राजीव मिश्रा सम्पादक कानपुर |
स्वैच्छिक दुनिया ब्यूरो, नई दिल्लीः
शिक्षा के बाजारीकरण को देखते हुए यूजीसी ने छात्रों और अभिभावकों को अलर्ट करते हुए कहा है कि पीएचडी कोर्स में दाखिला लेने से पहले उस संस्थान की यूजीसी से ली गई अनुमति को जांच लें।
ज्ञातव्य है कि कोरोना संकट के बाद आनलाइन पढ़ाई कराने वाली कंपनियों की बाढ़ आ गई है। व्यापारिक उत्पादों की तरह नए - नए आनलाइन कोर्स छात्रों को आफर किए जा रहे हैं। इनमें से कुछ कंपनियों ने तो सारे नियमों को ताक पर रखते हुए विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर आनलाइन पीएचडी कोर्स भी आफर करना शुरू कर दिया है हालांकि उच्च शिक्षा की नियामक संस्था विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ऐसे मामलों के सामने आने के बाद छात्रों और अभिभावकों को सतर्क किया है और कहा कि आनलाइन पीएचडी किसी भी तरह मान्य नहीं है। इसलिए इस तरह के प्रस्तावों को गंभीरता से न लें और न ही भूलकर इनमें दाखिला लें।
अच्छी बात यह है कि सरकार इस ओर गंभीरता से काम कर रही हैं इसलिए शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के इस तरह के फर्जीवाड़े को लेकर यूजीसी के साथ- साथ एआइसीटीई ने भी छात्रों अलर्ट किया है। उच्च शिक्षा से जुड़े इन नियामकों की ओर से शिक्षा से जुड़ी निजी कंपनियों के फर्जीवाड़े को लेकर इस साल में दूसरी बार ऐसा अलर्ट जारी किया गया है। शिक्षा से जुड़ी इन निजी कंपनियों की ओर देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों और कालेजों से संबद्धता ( फ्रेंचाइजी) लेकर आनलाइन कोर्स में दाखिले का प्रस्ताव दिया जा रहा था।
यूजीसी ने उस समय भी साफ किया था कि कोई भी विश्वविद्यालय या कालेज से संबद्धता लेकर आनलाइन कोर्स नहीं संचालित हो सकते है। ऐसे में जो कंपनियां या संस्थान ऐसे कोर्स आफर कर रहे है, वह पूरी तरह से फर्जी है। छात्रों और अभिभावकों से इनमें दाखिला न लेने की सलाह भी दी थी। |
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