्रधान के निर्वाचन का अधिकार। 2. स्थायी समितियों का सदस्य होने का अधिकार। 3. अपनी पंचायत के हितों की वकालात करने का अधिकार। पंचायत समिति के प्रशासनिक अधिकारी, अधिकारी एवं कर्मचारीगण पंचायत समिति स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों में विकास अधिकारी प्रमुख होता है। अधिकारियों में कृषि प्रसार अधिकारी, सहकार प्रसार अधिकारी, पंचायत प्रसार अधिकारी, कनिष्ठ अभियन्ता, कनिष्ठ लेखाकार प्रमुख हैं एवं अन्य कर्मचारियों में वरिष्ठ लिपिक, कनिष्ठ लिपिक, वाहन चालक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आते हैं। विकास अधिकारी मकराना पंचायत समिति में वर्तमान में हापूराम जी चौधरी विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। प्रत्येक पंचायत समिति में पंचायत समिति के अन्तर्गत आने वाले सभी गांवों के विकास संबंधित कार्यों को निबटाने हेतु एक पद विकास अधिकारी का होता है। विकास अधिकारी पंचायत समिति का कार्यपालक अधिकारी होता है। सामान्यतः वह राजस्थान प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होता है। विकास अधिकारी के अधीनस्थ अन्य कई अधिकारी एवं कर्मचारी होते हैं। वस्तुतः पंचायत समिति के सारे कार्यों का निष्पादन विकास अधिकारी द्वारा किया जाता है। विकास अधिकारी की शक्तियां एवं कर्तव्य निम्नांकित हैं। शक्तियां एवं कर्तव्य 1. बैठकों के नोटिस जारी करना। 2. बैठकों को कार्यवत तैयार करना। 3. आहरण एवं संवितरण का कार्य करना। 4. विचार-विमर्श में भाग लेना। 5. नीतियों एवं विनिश्चयों को क्रियान्वित करना। 6. दस्तावेजों और अभिलेखों की अभिरक्षा करना। 7. अधिकारियों व कर्मचारियों पर नियंत्रण। 8. जिला परिषद् को संकल्पों से संसूचित करना। 9. निरीक्षण का अधिकार। पंचायत समिति के कार्य व शक्तियां साधारण कार्य 1. पंचायत समिति क्षेत्र की वार्षिक योजनाओं पर विचार करना, उन्हें समेकित करना और जिला परिषद् को समेकित योजना प्रस्तुत करना। 2. राज्य सरकार एवं जिला परिषद् द्वारा समदुदेशित स्कीमों के सम्बन्ध में वार्षिक योजनाएं तैयार करना और उन्हें जिला योजना के साथ एकीकृत करने के लिए विहित समय के भीतर जिला परिषद् को प्रस्तुत करना। 3. पंचायत समिति का वार्षिक बजट तैयार करना। 4. प्राकृतिक आपदाओं में सहायता उपलब्ध करना। 5. ऐसे कार्याें का पालन और निष्पादन करना जो उसे सरकार या जिला परिषद् द्वारा सौंपे जायें। 6. विकास कार्यों का निर्माण करना। 7. पंयायतों पर नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण करना। पंचायत समिति की शक्तियां वित्तीय शक्तियां: मकराना पंचायत समिति की वित्तीय शक्तियां निम्न प्रकार हैं - 1. लगान पर देय कर। 2. व्यापार, व्यवसाय, उद्योग आदि पर कर। 3. प्राथमिक शिक्षा उपकर। 4. मेला कर। विविध कार्य एवं शक्तियां मकराना पंचायतीराज की नींव - ग्राम पंचायतें मकराना तहसील में ग्राम पंचायतें पंचायतीराज की आधारशिला और लोकतान्त्रिक परीक्षण की प्राथमिक संस्थाएं हैं। जिस क्षेत्र के लिए ग्राम सभा सामान्य संगठन कये रूप में कार्य करती है उसी क्षेत्र के लिए ग्राम पंचायत एक कार्यपालिका संस्था है। त्रिस्तरीय व्यवस्था की यह ग्राम स्तरीय संस्था है तथा पंचायतीराज व्यवस्था की उद्गम स्थल के रूप में मानी जाती है। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अपने विकास कार्यक्रमों के निर्धारण एवं क्रियान्वयन का अवसर मिलता है। मकराना क्षेत्र ग्रामीण परिवेशीय क्षेत्र है तथा परम्पराओं पर संचालित व्यवस्था का पोषक भी है। अतः यहां पर ग्राम पंचायतों के कार्य-कलापों को बड़े जोश-खरोश के साथ स्वागत किया जाता है तथा इस सम्पूर्ण क्षेत्र के लोगों ने अपनी भागीदारी बनाने हेतु बढ़-चढ़कर भाग लिया है। ग्राम पंचायतों का महत्व इस दृष्टि से विशेष है कि यह व्यक्ति को अपने उत्तरदायित्व और कर्तव्य के प्रति सजग और पूर्वनिर्माण के कर्त्य में भागीदारी बना देती है। 1. मकराना पंचायत समिति की ग्राम पंचायतें एवं उनके सरपंच मकराना - पंचायत समिति की सभी ग्राम पंचायतों में पंचायतीराज की सामान्य आरक्षण व्यवस्था को अपनाया गया है। ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ ही महिलाओं की बड़ी भागीदारी है। इस क्षेत्र की ग्राम पंचायतें अच्छे ढंग से अपने कार्य को अंजाम दे रही है। 