ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- IX , ISSUE- VII October  - 2024
Anthology The Research

मनरेगा योजना की चुनौतियाँ

Challenges of MNREGA Scheme
Paper Id :  19336   Submission Date :  2024-10-12   Acceptance Date :  2024-10-23   Publication Date :  2024-10-25
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DOI:10.5281/zenodo.14046640
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हेतराम
शोध छात्र
राजनीति विज्ञान विभाग
लखनऊ विश्वविद्यालय
लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत
संजय गुप्ता
शोध निर्देशक
राजनीति विज्ञान विभाग
लखनऊ विश्वविद्यालय
लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश
भारत विश्व की दूसरी सर्वाधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र है। भारत कई वर्षों तक अंग्रेजों का उपनिवेश रहा। अंग्रजों ने भारत के लोगों का आजादी के समय तक शोषण करते रहे। देश के आजाद होने के पश्चात् हमारे समक्ष बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, आधारभूत संरचना का अभाव, महिलाओं की खराब सामाजिक स्थिति और ग्रामीण कृषि विकास की अनेक चुनौतियाँ एवं समस्यायें विद्यमान थीं। इन सभी चुनौतियों और समस्याओं से निजात पाने के लिए भारत सरकार के द्वारा अनेक रोजगार योजनाओं की शुरूआत की गई। इन्हीं योजनाओं के क्रम में डॉ0 मनमोहन सिंह के कार्यकाल में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (2005) (नरेगा) की शुरूआत हुयी इस कानून का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के कमजोर वर्गों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा एवं उनके जीवन स्तर में सुधार करना था।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद India is the second most populous country in the world. India was a British colony for many years. The British exploited the people of India until independence. After the independence of the country, we faced many challenges and problems like unemployment, poverty, hunger, lack of infrastructure, poor social status of women and rural agricultural development. To overcome all these challenges and problems, many employment schemes were started by the Government of India. In the series of these schemes, the National Rural Employment Guarantee Act (2005) (NREGA) was started during the tenure of Dr. Manmohan Singh. The main objective of this law was to provide socio-economic security to the weaker sections of the rural areas and to improve their standard of living.
मुख्य शब्द मनरेगा, ग्रामीण विकास, चुनौतियाँ, सुझाव।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद MNREGA, Rural Development, Challenges, Suggestions.
प्रस्तावना
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। जिसकी शुरूआत 02 फरवरी 2006 में हुई थी। प्रथम चरण में यह योजना 200 जिलों में लागू की गयी थी। इसके पश्चात् सन् 2008 से जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण देश में लागू हो गयी। वर्तमान में जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष राज्य की श्रेंणी से हटाकर दो केन्द्र शासित प्रदेश में विभक्त कर दिया गया है। इसलिए मनरेगा योजना को यहाँ भी लागू कर दिया है।  मनरेगा योजना के कुछ उद्देश्य निम्न हैं:-
  1. ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक परिवार को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी परिसम्पत्तियों का निर्माण करना जिससे आजीविका में वृद्धि हो सके।
  3. गाँव के जंगल, जल, कृषि एवं पर्यावरण की रक्षा करना।
  4. महिलाओं का सशक्तिकरण करना।
  5. गाँवों से शहरों की ओर होने वाले पलायन पर अंकुश लगाना।
  6. सामाजिक-आर्थिक समानता सुनिश्चित कराना।

उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय स्तर की मनरेगा योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना में महात्मा गाँधी के लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण के विचार को आत्मसात किया गया है। क्योंकि महात्मा गाँधी का मानना था कि देश के विकास का रास्ता गाँव से होकर गुजरता है। इसलिए मनरेगा योजना के क्रियान्वयन हेतु ग्राम पंचायत को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी है।
मनरेगा योजना के कार्यान्वयन में ग्राम स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के अनेक स्तरों की भूमिकाएँ शामिल हैं। मुख्य स्तर इस प्रकार हैं:-

  1. श्रम कार्य करने हेतु इच्छुक व्यक्ति द्वारा कार्य की माँग करना।
  2. ग्राम सभा
  3. ग्राम पंचायत
  4. ब्लाँक स्तर पर कार्यक्रम अधिकारी
  5. जिला स्तर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी
  6. राज्य स्तर
  7. केन्द्र स्तर का ग्रामीण विकास मंत्रालय
  8. नागरिक समाज

