अजय पत्रकार |
|
स्वैच्छिक दुनिया। बजट चुनावी, लोकलुभावन, अमीरों व प्राइवेट सेक्टर के चंद ऊगलियों में गिने जाने वाले पुंजपतियों व बड़े तबके को प्रोत्साहित करने वाला है। यह बजट मध्यम श्रेणी के लोगों की वोट को कैश करने व किसानो तथा खास वोटरों का वोट लेने वाला प्रयास भी है। मगर लोअर मिडिल क्लास के लिए इस बजट में कुछ भी ठोस नहीं है।बेरोजगारों के लिए बजट में कोई ठोस प्रावधान नहीं है। एक साल तक मुफ्त राशन लगभग 80 करोड लोगों को दिया जाएगा और लगभग इसी राशन से कुछ लोग ब्लैक करके कुछ जिनको राशन मिलता वह बेच करके वर्तमान अन्य लोग लगभग 90 करोड लोगों को इसमें सुविधा जरूर मिलेगी। लगभग 2.00 लाख करोड़ रुपया इसके लिए आवंटन किया गया है। परंतु यदि उन्हें रोजगार दे दिया जाता और एक बार यह राशन न दिया जाता तो ज्यादा अच्छा था। 100 नई योजनाएं भी आई हैं जिनसे कुछ कुछ आशाएं की किरण लगती है। इस बजट में सबसे बड़ी बात यह है युवाओं किसानों बेरोजगारों व मतदाताओं पर विशेष ध्यान दिया गया है ।पीएम आवास के बजट में भी इजाफा किया गया है। शेयर बाजार को मजबूती दी गई है। पर हकीकत यह भी है की जनता की जेब खाली है कुछ हाथों में ही सिमटी हुई है थी अब सिर्फ़ उंगलियों में गिने जाने वालों के हाथों में पूंजी सिमट जाएंगी। हिंदुस्तान का आम आदमी का बजट बहुत खराब है आर्थिक तंगी से जूझ रहा है और कर्ज के पैसे से वह अपनी दिनचर्या चला रहा हैं।पेट पालना है इसके लिए इसमें कोई विशेष नहीं सोचा गया हैं। पचास नए एयरपोर्ट बनाए जाएंगे परंतु ये किस व्यक्ति विशेष के लिए बनाए जाएंगे ? यह प्राइवेट सेक्टर के दिए जाएंगे आम पब्लिक का एयरपोर्ट से कोई लेना देना नहीं है. बड़े लोगों के लिए सुविधाएं खूब दी गई हैं। वहीं पर मिशन हाइड्रोजन के लिए कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए भी सरकार ने अच्छी नीति अपनाई है 19744 करोड़ रुपया हाइड्रोजन के लिए उपलब्ध कराने की बहुत अच्छी बात कही है। आठ लाख करोड़ का बजट इसमें जुटाना होगा जो ज़रुर जुटे गा भी। मगर वहीं पर एक बात और ध्यान देने की बात है कि 22 के बजट में 8से 8 पॉइंट 5 GDP का कहां गया था परंतु मात्र 7 पॉइंट डीजीपी आई थी। 2023 और 2024 के लिए 6 से6 पॉइंट 8 की डीजीपी का टारगेट दिया गया है। परंतु 5 डेसिमल 6 पॉइंट जीडीपी 2023 में आने की संभावना है। सोना महंगा हुआ है और साइकिल सस्ती हुई है परंतु साइकिल के नेताओं की व उनकी पार्टी की आर्थिक स्रोतों को कृत्रिम व तिकड़म के कायदे कानून से खत्म कर दिया गया है।उनके समर्थकों को इतने छापे पड़े हैं की उनकी व्यक्तिगत आर्थिक स्थिति पार्टियों की खराब हो गई है सस्ती साइकिल पर सवारी अब उस ठाठबाट से नहीं होगी।काश यदि आदि मुलायमदसिंह होते तो 26जनवरी के बाद एक फरवरी की साइकिल सस्ती की स्कीम में सांसद ने फिर कुछ न कुछ मोदी को तिवारा आने का कह देते।