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कृषि आधारित कुटीर उद्योग की समस्याएं एवं संभावनाएं (हजारीबाग जिला के संबंध में एक भौगोलिक अध्ययन) |
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Problems And Prospects Of Agriculture Based Cottage Industry (A Geographical Study Regarding Hazaribagh District) | |||||||||||
Paper Id :
19292 Submission Date :
2024-09-13 Acceptance Date :
2024-09-22 Publication Date :
2024-09-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.14591450 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/anthology.php#8
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सारांश |
प्रस्तुत शोध-पत्र हजारीबाग जिला के कृषि आधारित कुटिर उद्योग की समस्या एवं संभावना पर आधारित है। हजारीबाग जिला में खनन एवं कृषि जीवन निर्वाह का प्रमुख स्रोत रहा है, साथ ही कुटीर उद्योग ने जिला के निवासियों की अर्थव्यवस्था को दृढ़ आयाम प्रदान किया है। कृषि के आधुनिक रूप यहां देखने को मिल रहे हैं। जिला में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए कृषि के साथ-साथ उसके उत्पाद पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे बेरोजगारी को दूर किया जा सके, साथ ही स्थानीय लोगों की आवश्यकता की पूर्ती भी की जा सके। जिला में कृषि आधरित कुटीर उद्योग की आपार संभावनाएं हैं। उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु के अन्तर्गत शामिल यह जिला कृषि के लिए मानसून पर निर्भर है। कृषि उत्पाद पर आधारित उद्योगों द्वारा कृषक अतिरिक्त आय की प्राप्ति कर, साल के अन्य महीनों में जब खेती नहीं होती, अपने को आत्मनिर्भर बना सकते है, साथ ही वैसे लोगों को जो बेरोजगार है, उन्हें जोड़ कर इस उद्योग के माध्यम से रोजगार प्रदान कर सकते हैैं। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The presented research paper is based on the problems and possibilities of agriculture based cottage industry of Hazaribagh district. Mining and agriculture have been the main sources of livelihood in Hazaribagh district and cottage industry has given a strong dimension to the economy of the residents of the district. Modern forms of agriculture are being seen here, to overcome the problem of unemployment in the district, industries based on agriculture as well as its products are being promoted. So that unemployment can be removed as well as the needs of the local people can also be fulfilled. There are immense possibilities of agriculture based cottage industry in the district. This district, included in the tropical monsoon climate, is dependent on monsoon for agriculture. Farmers can make themselves self-reliant by earning additional income through industries based on agricultural products, when there is no farming in the other months of the year, as well as by connecting those people who are unemployed, employment can be provided through this industry. | ||||||||||
मुख्य शब्द | अर्थव्यवस्था, कुटीर उद्योग, बेरोजगारी, मानसून, जलवायु। | ||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Economy, Cottage Industries, Unemployment, Monsoon, Climate. | ||||||||||