अतः मनरेगा योजना के कार्यान्वयन में अनेक लोगों की भागीदारी होती है। मनरेगा कार्यक्रम अपने निर्धारित उद्देश्यों के क्रम में काफी सफलताएँ और उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। ग्रामीण विकास में यह योजना एक मील का पत्थर साबित हुई है। परन्तु योजना के क्रियान्वयन में कुछ समस्याएं एवं चुनौतियाँ विद्यमान हैं।

अध्ययन का उद्देश्य

प्रस्तुत शोध पत्र के मुख्य लक्ष्य निम्न हैं:-

  1. मनरेगा योजना के उद्देश्यों का विश्लेषण करना।
  2. योजना के कार्यान्वयन के मुख्य स्तर की भूमिका का अध्ययन करना।
  3. मनरेगा की चुनौतियों एवं समस्याओं का विश्लेषण करना।
  4. योजना को सफल बनाने हेतु मुख्य सुझाव देना।
साहित्यावलोकन

किसी भी विषय पर लेखन करने हेतु उससे सम्बन्धित साहित्य का सर्वेक्षण करना अति आवश्यक होता है।

  1. NREGA : Issues and Challenges मे आर0एस0 सिंह ने स्वीकार किया है कि मनरेगा योजना ग्रामीण विकास, गरीबी, उन्मूलन और रोजगार देने में सबसे अग्रणीं योजना है।
  2. विक्रम सिंह ने अपने लेख ‘‘भारत में ग्रामीण विकास में मनरेगा का योगदान एवं चुनौतियाँ‘‘ नामक शीर्षक में बताया कि मनरेगा योजना कुछ हद तक ही सफल हो पायी है। इस योजना में जालसाजी और भ्रष्टाचार अनेक कमियाँ व्याप्त हैं। इनको रोकने में ग्रामीण विकास मंत्रालय और राज्य सरकार की मुख्य जिम्मेदारी है।
  3. शिव कुमार के शोध कार्य के निष्कर्ष से स्पष्ट होता है कि मनरेगा लागू होने से गैर कृषि मजदूरी में वृद्धि हुयी है। लेकिन इसमें कुछ कमियाँ भी देखने को मिल रही हैं।
सामग्री और क्रियाविधि
शोधार्थी द्वारा शोध पत्र के अध्ययन के लिए ऐतिहासिक पद्धति, विश्लेषणात्मक पद्धति, तुलनात्मक पद्धति एवं वर्णनात्मक पद्धतियों का प्रयोग किया गया है। शोध पत्र को पूर्ण करने में प्राथमिक एवं द्वितीयक सूचना स्त्रोतों का प्रयोग किया गया है।
विश्लेषण

मनरेगा योजना की चुनौतियाँ
मनरेगा योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण रोजगार परक कार्यक्रम है। इसके माध्यम से देश की सामाजिक-आर्थिक एवं ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण सफलताएं मिली हैं। परन्तु अभी भी इस योजना में अनेक कमियाँ एवं चुनौतियाँ व्याप्त हैं जो इस योजना को शत्-प्रतिशत सफल बनाने में बाधा उत्पन्न करते हैं-

