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नैनीताल शहर में नाव चालकों की सामाजिक-आर्थिक स्तर का एक विश्लेषण अध्ययन (नैनीताल शहर के विशेष सन्दर्भ में) |
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An Analysis Of The Socio-Economic Status Of Boatmen In Nainital City (With Special Reference To Nainital City) | |||||||
Paper Id :
19294 Submission Date :
2024-09-13 Acceptance Date :
2024-09-21 Publication Date :
2024-09-23
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.13906757 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/shinkhlala.php#8
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सारांश |
नैनीताल भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक हिल स्टेशन है जो समुद्र तल से 1938 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। ये सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है, पहाड़ियों के बीचों बीच में एक झील है यह यहाँ के पर्यटन का केंद्र बिंदु है, यहां स्थानीय लोगों द्वारा चलाई जाने वाली नोकाऐं है जो इनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है। नाव चालकों का पर्यटन उद्योग मे महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद, मौसमी बद्लाव के कारण असंत आय देखनी पड़ती है। कई लोगों के पास मूलभूत सुविधाओं का अभाव होता है। जैसे स्वास्थ, शिक्षा आदि, इन श्रमिकों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर्यटन उद्योग पर निर्भर करती है । इस शोध पत्र का मुख्य उद्देश्य नैनीताल शहर में नाव चालकों की सामाजिक आर्थिक स्तर एवं चुनौंतियों का विश्लेषण करना है। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Nainital is a hill station located in the state of Uttarakhand, India, which is located at an altitude of 1938 meters above sea level. It is surrounded by seven hills, there is a lake in the middle of the hills, it is the center of tourism here, here there are boats run by local people which is their main source of livelihood. Despite the important role of boatmen in the tourism industry, they have to see unstable income due to seasonal changes. Many people lack basic facilities. Such as health, education etc., the social and economic status of these workers depends on the tourism industry. The main objective of this research paper is to analyze the socio-economic status and challenges of boatmen in Nainital city. | ||||||
मुख्य शब्द | नैनीताल शहर , नाव चालकों का सामाजिक, आर्थिक स्तर, पर्यटक स्थल उधोग, चुनौतियां, आजीविका। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Nainital City, Social, Economic Status Of Boatmen, Tourist Destination, Industry, Challenges, Livelihood. | ||||||
प्रस्तावना | नैनीताल को अंग्रेजों द्वारा बसाया गया है। यहां की जलवायु और वातावरण ठंडा और शांत होने के कारण यहां का मुख्य आकषर्ण केन्द्र झील है। नैनीताल को स्कंदपुराण में ऋषि सरोवर बोला गया है। अर्थात तीन ऋषियों द्वारा निर्मित झील। ‘‘तीन ऋषि अत्रि, पुलस्यथ, पुलह - हिमाचल तीर्थ को आये। चित्रशिला से वे गर्गाचल को चढ़े। वे प्यासें थे, वहॉ पानी न था। उन्होने गढ़ा खोदा, और मानसरोवर का ध्यान किया। मानसरोवर ने वे गढ़े भर दिये। तब से यह त्रिसरोवर कहलाया।’’ सरोवर नगरी अर्थात झीलों की नगरी के नाम से प्रसिद्ध नैनीताल एक ऐसा पर्यटन स्थल है, जहां सबसे अधिक झीलें है, जिसमें से नैनीझील की लंबाई करीब 1500 मीटर, चौड़ाई लगभग 510 मीटर तथा गहराई 10 से 156 मीटर है। यहां वर्ष भर पर्यटक नोकायन का आनंद लेने आते हैं। नोकायन की शुरुआत मि. बैरन द्वारा हुई थी। जिन्होने इस जगह को सन् 1841 में खोजा और इनकी नाव 12 दिसंबर 1842 को नैनीताल पँहुचीं, समय के साथ नाव को चलाने वाले श्रमिकओं की आय का मुख्य स्रोत यह झील बन गई, यह नाव चलाने वाले मुख्य रुप सें कुंमाऊनी समुदाय सें होते हैं। नाव चलाना अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा है, पर्यटन का श्रेष्ठ स्तर अप्रैल से जून एवं अक्टूबर से नवंबर में रहता है, जब मौसम सुहावना रहता है। इस समय नौकायन सेवाओं की अच्छी मांग रहती है। लेकिन सर्दियों में नाव चालकों की आय स्थिर रहती है जिससे आर्थिक चुनौतियां उत्पन्न होती है जिसका प्रभाव इनके स्वास्थ्य व सामाजिक, आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। |
