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मनरेगा योजना की चुनौतियाँ |
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Challenges of MNREGA Scheme | |||||||
Paper Id :
19336 Submission Date :
2024-10-12 Acceptance Date :
2024-10-23 Publication Date :
2024-10-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.14046640 For verification of this paper, please visit on
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सारांश |
भारत विश्व की दूसरी सर्वाधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र है। भारत कई वर्षों तक अंग्रेजों का उपनिवेश रहा। अंग्रजों ने भारत के लोगों का आजादी के समय तक शोषण करते रहे। देश के आजाद होने के पश्चात् हमारे समक्ष बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, आधारभूत संरचना का अभाव, महिलाओं की खराब सामाजिक स्थिति और ग्रामीण कृषि विकास की अनेक चुनौतियाँ एवं समस्यायें विद्यमान थीं। इन सभी चुनौतियों और समस्याओं से निजात पाने के लिए भारत सरकार के द्वारा अनेक रोजगार योजनाओं की शुरूआत की गई। इन्हीं योजनाओं के क्रम में डॉ0 मनमोहन सिंह के कार्यकाल में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (2005) (नरेगा) की शुरूआत हुयी इस कानून का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के कमजोर वर्गों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा एवं उनके जीवन स्तर में सुधार करना था। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | India is the second most populous country in the world. India was a British colony for many years. The British exploited the people of India until independence. After the independence of the country, we faced many challenges and problems like unemployment, poverty, hunger, lack of infrastructure, poor social status of women and rural agricultural development. To overcome all these challenges and problems, many employment schemes were started by the Government of India. In the series of these schemes, the National Rural Employment Guarantee Act (2005) (NREGA) was started during the tenure of Dr. Manmohan Singh. The main objective of this law was to provide socio-economic security to the weaker sections of the rural areas and to improve their standard of living. | ||||||
मुख्य शब्द | मनरेगा, ग्रामीण विकास, चुनौतियाँ, सुझाव। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | MNREGA, Rural Development, Challenges, Suggestions. | ||||||
प्रस्तावना | महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। जिसकी शुरूआत 02 फरवरी 2006 में हुई थी। प्रथम चरण में यह योजना 200 जिलों में लागू की गयी थी। इसके पश्चात् सन् 2008 से जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण देश में लागू हो गयी। वर्तमान में जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष राज्य की श्रेंणी से हटाकर दो केन्द्र शासित प्रदेश में विभक्त कर दिया गया है। इसलिए मनरेगा योजना को यहाँ भी लागू कर दिया है। मनरेगा योजना के कुछ उद्देश्य निम्न हैं:-
उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय स्तर की मनरेगा योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना में महात्मा गाँधी के लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण के विचार को आत्मसात किया गया है। क्योंकि महात्मा गाँधी का मानना था कि देश के विकास का रास्ता गाँव से होकर गुजरता है। इसलिए मनरेगा योजना के क्रियान्वयन हेतु ग्राम पंचायत को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी है।
अतः मनरेगा योजना के कार्यान्वयन में अनेक लोगों की भागीदारी होती है। मनरेगा कार्यक्रम अपने निर्धारित उद्देश्यों के क्रम में काफी सफलताएँ और उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। ग्रामीण विकास में यह योजना एक मील का पत्थर साबित हुई है। परन्तु योजना के क्रियान्वयन में कुछ समस्याएं एवं चुनौतियाँ विद्यमान हैं। |
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अध्ययन का उद्देश्य | प्रस्तुत शोध पत्र के मुख्य लक्ष्य निम्न हैं:-
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साहित्यावलोकन | किसी भी विषय पर लेखन करने हेतु उससे सम्बन्धित साहित्य का सर्वेक्षण करना अति आवश्यक होता है।
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सामग्री और क्रियाविधि | शोधार्थी द्वारा शोध पत्र के अध्ययन के लिए ऐतिहासिक पद्धति, विश्लेषणात्मक पद्धति, तुलनात्मक पद्धति एवं वर्णनात्मक पद्धतियों का प्रयोग किया गया है। शोध पत्र को पूर्ण करने में प्राथमिक एवं द्वितीयक सूचना स्त्रोतों का प्रयोग किया गया है। |
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विश्लेषण | मनरेगा योजना की चुनौतियाँ
सुझाव
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निष्कर्ष |
इस प्रकार कहा जा सकता है कि मनरेगा योजना सरकार की लोकप्रिय योजनाओं में से एक है। इस योजना से करोड़ो लोगों को रोजगार मिल रहा है, उनकी आय वृद्धि हो रही है तथा उनके जीवन स्तर में बदलाव हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की क्रान्ति आयी है। इसके बावजूद मनरेगा योजना के सफल क्रियान्वयन में अनेक चुनौतियाँ एवं समस्याएं व्याप्त हैं। योजना को सफल बनाने हेतु चुनौतियों का समाधान अति आवश्यक है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची |
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