2. ग्राम पंचायत के राजनैतिक पदाधिकारी एवं वार्ड पंच: शक्तियां कार्य व उत्तरदायित्व ग्राम पंचायतों के राजनीतिक पदाधिकारियों में सरपंच, उप-सरपंच एवं वार्ड पंच प्रमुख हैं। इन सबसे कार्य, शक्तियां एवं उत्तरदायित्व अलग-अलग हैं। ग्राम स्तर पर गठित विभिन्न कमेटियों के सदस्य भी इसमें आते हैं। सरपंच पंचायती राज में जिस प्रकार प्रधान पंचायत समिति का प्रमुख या मुखिया होता है ठीक उसी प्रकार सरपंच ग्राम पंचायत का मुखिया होता है। सरपंच ग्राम पंचायत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं सर्वोच्च जन-प्रतिनिधि माना जाता है। ग्राम पंचायत क्षेत्र में उसे सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। जनता उसे ’मुखियाजी‘ या सरपंच जी कहकर संबोधित करती है। वह गांव का प्रथम नागरिक कहलाता है। राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम, 1994 के विभाग द्वारा संशोधन करते हुए ग्राम सभा को कानूनी व्यवस्था दिये जाने से फार्म कलापों में बढ़ोतरी होने के फलस्वरूप ग्राम पंचायत के सरपंच का दायित्व और भी अधिक बढ़ गया है। ग्राम पंचायत का मुखिया होने के नाते गांव के सभी व्यक्तियों को सैद्धान्तिक रूप से ग्रामीण विकास से सहयोगी बनाना उसकी जिम्मेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरपंच को प्रधान की ही भांति व्यापक शक्तियां प्राप्त है अर्थात् गांव का सर्वागीण विकास उसी के हाथों से सुरक्षित होता है। एक कुशल, ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ सरपंच गांव के प्रार्त प्रतिबद्धता का निर्वहन करते हुए गांव को स्वर्ग जैसा भी बनाने में समर्थ है। उप सरपंच पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच के बाद दूसरा स्थान उप सरपंच का होता है। सरपंच की अनुपस्थिति में उस सरपंच का कार्य करता है। अतः उप सरपंच के भी वे सभी अधिकार कर्तव्य, शक्तियां एवं दायित्व हैं जो उप पंच के हैं। अन्तर केवल यह है कि सरपंच के उपस्थित रहते वह इन शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता। वार्ड पंच वार्ड पंच भी पंचायतीराज संस्थाओं का एक महत्वपूर्ण अंग है। वस्तुतः सत्ता के विकेन्द्रीकरण की पंच ही एक अहम् कड़ी है। गांव की जनता का वास्तविक प्रतिनिधित्व पंच ही करते हैं। वार्ड पंचों के अधिकार प्रतिधित्व ये पंच ही करते हैं। ग्राम पंचायतों में प्रशासनिक तन्त्र ग्राम पंचायत स्तर के प्रशासनिक अधिकारी तथा कर्मचारी में ग्राम सेवक या पंचायत सचिव ही प्रमुख होता है। सचिव ही पंचायत का कार्यपालक अधिकारी/कर्मचारी होता है। वह सरपंच के नियंत्रण में रहते हुए ग्राम पंचायत के सभी कार्य निष्पादित करता हैं मकराना पंचायत समिति की ग्राम सभाएं हमारे राष्ट्रीयता महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने और संविधान के निर्माताओं द्वारा गांव गणराज्य को भारतीय राजव्यवस्था के केन्द्र में स्थापित करने के पवित्र संकल्प जो कि संविधान में अनुच्छेद 40 की प्रेरणा शक्ति थी, को पूरा करने की दिशा में ग्राम सभा महत्वपूर्ण कदम है। भविष्य की व्यवस्था के निर्माण के लिए गांव समाज प्राथमिक और नैसर्गिक इकाई होने की भावना पर निर्भर है। पंचायतीराज की संस्थायें और ग्राम सभा बुनियादी तौर से दो अलग-अलग किस्म की प्रजातान्त्रिक संस्थायें हैं - प्रतिनिधि और सहभागी उनके बीच के इस भेद का पूरा-पूरा अहसास ग्राम सभा, जिसमें लोग स्वयं भागीदार हैं, के लिये सर्वोच्च स्थान सुनिश्चित करने के लिये निर्णायक है। ग्राम पंचायत पंचायतीराज व्यवस्था की त्रिस्तरीय संगठन में ग्राम पंचायतें ही सबसे महत्वपूर्ण संस्था है। यह ग्राम से लेकर जिला मुख्यालय तक एक ऐसी व्यवस्था की स्थापना करती है जिससे सम्पूर्ण ग्रामीण शासन व्यवस्था एक माला के रूप में सुशोभित होने लगती है। यह ग्राम स्तर पर विकास के समस्त कार्यों की योजनाएं बनाने से लेकर उनके अनुमोदन वित्त व्यवस्था, योजनाओं का क्रियान्वयन एवं उनकी सम्पूर्णता के प्रति उत्तरदायी संस्था है। |
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निष्कर्ष |
इस प्रकार उपर्युक्त वर्णित कार्यों व शक्तियों को देखते हुए यह कह सकते हैं कि ग्राम पंचायतों के कार्य एवं शक्तियां जितनी व्यापक एवं विस्तृत हैं उसके दायित्व व कर्तव्य उतने ही आवश्यक हैं। इन सबका अवलोकन करने के पश्चात् ग्राम पंचायतों की उपयोगिता अपने आप अवलोकित हो जाती है और हम यह कह सकते हैं कि ग्राम पंचायतें जिला पंचायतीराज भी वास्तविक कर्तधर्ता हैं तथा खण्ड स्तर पर इनको महत्वपूर्ण योगदान व भूमिका रहती है। मकराना पंचायत समिति की ग्रामीण संस्थाएं पंचायतीराज की व्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है तथा इन्हीं से ही पंचायत समिति के कार्य व व्यवस्था बनी रहती है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची |
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