ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- IX , ISSUE- VI September  - 2024
Anthology The Research

श्री राम मंदिर के परिप्रेक्ष्य में राम राज्य की संकल्पना

The Concept of Ram Rajya in The Context of Shri Ram Mandir
Paper Id :  19249   Submission Date :  2024-09-03   Acceptance Date :  2024-09-14   Publication Date :  2024-09-16
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DOI:10.5281/zenodo.14591500
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भारत सिंह
प्राचार्य
सरदार भगत सिंह संघटक राजकीय महाविद्यालय
पुवायां, शाहजहाँपुर,
एम.जे.पी. रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश

श्री राम मंदिर एक धार्मिक मंदिर से कहीं अधिक आस्था, इतिहास और वास्तुकला की प्रतिभा का संगम है। यह मंदिर भगवान राम की चिरस्थायी विरासत और राष्ट्र की सामूहिक भावना का प्रमाण है। मंदिर से यह अपेक्षा की जाती है कि वह भविष्य की पीढ़ियों की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आकांक्षाओं का मार्गदर्शन करते हुए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करेगा, इसलिए मंदिर का निर्माण भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत मात्र है।

सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद More than just a religious temple, Shri Ram Mandir is a confluence of faith, history and architectural brilliance. This temple is a testimony to the enduring legacy of Lord Rama and the collective spirit of the nation. The temple is expected to act as a lighthouse guiding the spiritual and cultural aspirations of future generations, so the construction of the temple is just the beginning of India's cultural renaissance.
मुख्य शब्द राम मंदिर, राम राज्य, राम राज्य की संकल्पना, धर्म।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Ram Temple, Ram Rajya, Religion.
प्रस्तावना

लेखक का राम राज्य से तात्पर्य ईश्वरीय शासन से है जोकि ईश्वर के राज्य के समतुल्य है, तथा लेखक के लिए राम और रहीम एक ही सर्वोच्च सत्ता का प्रतिनिधित्व करते हैं, तथा धार्मिक सीमाओं से परे एक सार्वभौमिक और लोकतांत्रिक आदर्श पर बल देते हैं। चाहे लेखक की कल्पना के राम इस धरती पर कभी रहे हो या नहीं परन्तु रामराज का प्राचीन आदर्श निःसंदेह श्रेष्ठ लोकतंत्र में से एक है।

अध्ययन का उद्देश्य

धर्म, सत्य, शौर्य, शील, संयम, विनम्रता आदि गुणों के प्रतीक भगवान राम का चरित्र युगों युगों तक मानव को सदाचरण के मार्ग पर चलना सिखाता रहेगा। राम ने अपने जीवन में छात्र-धर्म, पुत्र-धर्म, भ्रातृ-धर्म, पति-धर्म, मित्र-धर्म का पालन कर एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है।

साहित्यावलोकन

देश के पौराणिक संदर्भ में राम राज्य के लोकतंत्र का महत्व है तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कहा है कि-

राम राज बैठें त्रैलोका। हर्षित भए गए सब सोका।।
बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप बिषमता खोई।।

लेखक का हिंदू धर्म लेखक को सभी धर्म का सम्मान करना सिखाता है। इसी में राम राज्य का रहस्य छिपा है। यदि कोई भी ईश्वर को रामराज्य के रूप में देखना चाहते हैं तो पहली आवश्यकता है आत्म निरीक्षण। अयोध्या में श्री राम मंदिर की स्थापना से 500 वर्ष पुरानी आकांक्षा की पूर्ति हुई है।

मुख्य पाठ

राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद की मुख्य घटनाएँ

      1. सन 1529 ई. में  मीर बाकी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया गया था।   
      2. 1959 - निर्मोही अखाड़े ने मलकाना हक का मुकदमा दायर किया खुद को राम जन्मभूमि के वास्तविक प्रबंधक बताया।
      3. 1961- उत्तर प्रदेश के सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी एक मुकदमा दायर किया यह बोर्ड मस्जिद पर अपने नियंत्रण का दावा कर रहा था।
      4. 1989- भगवान राम के वकील के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता देवकी अग्रवाल ने भगवान राम तरफ से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक मुकदमा दायर किया जिसके बाद पहले के सभी मुकदमों को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
      5. 31 जनवरी 1986 - में केंद्र में इंदिरा गांधी के पुत्र राजीव गांधी की सरकार थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर भी कांग्रेस से थे।  एक वकील उमेश चंद्र जोकि यूपी के फैजाबाद के  रहने वाले थे, ने राम मंदिर का ताला खुलवाने के लिए जिला अदालत में एक याचिका दायर कर रखी थी। जिला अदालत ने याचिका को मंजूर करते हुए मंदिर खोलने का आदेश दे दिया।
      6. रथ यात्रा 1990 - भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी जी ने राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए समर्थन जीतने के उद्देश्य से सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा की थी।
      7. 1992 - 6 दिसंबर, 1992 को कार सेवकों की एक धर्म अनुरागी भीड़ ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया और उसके स्थान पर एक स्थाई मंदिर की स्थापना की।
      8. 1993 - 7 जनवरी 1993 को उत्तर प्रदेश सरकार ने 67.7 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने के लिए एक अध्यादेश पारित किया।
      9. अप्रैल 2002 - अयोध्या स्वामित्व विवाद पर  इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने  सुनवाई शुरू की।
      10. 8 जनवरी 1919 को भारत के मुख्य न्यायाधीश ने राम मंदिर जन्म भूमि के मामले के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए अपनी प्रशासनिक शक्तियों का उपयोग करते हुए 8 मार्च 1919 को न्यायालय की निगरानी में मध्यस्थता का आदेश दिया।
      11. 2019- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अंतिम निर्णय -
      1. विवादित भूमि रामलाल को समर्पितः- 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने मामले के तीन दावेदारों में से एक रामलाल को समर्पित किया, जिसमें मंदिर के निर्माण के लिए संपूर्ण 2.77 एकड़ सम्मिलित थी।
      2. मस्जिद निर्माण के लिए भूमि देनाः- विवादित भूमि को मंदिर को सौंपने के साथ न्यायालय ने मस्जिद के निर्माण के लिए भी अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्णय दिया।
      3. मुस्लिम कब्जे का अभावः- मुस्लिम पक्षकर विवादित ढांचे पर अपने अधिकार हेतु वैध साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके।
      4. मंदिर निर्माण हेतु एक ट्रस्ट का गठनः- सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को  मंदिर के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट स्थापित करने का निर्देश दिया। इसके कर्त्तव्यों के निर्धारित करते हुए कहा कि यह विवाद को सुलझाने और स्थल पर राम मंदिर निर्माण को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रयास करेगा।
      5. इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि मस्जिद इस्लाम धर्म के आचरण का एक अनिवार्य अंग नहीं है और मुसलमान द्वारा नमाज कहीं भी यहां तक कि खुले में भी की जा सकती है।