केंद्र ने ओल्ड कार स्क्रैप की पॉलिसी को जरूरी बताया है इससे ऑटो सेक्टर को बूस्ट अप मिलेगा। यह सरकार की बहुत अच्छीबात रही है। मल्लिका ऐ दौलत लाल सुर्ख गोटे की सारी व डिस्टल टेबलेट के साथ पेपरलेस बजट पेश करके दक्षिणमुखी लक्ष्मी देवी ने काफी आशाओं को जगाया है ।मौजूदा हुकूमत का यह आखरी पूर्ण बजट है। पिछली कमियों को बड़े बेहतरीन अंदाज से छिपाया गया है, उम्मीदों और वादों के सहारे आम जनता पलती व रहती है। परंतु अभी तक के सभी सरकारों के बजट आधे सच्चे आधे झूठे निकले हैं ।जो वायदे पेश किए गए हैं उसमें आधी हकीकत है और आधा फसाना है। विश्व अर्थव्यवस्था धीमी हो जाएगी, प्रमुख अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट मेंआयेगी, 2023 24 मई वैश्विक सुरक्षा की स्थित खराब होगी। अफसोस है बजट में इसके लिए नहीं सोचा गया ।भाजपा का दलित वर्ग के बाल्मीकि समाज पर बहुत पैनी नजर है सफाई कर्मियों के लिए उन्होंने गटर की सफाई की व्यवस्था मशीनों से करने का बहुत बड़ा और अच्छा बदलाव किया है। जो अच्छी बात है। परंतु वहां पर भी वोट का बहुत बड़ा लालच है। लगता है ऐसा है कि यह बजट वरिष्ठ नागरिकों व पेंशनरों के लिए कुछ खास नहीं रहा ।आंकड़ों के मायाजाल से बजट बनाया गया केवल औपचारिकता ही इसमें है। बजट में ना कोई मजबूत स्पष्ट दिशा है ना ही कोई दशा है। सिर्फ सत्ता के फासले को कम करने का जुगाड़ है जो सभी सरकारें करती रही है। राजस्व बढ़ाने का कोई मजबूत इंतजाम नहीं किया गया है। विकास दर को बढ़ाने का भी कोई बहुत बड़ा इंतजाम नहीं दिखा। लगता ऐसा है जैसे बजट हमेशा नॉर्थ ब्लॉक में ही टेबलेट पर बना लिया जाता था। इस सरकार से उम्मीद थी कि नॉर्थ ब्लॉक से बाहर आकर के बजट बनेगा वह भी पूर्ण नहीं हुआ। सन् 1946 में संपूर्ण भारत का बजट लियाकत अली ने पेश किया था। उसके बाद नेहरू के खंडित भारत में तथा विखंडित भारत (पाक के जिन्ना के भारत,) में प्रथम बजट पेश किया गया था। लियाकत का 46का बजट कुछ खास लोगों के एक वर्ग विशेष के खिलाफ था। उस बजट को हिंदुस्तान के इतिहास का सबसे खराब बजट सभी ने माना था। उस बजट से भी ध्रवीकरण हुआ था।ओर बटवारा आसान हुआ था। यह बजट उतना कतई खराब नहीं है,मगर लियाकत के बजट पर खास लोगों को उपेक्षित किया गया था यह 2023का बजट लगता है उसका बदला है।परंतु भारत में अब कोई बंटवारे की बात दिवास्वप्न होगी इस बजट से देश की रक्षा को सुरक्षा मिलेगी और देश का हर नागरिक हर वर्ग चाहे जितने मतभेद हो भारत के सुरक्षा के प्रति पूर्णतया समर्पित है वहीं आपसी मतभेद चाहे जितने हो।
बहुत सोचे समझे सामाजिक गणित के तहत इस बजट पर बहुसंख्यक समाज को गति देने के लिए संजीवनी का काम किया गया हैं। जो वोट में भी तब्दील होगा। यह भी एक कटु सत्य है। पत्रकार को सच लिखना चाहिए क्यों न वह सूली पर लटका दिया जाए। आत्मा की आवाज पर मैंने यह सच भी लिखने का साहस किया है। हिंदुस्तान के इतिहास में यह बजट अपने आप में एक अलग बजट है शायद मरहाठो के बजट से लिया गया उस समय का बजट ऐसा ही था ।या होलकर महारानी का बजट भी इसी
तरह का था ,उनकी भावनाओं का भी इस बजट में पुट है। |
|
|