कवि- परमेश्वर प्रसाद कुमावत “परम” शाहपुरा (भीलवाड़ा) राज. |
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ऐसे वीर कम पैदा होते हैं धरा पे यारों, परिवार से भी जिन्हें संस्कार चाहिए l
केसरी की देशभक्ति बजा रही थी बिगुल, जोरावर सा ये राष्ट्रप्रेम प्यार चाहिए l
जीजाबाई सी माताओं की कमी नहीं यहां पे, माणक सी जननी सभी की होनी चाहिए l
कोख से प्रताप जैसे वीर पैदा होते जिन्हें , ऐसी भाग्यशाली सभी माता होनी चाहिए ll
विश्व इतिहास में अनूठा है उदाहरण जो, पूरा परिवार राष्ट्रहित काम आया जी l
चेतावणी रा ये चूंगट्या ही था जिन्होंने यारों, मेवाड़ की आन बान शान को बचाया जी l
जोरावर जोर दिखला गए फिरंगियों को, बुर्के से बम का धमाका जो गूंजाया था l
छोटी सी उमर में भी काका संग बम लेके, चांदनी के चौक बीच सबक सिखाया था ll
उमर 18 वर्ष खेलने की लगती है, काका संग क्रांति विचार कैसे आया जी l
जानते हुए कि पकड़े गए तो फांसी होगी, मौत का ये खोप तुम्हें क्यों नहीं सताया जी l
मन में विचार मां की लाज को बचाना था जी, गीदड़ से देश की सुरक्षा भी जरूरी थी l
काका जोरावर संग माणक का मोती बढ़ा, होल्डिंग्स की छाती छलनी भी तो जरूरी थी ll
बम का धमाका सुन दौड़े ये फिरंगी पीछे, विश्वासघाती ने यूँ पकड़ा दिया प्रताप l
दरिंदों ने मारा पीटा बोले साथी बताओ जी, माँ तुम्हारी रो रही क्यों सोचते नहीं प्रताप l
बोले एक माता को हंसाने के लिए हजारों, माताओं के आंसू नहीं बहा सकता प्रताप l
बरेली की जेल बीच फांसी दे दो मुझको जी, बलिदान से ना पीछे हटेगा कभी प्रताप ll
धन्य है धरा मेवाड़ी मेवाड़ में शाहपुरा, दो के दो प्रताप जहां बलिदान हो गए l
राणा जी भी वन में बारहठ जी भी वन-वन, दिल्ली और लंदन का दिल दहला गए l
आजीवन प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए, एक घास की रोटी तो एक जेल चल दिए l
तिलक करो वीरों की पावन धरा को यारों, देश को जवानी अपनी लुटा के चल दिए ll
देश पराधीनता की बेड़ियों में पड़ा हुआ, मां के आंचल के आंसू कौन पूछ पाएगा l
लूटती हुई है आबरू माताओं बहनों की, भारती की लाज बोलो कौन बचा पाएगा l
पग-पग बिछी लाशे फुटपाथ घायल है, कायरों का देश से निकाला होना चाहिए l
वीरता प्रखरता जवानी भरी आंधियों में, देश में प्रताप फिर पैदा होना चाहिए ll |
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