      राम राज्य का साकार होता सपना

      अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो लंबे समय से चले आ रहे विवाद के अंत और भारत के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। यह मंदिर भगवान राम की पवित्र जन्मभूमि के रूप में हिंदू आस्था का केंद्र है। लाखों हिंदू भगवान राम की पूजा करते हैं, जिनकी विपत्ति के समय में नामजप से शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। अब अयोध्या को देश के प्रमुख आध्यात्मिक केंद्रों में से एक बनाने की उम्मीद है, जिससे व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

      राम मंदिर हिंदू उपासना स्थल होने के प्रतीकवाद से आगे बढ़कर एकता और संस्कृति के संश्लेषण का संदेश देगा। यह देवता के आवाहन के माध्यम से सोशल इंजीनियरिंग है, जो राष्ट्र को जोड़ने वाला सूत्र सिद्ध होगा। भगवान राम का महत्व न केवल भारत में एक प्रमुख धार्मिक प्रभाव के रूप में विद्यमान है, बल्कि थाईलैंड, इंडोनेशिया, म्यांमार और मलेशिया जैसे देशों में भी सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है।

      राम राज्य की संकल्पना के परिप्रेक्ष्य में जीवन के सभी पहलुओं में नैतिक सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए नेताओं और नगरों को प्रोत्साहित होने की आवश्यकता बढ़ जाएगी। व्यक्तिगत और सार्वजनिक व्यवहार में ईमानदारी, सत्य, निष्ठा और निष्पक्षता के महत्व पर बल मिलेगा। एक मजबूत और निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली स्थापित होगी, जो सभी नागरिकों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगी।

      निष्कर्ष

      राजनीतिक नेताओं में विनम्रता, करुणा और सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता होगी। नेताओं को सेवक के रूप में कार्य करने की प्रेरणा लेनी चाहिए, जो जनता की भलाई और विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं। सामाजिक सद्भाव और एकता पर बल देने के साथ-साथ विभाजनकारी तत्वों को हतोत्साहित करना आवश्यक होगा, जो संघर्ष का कारण बन सकते हैं।

      विभिन्न समुदायों के बीच संवाद और समझ को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सहिष्णुता और सह अस्तित्व की भावना को बढ़ावा देना होगा। भारत में धार्मिक विवादों की पुनरावृति को रोकने के लिए राम राज्य के सिद्धांतों का पालन करना और धर्म को बनाए रखना सभी के लिए अनिवार्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शब्दों में, 'राम और राष्ट्र के बीच की दूरी को केवल शब्दों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर दूर किया जाएगा, जो अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुंच बनाने में सफल होगा।'

      सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
      1. पीटर बेन, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय 1994 धार्मिक राष्ट्रवाद भारत में हिंदू और मुसलमान।
      2. हर्ष नारायण. अयोध्या मंदिर मस्जिद विवाद’. पेनमैन पब्लिशर्स, दिल्ली, 1993।
      3. कृष्णा झा एवं के धीरेंद्र. अयोध्या अंधेरी रात’. हार्पर कॉलिंग पब्लिशर्स।
      4. मीनाक्षी जैन. राम और अयोध्या’. आर्यन बुक्स पब्लिशर्स, नई दिल्ली।
      5. शिवेंद्र सिंह, हिंदुस्तान - अयोध्यानामा, 6 नवंबर 2019।
      6. मेरे राम हिंदुत्व की नाव पर राजीव गांधी, राहुल पाराशर, नवभारत टाइम्स 14 जनवरी 2024।
      7. जनसत्ता, 11 जनवरी 2024।
      8. दैनिक जागरण, 26 दिसंबर 2023 , नई दिल्ली संस्करण।
      9. रमेश मिश्रा, दैनिक भास्कर, 13 जनवरी 2024।