प्रस्तावना | ‘‘कुटीर उद्योग’’ जैसा की इसके शब्द से ही स्पष्ट होता है यह एक उद्योग है जिसे व्यक्ति अपने गृह में ही कम प्रारंभिक निवेश के साथ पारंपरिक तरीकोें से पारंपरिक उपकरणों के माध्यम से परिवार के सदस्यों के सहयोग द्वारा आरम्भ किया करते हैं। भारत जैसे विकासशील ग्राम प्रधान देश में कृषि अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार है। एक ओर जहां बड़े उद्योग देश के लिए महत्वपूर्ण हैं वही छोटे पैमाने के कुटीर उद्योग की भूमिका भी कम नहीं, इस उद्योग के अंतर्गत, चटाई बनाना, रस्सी निर्माण, बांस की वस्तुएं निर्माण, लकड़ी के समान बनाना, चमड़े के समान, हस्तनिर्मित वस्तुएं बनाना, हस्तशिल्प हस्तकरघा, कुम्भकारी, लोहारगिरी जैसे कार्य शामिल है। राष्ट्रिय योजना आयोग द्वारा कुटीर उद्योग को विशेषता के आधार पर विभ्भिन वर्गों में रखा गया है। जैसे- कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, लकड़ी उद्योग, धातु उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, मिट्टी के उद्योग, रेशम उद्योग, कृषि आधारित कुटीर उद्योग आदि। वर्तमान शोध प्रपत्र का विषय हजारीबाग जिला के संबंध में कृषि आधरित कुटीर उद्योग की समस्याओं एवं संभावनाओं का अध्ययन है। कृषि आधारित उद्योग में कच्चे माल के रूप में कृषि उत्पादों का उपयोग करके उत्पादन किया जाता है। हजारीबाग जिला में खनन एवं कृषि अर्थव्यवस्था के आधार है, साथ ही कुटीर उद्योग की भी यहां आपार संभावनाएं हैं। यहां कृषि आधारित कुटीर उद्योग इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि मानसून समाप्ति के उपरांत कृषक खाली समय में अथवा कृषि कार्य के साथ इस उद्योग के माध्यम से अपनी आय को बढ़ा सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकते हैं। |
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अध्ययन का उद्देश्य |
प्रस्तुत शोध आलेख हजारीबाग जिला के कृषि आधारित कुटीर उद्योग के महत्वों को समझते हुए उनके समक्ष आने वाली समस्याओं एवं संभावनाओं के अध्ययन से संबंधित है। जिला में कृषि आधारित कुटीर उद्योग के विकास से यहां की महिला एवं पुरूषों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है एवं जिला की अर्थव्यवस्था में इस उद्योग के महत्वों को देखते हुए इस उद्योग के विकास के लिए सरकारी प्रयास भी किया जा रहा है। इस तरह मेरे शोध प्रपत्र के निम्न उद्देश्य हैं - 1. अध्ययन क्षेत्र में कृषि आधारित कुटीर उद्योग के महत्वों का अध्ययन करना। 2. स्थानीय निवासियों को कृषि आधारित कुटीर उद्योग से होने वाले लाभोें पर प्रकाश डालना। 3. क्षेत्र में चलने वाले कृषि आधारित कुटीर उद्योगों की व्याख्या करना। 4. कृषि आधारित कुटीर उद्योग के समक्ष आने वाली समस्याओं का अध्ययन करना। 5. कृषि आधारित कुटीर उद्योग की संभावनाओं पर प्रकाश डालना। |
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साहित्यावलोकन |
प्रस्तुत शोधपत्र के लिए विभिन्न पुस्तकों और शोधपत्रो का अध्ययन किया गया है। |
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सामग्री और क्रियाविधि | अध्ययन क्षेत्र - इस शोध प्रत्र का अध्ययन क्षेत्र, भारत के 28वें राज्य
झारखंड के 24 जिलों में से प्रमुख जिला हजारीबाग है, जिसकी स्थापना देश के
आजादी से पूर्व वर्ष 1886 में हो चुकी थी। इसकी प्रमुखता इस बात से ही स्पष्ट
हो जाती है कि जहां एक ओर यह झारखंड के पांच प्रमंडलो में से एक उत्तरी
छोटानागपुर प्रमंडल का मुख्यालय है, वहीं यह शहर अपनी खनिज सम्पदा,
प्राकृतिक सौंदर्य, वन सम्पदा, मनमोहक जलवायु, पर्यटक स्थलों, अपनी
संस्कृति एवं विरासत के लिये प्रारम्भ से ही लोगों का आर्कषण केन्द्र रहा