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अध्ययन का उद्देश्य |
1. नैनीताल शहर के नाव चालकों की सामाजिक एवं लैंगिक स्तर ज्ञात करना। 2. नैनीताल शहर के नाव चालकों की आर्थिक स्तर एवं चुनौंती ज्ञात करना। |
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साहित्यावलोकन | आरती जोशी एवं डॉ0 रूचि द्विवेदी 2023 ने अपने अध्ययन जिला नैनीताल के साइकिल रिक्शा चालक की सामाजिक आर्थिक स्थितिः हल्द्वानी शहर के विशेष संदर्भ में ,में पाया कि रिक्शा चालकों को दैनिक जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है और निम्नलिखित सुझाव दिए हैं । उनकी चिकित्सा सुविधाओ तक पहुंचे हों, साइकिल परमिट सरलीकरण हो, स्वच्छ पानी और स्वच्छता का ध्यान रखा जाए, सामाजिक सुरक्षा योजना तक पहुंच हों, शिक्षा का ध्यान रखा जाए, सामाजिक अभियान चलाई जाए इनके लिए कम ब्याज पर दिया जाए , मुक्त स्वास्थ्य शिविर लगाया इनके लिये एनजीओ द्वारा उनकी हेल्प की जाए। ईला भटट 1988 ने अपने अध्ययन श्रम शक्ति स्वरोजगार वाली महिलाओं और अनौपचारिकता क्षेत्र की महिलाओं पर राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट में पाया कि महिलाओं द्वारा किए जाने वाले काम के अर्थ और परिभाषा को व्यापक बना बनाया जाये, घर के अंदर और घर के बाहर कर्मचारियों के रूप में किए जाने वाले कामों को इसमें शामिल किया जाये। असंगठित क्षेत्र में महिलाओं की खराब स्थिति को कुछ रणनीतिक उपाय द्वारा दुर किया जा सकता है। सुरक्षा नियम, मजदूरी का भुगतान, दुर्घटना मुआवजा, आवास मूलभूत सुविधा आदि संबंधित वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन महिला श्रमिकों की दैनिक स्थिति के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। नियमों का कड़ाई से पालन, कठोर दंड का प्रावधान, न्यायिक प्रक्रिया सरल हो ,भुगतान समय में हो ,इनका स्वास्थ्य बीमा हो ,एक व्यापक प्रभावी कानून हो, जिससे इनका स्वास्थ्य और सुरक्षा बने रहे। |
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सामग्री और क्रियाविधि | अध्ययन क्षेत्र : नैनीताल शहर, उत्तराखंड शोध प्रविधि : प्रस्तुत शोध अध्ययन में नैनीताल शहर के नाव चालकों का सामाजिक, आर्थिक स्तर एवं चुनोतियों का एक विश्लेषण अध्ययन किया गया। नैनीताल शहर के नाव चालकों का चयन सोद्देश्य न्यादर्श विधि से किया गया। नैनीताल में स्थित 20 नाव चालकों का चयन किया गया। उक्त नैनीताल शहर के 222 नाव चालकों मे से कुल 20 न्यादर्श के लिये चयनित किये गये |
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विश्लेषण |
तालिका 1.3 में नैनीताल नगर के नाव चालकों का सामाजिक आर्थिक चुनौतियों का अध्ययन करने पर ज्ञात हुआ कि नैनीताल शहर के सर्वेक्षित 20 नाव चालकों में से नाव चालक के रूप में आने वाले मुख्य चुनौतियां में 55%, सुरक्षा उपाय का अभाव में 20%, काम में मौसम बदलाव में 20% थे। नाव चालकों के लिए प्रमाण पत्र में 100% थे। भविष्य में नाव चालकों के रूप में काम जारी रखने में 60%, हां बाकी 40% नहीं में थे। तथा सामाजिक आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सहयोग की आवश्यकता में वित्तीय सहायता में 10% बेहतर कार्य स्थितियों में 10%, शिक्षा में 45%, सरकारी सहायता में 20% तथा 15% अन्य थे। तालिका का अवलोकन करने से यह स्पष्ट होता है कि नैनीताल नगर के नाव चालकों का सामाजिक आर्थिक स्तर तथा चुनौतियों का विश्लेषण संतोष जनक था। |
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निष्कर्ष |
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भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव | 1. नाव चालकों को सर्वप्रथम शिक्षित होना चाहिए शिक्षा सभी सर्वेक्षित नाव चालकों की पहुंच शिक्षा तक हो सके जिससे कि उनके आय का स्रोत और अधिक विकसित हो सके। 2. नाव चालकों को वित्तीय सुविधा भी प्रदान की जानी चाहिए। 3. नाव चालकों को अन्य व्यवसाय का भी लाभों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। 4. डिजिटल सेवा तक सभी नाव चालकों की पहुंच होनी चाहिए। 5. बचत योजना से होने वाले लाभों से भी परिचित होना चाहिए। 6. स्वास्थ्य सेवा का भी नाव चालकों को लाभ मिलना चाहिए। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची |
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