स्वैच्छिक दुनिया (ब्यूरो) |
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स्वैच्छिक दुनिया ब्यूरो, फरीदाबाद। विशाल शिक्षा सेमिनार में हुआ सही कदम सफलता की ओर पुस्तक का भव्य विमोचन।"जो पड़ेगा वो बढ़ेगा" का संदेश लेकर VASM के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल चांडाल जी एवं राष्ट्रीय महासचिव जयपाल बेनीवाल जी के नेतृत्व में उनकी पूरी टीम ने गांव-गांव, गली मुहल्लों में घर-घर जाकर शिक्षा का अलख जगाया और बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को शिक्षा सेमिनार में आने के लिए प्रोत्साहित किया।
18 दिसंबर को फरीदाबाद में वैश्य धर्मशाला 23, नीलम बाटा रोड एन आई टी के सभागार में विशाल शिक्षा सेमिनार का आयोजन हुआ जिसमें लगभग एक हजार से अधिक की संख्या में विद्यार्थी अपने अभिभावकों के साथ उपस्थित हुए।
विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों को दिशा निर्देश देने के लिए अनेक विद्वानों ने कार्यक्रम में प्रतिभा किया जिनमें डॉ0 विवेकानंद चन्द्रवाल जी (Assistant Professor, Zoology), श्री सत्यपाल वाल्मीकि जी (IRS, Assistant Commissioner Central GST Ghaziabad) श्री जगमाल जी (Deputy Secretary, Law Ministry) सहित काउंसलर के रूप में डॉ.राधा वाल्मीकि को विशेष रूप से सेमिनार में आमंत्रित किया गया जहां उनकी पुस्तक "सही कदम सफलता की ओर" का भव्य विमोचन हुआ यह पुस्तक स्वराज प्रकाशन नई दिल्ली के द्वारा प्रकाशित की गई है तथा दसवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा के बच्चों के लिए यह अत्यंत उपयोगी है। डॉ राधा वाल्मीकि ने अपनी पुस्तक सही कदम सफलता की ओर के बारे में विस्तार से अपने वक्तव्य में बताते हुए कहा कि यही वह पड़ाव है जहां से बच्चे को अपना कॅरियर चुनने में उचित जानकारी एवं सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जीवन में हर किसी का सपना होता है कि वह अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त कर ईमानदारी से कोई अच्छी नौकरी या कार्य करें। अपना कॅरियर बनाकर अपना व अपने परिवार का नाम रोशन करें, पर इसके लिए आवश्यकता होती है सही मार्गदर्शन की और सही विषयों एवं कोर्स की जानकारी होना। ताकि भविष्य में वह जो भी बनना चाहते हैं या करना चाहते हैं उसके लिए उस पाठ्यक्रम व कोर्स की उन्हें सही जानकारी हो कि यह क्या कोर्स है? इसे कैसे करें। इसके लिए निर्धारित योग्यताएं क्या होनी चाहिए। क्या विषय चयनित करना है? क्या पढ़ना है। तथा इस कोर्स या पाठ्यक्रम का आगे चल कर क्या लाभ है। सही कॅरियर कैसे चुनना है।
वैसे तो छात्र हाई स्कूल के उपरांत ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं। इसमें वो बच्चे शामिल होते हैं जिन्हें घर में अच्छी गाइडेंस मिली हो, जिनके माता-पिता पढ़े लिखे व सक्षम होते हैं, उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है। परंतु ऐसे परिवार जो साधनहीन होते हैं गरीब, शोषित, वंचित और ग्रामीण परिवेश से आते हैं, जिनमें माता-पिता, परिवार के सदस्य या तो अनपढ़ होते हैं या केवल साक्षर भर होते है। ऐसे परिवारों के बच्चे यदि हाई स्कूल पास कर लेते हैं तो उन्हें पता ही नहीं होता है कि हाई स्कूल के उपरांत क्या विषय लेना है? किस वर्ग के विषय का चयन करना है। या हमारी रुचि किस विषय में है? वह कक्षा के अन्य बच्चों की देखा देखी वही विषय ले लेते हैं जो उन्होंने लिए हैं, फिर चाहे वह विषय उनकी समझ में आता हो या न आता हो। अंततः फेल होकर अपना समय बर्बाद करते हैं। कोई उसे सही मार्गदर्शन देने वाला नहीं होता है। हाई स्कूल के उपरांत कुछ बच्चों को पता ही नहीं होता है कि विज्ञान वर्ग में पीसीएम, पीसीबी ग्रुप, कॉमर्स या कला वर्ग क्या होता है? वह टूटी-फूटी जानकारी के अभाव में ऐसे विषय चयनित कर लेते हैं जिन्हें समझ पाने में वे असमर्थ होते हैं, परंतु जो बच्चे भले ही उन्हें पारिवारिक शैक्षिक माहौल या सहयोग न मिला हो अपनी प्रतिभा के दम पर ज्ञानार्जन के द्वारा सही निर्णय ले लेते हैं और सफल भी होते हैं। बिना सोचे समझे विषय चयनित करने वाले छात्र-छात्राएं जब फेल होते हैं या उन्हें उस विषय को पढ़ना आसान नहीं लगता है, तब समय बर्बाद करने के बाद विषय