है। इसके उत्तर में कोडरमा जिला एवं बिहार राज्य का गया जिला है, दक्षिण
में रामगढ़ एवं राज्य की राजधानी रांची है, पूर्व में गिरिडीह एवं बोकारो
जिला, पश्चिम में चतरा जिला है। शहर का क्षेत्रफल 4310.33 वर्ग कि◦मी◦ है
एवं समुद्र तल से इसकी उंचाई लगभग 610 मी◦ (2000 फीट) है। जिला का अक्षांशीय विस्तार 23°5’ से 24°4’ उत्तर तथा देशांतरीय विस्तार 85°1’ से
85°9’ पूर्व के बीच है। चारों ओर से घने जंगलों एवं पहाड़ियों से घिरा यह
जिला दो अनुमण्डलों, सोलह प्रखण्डों में विभक्त है जिसमें हजारीबाग सदर
अनुमण्डल के अन्तर्गत कटकमसांडी, दारू, दांदी, टाटी झरिया, विष्णुगढ़, इचाक,
बड़कागांव, चुरचू, केरेडारी प्रखण्ड शामिल है, वही बरही अनुमण्डल के
अन्तर्गत पदमा, चौपारण, चलकुसा, बरकट्ठा प्रखण्ड शामिल है। जिला में 1308
ग्राम एवं 257 ग्राम पंचायत है एवं जनसंख्या 2011 के अनुसार 1,734,005 थी। आंकड़ा संग्रह व विधि तंत्र किसी भी शोध प्रपत्र के लिए विश्लेषण आवश्यक होता है। तार्किक परिणाम के लिए हम वैज्ञानिक विधि तंत्र का सहारा लेते हैं। इस तरह हम शोध कार्य को बिना किसी बाधा के अंतिम परिणाम तक आसानी से पूर्ण कर पाते हैं। इस शोध लेख के लिए मैंने भी विभिन्न आंकड़ों व वैज्ञानिक विधि तंत्र का सहारा लिया है। आंकड़ा संग्रह क. प्राथमिक आंकड़ा - प्रस्तुत अध्ययन में प्राथमिक आँकड़ों के लिए पारिवारिक सर्वेक्षण के माध्यम से कृषि आधारित कुटीर उद्योग के महत्व तथा उद्योग से होने वाले लाभों को जानने का प्रयास किया गया है। प्रश्नावली के माध्यम से साक्षात्कार कर जानकारी प्राप्त की गई है। ख. द्वितीयक आंकड़ा - द्वितीयक आँकड़े के लिए विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों जैसे- जिला उद्योग बोर्ड, जी०टी० भारत कार्यालय, कृषि अनुसंधान केन्द्र, जिला लघु एवं कुटीर उद्योग कार्यालय, कॉपरेटिव सोसायटी, खादी एवं ग्रामोद्योग भवन से जानकारी प्राप्त की गई है। विधि तंत्र क. क्षेत्र सर्वेक्षण के पूर्व के कार्य - शोध प्रपत्र के लिए अध्ययन क्षेत्र से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए मैंने विभिन्न पुस्तकों, शोध पत्रों व शोध ग्रन्थो, पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्रों व इंटरनेट का सहारा लिया है। ख. क्षेत्रीय कार्य - क्षेत्र में मैंने पारिवारिक सर्वेक्षण किया जिसमें विभिन्न प्रखण्ड़ों के कुछ गाँवों का चयन किया गया। प्रश्नावली के माध्यम से साक्षात्कार कर अध्ययन क्षेत्र में कृषि आधारित कुटीर उद्योग की स्थिति को समझने का प्रयास किया गया। ग. क्षेत्र सर्वेक्षण के बाद के कार्य - विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा आँकडों के संग्रहण व विश्लेषण कर प्राप्त जानकारी के माध्यम से निष्कर्ष तक पहुंचना आसान हुआ जिसके आधार पर मैंने सुझाव भी दिया है। |
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अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी | |||||||||||
विश्लेषण | कृषि आधारित कुटीर उद्योग एवं इसके महत्व हजारीबाग जिला की अर्थव्यवस्था खनन एवं कृषि पर आधारित है। जिला में औद्योगिक विकास की गति इन पर ही निर्भर करती है, परन्तु खनिज आधरित उद्योगों की कमी एवं कृषि की मानसून पर निर्भरता ने यहां कुटीर उद्योग के महत्व को बढ़ा दिया है। रोजगार के अवसर और आर्थिक सुदृढ़ता दोनों के लिए जिला में कुटीर उद्योग के विकास की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। यहां कृषि आधारित कुटीर उद्योग की अपार संभावनाएं हैं। कृषि आधारित कुटीर उद्योग