बिंदु पांडे |
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लोक सेवक मंडल कानपुर( केंद्र) द्वारा आयोजित लाला लाजपत राय जयंती के शुभ अवसर पर "अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह" का शुभारंभ आज दिनांक 28 मई 2030 को 12:00 से हरिहर नाथ शास्त्री भवन सभागार खलासी लाइन कानपुर में हुआ। सर्वप्रथम मयूर ग्रुप के निर्देशक श्री महेश गुप्त के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया साथ में अति विशिष्ट श्री अमरनाथ मेहरोत्रा ,श्री राहुल दीक्षित,श्री दीपक मालवीय ,डॉ. राधेश्याम मिश्र ,श्री राजीव मिश्र श्री गणेश प्रसाद गुप्ता (मयूर ग्रुप ) आदि उपस्थित रहे। श्री दीपक मालवीय जी के अध्यक्षीय भाषण के पश्चात डॉ अर्चना सिंह चौहान द्वारा सरस्वती वंदना"माँ नमन स्वीकार करो मेरा अंतरह्र्दय डालो डेरा" द्वारा काव्य पाठ का शुभारंभ हुआ ।राहुल दीक्षित टाइम्स के निर्देशक श्री राहुल दीक्षित जी एवं समाजसेवी श्री रामगोपाल तुलस्यान जी के अतिरिक्त कई गणमान्य विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। तत्पश्चात हापुड़ के कवि श्री अनिल बाजपेई द्वारा काव्य का सुचारू रूप से प्रभावशाली संचालन किया गया। सर्वप्रथम सुप्रसिद्ध गज़लकार श्री राजीव तिवारी ने "हम यहाँ टहलने नहीं आए, दुनिया को बदलने नहीं आए "से लोगों का ध्यान आकर्षित किया ।कवि संजीव कुलश्रेष्ठ का गीत "खोल दो बंद कमरे की खिड़कियाँ से सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा तथा कवि सम्मेलन के संयोजक एवं शहर के वरिष्ठ गीतकार श्री राधेश्याम मिश्रा जी ने अपने सुंदर अपने सुमधुर गीतों से लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। उनका प्रसिद्ध गीत "दुखी संसार सारा है कोई तन से कोई मन से कोई अपनों से हारा है "बड़ा ही हृदयस्पर्शी रहा। गीतकार श्री राजीव मिश्र जी "कभी ना होगे अपने वतन की" कविता सुना कर सदन में देश प्रेम का भाव जागृत किया ।कवि श्री बलवीर आश्चर्य जी की कविता "चौराहे में टकराकर मिले गांधी गांधीजी की स्मृतियों को ताजा कर दिया । कवयित्री श्रीमती उर्मिला पांडे "ओ मेरे हमसफ़र जानम तू बेनी में चमकता है" कविता प्रस्तुत की। हास्य कवि श्री वसुदेव मिश्रा "लालबत्ती"ने "जिंदगी तुमको मिले तो मुस्कुराना चाहिए "सुनाकर लोगों को गुदगुदाया ।कवि श्री देव कुमार ने लाला लाजपत राय की स्मृतियों को ताजा करते हुए कविता "सत्य यदि शत-प्रतिशत भी हो फिर भी कुछ अपवाद रहेंगे" सुनाई । कैबिनेट मंत्री माननीय श्री राकेश सचान जी द्वारा गणमान्य विद्वानों एवं अतिथियों का सम्मान किया गया जिनमें श्री अमरनाथ मेहरोत्रा, श्री प्रशांत कंसल जी, श्री ज्ञान प्रकाश गुप्ता, डॉ शरद बाजपेई, श्री सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता ,श्री दीपक मालवीय ,श्री गणेश प्रसाद गुप्ता, श्री प्रेम नारायण सोमानी, डॉ. राधेश्याम मिश्र ,श्री सुनील कुमार गुप्त ,श्री राजीव किशोर भरतिया , श्री गोपाल तुलस्यान, डॉक्टर उमेश पालीवाल ,श्री प्रवीण नेमानी ,श्री विजय तिवारी 'मुकुल',श्री अजय मिश्र ,डॉ. इंद्र मोहन रोहतगी , श्री अनिल नेमानी ,डॉ.आर .के. अग्निहोत्री ,श्री अरविंद चतुर्वेदी,डॉ. सुषमा त्रिपाठी त्रिपाठी,श्री सुरेश गुप्ता,श्री निर्मल तिवारी , श्री पवन तिवारी, श्री गोपाल दीक्षित, श्री कमलेश शर्मा, श्री महेश शर्मा ,श्री राहुल दीक्षित आदि को अंक वस्त्र शॉल ओढ़ाकर माला एवं प्रतीक चिन्ह द्वारा सम्मानित किया गया ।कवि और कवयित्रियों में श्री राधा गोविंद पाठक, डॉ. जय सिंह आर्य, श्री वासुदेव मिश्र' लाल बत्ती 'श्री प्रमोद मिश्र ,डॉ कविता किरण ,श्री अनिल बाजपेई, श्री राजेंद्र तिवारी ,श्री राजीव मिश्र श्री मनोज मधुर ,डॉ. अर्चना सिंह चौहान ,श्रीमती उर्मिला पांडे, आदित्य कुमार अजीब कुसुम सिंह अविचल श्रीअशोक जी 'अचानक 'आदि को अंक वस्त्र और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया ।तत्पश्चात सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ.कविता किरण ने "सर्दियों के सामने बैठे देह धाम पर धूप सेकते रहे, आपको ही देखते रहे, गीत सुना कर दर्शकों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया ।कवि अनिल बाजपेई ने तिरंगा और केसरिया का महत्व बताते हुए भगत सिंह के संदर्भ में ओजस्वी शैली में कविता पाठ किया जिससे सभागार में देशभक्ति की लहर दौड़ गई।
श्री राधा गोविंद पाठक द्वारा "महज एक योगी है रमते हुए और कुछ नहीं "सुना कर श्रोताओं को आद्यात्म की तरफ जोड़ा ।जय श्री आर्य ने देशभक्ति से सराबोर कविता "चमन से कौन गया गली-गली उदास है "सुना कर सभागार को रोमांचित कर दिया। |
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