बदलते हैं जिससे उन्हें पुनः नए विषय को पढ़ने में समझने में समय लगता है। सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण बच्चे गलतफहमी पालकर विषयों के प्रति गलत धारणा रख लेते हैं। जैसे कला वर्ग के विषय लेकर वे अपने को हीन समझने लगते हैं। जबकि हर विषय अलग-अलग क्षेत्रों में कॅरियर चुनने के लिए अपनी विशेषता रखता है। जैसे विज्ञान वर्ग के बच्चे यदि वैज्ञानिक, इंजीनियर या डॉक्टर आदि बनते हैं, तो वाणिज्य वर्ग के बच्चे अच्छे अर्थशास्त्री, उद्योगपति,और व्यापारी बनते हैं। या फिर आर्थिक उपक्रमों में जैसे फैक्ट्रियों बैंकों इत्यादि में अपनी उत्तम सेवाएं दे सकते हैं। इसी प्रकार कला वर्ग के बच्चे भी प्रशासनिक सेवाओं, न्यायिक सेवाओं, होटल मैनेजमेंट इत्यादि किसी भी सेवा में अपना कॅरियर बना सकते हैं। तब आवश्यकता होती है बस उन्हें सही मार्गदर्शन की और मनोबल बढ़ाने की।
अतः बच्चे की बौद्धिक क्षमता के आधार पर उसके लिए विषय का चयन करना चाहिए। उसे इस बात की पूर्ण जानकारी हाईस्कूल से ही होनी चाहिए कि उसे इंटर में कला, वाणिज्य, विज्ञान वर्ग में से किस वर्ग का चयन करना है। और उससे संबंधित कौन-कौन से विषय पढ़ने हैं?
बच्चा जब इंटर पास कर लेता है तब भी उसके सामने वही स्थिति आ जाती है जो हाई स्कूल के दौरान आती है। इस समय शिक्षा का वृहद रूप उसके सामने आता है। प्रत्येक वर्ग जैसे कला, वाणिज्य और विज्ञान वर्ग में भी अलग-अलग पाठ्यक्रम विषय, उप विषय बन जाते हैं, ऐसी स्थिति में बच्चा असमंजस में आ जाता है। वह सही विषय चुनने का सही निर्णय नहीं ले पाता है कि अब उसे किस कोर्स में प्रवेश लेना चाहिए। बच्चे के जीवन का सबसे पहला सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव इंटर के बाद ही शुरू होता है। जहां से वह जिम्मेदारियों वाला कदम बढ़ाना सीखता है और स्वयं मेहनत करके अपना कॅरियर चुनता है। तब इसी समय आवश्यकता होती है उसे सही मार्गदर्शन और सही दिशा-निर्देशन की।
और यदि वह जो बनना चाहता है या करना चाहता है परंतु कर नहीं कर पाता है। तथा अपने सहपाठियों को सफलता के मार्ग पर निरंतर बढ़ते हुए देखता है तब उसके अंदर निराशा, हताशा, हीनभावना, कुंठा, आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। तब वह सही दिशा-निर्देशन न मिल पाने की स्थिति में भटक भी सकता है। डिप्रेशन का शिकार या अवसादग्रस्त होकर नशाखोरी जैसी बुरी आदतों का शिकार हो सकता है। गलत रास्ते पर जा सकता है। आपराधिक दुनिया में भी कदम रखकर अपना जीवन बर्बाद कर सकता है। या फिर गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होकर अपने जीवन को समाप्त भी कर सकता है। ऐसे बच्चे को जो सुविधा विहीन हैं, गरीब परिवारों से हैं, जिन्हें उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है, प्रतिभाशाली होते हुए भी वे मन मुताबिक अपना कॅरियर नहीं बना पाते हैं। अच्छी व उच्च स्तर की शैक्षिक जानकारी के अभाव में सही निर्णय नहीं ले पाने की स्थिति में वास्तविक जानकारी से अनभिज्ञ रह जाते हैं। यह पुस्तक काफी हद तक छात्रों एवं उनके अभिभावकों को सही मार्गदर्शन देने में अवश्य सहायक सिद्ध होगी। तथा छात्र-छात्राओं के शैक्षिक, बौद्धिक, शारीरिक और मानसिक विकास कर उनकी विभिन्न परेशानियों को दूर करते हुए उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान भी करने में सहायक सिद्ध होगी तथा उनका सही मार्गदर्शन कर भविष्य की चुनौतियों से लड़ने के लिए भी सक्षम बनाएगी। अन्य वक्ताओं छात्रों एवं अभिभावकों ने भी पुस्तक की सराहना की तथा अपने साथ लेकर भी गए। कई कोचिंग सेंटरों के संचालकों प्रधानाचार्यो एवं शिक्षकों ने कहा कि "यह पुस्तक हमारे लिए भी बहुत लाभदायक है क्योंकि जब बच्चे हमसे पूछते हैं कि सर हमें आगे क्या करना चाहिए तब हमें भी इतनी ज्यादा जानकारी नहीं होती है यह पुस्तक हमारा भी मार्गदर्शन करेगी। यह पुस्तक "सही कदम सफलता की ओर" नूतन वर्ष में नई सफलताओं का उपहार लिए उनका मार्ग प्रशस्त करते हुए विद्यार्थियों को उचित मार्गदर्शन देने एवं उनके सही कॅरियर को चुनने में, एक अच्छा भविष्य बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। |
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