  1. अपर्याप्त बजट आवंटन - मनरेगा योजना के उद्देश्य के अनुरूप सरकार के द्वारा बजट का आवंटन अपर्याप्त है।
  2. मजदूरी भुगतान में देरी - मनरेगा योजना में मजदूरी के भुगतान में काफी समय लगता है। जिसके कारण श्रमिकों के मन में कार्य के प्रति उदासीनता की भावना पैदा हो जाती है। हालाँकि मनरेगा में मजदूरी भुगतान करने के लिए 15 दिन का प्रावधान है, लेकिन मजदूरी का भुगतान समय से नही होता।
  3. अपर्याप्त मजदूरी दर - न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के आधार पर मनरेगा योजना की मजदूरी दरें नहीं निर्धारित है। जिससे लोग वैकल्पिक रोजगार तलाशने को मजबूर हैं।
  4. भ्रष्टाचार - भ्रष्टाचार मनरेगा योजना की सबसे बड़ी चुनौती है जिससे निपटना अति आवश्यक है। यह चुनौती ग्रामीण स्तर पर सर्वाधिक व्याप्त है। ग्राम पंचायत के मुखिया अपने चहेते मजदूरों को जाँबकार्ड वितरण कराना और कमीशन के आधार पर बिना कार्य कराये मजदूरी का भुगतान करना। ये सब समस्याएं निचले स्तर पर व्याप्त है।
  5. कार्य में मशीनों का बढ़ता प्रयोग - कार्य करने में मशीनों के बढ़ते प्रभाव के कारण मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्यों में मानव, कार्य, बल में कमी आयी है।
  6. कार्यस्थल पर सुविधाओं का अभाव - मनरेगा के तहत कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर जरूरी सुविधाओं का अभाव पाया जाता है। जिससे श्रमिकों में योजना के प्रति उदासीनता का भाव देखा जाता है।
  7. मनरेगा के प्रति रूचि में कमी - सरकारी योजना मनरेगा के प्रति लोगों का रूझान कम हो गया है इसकी वजह यह नही कि योजना गलत है, परन्तु उस योजना का लाभ व्यक्ति को पूरा न मिलना एक मात्र कारण है
  8. आर्थिक शोषण - योजना के अच्छे ढंग से क्रियान्वयन न होने के कारण मजदूरों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। मजदूरों को परिश्रम का उचित दर का मूल्य न देना, फर्जी हस्ताक्षर करके मजदूरी निकाल लेना। 50 दिन कार्य देकर 100 दिन की मजदूरी का अधिकारियों द्वारा भुगतान करा लेना आदि आर्थिक शोषण का योजना में खूब प्रचलन बढ़ा है।

सुझाव

  1. मनरेगा में मजदूरी के भुगतान प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया जाए।
  2. सरकार के द्वारा मनरेगा योजना के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन किया जाए।
  3. सरकार दलीय राजनीति के दृष्टिकोण से अलग होकर मनरेगा योजना पर ध्यान देना।
  4. ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मनरेगा योजना के प्रति जागरूक करना।
  5. कार्यस्थल पर आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था की जाए।
  6. मनरेगा योजना में वित्तीय वर्ष में प्रति परिवार 100 दिन के रोजगार की गारंटी बहुत कम है। कार्यदिवस की संख्या में वृद्धि की जाए।
  7. कार्य में बढ़ते मशीनों के प्रयोग पर नियंत्रण लगाया जाए।
  8. भ्रष्टाचार और घूसखोरी की समाप्ति के लिए कठोर सजा का प्रावधान किया जाए।
  9. श्रमिकों को सरकार के द्वारा आवेदन से लेकर शिकायत निवारण तक की कार्य प्रक्रिया की जानकारी देकर उन्हें शिक्षित किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
इस प्रकार कहा जा सकता है कि मनरेगा योजना सरकार की लोकप्रिय योजनाओं में से एक है। इस योजना से करोड़ो लोगों को रोजगार मिल रहा है, उनकी आय वृद्धि हो रही है तथा उनके जीवन स्तर में बदलाव हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की क्रान्ति आयी है। इसके बावजूद मनरेगा योजना के सफल क्रियान्वयन में अनेक चुनौतियाँ एवं समस्याएं व्याप्त हैं। योजना को सफल बनाने हेतु चुनौतियों का समाधान अति आवश्यक है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
  1. शर्मा, महेश, नरेगा (महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2008)
  2. सेतिया, सुभाष ‘‘ गाँवों में कायापलट का क्रंातिकारी कदम-मनरेगा‘‘ कुरूक्षेत्र, प्रकाशन विभाग भारत सरकार, अंक-फरवरी-2014
  3. सिंह, विक्रम ‘‘भारत के ग्रामीण विकास में मनरेगा का योगदान एवं चुनौतियाँ‘‘ राधाकमल मुखर्जी चिन्तन परम्परा-जनवरी-जून-2014
  4. भारत सरकार मनरेगा रिपोर्ट 2000-2017
  5. महात्मा गाँधी नरेगा समीक्षा (वार्षिक) ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार 2005 ओरिएंट व्लैकस्वाँन प्रकाशन, नई दिल्ली।
  6. धर्मराज शर्मा - भारत निर्माण एवं मनरेगा।
  7. nrega.nic.in
  8. rural.nic.in
  9. कुरूक्षेत्र
  10. योजना
  11. wikipedia.in