वक्फ संशोधन विधेयक : संपत्ति विवादों से पार पाने की दिशा में बड़ा कदम
      16 April 2025

Dr. Megha Kumari Expert : Indian politics Assistant professor Department of Political Science
संपत्ति पर स्वामित्व, कानूनी पारदर्शिता और जन-हितैषी उपयोग पर केंद्रित है प्रस्तावित बदलाव

– इतिहास, वर्तमान स्थिति और संभावित सुधारों पर एक चर्चा|

भारत में वक्फ संपत्तियों को लेकर एक बार फिर से बहस तेज़ हो गई है। हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जारी चर्चाओं के बीच आम लोगों में कई सवाल उठ रहे हैं – वक्फ क्या होता है? इसकी कानूनी स्थिति क्या है? और नए संशोधनों में क्या कुछ प्रस्तावित है? इस विशेष आलेख में हम वक्फ के इतिहास से लेकर वर्तमान विधेयक के प्रावधानों तक का विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं।

वक्फ क्या है?

‘वक्फ’ शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है — रोकना या स्थायी रूप से संरक्षित करना। इस्लामिक परंपरा में वक्फ उस संपत्ति को कहा जाता है जिसे धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों से दान किया गया हो। इस संपत्ति को बेचा या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।


वक्फ अधिनियम का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

1913: ब्रिटिश सरकार ने वक्फ की अवधारणा को मान्यता दी।

1923: वक्फ एक्ट लागू हुआ, पर केवल व्यक्तिगत स्तर तक सीमित रहा।

1954: स्वतंत्र भारत में पहला वक्फ अधिनियम संसद में पारित हुआ।

1995: अधिनियम को संशोधित कर वक्फ बोर्डों को अधिक अधिकार दिए गए।

2013: संशोधन ने बोर्डों को संपत्ति पर व्यापक दावे करने और बिक्री पर रोक लगाने की शक्ति दी।

वर्तमान वक्फ संशोधन विधेयक: क्या बदलेगा?

संसद में प्रस्तुत संशोधित वक्फ विधेयक 2023–24 में निम्नलिखित बदलाव प्रस्तावित हैं:

वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण में पारदर्शिता।

संपत्ति पर दावा करने से पूर्व सभी पक्षों की सुनवाई आवश्यक।

GIS आधारित डिजिटल रिकॉर्ड प्रणाली।

नियुक्तियों और प्रबंधन में सुधार।

न्यायिक पुनरावलोकन की सुविधा।


विशेषज्ञों के अनुसार, ये प्रावधान संपत्ति विवादों को कम कर सकते हैं और वक्फ संपत्तियों के उचित सामाजिक उपयोग का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।


विवाद और सवाल: आम जनता की चिंताएँ

क्या वक्फ संपत्ति पर गैर-मुस्लिम दावा कर सकते हैं?

क्या वक्फ संपत्ति घोषित करने की प्रक्रिया पक्षपाती है?

क्या धार्मिक दान के नाम पर निजी संपत्तियाँ वक्फ की जा सकती हैं?



वर्ष 2013 के संशोधन के बाद, ऐसी अनेक घटनाएँ सामने आईं जब विवादित भूमि पर वक्फ बोर्डों ने दावे किए, जिससे स्थानीय समुदायों में असंतोष फैला। नए विधेयक में ऐसी प्रक्रियाओं को संतुलित करने की कोशिश की गई है।


विश्लेषण:

विशेषज्ञ मानते हैं कि वक्फ संपत्तियों पर प्रभावी निगरानी, कानूनी संतुलन, और जनभागीदारी सुनिश्चित किए बिना यह कानून पूर्णतः सफल नहीं हो पाएगा। संपत्ति विवाद और धार्मिक सहिष्णुता के बीच संतुलन बनाना विधेयक की सबसे बड़ी चुनौती है।

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