वे उद्योग हैं, जिनका कृषि उत्पाद से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध होता है। यह कृषि उत्पाद से अन्य उत्पाद का निर्माण करते है अर्थात वैसे उद्योग जो मुख्य रूप से उपजों एवं पशुओं से प्राप्त कच्चा माल का उपयोग करते हैं। कृषि आधरित कुटीर उद्योग के अन्तर्गत आते हैं, जैसे - पशुपालन, दुग्ध उत्पाद, चमड़ा उद्योग, चावल एवं गेहूँ की मीलें, जूट की वस्तुएं बनाना, कागज निर्माण, कपड़ा निर्माण, सब्जी एवं फल प्रसंस्करण (अचार, जैम, चिप्स, चटनियां, मुरब्बा, सॉस), अगरबत्ती निर्माण, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खियों का पालन, गुड़ बनाना, बीड़ी बनाना, तेल पिराई आदि। अध्ययन क्षेत्र जिला हजारीबाग उष्णकटिबन्धीय मानसून जलवायु के अंतर्गत आता है, कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाला यह क्षेत्र बड़ी संख्या में लोगों को कृषि व्यावसाय से जोड़ता है। यहां मुख्य कृषि उत्पादों को हम निम्न तालिका द्वारा देख सकते हैं - तालिका - 1
उपरोक्त तालिका से यह स्पष्ट होता है कि जिला में होने वाले कृषि उत्पाद ने कृषि व्यवसाय को बढ़ावा दिया है परन्तु कृषि के मानसून पर निर्भरता एवं खनन क्षेत्रों में खनन आधारित उद्योगों की कमी व सरकारी नौकरियों का अभाव, जिला में उद्योगों की स्थापना के लिए पूंजी की समस्या जैसे कई ऐसे कारण है जो जिला में कुटीर उद्योग के महत्व को बढ़ाता है। जिला में कृषि उत्पाद पर आधारित कुटीर को कम प्रारम्भिक निवेश के साथ कोई भी शुरू कर सकता है। इससे दीर्घकालीन व अतिरिक्त आय की प्राप्ति होगी साथ ही अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में ऐसे उद्योग सहायक सिद्ध हो सकते है। कृषि आधारित कुटीर उद्योग के लाभ - जिला में कृषि उत्पाद पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाये तो लोगों की आय बढ़ने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी साथ ही कई तरह के लाभ भी प्राप्त होगें जोे निम्नवत् हैं - 1. जिला के विभिन्न प्रखंडों मेें कृषि पर निर्भरता को कम कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सकता है। 2. विभिन्न प्रखंडों के भूमिहीन एवं मजदूरों तथा गांवों में निवासित आदिवासियों को उद्योग से जोड़ उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। 3. उद्योग के माध्यम से जिला के ग्रामीणों के जीवन स्तर को बदल सकते हैं। 4. कृषि आधारित कुटीर उद्योग के विकास से अध्ययन क्षेत्र के बुनियादी सुविधाओं को सुगम बनाया जा सकता है। 5. उद्योगों के विकास से प्रवसन को रोका जा सकता है। 6. ऐसे उद्योगों द्वारा उद्योगों के विकेन्द्रण में आसानी होगी। अध्ययन क्षेत्र में चलने वाले कृषि आधरित कुटीर उद्योग - जिला के सोलह प्रखंडों में कृषि किया जाता है जिसमें सदर प्रखंड को छोड़ कर लगभग सभी प्रखण्डों में ग्रामीण आबादी है, लोग कृषि कार्य में संलग्न है। कृषि आधारित कुटीर उद्योग में यहां के महिला एवं पुरूष आबादी दोनों ही जुडें हैं। यहां चलने वाले कृषि आधारित कुटीर उद्योग कुछ इस प्रकार हैं - कृषि आधारित कुटीर उद्योग के समक्ष आने वाली समस्याएं हजारीबाग जिला की अर्थव्यवस्था खनन के साथ-साथ कृषि पर आधारित है। जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि आबादी का बड़ा हिस्सा गांवों में निवास करता है और कृषि कर्म में संलग्न है। यहाँ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना आवश्यक है, जिसके लिए कृषि विकास और उनपर आधारित उद्योगों दोनों की आवश्यकता होगी जो कृषि उत्पाद को अधिक लाभदायक बना सके, ऐसा होने से ग्रामीण एवं किसानों की आर्थिक समस्या का निदान होगा परंतु कृषि आधारित कुटीर उद्योगों को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अध्ययन क्षेत्र में उद्योगों के समक्ष आने वाले समस्याएं निम्नवत् है।
