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राजीव मिश्रा कवि कानपुर |
बहुत करम किए वोट की खातिर फिर भी रह गए छूछे
तबहू गोरी जाने कैसे हम सबसे यह पूछे
काबा …यु पी में काबा काबा
काबा …यु पी में काबा काबा
यूपी में योगी बनारस में बाबा
अबहू तु पूछ थ्या यूपी में काबा
फ्री फ्री कइके बनाय रहे उल्लू
जनता दै दिहिस तबै बाबाजी का ठुल्लू
जाती औ पाती में हाथी बुढ़ाय गवा
सइकिल भी डूब गई पानी बिना चुल्लू।
सठे शाठयम समाचरेत..
यतना मारब की उतर जैइहे परेत–
हाथन से .. लातन से कइसे तू जाबा।
अबहू तु पूछ थ्या यूपी में काबा
यूपी में योगी बनारस में बाबा
अबहू तु पूछ थ्या यूपी में काबा
वादन से बातन से मनई लुभाय लिहौ
लरकिन मेहरारून के सपना देखाय दिहौ
मुला याहि मन में बसे है जो राम जी
उनके ताहि तुम् ही बताओ तो काव किहौ।
छोड़ो राजनीति चलावौ तुम ढाबा।
अबहू तु पूछ थ्या यूपी में काबा
यूपी में योगी बनारस में बाबा
अबहू तु पूछ थ्या यूपी में काबा
लोगा लुगाइन औ बचवा निडर बा
दुष्टन पे शासन के तगड़ा कहर बा
विश्व गुरु देश का बनावै के खातिर
मोदी कै कोशिश ही आठों पहर बा।
सोना तौ सोना है समझो न तांबा।
अबहू तु पूछ थ्या यूपी में काबा
यूपी में योगी बनारस में बाबा
अबहू तु पूछ थ्या यूपी में काबा |
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