रवि शर्मा एडवोकेट, शुक्लागंज, उन्नाव |
मनचले तो मनचले है कौन इनकी जाति है,
बहिन- माताओं की इज्जत तो इन्हें तृण भाँति है,
बगुलों के दादा लगे यह गिरगिटों के बाप हैं,
भारत भू की संस्कृति को मनचले बस श्राप हैं,
आँख इनकी तब खुलेगी जिस्म तिल तिल कर गले,
हो गई पहचान यह है कुछ प्रतिष्ठित मनचले.।।
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