जिला में कृषि आधारित कुटीर उद्योग की संभावनाएं हजारीबाग जिला में कृषि आधरित कुटीर की अपार संभावनाएं हैं। उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु के अर्न्तगत शामिल यह जिला कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाला क्षेत्र है। यहां वर्त्तमान में कृृषि में हो रहे बदलाव ने तथा कृषि आधारित उद्योगों ने एवं इनसे जुड़े मौजूदा संसाधनों की खोज के साथ-साथ उद्योग के विकास ने उद्योग की संभावनाओं को और भी बढ़ा दिया है। विभिन्न प्रखण्ड़ों में ग्रामीण कृषि कार्य में संलग्न हैं। अगर यहाँ उद्योगों को और भी विकसित किया गया तो प्रवसन की समस्या का निदान होगा, अर्थव्यवस्था में इस उद्योग की भागीदारी बढ़ेगी। रोजगार के साथ-साथ लोगों का जीवन स्तर बदलेगा। सरकार द्वारा इन उद्योगों के महत्वों को देखते हुए कृषि आधरित कृटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं एवं नीतियां बनाई गई हैं। साथ ही विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी विभाग इसके लिए कार्य कर रहे जिसकी चर्चा निम्नवत् है - सरकारी ऐजेंसियां एवं सरकारी विभाग- उद्योग के विकास के लिए निम्न ऐजेंसियां एवं विभाग कार्य कर रही हैं। इनके अलावा सरकारी समितियों, गैर सरकारी संस्थान द्वारा भी विकास कार्य किया जा रहा है। सरकारी योजनाएं सरकार द्वारा उद्योगों के विकास एवं एवं उनसे जुड़े उद्यमियों के लिए कई योजनाएं कार्यरत हैं:-
सरकार की नीति
सुझाव पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्र होने के बावजूद जिला में कृषि योग्य भूमि में कृषि किया जा रहा, जो मानसून पर निर्भर है। सिंचाई की व्यवस्था उतनी अच्छी नहीं है। नदियां बारहमासी न होने के कारण सिंचाई के लिए नहरों की व्यवस्था करना थोड़ा कठिन है। इन सभी समस्याओं के बावजूद अर्थव्यवस्था में कृषि की भागीदारी को हम यहां देख पाते हैं। कृषि आधारित कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यहां की कृषि को उन्नत बनाना आवश्यक है क्योकिं कुटीर उद्योग के लिए कच्चा माल के रूप में कृषि उत्पाद का ही उपयोग होता है। पशुओं की उन्नत नस्ल न होने के बावजूद उन्हें पौष्टिक आहार दे कर उनसे प्राप्त कच्चे माल की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थान के द्वारा चलाई गयी योजनाओं से लागों को अवगत कराना आवश्यक है। |
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निष्कर्ष |
प्रस्तुत शोध पत्र के माध्यम से हम यह भली भांति समझ पाते हैं कि कोयला, अभ्रक, चूना पत्थर, बहुमूल्य पत्थरों एवं अन्य खनिजोें की बहुलता वाला क्षेत्र हजारीबाग की अर्थव्यवस्था इन खनिजों के खनन के साथ-साथ कृषि पर निर्भर है। कृषि उत्पाद ही कृषि आधरित कुटीर उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में उपयोग मे लाये जाते है। दुधारू पशुओं के साथ-साथ यहां मुर्गी, सुकर, मत्स्यन पालन भी किया जाता है, जो कृषि आधारित कुटीर उद्योग के लिए कच्चा माल प्रदान करते हैं। अतः कृषि का विकास एवं इसे उन्नत बनाने की आवश्यकता है, तभी जिला में इस उद्योग से जुड़े लोगों का चहोमुखी विकास होगाा, साथ ही अर्थव्यवस्था में भी इससे लाभ प्राप्त होगा। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची |
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