हंसराज हंस |
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आज चाहिए सबको,
अपने-अपने अधिकार।
नही करता कोई भी,
अपने कर्तव्य स्वीकार।
कर्तव्य को भूल रहे है,
बन रहे है मक्कार।
पर फिर भी चाहे सबको,
पहले अपने अधिकार।
अधिकारों के ले सुपारी,
बन बैठते है सब पंसारी।
नियमों को रख ताक में,
बन जाते है इच्छाधारी।
पहले कर्तव्यों का रखो ध्यान,
फिर मांगो अपने अधिकार।
लोकतंत्र में सबसे बड़ा मिला
सबको अपना मताधिकार।
इस अधिकार को समझो,
चुनो अपना अच्छा सरदार।
जो जनता के लिए निभाए,
हमेशा अच्छा किरदार।
जीवन में मिले अधिकारों से,
करो हमेशा खूब परोपकार।
मत कहलाओ अभिमानी।
जनता से रखो सरोकार।
जब थे अधिकारी तो,
जाते थे नए-नए क्लब।
हट गए अधिकार तो,
बन गए अब फ्यूज बल्ब।
इसलिए हंसराज हंस कहे,
जनता के बनो पैरोकार,
सिर माथे रखेगी तुमको,
दे देगी खूब सारे अधिकार।
हंसराज हंस
टोंक राजस्थान। |
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