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श्री राम मंदिर के परिप्रेक्ष्य में राम राज्य की संकल्पना |
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The Concept of Ram Rajya in The Context of Shri Ram Mandir | |||||||
Paper Id :
19249 Submission Date :
2024-09-03 Acceptance Date :
2024-09-14 Publication Date :
2024-09-16
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.14591500 For verification of this paper, please visit on
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सारांश |
श्री राम मंदिर एक धार्मिक मंदिर से कहीं अधिक
आस्था, इतिहास और वास्तुकला की प्रतिभा का संगम है। यह मंदिर भगवान राम की
चिरस्थायी विरासत और राष्ट्र की सामूहिक भावना का प्रमाण है। मंदिर से यह अपेक्षा
की जाती है कि वह भविष्य की पीढ़ियों की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आकांक्षाओं का
मार्गदर्शन करते हुए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करेगा, इसलिए मंदिर का निर्माण भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत मात्र
है। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | More than just a religious temple, Shri Ram Mandir is a confluence of faith, history and architectural brilliance. This temple is a testimony to the enduring legacy of Lord Rama and the collective spirit of the nation. The temple is expected to act as a lighthouse guiding the spiritual and cultural aspirations of future generations, so the construction of the temple is just the beginning of India's cultural renaissance. | ||||||
मुख्य शब्द | राम मंदिर, राम राज्य, राम राज्य की संकल्पना, धर्म। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Ram Temple, Ram Rajya, Religion. | ||||||
प्रस्तावना | लेखक का राम राज्य से तात्पर्य ईश्वरीय शासन से
है जोकि ईश्वर के राज्य के समतुल्य है, तथा लेखक के लिए राम और रहीम
एक ही सर्वोच्च सत्ता का प्रतिनिधित्व करते हैं, तथा
धार्मिक सीमाओं से परे एक सार्वभौमिक और लोकतांत्रिक आदर्श पर बल देते हैं। चाहे
लेखक की कल्पना के राम इस धरती पर कभी रहे हो या नहीं परन्तु रामराज का प्राचीन
आदर्श निःसंदेह श्रेष्ठ लोकतंत्र में से एक है। |
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अध्ययन का उद्देश्य | धर्म, सत्य, शौर्य, शील, संयम,
विनम्रता आदि गुणों के प्रतीक भगवान राम का चरित्र युगों युगों
तक मानव को सदाचरण के मार्ग पर चलना सिखाता रहेगा। राम ने अपने जीवन में
छात्र-धर्म, पुत्र-धर्म, भ्रातृ-धर्म,
पति-धर्म, मित्र-धर्म का पालन कर एक
अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। |
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साहित्यावलोकन | देश के पौराणिक संदर्भ में राम राज्य के लोकतंत्र
का महत्व है तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कहा है कि- राम राज बैठें त्रैलोका। हर्षित भए गए सब सोका।। लेखक का हिंदू धर्म लेखक को सभी धर्म का सम्मान
करना सिखाता है। इसी में राम राज्य का रहस्य छिपा है। यदि कोई भी ईश्वर को
रामराज्य के रूप में देखना चाहते हैं तो पहली आवश्यकता है आत्म निरीक्षण। अयोध्या
में श्री राम मंदिर की स्थापना से 500 वर्ष पुरानी आकांक्षा की
पूर्ति हुई है। |
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मुख्य पाठ |
राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद की मुख्य घटनाएँ
राम राज्य का साकार होता सपना अयोध्या में
राम मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो लंबे समय से चले आ रहे विवाद के अंत और भारत के इतिहास में एक नए युग
की शुरुआत का प्रतीक है। यह मंदिर भगवान राम की पवित्र जन्मभूमि के रूप में हिंदू
आस्था का केंद्र है। लाखों हिंदू भगवान राम की पूजा करते हैं, जिनकी विपत्ति के समय में नामजप से शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
अब अयोध्या को देश के प्रमुख आध्यात्मिक केंद्रों में से एक बनाने की उम्मीद है,
जिससे व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। राम मंदिर
हिंदू उपासना स्थल होने के प्रतीकवाद से आगे बढ़कर एकता और संस्कृति के संश्लेषण
का संदेश देगा। यह देवता के आवाहन के माध्यम से सोशल इंजीनियरिंग है, जो राष्ट्र को जोड़ने वाला सूत्र सिद्ध
होगा। भगवान राम का महत्व न केवल भारत में एक प्रमुख धार्मिक प्रभाव के रूप में
विद्यमान है, बल्कि थाईलैंड, इंडोनेशिया,
म्यांमार और मलेशिया जैसे देशों में भी सांस्कृतिक विरासत का एक
अभिन्न अंग है। राम राज्य की
संकल्पना के परिप्रेक्ष्य में जीवन के सभी पहलुओं में नैतिक सिद्धांतों को बनाए
रखने के लिए नेताओं और नगरों को प्रोत्साहित होने की आवश्यकता बढ़ जाएगी।
व्यक्तिगत और सार्वजनिक व्यवहार में ईमानदारी, सत्य, निष्ठा और निष्पक्षता के महत्व पर बल मिलेगा।
एक मजबूत और निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली स्थापित होगी, जो सभी
नागरिकों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगी। |
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निष्कर्ष |
राजनीतिक
नेताओं में विनम्रता, करुणा और
सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता होगी।
नेताओं को सेवक के रूप में कार्य करने की प्रेरणा लेनी चाहिए, जो जनता की भलाई और विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं। सामाजिक सद्भाव और
एकता पर बल देने के साथ-साथ विभाजनकारी तत्वों को हतोत्साहित करना आवश्यक होगा,
जो संघर्ष का कारण बन सकते हैं। विभिन्न
समुदायों के बीच संवाद और समझ को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सहिष्णुता और सह
अस्तित्व की भावना को बढ़ावा देना होगा। भारत में धार्मिक विवादों की पुनरावृति को
रोकने के लिए राम राज्य के सिद्धांतों का पालन करना और धर्म को बनाए रखना सभी के
लिए अनिवार्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शब्दों में, 'राम और राष्ट्र के बीच की दूरी को केवल
शब्दों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर दूर किया जाएगा,
जो अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुंच बनाने में सफल होगा।' |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची |
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